समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: परीक्षा के लिए अपनी पकड़ मजबूत करें
तैयारी के इस रोमांचक सफर में आपका स्वागत है, जहाँ हम हर दिन समाजशास्त्र के गहन अध्ययन और अवधारणात्मक स्पष्टता पर ध्यान केंद्रित करते हैं! क्या आप अपनी परीक्षा की तैयारी को एक नई ऊँचाई देना चाहते हैं? आइए, आज के 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ अपनी ज्ञान की परीक्षा लें और समाजशास्त्र के जटिल सिद्धांतों को सहजता से समझें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘स्पिरिट ऑफ लॉज’ (The Spirit of Laws) नामक प्रसिद्ध कृति किसने लिखी, जिसमें सरकार के तीन अंग (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) और उनके बीच शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है?
- जॉन लॉक
- जीन-जैक्स रूसो
- मॉन्टेस्क्यू
- एडम स्मिथ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मॉन्टेस्क्यू ने अपनी 1748 की पुस्तक ‘द स्पिरिट ऑफ लॉज’ में सत्ता के पृथक्करण के सिद्धांत की विस्तृत व्याख्या की। उनका मानना था कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सरकार की शक्तियों को अलग-अलग निकायों में विभाजित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत आधुनिक लोकतांत्रिक सरकारों के लिए एक मूलभूत आधार है। मॉन्टेस्क्यू ने विशेष रूप से ब्रिटिश सरकार की प्रशंसा की, जैसा कि उन्होंने इसे समझा था, अपनी अवधारणा को विकसित करने के लिए।
- गलत विकल्प: जॉन लॉक ने भी अधिकारों और सरकार पर लिखा, लेकिन सत्ता के पृथक्करण पर मॉन्टेस्क्यू का कार्य अधिक प्रभावशाली था। जीन-जैक्स रूसो सामाजिक अनुबंध के लिए जाने जाते हैं, और एडम स्मिथ अर्थशास्त्र के पिता माने जाते हैं।
प्रश्न 2: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से निर्मित माना जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को परिभाषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होते हैं और समाज में मौजूद होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक विशिष्ट अध्ययन क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए सामाजिक तथ्यों को इसके मुख्य विषय के रूप में प्रस्तावित किया। ये तथ्य समाज पर समाजशास्त्रियों के बजाय समाज के सदस्यों पर अधिक दबाव डालते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर बल दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का विचार प्रस्तुत किया।
प्रश्न 3: ‘एलियनेशन’ (Alienation) या अलगाव की अवधारणा, जिसे मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में विकसित किया, से क्या तात्पर्य है?
- श्रमिक का अपने श्रम से, श्रम के उत्पाद से, अपनी श्रम-प्रक्रिया से और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- व्यक्ति का समाज के मूल्यों और मानदंडों से विचलन।
- प्रौद्योगिकी के कारण सामाजिक संबंधों का कमजोर होना।
- राज्य द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘एलियनेशन’ की अवधारणा को पूंजीवाद के तहत श्रमिक की स्थिति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया। श्रमिक अपने काम से, अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों से, और अंततः अपने आप से और अन्य मनुष्यों से कटा हुआ महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। यह अलगाव उत्पादक गतिविधि की प्रकृति और उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण की कमी से उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: (b) विचलन (deviance) की अवधारणा से संबंधित है। (c) प्रौद्योगिकी के प्रभाव को दिखाता है, लेकिन मार्क्स का अलगाव उत्पादन की प्रणाली पर केंद्रित है। (d) यह अधिनायकवाद या सत्तावादी शासन का परिणाम हो सकता है।
प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना।
- दलितों द्वारा उच्च जाति की जीवन शैली और प्रथाओं को अपनाना।
- शहरी जीवन शैली को अपनाना।
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जाति या जनजाति के लोग किसी उच्चतर, अक्सर द्विजा (twice-born) जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, अनुष्ठानों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाते हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने इसे सबसे पहले अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया था। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) है। (c) यह शहरीकरण (Urbanization) से संबंधित है। (d) आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन शामिल हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा तर्क **टालकोट पार्सन्स** के ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) से सबसे कम संबंधित है?
- समाज को परस्पर जुड़े भागों से बनी एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है।
- प्रत्येक भाग समाज के समग्र कामकाज में योगदान देता है।
- समाज में अस्थिरता और संघर्ष प्रकार्यशील हो सकते हैं।
- सामाजिक परिवर्तन मुख्य रूप से शक्ति और संघर्ष के माध्यम से होता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टालकोट पार्सन्स जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों का मुख्य ध्यान समाज में स्थिरता, व्यवस्था और एकीकरण पर था। वे सामाजिक परिवर्तन को मुख्य रूप से संघर्ष के माध्यम से होने वाले दृष्टिकोण से असहमत थे, जो मार्क्सवादी विचार के करीब है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने समाज को एक ऐसे जीव के रूप में देखा जिसके अलग-अलग अंग (संस्थाएं) एक साथ काम करते हैं ताकि पूरे जीव का अस्तित्व बना रहे। उन्होंने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल जैसे उपकरण विकसित किए।
- गलत विकल्प: (a), (b) और (c) सभी संरचनात्मक प्रकार्यवाद के मूल विचार हैं। (a) और (b) एकीकृत प्रणाली को दर्शाते हैं, जबकि (c) यह स्वीकार करता है कि अस्थिरता के भी कुछ प्रकार्य हो सकते हैं, लेकिन मुख्य जोर एकीकरण पर होता है। (d) संघर्ष-आधारित परिवर्तन का विचार आम तौर पर मार्क्सवाद और द्वंद्वात्मक दृष्टिकोण से जुड़ा है।
प्रश्न 6: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जिसे दुर्खीम ने आत्महत्या के अध्ययन में प्रयोग किया, का अर्थ क्या है?
- व्यक्ति का समाज से पूरी तरह अलगाव।
- समाज में नियमों और नैतिकता का अभाव, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता महसूस होती है।
- उच्च सामाजिक तनाव और चिंता।
- मानसिक बीमारी का एक रूप।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दुर्खीम के अनुसार, अनमी एक ऐसी स्थिति है जब समाज में नैतिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं या उनका प्रभाव कम हो जाता है, जिससे व्यक्तियों के लिए अपने व्यवहार का मार्गदर्शन करना मुश्किल हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में, दुर्खीम ने अनॉमिक आत्महत्या का वर्णन किया, जो तब होती है जब सामाजिक नियम ढीले पड़ जाते हैं, जैसे कि आर्थिक संकट या तीव्र सामाजिक परिवर्तन के समय, जिससे व्यक्तियों को अनुत्तरदायी और अनियंत्रित महसूस होता है।
- गलत विकल्प: (a) यह अलगाव (alienation) का वर्णन करता है। (c) यद्यपि अनमी से तनाव हो सकता है, लेकिन यह इसका मुख्य अर्थ नहीं है। (d) अनमी एक सामाजिक-निर्धारित स्थिति है, न कि व्यक्तिगत मानसिक बीमारी।
प्रश्न 7: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में विभिन्न भूमिकाओं के महत्व के आधार पर असमान वेतन और प्रतिष्ठा आवंटित की जाती है, ताकि सबसे योग्य व्यक्तियों को सबसे महत्वपूर्ण पदों पर आकर्षित किया जा सके?
- मार्क्सवादी सिद्धांत
- प्रकार्यात्मक सिद्धांत
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 8: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख समाजशास्त्री कौन हैं, जिन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास में अंतःक्रिया की भूमिका पर जोर दिया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक पिता माना जाता है। उन्होंने इस विचार को विकसित किया कि ‘स्व’ (self) सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है, विशेष रूप से भाषा और भूमिका-निर्वाह (role-taking) के माध्यम से।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘माइंड, सेल्फ, एंड सोसाइटी’ (Mind, Self, and Society) नामक अपनी मरणोपरांत प्रकाशित कृति में इन विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘I’ (प्रतिक्रियाशील स्व) और ‘Me’ (सामाजिक स्व) के बीच द्वंद्व का वर्णन किया। इर्विंग गॉफमैन (d) भी इसी परंपरा से आते हैं लेकिन मीड अधिक मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम (a) सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना पर थे, वेबर (b) व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर थे।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का अर्थ क्या है?
- किसी भी जाति के सदस्य से विवाह करना।
- समान जाति के भीतर विवाह करना।
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना।
- विवाह के लिए जीवनसाथी का चुनाव करने में व्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अंतर्विवाह का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना चाहिए। यह जाति व्यवस्था को बनाए रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह न केवल समूह की पहचान को बनाए रखता है, बल्कि रक्त-शुद्धता (blood purity) की धारणाओं और प्रत्येक जाति के भीतर सामाजिक और आर्थिक संबंधों को भी मजबूत करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) बहिर्विवाह (Exogamy) या अंतरजातीय विवाह का वर्णन करते हैं। (d) व्यक्ति की स्वतंत्रता का विचार आधुनिक विवाह प्रवृत्तियों के विपरीत है, जबकि जाति व्यवस्था में यह प्रतिबंधित है।
प्रश्न 10: निम्नांकित में से कौन सी एक **सामाजिक संस्था** (Social Institution) नहीं है?
- परिवार
- शिक्षा
- धर्म
- पड़ोस
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार, शिक्षा और धर्म समाज की प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं, जो विशिष्ट कार्य करती हैं और नियमों, मूल्यों तथा व्यवहार के संगठित पैटर्न से जुड़ी होती हैं। पड़ोस एक भौगोलिक या सामाजिक-सामुदायिक इकाई है, न कि एक संगठित संस्था।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्थायी सामाजिक व्यवस्थाएँ हैं जो समाज के मूलभूत कार्यों को पूरा करती हैं। परिवार प्रजनन और समाजीकरण करता है, शिक्षा ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, और धर्म जीवन को अर्थ और मार्गदर्शन देता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी समाजशास्त्र में मान्यता प्राप्त प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। पड़ोस समुदाय का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह स्वतः एक संस्था नहीं है।
प्रश्न 11: **आर. के. मर्टन** ने ‘लैटेंट फंक्शन्स’ (Latent Functions) की अवधारणा को परिभाषित किया है। इसका क्या अर्थ है?
- किसी सामाजिक घटना के वे प्रत्यक्ष, अभिज्ञात और इच्छित परिणाम।
- किसी सामाजिक घटना के वे अप्रत्यक्ष, अनभिलक्षित और अनपेक्षित परिणाम।
- समाज में संघर्ष को बढ़ावा देने वाले कार्य।
- किसी सामाजिक घटना के नकारात्मक परिणाम।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आर. के. मर्टन ने प्रकार्यों को दो श्रेणियों में विभाजित किया: मैनिफेस्ट फंक्शन्स (Manifest Functions) यानी प्रत्यक्ष और अभिज्ञात परिणाम, और लैटेंट फंक्शन्स (Latent Functions) यानी अप्रत्यक्ष और अनपेक्षित परिणाम।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, अमेरिकी इंडियन जनजाति द्वारा आयोजित एक धार्मिक समारोह का मैनिफेस्ट फंक्शन ईश्वर का सम्मान करना हो सकता है, लेकिन इसका लैटेंट फंक्शन समुदाय की एकता को मजबूत करना हो सकता है। मर्टन ने इन अंतरों को सामाजिक व्यवस्था को बेहतर ढंग से समझने के लिए महत्वपूर्ण माना।
- गलत विकल्प: (a) मैनिफेस्ट फंक्शन्स का वर्णन करता है। (c) यह संघर्ष सिद्धांत से संबंधित है। (d) यह ‘डिसफंक्शन’ (Dysfunction) का वर्णन करता है।
प्रश्न 12: **इर्विंग गॉफमैन** ने अपनी पुस्तक ‘द प्रेजेंटेशन ऑफ सेल्फ इन एवरीडे लाइफ’ (The Presentation of Self in Everyday Life) में समाज को किस रूप में चित्रित किया?
- एक कठोर पदानुक्रमित संरचना के रूप में।
- एक स्थिर, सामंजस्यपूर्ण प्रणाली के रूप में।
- एक रंगमंच (Dramaturgy) के रूप में, जहाँ व्यक्ति अपने ‘स्व’ को सामाजिक रूप से प्रस्तुत करते हैं।
- नियंत्रण और दमन की एक मशीन के रूप में।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गॉफमैन ने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) के दृष्टिकोण का उपयोग किया, यह तर्क देते हुए कि लोग अपनी दैनिक बातचीत में अपनी भूमिकाओं के अनुसार प्रदर्शन करते हैं, जैसे अभिनेता मंच पर करते हैं, ताकि दूसरों पर वांछित प्रभाव डाला जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘सामने का मंच’ (front stage) और ‘पीछे का मंच’ (back stage) जैसी अवधारणाओं का उपयोग किया, जहाँ लोग अपनी वास्तविक भावनाओं को छिपाकर एक तैयार छवि प्रस्तुत करते हैं। यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद की एक महत्वपूर्ण शाखा है।
- गलत विकल्प: (a), (b) और (d) अन्य समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों (जैसे मार्क्सवाद, प्रकार्यवाद) का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन गॉफमैन का मुख्य जोर दैनिक जीवन में सामाजिक प्रदर्शन पर था।
प्रश्न 13: भारत में ‘प्र asesinato’ (Procreation) के संदर्भ में, परिवार का प्राथमिक कार्य क्या माना जाता है?
- आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना।
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना।
- बच्चों का जन्म और उनका समाजीकरण।
- मनोरंजन और आराम प्रदान करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्र जनन (Procreation) और बच्चों का समाजीकरण परिवार का प्राथमिक और सार्वभौमिक कार्य माना जाता है। इसके माध्यम से समाज अपनी निरंतरता सुनिश्चित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार बच्चों को समाज के नियमों, मूल्यों और व्यवहार के प्रतिमानों से परिचित कराता है, जिससे वे समाज के सदस्य बनने के लिए तैयार होते हैं। अन्य कार्य जैसे आर्थिक, शैक्षिक, भावनात्मक समर्थन भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्र जनन मूल कार्य है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) परिवार के अन्य कार्य हैं, लेकिन प्र जनन और समाजीकरण को अक्सर मूल कार्य माना जाता है।
प्रश्न 14: **सामाजिक अनुसंधान** (Social Research) में, **गुणात्मक विधि** (Qualitative Method) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- घटनाओं की आवृत्ति को मापना।
- कारण-प्रभाव संबंधों की पहचान करना।
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, व्याख्या और संदर्भ को समझना।
- बड़ी आबादी के सामान्यीकरण के लिए संख्यात्मक डेटा एकत्र करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) का मुख्य लक्ष्य सामाजिक दुनिया की गहराई और जटिलता को समझना है, जिसमें लोगों के अनुभव, विश्वास, भावनाएं और उनका संदर्भ शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे सवालों के जवाब तलाशती है, बजाय कि ‘कितने’ जैसे प्रश्नों के। यह सामाजिक घटनाओं की सूक्ष्मताओं को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (a), (b) और (d) अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) के उद्देश्य होते हैं, जो संख्याओं और सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करता है।
प्रश्न 15: **औद्योगीकरण** (Industrialization) के कारण भारतीय समाज में निम्नांकित में से किस परिवर्तन का अनुभव किया गया है?
- संयुक्त परिवार प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
- पारंपरिक ग्राम समुदायों का विघटन।
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन।
- धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: औद्योगीकरण ने बड़े पैमाने पर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवासन को बढ़ावा दिया है, जिससे पारंपरिक ग्राम समुदाय कमजोर हुए हैं और संयुक्त परिवार प्रणाली में भी बदलाव आया है (अक्सर यह टूटकर एकाकी परिवार में बदल जाती है)।
- संदर्भ और विस्तार: नए आर्थिक अवसर, बेहतर शिक्षा और जीवन स्तर की तलाश में लोग गांवों से शहरों की ओर जाते हैं, जिससे सामाजिक संरचना, पारिवारिक व्यवस्था और समुदाय के स्वरूप में परिवर्तन आता है।
- गलत विकल्प: (a) औद्योगीकरण से संयुक्त परिवार कमजोर होते हैं, सुदृढ़ नहीं। (c) औद्योगीकरण जाति व्यवस्था को बदलता है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त नहीं करता। (d) औद्योगीकरण का धार्मिक अनुष्ठानों पर अक्सर नकारात्मक या परिवर्तनकारी प्रभाव देखा गया है, न कि वृद्धि का।
प्रश्न 16: **तारा प. बटलर** (T.P. Bottomore) के अनुसार, समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र क्या है?
- केवल मानव इतिहास का अध्ययन।
- केवल व्यक्ति की मनोविज्ञान का अध्ययन।
- मनुष्य और उनके सामाजिक संबंधों, सामाजिक व्यवहार और समाज की संरचना का व्यवस्थित अध्ययन।
- केवल आर्थिक प्रणालियों का अध्ययन।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: त.प. बटलर जैसे समाजशास्त्रियों ने समाजशास्त्र को एक ऐसे अनुशासन के रूप में परिभाषित किया है जो समाज, सामाजिक जीवन, सामाजिक संबंधों, सामाजिक संरचनाओं, सामाजिक प्रक्रियाओं और मानव व्यवहार के समूहों के व्यवस्थित अध्ययन से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: बटलर ने समाजशास्त्र को अन्य सामाजिक विज्ञानों से अलग करने की कोशिश की, जैसे कि मनोविज्ञान या इतिहास, जो व्यक्ति या अतीत पर अधिक केंद्रित हो सकते हैं। समाजशास्त्र समग्र सामाजिक संरचनाओं और अंतःक्रियाओं पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र के केवल एक हिस्से को दर्शाते हैं, या बिल्कुल भी नहीं।
प्रश्न 17: **आधुनिकता** (Modernity) की अवधारणा से निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता **असंबंधित** है?
- तर्कसंगतता (Rationality) और वैज्ञानिक सोच का उदय।
- धर्म और परंपरा का बढ़ता प्रभाव।
- व्यक्तिवाद (Individualism) और नागरिक अधिकारों पर जोर।
- शहरीकरण और औद्योगीकरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकता की विशेषता अक्सर तर्कसंगतता, विज्ञान, व्यक्तिवाद और धर्म व परंपरा की घटती प्रासंगिकता (secularization) से जुड़ी होती है। इसलिए, धर्म और परंपरा का बढ़ता प्रभाव आधुनिकता से असंबंधित है; वास्तव में, आधुनिकता से इसका क्षरण अपेक्षित है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता को अक्सर ज्ञानोदय (Enlightenment) और औद्योगिक क्रांति से जोड़ा जाता है, जिसने पारंपरिक समाजों की संरचनाओं को चुनौती दी और तर्क, प्रगति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) आधुनिकता की सभी प्रमुख विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 18: **जाति व्यवस्था** के संदर्भ में, ‘पेशागत विशिष्टता’ (Occupational Specialization) से क्या तात्पर्य है?
- सभी जातियों के लोग समान व्यवसाय करते हैं।
- प्रत्येक जाति को पारंपरिक रूप से एक विशेष व्यवसाय या कार्य सौंपा जाता है।
- जाति व्यवस्था व्यवसाय से अप्रभावित रहती है।
- आधुनिक अर्थव्यवस्था में पेशा व्यवसाय से स्वतंत्र है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता यह है कि प्रत्येक जाति को पारंपरिक रूप से एक विशेष व्यवसाय या समूह के व्यवसाय से जोड़ा जाता रहा है। उदाहरण के लिए, बढ़ई, लोहार, नाई, पुजारी आदि।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था न केवल आर्थिक विभाजन को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक पदानुक्रम और अंतर्निर्भरता को भी स्थापित करती है। हालांकि औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण ने इस संबंध को कमजोर किया है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) जाति व्यवस्था की वास्तविकता के विपरीत हैं। (d) हालांकि आधुनिक अर्थव्यवस्था में यह प्रवृत्ति कमजोर हुई है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से यह एक प्रमुख विशेषता रही है।
प्रश्न 19: **सामाजिक नियंत्रण** (Social Control) के **अनौपचारिक साधनों** (Informal Means) में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल **नहीं** है?
- जनमत
- आदत
- सामाजिक बहिष्कार
- कानून
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण के अनौपचारिक साधनों में वे तरीके शामिल हैं जो समाज के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, जैसे जनमत, सामाजिक बहिष्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, आदतें और लोकमत। कानून एक **औपचारिक** (formal) साधन है, जिसे राज्य या सरकार द्वारा लागू किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनौपचारिक नियंत्रण अक्सर सामाजिक दंड (जैसे निंदा, उपहास) या पुरस्कार (जैसे स्वीकृति) पर आधारित होता है, जबकि औपचारिक नियंत्रण नियमों, दंडों और कानूनी प्रक्रियाओं पर आधारित होता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी अनौपचारिक साधनों के उदाहरण हैं। कानून (d) एक औपचारिक साधन है।
प्रश्न 20: **ग्रामीण समाजशास्त्र** (Rural Sociology) में, **’गेमाइनशाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसलशाफ्ट’ (Gesellschaft)** की अवधारणाएँ, जो **फर्डिनेंड टोनीज़** (Ferdinand Tönnies) द्वारा प्रस्तुत की गईं, क्रमशः किस प्रकार के समाजों का प्रतिनिधित्व करती हैं?
- आधुनिक और औद्योगिक समाज।
- पारंपरिक, घनिष्ठ और समुदाय-आधारित समाज (गेमाइनशाफ्ट) और आधुनिक, व्यक्तिगत और उद्देश्य-आधारित समाज (गेसलशाफ्ट)।
- केवल शहरी और औद्योगिक समाज।
- आदिम और गैर-कृषि समाज।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फर्डिनेंड टोनीज़ ने गेमाइनशाफ्ट (समुदाय) को घनिष्ठ, भावनात्मक और अंतर्निर्भर संबंधों वाले पारंपरिक समाजों (जैसे गाँव) के रूप में वर्णित किया, जबकि गेसलशाफ्ट (समाज) को अमूर्त, तर्कसंगत और अनुबंध-आधारित संबंधों वाले आधुनिक, औद्योगिक और शहरी समाजों के रूप में वर्णित किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह विभाजन सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकता के उदय को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ढाँचा प्रदान करता है, जो पारंपरिक सामाजिक बंधनों से आधुनिक, व्यक्तिगत संबंधों की ओर बदलाव को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) केवल एक प्रकार के समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं या दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट नहीं करते।
प्रश्न 21: **सामाजिक संरचना** (Social Structure) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तियों का व्यवहार।
- समाज में वस्तुओं और लोगों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी पैटर्न और संबंधों का जाल।
- एक व्यक्ति के व्यक्तिगत विचार।
- समाज में केवल अस्थिर और बदलते हुए पैटर्न।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न अंगों, संस्थाओं, समूहों और भूमिकाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित संबंधों को संदर्भित करती है, जो समाज को एक निश्चित स्वरूप प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह संरचनात्मक प्रकार्यवादियों जैसे पार्सन्स के लिए केंद्रीय थी, जिन्होंने समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखा। संरचना सामाजिक जीवन को आकार देती है और लोगों के व्यवहारों को प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक संरचना का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं संरचना नहीं है। (c) व्यक्तिगत विचार संरचना का हिस्सा नहीं हैं। (d) संरचना में स्थिरता महत्वपूर्ण है, अस्थिरता को यह मुख्य रूप से नहीं दर्शाती।
प्रश्न 22: **जातिगत पूर्वाग्रह** (Caste Prejudice) का सबसे उपयुक्त वर्णन कौन सा है?
- किसी व्यक्ति की जाति के आधार पर उसकी योग्यता का निष्पक्ष मूल्यांकन।
- किसी व्यक्ति की जाति के आधार पर उसे नीचा या श्रेष्ठ समझना, अक्सर बिना किसी व्यक्तिगत अनुभव के।
- सभी जातियों के बीच समान व्यवहार।
- जाति व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जातिगत पूर्वाग्रह किसी व्यक्ति या समूह के प्रति उसकी जाति के कारण नकारात्मक या सकारात्मक दृष्टिकोण, रूढ़िवादिता (stereotypes) और पूर्व-निर्धारित राय का होना है। यह अक्सर अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधारित नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: पूर्वाग्रह एक दृष्टिकोण है, जो अक्सर भेदभाव (Discrimination) के रूप में व्यवहार में प्रकट होता है। भारतीय समाज में, यह ऐतिहासिक रूप से ऊंची जातियों द्वारा नीची जातियों के प्रति प्रदर्शित किया गया है, लेकिन यह किसी भी दिशा में हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) निष्पक्ष मूल्यांकन है, पूर्वाग्रह नहीं। (c) समानता है। (d) पूर्वाग्रह को दूर करने का प्रयास है।
प्रश्न 23: **’संस्कृति’** (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?
- केवल कला और साहित्य।
- केवल भाषा और रीति-रिवाज।
- सीखे हुए व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और समाज के सदस्यों द्वारा प्राप्त अन्य सभी क्षमताएं और आदतें।
- केवल जीवित रहने के लिए आवश्यक भौतिक वस्तुएँ।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृति समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया एक व्यापक और जटिल प्रतिमान है, जिसमें उनके जीने के तरीके, सोचने के तरीके और दुनिया को समझने के तरीके शामिल हैं। यह न केवल भौतिक वस्तुएँ हैं, बल्कि अभौतिक (non-material) पहलू भी हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड बर्नेट टायलर (Edward Burnett Tylor) ने संस्कृति की एक व्यापक परिभाषा दी जो आज भी प्रासंगिक है, जिसमें कहा गया है कि संस्कृति एक समग्रता है जिसे समाज के सदस्य सीखते हैं और साझा करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन संस्कृति केवल इन्हीं तक सीमित नहीं है। (d) भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन संस्कृति का एक पूर्ण विवरण नहीं है।
प्रश्न 24: **सामाजिक गतिशीलता** (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- एक व्यक्ति का समाज में स्थिर रहना।
- लोगों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर तक ऊपर या नीचे जाना, या एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना।
- समाज में परिवर्तन का अभाव।
- किसी व्यक्ति का अपने ही सामाजिक समूह में सीमित रहना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन से है, जो या तो ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (एक स्थिति से दूसरी स्थिति में समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह गतिशीलता अक्सर शिक्षा, व्यवसाय, आय या सामाजिक प्रतिष्ठा में परिवर्तन से जुड़ी होती है। यह समाज की खुली या बंद प्रकृति को समझने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) गतिशीलता के विपरीत हैं, जो स्थिरता को दर्शाते हैं। (d) समूह के भीतर सीमित रहने को ‘सामाजिक स्थायित्व’ या ‘गतिहीनता’ कहा जा सकता है।
प्रश्न 25: **’सामाजिक परिवर्तन’** (Social Change) के **प्रक्रियात्मक सिद्धांत** (Processual Theories) किस पर ध्यान केंद्रित करते हैं?
- समाज में स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने के कारणों पर।
- समाज में समय के साथ होने वाले क्रमिक, व्यवस्थित और दीर्घकालिक परिवर्तनों पर।
- समाज में अचानक और क्रांतिकारी परिवर्तनों पर।
- समाज में बाहरी शक्तियों के प्रभाव के बिना होने वाले परिवर्तनों पर।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रक्रियात्मक सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन की निरंतर, व्यवस्थित और दीर्घकालिक प्रकृति पर जोर देते हैं। वे परिवर्तन को एक प्रक्रिया के रूप में देखते हैं जो विभिन्न चरणों और अंतःक्रियाओं से गुजरती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर विकास (evolution) और प्रगति (progress) की अवधारणाओं से जुड़ा होता है, जहाँ समाज धीरे-धीरे सरल से जटिल रूपों में परिवर्तित होता है। हालाँकि, इसमें चक्रीय (cyclical) या रेखीय (linear) परिवर्तन के विभिन्न मॉडल शामिल हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करता है, परिवर्तन पर नहीं। (c) अचानक और क्रांतिकारी परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करने वाले सिद्धांत (जैसे मार्क्सवाद के क्रांतिकारी पहलू) प्रक्रियात्मक सिद्धांतों से भिन्न हो सकते हैं, जो अक्सर अधिक क्रमिकता पर जोर देते हैं। (d) कई सिद्धांत बाहरी शक्तियों को भी महत्वपूर्ण मानते हैं।
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