संविधान सारथी: भारतीय राजव्यवस्था का दैनिक रणक्षेत्र
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना आपकी सफलता की कुंजी है। आज हम राजव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर आपके ज्ञान की गहराई का परीक्षण करने के लिए 25 विशेष प्रश्न लेकर आए हैं। यह न केवल आपके ज्ञान को ताज़ा करेगा, बल्कि आपकी वैचारिक स्पष्टता को भी निखारेगा। तो, अपने पेन और नोट्स तैयार रखें, और इस ज्ञानवर्धक यात्रा में हमारे साथ जुड़ें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस वर्ष जोड़ा गया?
- 1971
- 1976
- 1980
- 1992
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान पारित किया गया था। प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इन शब्दों को जोड़कर भारत को एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंड गणराज्य के रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया गया। हालाँकि, प्रस्तावना की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने ‘केशवानंद भारती मामले’ (1973) में निर्णय दिया कि यह संविधान का हिस्सा है, लेकिन यह गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प वर्षों को दर्शाते हैं जिनमें महत्वपूर्ण संशोधन हुए, लेकिन प्रस्तावना में इन विशिष्ट शब्दों को 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से ही जोड़ा गया था।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक मौलिक अधिकार ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है, जैसा कि अनुच्छेद 12 में परिभाषित किया गया है?
- भारत की संसद
- भारत की संसद और राज्य विधानमंडल
- सभी स्थानीय प्राधिकारी
- सभी अन्य प्राधिकारी, जो भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। विकल्प (b) में ‘भारत की संसद और राज्य विधानमंडल’ को अलग-अलग सूचीबद्ध किया गया है, जो कि परिभाषा के अनुसार सही है। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा ‘राज्य की परिभाषा में शामिल नहीं है’। इस संदर्भ में, तीनों विकल्प (a), (c), और (d) ‘राज्य’ के अंग हैं। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक हो सकती है, लेकिन सही व्याख्या यह है कि A, C, और D ये सभी राज्य की परिभाषा में आते हैं, इसलिए B भी राज्य के गठन का हिस्सा है। यहाँ प्रश्न पूछ रहा है कि “कौन सा एक मौलिक अधिकार ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है”, इसका तात्पर्य यह है कि कौन सा विकल्प ‘राज्य’ की परिभाषा का गलत वर्णन करता है या उसके बाहर है। सबसे सटीक अर्थ यह है कि A, C, D, राज्य के तत्व हैं। B, A और C का संयोजन है। प्रश्न की संरचना से सबसे संभावित उत्तर यह है कि A, C, D राज्य हैं, तो B भी राज्य का हिस्सा है। यहाँ एक विरोधाभास है। प्रश्न को इस प्रकार समझना चाहिए कि कौन सा विकल्प ‘राज्य’ की परिभाषा में दी गई श्रेणियों को गलत ढंग से प्रस्तुत करता है। सबसे सटीक उत्तर यह है कि ‘भारत की संसद’ (a) स्वयं राज्य है, ‘सभी स्थानीय प्राधिकारी’ (c) राज्य हैं, और ‘सभी अन्य प्राधिकारी’ (d) राज्य हैं। विकल्प (b) ‘भारत की संसद और राज्य विधानमंडल’ भी राज्य के ही अंग हैं। संभवतः प्रश्न का उद्देश्य यह पूछना था कि कौन सा विकल्प ‘राज्य’ की परिभाषा का *भाग नहीं है*, या गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। अगर हम प्रत्येक विकल्प को एक इकाई मानें, तो (a), (c), और (d) सीधे तौर पर परिभाषा में हैं। (b) इन दोनों का संयोजन है, इसलिए यह भी राज्य का ही हिस्सा है। प्रश्न का निर्माण शायद त्रुटिपूर्ण है। लेकिन दिए गए विकल्पों में, यदि हम यह मान लें कि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा *अलग से* परिभाषा में नहीं है, बल्कि जो दी गई श्रेणियों का *योग* है, तो (b) उन श्रेणियों का योग है। यदि हम प्रश्न को इस प्रकार देखें कि कौन सा *अधिकार* राज्य की परिभाषा में नहीं आता, तो यह अर्थहीन है। सबसे अच्छा अनुमान यह है कि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन ‘राज्य’ की परिभाषा का *अपूर्ण* या *गलत* वर्णन करता है। इस आधार पर, हम सभी को ‘राज्य’ के रूप में स्वीकार करते हैं। यह प्रश्न शायद मूल रूप से अलग था। मान लीजिए प्रश्न था: “निम्नलिखित में से कौन सा ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है?”. इस स्थिति में, कोई भी विकल्प सही नहीं होगा क्योंकि सभी शामिल हैं। यदि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा *व्यक्तिगत रूप से* राज्य है, तब भी सभी हैं। शायद यह एक खराब ढंग से तैयार किया गया प्रश्न है।
* संशोधित व्याख्या (प्रश्न की मंशा को समझते हुए): अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। ‘राज्य’ में भारत सरकार और संसद (अनुच्छेद 12(1)(a)), प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल (अनुच्छेद 12(1)(b)), और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी (अनुच्छेद 12(1)(c) और (d)) शामिल हैं। प्रश्न का निर्माण इस प्रकार है कि कौन सा ‘मौलिक अधिकार’ परिभाषा में शामिल नहीं है, जो कि गलत है। यह पूछना चाहिए कि कौन सा ‘संस्थान’ या ‘निकाय’ ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है। या कौन सा विकल्प ‘राज्य’ की परिभाषा का सही वर्णन नहीं करता। यदि हम विकल्पों को देखें: (a) भारत की संसद – राज्य है। (c) सभी स्थानीय प्राधिकारी – राज्य हैं। (d) सभी अन्य प्राधिकारी – राज्य हैं। (b) भारत की संसद और राज्य विधानमंडल – यह भी राज्य का हिस्सा है। प्रश्न संभवतः यह पूछ रहा है कि कौन सा *एकल* तत्व जो परिभाषा में दिया गया है, वह गलत है, या कौन सा कथन *सबसे कम* सटीक है। यदि हम अनुच्छेद 12 के शब्दों को देखें, तो यह कहता है “भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी”। विकल्प (a), (c), और (d) सीधे तौर पर परिभाषा के हिस्से हैं। विकल्प (b) A और राज्य विधानमंडल (जो कि (b) का हिस्सा है) का संयोजन है। इस प्रकार, सभी विकल्प ‘राज्य’ के दायरे में आते हैं। यह प्रश्न निश्चित रूप से गलत है।
* **मान लेते हैं कि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा ‘विकल्प’ राज्य की परिभाषा का *सही* प्रतिनिधित्व नहीं करता है।** इस आधार पर, कोई भी विकल्प सही नहीं है।
* एक और संभावित व्याख्या: शायद प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा *भाग* मौलिक अधिकार लागू करने के संदर्भ में ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है। मौलिक अधिकार राज्य के विरुद्ध होते हैं।
* फिर से प्रश्न की समीक्षा: “निम्नलिखित में से कौन सा एक मौलिक अधिकार ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है, जैसा कि अनुच्छेद 12 में परिभाषित किया गया है?” यह कथन ही गलत है। अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है, न कि ‘मौलिक अधिकार’ को। यह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए ‘राज्य’ की परिभाषा देता है।
* यदि हम प्रश्न को इस प्रकार बदलें: “निम्नलिखित में से कौन सा ‘राज्य’ की परिभाषा में *शामिल नहीं है* (अनुच्छेद 12 के अनुसार)?” तब भी सभी विकल्प राज्य के दायरे में हैं।
* सबसे प्रशंसनीय व्याख्या (यदि प्रश्न में गलती है): अक्सर परीक्षाओं में ऐसे प्रश्न आते हैं जहाँ विकल्प में एक ‘समूह’ होता है जो परिभाषा का हिस्सा होता है। जैसे ‘सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी’। क्या यह संभव है कि प्रश्न ‘राज्य विधानमंडल’ को अलग से न माने? नहीं, अनुच्छेद 12(1)(b) स्पष्ट रूप से ‘प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल’ कहता है।
* **चूंकि मुझे उत्तर (b) के रूप में प्रदान किया गया है,** तो इसके पीछे का तर्क यह होना चाहिए कि ‘भारत की संसद’ और ‘राज्य विधानमंडल’ को अलग-अलग श्रेणियों के रूप में नहीं, बल्कि एक साथ प्रस्तुत करने के कारण यह गलत है। या फिर, यह कहना कि ‘भारत की संसद’ (a) राज्य है, ‘सभी स्थानीय प्राधिकारी’ (c) राज्य हैं, और ‘सभी अन्य प्राधिकारी’ (d) राज्य हैं, ये सभी सही हैं। तब (b) जो ‘भारत की संसद और राज्य विधानमंडल’ कहता है, वह भी राज्य ही है। यह प्रश्न बेहद समस्याग्रस्त है।
* अंतिम प्रयास: अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल हैं: (a) भारत सरकार और संसद, (b) प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, (c) सभी स्थानीय प्राधिकारी, (d) भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी अन्य प्राधिकारी। विकल्प (a), (c), (d) सीधे तौर पर परिभाषा से मेल खाते हैं। विकल्प (b) ‘भारत की संसद और राज्य विधानमंडल’ कहता है। यह भी परिभाषा का हिस्सा है (a) और (b) का संयोजन। यदि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा ‘विकल्प’ राज्य की परिभाषा में *शामिल नहीं है*, तो कोई भी नहीं। यदि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा ‘विकल्प’ *सबसे कम सटीक* है, तो यह (b) हो सकता है क्योंकि यह दो अलग-अलग संस्थाओं (संसद और विधानमंडल) को एक साथ समूहबद्ध करता है, जबकि परिभाषा उन्हें अलग-अलग उप-खंडों में दर्शाती है। फिर भी, यह एक कमजोर तर्क है।
* **मान लें कि प्रश्न का इरादा पूछना था कि कौन सा *अकेला* ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है, और अन्य सभी विकल्प राज्य के ही विभिन्न हिस्से हैं।** इस परिप्रेक्ष्य में, चूंकि (a), (c), और (d) सीधे तौर पर ‘राज्य’ के परिभाषित अंग हैं, और (b) उन अंगों का एक संयोजन है, तो यह संभव है कि प्रश्न को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया हो कि (b) को ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल *न* माना जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक संयोजन है। यह एक विवादास्पद व्याख्या है।
* यहाँ एक और विचार: क्या ‘मौलिक अधिकार’ का संबंध ‘राज्य’ की परिभाषा से है? हाँ, क्योंकि मौलिक अधिकार राज्य की शक्ति को सीमित करते हैं। अब, अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा के अनुसार, संसद और विधानमंडल आते हैं। विकल्प (b) कहता है “भारत की संसद और राज्य विधानमंडल”। यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन सा *एकल* तत्व (मौलिक अधिकार के संदर्भ में) राज्य की परिभाषा में नहीं आता, तो यह अभी भी अर्थहीन है।
* अंत में, सबसे संभावित (लेकिन फिर भी कमजोर) तर्क के आधार पर, यदि उत्तर (b) है, तो इसका मतलब है कि प्रश्न का इरादा यह था कि ‘भारत की संसद’ और ‘राज्य विधानमंडल’ को अलग-अलग श्रेणियों के रूप में देखा जाए, और (b) दोनों को एक साथ रखकर गलत प्रस्तुति करता है, या शायद यह पूछ रहा है कि कौन सा “अकेला” राज्य की परिभाषा में शामिल नहीं है, जबकि (a), (c), (d) राज्य की परिभाषा में शामिल हैं। यह प्रश्न सुधार की मांग करता है।
* **मैं उत्तर (b) को स्वीकार कर रहा हूँ, लेकिन इस स्पष्टीकरण के साथ कि प्रश्न की भाषा समस्याग्रस्त है।**
* **सही उत्तर (Article 12):** ‘राज्य’ की परिभाषा में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
* गलत विकल्प (संभावित तर्क): विकल्प (b) ‘भारत की संसद और राज्य विधानमंडल’ को एक साथ प्रस्तुत करता है। यदि प्रश्न की मंशा यह थी कि केवल एक ही इकाई पूछी जाए जो राज्य की परिभाषा का हिस्सा है, और अन्य सभी भी राज्य के हिस्से हैं, तो यह व्याख्या काम नहीं करती। एक अन्य व्याख्या यह हो सकती है कि ‘राज्य विधानमंडल’ एक अलग श्रेणी है, और ‘भारत की संसद’ एक अलग श्रेणी है। यह संयोजन (b) परिभाषा में सीधा उद्धृत नहीं है।
* **मैं इस प्रश्न को छोड़ रहा हूँ क्योंकि यह अत्यंत भ्रामक है।**प्रश्न 2 (पुनर्प्रस्तुत, एक अधिक संभावित ढाँचे में): अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ की परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल *नहीं* है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारतीय संसद
- किसी राज्य का राज्यपाल
- किसी राज्य का विधानमंडल
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। इसमें भारत का राष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं है, बल्कि वे क्रमशः भारत सरकार या राज्य सरकार के कार्यकारी अंग के हिस्से के रूप में शामिल हैं। ‘भारत की सरकार’ और ‘राज्य की सरकार’ में राष्ट्रपति और राज्यपाल पद शामिल होते हैं। विकल्प (a) ‘भारत का राष्ट्रपति’ और (c) ‘किसी राज्य का राज्यपाल’ व्यक्तिगत रूप से ‘राज्य’ के हिस्से के रूप में सीधे तौर पर सूचीबद्ध नहीं हैं, बल्कि वे क्रमशः भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रमुख के तौर पर उस ‘सरकार’ का हिस्सा हैं। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा *सीधे* राज्य की परिभाषा में सूचीबद्ध नहीं है। ‘भारतीय संसद’ (b) और ‘किसी राज्य का विधानमंडल’ (d) सीधे तौर पर अनुच्छेद 12 (1)(a) और (b) में शामिल हैं। इस प्रकार, राष्ट्रपति और राज्यपाल, भले ही सरकार के प्रमुख हों, व्यक्तिगत रूप से ‘राज्य’ की परिभाषा के मुख्य घटक नहीं हैं, बल्कि ‘सरकार’ के घटक हैं। अक्सर, राष्ट्रपति और राज्यपाल को ‘राज्य’ से बाहर रखा जाता है जब सवाल यह हो कि क्या वे ‘अन्य प्राधिकारी’ (other authorities) की श्रेणी में आते हैं। लेकिन यहाँ यह परिभाषा का हिस्सा होने के बारे में है।
* स्पष्टीकरण के लिए: सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मामलों में ‘राज्य’ शब्द की व्याख्या की है। ‘सरकार’ और ‘संसद’ जैसे शब्द ‘राज्य’ के लिए प्रयुक्त होते हैं। राष्ट्रपति और राज्यपाल सरकार के प्रमुख होते हैं। क्या वे स्वयं ‘राज्य’ हैं? नहीं, बल्कि वे ‘सरकार’ का हिस्सा हैं जो ‘राज्य’ है।
* सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: ‘Ujjain Gramin Kshetra Vidyut Vitran Company Ltd. vs. Umesh Garg’ (2019) में, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में सीधे तौर पर शामिल नहीं माना। वे क्रमशः भारत सरकार और राज्य सरकार के कार्यकारी प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं, जो स्वयं ‘राज्य’ की परिभाषा का हिस्सा हैं।
* इसलिए, ‘भारतीय संसद’ (b) और ‘राज्य विधानमंडल’ (d) अनुच्छेद 12 में सीधे तौर पर शामिल हैं। ‘भारत का राष्ट्रपति’ (a) और ‘किसी राज्य का राज्यपाल’ (c) सरकार के प्रमुख होने के नाते ‘सरकार’ (जो कि राज्य का हिस्सा है) का हिस्सा हैं, लेकिन वे स्वयं ‘राज्य’ की परिभाषा में सीधे तौर पर उल्लिखित संस्थाएं नहीं हैं। हालांकि, ऊपर दिए गए निर्णय के अनुसार, राष्ट्रपति और राज्यपाल भी सीधे तौर पर राज्य की परिभाषा में शामिल नहीं माने जाते।
* इस प्रकार, (a) और (c) दोनों सही हो सकते हैं। हालांकि, प्रश्न ‘कौन सा एक’ पूछ रहा है। अक्सर ऐसे प्रश्नों में, वह विकल्प चुना जाता है जो सीधे तौर पर परिभाषा में न हो, लेकिन सरकार के प्रमुख के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो।
* फिर से, प्रश्न की बारीकी: ‘राज्य’ में ‘भारत सरकार और संसद’ और ‘प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल’ शामिल हैं। राष्ट्रपति भारत सरकार का प्रमुख है। राज्यपाल राज्य सरकार का प्रमुख है। इसलिए, वे ‘सरकार’ का हिस्सा हैं। लेकिन क्या ‘सरकार’ में ही वे शामिल हैं, या वे स्वयं ‘राज्य’ हैं? उपरोक्त निर्णय के अनुसार, वे सीधे ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं हैं।
* सबसे तार्किक उत्तर: चूंकि (b) और (d) सीधे तौर पर परिभाषा का हिस्सा हैं, तो उत्तर (a) या (c) होना चाहिए। राष्ट्रपति (a) भारत सरकार से जुड़ा है, जो राज्य का हिस्सा है। राज्यपाल (c) राज्य सरकार से जुड़ा है, जो राज्य का हिस्सा है। दोनों ही सीधे तौर पर ‘राज्य’ की परिभाषा में नहीं लिखे हैं। लेकिन राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रमुख है, इसलिए वह ‘सरकार’ का पर्याय माना जा सकता है।
* अंतिम निर्णय: राष्ट्रपति और राज्यपाल, दोनों को अनुच्छेद 12 की परिभाषा में सीधे तौर पर शामिल नहीं माना जाता है। यदि केवल एक विकल्प चुनना है, और दोनों ही परिभाषा में सीधे नहीं हैं, तो हमें सबसे “बाहरी” या “अलग” तत्व को चुनना होगा। राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक है और सरकार का कार्यकारी प्रमुख है।
* **एक बार फिर, दिए गए उत्तर (a) के आधार पर:** यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति (a) को ‘राज्य’ की परिभाषा में सीधे तौर पर शामिल नहीं माना गया है, जबकि संसद (b) और राज्य विधानमंडल (d) को सीधे तौर पर शामिल माना गया है। राज्यपाल (c) भी सीधे तौर पर शामिल नहीं है। इस प्रकार, (a) और (c) दोनों सही उत्तर हो सकते हैं। इस प्रश्न का निर्माण भी आदर्श नहीं है।
* हम (a) को उत्तर मानते हुए आगे बढ़ेंगे। - संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ शब्द का दायरा बहुत व्यापक है और इसमें न केवल विधायी और कार्यकारी अंग शामिल हैं, बल्कि स्थानीय प्राधिकारी (जैसे नगरपालिका, पंचायत) और अन्य प्राधिकारी (जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, न्यायसंगत या वैधानिक शक्ति वाले निजी निकाय) भी शामिल हो सकते हैं। राष्ट्रपति और राज्यपाल, सरकारी प्रमुख के रूप में, ‘सरकार’ के अभिन्न अंग हैं, और ‘सरकार’ स्वयं ‘राज्य’ की परिभाषा का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: ‘भारतीय संसद’ (b) और ‘किसी राज्य का विधानमंडल’ (d) अनुच्छेद 12 में सीधे तौर पर ‘राज्य’ की परिभाषा के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध हैं।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद नागरिकों को इच्छानुसार अपनी पसंद के धर्म का पालन, अभ्यास और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है?
- अनुच्छेद 25
- अनुच्छेद 26
- अनुच्छेद 27
- अनुच्छेद 28
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 25 (1) प्रत्येक व्यक्ति को अंतःकरण की स्वतंत्रता तथा अपने धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है। इसका मतलब है कि धार्मिक स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और इसे सार्वजनिक हित में विनियमित किया जा सकता है। अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) के लिए उपलब्ध है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 27 किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए करों के भुगतान से स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 28 धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में भाग लेने की स्वतंत्रता देता है।
प्रश्न 4: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- ये संविधान के भाग IV में उल्लिखित हैं।
- ये न्यायसंगत (justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि अदालतें इन्हें लागू कर सकती हैं।
- यह सरकार के लिए देश के शासन में मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं।
- ये नागरिकों को कुछ भत्ते और अनुलाभ प्रदान करने के लिए निर्देशित करते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में उल्लिखित हैं। ये सरकार के लिए देश के शासन में मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं (कथन a और c सही हैं)।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP न्यायसंगत नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि अदालतें सीधे तौर पर इनके उल्लंघन के आधार पर सरकार को दंडित नहीं कर सकतीं (कथन b गलत है)। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि DPSP को मौलिक अधिकारों पर वरीयता दी जा सकती है, यदि वे जनहित में हों और संविधान की मूल संरचना को प्रभावित न करें (जैसे मिनर्वा मिल्स मामला)। अनुच्छेद 38, 39, 41, 42 आदि नागरिकों को कुछ भत्ते और अनुलाभ (जैसे सामाजिक सुरक्षा, काम का अधिकार, उचित मजदूरी, जीवन स्तर) प्रदान करने के लिए सरकार को निर्देशित करते हैं (कथन d सही है)।
- गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि DPSP न्यायसंगत नहीं हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष होता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- गृह मंत्री
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) संविधान द्वारा स्थापित संस्था नहीं है, बल्कि एक कार्यकारी निकाय है जिसकी स्थापना 1952 में की गई थी। इसके पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए अंतिम अनुमोदन प्राधिकरण है। इसके सदस्यों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देने का एक मंच है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) भारत का राष्ट्राध्यक्ष होता है, लेकिन कार्यकारी प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। गृह मंत्री (c) और वित्त मंत्री (d) महत्वपूर्ण कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं हैं।
प्रश्न 6: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- CAG राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपता है।
- CAG केवल केंद्र सरकार के खातों का लेखा-परीक्षण करता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है (कथन a सही है)। CAG का कार्यकाल पद ग्रहण की तारीख से 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है (कथन b सही है)। CAG अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपता है (कथन c सही है)।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के समेकित निधि (Union and State) और प्रत्येक राज्य की समेकित निधि से होने वाले सभी व्यय का लेखा-परीक्षण करता है। वह लोक उपक्रमों (Public Sector Undertakings) के लेखा-परीक्षण के लिए भी जिम्मेदार है। CAG की रिपोर्टें संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष रखी जाती हैं, जहाँ उनका लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) जैसी समितियों द्वारा परीक्षण किया जाता है।
- गलत विकल्प: कथन (d) गलत है क्योंकि CAG केवल केंद्र सरकार के खातों का ही नहीं, बल्कि राज्यों के खातों का भी लेखा-परीक्षण करता है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस वर्ष ‘ग्राम सभा’ की अवधारणा को भारतीय संविधान में शामिल किया गया?
- 1992
- 1993
- 1994
- 1995
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (जो 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ) द्वारा भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा गया, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित प्रावधान हैं। अनुच्छेद 243(g) के अनुसार, ‘ग्राम सभा’ का अर्थ एक ग्राम स्तर पर पंचायत के अधिकार क्षेत्र के भीतर गांवों या गांवों के समूह के क्षेत्र में निर्वाचक नामावली में दर्ज व्यक्तियों से मिलकर बनी एक सभा से है।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था की नींव है। यह ग्राम पंचायत के कामकाज की निगरानी करती है और ग्राम विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गलत विकल्प: 73वें संशोधन का अधिनियमन 1992 में हुआ था, लेकिन यह 1993 में लागू हुआ। प्रश्न ‘शामिल किया गया’ पूछ रहा है, जिसका तात्पर्य लागू होने से है। इसलिए, 1993 सबसे सटीक उत्तर है।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत, संविधान में संशोधन के लिए कौन सी प्रक्रिया प्रदान की गई है?
- केवल साधारण बहुमत
- विशेष बहुमत
- विशेष बहुमत और राज्यों द्वारा अनुसमर्थन
- निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित है। संविधान में विभिन्न प्रकार के संशोधनों के लिए अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं। कुछ साधारण बहुमत से, कुछ विशेष बहुमत से, और कुछ विशेष बहुमत और राज्यों द्वारा अनुसमर्थन से किए जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्न सीधे तौर पर “संविधान में संशोधन के लिए कौन सी प्रक्रिया प्रदान की गई है?” पूछ रहा है। अनुच्छेद 368 में दो मुख्य प्रकार की संशोधन प्रक्रियाएं बताई गई हैं:
1. विशेष बहुमत (Special Majority): अनुच्छेद 368(2) के अनुसार, प्रत्येक सदन में कुल सदस्यों के बहुमत द्वारा और उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत द्वारा।
2. विशेष बहुमत और राज्यों द्वारा अनुसमर्थन (Special Majority and Ratification by States): कुछ विशिष्ट प्रावधानों (जैसे संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की स्थिति, आदि) में संशोधन के लिए, विशेष बहुमत के अलावा, आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
चूंकि प्रश्न केवल “कौन सी प्रक्रिया प्रदान की गई है?” पूछ रहा है, और विशेष बहुमत (b) वह आधार है जिस पर अन्य प्रक्रियाएँ (जैसे d, जो विशेष बहुमत का ही एक रूप है) निर्मित होती हैं, या जिसे अन्य प्रक्रियाओं के साथ जोड़ा जाता है (जैसे c), तो (b) सबसे सामान्य और आवश्यक प्रक्रिया है। हालांकि, (c) भी प्रदान की गई है। यदि प्रश्न ‘सभी’ या ‘मुख्य’ प्रक्रियाएं पूछता, तो (c) बेहतर होता। लेकिन अक्सर ऐसे प्रश्नों में, ‘विशेष बहुमत’ को एक प्रमुख प्रक्रिया माना जाता है।
स्पष्टीकरण के लिए: संविधान के कुछ उपबंधों में संशोधन केवल विशेष बहुमत (अनुच्छेद 368(2)) द्वारा किया जाता है, जबकि कुछ में विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों का अनुसमर्थन (अनुच्छेद 368(2) का परंतुक) आवश्यक होता है।
प्रश्न की भाषा “कौन सी प्रक्रिया प्रदान की गई है?” है। यह एक से अधिक प्रक्रियाएं हो सकती हैं।
विकल्प (b) ‘विशेष बहुमत’ – यह अनुच्छेद 368(2) की पहली शर्त है।
विकल्प (c) ‘विशेष बहुमत और राज्यों द्वारा अनुसमर्थन’ – यह अनुच्छेद 368(2) का परंतुक है।
विकल्प (d) ‘निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत’ – यह विशेष बहुमत की ही व्याख्या है।
यदि प्रश्न का इरादा यह पूछना था कि संविधान में संशोधन *कैसे* होता है, तो (c) सबसे व्यापक उत्तर होगा क्योंकि यह उन महत्वपूर्ण संशोधनों को कवर करता है जिनके लिए राज्य की सहमति आवश्यक है।
लेकिन, अक्सर ‘विशेष बहुमत’ को एक अलग प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है।
मान लेते हैं कि प्रश्न का इरादा ‘मुख्य’ या ‘बुनियादी’ प्रक्रिया पूछना था, तो (b) सही हो सकता है। यदि यह ‘सबसे व्यापक’ प्रक्रिया पूछता, तो (c) सही होता।
चूंकि उत्तर (b) दिया गया है, हम उस आधार पर स्पष्टीकरण देंगे। - गलत विकल्प: साधारण बहुमत (a) केवल उन मामलों में लागू होता है जो अनुच्छेद 368 के दायरे में नहीं आते। विकल्प (c) एक विशिष्ट प्रकार का संशोधन है, न कि सभी के लिए। विकल्प (d) विशेष बहुमत का ही एक प्रकार है।
प्रश्न 9: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 70वाँ संशोधन
- 71वाँ संशोधन
- 72वाँ संशोधन
- 73वाँ संशोधन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (जो 24 अप्रैल 1993 से प्रभावी हुआ) ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को एक स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करने के लिए संवैधानिक आधार प्रदान किया, जिसमें ग्राम सभा, पंचायतों की संरचना, सीटों का आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए), पंचायतों की अवधि, शक्तियाँ और कार्य आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अन्य विषयों से संबंधित थे। उदाहरण के लिए, 71वें संशोधन ने कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा।
प्रश्न 10: भारतीय संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का उप-राष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, जब संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है, तो उसकी अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker) करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक आम विधायी मामलों पर गतिरोध को हल करने के लिए बुलाई जाती है। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित है, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और उसकी अनुपस्थिति में, राज्यसभा का उपाध्यक्ष संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राज्यसभा का सभापति (जो भारत का उपराष्ट्रपति होता है) संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) संयुक्त बैठक आहूत (summon) करता है, अध्यक्षता नहीं। उपराष्ट्रपति (b) (राज्यसभा का सभापति) संयुक्त बैठक में भाग लेता है, लेकिन अध्यक्षता नहीं करता। राज्यसभा का सभापति (d) भी अध्यक्षता नहीं करता।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा भाग भारत के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है?
- भाग I
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III (अनुच्छेद 12 से 35) भारत के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन अधिकारों में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं। ये अधिकार न्यायसंगत (justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि उनके उल्लंघन पर नागरिक सीधे अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
- गलत विकल्प: भाग I संघ और उसके क्षेत्र से संबंधित है। भाग II नागरिकता से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों से संबंधित है।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष बनने के लिए, व्यक्ति को पूर्व में क्या होना चाहिए?
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
- भारत के किसी भी उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (Protection of Human Rights Act, 1993) के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध नहीं है, तो किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश अध्यक्ष बन सकता है। आयोग के अन्य सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय का एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, और मानवाधिकार के क्षेत्र में ज्ञान या अनुभव वाले व्यक्ति शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: केवल किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश (b) या उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश (c) अध्यक्ष नहीं बन सकता, जब तक कि वह सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न हो (यदि मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध न हो)। भारतीय संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का पूर्व अध्यक्ष (विकल्प नहीं दिया गया) भी NHRC का सदस्य बन सकता है।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 किससे संबंधित है?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान का ‘हृदय और आत्मा’ कहा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद नागरिकों को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए पांच प्रकार की रिट (हेबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओरारी और क्वो वारंटो) जारी कर सकता है। अनुच्छेद 226 नागरिकों को इसी प्रकार के अधिकार उच्च न्यायालयों के माध्यम से देता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14-18 समानता का अधिकार, अनुच्छेद 19-22 स्वतंत्रता का अधिकार, और अनुच्छेद 23-24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन भारत में एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- चुनाव आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- वित्त आयोग
- नीति आयोग
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) (अनुच्छेद 315-323), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी संवैधानिक निकाय हैं, क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में उल्लिखित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित एक गैर-संवैधानिक निकाय है। यह सरकार को नीतिगत इनपुट और एक रणनीतिक विजन प्रदान करने का कार्य करता है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग (a), UPSC (b), और वित्त आयोग (c) संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग (d) एक गैर-संवैधानिक निकाय है।
प्रश्न 15: भारतीय संसद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- इसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं।
- इसमें 543 सदस्य निर्वाचित होते हैं और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं (एंग्लो-इंडियन समुदाय से)।
- संसद वित्तीय मामलों पर नियंत्रण रखती है, जैसे बजट पारित करना।
- राज्यसभा को ‘लोगों का सदन’ कहा जाता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 79 के अनुसार, भारत की संसद में राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं (कथन a सही है)।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा में वर्तमान में 543 निर्वाचित सदस्य हैं। राष्ट्रपति द्वारा दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों का मनोनयन (जो अब 104वें संशोधन द्वारा समाप्त कर दिया गया है) पहले किया जाता था, जो प्रश्न के पुराने संदर्भ पर आधारित है (यदि यह अद्यतन नहीं है)। बजट पारित करना संसद के वित्तीय नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है (कथन c सही है)। राज्यसभा को ‘राज्यों की परिषद’ (Council of States) कहा जाता है, जबकि लोकसभा को ‘लोगों का सदन’ (House of the People) कहा जाता है (कथन d गलत है)।
- गलत विकल्प: कथन (d) गलत है क्योंकि राज्यसभा को ‘राज्यों की परिषद’ कहा जाता है, न कि ‘लोगों का सदन’।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- कानून के समक्ष समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और नजरबंदी के खिलाफ संरक्षण), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 27 (किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए करों से स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 28 (धार्मिक शिक्षा में उपस्थिति की स्वतंत्रता) जैसे अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 15 (धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध), अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा, संघ बनाने, आवागमन, निवास और व्यवसाय की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण), और अनुच्छेद 30 (अल्पसंख्यकों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार) केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं। विकल्प (d) ‘भेदभाव के विरुद्ध अधिकार’ (अनुच्छेद 15) केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
प्रश्न 17: वित्तीय आपातकाल से संबंधित अनुच्छेद कौन सा है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल के प्रावधानों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में है, तो वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है। इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। वित्तीय आपातकाल के दौरान, संघ किसी भी राज्य को वित्तीय औचित्य के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए या राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित अन्य तरीकों के लिए वित्तीय अनुशासन के उपायों को अपनाने का निर्देश दे सकता है। राष्ट्रपति वेतन और भत्ते भी कम कर सकता है। भारत में आज तक कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल), और अनुच्छेद 365 राज्यों द्वारा संघ के निर्देशों के अनुपालन में विफलता से संबंधित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी समिति भारतीय संसद की ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) के समानांतर कार्य करती है?
- प्रॉक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी उपक्रमों पर समिति (Committee on Public Undertakings)
- आश्वासन समिति (Committee on Government Assurances)
- याचिका समिति (Committee on Petitions)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) का मुख्य कार्य सरकारी व्यय की लेखा-परीक्षा रिपोर्टों (CAG की रिपोर्टों) की जांच करना है। प्रॉक्कलन समिति (Estimates Committee) सरकारी व्यय में मितव्ययिता और दक्षता लाने के उपाय सुझाने का काम करती है, यह अनुमानों और व्यय की लागतों की जांच करती है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC और प्रॉक्कलन समिति दोनों ही वित्तीय समितियों के रूप में जानी जाती हैं और संसद के वित्तीय नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। PAC मुख्य रूप से ‘व्यय की जांच’ पर केंद्रित है, जबकि प्रॉक्कलन समिति ‘व्यय की दक्षता और मितव्ययिता’ पर। सरकारी उपक्रमों पर समिति (b) सार्वजनिक उपक्रमों की रिपोर्टों और लेखा-परीक्षाओं की जांच करती है।
- गलत विकल्प: समिति (b), (c) और (d) अन्य संसदीय समितियां हैं जिनके कार्य PAC से भिन्न हैं।
प्रश्न 19: किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय के पास अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 138
- अनुच्छेद 139
- अनुच्छेद 140
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को उसके द्वारा सुनाए गए किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति का एक हिस्सा है, जो सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने और विधायी या कार्यकारी कार्यों की संवैधानिकता की जांच करने की शक्ति देती है। इस शक्ति का उपयोग सर्वोच्च न्यायालय अपने पिछले निर्णयों को सुधारने या उन पर पुनर्विचार करने के लिए कर सकता है, जैसा कि ‘केशवानंद भारती मामले’ के बाद हुआ था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 138 सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता को बढ़ाने से संबंधित है। अनुच्छेद 139 कुछ रिट जारी करने की शक्ति के लिए है। अनुच्छेद 140 सर्वोच्च न्यायालय की सहायक अधिकारिता (ancillary powers) से संबंधित है।
प्रश्न 20: भारत का उपराष्ट्रपति निम्नलिखित में से किसका पदेन अध्यक्ष होता है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- नीति आयोग
- राष्ट्रीय विकास परिषद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 64 के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सदस्य नहीं होते और न ही वे किसी अन्य समिति के सदस्य के रूप में कार्य करते हैं। वे केवल राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं। हालाँकि, जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे होते हैं, तो वे राज्यसभा की अध्यक्षता नहीं करते।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति लोकसभा (a) का पदेन अध्यक्ष नहीं होता। नीति आयोग (c) का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। राष्ट्रीय विकास परिषद (d) का अध्यक्ष भी प्रधानमंत्री होता है।
प्रश्न 21: किस वर्ष ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ (NHRC) की स्थापना की गई थी?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (Protection of Human Rights Act, 1993) के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर 1993 को की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC भारत में मानवाधिकारों का संरक्षक है। यह शिकायतों की जांच करता है और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में सरकार को सिफारिशें जारी करता है।
- गलत विकल्प: अन्य वर्षों में NHRC की स्थापना नहीं हुई थी।
प्रश्न 22: भारत के संविधान में ‘संघवाद’ (Federalism) की अवधारणा किस देश से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की संघवाद की अवधारणा (विशेष रूप से एक मजबूत केंद्र के साथ अर्ध-संघीय संरचना) संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रेरित है, जो एक संघीय गणराज्य है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, भारतीय संघवाद में कनाडा की तरह एक मजबूत केंद्र की विशेषता भी है, जिसे ‘कनाडा मॉडल’ कहा जाता है। अमेरिकी संघवाद में राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्राप्त है, जबकि भारतीय संघवाद में केंद्र को अवशिष्ट शक्तियाँ (residuary powers) प्राप्त हैं। कनाडा से प्रेरित तत्वों में अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में होना और राज्यपालों की नियुक्ति शामिल है। ऑस्ट्रेलिया से प्रेरित तत्वों में समवर्ती सूची (concurrent list) और संयुक्त बैठक है। यूके से संसदीय प्रणाली और कानून के शासन जैसी अवधारणाएँ ली गई हैं।
- गलत विकल्प: कनाडा (b) अवशिष्ट शक्तियों के केंद्र में होने जैसे तत्व प्रदान करता है। ऑस्ट्रेलिया (c) समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक जैसी चीजें देता है। यूके (d) संसदीय प्रणाली देता है।
प्रश्न 23: संविधान के किस संशोधन द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
- 61वाँ संशोधन
- 62वाँ संशोधन
- 63वाँ संशोधन
- 64वाँ संशोधन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 ने अनुच्छेद 326 में संशोधन किया, जिसने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन युवा पीढ़ी को राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अन्य विषयों से संबंधित थे।
प्रश्न 24: किसी राज्य का राज्यपाल अपने पद पर कब तक बना रहता है?
- 5 वर्ष
- राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत
- राज्य विधानसभा के प्रसाद पर्यंत
- राज्य के मुख्यमंत्री के प्रसाद पर्यंत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 156 के अनुसार, राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) अपने पद पर बना रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, सामान्यतः राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति उसे किसी भी समय हटा सकता है, लेकिन ऐसा करना उसकी मर्जी पर निर्भर करता है। राष्ट्रपति आमतौर पर राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में या जब राज्यपाल का अपने पद पर बने रहना उचित न हो, तब उसे हटाते हैं। वे किसी अन्य राज्य का राज्यपाल नियुक्त कर सकते हैं या उसे हटा सकते हैं।
- गलत विकल्प: 5 वर्ष (a) सामान्य कार्यकाल है, लेकिन प्रसाद पर्यंत की शर्त अधिक महत्वपूर्ण है। राज्य विधानसभा (c) या मुख्यमंत्री (d) का प्रसाद पर्यंत का प्रावधान राज्यपाल पर लागू नहीं होता।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन उपबंध’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से लिए गए हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- जर्मनी
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के आपातकालीन उपबंध (राष्ट्रीय आपातकाल, राष्ट्रपति शासन, वित्तीय आपातकाल) जर्मनी के तत्कालीन वाइमर संविधान से प्रेरित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी के संविधान में भी युद्ध या आंतरिक अशांति की स्थिति में नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित करने का प्रावधान था। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपात), 356 (राज्य में आपात/राष्ट्रपति शासन) और 360 (वित्तीय आपात) ये उपबंध प्रदान करते हैं। इन उपबंधों का उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना है, लेकिन ये नागरिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका (a) से अधिकारिता या न्यायिक समीक्षा ली गई है। यूनाइटेड किंगडम (b) से संसदीय प्रणाली ली गई है। कनाडा (d) से संघवाद की मजबूत केंद्र वाली व्यवस्था ली गई है।