संवैधानिक महारथी: दैनिक अग्निपरीक्षा
लोकतंत्र की मजबूत नींव को समझने के लिए संवैधानिक ज्ञान अत्यंत आवश्यक है! क्या आप अपनी तैयारी के स्तर को आंकने के लिए तैयार हैं? आइए, भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ अपनी अवधारणाओं को परखें और अपनी यात्रा को और मजबूत बनाएं। हर प्रश्न एक नया सबक सिखाएगा!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के संविधान की प्रस्तावना के बारे में सही नहीं है?
- यह संविधान का एक हिस्सा है।
- यह न तो विधायिका की शक्ति का स्रोत है और न ही उसके निषेध का।
- इसे न्यायालय में लागू नहीं किया जा सकता।
- यह मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उपयोगी हो सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना। यह न तो शक्तियों का स्रोत है और न ही उन पर कोई निषेध लगाता है (जैसा कि बेरुबारी संघ मामले, 1960 में कहा गया था)। इसे न्यायालय में लागू नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना का उपयोग मौलिक अधिकारों या अन्य प्रावधानों की व्याख्या में सहायता के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह स्वयं मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का आधार नहीं बन सकता। मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध केवल संविधान के अनुच्छेद 19(2) से (6) में वर्णित तरीके से ही लगाए जा सकते हैं, न कि प्रस्तावना के आधार पर।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) प्रस्तावना के बारे में सही कथन हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि प्रस्तावना मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का साधन नहीं है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को यह अधिकार है कि वह राष्ट्रीय महत्व के एक या अधिक विषयों पर कानून बना सके, भले ही वह विषय राज्य सूची में सूचीबद्ध हों?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 253
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, यदि वह विषय राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया हो। इसके लिए राज्यसभा को एक प्रस्ताव पारित करना होता है, जिसमें कहा गया हो कि ऐसा करना राष्ट्रीय हित में है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार बनाया गया कानून एक वर्ष के लिए प्रभावी रहता है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। यह केंद्र-राज्य संबंधों में एक महत्वपूर्ण अपवाद है जो भारत को एकात्मकता की ओर झुकाव देता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान विधायी शक्तियों का विस्तार शामिल है। अनुच्छेद 252 दो या दो से अधिक राज्यों के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 253 अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- किसी भी पद के लिए समानता (अनुच्छेद 16)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 16, अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सभा, संघ बनाने, आने-जाने, बसने, और कोई भी पेशा अपनाने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों द्वारा) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए हैं। अनुच्छेद 15 केवल नागरिकों के लिए विभेद के प्रतिषेध की बात करता है, इसलिए यह वह अधिकार है जो विदेशियों को प्राप्त नहीं है (हालांकि उन्हें अनुच्छेद 14 के तहत सुरक्षा मिलती है)।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान में ‘राज्य’ की परिभाषा अनुच्छेद 12 में दी गई है। निम्नलिखित में से कौन सा ‘राज्य’ के अंतर्गत आता है?
- भारत की संसद
- राज्य की विधानमंडल
- सभी स्थानीय प्राधिकारी या अन्य प्राधिकारी
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ शब्द में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ में वे सभी निकाय शामिल हैं जो कानून बनाने, लागू करने या प्रशासनिक कार्य करने की शक्ति रखते हैं, भले ही वे सीधे सरकारी तंत्र का हिस्सा न हों। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, निगम और कुछ निजी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं यदि वे राज्य की ओर से कार्य कर रही हों।
- गलत विकल्प: सभी विकल्प अनुच्छेद 12 की परिभाषा के अंतर्गत ‘राज्य’ के अंग हैं।
प्रश्न 5: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है यदि वह:
- भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया गया हो।
- कुछ निश्चित अपराधों के लिए जेल गया हो।
- निर्वाचन अपराधों में लिप्त पाया गया हो।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करता है और कई आधारों पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान करता है। इनमें कुछ निश्चित अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाना, भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाना, या निर्वाचन अपराध करना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: अधिनियम के विभिन्न प्रावधान, जैसे धारा 123 (भ्रष्टाचार) और धारा 125 (धर्म, जाति, आदि के आधार पर घृणा फैलाना), चुनाव को दूषित करने वाले कृत्यों को परिभाषित करते हैं। इन कृत्यों में लिप्त पाए जाने पर व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: दिए गए सभी कारण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी उम्मीदवार को अयोग्य ठहराने के लिए वैध आधार हैं।
प्रश्न 6: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में उपस्थित हो सकते हैं।
- उन्हें संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन मत देने का नहीं।
- उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत के महान्यायवादी को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं और सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में उसका प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में, किसी भी संयुक्त बैठक में और संसद की किसी भी समिति में, जिसमें वे सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए हों, बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे वोट नहीं दे सकते।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन महान्यायवादी की स्थिति और शक्तियों के बारे में सत्य हैं।
प्रश्न 7: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से भारतीय राज्यों का पुनर्गठन किस आधार पर किया गया?
- भाषा
- प्रशासनिक सुविधा
- ऐतिहासिक कारण
- सांस्कृतिक समानता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: यद्यपि राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के निर्माण में भाषाई और प्रशासनिक दोनों कारकों पर विचार किया गया था, लेकिन अधिनियम का मुख्य आधार भाषाई था। इसका उद्देश्य भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना था।
- संदर्भ और विस्तार: फजल अली आयोग की रिपोर्ट ने भाषा को पुनर्गठन का मुख्य आधार माना, लेकिन प्रशासनिक व्यवहार्यता और राष्ट्रीय एकता को भी महत्वपूर्ण माना। इसलिए, अधिनियम ने भाषाई राज्यों का निर्माण किया, साथ ही कुछ क्षेत्रों को प्रशासनिक सुविधा के लिए भी पुनर्गठित किया।
- गलत विकल्प: जबकि प्रशासनिक सुविधा को भी ध्यान में रखा गया था, भाषा प्राथमिक आधार थी। ऐतिहासिक कारण और सांस्कृतिक समानता प्रत्यक्ष रूप से अधिनियम का आधार नहीं थे, हालांकि वे अप्रत्यक्ष रूप से भाषाई तर्क से जुड़े हो सकते थे।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी रीट केवल एक सार्वजनिक अधिकारी को जारी की जा सकती है?
- हेबियस कॉर्पस
- मेंडामस
- प्रोहिबिशन
- सर्टियोरारी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडामस’ (Mandamus), जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। यह केवल एक सार्वजनिक अधिकारी या प्राधिकरण को जारी की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: हेबियस कॉर्पस किसी भी व्यक्ति को अवैध हिरासत से मुक्त कराने के लिए जारी की जाती है। प्रोहिबिशन (प्रतिषेध) किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है। सर्टियोरारी (उत्प्रेषण) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। मेंडामस को छोड़कर अन्य सभी रीटें निजी व्यक्तियों सहित किसी भी इकाई को जारी की जा सकती हैं।
- गलत विकल्प: हेबियस कॉर्पस, प्रोहिबिशन और सर्टियोरारी केवल सार्वजनिक अधिकारी तक सीमित नहीं हैं। मेंडामस विशेष रूप से सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन के लिए सार्वजनिक अधिकारी को जारी किया जाता है।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 64वां संशोधन विधेयक, 1989
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया और संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243O शामिल हैं, साथ ही ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक संस्था के रूप में स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभा, पंचायती मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का प्रावधान है। यह 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन मिनी-संविधान कहलाता है और इसमें प्रस्तावना में संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। 64वां संशोधन विधेयक पंचायती राज से संबंधित था लेकिन पारित नहीं हो सका। 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है।
प्रश्न 10: भारत में राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
- इसमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक और गैर-सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना 6 अगस्त, 1952 को प्रशासनिक आदेश द्वारा की गई थी। हालाँकि, प्रश्न में इसे संवैधानिक निकाय माना गया है, लेकिन इसके अन्य कार्य और संरचना सही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। इसमें संघ के कैबिनेट मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं। NDC पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती है और राष्ट्रीय महत्व के विकास संबंधी मामलों पर चर्चा करती है।
- गलत विकल्प: यद्यपि NDC संवैधानिक निकाय नहीं है, लेकिन प्रश्न के संदर्भ में अन्य सभी कथन सही हैं। इस प्रकार, सभी कथन सत्य माने गए हैं, जो प्रश्न के निर्माण की एक सीमा हो सकती है। यदि प्रश्न ‘कौन सा कथन सही नहीं है’ होता, तो (a) गलत होता। लेकिन ‘कौन सा कथन सही है’ के रूप में, (b) और (c) निश्चित रूप से सही हैं, और (a) को स्थापित निकाय के रूप में देखा जा सकता है, जो कभी-कभी प्रश्नपत्रों में तथ्यात्मक त्रुटि हो सकती है। मान लेते हैं कि यह एक तथ्यात्मक त्रुटि है और अन्य सभी बिंदु NDC की प्रकृति का सही वर्णन करते हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा उच्चतम न्यायालय का एक ‘सांविधानिक कार्य’ नहीं है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निर्णय
- संघ और राज्यों के बीच तथा राज्यों के परस्पर विवादों का निर्णय
- कानून या तथ्यों के प्रश्न पर राष्ट्रपति को सलाह देना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: उच्चतम न्यायालय का प्राथमिक कार्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 32) का संरक्षक होना, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों (अनुच्छेद 71) का निर्णय करना, और संघ व राज्यों के बीच या राज्यों के बीच विवादों (अनुच्छेद 131) का मूल क्षेत्राधिकार के तहत निर्णय करना है।
- संदर्भ और विस्तार: कानून या तथ्यों के प्रश्न पर राष्ट्रपति को सलाह देने का कार्य (सलाहकारी क्षेत्राधिकार) अनुच्छेद 143 के तहत आता है। यह उच्चतम न्यायालय का एक ‘संवैधानिक कार्य’ हो सकता है, लेकिन यह एक ‘अनिवार्य’ या ‘सांविधानिक रूप से परिभाषित कर्तव्य’ नहीं है जैसा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा या विवादों का निपटारा है। विशेष रूप से, राष्ट्रपति ऐसी सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसलिए, अन्य विकल्प अधिक प्रत्यक्ष और अनिवार्य संवैधानिक कार्य हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सीधे तौर पर उच्चतम न्यायालय के प्राथमिक संवैधानिक कार्यों में शामिल हैं। (d) एक सलाहकारी भूमिका है, जो एक अलग प्रकार का कार्य है और हमेशा ‘सांविधानिक कार्य’ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है, खासकर जब अन्य मुख्य कर्तव्य इतने महत्वपूर्ण हों।
प्रश्न 12: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह अनुच्छेद 72 के तहत प्रदान की गई है।
- यह पूर्ण क्षमा, लघुकरण, परिहार, प्रविलंबन और प्रति-प्रस्थरण को शामिल करती है।
- यह न्याय की समीक्षा नहीं है, बल्कि क्षमा की शक्ति है।
- उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है। इस शक्ति में पूर्ण क्षमा (pardon), दंड को लघु करके छोटी अवधि का करना (commutation), दंड की अवधि को कम करना (remission), दंड के निष्पादन को अस्थायी रूप से निलंबित करना (reprieve) और कुछ मामलों में दंड को एक रूप से दूसरे रूप में बदलना (commutation) शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति न्यायिक निर्णय का विकल्प नहीं है, बल्कि एक विशुद्ध रूप से कार्यकारी शक्ति है, जो न्यायालय द्वारा स्थापित तथ्यों या लाए गए नियमों की समीक्षा नहीं करती। यह शक्ति राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग की जाती है।
- गलत विकल्प: दिए गए सभी कथन राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के बारे में सत्य हैं।
प्रश्न 13: वित्तीय आपातकाल के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत घोषित किया जा सकता है।
- इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक माह के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
- इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति राज्य के कर्मचारियों के वेतन में कटौती का आदेश दे सकते हैं।
- अभी तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 360 के तहत की जाती है। इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति राज्यों के कर्मचारियों के वेतन में कटौती का आदेश दे सकते हैं और सभी धन विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित करने का निर्देश दे सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 360 (2) के अनुसार, वित्तीय आपातकाल की घोषणा की गई कोई भी उद्घोषणा तब तक प्रभावी रहेगी जब तक कि उसे संसद के दोनों सदनों द्वारा उसके प्रख्यापन की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर पारित नहीं कर दिया जाता। यह अवधि ‘एक माह’ के बजाय ‘दो माह’ है। भारत में आज तक कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है।
- गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि यह अवधि ‘दो महीने’ है, न कि ‘एक महीना’। कथन (a), (c), और (d) सत्य हैं।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह भारत की संचित निधि, आकस्मिक निधि और लोक लेखा से किए गए सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति CAG की नियुक्ति नहीं करते हैं। यह शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को यह अधिकार देता है कि वह नागरिकता के संबंध में कानून बना सके?
- अनुच्छेद 9
- अनुच्छेद 10
- अनुच्छेद 11
- अनुच्छेद 12
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 11 के अनुसार, संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति होगी।
- संदर्भ और विस्तार: इसी शक्ति का प्रयोग करते हुए संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने और खोने के विभिन्न आधारों को निर्दिष्ट किया गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 9 कहता है कि कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों को जारी रखने की बात करता है, और अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ की परिभाषा देता है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान की ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: समवर्ती सूची की अवधारणा भारतीय संविधान में ऑस्ट्रेलिया के संविधान से ली गई है। संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान संविधान की सातवीं अनुसूची में है।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची में ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। यदि किसी विषय पर राज्य और केंद्र के कानूनों में टकराव होता है, तो केंद्र का कानून प्रभावी होगा (जैसा कि अनुच्छेद 254 में उल्लिखित है)।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से संघात्मक व्यवस्था, कनाडा से अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना, और यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली और विधि का शासन जैसी अवधारणाएं ली गई हैं।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
- अनुच्छेद 52: भारत का राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 63: भारत का उपराष्ट्रपति
- अनुच्छेद 74: संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
- अनुच्छेद 79: संसद का गठन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 52 भारत के राष्ट्रपति पद का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 63 भारत के उपराष्ट्रपति पद का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 79 संसद के गठन का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 74 संघ की मंत्रिपरिषद के बारे में है, न कि संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के बारे में। संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार का वर्णन अनुच्छेद 73 में किया गया है।
- गलत विकल्प: युग्म (c) गलत सुमेलित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह और सहायता देने वाली मंत्रिपरिषद के बारे में है।
प्रश्न 18: संविधान के अनुसार, किसी भी सदन में कोई भी विधेयक, धन विधेयक है या नहीं, इसका अंतिम निर्णय कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- राज्यसभा के सभापति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 (3) के अनुसार, कोई भी विधेयक, ‘धन विधेयक’ है या नहीं, इसका अंतिम निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष करता है।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद, विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है। धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है और राज्यसभा इसे केवल 14 दिनों तक रोक सकती है या बिना संशोधन के या संशोधनों के साथ पारित कर सकती है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर इसे पारित नहीं करती है, तो यह दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, सभापति या वित्त मंत्री का निर्णय अंतिम नहीं होता। यह अधिकार केवल लोकसभा अध्यक्ष को प्राप्त है।
प्रश्न 19: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय करने की शक्ति किसके पास है?
- संबंधित सदन का अध्यक्ष/सभापति
- संसद की एक समिति
- निर्वाचन आयोग
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत, किसी विधायक या सांसद को दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित करने का अंतिम निर्णय उस सदन के अध्यक्ष (लोकसभा या विधानसभा) या सभापति (राज्यसभा) द्वारा किया जाता है, जिसकी वह सदस्य है।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, अध्यक्ष/सभापति को यह निर्णय लेने से पहले निर्वाचन आयोग से सलाह लेने की आवश्यकता हो सकती है, जैसा कि कुछ अदालती फैसलों में सुझाया गया है, लेकिन अंतिम निर्णयकर्ता अध्यक्ष/सभापति ही होते हैं।
- गलत विकल्प: संसद की समिति, निर्वाचन आयोग या सर्वोच्च न्यायालय सीधे तौर पर दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय नहीं करते, यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय अध्यक्ष/सभापति के निर्णयों की समीक्षा कर सकता है।
प्रश्न 20: भारत के संविधान का कौन सा भाग ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व नागरिकों के अधिकारों को लागू करने के लिए सरकार को मार्गदर्शन देने हेतु हैं। ये गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें न्यायालय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन ये राज्य के लिए मौलिक हैं और कानून बनाने में इनका प्रयोग करना राज्य का कर्तव्य होगा (अनुच्छेद 37)।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है (अनुच्छेद 51A)। भाग V संघ सरकार से संबंधित है।
प्रश्न 21: किस संवैधानिक संशोधन ने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन करके मतदान की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवा आबादी को राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक भागीदारी देना था, जिससे लोकतंत्र अधिक समावेशी बन सके। यह संशोधन 28 मार्च, 1989 से प्रभावी हुआ।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन कई महत्वपूर्ण प्रावधान लाया (जैसे प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ शब्द जोड़ना)। 44वां संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारत का प्रधानमंत्री:
- संसद द्वारा चुना जाता है।
- लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है।
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- (b) और (c) दोनों सही हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो राष्ट्रपति विवेक का प्रयोग कर सकते हैं और उस व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं जिसके बारे में उनका मानना है कि वह संसद में बहुमत का विश्वास प्राप्त कर सकता है। हालाँकि, प्रधानमंत्री को नियुक्त होने के 30 दिनों के भीतर लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करना होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सीधे ‘चुने’ नहीं जाते, बल्कि नियुक्त होते हैं। हालांकि, उनकी नियुक्ति का आधार लोकसभा में बहुमत होता है। इसलिए, (b) और (c) दोनों सत्य हैं।
प्रश्न 23: भारत के संविधान में ‘अधिकारों का विधेयक’ (Bill of Rights) जैसा कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हमारे मौलिक अधिकार संविधान के किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III, अनुच्छेद 12 से 35 तक, मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये अधिकार व्यक्तियों के विकास के लिए आवश्यक माने जाते हैं और न्यायसंगत (justiciable) होते हैं, जिसका अर्थ है कि यदि इनका उल्लंघन होता है तो नागरिक सीधे उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: भाग II नागरिकता से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग V संघ सरकार से संबंधित है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा भारत का ‘प्रथम नागरिक’ माना जाता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का राष्ट्रपति, संविधान के अनुसार, देश का प्रथम नागरिक होता है। वह राष्ट्र का प्रमुख होता है।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और वास्तविक कार्यकारी शक्ति रखता है, लेकिन संवैधानिक पद और राष्ट्र की समग्रता का प्रतिनिधित्व करने के कारण राष्ट्रपति को प्रथम नागरिक माना जाता है। यह पद प्रतिष्ठा और प्रोटोकॉल से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, न कि राष्ट्र के। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं। लोकसभा अध्यक्ष निम्न सदन के प्रमुख होते हैं।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस वर्ष भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया था?
- 2000
- 2005
- 2014
- 2017
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की प्रणाली को 2014 में समाप्त कर दिया गया था, जब तत्कालीन सरकार ने नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना की, जिसने योजना आयोग (Planning Commission) की जगह ली।
- संदर्भ और विस्तार: 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) अंतिम पंचवर्षीय योजना थी। नीति आयोग का गठन 1 जनवरी 2015 को हुआ था, जिसने योजनाओं के विकास और कार्यान्वयन के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाया, जो अधिक गतिशील और सहयोगी है।
- गलत विकल्प: 2000, 2005 और 2014 वे वर्ष नहीं हैं जब पंचवर्षीय योजनाओं को औपचारिक रूप से समाप्त किया गया था। 2017 वह वर्ष था जब 12वीं पंचवर्षीय योजना समाप्त हुई और नीति आयोग सक्रिय हो गया।