समाजशास्त्रीय पैनापन: आज का अभ्यास
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता और अवधारणात्मक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम समाजशास्त्र के विविध क्षेत्रों से 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्न लेकर आए हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से अपने ज्ञान की गहराई को मापें और प्रत्येक उत्तर के पीछे छिपे गहन तर्क को समझें। यह दैनिक अभ्यास आपको सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएगा!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- एमिल दुर्खीम
- विलियम ग्राहम समनर
- ऑगस्ट कॉम्ते
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज़’ (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा को स्पष्ट किया। यह वह स्थिति है जब समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, सामाजिक संस्थाएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक समायोजन में कठिनाई होती है।
- संदर्भ और विस्तार: समनर के अनुसार, भौतिक संस्कृति में परिवर्तन सामाजिक संरचना और मूल्यों को अपनाने में समय लगता है, जिससे विलंब उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए, इंटरनेट का आविष्कार बहुत तेज़ी से हुआ, लेकिन इसके उपयोग से जुड़े नैतिक और कानूनी नियम (जैसे साइबर अपराध) काफी बाद में विकसित हुए।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ और ‘सांस्कृतिक विघटन’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं दीं। कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘अलगाव’ पर बल दिया। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘तार्किक प्रगति’ का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सा ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रस्तावक नहीं है?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- हरबर्ट ब्लूमर
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन मुख्य रूप से ‘मध्यम-सीमा के सिद्धांत’ (Mid-range Theory) और ‘प्रकार्यवाद’ (Functionalism) से जुड़े हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड, चार्ल्स हॉर्टन कूली और हरबर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक हैं। ब्लूमर ने ही इस शब्द को गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस बात पर जोर देता है कि समाज व्यक्तियों के बीच प्रतीकों (भाषा, हावभाव, वस्तुएं) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं से निर्मित होता है। मीड ने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच द्वंद्व समझाया, जो सामाजिक आत्म के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। कूली ने ‘दर्पण-स्व’ (Looking-glass self) की अवधारणा दी।
- गलत विकल्प: मीड, कूली और ब्लूमर इस सिद्धांत के आधार स्तंभ माने जाते हैं। मर्टन का कार्य प्रकार्यवाद के भीतर उप-क्षेत्रों पर केंद्रित है, जैसे कि ‘प्रकट’ और ‘अप्रकट’ कार्य (Manifest and Latent Functions)।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के किस रूप में व्यक्तिवाद का उदय होता है?
- यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
- सावयवी एकजुटता (Organic Solidarity)
- दोनों
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज विभाजन का नियम’ (The Division of Labour in Society) में दो प्रकार की सामाजिक एकजुटता का वर्णन किया है। ‘सावयवी एकजुटता’ आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है, जहाँ श्रम विभाजन अधिक होता है और व्यक्ति अपनी विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। इस निर्भरता से ही व्यक्तिवाद का उदय होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘यांत्रिक एकजुटता’ पारंपरिक, सरल समाजों में पाई जाती है, जहाँ समान विश्वास, भावनाएं और मूल्य (सामूहिक चेतना) लोगों को बांधे रखते हैं। इसके विपरीत, सावयवी एकजुटता में, लोग अपनी भिन्नताओं के कारण एकजुट होते हैं, जो व्यक्तिवाद को जन्म देता है।
- गलत विकल्प: यांत्रिक एकजुटता में व्यक्तिवाद कम होता है और सामूहिक चेतना प्रबल होती है। विकल्प (c) गलत है क्योंकि व्यक्तिवाद मुख्य रूप से सावयवी एकजुटता से जुड़ा है।
प्रश्न 4: ‘पदानुक्रमित सामाजिक संरचना’ (Hierarchical Social Structure) भारतीय समाज में किस संस्था का प्रमुख लक्षण है?
- परिवार
- धर्म
- जाति व्यवस्था
- राजनीति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रारूपों (Ideal Types) में कौन सा शामिल नहीं है?
- तर्कसंगत-विधिक सत्ता (Rational-Legal Authority)
- परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- बलशाली सत्ता (Coercive Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन प्रमुख आदर्श प्रारूप बताए हैं: तर्कसंगत-विधिक सत्ता (जैसे आधुनिक नौकरशाही), परंपरागत सत्ता (जैसे राजशाही) और करिश्माई सत्ता (जैसे पैगंबर या महान नेता)। ‘बलशाली सत्ता’ उनके वर्गीकरण का हिस्सा नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, तर्कसंगत-विधिक सत्ता नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है, परंपरागत सत्ता रीति-रिवाजों और विश्वासों पर, और करिश्माई सत्ता नेता के असाधारण गुणों पर। वेबर का विश्लेषण यह दर्शाता है कि कैसे ये सत्ता प्रारूप सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) वेबर द्वारा परिभाषित सत्ता के तीन आदर्श प्रारूप हैं। बलशाली सत्ता (जैसे सैन्य बल का उपयोग) अन्य सत्ता प्रारूपों को लागू करने का एक साधन हो सकती है, लेकिन यह अपने आप में एक अलग आदर्श प्रारूप नहीं है।
प्रश्न 6: ‘संरचनात्मक प्रकारवाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, अपराध (Crime) का क्या कार्य हो सकता है?
- समाज की एकता को मजबूत करना
- सामाजिक नियमों को परिभाषित करना और स्पष्ट करना
- सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करना
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम और बाद में रॉबर्ट मर्टन जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों ने तर्क दिया कि अपराध, हालांकि नकारात्मक है, समाज के लिए कुछ कार्य कर सकता है। यह सामाजिक मानदंडों को परिभाषित करता है (यह स्पष्ट करके कि क्या अस्वीकार्य है), सामाजिक एकता को मजबूत कर सकता है (एक सामान्य दुश्मन के खिलाफ एकजुट करके), और सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित कर सकता है (जब बड़े पैमाने पर विरोध या नवाचार को शुरू में अपराध माना जाता है)।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, अपराध तब होता है जब समाज की सामूहिक चेतना कमजोर हो जाती है (anomie), लेकिन समाज अपनी प्रतिक्रिया से यह भी दर्शाता है कि कौन से नियम महत्वपूर्ण हैं। मर्टन ने ‘एनोमी’ को ‘संरचनात्मक तनाव’ से जोड़ा, जहाँ समाज के लक्ष्य और उन्हें प्राप्त करने के साधन के बीच विसंगति होती है।
- गलत विकल्प: ये सभी विकल्प अपराध के अप्रत्यक्ष, कार्यात्मक (functional) पहलुओं का वर्णन करते हैं जैसा कि प्रकार्यवादियों द्वारा समझा गया है।
प्रश्न 7: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तियों का समूहों में विभाजन
- समाज में धन और संसाधनों का असमान वितरण
- समाज में लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर पदानुक्रमित रूप से व्यवस्थित करना
- समाज में विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति, धन और विशेषाधिकारों के आधार पर एक पदानुक्रमित प्रणाली में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह एक समाज-व्यापी पैटर्न है, न कि केवल व्यक्तियों का विभाजन।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के प्रमुख आधार वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि हो सकते हैं। इसके विभिन्न सिद्धांत हैं, जैसे कार्ल मार्क्स का वर्ग-आधारित सिद्धांत और मैक्स वेबर का बहुआयामी दृष्टिकोण (वर्ग, दर्जा, शक्ति)।
- गलत विकल्प: (a) बहुत सामान्य है। (b) धन और संसाधनों का असमान वितरण स्तरीकरण का *परिणाम* है, लेकिन परिभाषा नहीं। (d) विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) से संबंधित है, न कि सीधे तौर पर स्तरीकरण से।
प्रश्न 8: एन. सी. ब्राउन (N.C. Brown) के अनुसार, भारतीय समाज में निम्न में से कौन सी सामाजिक समस्या का मूल कारण **नहीं** है?
- जनसंख्या वृद्धि
- जाति प्रथा
- सामुदायिक संबंध
- अज्ञानता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एन.सी. ब्राउन जैसे समाजशास्त्रियों ने जनसंख्या वृद्धि, जाति प्रथा, अज्ञानता, रूढ़िवाद और गरीबी को भारतीय समाज की प्रमुख सामाजिक समस्याओं के मूल कारणों के रूप में पहचाना है। ‘सामुदायिक संबंध’ (Community relations) आमतौर पर एक सकारात्मक या तटस्थ शब्द है, जो समस्याओं का मूल कारण नहीं, बल्कि उनका समाधान हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: ब्राउन जैसे भारतीय समाज के अध्ययनकर्ताओं ने इन कारकों को सामाजिक पिछड़ापन और आधुनिकता के मार्ग में बाधा माना।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी भारतीय समाज की समस्याओं के स्थापित कारण माने जाते हैं। (c) ‘सामुदायिक संबंध’ को समस्या के मूल में नहीं रखा जाता।
प्रश्न 9: ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) की प्रक्रिया क्या है?
- दो संस्कृतियों का एक-दूसरे से प्रभाव लेना
- एक अल्पसंख्यक समूह का बहुसंख्यक संस्कृति की विशेषताओं को अपनाना
- समाज के विभिन्न समूहों के बीच संघर्ष
- सामाजिक गतिशीलता का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आत्मसातकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक छोटा या अल्पसंख्यक समूह (अक्सर अप्रवासी) अपनी मूल संस्कृति को छोड़ देता है और बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, व्यवहार और मूल्यों को अपना लेता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया अक्सर एकतरफा होती है और इसका परिणाम सांस्कृतिक एकरूपता की ओर जाता है। उदाहरण के लिए, अप्रवासी अक्सर अपनी भाषा, रीति-रिवाजों को छोड़ देते हैं और स्थानीय समाज के तरीके अपना लेते हैं।
- गलत विकल्प: (a) ‘सांस्कृतिक आदान-प्रदान’ या ‘सांस्कृतिक संलयन’ (Amalgamation/Fusion) का वर्णन करता है। (c) ‘संघर्ष’ (Conflict) का वर्णन करता है। (d) ‘स्थिरता’ (Stagnation) का वर्णन करता है।
प्रश्न 10: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सुसंगतता’ (Cohesion) और ‘असंतुलन’ (Anomie) के बीच अंतर करने के लिए जाना जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- इर्विंग गोफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘असंतुलन’ (Anomie) की अवधारणा को समाज में प्रचलित नियमों और सामाजिक नियंत्रण की अनुपस्थिति या कमजोरी के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे सामाजिक सुसंगतता के विपरीत देखा, जो समाज को एक साथ रखती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में दिखाया कि कैसे पारंपरिक सामाजिक बंधनों के कमजोर पड़ने से व्यक्ति को असंतुलन का अनुभव हो सकता है, जिससे आत्महत्या की दरें बढ़ सकती हैं। वे श्रम विभाजन को समाज को एक साथ रखने (सुसंगतता) के एक नए रूप के रूप में भी देखते थे।
- गलत विकल्प: मार्क्स ‘अलगाव’ और ‘वर्ग संघर्ष’ पर केंद्रित थे। वेबर ‘सत्ता’ और ‘तर्कसंगतता’ पर। गोफमैन ‘सूक्ष्म-समाजशास्त्र’ (Microsociology) और ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) से जुड़े हैं।
प्रश्न 11: ‘जातिगत ग्रामीणवाद’ (Caste Ruralism) की अवधारणा भारतीय समाजशास्त्रीय चिंतन में किसने प्रस्तुत की?
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- आंद्रे बेतेई
- जी. एस. घुरिये
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आंद्रे बेतेई (André Béteille) एक प्रमुख समाजशास्त्री हैं जिन्होंने भारतीय समाज, विशेषकर ग्रामीण भारत में जाति और वर्ग के संबंधों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने ‘जातिगत ग्रामीणवाद’ (Caste Ruralism) जैसी अवधारणाओं का प्रयोग करके यह बताया कि कैसे ग्रामीण भारत में जाति व्यवस्था केवल एक धार्मिक या अनुष्ठानिक व्यवस्था न होकर आर्थिक और राजनीतिक शक्ति का भी आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: बेतेई ने तर्क दिया कि ग्रामीण समुदायों में, जाति का संबंध भूमि स्वामित्व, कृषि श्रम और शक्ति संबंधों से गहराई से जुड़ा हुआ है, जिससे एक विशिष्ट प्रकार की ग्रामीण सामाजिक संरचना बनती है।
- गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ‘संस्कृतिकरण’ और ‘पश्चिमीकरण’ के लिए जाने जाते हैं। इरावती कर्वे ने नातेदारी पर काम किया। जी. एस. घुरिये ने भारतीय समाज की विशेषताओं पर व्यापक कार्य किया, जिसमें जाति भी शामिल है, लेकिन ‘जातिगत ग्रामीणवाद’ बेतेई की एक विशिष्ट अवधारणा है।
प्रश्न 12: ‘निर्धनता का संस्कृति’ (Culture of Poverty) का सिद्धांत किसने विकसित किया?
- ऑस्कर लेविस
- मिल्टन फ्रीडमैन
- डेविड हैरकॉट्स
- अमारित्य सेन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ऑस्कर लेविस, एक मानवविज्ञानी, ने ‘निर्धनता की संस्कृति’ का सिद्धांत विकसित किया। उनके अनुसार, निर्धनता केवल आर्थिक अभाव नहीं है, बल्कि यह एक जीवन शैली, मूल्यों और व्यवहारों का एक ऐसा पैटर्न है जो पीढ़ियों तक चलता है और व्यक्ति को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने से रोकता है।
- संदर्भ और विस्तार: लेविस ने मेक्सिको और प्यूर्टो रिको में अपने नृवंशविज्ञान (ethnographic) अध्ययनों के आधार पर यह सिद्धांत प्रतिपादित किया। यह सिद्धांत विवादास्पद रहा है क्योंकि आलोचकों का मानना है कि यह निर्धनता के लिए व्यक्तियों को दोषी ठहराता है, जबकि सामाजिक और संरचनात्मक कारकों की उपेक्षा करता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प अर्थशास्त्र या विकास अध्ययन से जुड़े हैं, लेकिन ‘निर्धनता की संस्कृति’ सिद्धांत सीधे तौर पर लेविस से जुड़ा है।
प्रश्न 13: इर्विंग गोफमैन (Erving Goffman) की ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) के अनुसार, व्यक्ति अपने ‘सामाजिक प्रदर्शन’ (Social Performance) को कैसे प्रबंधित करते हैं?
- अवचेतन रूप से
- बिना किसी सचेत प्रयास के
- ‘सामने के मंच’ (Front Stage) और ‘पीछे के मंच’ (Back Stage) पर भूमिकाओं को निभाकर
- केवल व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गोफमैन ने अपने कार्य ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में ‘नाटकशास्त्र’ का उपयोग करके समझाया कि लोग रोजमर्रा की जिंदगी में अभिनेताओं की तरह व्यवहार करते हैं। वे अपने सामाजिक प्रदर्शन को प्रबंधित करते हैं, अक्सर ‘सामने के मंच’ पर (जहाँ वे दर्शकों के सामने होते हैं और अपेक्षित भूमिका निभाते हैं) और ‘पीछे के मंच’ पर (जहाँ वे दर्शकों की अनुपस्थिति में आराम कर सकते हैं और अपनी ‘वास्तविक’ पहचान का प्रदर्शन कर सकते हैं)।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रस्तुति व्यक्ति की सामाजिक पहचान को बनाए रखने और दूसरों पर वांछित प्रभाव डालने के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें मुखौटे पहनना, मुखौटे उतारना और विभिन्न दर्शकों के लिए अपनी भूमिकाओं को समायोजित करना शामिल है।
- गलत विकल्प: गोफमैन का विश्लेषण इस बात पर जोर देता है कि यह प्रदर्शन सचेत प्रबंधन का परिणाम है, न कि केवल अवचेतन या अनैच्छिक। व्यक्तिगत भावनाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन वे प्रदर्शन प्रबंधन का केवल एक हिस्सा हैं।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से तात्पर्य है:
- समाज में व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन
- समाज के सभी सदस्यों की समान स्थिति
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक धन का हस्तांतरण
- समाज में सत्ता का केंद्रीकरण
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता एक समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों के उनकी सामाजिक स्थिति, वर्ग, या प्रतिष्ठा में होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे जाना) या क्षैतिज (समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अध्ययन करना महत्वपूर्ण है कि कोई समाज कितना खुला या बंद है, यानी कितनी आसानी से व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति बदल सकते हैं। गतिशीलता के प्रकारों में अंतर-पीढ़ीगत (एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक) और अंतर-पीढ़ीगत (एक ही पीढ़ी के भीतर) गतिशीलता शामिल है।
- गलत विकल्प: (b) गतिशीलता के विपरीत है। (c) धन हस्तांतरण गतिशीलता का एक *परिणाम* हो सकता है, लेकिन गतिशीलता की परिभाषा नहीं। (d) सत्ता का केंद्रीकरण स्तरीकरण या शक्ति संरचना से संबंधित है, न कि गतिशीलता से।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता **औद्योगीकरण** (Industrialization) से **सीधे तौर पर संबंधित नहीं** है?
- शहरीकरण
- पूंजीवाद का उदय
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का विघटन
- कृषि का प्रमुख आर्थिक आधार बने रहना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: औद्योगीकरण का अर्थ है उत्पादन के तरीके में मशीनीकरण और बड़े पैमाने पर कारखानों का उदय। इसके परिणामस्वरूप अक्सर बड़े पैमाने पर शहरीकरण होता है, पूंजीवाद का विस्तार होता है, और पारंपरिक, कृषि-आधारित समाजों की संरचनाएं (जैसे संयुक्त परिवार, ग्राम समुदाय) कमजोर पड़ती हैं। कृषि का प्रमुख आधार बने रहना औद्योगीकरण के *विपरीत* है, क्योंकि औद्योगीकरण कृषि से उद्योगों की ओर आर्थिक गतिविधियों के हस्तांतरण को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने समाज को मौलिक रूप से बदल दिया, जिससे नए सामाजिक वर्ग, नई जीवन शैली और नई सामाजिक समस्याएं पैदा हुईं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) औद्योगीकरण के प्रत्यक्ष परिणाम हैं। (d) औद्योगीकरण का एक परिणाम यह है कि कृषि का महत्व कम हो जाता है और उद्योग प्रमुख आर्थिक आधार बन जाते हैं।
प्रश्न 16: पैट्रिक गेडेस (Patrick Geddes) को किस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है?
- शहरी नियोजन और समाजशास्त्र
- ग्रामीण समाजशास्त्र
- औद्योगिक समाजशास्त्र
- कानून और समाज
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पैट्रिक गेडेस एक स्कॉटिश शहर योजनाकार, समाजशास्त्री, पारिस्थितिकीविद और जैविक टिप्पणीकार थे। उन्हें ‘टाउन प्लानिंग’ के पितामहों में से एक माना जाता है और उन्होंने शहरी नियोजन को एक वैज्ञानिक और सामाजिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शहरों के विकास को केवल वास्तुकला के बजाय जैविक और सामाजिक प्रक्रिया के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: गेडेस ने ‘The Cities in Evolution’ जैसी रचनाओं में इस बात पर जोर दिया कि शहरों का विकास उनके निवासियों की सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों से कैसे जुड़ा है। उन्होंने ‘सर्वे फर्स्ट’ (Survey First) के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जिसका अर्थ है कि किसी भी हस्तक्षेप से पहले क्षेत्र का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: गेडेस का मुख्य ध्यान शहरी नियोजन पर था, हालांकि उन्होंने ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों का भी अध्ययन किया, लेकिन उनका प्राथमिक योगदान शहरी समाजशास्त्र और नियोजन में है।
प्रश्न 17: ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) की अवधारणा का प्रयोग किसके सामाजिक व्यवहार को समझने के लिए किया जाता है?
- उन समूहों से जिनसे व्यक्ति संबंधित है
- उन समूहों से जिनसे व्यक्ति तुलना करता है, भले ही वह उनसे संबंधित न हो
- उन समूहों से जो समाज के नियम बनाते हैं
- उन समूहों से जो राजनीतिक शक्ति रखते हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संदर्भ समूह वे समूह होते हैं जिनसे एक व्यक्ति अपनी अभिवृत्तियों, विश्वासों और व्यवहारों की तुलना करता है, भले ही वह उस समूह का सदस्य न हो। यह तुलना व्यक्ति की अपनी स्थिति का मूल्यांकन करने और अपने व्यवहार को अनुकूलित करने में मदद करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अवधारणा को पहली बार हरबर्ट हाइमन (Herbert Hyman) ने विकसित किया था और बाद में रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने इसका विस्तार किया। उदाहरण के लिए, एक निम्न-मध्यम वर्ग का व्यक्ति उच्च-मध्यम वर्ग के जीवन स्तर को अपना संदर्भ समूह मान सकता है।
- गलत विकल्प: (a) ‘सदस्यता समूह’ (Membership Group) को परिभाषित करता है। (c) और (d) विशेष प्रकार के समूहों को संदर्भित करते हैं, न कि संदर्भ समूह की मुख्य अवधारणा को।
प्रश्न 18: भारत में ‘ट्राइबल सब-प्लान’ (Tribal Sub-Plan) का मुख्य उद्देश्य क्या रहा है?
- जनजातीय कलाओं का संरक्षण
- जनजातीय समुदायों का आर्थिक और सामाजिक विकास
- जनजातियों का मुख्यधारा के समाज में पूर्ण विलय
- जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारत में जनजातीय उप-योजना (Tribal Sub-Plan – TSP) की शुरुआत पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) के दौरान हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना और जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर को ऊपर उठाना रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: TSP का उद्देश्य जनजातियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अवसंरचना और भूमि सुधार जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाना है, साथ ही उनकी विशिष्ट संस्कृति और पहचान को बनाए रखने का प्रयास करना भी इसका हिस्सा रहा है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) विकास के पहलू हो सकते हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य नहीं। (c) पूर्ण विलय के बजाय विकास और सशक्तिकरण पर अधिक बल दिया गया है, हालांकि आत्मसात्करण की प्रवृत्तियाँ भी देखी गई हैं।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्ति का भौतिक धन
- किसी व्यक्ति के सामाजिक संबंधों का जाल जो उसे लाभ पहुँचाता है
- समाज द्वारा प्रदान की जाने वाली सामाजिक सुरक्षा
- समाजिक नियमों का पालन करने की क्षमता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह के सामाजिक नेटवर्क, विश्वास, आपसी सहयोग और जुड़ाव से प्राप्त होने वाले लाभों से है। यह उन संसाधनों को संदर्भित करता है जो लोगों को अपने सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। बॉर्डियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी को ‘संसाधनों के एक सेट के रूप में परिभाषित किया गया है जो सदस्यता के माध्यम से प्राप्त होते हैं’ और जो व्यक्तियों को लाभ पहुँचाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) वित्तीय पूंजी है। (c) सामाजिक सुरक्षा राज्य द्वारा प्रदान की जाती है। (d) यह सामाजिक अनुरूपता (conformity) या सामाजिक व्यवस्था से संबंधित हो सकता है, लेकिन सामाजिक पूंजी नहीं।
प्रश्न 20: ‘प्रत्यक्ष संस्कृति’ (Manifest Culture) और ‘प्रच्छन्न संस्कृति’ (Latent Culture) की शब्दावली का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट मर्टन
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रत्यक्ष कार्य’ (Manifest Functions) और ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) की अवधारणाएं प्रस्तुत कीं, जो समाजशास्त्रीय विश्लेषण में महत्वपूर्ण हैं। हालांकि ये सीधे तौर पर ‘संस्कृति’ पर लागू नहीं होतीं, बल्कि सामाजिक संस्थाओं या प्रथाओं के ‘कार्यों’ पर लागू होती हैं, लेकिन प्रश्न में शब्दावली का थोड़ा भिन्न प्रयोग हुआ है। संस्कृति के संदर्भ में, मर्टन ने अप्रत्यक्ष या अनपेक्षित सांस्कृतिक परिणामों का अध्ययन किया। (यदि प्रश्न ‘कार्यों’ के बारे में होता तो यह अधिक सटीक होता)
- संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्ष कार्य वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक संस्था के लिए स्पष्ट, प्रत्यक्ष और इच्छित होते हैं। प्रच्छन्न कार्य वे परिणाम हैं जो अनपेक्षित, अप्रत्यक्ष और अक्सर अचेतन होते हैं। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रत्यक्ष कार्य शिक्षा देना है, जबकि एक प्रच्छन्न कार्य सामाजिक नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ‘सामूहिक चेतना’ पर, वेबर ‘शक्ति’ पर, और सिमेल ‘औपचारिकता’ (formality) पर केंद्रित थे। मर्टन का कार्य प्रकार्यवाद को परिष्कृत करने से जुड़ा है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता **’कृषि समाज’** (Agrarian Society) की विशेषता **नहीं** है?
- बड़े पैमाने पर भूमि स्वामित्व
- उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर
- कृषि उत्पादन का प्राथमिक आर्थिक आधार
- कठोर सामाजिक स्तरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कृषि समाजों की विशेषताएँ आमतौर पर उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर *होती* हैं, लेकिन वे इसे एक साथ अनुभव करते हैं (अर्थात, जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ऊंची होती हैं, जिससे जनसंख्या वृद्धि धीमी या स्थिर रहती है)। विकल्प (b) यह बताता है कि मृत्यु दर अधिक है लेकिन जन्म दर को निर्दिष्ट नहीं करता, या यह संकेत दे सकता है कि वे बारी-बारी से उच्च हैं। हालांकि, पारंपरिक कृषि समाजों में, उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर दोनों एक साथ मौजूद होती हैं, जिससे जनसंख्या वृद्धि दर कम रहती है। औद्योगिक समाज की ओर बढ़ने पर मृत्यु दर घटती है जबकि जन्म दर धीरे-धीरे घटती है, जिससे जनसंख्या विस्फोट होता है। यहाँ प्रश्न थोड़ी अस्पष्टता रखता है, लेकिन कृषि समाजों के संदर्भ में, उच्च मृत्यु दर का होना उनकी एक विशेषता है, हालांकि जन्म दर भी उच्च होती है। सबसे उपयुक्त उत्तर ‘उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर’ का संयोजन होगा। इस विकल्प में, केवल ‘उच्च मृत्यु दर’ को दर्शाया गया है। तुलनात्मक रूप से, अन्य सभी विकल्प (a, c, d) कृषि समाजों की स्पष्ट विशेषताएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कृषि समाजों में, जीवन की कठोर परिस्थितियाँ, सीमित चिकित्सा सुविधाएँ और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता के कारण मृत्यु दर उच्च रहती है। जबकि परिवार को श्रम बल की आवश्यकता के कारण जन्म दर भी उच्च होती है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) कृषि समाजों की परिभाषित विशेषताएँ हैं। कृषि प्रधानता, भूमि का महत्व, और स्तरीकरण (जैसे सामंतवाद या जाति) सामान्य हैं।
प्रश्न 22: ‘अस्थिरता’ (Instability) शब्द का प्रयोग समाजशास्त्र में अक्सर किससे जोड़ा जाता है?
- समूह के सदस्यों के बीच मजबूत बंधन
- समाज में नियमों और मूल्यों का अभाव
- सामाजिक मानदंडों का कड़ाई से पालन
- स्थिर सामाजिक संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में ‘अस्थिरता’ (anomie, जिसे कभी-कभी ‘अस्थिरता’ या ‘अराजकता’ के रूप में भी समझा जाता है) एमिल दुर्खीम द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है। यह एक ऐसी स्थिति का वर्णन करता है जहाँ समाज में सामान्य नियमों, मूल्यों और सामाजिक नियंत्रण की कमी होती है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: जब सामाजिक परिवर्तन तेजी से होता है या जब पारंपरिक नियम अप्रचलित हो जाते हैं और नए नियम स्थापित नहीं होते, तो ‘अस्थिरता’ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सामाजिक स्थिरता और सुसंगतता को दर्शाते हैं, जो अस्थिरता के विपरीत हैं।
प्रश्न 23: ‘जाति का लोकतंत्रीकरण’ (Democratization of Caste) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
- जाति के आधार पर राजनीतिक दलों का उदय
- जाति की कठोरता में कमी और विभिन्न जातियों द्वारा राजनीतिक शक्ति का अधिग्रहण
- सभी जातियों के लिए समान आर्थिक अवसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘जाति का लोकतंत्रीकरण’ वह प्रक्रिया है जहाँ पारंपरिक रूप से शोषित या निम्न जातियों द्वारा राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अधिक शक्ति और प्रभाव प्राप्त किया जाता है, जिससे जाति व्यवस्था की कठोरता कुछ हद तक कम हो जाती है। यह हमेशा जाति व्यवस्था के उन्मूलन की ओर नहीं ले जाता, बल्कि उसकी गतिशीलता और उसमें शक्ति संतुलन के परिवर्तन को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, विशेष रूप से चुनावों में, कई पिछड़े और दलित वर्ग के नेता और दल राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हुए हैं, जो इस प्रक्रिया का उदाहरण है। यह स्थिति एम. एन. श्रीनिवास द्वारा अध्ययन किए गए ‘सanskritization’ से भिन्न है, क्योंकि यह विशुद्ध रूप से सांस्कृतिक अनुकरण के बजाय राजनीतिक शक्ति के अधिग्रहण पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: (a) उन्मूलन लोकतंत्रीकरण नहीं है, बल्कि उसका अंत है। (b) यह प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन पूरी परिभाषा नहीं। (d) यह एक परिणाम हो सकता है, लेकिन अवधारणा का मूल अर्थ नहीं।
प्रश्न 24: **’जनजातीय भारत’** (Tribal India) के अध्ययन में **’जनजाति-ग्रामीण अंतरफलक’** (Tribal-Rural Interface) की अवधारणा पर किसने बल दिया?
- एन. के. बोस
- टी. बी. नायक
- बी. के. रॉय वर्मन
- डॉ. एस. सी. रॉय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बी. के. रॉय वर्मन (B.K. Roy Burman) एक प्रमुख मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री हैं जिन्होंने भारतीय जनजातियों के अध्ययन में ‘जनजाति-ग्रामीण अंतरफलक’ (Tribal-Rural Interface) की अवधारणा पर विशेष बल दिया। उन्होंने यह समझने का प्रयास किया कि कैसे जनजातीय समुदाय अपने आसपास के गैर-जनजातीय (ग्रामीण) समाज के साथ अंतःक्रिया करते हैं और कैसे यह अंतःक्रिया दोनों समुदायों को प्रभावित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: रॉय वर्मन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जनजातीय पहचान और संस्कृति का विकास केवल उनके आंतरिक गतिशीलता से ही नहीं, बल्कि मुख्यधारा के ग्रामीण समाज के साथ उनके संपर्क और संघर्ष से भी होता है। उन्होंने जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास और एकीकरण के मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया।
- गलत विकल्प: डॉ. एस. सी. रॉय को भारतीय नृवंशविज्ञान का जनक माना जाता है, लेकिन उनका ध्यान जनजातियों के पारंपरिक रीति-रिवाजों पर अधिक था। एन. के. बोस ने ‘संस्कृति का सैद्धांतिक अध्ययन’ और ‘सहरीकरण’ पर काम किया। टी. बी. नायक ने भी जनजातीय अध्ययन में योगदान दिया, लेकिन ‘अंतरफलक’ पर रॉय वर्मन का जोर अधिक विशिष्ट है।
प्रश्न 25: **’सामाजिक नियंत्रण’** (Social Control) के उन साधनों में कौन सा **’अनौपचारिक’** (Informal) है?
- पुलिस और न्यायपालिका
- कानून और दंड
- लोकमत और सामाजिक बहिष्कार
- संवैधानिक प्रावधान
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक नियंत्रण समाज द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने की प्रक्रिया है। अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण वे साधन हैं जो समाज के भीतर स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं और जो कानून या राज्य की संस्थाओं पर आधारित नहीं होते। लोकमत (लोगों की राय), रीति-रिवाज, परंपराएं, सामाजिक बहिष्कार (societal ostracism), हँसी-मजाक, या प्रशंसा अनौपचारिक नियंत्रण के उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण में पुलिस, अदालतें, जेल, और राज्य द्वारा बनाए गए कानून और नियम शामिल होते हैं। अनौपचारिक नियंत्रण अक्सर अधिक प्रभावी होता है क्योंकि यह व्यक्तिगत संबंधों और समूह की स्वीकृति पर आधारित होता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं, क्योंकि वे राज्य की संस्थाओं, कानूनों और आधिकारिक दंडों से जुड़े हैं।