संवैधानिक समझ को धार दें: आज का अग्निपरीक्षा
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने और संविधान की बारीकियों को समझना आपकी यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हम आपके संकल्प और ज्ञान की गहराई को परखने के लिए लेकर आए हैं 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्न। अपनी अवधारणाओं को परखें और राष्ट्र सेवा के लिए खुद को और बेहतर बनाएं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ का आदर्श किस गणतांत्रिक क्रांति से प्रेरित है?
- अमेरिकी क्रांति
- फ्रांसीसी क्रांति
- रूसी क्रांति
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) का आदर्श फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) के ‘लिबर्टी, इक्वेलिटी, फ्रेटरनिटी’ (Liberty, Equality, Fraternity) के उद्घोष से प्रेरित है। प्रस्तावना में यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है कि देश में बंधुत्व को बढ़ावा दिया जाए, जिससे व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता व अखंडता सुनिश्चित हो।
- संदर्भ एवं विस्तार: बंधुत्व का अर्थ है भाईचारे की भावना। यह नागरिकों के बीच एकता और एकजुटता को प्रोत्साहित करता है। यह केवल भाईचारे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका अर्थ यह भी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी नागरिक के लिए कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो जिससे उसे यह लगे कि वह राष्ट्र का अंग नहीं है।
- गलत विकल्प: अमेरिकी क्रांति (1776) ने स्वतंत्रता और गणतंत्रवाद के विचारों को बढ़ावा दिया, लेकिन बंधुत्व का प्रत्यक्ष आदर्श फ्रांसीसी क्रांति से जुड़ा है। रूसी क्रांति (1917) साम्यवाद और समानता पर केंद्रित थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने इन सभी विचारों को आत्मसात किया, लेकिन मूल प्रेरणा फ्रांसीसी क्रांति से ली गई।
प्रश्न 2: किस अनुच्छेद के तहत संसद विधि द्वारा नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना कर सकती है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 2 के अनुसार, संसद को यह अधिकार है कि वह ऐसे निर्बंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकती है। यह अनुच्छेद भारत के बाहर के क्षेत्रों को भारतीय संघ में शामिल करने से संबंधित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद भारत के संघ में बाहरी क्षेत्रों के समावेश की शक्ति प्रदान करता है, जैसे कि सिक्किम का भारत में विलय। अनुच्छेद 1 भारत के संघ और उसके राज्यों का वर्णन करता है, जबकि अनुच्छेद 3 भारत के भीतर राज्यों के पुनर्गठन (नाम बदलना, सीमा बदलना, नए राज्य बनाना) से संबंधित है। अनुच्छेद 4 यह प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत पारित कानून अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 संघ के नाम और राज्य क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 3 मौजूदा भारतीय राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 4 इस प्रक्रिया को स्पष्ट करता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- समान अवसर का अधिकार (अनुच्छेद 16)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता का अधिकार प्रदान करता है। यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह अधिकार केवल भारत के नागरिकों के लिए है (अनुच्छेद 16(2))।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) सभी व्यक्ति (person) के लिए उपलब्ध हैं, न कि केवल नागरिकों के लिए। व्यक्ति शब्द में निगम (corporations) और अन्य कानूनी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं, और यह निश्चित रूप से विदेशियों को भी प्राप्त है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी भारतीयों और विदेशियों (नागरिकों को छोड़कर) दोनों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 16 विशेष रूप से भारत के नागरिकों के लिए है।
प्रश्न 4: संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में एक नया भाग ‘भाग IX’ जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRI) से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए। इसके साथ ही, ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना, उन्हें स्वशासन की संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाना और उन्हें अधिक कार्य, शक्ति और अधिकार देना था। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) को संवैधानिक दर्जा दिया। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज पर मूल राजीव गांधी सरकार के विधेयकों से संबंधित थे, जो पारित नहीं हो सके।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन लागू नहीं हुए थे।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान के अनुसार, किसी संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासन कौन करता है?
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक
- उस राज्य का राज्यपाल जिसमें वह स्थित है
- लोकसभा द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि
- संसद द्वारा नियुक्त केंद्रीय मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 239(1) के अनुसार, प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के माध्यम से किया जाएगा। इस प्रशासक को ‘उपराज्यपाल’ या ‘मुख्य आयुक्त’ या ‘संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक’ के रूप में नामित किया जा सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दिल्ली जैसे कुछ संघ राज्य क्षेत्रों में, जहाँ विधानमंडल है, प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक (उपराज्यपाल) द्वारा किया जाता है, जो चुनी हुई सरकार के साथ समन्वय करता है। हालांकि, संसद विशेष विधियों द्वारा किसी राज्य के राज्यपाल को भी किसी निकटवर्ती संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक के रूप में कार्य करने का प्रावधान कर सकती है (अनुच्छेद 239(2))।
- गलत विकल्प: यह हमेशा आवश्यक नहीं है कि संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासन उस राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाए जिसमें वह स्थित है। यह एक विशेष प्रावधान हो सकता है (अनुच्छेद 239(2)), लेकिन सामान्य नियम राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक है। लोकसभा द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि या संसद द्वारा नियुक्त केंद्रीय मंत्री सीधे प्रशासन नहीं करते, बल्कि वे प्रशासक के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकते हैं।
प्रश्न 6: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
- दिल्ली और पुडुचेरी विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधानमंडलों (विधानसभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा गठित एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: 70वें संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से, दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी) के संघ राज्य क्षेत्रों के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया। हालांकि, यह संशोधन केवल दिल्ली और पुडुचेरी के लिए है, न कि अन्य सभी संघ राज्य क्षेत्रों के लिए।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल का हिस्सा हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि 70वें संशोधन के बाद दिल्ली और पुडुचेरी के विधानसभा सदस्यों को शामिल किया गया है।
प्रश्न 7: उच्चतम न्यायालय को ‘संवैधानिक सलाहकार’ की भूमिका कौन सा अनुच्छेद प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 132
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 (सलाहकारी क्षेत्राधिकार) राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय की राय मांगने का अधिकार देता है। यह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है कि वह न्यायालय की सलाह माने, न ही न्यायालय की सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह उच्चतम न्यायालय को संविधान के एक सलाहकार के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, विशेष रूप से कानून या तथ्य के प्रश्न पर, जो या तो सार्वजनिक महत्व का हो या किसी संधि, समझौते, वाचा, आदि से संबंधित हो। अनुच्छेद 142 में उच्चतम न्यायालय की डिक्री या आदेशों का प्रवर्तन, अनुच्छेद 137 में न्यायालय द्वारा निर्णयों का पुनर्विलोकन, और अनुच्छेद 132 में अपीलीय क्षेत्राधिकार से संबंधित प्रावधान हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142, 137 और 132 उच्चतम न्यायालय के अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्रों से संबंधित हैं, न कि सलाहकार की भूमिका से।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सूची के विषय पर केवल संसद कानून बना सकती है?
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- संघ सूची
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) का उल्लेख है। संघ सूची (List I) के विषयों पर केवल संसद कानून बना सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: राज्य सूची (List II) के विषयों पर राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 250) या कुछ विशेष परिस्थितियों में संसद भी कानून बना सकती है। समवर्ती सूची (List III) के विषयों पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन विरोध की स्थिति में संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होता है (अनुच्छेद 254)।
- गलत विकल्प: राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर राज्य भी कानून बना सकते हैं, या विशेष परिस्थितियों में संसद भी। केवल संघ सूची के विषयों पर संसद की अनन्य विधायी शक्ति है।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘संविधान के संशोधन’ से संबंधित है?
- भाग XX
- भाग XXI
- भाग XXII
- भाग XVIII
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XX, अनुच्छेद 368, संविधान के संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद संसद को संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की शक्ति प्रदान करता है, हालांकि, केशवानंद भारती मामले (1973) ने ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) स्थापित किया, जिसके अनुसार संसद संविधान की मूल संरचना को संशोधित नहीं कर सकती। भाग XXI में ‘अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध’ (अनुच्छेद 370, 371 आदि) हैं। भाग XXII में ‘संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन’ (अनुच्छेद 393-395) हैं। भाग XVIII आपात उपबंधों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: भाग XXI, XXII और XVIII अन्य महत्वपूर्ण प्रावधानों से संबंधित हैं, न कि सीधे संशोधन प्रक्रिया से।
प्रश्न 10: किस मौलिक अधिकार को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा गया है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार, अर्थात् अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिकार नागरिकों को उनके किसी भी मौलिक अधिकार के उल्लंघन की स्थिति में सीधे उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जाने का अधिकार देता है। न्यायालय रिट जारी करके इन अधिकारों को लागू करवाते हैं (हेवियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओरारी, क्यू वारंटो)। यह अधिकार ही अन्य सभी मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाता है।
- गलत विकल्प: अन्य मौलिक अधिकार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अम्बेडकर के अनुसार, अनुच्छेद 32 ही वह अधिकार है जो अन्य अधिकारों को जीवंत और प्रभावी बनाता है, इसलिए उसे ‘हृदय और आत्मा’ कहा गया।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- गृह मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 338 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: आयोग के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। यह आयोग अनुसूचित जातियों के अधिकारों की सुरक्षा, उनकी शिकायतों का निवारण और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाओं की समीक्षा करने जैसे कार्य करता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या गृह मंत्री की बजाय, राष्ट्रपति को इस संवैधानिक निकाय के प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार है।
प्रश्न 12: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ का कौन सा प्रमुख दोष है?
- अस्थिरता
- निर्णय लेने में देरी
- अधिकारों का दुरुपयोग
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: संसदीय प्रणाली, जहाँ कार्यपालिका (मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है, कुछ अंतर्निहित दोषों के साथ आती है। ‘अस्थिरता’ तब उत्पन्न हो सकती है जब सरकार को संसद में बहुमत का समर्थन प्राप्त न हो, जिससे बार-बार सरकारें गिरती हैं। ‘निर्णय लेने में देरी’ अक्सर संसदीय बहसों, समितियों की जांच और व्यापक विचार-विमर्श के कारण होती है। ‘अधिकारों का दुरुपयोग’ हो सकता है यदि बहुमत वाली पार्टी अपनी शक्ति का दुरूपयोग करे या विपक्ष की आवाज़ को दबाए।
- संदर्भ एवं विस्तार: इन सभी संभावित कमियों के बावजूद, संसदीय प्रणाली के अपने फायदे भी हैं, जैसे कि कार्यपालिका और विधायिका के बीच समन्वय और जनता के प्रति सीधी जवाबदेही।
- गलत विकल्प: तीनों विकल्प (a, b, c) संसदीय प्रणाली के संभावित दोषों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 13: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 343
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन की घोषणा अनुच्छेद 356 के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यदि राष्ट्रपति को किसी राज्य के राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त होती है या अन्यथा यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो वह अनुच्छेद 356 के तहत घोषणा कर सकते हैं। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से, अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से, और अनुच्छेद 343 आधिकारिक भाषा से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 360, 352, और 343 अन्य प्रकार की आपातकालीन या संवैधानिक शक्तियों से संबंधित हैं, न कि राज्य में राष्ट्रपति शासन से।
प्रश्न 14: भारतीय संसद का कौन सा सदन ‘लोकसभा’ के नाम से जाना जाता है?
- राज्यसभा
- लोकसभा
- नीचे का सदन
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संसद के दो सदन हैं: लोकसभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States)। लोकसभा भारत की संसद का निम्न सदन है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसे ‘लोकसभा’ या ‘लोगों का सदन’ कहा जाता है क्योंकि इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। यह अधिक शक्तिशाली सदन माना जाता है क्योंकि इसमें वित्त विधेयक सहित सभी धन विधेयक पेश किए जा सकते हैं, और सरकार इसी सदन में बहुमत के प्रति उत्तरदायी होती है।
- गलत विकल्प: राज्यसभा संसद का उच्च सदन है। ‘नीचे का सदन’ एक अनौपचारिक शब्द है जो अक्सर लोकसभा के लिए प्रयोग होता है, लेकिन यह उसका आधिकारिक नाम नहीं है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति का स्रोत क्या है?
- स्पष्ट रूप से उल्लेखित
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिका का संविधान
- सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान में न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति को स्पष्ट रूप से किसी एक अनुच्छेद में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इसे अमेरिका के संविधान से प्रेरित माना जाता है, जहाँ यह शक्ति ‘मार्बरी बनाम मेडिसन’ (Marbury v. Madison) मामले से उत्पन्न हुई। भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 13, 32, 226 और 245 के तहत इस शक्ति को व्याख्यायित किया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन वह सिद्धांत है जिसके तहत उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय विधायिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा जारी किए गए आदेशों की संवैधानिक वैधता की जाँच कर सकते हैं। यदि कोई कानून या आदेश संविधान का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: हालाँकि यह सुप्रीम कोर्ट की व्याख्याओं (जैसे केशवानंद भारती मामला) से और मजबूत हुआ है, इसकी मूल प्रेरणा अमेरिकी संविधान से आती है। यह भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ शब्द के साथ उल्लेखित नहीं है।
प्रश्न 16: भारत में ‘अटॉर्नी जनरल’ की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- कानून मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: अटॉर्नी जनरल भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। वह किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में अधिक अर्हताएँ रखता है (एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के योग्य)।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या कानून मंत्री की बजाय, राष्ट्रपति को भारत सरकार के प्रमुख विधि अधिकारी की नियुक्ति का अधिकार है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत’ (DPSP) का उदाहरण नहीं है?
- समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44)
- ग्राम पंचायतों का गठन (अनुच्छेद 40)
- काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और सार्वजनिक सहायता का अधिकार (अनुच्छेद 41)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: विकल्प (d) में दिया गया अधिकार, ‘धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध’, एक मौलिक अधिकार है जो अनुच्छेद 15 में वर्णित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: विकल्प (a), (b), और (c) राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का हिस्सा हैं, जो भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक दिए गए हैं। ये राज्य के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं और सामाजिक-आर्थिक न्याय स्थापित करने का लक्ष्य रखते हैं। अनुच्छेद 15 एक मौलिक अधिकार है जो नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को भी प्राप्त है (अनुच्छेद 14 की तरह)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 44, 40 और 41 DPSP के अंतर्गत आते हैं, जबकि अनुच्छेद 15 एक मौलिक अधिकार है।
प्रश्न 18: किस संशोधन द्वारा लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान बढ़ाया गया?
- 95वाँ संशोधन अधिनियम, 2009
- 101वाँ संशोधन अधिनियम, 2016
- 104वाँ संशोधन अधिनियम, 2019
- 93वाँ संशोधन अधिनियम, 2005
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: 93वें संशोधन अधिनियम, 2005 ने अनुच्छेद 15(5) जोड़कर सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया। हालाँकि, लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में SC/ST सीटों के आरक्षण को **104वें संशोधन अधिनियम, 2019** द्वारा 25 जनवरी 2030 तक बढ़ाया गया था। मूल रूप से यह आरक्षण 10 वर्षों के लिए था और इसे नियमित रूप से बढ़ाया गया है। 95वें संशोधन ने इसे 2010 तक बढ़ाया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रश्न की शब्दावली थोड़ी भ्रामक हो सकती है। यदि प्रश्न ‘पहली बार’ बढ़ाया गया था, तो यह मूल संविधान के अनुसार था। यदि यह ‘हालिया’ विस्तार की बात करता है, तो 104वाँ संशोधन सही है। लेकिन दिए गए विकल्पों में 95वाँ संशोधन 2009 में बढ़ाया गया था। 104वाँ संशोधन 2019 में हुआ, जिसने 25 जनवरी 2030 तक आरक्षण बढ़ाया। 93वाँ संशोधन शिक्षण संस्थानों से संबंधित है। 101वाँ संशोधन GST से संबंधित है। सबसे सटीक हालिया विस्तार 104वें संशोधन से है। लेकिन यहाँ प्रश्न ‘किस संशोधन द्वारा बढ़ाया गया’ पूछ रहा है, न कि ‘कब तक बढ़ाया गया’। 95वें संशोधन ने 2010 तक बढ़ाया था। 104वें ने 2030 तक। 93वाँ शिक्षण संस्थानों से संबंधित है। अतः, विकल्प (a) और (c) दोनों आरक्षण बढ़ाने से संबंधित हैं, लेकिन 104वां सबसे हालिया है। हालाँकि, प्रश्न की भाषा ‘आरक्षण का प्रावधान बढ़ाया गया’ की बात करती है। 95वां संशोधन 2009 में हुआ था और इसने एससी/एसटी के आरक्षण को 2010 तक बढ़ाया था। 104वां संशोधन 2019 में हुआ था और उसने इसे 2030 तक बढ़ाया था। यदि प्रश्न हालिया वृद्धि की ओर संकेत कर रहा है, तो 104वां है। लेकिन यह सामान्य ज्ञान में 95वां संशोधन SC/ST आरक्षण की अवधि बढ़ाने के लिए जाना जाता है। प्रश्न को और स्पष्ट करने की आवश्यकता है। दिए गए विकल्पों में, 95वां और 104वां दोनों प्रासंगिक हैं। अक्सर परीक्षा में 95वां या 104वां उत्तर माना जाता है। हम 104वें को चुनेंगे क्योंकि यह सबसे हालिया है और अवधि को 2030 तक बढ़ाया है।
- गलत विकल्प: 101वाँ संशोधन (GST), 93वाँ संशोधन (OBC शिक्षण संस्थान) सीधे SC/ST आरक्षण बढ़ाने से संबंधित नहीं हैं।
सुधार: प्रश्न को अधिक स्पष्टता के लिए बदला जा सकता था। मान लेते हैं कि प्रश्न हाल के प्रावधान को दर्शाता है। 104वें संशोधन अधिनियम, 2019 ने ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ा दिया था। इसलिए, 104वां संशोधन सही उत्तर है।
उत्तर (पुनरीक्षित): (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण (पुनरीक्षित):
- सटीकता एवं संदर्भ: 104वें संशोधन अधिनियम, 2019 ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन करके लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ा दिया। मूल रूप से यह आरक्षण 10 वर्षों के लिए था और इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। 95वें संशोधन, 2009 ने इसे 2010 तक बढ़ाया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन यह भी सुनिश्चित करता है कि अगले आम चुनाव के बाद एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में सीटों के आरक्षण का प्रावधान समाप्त हो जाए, जब तक कि संसद द्वारा विशेष रूप से बढ़ाया न जाए।
- गलत विकल्प: 95वाँ संशोधन 2010 तक के लिए था। 101वाँ संशोधन वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित है। 93वाँ संशोधन सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में OBC आरक्षण से संबंधित है।
प्रश्न 19: किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत के महान्यायवादी को संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है?
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 77
- अनुच्छेद 88
- अनुच्छेद 89
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 88 भारत के महान्यायवादी (Attorney General) को संसद के दोनों सदनों, किसी भी सदन की किसी भी समिति में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार देता है, परंतु मत देने का अधिकार नहीं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिकार महान्यायवादी को सरकार के कानूनी मामलों पर संसद को सलाह देने में सक्षम बनाता है। अनुच्छेद 76 महान्यायवादी की नियुक्ति और पद से संबंधित है। अनुच्छेद 77 भारत सरकार के कार्यों के संचालन से संबंधित है, और अनुच्छेद 89 राज्यसभा के सभापति और उपसभापति के पद से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 76, 77 और 89 महान्यायवादी के संसद में भाग लेने के अधिकार से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 20: ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) में कितने विषय वर्तमान में शामिल हैं?
- 97
- 100
- 61
- 52
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची (List III) में वर्तमान में 52 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मूल रूप से, समवर्ती सूची में 47 विषय थे। 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा पांच विषयों (शिक्षा, वन, नाप-तौल, वन्यजीव संरक्षण और न्याय प्रशासन) को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिससे विषयों की संख्या 47 से बढ़कर 52 हो गई। संघ सूची में 100 विषय (मूल रूप से 97) और राज्य सूची में 61 विषय (मूल रूप से 66) हैं।
- गलत विकल्प: 97 (या 100) संघ सूची के विषय हैं, और 61 (या 66) राज्य सूची के विषय हैं। 52 समवर्ती सूची के विषयों की वर्तमान संख्या है।
प्रश्न 21: भारत के संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द कब जोड़ा गया?
- मूल संविधान में
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा
- 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन प्रस्तावना में भारत को एक ‘संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ के रूप में वर्णित करता है। यद्यपि ये आदर्श संविधान के लागू होने से पहले से ही अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद थे, इन्हें प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तावना में शामिल करने का श्रेय 42वें संशोधन को जाता है।
- गलत विकल्प: मूल संविधान में यह शब्द नहीं था। 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद की व्यवस्था करता है और उसकी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करता है, जैसे कि उसे हटाना केवल महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा ही संभव है।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है और केंद्र तथा राज्यों के लेखाओं का संपरीक्षण करता है। अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है, अनुच्छेद 150 खातों के प्ररूप से संबंधित है, और अनुच्छेद 151 संपरीक्षा रिपोर्टों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 149, 150, और 151 CAG के अन्य पहलुओं से संबंधित हैं, न कि सीधे पद की स्वतंत्रता से।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से किस आधार पर राज्य विधानमंडल के किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय उस राज्य के राज्यपाल द्वारा निर्वाचन आयोग की सलाह पर किया जाता है?
- दल-बदल के आधार पर
- सदस्य की दिवालियापन या पद पर रहते हुए किसी लाभ के पद पर होने के आधार पर
- उपरोक्त दोनों
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 191(1) के अनुसार, कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल का सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा यदि वह दसवीं अनुसूची (दल-बदल) के तहत अयोग्य ठहराया गया हो (जिसका निर्णय अध्यक्ष/सभापति करते हैं), या यदि वह लाभ के पद पर हो, या विकृत-मना हो, या भारत का नागरिक न हो, या संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के तहत अयोग्य घोषित किया गया हो। अनुच्छेद 192 के तहत, राज्यपाल निर्वाचन आयोग की सलाह से ऐसे मामलों का निर्णय करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के पैरा 6 के तहत सदन के अध्यक्ष/सभापति द्वारा किया जाता है। लाभ के पद, विकृत-मना होने या नागरिकता संबंधी अयोग्यताओं पर राज्यपाल, निर्वाचन आयोग की सलाह लेते हैं।
- गलत विकल्प: दल-बदल के मामलों में निर्णय अध्यक्ष/सभापति करते हैं, राज्यपाल नहीं। लाभ के पद या दिवालियापन जैसे मामलों में राज्यपाल निर्वाचन आयोग की सलाह लेते हैं।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची ‘राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों’ की सूची तथा उनके राज्य-क्षेत्रों का वर्णन करती है?
- पहली अनुसूची
- दूसरी अनुसूची
- तीसरी अनुसूची
- चौथी अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) भारत संघ के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची तथा उनके राज्य-क्षेत्रों का वर्णन करती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुसूची भारत के राजनीतिक मानचित्र को परिभाषित करती है। दूसरी अनुसूची में विभिन्न पदाधिकारियों के भत्ते, पेंशन आदि का प्रावधान है। तीसरी अनुसूची में विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा पद या गोपनीयता की शपथ के प्रारूप हैं। चौथी अनुसूची में राज्यसभा में सीटों के आवंटन का प्रावधान है।
- गलत विकल्प: दूसरी, तीसरी और चौथी अनुसूचियाँ क्रमशः भत्ते, शपथ और राज्यसभा सीटों के आवंटन से संबंधित हैं, न कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची से।
प्रश्न 25: ‘संसद की सर्वोपरिता’ (Parliamentary Supremacy) के सिद्धांत को भारतीय संविधान में किस हद तक अपनाया गया है?
- पूर्णतः अपनाया गया है, जैसे ब्रिटेन में
- आंशिक रूप से अपनाया गया है, क्योंकि न्यायपालिका की भी भूमिका है
- बिल्कुल नहीं अपनाया गया है
- केवल राज्य विधियों के संबंध में लागू है
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान में ब्रिटिश संसदीय सर्वोच्चता के सिद्धांत को पूर्ण रूप से नहीं अपनाया गया है। भारतीय संविधान सर्वोच्च है, और संसद द्वारा पारित कोई भी कानून जो संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है, उसे न्यायपालिका द्वारा रद्द किया जा सकता है (न्यायिक पुनर्विलोकन)।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारत में ‘संसदीय सर्वोच्चता’ और ‘न्यायिक सर्वोच्चता’ के बीच एक संतुलन स्थापित किया गया है। संसद के पास कानून बनाने की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति संविधान की सीमा में है। न्यायपालिका के पास संविधान की व्याख्या करने और उन कानूनों की समीक्षा करने की शक्ति है जो मौलिक अधिकारों या संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हैं।
- गलत विकल्प: भारत में ब्रिटेन जैसी पूर्ण संसदीय सर्वोच्चता नहीं है। यह सिद्धांत बिल्कुल नहीं अपनाया गया है, यह कहना गलत होगा क्योंकि संसद के पास महत्वपूर्ण विधायी शक्तियां हैं। यह केवल राज्य विधियों के संबंध में लागू नहीं होता, बल्कि पूरे देश की विधियों पर लागू होता है।