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संवैधानिक महारथी: आज की चुनौती

संवैधानिक महारथी: आज की चुनौती

नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव और उसके संवैधानिक ढांचे की गहरी समझ किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता की कुंजी है। आज हम आपके ज्ञान की गहराई को परखने और आपकी वैचारिक स्पष्टता को और निखारने के लिए लाए हैं राजव्यवस्था के 25 अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न। आइए, अपनी तैयारी के इस दैनिक सफर में एक कदम आगे बढ़ाएं और संवैधानिक महारथी बनने की ओर अग्रसर हों!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपने ज्ञान का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार ‘सार्वभौमिकता’, ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘लोकतंत्र’ को सही ढंग से दर्शाता है?

  1. संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य
  2. संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, पंथनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
  3. संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
  4. संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (धर्मनिरपेक्ष) और ‘अखंडता’ शब्दों को जोड़ा गया था। मूल प्रस्तावना में ‘संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ शब्द थे। संशोधन के बाद, यह ‘संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ बन गया। इसलिए, विकल्प (c) इन शब्दों के सही क्रम और अर्थ को दर्शाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना भारत के संविधान का परिचय और दर्शन है। यह बताता है कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है, जिसका उद्देश्य अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) में शब्दों के क्रम या ‘धर्मनिरपेक्ष’ के स्थान पर ‘पंथनिरपेक्ष’ के सही प्रयोग में भिन्नता है, जो प्रस्तावना के अनुसार असंगत है। ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द का प्रयोग भारतीय संदर्भ में अधिक उपयुक्त माना जाता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता?

  1. शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
  2. सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. मिनर्वा मिल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ’ (1951) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि संसद के पास मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने की शक्ति है, और इस शक्ति का प्रयोग करके प्रस्तावना में भी संशोधन किया जा सकता है। यह मामला अनुच्छेद 368 के तहत संसद की संशोधन शक्ति से संबंधित था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय के बाद, संसद ने 1951 में पहले संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्दों को जोड़ने की कोशिश की। हालांकि, बाद में ‘केशवानंद भारती’ मामले (1973) में न्यायालय ने अपने पूर्व के निर्णयों को संशोधित करते हुए कहा कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है, और संसद इसमें संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे (Basic Structure) में कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। ‘मिनर्वा मिल्स’ मामले ने मूल ढांचे के सिद्धांत को और मजबूत किया।
  • गलत विकल्प: ‘सज्जन सिंह’ मामले (1965) ने भी मौलिक अधिकारों में संशोधन की शक्ति को स्वीकारा था। ‘केशवानंद भारती’ मामले ने कहा कि प्रस्तावना में संशोधन हो सकता है, लेकिन मूल ढांचा नहीं बदल सकता। ‘मिनर्वा मिल्स’ ने मूल ढांचे की सर्वोच्चता पर जोर दिया।

प्रश्न 3: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘मूल अधिकार’ नहीं है?

  1. शिक्षा का अधिकार
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  3. समानता का अधिकार
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘शिक्षा का अधिकार’ (Right to Education) मूल रूप से भारतीय संविधान में उल्लिखित मूल अधिकार नहीं था। इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान के भाग III में अनुच्छेद 21A के तहत एक मूल अधिकार के रूप में जोड़ा गया, जिसमें 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रश्न में पूछा गया है कि ‘संविधान के अनुसार’ कौन सा मूल अधिकार नहीं है। यद्यपि अब यह एक मूल अधिकार है, लेकिन मूल संविधान में यह मौलिक अधिकार नहीं था। प्रश्न की भाषा थोड़ी अस्पष्ट हो सकती है, लेकिन यह आम तौर पर उस अधिकार के बारे में पूछ रहा है जो मूल संविधान में मौलिक अधिकार नहीं था। अन्य विकल्प (b), (c), (d) सीधे तौर पर भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के रूप में सूचीबद्ध हैं: अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), अनुच्छेद 14 (समानता), और अनुच्छेद 25-28 (धर्म की स्वतंत्रता)।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 25 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है। ये सभी मूल रूप से संविधान में निहित थे।

प्रश्न 4: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का उद्देश्य क्या है?

  1. संसद के विवेकाधिकार को सीमित करना
  2. राजनीतिक समानता स्थापित करना
  3. सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना
  4. नागरिकों के मूल अधिकारों की गारंटी देना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं। इनका मुख्य उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना, सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना है। यह नागरिकों के लिए एक न्यायसंगत और समतावादी समाज बनाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि यदि राज्य इन्हें लागू करने में विफल रहता है, तो नागरिक न्यायालय की शरण नहीं ले सकते। इसके विपरीत, मूल अधिकार न्यायोचित हैं। DPSP देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य इन सिद्धांतों को लागू करने का प्रयास करेगा (अनुच्छेद 37)।
  • गलत विकल्प: (a) DPSP संसद के विवेकाधिकार को सीमित नहीं करते, बल्कि शासन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। (b) राजनीतिक समानता मूल अधिकारों (अनुच्छेद 14, 325) से संबंधित है। (d) मूल अधिकारों की गारंटी भाग III में दी गई है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन मूल कर्तव्यों (Fundamental Duties) के बारे में सत्य नहीं है?

  1. यह संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत सूचीबद्ध हैं।
  2. यह केवल नागरिकों पर लागू होते हैं, विदेशियों पर नहीं।
  3. ये न्यायोचित (justiciable) हैं और इनके उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
  4. इन्हें सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर शामिल किया गया था।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत जोड़ा गया था। इन्हें सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर शामिल किया गया था। ये कर्तव्य नागरिकों के नैतिक दायित्व हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मूल कर्तव्य न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, अर्थात इनका उल्लंघन करने पर कोई कानूनी दंड नहीं है। ये केवल नागरिकों के लिए नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हालांकि, संसद कानूनों के माध्यम से इन कर्तव्यों को लागू करने के लिए प्रावधान कर सकती है, लेकिन स्वतः ये लागू नहीं होते।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी कथन सत्य हैं। (a) सही है क्योंकि मूल कर्तव्य भाग IV-A, अनुच्छेद 51A में हैं। (b) सही है क्योंकि ये नागरिकों के लिए हैं। (d) सही है क्योंकि इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़ा गया था। (c) असत्य है क्योंकि मूल कर्तव्य न्यायोचित नहीं हैं।

प्रश्न 6: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  2. संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
  3. राज्य विधानमंडलों के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ले सकते हैं।
  4. राष्ट्रपति के चुनाव में दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभाओं के सदस्य भाग नहीं लेते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधानसभाओं (और दिल्ली तथा पुडुचेरी की विधानसभाओं) के निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा, आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति का चुनाव एक अप्रत्यक्ष चुनाव है। केवल निर्वाचित सदस्य ही भाग लेते हैं, मनोनीत सदस्य नहीं। दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर) के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने का अधिकार है, जैसा कि 70वें संविधान संशोधन, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: (b) संसद के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते। (c) राज्य विधानमंडलों के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते। (d) दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभाओं के सदस्य भाग लेते हैं।

प्रश्न 7: भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
  2. उसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  3. वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
  4. वह केवल सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (AG) संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत नियुक्त किया जाता है। वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है, और उसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी का कर्तव्य है कि वह भारत सरकार को विधि संबंधी सलाह दे और उन विधिक कर्तव्यों का निर्वहन करे जो राष्ट्रपति द्वारा उसे सौपे जाएं। वह भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। इसका मतलब है कि वह केवल सर्वोच्च न्यायालय तक सीमित नहीं है, बल्कि किसी भी उच्च न्यायालय या ट्रिब्यूनल में भी सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी सही हैं। (d) असत्य है क्योंकि महान्यायवादी भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है, न कि केवल सर्वोच्च न्यायालय में।

प्रश्न 8: संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privileges) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. ये विशेषाधिकार संविधान के अनुच्छेद 105 में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध हैं।
  2. किसी भी विशेषाधिकार का उल्लंघन आपराधिक कार्रवाई को जन्म दे सकता है।
  3. संसद के सदन को अपने विशेषाधिकारों की रक्षा और प्रवर्तन का अधिकार नहीं है।
  4. संसदीय विशेषाधिकार केवल संसद सदस्यों पर लागू होते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 के अनुसार, संसद के प्रत्येक सदन को, उसके सदस्यों को और समितियों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। इन विशेषाधिकारों का मुख्य उद्देश्य संसद को प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाना है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि अनुच्छेद 105 विशेषाधिकारों का उल्लेख करता है, यह उन्हें पूरी तरह से सूचीबद्ध नहीं करता। विशेषाधिकारों का एक बड़ा भाग संसद के नियमों और प्रक्रियाइयों, न्यायिक निर्णयों और ऐतिहासिक परंपराओं से तय होता है। ये विशेषाधिकार संसद सदस्यों के साथ-साथ सदन और उसकी समितियों पर भी लागू होते हैं। यदि कोई इन विशेषाधिकारों का हनन करता है, तो संसद उसे दंडित कर सकती है, जो आपराधिक कार्रवाई से भिन्न हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (b) विशेषाधिकार हनन (Breach of Privilege) एक विशिष्ट प्रकृति का अपराध है जिसे संसद स्वयं तय करती है। (c) संसद को अपने विशेषाधिकारों की रक्षा और प्रवर्तन का पूर्ण अधिकार है। (d) ये विशेषाधिकार केवल सदस्यों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सदन और समितियों पर भी लागू होते हैं।

प्रश्न 9: लोकसभा अध्यक्ष (Speaker of Lok Sabha) के पद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  2. अध्यक्ष अपने पद से त्यागपत्र लोकसभा के उपाध्यक्ष को संबोधित करके देते हैं।
  3. अध्यक्ष को केवल उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है जो अनुच्छेद 191 के तहत विधायकों पर लागू होते हैं।
  4. अध्यक्ष के पास निर्णायक मत (Casting Vote) का अधिकार होता है, भले ही उन्होंने पहले मतदान किया हो।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष अपने पद से त्यागपत्र लोकसभा के उपाध्यक्ष को संबोधित करके देते हैं (अनुच्छेद 94)। अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके लिए 14 दिन पूर्व की सूचना आवश्यक होती है और प्रस्ताव संसद के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए (अनुच्छेद 94)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन रहते समय, वह सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें पीठासीन होने का अधिकार नहीं होता। निर्णायक मत का अधिकार अध्यक्ष को तभी होता है जब मतदान में मतों की संख्या बराबर हो, और उन्होंने स्वयं पहले मतदान नहीं किया हो।
  • गलत विकल्प: (a) अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्य करते हैं, राष्ट्रपति नहीं। (c) अनुच्छेद 191 विधायकों की अयोग्यता से संबंधित है, अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया अलग है। (d) अध्यक्ष को निर्णायक मत का अधिकार तब होता है जब वे पहले मतदान न करें और मत बराबर हों।

प्रश्न 10: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. नियुक्ति से पूर्व राष्ट्रपति को महान्यायवादी की सलाह लेनी आवश्यक है।
  3. उन्हें किसी भी सदन की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करने का अधिकार है।
  4. वे 65 वर्ष की आयु तक पद धारण करते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 124)। वे 65 वर्ष की आयु तक पद धारण करते हैं (अनुच्छेद 124(2))। नियुक्ति से पूर्व, राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श करना होता है जिन्हें वह इस प्रयोजन के लिए आवश्यक समझे। (कॉलेजियम प्रणाली का संदर्भ)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे किसी भी सदन की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करें। ऐसी संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सलाह की आवश्यकता महान्यायवादी से नहीं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों (कॉलेजियम) से होती है (जैसा कि विभिन्न न्यायिक निर्णयों में स्पष्ट हुआ है)।
  • गलत विकल्प: (a) सही है। (b) गलत है, सलाह महान्यायवादी से नहीं, बल्कि न्यायिक कॉलेजियम से ली जाती है। (c) गलत है, वे संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते। (d) सही है।

प्रश्न 11: भारतीय संघवाद (Indian Federalism) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. भारत एक ‘एकल, अविभाज्य और अविनाशी’ संघ है।
  2. संविधान की सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है।
  3. राज्य विधानमंडल संघ सूची के विषयों पर कानून बना सकते हैं।
  4. केंद्र-राज्य संबंधों को विनियमित करने के लिए कोई संवैधानिक तंत्र नहीं है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शक्तियों का विभाजन करती है, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का वितरण होता है। अनुच्छेद 246 इन सूचियों के तहत शक्तियों के वितरण से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत का संविधान कठोर अर्थों में संघवाद का अनुसरण नहीं करता, बल्कि इसे ‘एकात्मकता की ओर झुकाव वाला संघात्मक ढाँचा’ कहा जाता है। अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का एक संघ’ घोषित करता है, जो अविनाशी है (अनुच्छेद 1(1)), लेकिन यह ‘एकल, अविभाज्य संघ’ नहीं है जैसा कि अमेरिका में है। भारतीय संघवाद में केंद्र को राज्यों की तुलना में अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
  • गलत विकल्प: (a) भारत ‘एकल, अविभाज्य संघ’ की तरह अमेरिका जैसा नहीं है, बल्कि ‘राज्यों का संघ’ है। (c) केवल विशेष परिस्थितियों में ही राज्य संघ सूची के विषयों पर कानून बना सकते हैं (जैसे अनुच्छेद 249, 252)। (d) अनुच्छेद 263 जैसे प्रावधान केंद्र-राज्य संबंधों को विनियमित करने के लिए संवैधानिक तंत्र प्रदान करते हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
  3. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
  4. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना संसद द्वारा पारित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। संवैधानिक निकायों को संविधान द्वारा अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, जबकि सांविधिक निकायों को संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में हैं। (c) NHRC एक सांविधिक निकाय है, संवैधानिक नहीं।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने ‘ग्राम कचहरी’ की अवधारणा को पेश किया?

  1. भारतीय पंचायती राज अधिनियम, 1992
  2. पश्चिम बंगाल पंचायत अधिनियम, 1973
  3. बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006
  4. राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘ग्राम कचहरी’ (Gram Kachhari) की अवधारणा को विशेष रूप से बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 में पेश किया गया था। यह अधिनियम पंचायत को न्यायिक शक्तियाँ भी प्रदान करता है, जहाँ ग्राम कचहरी ग्राम स्तर पर एक न्यायिक निकाय के रूप में कार्य करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ग्राम कचहरी का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे दीवानी और आपराधिक मामलों का त्वरित न्याय दिलाना है। यह पंचायती राज व्यवस्था के तहत न्यायपालिका के विकेंद्रीकरण को दर्शाता है। अन्य पंचायती राज अधिनियमों में भी न्यायपालिका से संबंधित प्रावधान हो सकते हैं, लेकिन ‘ग्राम कचहरी’ शब्द और इसकी विशिष्ट संरचना बिहार अधिनियम से अधिक जुड़ी हुई है।
  • गलत विकल्प: (a) 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया, लेकिन ग्राम कचहरी की विशिष्ट अवधारणा बिहार अधिनियम में है। (b) पश्चिम बंगाल अधिनियम की अपनी संरचना है। (d) राजस्थान अधिनियम भी पंचायती राज के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन ग्राम कचहरी विशेष रूप से बिहार अधिनियम से संबंधित है।

प्रश्न 14: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. यह अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया जाता है।
  2. इसे युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
  3. एक बार घोषित होने पर, यह 6 महीने की अवधि के लिए बिना संसदीय अनुमोदन के जारी रहता है।
  4. अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किया जा सकता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (आंतरिक अशांति के स्थान पर 44वें संशोधन द्वारा प्रतिस्थापित) के आधार पर की जा सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 352 के तहत घोषित आपातकाल की उद्घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित की जानी चाहिए। यदि इसे अनुमोदित कर दिया जाता है, तो यह 6 महीने तक लागू रहता है। यदि इसे अनुमोदित नहीं किया जाता है, तो यह एक महीने के बाद समाप्त हो जाता है। 44वें संशोधन के बाद, इसे 6 महीने तक जारी रखने के लिए संसद का पुनः अनुमोदन आवश्यक है। अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता है (यह प्रावधान 44वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया है)।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) सही हैं। (c) गलत है क्योंकि आपातकाल को जारी रखने के लिए संसदीय अनुमोदन एक महीने के भीतर आवश्यक है, और यह स्वयं 6 महीने के लिए बिना अनुमोदन के जारी नहीं रहता। (d) सही है, अनुच्छेद 20 और 21 निलंबित नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 15: संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम, 2016 किस बारे में था?

  1. वस्तु एवं सेवा कर (GST) का कार्यान्वयन
  2. राज्यों के लिए विशेष प्रावधान
  3. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण
  4. शिक्षा का अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम, 2016 भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करने से संबंधित है। इस संशोधन ने अनुच्छेद 246A, 269A, 279A आदि को जोड़ा/संशोधित किया, जिसने GST परिषद के गठन और GST लागू करने की व्यवस्था की।
  • संदर्भ एवं विस्तार: GST एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित किया है। यह भारत को ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की ओर ले गया। इसने संघ और राज्यों दोनों को GST लगाने का अधिकार दिया।
  • गलत विकल्प: (b) राज्यों के लिए विशेष प्रावधान अन्य संशोधनों में मिलते हैं। (c) आरक्षण से संबंधित संशोधन अलग हैं। (d) शिक्षा का अधिकार 86वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा प्रस्ताव ‘लोकसभा’ में ही पेश किया जा सकता है?

  1. विश्वास प्रस्ताव (Confidence Motion)
  2. अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence Motion)
  3. धनान प्रस्ताव (Money Bill)
  4. सभी विकल्प

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ:
    * अविश्वास प्रस्ताव: संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसलिए, अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
    * विश्वास प्रस्ताव: यह भी लोकसभा में ही पेश किया जाता है, जब प्रधानमंत्री या कोई अन्य सदस्य यह साबित करना चाहता है कि सरकार के पास सदन का विश्वास है।
    * धनादेश विधेयक (Money Bill): संविधान के अनुच्छेद 110 के अनुसार, धनादेश विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन सभी प्रस्तावों की प्रकृति ऐसी है कि वे सीधे तौर पर मंत्रिपरिषद की जिम्मेदारी और विश्वास से जुड़े हैं, जो कि लोकसभा के प्रति होती है। राज्यसभा इन प्रस्तावों पर मतदान या उन्हें पारित/अस्वीकृत करने की शक्ति नहीं रखती है।
  • गलत विकल्प: चूँकि तीनों (विश्वास प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, धनान प्रस्ताव) केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं, इसलिए विकल्प (d) सही है।

प्रश्न 17: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?

  1. कार्यपालिका को अपने निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराना।
  2. विधायिका द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता की जांच करना।
  3. जनहित में सार्वजनिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप।
  4. अधिकार क्षेत्र के बाहर कार्यपालिका को निर्देश जारी करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता का अर्थ है कि न्यायपालिका, खासकर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय, जनहित में सार्वजनिक कार्यों को बढ़ावा देने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी शक्तियों का विस्तार करती है। यह अक्सर जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से व्यक्त होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक सक्रियता का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना, उपेक्षित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और विधायिका व कार्यपालिका की निष्क्रियता को दूर करना है। हालाँकि, इसके अतिरेक से ‘न्यायिक अतिरेक’ (Judicial Overreach) का आरोप भी लग सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराना न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का हिस्सा है। (b) विधायी कानूनों की संवैधानिकता की जांच न्यायिक समीक्षा है। (d) अधिकार क्षेत्र के बाहर निर्देश जारी करना न्यायिक अतिरेक हो सकता है। (c) जनहित में सार्वजनिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप न्यायिक सक्रियता का सबसे सटीक वर्णन है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति राष्ट्रपति के पास ‘सार्वजनिक महत्व के मामले में’ सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने के लिए है?

  1. अनुच्छेद 143
  2. अनुच्छेद 131
  3. अनुच्छेद 132
  4. अनुच्छेद 137

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न या विधि के प्रश्न पर, जो उत्पन्न हुआ हो या उत्पन्न होने की संभावना हो, सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श कर सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती। राष्ट्रपति इस सलाह को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। इसी तरह, अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है, अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार से, और अनुच्छेद 137 न्यायिक पुनरावलोकन (review) की शक्ति से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: (b) अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार (जैसे केंद्र-राज्य विवाद) से संबंधित है। (c) अनुच्छेद 132 सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार करता है। (d) अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपने ही किसी निर्णय या आदेश का पुनर्विलोकन करने की शक्ति देता है।

प्रश्न 19: ‘संसद का सदस्य न होते हुए भी, सदन में बोल सकने वाले व्यक्ति’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. वह भारत का महान्यायवादी हो सकता है।
  2. वह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक हो सकता है।
  3. वह भारत का प्रधान न्यायाधीश हो सकता है।
  4. वह किसी भी सदन द्वारा मनोनीत किया गया कोई भी व्यक्ति हो सकता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी (Attorney General of India) को यह अधिकार है कि वह संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सके, बोल सके और किसी भी समिति का सदस्य हो सके, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता। यह अधिकार केवल महान्यायवादी को प्राप्त है, जो संसद का सदस्य नहीं होता।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी, भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, और उसे यह अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है ताकि वह सरकार को कानूनी सलाह दे सके और सदन को आवश्यक विधिक जानकारी प्रदान कर सके।
  • गलत विकल्प: (b) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) संसद का सदस्य नहीं होता और न ही उसे सदन में बोलने का अधिकार है। (c) प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice) भी संसद का सदस्य नहीं होता और न ही उसे यह अधिकार है। (d) किसी भी सदन द्वारा मनोनीत व्यक्ति, यदि वह सदस्य नहीं है, तो वह सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही ढंग से मेल खाती है?

  1. अनुच्छेद 21A – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  2. अनुच्छेद 19(1)(g) – सूचना का अधिकार
  3. अनुच्छेद 32 – Habeas Corpus
  4. अनुच्छेद 226 – केवल सर्वोच्च न्यायालय में रिट जारी करने की शक्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ:
    * अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करता है, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट (जैसे Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo Warranto) जारी कर सकता है। Habeas Corpus का अर्थ है ‘शारीरिक उपस्थिति’, जिसका अर्थ है कि गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में पेश किया जाना चाहिए।
    * अनुच्छेद 21A शिक्षा का अधिकार है, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 21 है।
    * सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में निहित है, न कि 19(1)(g) (व्यापार, पेशा, व्यवसाय आदि करने का अधिकार) में।
    * अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को भी रिट जारी करने की शक्ति है, न कि केवल सर्वोच्च न्यायालय को।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रश्न विभिन्न अनुच्छेदों और उनसे जुड़े अधिकारों/विधियों के बारे में ज्ञान का परीक्षण करता है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि 21A शिक्षा का अधिकार है। (b) गलत है क्योंकि सूचना का अधिकार 19(1)(a) से संबंधित है। (d) गलत है क्योंकि 226 उच्च न्यायालयों को भी रिट जारी करने की शक्ति देता है। (c) सही मेल है क्योंकि अनुच्छेद 32 के तहत Habeas Corpus एक महत्वपूर्ण रिट है।

प्रश्न 21: भारत के संविधान के अनुसार, ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) किस अनुच्छेद में निहित है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ और ‘विधियों के समान संरक्षण’ का अधिकार देता है। ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा को इस अनुच्छेद में अंतर्निहित माना जाता है, जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, कानून सर्वोच्च है, और सभी कानून के अधीन हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ‘विधि का शासन’ ब्रिटिश संविधानविद् ए.वी. डायसी ने इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया था। इसका मुख्य सिद्धांत है कि सरकार कानून के अनुसार कार्य करे, न कि मनमाने ढंग से। यह स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है। ये अनुच्छेद भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ‘विधि का शासन’ की मुख्य अवधारणा अनुच्छेद 14 में समाहित है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  4. एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह इस शक्ति का उपयोग करके संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को असीमित नहीं रहने दिया और संविधान की पवित्रता व उसकी मूलभूत विशेषताओं को सुरक्षित रखा। मूल ढांचे में प्रस्तावना, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघात्मकता, न्यायिक स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: (a) गोलकनाथ मामले (1967) ने कहा था कि मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता, जिसे बाद में केशवानंद भारती मामले में संशोधित किया गया। (c) मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। (d) एस. आर. बोम्मई मामला (1994) केंद्र-राज्य संबंधों और राष्ट्रपति शासन से संबंधित है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक सीमा’ (Constitutional Monarchy) के संदर्भ में उपयुक्त है?

  1. भारत
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका
  4. चीन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संवैधानिक राजशाही (Constitutional Monarchy) एक ऐसी शासन प्रणाली है जहाँ एक राजा या रानी राष्ट्र का प्रमुख होता है, लेकिन उनकी शक्तियाँ संविधान द्वारा सीमित होती हैं। यूनाइटेड किंगडम (UK) इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ राजा/रानी केवल एक औपचारिक प्रमुख होते हैं और वास्तविक शक्ति निर्वाचित सरकार के पास होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत एक ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ (Democratic Republic) है, जहाँ राष्ट्र का प्रमुख (राष्ट्रपति) अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है और उसकी शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं, लेकिन यह राजशाही नहीं है। अमेरिका एक ‘संघीय गणराज्य’ (Federal Republic) है। चीन एक ‘समाजवादी गणराज्य’ है।
  • गलत विकल्प: (a) भारत एक गणराज्य है, राजशाही नहीं। (c) अमेरिका एक गणराज्य है। (d) चीन एक समाजवादी गणराज्य है, जहाँ एकदलीय शासन है।

प्रश्न 24: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को वित्तीय सहायता किस अनुच्छेद के तहत प्रदान की जाती है?

  1. अनुच्छेद 275
  2. अनुच्छेद 280
  3. अनुच्छेद 262
  4. अनुच्छेद 267

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 275 के अनुसार, संसद विधि द्वारा ऐसे अनुदान (grants) निर्दिष्ट कर सकती है, जो राज्यों को लोक कल्याण के लिए आवश्यक हों। इसके तहत केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 275 के तहत अनुदान ‘संसदीय विधियों’ पर आधारित होते हैं और ये किसी विशेष राज्य को भी दिए जा सकते हैं। इसके विपरीत, अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन से संबंधित है, जो केंद्र-राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के बंटवारे की सिफारिश करता है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों के समाधान से संबंधित है, और अनुच्छेद 267 आकस्मिकता निधि (Contingency Fund of India) से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: (b) अनुच्छेद 280 वित्त आयोग से संबंधित है। (c) अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों से संबंधित है। (d) अनुच्छेद 267 भारत की आकस्मिकता निधि से संबंधित है, न कि राज्यों को सीधे वित्तीय सहायता से।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन से ‘संवैधानिक संशोधन’ मूल अधिकारों से संबंधित हैं?

  1. 44वां संशोधन, 1978
  2. 24वां संशोधन, 1971
  3. 16वां संशोधन, 1963
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ:
    * 44वां संशोधन, 1978: इसने संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार (अनुच्छेद 31) से हटाकर अनुच्छेद 300A के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना दिया।
    * 24वां संशोधन, 1971: इसने यह स्पष्ट किया कि संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने की शक्ति है (गोलकनाथ मामले के निर्णय को पलटने के लिए)।
    * 16वां संशोधन, 1963: इसने मौलिक अधिकार (जैसे अनुच्छेद 19(2) और 15(4)) के तहत कुछ प्रतिबंधों को बढ़ावा देने के लिए ‘संप्रभुता’, ‘अखंडता’ और ‘राष्ट्र की एकता’ जैसे शब्दों को शामिल किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये सभी संशोधन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मौलिक अधिकारों की प्रकृति, व्याप्ति या उनमें संशोधन की शक्ति से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: क्योंकि सभी दिए गए संशोधन किसी न किसी रूप में मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

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