संवैधानिक महारथी: आज का शक्ति परीक्षण
अपनी संवैधानिक समझ को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह राजव्यवस्था प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान की गहराई को नापने और महत्वपूर्ण अवधारणाओं को स्पष्ट करने का एक शानदार अवसर है। आइए, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के हर पहलू को छूते हुए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह भारत के संविधान में किया गया सबसे महत्वपूर्ण संशोधन माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना को संशोधित किया ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भारत एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंड गणराज्य है। यह संशोधन इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
- गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वाँ संशोधन (1985) ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों को संविधान की 10वीं अनुसूची में जोड़ा। 73वाँ संशोधन (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान द्वारा केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के विभेद का प्रतिषेध करता है, यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ इन आधारों पर भेदभाव नहीं करेगा। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) ये अधिकार न केवल नागरिकों को बल्कि भारत में रहने वाले विदेशियों को भी प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 32 संविधान के भाग III में मौलिक अधिकार हैं जो सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) के लिए लागू होते हैं, सिवाय कुछ प्रतिबंधों के जो अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 में स्पष्ट रूप से नागरिकों के लिए आरक्षित हैं।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 57
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 62
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का प्रावधान अनुच्छेद 61 में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति पर ‘संवैधानिक आधारों के उल्लंघन’ के आरोप पर महाभियोग चलाया जा सकता है। यह आरोप किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा लगाया जा सकता है। महाभियोग प्रस्ताव को उस सदन की कुल सदस्यता के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और उस सदन की कुल सदस्यता के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल का उल्लेख करता है। अनुच्छेद 57 राष्ट्रपति के पुनः निर्वाचन की पात्रता बताता है। अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कराने के बारे में है।
प्रश्न 4: केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
- राष्ट्रपति
- लोकसभा
- राज्यसभा
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75(3) यह प्रावधान करता है कि मंत्रिपरिषद, जिसमें प्रधानमंत्री शामिल है, सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होगी।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद में अविश्वास व्यक्त करती है, तो उसे त्यागपत्र देना होगा। यह संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। व्यक्तिगत रूप से, मंत्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, लोकसभा को भंग कर सकते हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद सीधे उनके प्रति उत्तरदायी नहीं होती। राज्यसभा सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से हटा नहीं सकती। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद उनके प्रति नहीं, बल्कि लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व रखती है।
प्रश्न 5: किसी विधेयक के धन विधेयक होने या न होने का अंतिम निर्णय कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110(3) के अनुसार, किसी विधेयक के धन विधेयक होने या न होने के प्रश्न पर लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है।
- संदर्भ और विस्तार: एक बार जब लोकसभा अध्यक्ष किसी विधेयक को धन विधेयक प्रमाणित कर देता है, तो वह केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है और राज्यसभा में यह केवल 14 दिनों के लिए ही रह सकता है। राज्यसभा इसमें कोई संशोधन नहीं कर सकती, केवल सिफारिशें कर सकती है, जिन्हें मानना या न मानना लोकसभा पर निर्भर करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति की सहमति केवल साधारण या वित्तीय विधेयकों पर आवश्यक होती है, लेकिन धन विधेयक की परिभाषा का निर्णय उनका नहीं होता। प्रधानमंत्री और राज्यसभा के सभापति भी इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं ले सकते।
प्रश्न 6: सर्वोच्च न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन से मामले आते हैं?
- केवल भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद
- भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों के बीच विवाद, तथा एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद
- संसद के सदनों के बीच विवाद
- राज्य विधानमंडलों के बीच विवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय की आरंभिक (original) अधिकारिता अनुच्छेद 131 के अंतर्गत आती है, जिसमें भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों के बीच या विभिन्न राज्यों के बीच विवाद शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वे सभी मामले शामिल हैं जिनमें किसी ‘तथ्य’ या ‘कानून’ के प्रश्न का सारभूत रूप से विवाद हो और जो किसी ऐसे अधिकार पर आधारित हो जिसका अस्तित्व या विस्तार विवादास्पद हो। यह अधिकारिता केवल राज्यों के बीच या केंद्र और राज्यों के बीच के विवादों तक सीमित है, न कि व्यक्तियों के बीच या संसद/राज्य विधानमंडलों के बीच के विवादों तक।
- गलत विकल्प: संसद के सदनों के बीच या राज्य विधानमंडलों के बीच के विवाद सर्वोच्च न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता में नहीं आते।
प्रश्न 7: केंद्र-राज्य संबंधों में ‘ the ‘Administrative’ powers ‘ of the states’ के संबंध में कौन सा अनुच्छेद महत्त्वपूर्ण है?
- अनुच्छेद 256
- अनुच्छेद 257
- अनुच्छेद 262
- अनुच्छेद 263
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 256 यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक राज्य अपनी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग इस प्रकार करेगा कि संसद द्वारा पारित विधानों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके, और संघ की कार्यपालिका शक्तियों का विस्तार भी राज्यों को ऐसे निर्देश देने तक होगा जो भारत सरकार के लिए आवश्यक हों।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद केंद्र को राज्यों को निर्देश देने की शक्ति देता है, जिससे राज्यों की प्रशासनिक स्वायत्तता पर कुछ सीमाएं लगती हैं। अनुच्छेद 257 भी संघ को कुछ राज्यों पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है, विशेष रूप से सार्वजनिक महत्व के मामलों में। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यिक जल विवादों से संबंधित है, और अनुच्छेद 263 अंतर-राज्यीय परिषदों के गठन से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 257 संघ को राज्यों पर नियंत्रण की शक्ति देता है, लेकिन 256 प्रशासनिक शक्तियों के प्रयोग से संबंधित निर्देश देने की अधिक सीधी बात करता है। 262 और 263 केंद्र-राज्य संबंधों के अन्य पहलुओं से संबंधित हैं।
प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- संसद
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और सरकार के खर्चों की लेखा परीक्षा करता है। CAG भारत की संचित निधि, लोकनिधियों और सभी सरकारी उपक्रमों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, संसद और वित्त मंत्री CAG की नियुक्ति नहीं करते हैं। राष्ट्रपति संविधान के अनुसार यह नियुक्ति करते हैं।
प्रश्न 9: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष का कार्यकाल कितना होता है?
- 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
- 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
- 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
- 4 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अधिनियम, 1993 के तहत, NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, होता है।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC के अध्यक्ष आम तौर पर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं। वे पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होते।
- गलत विकल्प: 5 वर्ष का कार्यकाल कुछ अन्य निकायों में हो सकता है, लेकिन NHRC के लिए यह 3 वर्ष है। 70 वर्ष की आयु सीमा का संदर्भ सही है, लेकिन कार्यकाल 3 वर्ष का है।
प्रश्न 10: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX को जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने संविधान में 11वीं अनुसूची भी जोड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन भारत में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर था, जिसने पंचायती राज को तीन-स्तरीय (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर) प्रणाली के रूप में स्थापित किया।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन विधेयक क्रमशः पंचायती राज और नगरपालिकाएँ से संबंधित थे, लेकिन वे पारित नहीं हो सके और बाद में 73वें और 74वें संशोधनों के रूप में अधिनियमित हुए।
प्रश्न 11: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत, भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को गंभीर संकट है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन यह संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए। यदि यह एक महीने से अधिक समय तक लागू रहता है, तो इसे छह महीने की अवधि के लिए लागू रहने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 तब लागू होता है जब राज्य संघ के निर्देशों का पालन नहीं करते।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग IV-A
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy – DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व संविधान निर्माताओं द्वारा शासन के मूलभूत सिद्धांतों के रूप में शामिल किए गए थे, जिनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, अर्थात इनके उल्लंघन पर कोई भी नागरिक न्यायालय में नहीं जा सकता।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य भारतीय संविधान में मूलतः शामिल था?
- राष्ट्रगान का सम्मान करना
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना
- 6 से 14 वर्ष की आयु के अपने बच्चों या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान के भाग IV-A (मौलिक कर्तव्य) में अनुच्छेद 51-A (k) जोड़ा गया, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक जिसका वह माता-पिता या संरक्षक है, 6 से 14 वर्ष की आयु के अपने बच्चों या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे। यह मूल रूप से संविधान में शामिल नहीं था, बल्कि बाद में जोड़ा गया।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था। इसमें अनुच्छेद 51-A (a) से (j) तक 10 कर्तव्य शामिल थे। राष्ट्रगान का सम्मान (a), सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना (g), और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना (h) ये सभी मूल 10 कर्तव्यों में से हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) मूल 10 मौलिक कर्तव्यों में से हैं जो 1976 में जोड़े गए थे। विकल्प (d) 2002 में जोड़ा गया।
प्रश्न 14: उप-राष्ट्रपति के चुनाव में कौन-कौन भाग लेते हैं?
- केवल लोकसभा के सदस्य
- लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 66 के अनुसार, संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य शामिल होते हैं। यह राष्ट्रपति के चुनाव से अलग है, जहाँ केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: केवल लोकसभा या केवल निर्वाचित सदस्य भाग नहीं लेते। राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति ‘लोक लेखा समिति’ (PAC) की जुड़वां बहन’ कहलाती है?
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings)
- याचिका समिति (Committee on Petitions)
- आश्वासन समिति (Committee on Government Assurances)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) को प्रायः लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) की ‘जुड़वां बहन’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति सरकार के खर्चों की लेखा-परीक्षा करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक धन का व्यय विधिवत और मितव्ययी ढंग से हुआ है। प्राक्कलन समिति का मुख्य कार्य यह देखना है कि क्या अनुमानों में उल्लिखित नीतियां कुशल हैं और क्या वे मितव्ययिता और दक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप हैं। दोनों समितियां व्यय पर नियंत्रण रखती हैं, एक लेखा-परीक्षा के माध्यम से और दूसरी व्यय के अनुमानों के माध्यम से।
- गलत विकल्प: सरकारी उपक्रम समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन की जांच करती है, याचिका समिति जनता की शिकायतों से निपटती है, और आश्वासन समिति सरकारी आश्वासन के कार्यान्वयन की जांच करती है। ये PAC की जुड़वां बहन नहीं कहलातीं।
प्रश्न 16: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- संबंधित सदन का अध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय
- निर्वाचन आयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के पैरा 6(1) के अनुसार, किसी सदन के सदस्य की अयोग्यता का अवधारण, चाहे वह दल-बदल के आधार पर हो या किसी अन्य आधार पर, उस सदन के अध्यक्ष (लोकसभा में अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति) द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिकार क्षेत्र की न्यायिक समीक्षा की शक्ति को भी मान्यता दी है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति केवल निर्वाचन आयोग की सलाह पर अयोग्यता का निर्णय लेते हैं, न कि सीधे दल-बदल के मामले में। सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग की भूमिका सहायक हो सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय अध्यक्ष का होता है।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किन-किन रूपों में किया गया है?
- केवल सामाजिक और आर्थिक
- राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक
- सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक
- सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक को समान अवसर मिले और किसी भी व्यक्ति के साथ सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक आधार पर भेदभाव न हो। प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का संकल्प लेती है और अपने सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करती है: न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की), समता (प्रतिष्ठा और अवसर की), और बंधुत्व (व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता)।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ न्याय का प्रत्यक्ष रूप से उल्लेख नहीं है, हालांकि पंथनिरपेक्षता (secularism) के माध्यम से सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान सुनिश्चित किया जाता है। ‘राजनीतिक’ न्याय भी एक महत्वपूर्ण तत्व है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल राज्य के विधायी कृत्यों के विरुद्ध उपलब्ध है, न कि कार्यकारी कृत्यों के विरुद्ध?
- अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध)
- अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता)
- अनुच्छेद 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि संबंधी कुछ अधिकार)
- अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 के अनुसार, राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। यह अधिकार केवल राज्य के विरुद्ध है, न कि नागरिकों के बीच किसी निजी विभेद के विरुद्ध।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि राज्य (सरकार) भेदभावपूर्ण कानून नहीं बना सकता। हालांकि, यह अधिकार अनुच्छेद 15(2) में विस्तारित है जो राज्य और निजी दोनों के विरुद्ध लागू होता है, लेकिन मुख्य प्रावधान (15(1)) राज्य के विधायी और कार्यकारी कृत्यों के विरुद्ध है। प्रश्न में ‘विधायी कृत्यों’ के विरुद्ध पूछा गया है, जो 15(1) का मुख्य लक्ष्य है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 16 (अवसर की समता) राज्य के विधायी और कार्यकारी दोनों कृत्यों के विरुद्ध है। अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता) भी मुख्य रूप से राज्य के कृत्यों के विरुद्ध है। अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि) भी राज्य के कृत्यों के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 15(1) विशेष रूप से राज्य के विभेदपूर्ण विधायी कृत्यों को लक्षित करता है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी ‘संवैधानिक संस्था’ नहीं है?
- निर्वाचन आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी प्रस्ताव के माध्यम से गठित एक निकाय है, न कि संविधान के तहत स्थापित संवैधानिक संस्था। निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे हैं जिनके गठन, शक्तियाँ और कार्य सीधे संविधान में वर्णित हैं। नीति आयोग ने योजना आयोग का स्थान लिया और इसे थिंक टैंक के रूप में कार्य करने के लिए बनाया गया है।
- गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और वित्त आयोग तीनों ही भारतीय संविधान के तहत स्थापित निकाय हैं और इसलिए संवैधानिक संस्थाएँ हैं।
प्रश्न 20: भारत में ‘अटॉर्नी जनरल’ (महान्यायवादी) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- विधि मंत्री
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। वह भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकारी होता है और भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पेश होता है। महान्यायवादी वही व्यक्ति होता है जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, विधि मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते, बल्कि राष्ट्रपति यह कार्य करते हैं।
प्रश्न 21: ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास होती हैं?
- केवल संसद के पास
- संसद और राज्य विधानमंडलों के पास समान रूप से
- केवल राज्य विधानमंडलों के पास
- राष्ट्रपति के विवेक पर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट विधायी शक्तियों, अर्थात वे विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं, पर कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि यदि कोई ऐसा नया विषय सामने आता है जो मौजूदा सूचियों में शामिल नहीं है, तो उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार (संसद) के पास होगा। यह भारत को एक अर्ध-संघीय (Quasi-federal) ढाँचा प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: अवशिष्ट शक्तियाँ संसद और राज्यों के पास समान रूप से नहीं हैं। ये पूरी तरह से राज्यों के पास नहीं हैं। राष्ट्रपति के विवेक पर भी नहीं हैं, बल्कि संसद की विधायी शक्ति के अंतर्गत आती हैं।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को लोक पद धारण करने से रोकने के लिए जारी की जाती है?
- हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
- मेंडमस (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
उत्तर: (f)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) रिट तब जारी की जाती है जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे लोक पद पर गैर-कानूनी रूप से धारण कर लेता है, जिसका वह हकदार नहीं है। इसके माध्यम से न्यायालय यह पूछता है कि वह किस अधिकार से उस पद पर है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट गैर-कानूनी तरीके से लोक पद पर काबिज होने वाले व्यक्ति को उस पद से हटाती है। यह सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) द्वारा जारी की जा सकती है।
- गलत विकल्प: हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) अवैध बंदी बनाए गए व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए है। मेंडमस (परमादेश) किसी लोक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने के लिए जारी किया जाता है। उत्प्रेषण (Certiorari) और प्रतिषेध (Prohibition) अधीनस्थ न्यायालयों को उनकी अधिकारिता से संबंधित होते हैं।
प्रश्न 23: अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) का गठन कौन कर सकता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- संसद
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) का गठन राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 263 के तहत किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिषद राज्यों के बीच या केंद्र और राज्यों के बीच सामान्य हित के विषयों पर जांच और सिफारिशें करने के लिए स्थापित की जाती है। 1990 में सरकारिया आयोग की सिफारिशों के बाद इसे स्थापित किया गया था।
- गलत विकल्प: अंतर-राज्यीय परिषद का गठन सीधे प्रधानमंत्री, संसद या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं किया जाता है, हालांकि इन संस्थाओं की भूमिका हो सकती है। राष्ट्रपति का अधिकार क्षेत्र सीधे संविधान में वर्णित है।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’ का उल्लेख किस-किस रूप में किया गया है?
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना
- विचार, संगठन, अभिव्यक्ति, विश्वास और धर्म
- अभिव्यक्ति, धर्म, उपासना, संघ और संगठन
- विचार, विश्वास, धर्म, उपासना और व्यवसाय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिए विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: ये स्वतंत्रताएँ संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के रूप में विस्तृत रूप से प्रदान की गई हैं (विशेषकर अनुच्छेद 19 और 25-28)। प्रस्तावना इन मूल स्वतंत्रता की भावना को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प स्वतंत्रता के कुछ तत्वों को छोड़ देते हैं या गलत तत्व जोड़ते हैं, जैसे ‘संगठन’, ‘संघ’ या ‘व्यवसाय’। जबकि कुछ हद तक ये स्वतंत्रताएँ भी प्रदान की जाती हैं (जैसे अनुच्छेद 19 के तहत), प्रस्तावना में विशिष्ट रूप से उल्लिखित पाँच स्वतंत्रताएँ विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की हैं।
प्रश्न 25: भारत में ‘संवैधानिक सरकार’ का अर्थ है:
- जनता द्वारा चुनी गई सरकार, लेकिन संविधान के अधीन नहीं
- जनता द्वारा चुनी गई सरकार, जो संविधान के प्रावधानों और सीमाओं के अधीन हो
- केवल केंद्र सरकार, जो संविधान के अनुसार कार्य करे
- कोई भी सरकार, जो लोगों के कल्याण के लिए कार्य करे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: संवैधानिक सरकार वह सरकार है जो एक संविधान द्वारा शासित होती है और उस संविधान के नियमों, प्रक्रियाओं और सीमाओं के भीतर कार्य करती है। यह लोगों द्वारा चुनी जाती है लेकिन मनमानी सत्ता का प्रयोग नहीं कर सकती।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित करता है और नागरिकों के अधिकारों की गारंटी देता है। भारतीय लोकतंत्र एक संवैधानिक सरकार का उदाहरण है जहाँ सत्ता का स्रोत जनता है, लेकिन उस सत्ता का प्रयोग संविधान द्वारा निर्धारित ढांचे के भीतर ही किया जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि सरकार संविधान के अधीन होती है। विकल्प (c) गलत है क्योंकि यह केवल केंद्र सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शासन प्रणाली पर लागू होता है। विकल्प (d) सही दिशा में है लेकिन ‘संवैधानिक’ का सार तत्व संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं और प्रक्रियाओं का पालन करना है, न कि केवल जन कल्याण।