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समाजशास्त्रीय ज्ञान की दैनिक चुनौती

समाजशास्त्रीय ज्ञान की दैनिक चुनौती

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! आज हम आपके ज्ञान की गहराई और विश्लेषण क्षमता को परखने के लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 चुनिंदा प्रश्न। अपनी तैयारी को धार दें और इन अवधारणाओं को चुनौती के रूप में स्वीकार करें। देखें कि आपकी समझ कितनी मज़बूत है!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘वेरस्टेन’ (Verstehen) की अवधारणा, जो सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर देती है, किस समाजशास्त्री द्वारा प्रस्तुत की गई थी?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. Émile Durkheim
  3. Max Weber
  4. George Herbert Mead

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेन’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों से अपेक्षा करता है कि वे सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों और इरादों को समझें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय हिस्सा है और ‘Economy and Society’ जैसे उनके कार्यों में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है, जो सामाजिक तथ्यों के बाहरी अवलोकनों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
  • अincorrect विकल्प: ‘अनोमी’ (Anomie) दुर्खीम की अवधारणा है, न कि वेबर की। ‘वर्ग संघर्ष’ (Class conflict) कार्ल मार्क्स का केंद्रीय विचार है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) विकसित किया।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द क्या दर्शाता है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाना
  3. शहरीकरण की प्रक्रिया
  4. आधुनिक तकनीकी विधियों का प्रयोग

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: संस्किृतिकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, दर्शन और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह भारतीय जाति व्यवस्था के भीतर सांस्कृतिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो संरचनात्मक गतिशीलता से भिन्न है।
  • अincorrect विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘शहरीकरण’ (Urbanization) ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के प्रवास की प्रक्रिया है। ‘आधुनिक तकनीकी विधियों का प्रयोग’ आधुनिकीकरण का हिस्सा हो सकता है, न कि संस्किृतिकरण का।

प्रश्न 3: दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के लिए सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है?

  1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  2. साझा विश्वास, मूल्य और भावनाएँ
  3. आर्थिक असमानता
  4. राजनीतिक शक्ति

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: Émile Durkheim के अनुसार, सामाजिक एकजुटता, यानी समाज के सदस्यों के बीच जुड़ाव की भावना, साझा विश्वासों, मूल्यों, नैतिकताओं और सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) और ‘सांगठनिक एकजुटता’ (Organic Solidarity) के बीच अंतर किया। यांत्रिक एकजुटता पूर्व-औद्योगिक समाजों में समानताओं पर आधारित होती है, जबकि सांगठनिक एकजुटता आधुनिक समाजों में श्रम विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है। दोनों ही मामलों में, साझा आदर्श और मूल्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • अincorrect विकल्प: व्यक्तिगत स्वतंत्रता (a) आधुनिक समाजों में महत्वपूर्ण है लेकिन यह दुर्खीम के अनुसार प्राथमिक सामाजिक एकजुटता का आधार नहीं है। आर्थिक असमानता (c) अक्सर सामाजिक तनाव का कारण बन सकती है। राजनीतिक शक्ति (d) शक्ति संरचनाओं से संबंधित है, न कि प्रत्यक्ष रूप से सामूहिक एकजुटता से।

प्रश्न 4: ‘कल्चरल लैग’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. William Ogburn
  2. Talcott Parsons
  3. Robert Merton
  4. Herbert Spencer

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विलियम ओगबर्न (William Ogburn) ने ‘कल्चरल लैग’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन, अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, नियम, संस्थाएँ) में परिवर्तन की तुलना में तेज़ी से होता है, जिससे समायोजन में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ (1922) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उदाहरण के लिए, तकनीक (जैसे कार) भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, जो तेज़ी से बदलती है, लेकिन यातायात नियम, सड़क सुरक्षा या शहरी नियोजन (अभौतिक संस्कृति) को अनुकूलित होने में समय लगता है।
  • अincorrect विकल्प: टॉलकोट पार्सन्स (b) सामाजिक व्यवस्था और संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से संबंधित हैं। रॉबर्ट मर्टन (c) ने ‘अनुकूलित विचलन’ (Anomic Adaptation) और ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) जैसे विचार दिए। हर्बर्ट स्पेंसर (d) सामाजिक डार्विनवाद के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

  1. अंतर-जातीय विवाह
  2. पारंपरिक शिल्पकारों और सेवा प्रदाताओं के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंध
  3. भूमि स्वामित्व का वितरण
  4. राजनीतिक नेतृत्व का ढाँचा

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक भारतीय सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जहाँ विभिन्न जातियों के व्यक्ति (जजमान और पुरोहित/सेवक) सेवाओं के बदले वस्तुओं या धन के आदान-प्रदान से जुड़े होते हैं। यह मुख्य रूप से सेवा प्रदाताओं (जैसे कुम्हार, नाई, धोबी) और उनके ग्राहकों (जजमान) के बीच सदियों पुराने, वंशानुगत संबंधों को संदर्भित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली भारतीय गाँवों के पारंपरिक स्वरूप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जो सामाजिक स्तरीकरण और आर्थिक परस्पर निर्भरता को दर्शाती है। विलियम वाइजर (William Wiser) जैसे नृवंशविज्ञानियों ने इस प्रणाली का विस्तृत अध्ययन किया है।
  • अincorrect विकल्प: अंतर-जातीय विवाह (a) जाति व्यवस्था की संरचना से संबंधित है, लेकिन जजमानी का प्रत्यक्ष विषय नहीं है। भूमि स्वामित्व (c) एक महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू है, लेकिन जजमानी सेवा विनिमय पर केंद्रित है। राजनीतिक नेतृत्व (d) का संबंध भी इससे अलग है।

प्रश्न 6: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को विभिन्न समाजशास्त्रियों ने अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है। निम्नलिखित में से कौन सी परिभाषा संरचना को ‘सामाजिक संबंधों का जाल’ मानती है?

  1. Émile Durkheim
  2. Karl Marx
  3. Talcott Parsons
  4. Max Weber

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और उसके व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर देते हुए, सामाजिक संरचना को व्यक्तियों के बीच स्थापित ‘सामाजिक संबंधों के जाल’ (web of social relationships) के रूप में देखा।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का दृष्टिकोण व्यक्ति-केंद्रित था, जहाँ वे मानते थे कि सामाजिक संरचनाओं को अंततः व्यक्तियों की क्रियाओं और उनके द्वारा स्थापित अंतःक्रियाओं से समझा जा सकता है। यह दुर्खीम के ‘सामाजिक तथ्यों’ (social facts) या पार्सन्स के ‘कार्यात्मक प्रणालियों’ (functional systems) के दृष्टिकोण से थोड़ा भिन्न है।
  • अincorrect विकल्प: दुर्खीम (a) सामाजिक संरचना को ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) या सामाजिक तथ्यों के रूप में देखते थे जो व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं। मार्क्स (b) संरचना को उत्पादन की शक्तियों और संबंधों (यानी आर्थिक आधार) से जोड़ते थे। पार्सन्स (c) संरचना को सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले विभिन्न उप-प्रणालियों (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, परिवार) के एकीकरण के रूप में देखते थे।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर है?

  1. समाज की स्थिरता और व्यवस्था
  2. सामाजिक संरचनाओं का बड़े पैमाने पर अध्ययन
  3. व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया
  4. आर्थिक असमानता और वर्ग संघर्ष

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रस्तावक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन हैं, इस बात पर जोर देता है कि समाज व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं से निर्मित होता है, जहाँ लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से अर्थ बनाते हैं और संचार करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को एक गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखता है, जो लगातार प्रतीकों के साझाकरण और व्याख्या द्वारा निर्मित और पुन: निर्मित होती है। यह व्यक्ति के ‘स्व’ (self) के विकास में प्रतीकों की भूमिका को भी रेखांकित करता है।
  • अincorrect विकल्प: समाज की स्थिरता और व्यवस्था (a) प्रकार्यवाद (Functionalism) का मुख्य सरोकार है। सामाजिक संरचनाओं का बड़े पैमाने पर अध्ययन (b) मैक्रो-सोशियोलॉजी (Macro-sociology) का हिस्सा है। आर्थिक असमानता और वर्ग संघर्ष (d) मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय बिंदु है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की एक विशेषता नहीं है?

  1. यह एक समाज की विशेषता है, न कि व्यक्तियों की।
  2. यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
  3. यह सार्वभौमिक है लेकिन इसका स्वरूप भिन्न हो सकता है।
  4. यह केवल आर्थिक आधार पर आधारित होती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण केवल आर्थिक आधार पर आधारित नहीं होता है; यह शक्ति, प्रतिष्ठा, जाति, लिंग, धर्म और अन्य सामाजिक कारकों पर भी आधारित हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज की एक विशेषता है (a), यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है (b), और यह सभी समाजों में पाई जाती है, यद्यपि इसके रूप (जैसे वर्ग, जाति, दासता) भिन्न होते हैं (c)। ये विशेषताएँ सामाजिक स्तरीकरण की सार्वभौमिकता और निरंतरता को दर्शाती हैं।
  • अincorrect विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि स्तरीकरण के कई आधार हो सकते हैं, न कि केवल आर्थिक।

प्रश्न 9: ‘भूमिका दूरी’ (Role Distance) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?

  1. Alfred Schutz
  2. Erving Goffman
  3. Harold Garfinkel
  4. George Ritzer

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने ‘भूमिका दूरी’ की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका तात्पर्य उस स्थिति से है जहाँ एक व्यक्ति अपनी भूमिका को पूरी तरह से आत्मसात नहीं करता, बल्कि उसके प्रति एक निश्चित अलगाव या ‘दूरी’ बनाए रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गॉफमैन ने अपने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) के दृष्टिकोण में, सामाजिक जीवन को एक मंच की तरह देखा, जहाँ व्यक्ति विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं। ‘भूमिका दूरी’ तब होती है जब व्यक्ति यह प्रदर्शित करता है कि वह अपनी भूमिका से पूरी तरह बंधा हुआ नहीं है, और वह उस भूमिका को केवल एक ‘प्रदर्शन’ के रूप में निभा रहा है। यह ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ जैसी उनकी रचनाओं में प्रासंगिक है।
  • अincorrect विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ (a) फेनोमेनोलॉजी (Phenomenology) और विश्व-निर्माण से संबंधित हैं। हेरोल्ड गारफिंकेल (c) एथनोमेथोडोलॉजी (Ethnomethodology) के जनक हैं। जॉर्ज रिट्जर (d) ‘मैकडोनल्डाइजेशन’ (McDonaldization) के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 10: किस समाजशास्त्री ने ‘अनोमी’ (Anomie) को समाज में अनियंत्रित इच्छाओं और मानदंडों के क्षरण के रूप में परिभाषित किया?

  1. Max Weber
  2. Karl Marx
  3. Émile Durkheim
  4. Talcott Parsons

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: Émile Durkheim ने ‘अनोमी’ को एक ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जहाँ समाज के सदस्यों के लिए कोई स्पष्ट मानक या नियम नहीं होते, या मौजूदा मानक अप्रभावी हो जाते हैं। यह अनियंत्रित इच्छाओं और सामाजिक व्यवस्था में दिशाहीनता की भावना को जन्म देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में इस अवधारणा का उपयोग किया। अनोमी तब उत्पन्न होती है जब समाज तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा होता है या जब व्यक्ति सामाजिक मानदंडों से विचलित हो जाते हैं।
  • अincorrect विकल्प: वेबर (a) ने अनोमी का प्रयोग सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में किया, लेकिन इसे दुर्खीम की तरह सामाजिक विघटन के मुख्य कारण के रूप में नहीं देखा। मार्क्स (b) का ध्यान वर्ग संघर्ष और अलगाव पर था। पार्सन्स (d) ने अनोमी को सामाजिक व्यवस्था के लिए एक खतरा माना, लेकिन इसकी मूल व्याख्या दुर्खीम की थी।

प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा के संदर्भ में, अभौतिक संस्कृति (Non-material culture) में शामिल हैं:

  1. प्रौद्योगिकी और मशीनें
  2. वास्तुकला और भवन
  3. मानदंड, मूल्य, कानून और सामाजिक संस्थाएँ
  4. वस्त्र और भोजन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: अभौतिक संस्कृति में वे अमूर्त तत्व शामिल होते हैं जो एक समाज को परिभाषित करते हैं, जैसे कि उसके नियम, विश्वास, मूल्य, भाषा, कला, शिष्टाचार, कानून और सामाजिक संस्थाएँ।
  • संदर्भ और विस्तार: विलियम ओगबर्न ने ‘कल्चरल लैग’ का सिद्धांत देते हुए भौतिक संस्कृति (material culture) और अभौतिक संस्कृति (non-material culture) के बीच के अंतर को स्पष्ट किया। भौतिक संस्कृति में वे सभी चीज़ें शामिल हैं जिन्हें छुआ या देखा जा सकता है (जैसे प्रौद्योगिकी), जबकि अभौतिक संस्कृति में विचार और व्यवहार के तरीके शामिल हैं। प्रौद्योगिकी (भौतिक संस्कृति) अक्सर अभौतिक संस्कृति से तेज़ी से बदलती है, जिससे ‘लैग’ उत्पन्न होता है।
  • अincorrect विकल्प: विकल्प (a) भौतिक संस्कृति है। विकल्प (b) भी भौतिक संस्कृति का हिस्सा है। विकल्प (d) भी भौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं, हालाँकि ये कुछ हद तक सांस्कृतिक पहचान से जुड़े हैं।

प्रश्न 12: भारत में जाति व्यवस्था को समझने के लिए, ‘स डोमिनेंट कास्ट’ (The Dominant Caste) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. G.S. Ghurye
  2. M.N. Srinivas
  3. A.R. Desai
  4. I.P. Desai

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने ‘प्रभुत्वशाली जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा दी। यह उस जाति को संदर्भित करती है जो किसी गाँव में बहुसंख्यक है, या जिसके पास महत्वपूर्ण संख्या में भूमि है, और जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावी है, भले ही वह पारंपरिक रूप से सर्वोच्च जाति न हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा भारत के ग्रामीण समाज के सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को समझने में महत्वपूर्ण है। प्रभुत्वशाली जाति गाँव के भीतर शक्ति और प्रभाव का केंद्र होती है और अन्य जातियों के साथ उसके संबंध इस प्रभुत्व के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
  • अincorrect विकल्प: जी.एस. घुरिये (a) जाति पर अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं, विशेषकर जाति के स्थायित्व पर। ए.आर. देसाई (c) मुख्य रूप से मार्क्सवादी दृष्टिकोण से भारतीय समाज और ग्रामीण समाज का विश्लेषण करते थे। आई.पी. देसाई (d) भी समाजशास्त्री थे, लेकिन यह अवधारणा श्रीनिवास से जुड़ी है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था (Social Institution) का कार्य नहीं है?

  1. समाज के सदस्यों को सामाजिक बनाना (Socialization)
  2. समुदाय के लिए सुरक्षा प्रदान करना
  3. उत्पादन, वितरण और उपभोग की व्यवस्था करना
  4. प्रतीकों के माध्यम से अर्थ निर्मित करना

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रतीकों के माध्यम से अर्थ निर्मित करना मुख्य रूप से ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के अध्ययन का विषय है, न कि किसी विशिष्ट सामाजिक संस्था का प्राथमिक कार्य।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार (राजनीतिक संस्था), और अर्थव्यवस्था जैसी सामाजिक संस्थाओं के अपने विशिष्ट कार्य होते हैं, जैसे सामाजिकरण (परिवार, शिक्षा), सुरक्षा (सरकार), और उत्पादन/वितरण/उपभोग (अर्थव्यवस्था)। वे समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) प्रमुख सामाजिक संस्थाओं (जैसे परिवार, राज्य, अर्थव्यवस्था) के मूलभूत कार्य हैं।

प्रश्न 14: ‘अभिजात वर्ग के सिद्धांत’ (Theory of the Elite) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं, जिन्होंने तर्क दिया कि समाज हमेशा अल्पसंख्यकों द्वारा शासित होता है?

  1. Vilfredo Pareto
  2. Gaetano Mosca
  3. Robert Michels
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विल्फ्रेडो पैरेटो, गैएतानो मोस्का और रॉबर्ट मिशेल्स – इन तीनों समाजशास्त्रियों को अभिजात वर्ग के सिद्धांत (Theory of the Elite) के प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने स्वतंत्र रूप से या एक-दूसरे के विचारों से प्रभावित होकर तर्क दिया कि प्रत्येक समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक अल्पसंख्यक शासक वर्ग (अभिजात वर्ग) होता है जो शक्ति और विशेषाधिकार रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने ‘चक्रण’ (Circulation of Elites) का सिद्धांत दिया। मोस्का ने ‘राजनीतिक वर्ग’ (political class) की अवधारणा दी। मिशेल्स ने ‘ओलिगार्की का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि कोई भी संगठन, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक हो, समय के साथ एक छोटे से कुलीन समूह द्वारा शासित होने लगता है।
  • अincorrect विकल्प: चूँकि तीनों ही प्रमुख प्रस्तावक हैं, केवल एक विकल्प का चयन करना गलत होगा।

प्रश्न 15: ‘अनुकूलित विचलन’ (Anomic Adaptation) के अपने सिद्धांत में, रॉबर्ट मर्टन ने कहा कि जब व्यक्ति अपने समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों से वंचित हो जाते हैं, तो उनमें निम्न में से कौन सी प्रतिक्रिया उत्पन्न हो सकती है?

  1. अनुपालन (Conformity)
  2. नवाचार (Innovation)
  3. अनुष्ठानवाद (Ritualism)
  4. पलायनवाद (Retreatism)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक लक्ष्यों (जैसे धनवान बनना) और सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत साधनों (जैसे कड़ी मेहनत, शिक्षा) के बीच असंतुलन को ‘संरचनात्मक तनाव’ (structural strain) कहा। जब व्यक्ति इन साधनों से वंचित होते हैं लेकिन लक्ष्यों को महत्वपूर्ण मानते हैं, तो वे ‘नवाचार’ (Innovation) का सहारा ले सकते हैं, जैसे कि चोरी या भ्रष्टाचार के माध्यम से लक्ष्यों को प्राप्त करना।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने पाँच प्रकार की अनुकूलन प्रतिक्रियाएँ बताईं: अनुपालन (लक्ष्य और साधन दोनों स्वीकार), नवाचार (लक्ष्य स्वीकार, साधन अस्वीकार), अनुष्ठानवाद (साधन स्वीकार, लक्ष्य अस्वीकार), पलायनवाद (लक्ष्य और साधन दोनों अस्वीकार), और विद्रोह (लक्ष्य और साधन दोनों को प्रतिस्थापित करना)।
  • अincorrect विकल्प: अनुपालन (a) तब होता है जब व्यक्ति लक्ष्य और साधन दोनों स्वीकार करते हैं। अनुष्ठानवाद (c) तब होता है जब व्यक्ति साधनों पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करते हैं और लक्ष्य भूल जाते हैं। पलायनवाद (d) तब होता है जब व्यक्ति दोनों को अस्वीकार कर देते हैं।

प्रश्न 16: भारत में ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह केवल पश्चिमीकरण का पर्याय है।
  2. यह भारतीय समाज के विभिन्न आयामों में एक बहुआयामी और जटिल प्रक्रिया है।
  3. यह पूरी तरह से पारंपरिक मूल्यों का खंडन करती है।
  4. यह केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: भारतीय समाज में आधुनिकता एक बहुआयामी और जटिल प्रक्रिया है जो पश्चिमीकरण, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, लोकतंत्रीकरण और शिक्षा के प्रसार जैसे विभिन्न कारकों से प्रभावित है। यह पारंपरिक और आधुनिक तत्वों के बीच एक निरंतर अंतःक्रिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता को केवल पश्चिमीकरण (a) का पर्याय मानना एक अति सरलीकरण है। भारत में, आधुनिकता ने पारंपरिक संस्थाओं, मूल्यों और प्रथाओं को भी प्रभावित किया है, लेकिन उनका पूर्ण खंडन (c) नहीं हुआ है, बल्कि अक्सर उनका पुनर्गठन या अनुकूलन हुआ है। यद्यपि शहरी क्षेत्रों में इसका प्रभाव अधिक स्पष्ट है, यह ग्रामीण और जनजातीय समाजों को भी प्रभावित कर रही है (d)।
  • अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) आधुनिकता की जटिलता को ठीक से नहीं दर्शाते हैं।

प्रश्न 17: सामाजिक अनुसंधान में, ‘प्रमाणीकरण’ (Validation) का क्या अर्थ है?

  1. एक परिकल्पना (Hypothesis) का निर्माण करना।
  2. अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्षों की सटीकता और सत्यता की जाँच करना।
  3. एक गुणात्मक अध्ययन (Qualitative Study) करना।
  4. डेटा एकत्र करने के लिए एक नमूना (Sample) चुनना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक अनुसंधान में प्रमाणीकरण (Validation) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि अनुसंधान के उपकरण (जैसे प्रश्नावली, साक्षात्कार गाइड) या प्राप्त निष्कर्ष वास्तव में वही माप रहे हैं या दर्शा रहे हैं जो वे मापने या दर्शाने का दावा करते हैं। यह सटीकता और वैधता सुनिश्चित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: शोधकर्ता अपने निष्कर्षों को मान्य करने के लिए कई विधियों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि अन्य अध्ययनों से तुलना करना, विशेषज्ञों से प्रतिक्रिया लेना, या डेटा के विभिन्न स्रोतों का त्रिकोणीयकरण (triangulation) करना।
  • अincorrect विकल्प: परिकल्पना निर्माण (a) अनुसंधान का प्रारंभिक चरण है। गुणात्मक अध्ययन (c) एक प्रकार की अनुसंधान पद्धति है। नमूना चुनना (d) डेटा संग्रह का एक प्रारंभिक चरण है।

प्रश्न 18: हर्बर्ट स्पेंसर के ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) के अनुसार, समाज का विकास कैसे होता है?

  1. सर्वाधिक अनुकूलित व्यक्तियों या समूहों का अस्तित्व बना रहता है।
  2. सरकार द्वारा योजनाबद्ध हस्तक्षेप से।
  3. वर्ग संघर्ष के माध्यम से।
  4. सामूहिक चेतना के विकास से।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: हर्बर्ट स्पेंसर ने चार्ल्स डार्विन के ‘प्राकृतिक चयन’ (Natural Selection) के सिद्धांत को समाज पर लागू किया, यह तर्क देते हुए कि समाज ‘अतिजीविता’ (survival of the fittest) के सिद्धांत का पालन करता है, जहाँ सबसे अनुकूलित व्यक्ति, समूह या समाज जीवित रहते हैं और दूसरों पर हावी होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण को ‘सामाजिक डार्विनवाद’ कहा जाता है। इसका अर्थ था कि सामाजिक असमानता और गरीबी को प्राकृतिक और अपरिहार्य माना जाना चाहिए, और गरीबों को सरकारी सहायता नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह “अक्षम” को जीवित रहने में मदद करेगा, जो अंततः समाज को कमजोर करेगा।
  • अincorrect विकल्प: सरकारी हस्तक्षेप (b) को डार्विनवाद के विरुद्ध माना जाता था। वर्ग संघर्ष (c) मार्क्स का सिद्धांत है। सामूहिक चेतना (d) दुर्खीम की अवधारणा है।

  • प्रश्न 19: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) की मुख्य चुनौती निम्नलिखित में से कौन सी है?

    1. औद्योगिकीकरण और शहरीकरण का दबाव
    2. आधुनिकीकरण का प्रतिरोध
    3. आर्थिक पिछड़ापन और हाशिए पर जाना
    4. जल, जंगल, जमीन से जुड़ाव का टूटना
    5. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (e)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: भारत के आदिवासी समाज कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनमें औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण विस्थापन और उनकी पारंपरिक जीवन शैली पर दबाव (a), आधुनिकीकरण से उत्पन्न सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन और उसका प्रतिरोध (b), ऐतिहासिक रूप से आर्थिक शोषण और अवसरों की कमी के कारण पिछड़ापन और मुख्यधारा से अलगाव (c), और उनकी पहचान, जीविका और संस्कृति के आधार – जल, जंगल, जमीन – से उनके संबंध का टूटना (d) शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये सभी कारक आपस में जुड़े हुए हैं और आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली जटिलताओं को दर्शाते हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और समाज द्वारा विशेष नीतियों और प्रयासों की आवश्यकता होती है।
    • अincorrect विकल्प: चूँकि (a), (b), (c), और (d) सभी सही हैं, (e) सही उत्तर है।

    प्रश्न 20: ‘पदानुक्रमित विभाजन’ (Hierarchical Division) सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख पहलू है। निम्नलिखित में से कौन सी व्यवस्था पदानुक्रमित विभाजन का सबसे स्पष्ट उदाहरण है?

    1. वर्ग व्यवस्था (Class System)
    2. दासता (Slavery)
    3. जाति व्यवस्था (Caste System)
    4. जागीरदारी व्यवस्था (Feudalism)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: जाति व्यवस्था अपने कठोर, अंतर्विवाही (endogamous) समूह, वंशानुगत स्थिति और स्पष्ट रूप से परिभाषित पदानुक्रम के कारण सामाजिक स्तरीकरण का सबसे स्पष्ट पदानुक्रमित रूप प्रस्तुत करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: वर्ग व्यवस्था में अधिक गतिशीलता हो सकती है, और लोग वर्ग बदल सकते हैं। दासता में व्यक्ति को संपत्ति माना जाता है। जागीरदारी व्यवस्था में भूमि के स्वामित्व के आधार पर पदानुक्रम होता है। लेकिन जाति व्यवस्था में, किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से तय होती है और यह ऊँच-नीच के एक जटिल और लंबे समय से चले आ रहे पदानुक्रम में स्थित होती है, जिसे पार करना अत्यंत कठिन होता है।
    • अincorrect विकल्प: वर्ग व्यवस्था (a) में कुछ गतिशीलता होती है। दासता (b) में व्यक्ति वस्तु बन जाता है। जागीरदारी (d) मुख्य रूप से आर्थिक और भू-आधारित होती है, हालांकि इसमें पदानुक्रमित तत्व होते हैं। जाति व्यवस्था (c) अपने जन्म-आधारित, कठोर पदानुक्रम के लिए अद्वितीय है।

    प्रश्न 21: ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा क्या सुझाती है?

    1. ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच एक स्पष्ट और पूर्ण अंतर है।
    2. ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच कोई अंतर नहीं है।
    3. ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियाँ विपरीत ध्रुव हैं।
    4. ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियाँ एक स्पेक्ट्रम पर मौजूद हैं, जहाँ दोनों के बीच संक्रमणकालीन स्वरूप पाए जाते हैं।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ की अवधारणा, जिसे रेडक्लिफ-ब्राउन और बाद में लुईस वर्थ जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित किया, यह बताती है कि ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच एक कठोर विभाजन नहीं है, बल्कि एक स्पेक्ट्रम मौजूद है। विभिन्न समुदाय या स्थान इस स्पेक्ट्रम पर कहीं भी हो सकते हैं, जो दोनों के तत्वों को प्रदर्शित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मानती है कि समाज में ग्रामीण से शहरी की ओर एक क्रमिक परिवर्तन होता है। शहरों के बाहर के क्षेत्र, उपनगर, और छोटे शहर, ग्रामीण और शहरी विशेषताओं का मिश्रण प्रस्तुत कर सकते हैं।
    • अincorrect विकल्प: स्पष्ट अंतर (a), कोई अंतर नहीं (b), या पूर्ण विपरीत ध्रुव (c) जैसी स्थितियाँ अति सरलीकरण हैं। यह अवधारणा इन अतिरंजित विचारों को अस्वीकार करती है।

    प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्र में ‘अनुसंधान अभिकल्प’ (Research Design) का एक महत्वपूर्ण घटक है?

    1. अनुसंधान प्रश्न (Research Question)
    2. आँकड़ों का विश्लेषण (Data Analysis)
    3. निष्कर्ष (Conclusion)
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: एक प्रभावी अनुसंधान अभिकल्प में ये सभी तत्व शामिल होते हैं। अनुसंधान प्रश्न (a) अध्ययन की दिशा निर्धारित करता है। आँकड़ों का विश्लेषण (b) डेटा से अर्थ निकालने की प्रक्रिया है। निष्कर्ष (c) अनुसंधान के परिणामों का सारांश प्रस्तुत करता है। एक मजबूत अनुसंधान अभिकल्प इन सभी को व्यवस्थित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: अनुसंधान अभिकल्प एक विस्तृत योजना है जो बताती है कि अनुसंधान कैसे किया जाएगा, जिसमें अनुसंधान के उद्देश्य, प्रश्न, परिकल्पनाएं, डेटा संग्रह के तरीके, डेटा विश्लेषण की योजना और निष्कर्षों की व्याख्या शामिल है।
    • अincorrect विकल्प: प्रत्येक विकल्प अनुसंधान अभिकल्प का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए (d) सही है।

    प्रश्न 23: ‘प्रक्रियात्मक समाजशास्त्र’ (Processual Sociology) मुख्य रूप से किस पर ध्यान केंद्रित करता है?

    1. समाज की स्थिर संरचनाओं पर।
    2. सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक प्रकति की गतिशील प्रक्रियाओं पर।
    3. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले नियमों पर।
    4. अभिजात वर्ग की भूमिका पर।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: प्रक्रियात्मक समाजशास्त्र (Processual Sociology) समाज को एक स्थिर संरचना के बजाय एक सतत परिवर्तनशील और गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखता है। यह सामाजिक परिवर्तन, विकास, अनुक्रम और समाजों के भीतर होने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं पर जोर देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण विशेष रूप से नृविज्ञान (Anthropology) में विकसित हुआ, जहाँ ए.एल. क्रोएबर और जूलियन स्टीवर्ड जैसे विद्वानों ने सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। समाजशास्त्र में भी, यह सामाजिक आंदोलनों, नवाचारों के प्रसार, और संस्थागत परिवर्तनों जैसे विषयों को समझने के लिए प्रासंगिक है।
    • अincorrect विकल्प: स्थिर संरचनाओं (a) पर प्रकार्यवाद (Functionalism) अधिक ध्यान केंद्रित करता है। नियमों (c) पर नौकरशाही (Bureaucracy) जैसे अवधारणाओं में बात होती है। अभिजात वर्ग (d) अभिजात वर्ग सिद्धांत का विषय है।

    प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘पोटलक’ (Potlatch) की अवधारणा का अध्ययन करने के लिए जाना जाता है, जो आदिवासी समाजों में वस्तुओं के वितरण और सामाजिक संबंध स्थापित करने का एक तरीका है?

    1. Marcel Mauss
    2. Bronisław Malinowski
    3. Franz Boas
    4. Claude Lévi-Strauss

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मार्सेल मॉस (Marcel Mauss) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Gift’ (उपहार) में ‘पोटलक’ जैसी आदिवासी समाजों की उपहार देने की प्रथाओं का विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि ये प्रथाएं केवल आर्थिक विनिमय नहीं थीं, बल्कि सामाजिक संबंधों, प्रतिष्ठा और शक्ति को स्थापित करने और बनाए रखने के जटिल सामाजिक तंत्र थे।
    • संदर्भ और विस्तार: पोटलक मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रशांत तट के स्वदेशी लोगों द्वारा आयोजित एक समारोह था, जिसमें प्रतिस्पर्धी दावतें और उपहारों का आदान-प्रदान या विनाश शामिल था, जिसका उद्देश्य धन का प्रदर्शन करना और सामाजिक स्थिति को बढ़ाना था। मॉस ने इसे ‘कुल सामाजिक तथ्य’ (total social fact) के रूप में देखा।
    • अincorrect विकल्प: मैलिनोव्स्की (b) ने ‘कुला’ (Kula) विनिमय प्रणाली का अध्ययन किया। फ्रांज़ बोआस (c) ने कई अमेरिकी आदिवासी संस्कृतियों का अध्ययन किया और मॉस के गुरु थे। क्लॉड लेवी-स्ट्रॉस (d) संरचनावाद (Structuralism) के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) को मार्क्स ने मुख्य रूप से किस आधार पर परिभाषित किया?

    1. शिक्षा का स्तर
    2. आय और संपत्ति
    3. उत्पादन के साधनों से संबंध (स्वामित्व या स्वामित्व का अभाव)
    4. जीवन शैली और सांस्कृतिक प्रथाएं

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सामाजिक वर्ग का निर्धारण उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि, मशीनरी) के स्वामित्व से होता है। उन्होंने मुख्य रूप से दो विरोधी वर्गों की पहचान की: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग, जो उत्पादन के साधनों के मालिक हैं) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग, जो अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं)।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, उत्पादन के साधनों के साथ यह संबंध वर्ग-चेतना (class consciousness) और वर्ग-संघर्ष (class struggle) का आधार बनता है, जो इतिहास को चलाने वाली मुख्य शक्ति है।
    • अincorrect विकल्प: शिक्षा (a), आय और संपत्ति (b), और जीवन शैली (d) वेबरियन दृष्टिकोण में अधिक महत्वपूर्ण हैं, जिन्होंने वर्ग को आय, प्रतिष्ठा और शक्ति के आधार पर बहुआयामी माना था। लेकिन मार्क्स का प्राथमिक ध्यान आर्थिक उत्पादन संबंधों पर था।

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