संविधान सारथी: आपकी रोज़ाना मैराथन
नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव औरGovernance के ढांचे को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज, हम संविधान के विभिन्न पहलुओं पर आपके वैचारिक स्पष्टता का परीक्षण करने के लिए यहाँ हैं। तो, कमर कस लीजिए और अपनी ज्ञान यात्रा में एक और मील का पत्थर स्थापित करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का कौन सा रूप शामिल नहीं है?
- सामाजिक
- राजनीतिक
- आर्थिक
- धार्मिक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जो इसके आदर्शों और आकांक्षाओं को दर्शाती है, नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है। यह न्याय के इन तीन रूपों पर जोर देती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ न्याय का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, हालांकि यह स्वतंत्रता और समानता के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता की भावना को समाहित करता है। यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का संयुक्त विचार सोवियत संघ के संविधान से प्रेरित है।
- गलत विकल्प: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, ये तीनों प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं, जो भारतीय राज्य की प्रकृति को परिभाषित करते हैं।
प्रश्न 2: किस मामले में, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता है?
- एक ही मामले में पुनः विचार
- दोहरे मापदंड का सिद्धांत
- क्षमादान का सिद्धांत
- उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 20(2) ‘दोहरे मापदंड’ (Double Jeopardy) के सिद्धांत की गारंटी देता है। इसके अनुसार, किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही उसे दंडित किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत न्याय की अवधारणा और मनमानी शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि एक बार किसी अपराध के लिए दंडित या बरी किया गया व्यक्ति उसी अपराध के लिए दोबारा परेशान न हो।
- गलत विकल्प: ‘एक ही मामले में पुनः विचार’ (Res Judicata) एक सिविल कानून का सिद्धांत है, जबकि ‘क्षमादान का सिद्धांत’ राष्ट्रपति या राज्यपाल की क्षमा शक्ति से संबंधित है (अनुच्छेद 72 और 161)।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के राष्ट्रपति के बारे में सही नहीं है?
- वह संसद का एक अभिन्न अंग है।
- वह संसद के दोनों सदनों में किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है।
- वह दोनों सदनों द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
- उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उसके कार्यों का निर्वहन करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति, संघ की कार्यपालिका के प्रमुख (अनुच्छेद 53) और संसद के एक अभिन्न अंग (अनुच्छेद 79) हैं। हालांकि, वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है और इसलिए, राष्ट्रपति, संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में मतदान नहीं कर सकता या भाग नहीं ले सकता, सिवाय अपने अभिभाषण के।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति को हटाने के लिए है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में, उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 65) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संसद का सदस्य नहीं होता और न ही किसी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है, सिवाय अपने अधिकारों का प्रयोग करने के।
प्रश्न 4: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) के पद का प्रावधान भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद की स्थापना करता है। यह अनुच्छेद CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्तों को निर्धारित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और उसकी रिपोर्टें संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष रखी जाती हैं (अनुच्छेद 151)। CAG भारत के लोक निधि का संरक्षक होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है, अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से संबंधित है, और अनुच्छेद 151 लेखा-परीक्षण रिपोर्टों के प्रस्तुतीकरण से संबंधित है।
प्रश्न 5: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
- 70वां संशोधन अधिनियम, 1991
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और एक नया अनुच्छेद 243 से 243O तक सम्मिलित किया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने PRIs को स्व-शासन की इकाइयों के रूप में मान्यता दी और उन्हें तीन स्तरों (गाँव, मध्यवर्ती और जिला) पर स्थापित करने का प्रावधान किया। इसने इन संस्थाओं के लिए कार्यकाल, आरक्षण और वित्तपोषण जैसे पहलुओं को भी विनियमित किया।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 65वां और 70वां संशोधन अधिनियम पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन उन्हें संवैधानिक दर्जा नहीं मिला था।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन करता है। ये तत्व राज्य को निर्देशित करते हैं कि कानून बनाते समय सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना के लिए उनका पालन करें।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं। ये न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि यदि राज्य इनका उल्लंघन करता है तो उन्हें अदालतों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरकार की नीतियों और कानूनों के निर्माण में मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 7: ‘आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय’ का आदर्श भारतीय संविधान में कहाँ से लिया गया है?
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिकी संविधान
- रूसी क्रांति (पूर्व सोवियत संघ)
- फ्रांसीसी क्रांति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में वर्णित ‘आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय’ का आदर्श, रूसी क्रांति (1917) के प्रभाव से प्रेरित है, जिसने इन मूल्यों को अपने आदर्शों में शामिल किया था।
- संदर्भ और विस्तार: भारत के संविधान निर्माताओं ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहाँ इन तीनों प्रकार के न्याय की स्थापना हो सके। यह भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
- गलत विकल्प: ब्रिटिश संविधान ने संसदीय प्रणाली और कानून के शासन जैसे विचार दिए, अमेरिकी संविधान ने मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा और उपराष्ट्रपति का पद दिया, और फ्रांसीसी क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श दिए।
प्रश्न 8: संसद का सत्रावसान (Adjournment) और विघटन (Dissolution) में मुख्य अंतर क्या है?
- सत्रावसान एक सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए रोकता है, जबकि विघटन पूरी तरह से भंग कर देता है।
- सत्रावसान राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जबकि विघटन पीठासीन अधिकारी द्वारा।
- सत्रावसान के बाद पुनः सत्र की अधिसूचना आवश्यक है, विघटन के बाद नहीं।
- सत्रावसान केवल एक विशेष सत्र के लिए होता है, विघटन सामान्य सत्र के लिए।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘सत्रावसान’ (Adjournment) एक अस्थायी रोक है जो पीठासीन अधिकारी (Speaker/Chairman) द्वारा की जाती है, चाहे वह दिन के लिए हो, कुछ दिनों के लिए हो, या अनिश्चित काल के लिए हो। ‘विघटन’ (Dissolution) लोकसभा को पूरी तरह से समाप्त कर देता है, जिसके बाद नए चुनाव होते हैं। लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 85(2)(b) के तहत किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान सदन की बैठक को स्थगित करता है, जबकि विघटन सदन को ही समाप्त कर देता है। विघटन के बाद, पिछली लोकसभा के सदस्यों की सदस्यता समाप्त हो जाती है और आम चुनाव की घोषणा की जाती है।
- गलत विकल्प: विघटन हमेशा राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जबकि सत्रावसान पीठासीन अधिकारी द्वारा। विघटन के बाद नई लोकसभा के गठन के लिए चुनाव आवश्यक है, अतः एक तरह से नई अधिसूचना या प्रक्रिया अनिवार्य है। सत्रावसान किसी भी सत्र को प्रभावी ढंग से समाप्त कर सकता है, न कि केवल विशेष सत्र को।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक’ नहीं है?
- निर्वाचन आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। इसका संविधान में कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए यह एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी का प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में है, जो उन्हें संवैधानिक निकाय बनाता है।
- गलत विकल्प: ये सभी अन्य विकल्प संवैधानिक संस्थाएं हैं क्योंकि उनके पदों और कार्यों का उल्लेख संविधान में स्पष्ट रूप से किया गया है।
प्रश्न 10: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) के उल्लंघन के मामले में, कौन सा सदन अपने सदस्यों को निलंबित कर सकता है?
- केवल लोक सभा
- केवल राज्य सभा
- लोक सभा या राज्य सभा, अपने-अपने सदस्यों को
- दोनों सदन मिलकर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105, संसद के सदनों और उनके सदस्यों के विशेषाधिकारों को परिभाषित करता है। प्रत्येक सदन को अपने सदस्यों को सदन के संचालन को बाधित करने या विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने पर निलंबित करने का अधिकार है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक सभा का पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष) और राज्य सभा का पीठासीन अधिकारी (सभापति) सदन के आदेश को बनाए रखने के लिए सदस्यों को निलंबित कर सकते हैं। यह अधिकार प्रत्येक सदन की अपनी कार्यवाही के संचालन के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: ये विशेषाधिकार सदन-विशिष्ट हैं, इसलिए प्रत्येक सदन को अपने सदस्यों के संबंध में ये शक्तियां प्राप्त हैं। वे अलग-अलग कार्य करते हैं।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) शब्द का क्या अर्थ है?
- सभी नागरिकों के बीच एकता और भाईचारे की भावना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- समान अवसर
- विधि के समक्ष समानता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ का अर्थ ऐसे भाईचारे से है जो नागरिकों के बीच एकता और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखे। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिक स्वयं को एक ही राष्ट्र के सदस्य के रूप में महसूस करें।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द ‘व्यक्ति की गरिमा’ (Dignity of the Individual) की अवधारणा को बनाए रखने में मदद करता है, जो सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान हो। यह सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
- गलत विकल्प: ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’, ‘समान अवसर’ और ‘विधि के समक्ष समानता’ प्रस्तावना में उल्लिखित अन्य महत्वपूर्ण आदर्श हैं, लेकिन वे सीधे ‘बंधुत्व’ की परिभाषा में शामिल नहीं होते हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के मूल क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction) के अंतर्गत आता है?
- संसद के निर्णयों की समीक्षा
- राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श
- दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद
- उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार को परिभाषित करता है। इसके तहत, सर्वोच्च न्यायालय उन विवादों को सुनता है जो सीधे तौर पर इसके समक्ष लाए जाते हैं, जैसे कि भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच विवाद, या दो या दो से अधिक राज्यों के बीच विवाद।
- संदर्भ और विस्तार: यह क्षेत्राधिकार यह सुनिश्चित करता है कि संघीय व्यवस्था के महत्वपूर्ण विवादों का निपटारा सीधे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाए।
- गलत विकल्प: संसद के निर्णयों की समीक्षा (Judicial Review) सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय और सलाहकारी क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 132, 133, 134, 136, 143) के तहत आ सकता है। राष्ट्रपति द्वारा परामर्श (अनुच्छेद 143) सलाहकारी क्षेत्राधिकार है। उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील अपीलीय क्षेत्राधिकार के तहत आती है।
प्रश्न 13: ‘राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख’ कौन होता है?
- मुख्यमंत्री
- राज्यपाल
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद
- मुख्य सचिव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा। अतः, राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि वास्तविक कार्यकारी शक्ति मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद में निहित होती है, लेकिन राज्यपाल राज्य का नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है। मुख्य सचिव प्रशासन का प्रमुख होता है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान में भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के लिए दस मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया। बाद में, 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य (शिक्षा का अधिकार) जोड़ा गया, जिससे कुल संख्या 11 हो गई।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर जोड़ा गया था, जिसका उद्देश्य नागरिकों के बीच नागरिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना था।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने मौलिक अधिकारों से संबंधित कुछ सुरक्षाएं बढ़ाईं, 52वें ने दलबदल विरोधी कानून पेश किया, और 61वें ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 कर दी।
प्रश्न 15: केंद्र-राज्य संबंधों में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) का प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची शामिल हैं। समवर्ती सूची का प्रावधान, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: जब किसी विषय पर संघ और राज्य दोनों के कानून में कोई विरोध होता है, तो राज्य का कानून मान्य होता है, जब तक कि राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित न रखा गया हो और उस पर राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त न हो गई हो, तब संघ का कानून मान्य होगा (अनुच्छेद 254)।
- गलत विकल्प: अमेरिका ने संघीय व्यवस्था का विचार दिया, कनाडा ने मजबूत केंद्र वाली संघीय व्यवस्था का, और यूके ने संसदीय प्रणाली का।
प्रश्न 16: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ (Socialist, Secular, Integrity) शब्द जोड़े गए।
- संदर्भ और विस्तार: ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करता है, उनके उत्थान और संरक्षण के लिए समान अवसर प्रदान करता है। यह भारत की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को परिभाषित करता है।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों ने संविधान के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को संशोधित किया था, जैसे कि दलबदल विरोधी कानून या मतदान की आयु।
प्रश्न 17: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के लिए कौन सी योग्यता आवश्यक है?
- भारत का मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त)
- सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश
- कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अधिनियम, 1993 के अनुसार, NHRC का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है। हालांकि, हाल के संशोधनों ने अध्यक्ष की योग्यता का विस्तार किया है, जिसमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति जिन्हें मानवाधिकारों से संबंधित ज्ञान या अनुभव है, भी शामिल हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आयोग की संरचना में अध्यक्ष के अलावा अन्य सदस्य भी होते हैं, जिनमें मानवाधिकारों से जुड़े क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
- गलत विकल्प: हालांकि सबसे आम पृष्ठभूमि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की होती है, परंतु संशोधन के बाद अन्य विकल्प भी मान्य हो गए हैं, जिससे ‘उपर्युक्त सभी’ सबसे सटीक उत्तर बनता है।
प्रश्न 18: किस अनुच्छेद के तहत, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: आपातकालीन प्रावधान भारतीय संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक वर्णित हैं। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार को राज्यों के संबंध में पूर्ण कार्यकारी शक्ति प्राप्त हो जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य में राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से, और अनुच्छेद 365 राज्य द्वारा संघ के निर्देशों का पालन न करने पर लागू होता है।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- देश का प्रमुख वंशानुगत नहीं होता।
- देश के सभी नागरिक समान होते हैं।
- राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होता।
- सरकार देश के लोगों द्वारा चुनी जाती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख, जो भारत में राष्ट्रपति है, सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, न कि वंशानुगत आधार पर।
- संदर्भ और विस्तार: यह लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है, जहाँ सर्वोच्च पद किसी भी नागरिक के लिए खुला है।
- गलत विकल्प: ‘देश के सभी नागरिक समान होते हैं’ समानता का सिद्धांत है। ‘राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होता’ धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत है। ‘सरकार देश के लोगों द्वारा चुनी जाती है’ लोकतंत्र का सिद्धांत है, जो गणराज्य से भिन्न है, हालांकि वे अक्सर साथ-साथ चलते हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘समान काम के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत स्थापित करता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 39(d)
- अनुच्छेद 41
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(d) में कहा गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से प्रयास करेगा कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान काम के लिए समान वेतन मिले। यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि यह प्रत्यक्ष रूप से लागू करने योग्य मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन इसे मौलिक अधिकारों के साथ मिलाकर (जैसे अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समानता) अदालतों द्वारा लागू किया गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता की गारंटी देता है, अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है, और अनुच्छेद 41 कुछ मामलों में काम, शिक्षा और सामाजिक सहायता का अधिकार देता है।
प्रश्न 21: ‘विधायिका’ (Legislature) का मुख्य कार्य क्या है?
- कानून बनाना
- कानूनों को लागू करना
- कानूनों की व्याख्या करना
- न्याय प्रदान करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सरकार के तीन अंग – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – अपने-अपने विशिष्ट कार्यों के लिए जाने जाते हैं। विधायिका का प्राथमिक कार्य कानून बनाना है (जैसे संसद और राज्य विधानमंडल)।
- संदर्भ और विस्तार: ये कानून देश के शासन और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को नियंत्रित करते हैं।
- गलत विकल्प: कानूनों को लागू करना कार्यपालिका का कार्य है, और कानूनों की व्याख्या करना तथा न्याय प्रदान करना न्यायपालिका का कार्य है।
प्रश्न 22: किस आयोग ने केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन के लिए सुझाव दिए थे?
- सरकारी आयोग
- ठक्कर आयोग
- नानावती आयोग
- मंडल आयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सरकारी आयोग (Sarkaria Commission) का गठन 1983 में केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए किया गया था। इसने अपनी रिपोर्ट 1988 में प्रस्तुत की, जिसमें केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करने के लिए कई सिफारिशें की गईं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके सुझावों ने अनुच्छेद 263 के तहत अंतर-राज्यीय परिषद के गठन और मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: ठक्कर आयोग इंदिरा गांधी की हत्या की जाँच से, नानावती आयोग 1984 के सिख दंगों की जाँच से, और मंडल आयोग सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण से संबंधित थे।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा ‘मौलिक अधिकार’ आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किया जा सकता?
- व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन की सुरक्षा
- बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- समानता का अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) आपातकाल के दौरान, चाहे वह राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) हो या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356), निलंबित नहीं किए जा सकते।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि दमनकारी परिस्थितियों में भी नागरिकों के पास इन मौलिक अधिकारों की सुरक्षा रहे।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि) राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान (लेकिन सशस्त्र विद्रोह के आधार पर नहीं) निलंबित किया जा सकता है, और अनुच्छेद 25-28 (धर्म की स्वतंत्रता) भी निलंबित हो सकते हैं। अनुच्छेद 14-18 (समानता का अधिकार) के तहत आने वाले कुछ अधिकार भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
प्रश्न 24: ‘उच्च न्यायालय’ के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
- राज्यपाल
- राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद की जाती है, जिसका वह न्यायाधीश बनने वाला है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, इसमें अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों की राय को भी महत्व दिया जाता है।
- गलत विकल्प: राज्यपाल या मुख्यमंत्री की भूमिका अप्रत्यक्ष होती है, जबकि भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह को राष्ट्रपति द्वारा परामर्श के रूप में लिया जाता है।
प्रश्न 25: ‘अस्पृश्यता’ का उन्मूलन भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है?
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 18
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन का प्रावधान करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है। इसका उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह समानता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14-18) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सामाजिक समानता सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 18 उपाधियों के अंत से संबंधित है, अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन में अवसर की समानता प्रदान करता है।