समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का महासंग्राम: दैनिक अभ्यास!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! अपनी अवधारणाओं की स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपकी परीक्षा की तैयारी को एक नया आयाम देगा। आइए, इस ज्ञानवर्धक चुनौती में कूद पड़ें और समाजशास्त्र की दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को समझने के लिए ‘तत्व’ (Elements) के महत्व पर किसने बल दिया, जिसमें संस्थाएं, भूमिकाएं और स्थिति शामिल हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टैल्कॉट पार्सन्स
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने अपनी ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) की पद्धति में सामाजिक संरचना को समझने के लिए ‘तत्वों’ पर बहुत जोर दिया। उनके अनुसार, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले ये तत्व हैं – स्थिति और भूमिका (Status and Role), समूह (Group), संस्थाएं (Institutions) और सांस्कृतिक व्यवस्था (Cultural System)।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपनी पुस्तक ‘द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन’ (The Structure of Social Action) में इन विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को एक गतिशील प्रणाली के रूप में देखा जो इन तत्वों के परस्पर संबंध से चलती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से आर्थिक संरचना और वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) को महत्व दिया और उसकी व्याख्या पर बल दिया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) और सामूहिक चेतना पर जोर दिया।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा समाज में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में ‘एकता’ (Solidarity) के विभिन्न रूपों का वर्णन करने के लिए उपयोग की गई थी?
- एलियनेशन (Alienation)
- एस्केपिज्म (Escapism)
- एनामी (Anomie)
- सॉलिडैरिटी (Solidarity)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में दो प्रकार की सामाजिक एकता का वर्णन किया: ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) जो सजातीय समाजों में पाई जाती है, और ‘सावयी एकता’ (Organic Solidarity) जो विषम समाजों में श्रम विभाजन के कारण उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: एकता, दुर्खीम के अनुसार, वह ‘बंधन’ है जो समाज के सदस्यों को एक साथ बांधता है। यांत्रिक एकता में यह बंधन समानताओं पर आधारित होता है, जबकि सावयी एकता में यह अंतर-निर्भरता पर आधारित होता है।
- गलत विकल्प: ‘एलियनेशन’ कार्ल मार्क्स द्वारा दिया गया एक सिद्धांत है जो पूंजीवाद में श्रमिक के अलगाव का वर्णन करता है। ‘एस्केपिज्म’ सामाजिक यथार्थ से पलायन है। ‘एनामी’ (Anomie) दुर्खीम द्वारा ही दी गई वह अवधारणा है जो तब उत्पन्न होती है जब समाज में नैतिक मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में उच्च जातियों की रीती-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- सanskritization (संस्कृतिकरण)
- अर्बनाइजेशन (Urbanization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का प्रयोग किया, जिसका अर्थ है कि निम्न जातियाँ और जनजातियाँ उच्च जातियों की धार्मिक मान्यताओं, अनुष्ठानों, रीति-रिवाजों और सामाजिक व्यवहारों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘रिलीजन एंड सोसाइटी अमंग द कुर्ग्स ऑफ साउथ इंडिया’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की जीवन शैली, प्रौद्योगिकी और विचारों को अपनाने से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण शामिल हैं। ‘अर्बनाइजेशन’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के प्रवास को दर्शाता है।
प्रश्न 4: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) को अपनी अध्ययन की मुख्य इकाई मानता था और इस क्रिया के ‘अर्थ’ (Meaning) को समझने पर बल देता था?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक क्रियाओं के अर्थपूर्ण बोध’ (Interpretive Understanding of Social Action) के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्री को किसी क्रिया के पीछे व्यक्ति के ‘उद्देश्यपूर्ण अर्थ’ को समझना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की पद्धति को ‘बोधि’ (Verstehen) या ‘व्याख्यात्मक समाजशास्त्र’ कहा जाता है, जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में किया है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ‘सामाजिक तथ्यों’ को मानते थे। कॉम्टे को ‘समाजशास्त्र का जनक’ कहा जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) पर बल दिया। स्पेंसर ने विकासवाद (Evolutionism) के सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 5: ‘पूंजीवाद का विरोध’ और ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) को इतिहास की प्रेरक शक्ति मानने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन थे?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने अपने ‘ऐतिहासिक भौतिकवाद’ (Historical Materialism) के सिद्धांत में पूंजीवाद के विकास और उसके अंतर्निहित अंतर्विरोधों का विश्लेषण किया। उनका मानना था कि उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर शोषक (बुर्जुआ) और शोषित (सर्वहारा) वर्ग के बीच निरंतर संघर्ष ही समाज को बदलता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स की प्रमुख कृतियाँ ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) और ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) हैं, जहाँ उन्होंने इन विचारों को विस्तार से समझाया है।
- गलत विकल्प: वेबर ने पूंजीवाद के उदय को ‘नैतिकता’ और ‘तर्कसंगतता’ से जोड़ा। दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था को ‘एकता’ और ‘सामूहिकता’ से जोड़ा। सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और ‘रूपों’ का अध्ययन किया।
प्रश्न 6: निम्न में से कौन सी अवधारणा मर्टन द्वारा बताई गई है, जो किसी सामाजिक संरचना द्वारा समाज के लिए अनजाने या अवांछित परिणाम प्रस्तुत करती है?
- प्रकट प्रकार्य (Manifest Function)
- अप्रकट प्रकार्य (Latent Function)
- विप्रकार्यता (Dysfunction)
- अनामिकता (Anonymity)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट किंग मर्टन ने प्रकार्य (Function) के दो भेद बताए: ‘प्रकट प्रकार्य’ (जो किसी सामाजिक संस्था के स्पष्ट और अभीष्ट उद्देश्य होते हैं) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (जो अनजाने में घटित होते हैं और उनके उद्देश्य स्पष्ट नहीं होते)।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक संरचनाओं के प्रकार्यात्मक विश्लेषण के लिए किया। उदाहरण के लिए, किसी स्कूल का प्रकट प्रकार्य शिक्षा देना है, जबकि अप्रकट प्रकार्य सामाजिक नेटवर्क बनाना या बच्चों को एक निश्चित जीवन शैली से परिचित कराना हो सकता है।
- गलत विकल्प: ‘प्रकट प्रकार्य’ प्रत्यक्ष और ज्ञात परिणाम होते हैं। ‘विप्रकार्यता’ वे परिणाम हैं जो सामाजिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं। ‘अनामिकता’ व्यक्ति की पहचान के अभाव से संबंधित है।
प्रश्न 7: ‘आत्म-दर्शन’ (Self-Perception) और ‘समाज’ (Society) के निर्माण में ‘आईना-आत्म’ (Looking-Glass Self) की भूमिका पर किसने बल दिया?
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- अल्फ्रेड शुट्ज़
- इरविंग गोफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘आईना-आत्म’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी, जिसके अनुसार व्यक्ति स्वयं को दूसरों की नज़रों में कैसा देखता है, उसके आधार पर अपने ‘आत्म’ (Self) का निर्माण करता है। हम कल्पना करते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, उसका मूल्यांकन करते हैं, और उसके अनुसार अपने बारे में भावनाएं विकसित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मुख्य रूप से कूली की पुस्तक ‘ह्यूमन नेचर एंड द सोशल ऑर्डर’ (Human Nature and the Social Order) में मिलता है।
- गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा दी और ‘खेल’ (Play) तथा ‘खेल-कूद’ (Game) की अवस्थाओं में आत्म-विकास का वर्णन किया। शुट्ज़ ने ‘फेनोमेनोलॉजी’ (Phenomenology) का उपयोग किया। गोफमैन ने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) की बात की।
प्रश्न 8: वह कौन सी स्थिति है जिसमें समाज में व्यापक रूप से स्वीकृत नैतिक या सामाजिक मानदंडों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना उत्पन्न होती है?
- पूँजीवाद (Capitalism)
- संस्कृति-विलंब (Culture Lag)
- अनाचार (Anomie)
- सामाजिक विघटन (Social Disorganization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अनाचार’ (Anomie) एमिल दुर्खीम द्वारा दी गई एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह वह स्थिति है जब सामाजिक नियम और मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्ति में लक्ष्यहीनता और अनिश्चितता की भावना आती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने यह अवधारणा विशेष रूप से आत्महत्या के विश्लेषण में प्रयोग की। आधुनिक, जटिल समाजों में जहाँ श्रम विभाजन अत्यधिक होता है, पारंपरिक नियंत्रण कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे अनाचार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: ‘पूँजीवाद’ एक आर्थिक व्यवस्था है। ‘संस्कृति-विलंब’ (Ogburn) तब होता है जब भौतिक संस्कृति, अभौतिक संस्कृति से तेज़ी से बदल जाती है। ‘सामाजिक विघटन’ किसी समुदाय या समाज की सामाजिक व्यवस्था के टूटने की स्थिति है, जो अनाचार का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अनाचार नहीं है।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किसने और किस संदर्भ में किया?
- महात्मा गांधी, दलितों को सम्मान देने हेतु
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर, जातीय भेदभाव के विरोध में
- एम. के. गांधी (मोहनदास करमचंद गांधी), ‘ईश्वर के पुत्र’ के अर्थ में
- ज्योतिबा फुले, सामाजिक समानता के लिए
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी ने उन समुदायों के लिए किया जिन्हें समाज में ‘अछूत’ माना जाता था। उन्होंने इस शब्द का अर्थ ‘ईश्वर के पुत्र’ या ‘ईश्वर के लोग’ रखा, ताकि उन्हें सम्मान और गरिमा प्रदान की जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी का उद्देश्य जातीय भेदभाव को समाप्त करना और इन समुदायों के सामाजिक उत्थान में योगदान देना था। यह शब्द भारतीय समाज में जाति व्यवस्था से जुड़े ऐतिहासिक मुद्दे को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: डॉ. अंबेडकर ने ‘दलित’ शब्द को महत्व दिया, जिसका अर्थ ‘कुचले हुए’ है, और उन्होंने इस शब्द को आत्म-सम्मान और पहचान के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया। फुले ने ‘अछूतों’ के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग गांधीजी से जुड़ा है।
प्रश्न 10: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के संदर्भ में, ‘दासता’ (Slavery) किस प्रकार की व्यवस्था का उदाहरण है?
- खुली व्यवस्था (Open System)
- बंद व्यवस्था (Closed System)
- अर्ध-खुली व्यवस्था (Semi-Open System)
- मिश्रित व्यवस्था (Mixed System)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दासता एक ‘बंद व्यवस्था’ (Closed System) का उदाहरण है जहाँ व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और इसमें गतिशीलता की संभावना लगभग नगण्य होती है। दास को संपत्ति माना जाता था और उसकी सामाजिक गति की कोई स्वतंत्रता नहीं होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: बंद व्यवस्थाओं में जाति व्यवस्था भी शामिल है, जहाँ व्यक्ति का व्यवसाय, विवाह और सामाजिक संबंध काफी हद तक जन्म से ही तय हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: ‘खुली व्यवस्था’ (जैसे आधुनिक समाज) में व्यक्ति अपनी योग्यता, प्रयास और शिक्षा के आधार पर अपनी सामाजिक स्थिति बदल सकता है। ‘अर्ध-खुली’ या ‘मिश्रित’ व्यवस्थाओं में कुछ हद तक गतिशीलता संभव होती है, लेकिन दासता में यह लगभग असंभव है।
प्रश्न 11: निम्न में से कौन सी समाजिक संस्था ‘अप्रत्यक्ष रूप से’ प्राथमिक समाजीकरण (Primary Socialization) में भूमिका निभाती है, बच्चों को उनके व्यवहार के लिए सामाजिक मानदंडों और अपेक्षाओं से परिचित कराती है?
- परिवार (Family)
- विद्यालय (School)
- साथी समूह (Peer Group)
- जनसंचार माध्यम (Mass Media)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जनसंचार माध्यम (Mass Media) जैसे टेलीविजन, इंटरनेट, फिल्में आदि अप्रत्यक्ष रूप से प्राथमिक समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चे इन माध्यमों से सामाजिक व्यवहार, जीवन शैली, मूल्यों और मानदंडों के बारे में सीखते हैं, भले ही यह प्रत्यक्ष अंतःक्रिया के माध्यम से न हो।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि परिवार प्राथमिक समाजीकरण का प्राथमिक अभिकर्ता है, जनसंचार माध्यम, विशेषकर बच्चों के लिए बनाए गए कार्यक्रम, उनके विश्वदृष्टि और समाजीकरण को आकार देते हैं।
- गलत विकल्प: परिवार प्रत्यक्ष प्राथमिक समाजीकरण का मुख्य अभिकर्ता है। विद्यालय और साथी समूह भी समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जनसंचार माध्यम का प्रभाव अक्सर अधिक व्यापक और अप्रत्यक्ष होता है।
प्रश्न 12: किस समाजशास्त्री ने ‘संस्कृति-विलंब’ (Culture Lag) की अवधारणा विकसित की, जो यह बताती है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य) की तुलना में तेजी से बदलती है?
- विलियम ओग्बर्न
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- एल्बर्ट हैमलिन
- ए.आर. देसाई
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ओग्बर्न ने ‘संस्कृति-विलंब’ (Culture Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि जब तकनीकी परिवर्तन (भौतिक संस्कृति) तेजी से होते हैं, तो समाज के अमूर्त तत्व जैसे कि उनके सामाजिक मानदंड, कानून, मूल्य और मान्यताएं (अभौतिक संस्कृति) उन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह पिछड़न समाज में तनाव और संघर्ष पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, इंटरनेट के आगमन से सामाजिक संपर्क के तरीके बदले, लेकिन गोपनीयता और सुरक्षा के संबंध में कानूनी और नैतिक मानदंड धीरे-धीरे विकसित हुए।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक संस्कृति’ (Folk Culture) और ‘शहरी संस्कृति’ (Urban Culture) का अध्ययन किया। हैमलिन और देसाई का कार्य इस विशिष्ट अवधारणा से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है।
प्रश्न 13: भारतीय ग्रामीण समाजों में, ‘संस्थागत’ (Institutionalized) और ‘पदानुक्रमित’ (Hierarchical) शक्ति संबंधों की विशेषता क्या है, जो जाति पर आधारित है?
- वर्ग (Class)
- वर्ण (Varna)
- जाति (Caste)
- गोत्र (Gotra)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय ग्रामीण समाजों में, ‘जाति’ (Caste) वह मुख्य सामाजिक संरचना है जो शक्ति संबंधों को संस्थागत, पदानुक्रमित और जन्म-आधारित बनाती है। जाति व्यवस्था यह निर्धारित करती है कि किस समूह के पास कितना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक बंद व्यवस्था है जिसमें प्रत्येक जाति का अपना निश्चित स्थान, व्यवसाय और सामाजिक कर्तव्य होता है, जो अक्सर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है।
- गलत विकल्प: ‘वर्ग’ (Class) अधिक खुली व्यवस्था है और आर्थिक स्थिति पर आधारित है। ‘वर्ण’ (Varna) एक सैद्धांतिक वर्गीकरण है, जबकि ‘जाति’ (Jati) वह व्यावहारिक इकाई है जो सामाजिक व्यवस्था को नियंत्रित करती है। ‘गोत्र’ (Gotra) एक वंशानुगत समूह है, न कि संपूर्ण शक्ति संरचना।
प्रश्न 14: वह कौन सी सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें एक संस्कृति के तत्व, विश्वास, और प्रथाएं धीरे-धीरे दूसरी संस्कृति द्वारा अपना ली जाती हैं?
- संस्कृति-विसर्जन (Acculturation)
- सांस्कृतिक आत्मसात्करण (Assimilation)
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism)
- सांस्कृतिक विलंब (Culture Lag)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘संस्कृति-विसर्जन’ (Acculturation) वह प्रक्रिया है जिसमें दो संस्कृतियां एक-दूसरे के संपर्क में आने पर एक-दूसरे के तत्वों को ग्रहण करती हैं, लेकिन अपनी मूल पहचान बनाए रखती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर आप्रवासन, उपनिवेशवाद या सांस्कृतिक आदान-प्रदान के दौरान होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय भोजन का पश्चिमी देशों में लोकप्रिय होना या पश्चिमी संगीत का भारतीय युवाओं में लोकप्रिय होना।
- गलत विकल्प: ‘सांस्कृतिक आत्मसात्करण’ (Assimilation) में एक संस्कृति दूसरी संस्कृति में पूरी तरह घुल-मिल जाती है और अपनी मूल पहचान खो देती है। ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ का अर्थ है कि किसी संस्कृति को उसी की कसौटी पर मापना। ‘सांस्कृतिक विलंब’ ऊपर चर्चा की गई है।
प्रश्न 15: किस समाजशास्त्री ने ‘पैटर्न वैरिएबल्स’ (Pattern Variables) का उपयोग करके सामाजिक क्रियाओं के पैटर्न को वर्गीकृत किया, जिससे समाज की संरचनात्मक विशेषताओं को समझा जा सके?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- किंग्सले डेविस
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने अपने ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) के सिद्धांत में ‘पैटर्न वैरिएबल्स’ (Pattern Variables) की अवधारणा पेश की। ये पांच द्विभाजनों (dichotomies) का एक समूह है जो किसी भी सामाजिक स्थिति या क्रिया में व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले विकल्पों को परिभाषित करता है, जैसे – भावना बनाम निष्पक्षता (Affectivity vs. Affective Neutrality), सार्वभौमिकता बनाम विशिष्टता (Universalism vs. Particularism), आदि।
- संदर्भ और विस्तार: इन वैरिएबल्स के माध्यम से पार्सन्स ने पारंपरिक और आधुनिक समाजों के अंतर को समझाया।
- गलत विकल्प: मर्टन ने प्रकार्य (Functions) पर काम किया। डेविस ने सामाजिक स्तरीकरण पर। वेबर ने सामाजिक क्रिया पर।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और विश्वास से उत्पन्न होने वाले लाभों पर केंद्रित है, मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा का विकास पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने किया है, यद्यपि उन्होंने इसे विभिन्न संदर्भों और बारीकियों के साथ परिभाषित किया है। बॉर्डियू ने इसे संसाधनों के एक रूप के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं में पाया जाने वाला एक उत्पाद माना, और पुटनम ने नागरिक समाज में इसके महत्व पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों और समूहों के बीच संबंधों से उत्पन्न होने वाले लाभों को संदर्भित करती है, जो सहयोग, सूचना पहुंच और संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देती है।
- गलत विकल्प: तीनों ही समाजशास्त्री इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं।
प्रश्न 17: नगरीय समाजशास्त्र (Urban Sociology) के संदर्भ में, ‘गैमेन्शाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गैसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाएं किसने प्रस्तुत कीं?
- फर्डिनेंड टोनीस
- जॉर्ज सिमेल
- रॉबर्ट पार्क
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जर्मन समाजशास्त्री फर्डिनेंड टोनीस ने अपनी पुस्तक ‘कम्युनिटी एंड सोसाइटी’ (Community and Society, 1896) में ‘गैमेन्शाफ्ट’ ( Gemeinschaft – समुदाय) और ‘गैसेलशाफ्ट’ ( Gesellschaft – समाज/एसोसिएशन) की अवधारणाएं प्रस्तुत कीं।
- संदर्भ और विस्तार: गैमेन्शाफ्ट उन समाजों या समूहों को दर्शाता है जहाँ घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध होते हैं (जैसे परिवार, ग्रामीण समुदाय)। गैसेलशाफ्ट उन समाजों को दर्शाता है जहाँ संबंध अधिक अवैयक्तिक, लेन-देन आधारित और स्वार्थपूर्ण होते हैं (जैसे आधुनिक शहर, बड़े निगम)।
- गलत विकल्प: सिमेल ने शहरी जीवन की ‘मानसिकता’ पर लिखा, पार्क ने ‘शहरी पारिस्थितिकी’ पर, और वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ पर।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख आयाम नहीं माना जाता है?
- तर्कसंगतता और नौकरशाही का विस्तार
- धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
- उदारीकरण और वैश्वीकरण
- क्षेत्रवाद और राष्ट्रवाद का विकास
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘क्षेत्रवाद’ (Regionalism) और ‘राष्ट्रवाद’ (Nationalism) यद्यपि आधुनिकीकरण से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ये स्वयं आधुनिकीकरण के प्रत्यक्ष आयाम नहीं माने जाते। आधुनिकीकरण मुख्य रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में परिवर्तन से जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: तर्कसंगतता, नौकरशाही, धर्मनिरपेक्षीकरण, और उदारीकरण/वैश्वीकरण (जो अक्सर आधुनिकीकरण के साथ चलते हैं) समाज को पारंपरिक से आधुनिक की ओर ले जाने वाली प्रमुख प्रक्रियाएं हैं। क्षेत्रवाद और राष्ट्रवाद पहचान की राजनीति और सामुदायिक संरचनाओं से अधिक जुड़े हैं।
- गलत विकल्प: बाकी विकल्प आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के प्रमुख पहलू हैं, जैसे मैक्स वेबर की तर्कसंगतता और नौकरशाही, या धर्मनिरपेक्षीकरण।
प्रश्न 19: ‘लिंग’ (Gender) और ‘लैंगिकता’ (Sexuality) के निर्माण में शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (Discourse) की भूमिका का विश्लेषण करने के लिए किस उत्तर-संरचनावादी (Post-Structuralist) विचारक को जाना जाता है?
- मिशेल फूको
- जूडिथ बटलर
- जैक्स डेरिडा
- लॉस इरिगारे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जूडिथ बटलर, विशेष रूप से अपनी पुस्तक ‘जेंडर ट्रबल’ (Gender Trouble) में, लिंग को एक ‘प्रदर्शन’ (Performativity) के रूप में देखती हैं। उनका तर्क है कि लिंग कोई स्वाभाविक या जैविक सच्चाई नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से लगातार ‘किया’ जाता है (performed)। उन्होंने लिंग और कामुकता के निर्माण में शक्ति, ज्ञान और प्रवचन की भूमिका पर महत्वपूर्ण काम किया।
- संदर्भ और विस्तार: बटलर का काम जेंडर स्टडीज और क्यूअर थ्योरी (Queer Theory) में प्रभावशाली रहा है, जो पारंपरिक लैंगिक श्रेणियों को चुनौती देता है।
- गलत विकल्प: मिशेल फूको ने ज्ञान और शक्ति के संबंधों का विश्लेषण किया, लेकिन उनका ध्यान लिंग पर उतना केंद्रित नहीं था जितना बटलर का। डेरिडा विखंडन (Deconstruction) के लिए जाने जाते हैं। इरिगारे भी लिंग पर काम करती हैं, लेकिन बटलर का योगदान अधिक क्रांतिकारी रहा है।
प्रश्न 20: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) की प्रमुख विशेषता क्या है?
- बड़े नमूना आकार और सांख्यिकीय विश्लेषण
- घटनाओं का गहराई से, वर्णनात्मक विश्लेषण
- मात्रात्मक डेटा का संग्रह
- सामान्यीकरण (Generalization) पर अधिक जोर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य किसी सामाजिक घटना, अनुभव या व्यवहार की गहराई से समझ प्राप्त करना है। यह अक्सर अवलोकन (observation), साक्षात्कार (interview), केस स्टडी (case study) और सामग्री विश्लेषण (content analysis) जैसी विधियों का उपयोग करता है ताकि ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक अनुसंधान व्याख्यात्मक (interpretive) होता है और इसमें विषय की गहन समझ विकसित की जाती है, न कि केवल संख्याओं का विश्लेषण।
- गलत विकल्प: बड़े नमूना आकार और सांख्यिकीय विश्लेषण, तथा मात्रात्मक डेटा का संग्रह ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) की विशेषताएँ हैं। सामान्यीकरण का प्रयास दोनों में होता है, लेकिन गुणात्मक अनुसंधान में यह अक्सर संदर्भ-विशिष्ट होता है।
प्रश्न 21: भारतीय समाज में ‘जनजातीय समुदाय’ (Tribal Communities) की प्रमुख विशेषताओं में निम्न में से क्या शामिल है?
- विशिष्ट संस्कृति और अलग पहचान
- समान बोली और आर्थिक व्यवस्था
- आमतौर पर भौगोलिक रूप से एकांतवास
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जनजातीय समुदायों की पहचान उनकी विशिष्ट संस्कृति, अपनी भाषा या बोली, एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में निवास, और अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं से होती है। ये सभी विशेषताएं मिलकर उनकी अनूठी पहचान बनाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि आधुनिकरण और वैश्वीकरण के कारण इन समुदायों में परिवर्तन आ रहे हैं, ये मूलभूत विशेषताएं उन्हें अन्य सामाजिक समूहों से अलग करती हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी विकल्प जनजातीय समुदायों की परिभाषित विशेषताओं में योगदान करते हैं।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की अवधारणा, जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित और विनियमित करता है, में निम्न में से क्या शामिल है?
- औपचारिक नियंत्रण (जैसे कानून, पुलिस)
- अनौपचारिक नियंत्रण (जैसे रीति-रिवाज, लोकमत)
- आत्म-नियंत्रण
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण एक बहुआयामी अवधारणा है जो समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न तंत्रों का उपयोग करती है। इसमें राज्य या औपचारिक संस्थाओं द्वारा लागू किए जाने वाले ‘औपचारिक नियंत्रण’ (जैसे कानून, न्यायालय, पुलिस) के साथ-साथ समाज के भीतर अनौपचारिक तरीकों जैसे कि सामाजिक दबाव, लोकमत, परिवार के नियम, और साथियों के प्रभाव से होने वाला ‘अनौपचारिक नियंत्रण’ भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, व्यक्ति का ‘आत्म-नियंत्रण’ (self-control) भी सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में योगदान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सभी मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति सामाजिक मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुसार व्यवहार करें।
- गलत विकल्प: ये तीनों ही सामाजिक नियंत्रण के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
प्रश्न 23: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है, जैसा कि समाजशास्त्र में समझा जाता है?
- धर्म का राजनीतिक शक्ति से अलग होना
- धर्म का समाज के सार्वजनिक और निजी जीवन से महत्व कम होना
- धार्मिक संस्थाओं का पतन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसके कई आयाम हैं। इसमें आम तौर पर धर्म की राजनीतिक शक्ति से दूरी, समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे शिक्षा, विज्ञान, कानून) से धर्म का महत्व कम होना, और अंततः सार्वजनिक तथा निजी जीवन दोनों में धर्म की भूमिका का क्षरण शामिल है। यह केवल धार्मिक संस्थाओं के पतन तक सीमित नहीं है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं के प्रभाव के कम होने की ओर भी इशारा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है, हालांकि इसकी सार्वभौमिकता और दिशा पर समाजशास्त्रियों में मतभेद है।
- गलत विकल्प: ये सभी धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करते हैं।
प्रश्न 24: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का मुख्य कारण क्या था, विशेषकर औद्योगिक पूंजीवादी समाज में?
- राजनीतिक उत्पीड़न
- श्रम के उत्पाद से अलगाव
- धार्मिक कर्मकांडों की निरर्थकता
- परिवार से अलगाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- . कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के केंद्रीय दोषों में से एक माना। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, स्वयं अपने श्रम की प्रक्रिया से, अपनी ‘प्रजातीय चेतना’ (species-being) से (मानव की रचनात्मक और सामाजिक प्रकृति), और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग हो जाता है। इसका मूल कारण यह है कि श्रमिक अपनी मेहनत से बनी वस्तु पर स्वामित्व नहीं रखता, बल्कि वह वस्तु (और उसका श्रम) पूँजीपति की संपत्ति बन जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के ‘पेरिस पांडुलिपि’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में विस्तृत रूप से वर्णित है।
- गलत विकल्प: यद्यपि राजनीतिक उत्पीड़न, धार्मिक कर्मकांड और परिवार से अलगाव भी समाजशास्त्रीय अध्ययन के विषय हैं, मार्क्स के अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था में अलगाव का प्राथमिक स्रोत ‘श्रम के उत्पाद से अलगाव’ था, जिससे अन्य प्रकार के अलगाव उत्पन्न होते थे।
प्रश्न 25: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में, निम्नलिखित में से किसे शामिल नहीं किया जाता?
- सीखी हुई और साझा की गई मान्यताएं, मूल्य और व्यवहार
- सामग्री तत्व (जैसे कला, उपकरण)
- भौतिक और अभौतिक दोनों तत्व
- जैविक या आनुवंशिक विशेषताएँ
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृति मुख्य रूप से ‘सीखी हुई’ (learned) और ‘साझा की गई’ (shared) होती है, जिसमें विश्वास, मूल्य, मानक, ज्ञान, कला, उपकरण, और जीवन जीने के तरीके शामिल होते हैं। ये दोनों प्रकार के तत्व – भौतिक (material) और अभौतिक (non-material) – संस्कृति का हिस्सा होते हैं। इसके विपरीत, जैविक या आनुवंशिक विशेषताएँ (जैसे जीन, शारीरिक बनावट) संस्कृति का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि वे जीव विज्ञान से संबंधित होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति वह तरीका है जिससे मनुष्य अपने पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हैं और समाज के सदस्यों के बीच संचार और सामंजस्य स्थापित करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) संस्कृति की मान्य समाजशास्त्रीय परिभाषा के अभिन्न अंग हैं।