संवैधानिक महारत: खुद को आजमाएं!
नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय संविधान और राजव्यवस्था की अपनी समझ को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज का अभ्यास सत्र आपके वैचारिक ज्ञान की गहराई को नापने और परीक्षा की वास्तविक चुनौती के लिए आपको तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, अपने संवैधानिक ढांचे की बारीकियों में उतरें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इस संशोधन को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़कर, संविधान का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना था जो सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा दे। हालाँकि, भारतीय संविधान के मूल ढांचे में इन शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया था, सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में यह माना था कि प्रस्तावना संविधान का अंग है और इसे संशोधित किया जा सकता है, लेकिन इसके मूल ढांचे को नहीं बदला जा सकता।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है (दसवीं अनुसूची)। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 2: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को किसी राज्य के राज्यपाल के कृत्यों को निर्वहन करने के लिए या किसी राज्य के राज्यपाल के कृत्यों के निर्वहन के दौरान अपनी𝓢unctions के अतिरिक्त, किन्हीं अन्य राज्य के राज्यपाल के कृत्यों को करने के लिए उपबंध करने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 153
- अनुच्छेद 157
- अनुच्छेद 160
- अनुच्छेद 163
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 160 राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह ऐसे आकस्मिकताओं में, जिनका उपबंध संविधान में नहीं किया गया है, राज्यपाल के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसे प्रावधान कर सकता है जैसे वह ठीक समझे। यह आमतौर पर तब लागू होता है जब किसी राज्य के राज्यपाल का पद रिक्त हो या वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रावधान का उपयोग अक्सर किसी अन्य राज्य के राज्यपाल को अस्थायी रूप से एक से अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य करने का कार्यभार सौंपने के लिए किया जाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 153 कहता है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा, लेकिन यह भी प्रावधान करता है कि सातवें संशोधन अधिनियम (1956) के बाद एक ही व्यक्ति दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। अनुच्छेद 157 राज्यपाल के पद के लिए योग्यताएँ निर्धारित करता है। अनुच्छेद 163 राज्यपाल को सलाह और सहायता देने के लिए मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की गारंटी देता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता की गारंटी देता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर राज्य के अधीन किसी भी नियोजन या पद के संबंध में कोई अपात्रता, विभेद या अधिमान्य व्यवहार नहीं किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सरकारी नौकरियों में निष्पक्षता और समानता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके तहत कुछ अपवाद भी हैं, जैसे कि किसी विशेष राज्य का निवासी होना (अनुच्छेद 16(3)) या कुछ सेवाओं में आरक्षण (अनुच्छेद 16(4))।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की बात करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 4: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
- वे संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।
- उन्हें संसद सदस्यों के समान विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं (अनुच्छेद 76(1))। वे किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं और बोल सकते हैं, लेकिन मतदान नहीं कर सकते (अनुच्छेद 88)। सबसे महत्वपूर्ण बात, उन्हें संसद सदस्यों के समान ही विशेषाधिकार और छूट प्राप्त होती है (अनुच्छेद 105 के तहत)।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशेषाधिकार उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: कथन (d) गलत है क्योंकि महान्यायवादी को संसद सदस्यों के समान ही विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सार्वजनिक उपक्रम समिति’ (Committee on Public Undertakings) की वित्तीय समितियों में से एक है?
- लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सार्वजनिक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings)
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद की तीन प्रमुख वित्तीय समितियाँ हैं: लोक लेखा समिति (PAC), प्राक्कलन समिति (EC), और सार्वजनिक उपक्रम समिति (CPU)। ये तीनों ही सार्वजनिक धन के उचित उपयोग और सरकारी व्यय पर नियंत्रण रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य CAG की रिपोर्टों की जांच करना है। EC का मुख्य कार्य व्यय की अर्थव्यवस्था और दक्षता के बारे में सुझाव देना है। CPU का कार्य सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन की जांच करना है।
- गलत विकल्प: यहाँ सभी तीन समितियाँ वित्तीय समितियाँ हैं, इसलिए सभी विकल्प सही हैं।
प्रश्न 6: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए कौन सी योग्यता आवश्यक नहीं है?
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
- वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।
- वह किसी लाभ के पद पर आसीन न हो।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पद की योग्यताओं का उल्लेख अनुच्छेद 58 में किया गया है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए व्यक्ति का भारत का नागरिक होना (अनुच्छेद 58(1)(a)), 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो (अनुच्छेद 58(1)(a)), और लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के योग्य हो (अनुच्छेद 58(1)(d))।
- संदर्भ और विस्तार: जहाँ तक ‘लाभ के पद’ (Office of Profit) का प्रश्न है, अनुच्छेद 58(2) कहता है कि जो व्यक्ति संघ सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन या उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी पद पर हो, सिवाय इसके कि वह पद, उस पद के धारक को राष्ट्रपति होने के लिए पात्र होने से निवारित न करे, वह राष्ट्रपति के पद का पात्र नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कोई लाभ का पद धारण नहीं करना चाहिए, सिवाय इसके कि जो पद राष्ट्रपति के लिए योग्यता का हिस्सा हो। इसलिए, “किसी लाभ के पद पर आसीन न हो” यह एक आवश्यक योग्यता है, लेकिन इसे उस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि यह गलत हो। राष्ट्रपति बनने वाला व्यक्ति पहले से लाभ का पद पर है तो उसे त्यागना पड़ता है। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सी योग्यता आवश्यक *नहीं* है। लाभ के पद पर न होना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: लाभ के पद पर न होना राष्ट्रपति पद के लिए एक **आवश्यक** योग्यता है। वह व्यक्ति जो लाभ के पद पर है, उसे राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले वह पद छोड़ना पड़ता है। इसलिए, यह कथन “आवश्यक नहीं है” के विपरीत है। अन्य सभी विकल्प (a, b, c) सीधे तौर पर अनुच्छेद 58 में दी गई राष्ट्रपति पद की योग्यताएँ हैं।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान में ‘मौलिक अधिकार’ किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) से संबंधित है, जो अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये अधिकार भारतीय नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन जीने की गारंटी देते हैं और राज्य की मनमानी शक्तियों पर अंकुश लगाते हैं। मौलिक अधिकारों को ‘न्यायोचित’ (justiciable) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि उनका उल्लंघन होने पर नागरिक सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP), भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य और भाग V संघ सरकार (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) से संबंधित है।
प्रश्न 8: भारत के संविधान के निर्माता ‘लोकप्रिय संप्रभुता’ (Popular Sovereignty) के विचार से प्रेरणा कहाँ से प्राप्त करते हैं?
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिकी संविधान
- फ्रांसीसी क्रांति
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘हम, भारत के लोग…’ से शुरू होती है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अंतिम शक्ति भारत की जनता में निहित है। यह ‘लोकप्रिय संप्रभुता’ का सिद्धांत है। इस विचार की प्रेरणा विभिन्न स्रोतों से ली गई है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना भी ‘हम, संयुक्त राज्य के लोग…’ से शुरू होती है, जो एक महत्वपूर्ण प्रभाव है। फ्रांसीसी क्रांति ने ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ के नारे के साथ स्वतंत्रता और लोकतंत्र के विचारों को बढ़ावा दिया, जो भारतीय संविधान के लोकाचार में भी परिलक्षित होते हैं। ब्रिटेन में संसदीय लोकतंत्र का विकास भी जनता की सर्वोच्चता का एक उदाहरण है।
- गलत विकल्प: भारतीय संविधान निर्माताओं ने लोकतान्त्रिक सिद्धांतों को विभिन्न संविधानों और क्रांतियों से लिया है, इसलिए उपरोक्त सभी उत्तर सही है।
प्रश्न 9: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) में से कौन सा सिद्धांत ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने’ से संबंधित है?
- अनुच्छेद 48
- अनुच्छेद 48A
- अनुच्छेद 51
- अनुच्छेद 50
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 51 राज्य को निर्देश देता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने, राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने, अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधियों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करने और मध्यस्थता द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विवादों के निपटारे को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारत की विदेश नीति के मार्गदर्शन सिद्धांतों में से एक है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 48A पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार तथा वनों और वन्यजीवों की रक्षा से संबंधित है। अनुच्छेद 50 कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 10: भारत के राष्ट्रपति के आपातकालीन शक्तियों से संबंधित कौन सा अनुच्छेद, किसी विशेष क्षेत्र को ‘अनुसूचित क्षेत्र’ घोषित करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 244(1)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 244(1) राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है। पाँचवीं अनुसूची के अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी अनुसूचित क्षेत्र को निर्दिष्ट कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान पाँचवीं अनुसूची में हैं। राष्ट्रपति द्वारा ऐसी घोषणा उन क्षेत्रों के शासन पर विशेष ध्यान देने और स्थानीय जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए की जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं। ये आपातकाल की घोषणा से संबंधित हैं, न कि अनुसूचित क्षेत्रों के निर्धारण से।
प्रश्न 11: भारत में ‘नई अखिल भारतीय सेवाओं’ के सृजन के लिए निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद के पास विशेष शक्ति है?
- अनुच्छेद 312
- अनुच्छेद 315
- अनुच्छेद 320
- अनुच्छेद 324
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 312 भारतीय संविधान में नई अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन की शक्ति संसद को प्रदान करता है। इसके लिए, राज्यसभा को उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव पारित करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, तीन अखिल भारतीय सेवाएँ हैं: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFoS)। यह प्रावधान संघवाद के सिद्धांत को संतुलित करता है, जो राज्य के प्रशासनिक ढांचे में राष्ट्रीय मानकों और एकरूपता को सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों के गठन का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 320 लोक सेवा आयोगों के कृत्य (functions) से संबंधित है। अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग की शक्ति और कार्यों से संबंधित है।
प्रश्न 12: ‘अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ’ (Residuary Legislative Powers) किसके पास निहित हैं?
- संसद
- राज्य विधानमंडल
- सर्वोच्च न्यायालय
- राष्ट्रपति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शक्तियों का विभाजन करती है। जिन विषयों का उल्लेख इन सूचियों में नहीं है, वे ‘अवशिष्ट विषय’ कहलाते हैं और उनके संबंध में विधायी शक्ति संसद में निहित है (अनुच्छेद 248)।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था कनाडा के संविधान से प्रेरित है। इसका मतलब है कि यदि कोई नया विषय सामने आता है जो किसी सूची में सूचीबद्ध नहीं है, तो उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार (संसद) के पास होगा।
- गलत विकल्प: राज्य विधानमंडल के पास केवल राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति है। सर्वोच्च न्यायालय एक न्यायिक निकाय है और विधायी शक्ति नहीं रखता। राष्ट्रपति कार्यकारी प्रमुख हैं, विधायी शक्ति उनके पास नहीं है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है, तथा अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों का अधिकार), केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन अधिकारों को विशेष रूप से नागरिकों के लिए आरक्षित किया गया है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में पूरी तरह से भाग ले सकें और राज्य के प्रति अपनी निष्ठा सुनिश्चित कर सकें।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) को उपलब्ध हैं।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है, जो नागरिकों को दिया गया है?
- केवल सामाजिक और राजनीतिक न्याय
- केवल आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- केवल सामाजिक न्याय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन प्रकार के न्याय का उल्लेख है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय। ये तीनों नागरिकों को प्रदान किए जाने का आश्वासन दिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, रंग, लिंग, धर्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में समान अवसर मिलना। ये सिद्धांत रूस की क्रांति (1917) से प्रभावित हैं।
- गलत विकल्प: केवल कुछ प्रकार के न्याय का उल्लेख करना प्रस्तावना के पूर्ण अर्थ को अधूरा कर देगा। प्रस्तावना इन तीनों को एक साथ सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 15: किस अधिनियम ने भारत में द्विसदनीय विधायिका (Bicameral Legislature) की स्थापना की?
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
- भारत सरकार अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) ने पहली बार भारत में द्विसदनीय विधायिका की स्थापना की। इसने केंद्रीय विधानमंडल को दो सदनों में विभाजित किया: राज्य परिषद (Council of State – ऊपरी सदन) और केंद्रीय विधान सभा (Legislative Assembly – निचला सदन)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिनियम भारत में उत्तरदायी सरकार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, हालांकि मताधिकार सीमित था।
- गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधान परिषदों में शामिल करने का पहला प्रयास था लेकिन द्विसदनीय विधायिका नहीं। 1892 का अधिनियम अप्रत्यक्ष चुनाव की शुरुआत करता है। 1909 का अधिनियम सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत करता है और परिषदों का विस्तार करता है, लेकिन द्विसदनीय विधायिका की स्थापना 1919 के अधिनियम से हुई।
प्रश्न 16: भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, राष्ट्रपति किसी भी समय लोक व्यवस्था में ‘शांति भंग’ (Breach of Peace) के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?
- अनुच्छेद 352(1) – बाह्य आक्रमण
- अनुच्छेद 352(1) – युद्ध
- अनुच्छेद 352(1) – सशस्त्र विद्रोह
- अनुच्छेद 352(1) – उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल रूप से, अनुच्छेद 352 (1) राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तीन आधारों पर करने की शक्ति देता था: युद्ध, बाह्य आक्रमण या ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance)। 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक अशांति’ शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ (Armed Rebellion) से बदल दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन आपातकाल की घोषणा के दुरुपयोग को रोकने और इसे अधिक परिभाषित करने के उद्देश्य से किया गया था। अब, राष्ट्रपति केवल इन तीन विशिष्ट आधारों पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: ‘लोक व्यवस्था में शांति भंग’ एक सामान्य शब्द है और वर्तमान में अनुच्छेद 352(1) में आपातकाल का आधार नहीं है। ‘सशस्त्र विद्रोह’ वह आधार है जिसने ‘आंतरिक अशांति’ का स्थान लिया है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संविधान संशोधन’ (Constitutional Amendment) प्रक्रिया के बारे में गलत है?
- संविधान का संशोधन केवल संसद के एक विशेष बहुमत से ही किया जा सकता है।
- कुछ अनुच्छेदों के संशोधन के लिए आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
- मौलिक अधिकारों को अनुच्छेद 368 के तहत भी संशोधित नहीं किया जा सकता है।
- संविधान की प्रस्तावना को अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित है। यह दो प्रकार के संशोधनों का प्रावधान करता है: (1) विशेष बहुमत द्वारा, और (2) विशेष बहुमत और आधे से अधिक राज्यों के अनुसमर्थन द्वारा।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि संसद संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, लेकिन संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता। प्रस्तावना को भी संशोधित किया जा सकता है, जैसा कि 42वें संशोधन में समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता आदि शब्दों को जोड़कर किया गया था, क्योंकि यह मूल ढांचे का हिस्सा नहीं माना गया।
- गलत विकल्प: कथन (c) गलत है क्योंकि मौलिक अधिकारों को अनुच्छेद 368 के तहत (मूल ढांचे को प्रभावित किए बिना) संशोधित किया जा सकता है। कथन (a), (b), और (d) सही हैं।
प्रश्न 18: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992, भारतीय संविधान में एक नया भाग कौन सा जोड़ा?
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग IX-B
- भाग X
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (Gram Panchayats) से संबंधित प्रावधान हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) संरचना प्रदान की और उन्हें संवैधानिक मान्यता देकर सशक्त बनाया। यह भारत में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: भाग IX-A नगरपालिकाओं से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया), भाग IX-B सहकारी समितियों से संबंधित है (97वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया), और भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का अंत और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के अंत का प्रावधान करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है। अस्पृश्यता से उपजी किसी भी अक्षमता को लागू करना भारतीय कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकारों के तहत एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार है, जिसका उद्देश्य जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करना है। अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (जिसे बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 कर दिया गया) इस अनुच्छेद को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता से संबंधित हैं।
प्रश्न 20: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर एक सामान्य विधिक अधिकार बना दिया?
- 25वां संशोधन अधिनियम, 1971
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को, जो पहले मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) था, को संविधान के भाग III से हटा दिया। अब यह एक विधिक अधिकार के रूप में संविधान के भाग XII के अनुच्छेद 300-A के तहत वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक सुधारों को बिना किसी संवैधानिक बाधा के लागू करना था, क्योंकि संपत्ति का अधिकार कभी-कभी विकास परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न करता था।
- गलत विकल्प: 25वां संशोधन (1971) ने कुछ नीति निदेशक सिद्धांतों को प्रभावी करने के लिए बनाए गए कानूनों को अनुच्छेद 14, 19 और 31 के तहत चुनौती से बचाया। 42वां संशोधन (1976) ने प्रस्तावना में समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, अखंडता जैसे शब्द जोड़े। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 40वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 56वां संशोधन अधिनियम, 1987
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A के तहत अनुच्छेद 51-A में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। मौलिक कर्तव्यों को जोड़ने की सिफारिश स्वर्ण सिंह समिति ने की थी। ये कर्तव्य न्यायोचित नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि इनके उल्लंघन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
- गलत विकल्प: 40वां संशोधन कुछ कानूनों को अनुसूची में शामिल करने से संबंधित था। 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से हटाता है। 56वां संशोधन गोवा को राज्य का दर्जा प्रदान करता है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) (अनुच्छेद 148) भारतीय संविधान के तहत स्थापित ‘संवैधानिक निकाय’ हैं, क्योंकि उनके पद और कार्यों का स्पष्ट उल्लेख संविधान में है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकायों को संविधान द्वारा विशेष अधिकार और शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं, और उनका प्रशासन संविधान के प्रावधानों द्वारा शासित होता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित एक ‘गैर-संवैधानिक’ या ‘सलाहकार’ निकाय है। इसका उल्लेख संविधान में नहीं है।
प्रश्न 23: किस वर्ष में भारत का संविधान अपनाया गया और लागू हुआ?
- 1947
- 1949
- 1950
- 1952
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: 26 नवंबर 1949 को संविधान के कुछ प्रावधान (जैसे नागरिकता, आपातकालीन प्रावधान, अंतरिम संसद आदि) तुरंत लागू हो गए थे, जबकि शेष संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
- गलत विकल्प: 1947 भारत की स्वतंत्रता का वर्ष है। 1949 वह वर्ष है जब संविधान अपनाया गया था, लेकिन पूरी तरह लागू नहीं हुआ था। 1952 भारत में पहला आम चुनाव हुआ था।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस रीट (Writ) का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’?
- हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- मेंडमस (Mandamus)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- सर्टिओरारी (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक रीट है जो सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) द्वारा किसी सार्वजनिक अधिकारी, सरकारी विभाग या निचली अदालत को सार्वजनिक कर्तव्य या वैधानिक दायित्व को करने के लिए जारी की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रीट तब जारी की जाती है जब कोई सार्वजनिक निकाय या अधिकारी अपने कानूनी कर्तव्य को करने से मना कर देता है या उपेक्षा करता है।
- गलत विकल्प: हेबियस कॉर्पस का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’ (अवैध हिरासत से रिहाई के लिए)। प्रोहिबिशन का अर्थ है ‘रोकना’ (निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकना)। सर्टिओरारी का अर्थ है ‘प्रमाणित होना’ (निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने के लिए)।
प्रश्न 25: भारत में ‘राज्य का राज्यपाल’ (Governor of a State) किसकी इच्छा पर पद धारण करता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- राज्य का मुख्यमंत्री
- राज्य का विधानमंडल
- भारत का प्रधानमंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 156(1) के अनुसार, राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करेगा। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति राज्यपाल को कभी भी हटा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, यह आमतौर पर राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह पर होता है। हालाँकि, पद धारण करने की अवधि राष्ट्रपति की ‘इच्छा’ पर निर्भर करती है, जो व्यवहार में केंद्र सरकार की इच्छा को दर्शाता है। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है, लेकिन यह राजनीतिक नियुक्ति है।
- गलत विकल्प: राज्यपाल का मुख्यमंत्री या राज्य विधानमंडल के प्रति सीधा उत्तरदायित्व नहीं होता है, न ही वे उसकी इच्छा पर पद धारण करते हैं। प्रधानमंत्री की भूमिका मुख्यमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति को सलाह देने तक सीमित है।