समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपनी अवधारणाओं को परखें!
समाजशास्त्र के क्षेत्र में अपनी यात्रा को एक नई दिशा देने के लिए तैयार हो जाइए! हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं 25 विशेष प्रश्न जो आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को चुनौती देंगे। अपनी तैयारी को और मजबूत करने के लिए इन प्रश्नों का सामना करें और गहन व्याख्याओं से सीखें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है, जो सामाजिक क्रियाओं को समझने के लिए कर्ताओं के व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर देता है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ की अवधारणा पेश की। इसका अर्थ है ‘समझना’ और यह इस बात पर जोर देता है कि समाजशास्त्रियों को केवल बाहरी व्यवहार का अध्ययन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन व्यक्तिपरक अर्थों, इरादों और विश्वासों को भी समझना चाहिए जो लोगों को एक विशेष तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का केंद्रीय हिस्सा है और उनके कार्य ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है, जो सामाजिक तथ्यों के बाहरी अध्ययन पर अधिक केंद्रित था।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा दी। जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक हैं, जिन्होंने ‘सेल्फ’ (Self) के विकास पर बल दिया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा, भारतीय समाज में किस प्रकार की गतिशीलता को दर्शाती है?
- संरचनात्मक गतिशीलता
- सांस्कृतिक गतिशीलता
- राजनीतिक गतिशीलता
- आर्थिक गतिशीलता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निचली जातियाँ या जनजातियाँ अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाती हैं, जिससे वे जाति पदानुक्रम में ऊपर उठ सकें। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक और व्यवहारिक परिवर्तन से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह केवल व्यक्तिगत या समूह के सांस्कृतिक व्यवहारों को बदलने की प्रक्रिया है, न कि समाज की पूरी संरचना को बदलने की।
- गलत विकल्प: ‘संरचनात्मक गतिशीलता’ समाज की समग्र संरचना में परिवर्तन से संबंधित है। ‘राजनीतिक गतिशीलता’ शक्ति या शासन में परिवर्तन को दर्शाती है, और ‘आर्थिक गतिशीलता’ धन या आय के वितरण में परिवर्तन से जुड़ी है। सांस्कृतिक गतिशीलता इन सबसे भिन्न है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने सामाजिक संरचना को ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social System) के एक भाग के रूप में देखा, जो समाज के स्थायित्व और एकीकरण में योगदान करती है?
- रॉबर्ट मर्टन
- ताल्कोट पार्सन्स
- सी. राइट मिल्स
- एल्बिन गॉल्डनर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ताल्कोट पार्सन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक विचारक थे, जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था (Social System) को समाजशास्त्र के अध्ययन की केंद्रीय इकाई माना। उन्होंने सामाजिक संरचना को सामाजिक व्यवस्था के एक स्थिर और एकीकृत भाग के रूप में देखा, जो समाज के स्थायित्व और निरंतरता को बनाए रखने में मदद करती है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था चार प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं (AGIL मॉडल) पर आधारित होती है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यवस्था-मानसिकता (Latency/Pattern Maintenance)। सामाजिक संरचना इन प्रकार्यों को पूरा करने में सहायक होती है।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकार्य’ (Function) और ‘दुष्प्रकार्य’ (Dysfunction) जैसे विचारों को स्पष्ट किया और ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-range theories) पर बल दिया। सी. राइट मिल्स ने ‘सामाजिक शक्ति’ (Social Power) और ‘sociological imagination’ पर काम किया। एल्बिन गॉल्डनर एक महत्वपूर्ण उत्तर-वेबरियन विचारक थे।
प्रश्न 4: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और मूल्यों के क्षरण की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के लिए कोई स्पष्ट मानदंड या नियम नहीं रह जाते हैं, जिससे सामाजिक नियंत्रण का अभाव हो जाता है और व्यक्ति दिशाहीन महसूस करने लगता है। यह अक्सर तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट के समय देखी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने दर्शाया कि कैसे अनमी आत्महत्या और सामाजिक अव्यवस्था के विभिन्न रूपों को जन्म दे सकती है।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ की बात की, और मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ और ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) जैसी अवधारणाएँ दीं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ (Pattern Maintenance) के प्रकार्य से सबसे अधिक संबंधित है, जैसा कि ताल्कोट पार्सन्स ने वर्णित किया है?
- समाज की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति
- समाज के लिए नियम और मूल्य बनाए रखना
- समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संसाधन जुटाना
- समाज के विभिन्न भागों में समन्वय स्थापित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ (Pattern Maintenance) वह प्रकार्य है जो समाज के सांस्कृतिक पैटर्न, मूल्यों, विश्वासों और आदर्शों को बनाए रखने और प्रसारित करने से संबंधित है। यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सदस्य उन अंतर्निहित नियमों और मूल्यों के अनुसार कार्य करें जो व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा और धर्म जैसी संस्थाएँ पैटर्न मेंटेनेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे अगली पीढ़ी को सामाजिक मूल्य सिखाती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि समाज की मुख्य सांस्कृतिक परंपराएँ बनी रहें।
- गलत विकल्प: (a) ‘अनुकूलन’ (Adaptation) आर्थिक आवश्यकताओं से संबंधित है। (c) ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने से है। (d) ‘एकीकरण’ (Integration) समाज के विभिन्न भागों के बीच समन्वय से संबंधित है।
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा का प्रयोग करते हुए, निम्न में से किस समाजशास्त्री ने यह तर्क दिया कि जाति और वर्ग परस्पर संबंधित हैं, लेकिन समान नहीं?
- जी.एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
- आंद्रे बेतेई
- य. गो. देव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आंद्रे बेतेई (André Béteille) भारतीय समाजशास्त्री हैं जिन्होंने जाति और वर्ग के संबंधों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने तर्क दिया कि जहाँ जाति पारंपरिक रूप से भूमिकाएँ और स्थिति निर्धारित करती है, वहीं वर्ग आर्थिक कारकों पर आधारित होता है। उन्होंने भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में संरचनात्मक-तुलनात्मक दृष्टिकोण का प्रयोग किया और दिखाया कि ये दोनों प्रणालियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं, लेकिन उनके आधार भिन्न हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बेतेई की पुस्तक ‘Castes, Old and New’ और ‘Inequality Among Men’ में इन विचारों को विस्तार से समझाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिकरण के साथ, वर्ग की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो रही है।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति को एक ‘विशिष्ट भारतीय घटना’ माना। इरावती कर्वे ने जाति को ‘विस्तारित परिवार’ के रूप में देखा। य. गो. देव एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्री थे, लेकिन बेतेई ने विशेष रूप से जाति और वर्ग के अंतरसंबंध पर गहरा काम किया।
प्रश्न 7: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा का अर्थ है:
- समाज में विभिन्न समूहों के बीच अनौपचारिक संबंध
- समाज में व्यक्तियों और समूहों का पदानुक्रमित विभाजन
- समाज में शक्ति का विकेंद्रीकरण
- समाज में सांस्कृतिक विविधता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ है समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति, धन, शक्ति, शिक्षा या अन्य मानदंडों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित रूप से विभाजित करना। यह विभाजन पदानुक्रमित होता है, जिसमें कुछ समूह दूसरों से ऊँचे माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के प्रमुख रूप हैं: दासता (Slavery), जाति (Caste), वर्ग (Class) और संपदा (Estate) व्यवस्था। ये सभी व्यवस्थाएं समाज में असमानता को संस्थागत बनाती हैं।
- गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक संबंध सामाजिक अंतःक्रिया का हिस्सा हैं, स्तरीकरण नहीं। (c) शक्ति का विकेंद्रीकरण स्तरीकरण के विपरीत भी हो सकता है। (d) सांस्कृतिक विविधता एक महत्वपूर्ण सामाजिक विशेषता है, लेकिन यह सीधे तौर पर स्तरीकरण की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 8: हर्बर्ट ब्लूमर द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत का मुख्य ध्यान किस पर है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ
- व्यक्तिगत और समूह के बीच प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया
- राज्य की भूमिका और शक्ति
- आर्थिक असमानता और वर्ग संघर्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: हर्बर्ट ब्लूमर, जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों के विस्तारक, ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ को एक सिद्धांत के रूप में विकसित किया। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे मनुष्य प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इस प्रक्रिया में वे अपने स्वयं के ‘स्व’ (Self) का निर्माण करते हैं और समाज को आकार देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने तीन प्रमुख प्रस्ताव दिए: 1. मनुष्य वस्तुओं (चाहे वे भौतिक हों, सामाजिक हों, या अमूर्त हों) के प्रति अपने कार्यों को उन वस्तुओं के प्रति अर्थों के आधार पर निर्देशित करते हैं जो वे रखते हैं। 2. इन अर्थों को व्यक्तियों के बीच उनकी सामाजिक अंतःक्रिया में उत्पन्न और परिष्कृत किया जाता है। 3. ये अर्थ व्याख्यात्मक प्रक्रिया के माध्यम से उपयोग किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह प्रकार्यवाद या संरचनावाद की ओर इशारा करता है। (c) यह राजनीति विज्ञान या सत्ता-केंद्रित समाजशास्त्र की ओर इशारा करता है। (d) यह मार्क्सवाद की ओर इशारा करता है।
प्रश्न 9: ‘प्रकार्य’ (Function) और ‘दुष्प्रकार्य’ (Dysfunction) की अवधारणाओं को स्पष्ट करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन थे?
- ताल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्य (Function) और दुष्प्रकार्य (Dysfunction) की अवधारणाओं को अधिक सूक्ष्मता से परिभाषित किया। उन्होंने ‘प्रकार्य’ को किसी सामाजिक व्यवस्था के किसी दिए गए भाग द्वारा योगदान के रूप में देखा, जबकि ‘दुष्प्रकार्य’ को उन परिणामों के रूप में देखा जो समाज के एकीकरण को कम करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-range theories) पर भी जोर दिया, जो अत्यधिक सामान्यीकरण (जैसे पार्सन्स के कुछ सिद्धांत) और बहुत विशिष्ट अवलोकन के बीच स्थित होते हैं। उन्होंने ‘गुप्त प्रकार्य’ (Latent Function) और ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Function) के बीच अंतर भी किया।
- गलत विकल्प: ताल्कोट पार्सन्स ने प्रकार्यवाद का एक व्यापक ढाँचा विकसित किया, लेकिन मर्टन ने इन अवधारणाओं को अधिक परिष्कृत किया। दुर्खीम और वेबर ने भी प्रकार्य की बात की, लेकिन मर्टन का योगदान विशेष रूप से इस अंतर-संबंध के स्पष्टीकरण में था।
प्रश्न 10: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) के अध्ययन में, निम्नलिखित में से कौन सा दृष्टिकोण उन्हें भारतीय समाज के एक अविभाज्य अंग के रूप में देखता है, न कि मुख्यधारा से अलग?
- पृथक्करणवादी दृष्टिकोण
- आत्मसातीकरणवादी दृष्टिकोण
- एकीकरणवादी दृष्टिकोण
- असंगततावादी दृष्टिकोण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एकीकरणवादी दृष्टिकोण (Integrationist Approach) आदिवासी समुदायों को भारतीय राष्ट्रीय समाज का एक अभिन्न अंग मानता है। यह दृष्टिकोण उनके सांस्कृतिक योगदान को स्वीकार करता है और उन्हें मुख्यधारा के समाज में शामिल करने की वकालत करता है, बिना उनकी विशिष्ट पहचान को पूरी तरह से मिटाए।
- संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के समर्थक मानते हैं कि जनजातियों को अलग-थलग या संरक्षित करने के बजाय, उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय जीवन में भाग लेने के अवसर प्रदान करने चाहिए।
- गलत विकल्प: पृथक्करणवादी दृष्टिकोण जनजातियों को मुख्यधारा से अलग रखने की वकालत करता है। आत्मसातीकरणवादी दृष्टिकोण उन्हें पूरी तरह से मुख्यधारा में विलीन करने पर जोर देता है, जिससे उनकी विशिष्ट संस्कृति खो जाती है। असंगततावादी दृष्टिकोण उनकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है बिना किसी स्पष्ट समाधान के।
प्रश्न 11: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) के उदय को समझाने के लिए ‘प्रोटेस्टेंट नैतिकता’ (Protestant Ethic) के महत्व पर किस समाजशास्त्री ने प्रकाश डाला?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- थॉर्स्टेन वेबलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी कृति ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में यह तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म की कुछ शाखाओं, विशेषकर कैल्विनवाद, की नैतिकता ने आधुनिक पूंजीवाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि कैसे कार्य के प्रति समर्पण, मितव्ययिता और लाभ को ईश्वर का आशीर्वाद मानने की भावना ने पूंजी संचय को बढ़ावा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का यह विश्लेषण कार्ल मार्क्स के आर्थिक निर्धारणवाद के विपरीत था, जिन्होंने पूंजीवाद के उदय का मुख्य कारण उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को माना था। वेबर ने संस्कृति और धर्म की भूमिका पर बल दिया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने श्रम विभाजन और सामाजिक एकजुटता पर काम किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और आर्थिक आधार पर समाज के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। थॉर्स्टेन वेबलन ‘कंजम्पशन’ (Consumption) और ‘लेजर क्लास’ (Leisure Class) जैसी अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जिसमें सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और विश्वास की भूमिका पर जोर दिया जाता है, किस समाजशास्त्री से मुख्य रूप से जुड़ी है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे प्रमुख समाजशास्त्रियों ने किया है। प्रत्येक ने अपने तरीके से इस अवधारणा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। बॉर्डियू ने इसे व्यक्तिगत संसाधनों के रूप में देखा, कोलमैन ने इसे सामाजिक संरचना के गुण के रूप में, और पुटनम ने नागरिक जुड़ाव और समुदाय के संदर्भ में।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को उन संसाधनों के रूप में परिभाषित किया जो किसी व्यक्ति या समूह को अपने सामाजिक नेटवर्क के माध्यम से प्राप्त होते हैं। कोलमैन ने इसे एक ऐसी संपत्ति माना जो सामाजिक संरचनाओं में मौजूद होती है और व्यक्तियों को कार्य पूरा करने में सक्षम बनाती है। पुटनम ने नागरिक सहभागिता और विश्वास के महत्व पर जोर दिया, खासकर लोकतंत्र के संदर्भ में।
- गलत विकल्प: तीनों समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए केवल एक को चुनना गलत होगा।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘एगोसेन्ट्रिक’ (Egocentric) परिवार से संबंधित है, जहाँ संबंध व्यक्तिगत रूप से निर्मित होते हैं, न कि पूर्व-निर्धारित वंशानुगत रूप से?
- विस्तारित परिवार
- परमाणु परिवार
- मात्रवंशी परिवार
- पितृवंशी परिवार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: परमाणु परिवार (Nuclear Family) की विशेषता ‘एगोसेन्ट्रिक’ (Egocentric) होना है। इसका मतलब है कि परिवार के सदस्य, विशेष रूप से पति-पत्नी और उनके बच्चे, एक-दूसरे से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं, और उनके संबंध वंशानुगत संबंधों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। नए परिवार अक्सर अपने मूल परिवार से अलग होकर बनते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिक समाजों में परमाणु परिवार की प्रधानता देखी जाती है। यह पारंपरिक विस्तारित परिवारों से भिन्न है जहाँ कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं और संबंध वंशानुगतता पर आधारित होते हैं।
- गलत विकल्प: विस्तारित परिवार (Extended Family) में कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं और संबंध वंशानुगत होते हैं। मात्रवंशी (Matrilineal) और पितृवंशी (Patrilineal) परिवार वंशानुक्रम की प्रणाली को दर्शाते हैं, न कि परिवार की संरचनात्मक प्रकृति को।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संदर्भ में, किसी व्यक्ति या समूह का समाज में निम्न स्तर से उच्च स्तर पर जाना किस प्रकार की गतिशीलता कहलाता है?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता
- क्षैतिज गतिशीलता
- अवरोही गतिशीलता
- बाह्य गतिशीलता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति, धन, शक्ति या प्रतिष्ठा में वृद्धि या कमी का अनुभव करते हैं, जिससे वे समाज के पदानुक्रम में ऊपर या नीचे जाते हैं। निम्न स्तर से उच्च स्तर पर जाना ‘आरोही ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (Ascending Vertical Mobility) कहलाता है।
- संदर्भ और विस्तार: जब कोई व्यक्ति गरीब परिवार से निकलकर अमीर बनता है या निम्न पद से उच्च पद पर पहुँचता है, तो यह ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का उदाहरण है।
- गलत विकल्प: क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility) में व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति बदले बिना एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाता है (जैसे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में समान पद पर जाना)। अवरोही गतिशीलता (Downward Mobility) उच्च से निम्न स्तर पर जाना है। बाह्य गतिशीलता शब्द का प्रयोग आमतौर पर सामाजिक गतिशीलता के संदर्भ में नहीं किया जाता है।
प्रश्न 15: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?
- जहाँ श्रम विभाजन बहुत अधिक होता है
- जहाँ समाज में उच्च स्तर का व्यक्तिगत भिन्नता होती है
- जहाँ समाज छोटे, सरल और सजातीय (homogeneous) होते हैं
- जहाँ समाज जटिल और विषम (heterogeneous) होते हैं
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) को छोटे, सरल और सजातीय समाजों में सामाजिक एकजुटता का आधार बताया। इन समाजों में, लोग समान विश्वासों, मूल्यों और जीवन शैलियों को साझा करते हैं, जिससे उनके बीच मजबूत सामूहिक चेतना (Collective Conscience) बनती है और एकता स्थापित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में यांत्रिक एकता के विपरीत ‘जैविक एकता’ (Organic Solidarity) का भी वर्णन किया, जो जटिल समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम विभाजन उच्च होता है और लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, जैसे शरीर के विभिन्न अंग।
- गलत विकल्प: (a) और (b) जैविक एकता की विशेषताएँ हैं। (d) जटिल और विषम समाज जैविक एकता प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 16: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह केवल पश्चिमीकरण का अनुकरण है।
- यह केवल तकनीकी विकास तक सीमित है।
- इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं।
- यह पारंपरिक संस्थाओं को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें केवल पश्चिमीकरण या तकनीकी विकास शामिल नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं में व्यापक परिवर्तन लाता है, जैसे कि औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता, शिक्षा का प्रसार, लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास और व्यक्तिवाद में वृद्धि।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया पारंपरिक संरचनाओं और मूल्यों को चुनौती देती है, लेकिन यह हमेशा उन्हें पूरी तरह से समाप्त नहीं करती, बल्कि उन्हें रूपांतरित कर सकती है।
- गलत विकल्प: (a) यह पश्चिमीकरण का एक सरलीकरण है। (b) यह केवल तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है। (d) यह पारंपरिक संस्थाओं को बदल सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि उन्हें पूरी तरह से समाप्त कर दे।
प्रश्न 17: ‘सामुदायिकता’ (Gemeinschaft) और ‘साहचर्य’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ, जो सामाजिक संबंधों के दो मूल प्रकारों को दर्शाती हैं, किस समाजशास्त्री द्वारा दी गई हैं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- फर्डिनेंड टोनीज़
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: फर्डिनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies) ने ‘सामुदायिकता’ (Gemeinschaft) और ‘साहचर्य’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। सामुदायिकता घनिष्ठ, भावनात्मक और पारंपरिक संबंधों पर आधारित समुदाय को दर्शाती है, जबकि साहचर्य अमूर्त, तर्कसंगत और स्वार्थी हितों पर आधारित समाज को दर्शाती है।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ के अनुसार, आधुनिक औद्योगिक समाजों में सामुदायिकता का स्थान साहचर्य ले रहा है। सामुदायिकता परिवार, पड़ोस और घनिष्ठ मित्रों के संबंधों को दर्शाती है, जबकि साहचर्य बड़े शहरों, व्यवसायों और आधुनिक संस्थानों में पाए जाने वाले संबंधों को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने यांत्रिक और जैविक एकता पर काम किया। वेबर ने बुर्जुआज़ी/सर्वहारा, शक्ति और अधिकार पर काम किया। सिमेल ने महानगरीय जीवन और सामाजिक रूपों का विश्लेषण किया।
प्रश्न 18: सामाजिक अनुसंधान में ‘प्रयोज्यता’ (Utility) और ‘प्रासंगिकता’ (Relevance) के महत्व पर बल देने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जिन्होंने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-range Theories) की वकालत की?
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट मर्टन
- सिगमंड बाल्मन
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने समाजशास्त्र में ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-range Theories) की आवश्यकता पर बल दिया। ये सिद्धांत अत्यंत व्यापक (जैसे सामाजिक व्यवस्था के सिद्धांत) या अत्यंत संकीर्ण (जैसे किसी विशेष घटना का अवलोकन) नहीं होते, बल्कि ये समाज के कुछ विशिष्ट पहलुओं या प्रक्रियाओं को समझाने के लिए अधिक प्रयोज्य और प्रासंगिक होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन का मानना था कि ऐसे सिद्धांत हमें व्यवस्थित रूप से अवलोकन करने और परिकल्पनाओं का परीक्षण करने में मदद करते हैं, जिससे सामाजिक अनुसंधान अधिक उपयोगी बनता है।
- गलत विकल्प: बॉर्डियू ने शक्ति और सामाजिक पूंजी पर ध्यान केंद्रित किया। बाल्मन एक मनोवैज्ञानिक थे। दुर्खीम ने व्यापक सिद्धांत दिए।
प्रश्न 19: भारत में, ‘जाति’ (Caste) को प्रायः एक ‘बंद स्तरीकरण व्यवस्था’ (Closed Stratification System) क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि जाति समूह के सदस्य एक-दूसरे के साथ सहजता से मिलते-जुलते हैं।
- क्योंकि व्यक्ति अपनी जन्मगत स्थिति से ऊपर या नीचे आसानी से नहीं जा सकता।
- क्योंकि जाति का संबंध केवल आर्थिक स्थिति से है।
- क्योंकि सभी जातियों के अपने-अपने व्यवसाय निश्चित होते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जाति व्यवस्था को ‘बंद’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) की संभावना बहुत कम होती है। व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसी के अनुसार उसकी सामाजिक स्थिति, पेशा और भूमिकाएं प्रायः तय हो जाती हैं, और इन सीमाओं को पार करना अत्यंत कठिन होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, ‘खुली स्तरीकरण व्यवस्था’ जैसे वर्ग में, व्यक्ति अपनी मेहनत या अन्य कारकों से अपनी स्थिति बदल सकता है।
- गलत विकल्प: (a) जाति समूह के सदस्यों के बीच अंतर-संबंध (endogamy) होता है, न कि सहज मेलजोल। (c) जाति केवल आर्थिक स्थिति से नहीं, बल्कि वंशानुक्रम, शुद्धता-अशुद्धता, और धार्मिक विश्वासों से भी जुड़ी है। (d) यद्यपि पारंपरिक रूप से व्यवसाय निश्चित होते थे, यह व्यवस्था को ‘बंद’ कहने का एकमात्र कारण नहीं है।
प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जिसमें समाज की भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, का श्रेय किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्विन टॉफ्लर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- विलियम ओगबर्न
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: विलियम ओगबर्न (William Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को विकसित किया। उनका तर्क था कि समाजों में, भौतिक संस्कृति (जैसे कार, इंटरनेट) तेजी से विकसित होती है, जबकि अभौतिक संस्कृति (जैसे नैतिकता, सामाजिक नियंत्रण के तरीके) को इन परिवर्तनों के अनुकूल होने में अधिक समय लगता है, जिससे एक ‘विलंब’ या असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने इस अवधारणा का प्रयोग समझाते हुए कहा कि समाज को नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए अक्सर अपने सामाजिक और नैतिक मानदंडों को समायोजित करना पड़ता है, जिसमें समय लगता है।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘सामूहिकता’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) जैसे शब्द दिए। एल्विन टॉफ्लर ‘फ्यूचर शॉक’ के लिए जाने जाते हैं। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक थे।
प्रश्न 21: भारत में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने जमींदारी उन्मूलन और काश्तकारी कानूनों के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण किया?
- रामकृष्ण मुखर्जी
- डी.एन. मजुमदार
- एन.के. बोस
- एम.एन. श्रीनिवास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: रामकृष्ण मुखर्जी (Ramkrishna Mukherjee) भारत में सामाजिक परिवर्तन, विशेषकर ग्रामीण भारत में, और भूमि सुधारों के प्रभावों के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जमींदारी उन्मूलन और अन्य भूमि सुधारों के सामाजिक-आर्थिक आयामों का विश्लेषण किया, यह समझने की कोशिश की कि ये नीतियां ग्रामीण संरचना को कैसे प्रभावित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मुखर्जी ने भारत में गरीबी, जाति और वर्ग के अंतर्संबंधों पर भी महत्वपूर्ण काम किया।
- गलत विकल्प: डी.एन. मजुमदार ने आदिवासी अध्ययन पर काम किया। एन.के. बोस ने भारतीय समाज में संस्कृति परिवर्तन पर लिखा। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण और सदर्भिकरण पर मुख्य रूप से काम किया।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का कौन सा रूप औपचारिक होता है और कानून, पुलिस, और अदालतों जैसी संस्थाओं द्वारा लागू किया जाता है?
- अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण
- औपचारिक सामाजिक नियंत्रण
- आंतरिक सामाजिक नियंत्रण
- सामूहिक सामाजिक नियंत्रण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Formal Social Control) वह है जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों, कानूनों और संस्थाओं (जैसे पुलिस, न्यायपालिका, जेल) के माध्यम से समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है। इसका उद्देश्य सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वालों को दंडित करना या रोकना है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Informal Social Control) में वे तरीके शामिल हैं जैसे कि जनमत, सामाजिक बहिष्कार, प्रशंसा, निंदा, जो परिवार, मित्र मंडली, स्कूल और पड़ोस जैसे अनौपचारिक समूहों द्वारा लागू किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक होता है। (c) आंतरिक नियंत्रण व्यक्ति के अपने विवेक या मूल्यबोध से आता है। (d) यह एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न प्रकार के नियंत्रण शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक विघटन’ (Social Disorganization) की अवधारणा, जो उन सामाजिक प्रक्रियाओं को दर्शाती है जो समाज की संरचना या संगठन को कमजोर करती हैं, मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय स्कूल से जुड़ी है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- शिकागो स्कूल (चिह्नित सामाजिक पारिस्थितिकी)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ‘सामाजिक विघटन’ (Social Disorganization) की अवधारणा शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों, विशेष रूप से रॉबर्ट पार्क और अर्नेस्ट बर्जेस जैसे लोगों से जुड़ी है, जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र का अध्ययन किया। उन्होंने शहरी वातावरण में अपराध, गरीबी और अन्य सामाजिक समस्याओं के उद्भव को समझने के लिए इस अवधारणा का उपयोग किया, यह मानते हुए कि अनियंत्रित शहरीकरण और सामाजिक परिवर्तन ने पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण को कमजोर कर दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक पारिस्थितिकी (Social Ecology) के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो शहरी वातावरण के अध्ययन में प्रयुक्त होती है।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अर्थों पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर जोर देता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक एकीकृत व्यवस्था के रूप में देखता है।
प्रश्न 24: भारत में, ‘आदिवासी पहचान’ (Tribal Identity) को बनाए रखने और उसे मजबूत करने की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सा कारक सहायक रहा है?
- मुख्यधारा के सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाना
- सरकारी नीतियां और आरक्षण
- पृथक्करणवादी आंदोलन
- आत्मसातीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सरकारी नीतियों, विशेष रूप से आरक्षण और जनजातीय विकास योजनाओं, ने भारत में आदिवासी पहचान को बनाए रखने और उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये नीतियां जनजातीय समुदायों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व, शैक्षिक और आर्थिक अवसर प्रदान करती हैं, जिससे उनकी विशिष्ट पहचान को बनाए रखने में मदद मिलती है।
- संदर्भ और विस्तार: इन नीतियों का उद्देश्य जनजातियों को राष्ट्रीय मुख्यधारा में एकीकृत करना भी है, लेकिन वे उनकी सांस्कृतिक विशिष्टताओं को भी स्वीकार करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (d) उनकी विशिष्ट पहचान को कमजोर कर सकते हैं। (c) यद्यपि कुछ पृथक्करणवादी आंदोलन रहे हैं, समग्र रूप से नीतियों का प्रभाव अधिक संस्थागत और सहायक रहा है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, ‘अस्तित्व के लिए संघर्ष’ (Struggle for Existence) और ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (Survival of the Fittest) जैसी अवधारणाओं का उपयोग करने वाले समाजशास्त्री कौन थे?
- अगस्त कॉम्टे
- हरबर्ट स्पेंसर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) को ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने चार्ल्स डार्विन के जैविक विकास के सिद्धांतों को समाज पर लागू किया और तर्क दिया कि समाज भी प्राकृतिक चयन की तरह ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ के सिद्धांत के अनुसार विकसित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर का मानना था कि समाज सरल अवस्थाओं से धीरे-धीरे अधिक जटिल और एकीकृत अवस्थाओं की ओर बढ़ता है, और जो संस्थाएं या व्यक्ति इस विकास में सक्षम नहीं होते, वे विलुप्त हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद दिया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष को विकास का इंजन माना। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर काम किया।