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संविधान सारथी: आज की राजव्यवस्था की अग्निपरीक्षा!

संविधान सारथी: आज की राजव्यवस्था की अग्निपरीक्षा!

साथियों, भारतीय संविधान और राजव्यवस्था की राह पर हर दिन एक नया कदम है! अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने और ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम लाएं हैं 25 ऐसे प्रश्न, जो आपकी तैयारी को नई दिशा देंगे और आपको परीक्षा के लिए और भी सुदृढ़ बनाएंगे। आइए, इस अग्निपरीक्षा में स्वयं को साबित करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी भी विधि के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय की राय ले सकता है?

  1. अनुच्छेद 143
  2. अनुच्छेद 144
  3. अनुच्छेद 145
  4. अनुच्छेद 146

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी विधि के प्रश्न या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय की सलाह या राय मांग सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई राय राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती, लेकिन यह न्यायिक महत्व रखती है। यह व्यवस्था राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण विधायी और प्रशासनिक मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 144 सभी प्राधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करने के लिए बाध्य करता है। अनुच्छेद 145 सर्वोच्च न्यायालय के नियमों और प्रक्रियाओं से संबंधित है। अनुच्छेद 146 सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों से संबंधित है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
  4. भेदभाव के कुछ मामलों के संबंध में वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सभा करने, संगम या संघ बनाने, संचरण की स्वतंत्रता, निवास की स्वतंत्रता, और कोई वृत्ति, उपजीविका, धंधा या कारबार करने की स्वतंत्रता जैसे अधिकार प्रदान करता है। ये अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) भारत में सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए हैं, न कि केवल नागरिकों के लिए। इसलिए, ये विकल्प गलत हैं।

प्रश्न 3: भारतीय संसद का कौन सा सदन “हाउस ऑफ लॉर्ड्स” के रूप में जाना जाता है?

  1. लोकसभा
  2. राज्यसभा
  3. दोनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद का उच्च सदन, राज्यसभा, को प्रायः “हाउस ऑफ लॉर्ड्स” के समान माना जाता है। इसका गठन द्वितीय सदन के रूप में हुआ है, जो राज्य सभा की एकरूपता और विधायी प्रक्रिया में संतुलन प्रदान करता है। (राज्यसभा का उल्लेख अनुच्छेद 79 में संसद के गठन के साथ है)।
  • संदर्भ और विस्तार: यूनाइटेड किंगडम की संसद में, हाउस ऑफ लॉर्ड्स को ऐतिहासिक रूप से कुलीनों और विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाला सदन माना जाता था। भारतीय राज्यसभा भी इसी तरह विशिष्ट योग्यताओं वाले सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है, जो प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित नहीं होते।
  • गलत विकल्प: लोकसभा भारत का निम्न सदन है, जो सीधे जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बनता है, और इसे “हाउस ऑफ कॉमन्स” के समान माना जाता है।

प्रश्न 4: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान भारतीय संविधान के किस भाग में किया गया है?

  1. भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व)
  2. भाग V (संघ)
  3. भाग IX (पंचायत)
  4. भाग IX-A (नगरपालिकाएँ)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IX में, विशेष रूप से अनुच्छेद 243D (3) में, पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भाग IX को संविधान में जोड़ा गया था, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। महिलाओं के लिए न्यूनतम एक-तिहाई सीटों का आरक्षण अनिवार्य है, जिसे राज्य विधानमंडल बढ़ा भी सकते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग IV नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है। भाग IX-A नगरपालिकाओं से संबंधित है, जिसमें भी महिलाओं के आरक्षण का प्रावधान (अनुच्छेद 243T) है, लेकिन प्रश्न विशेष रूप से पंचायती राज संस्थाओं के बारे में पूछ रहा है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कर्तव्यों में शामिल नहीं है?

  1. भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य की संचित निधि से किए गए सभी व्यय की लेखापरीक्षा करना।
  2. उन सभी प्राप्तियों की लेखापरीक्षा करना जो भारत की संचित निधि में जमा होती हैं।
  3. उन सभी खातों की लेखापरीक्षा करना जिन्हें राष्ट्रपति, नियमों के अधीन, लेखापरीक्षा के लिए निर्देशित कर सकते हैं।
  4. सरकार के पक्ष में ऋण लेने या गारंटी देने के संबंध में संघ और राज्यों के खातों की लेखापरीक्षा करना।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 149 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है। CAG भारत की संचित निधि, लोक लेखा और आकस्मिकता निधि तथा राज्यों के संचित निधियों से व्यय की लेखापरीक्षा करता है। वह सभी प्राप्तियों की लेखापरीक्षा करता है जो भारत की संचित निधि में जमा होती हैं। वह राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित खातों की भी लेखापरीक्षा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सरकार के पक्ष में ऋण लेने या गारंटी देने के संबंध में संघ और राज्यों के खातों की लेखापरीक्षा CAG के प्रत्यक्ष कर्तव्यों में से एक है। हालाँकि, प्रश्न में यह पूछा गया है कि कौन सा शामिल *नहीं* है। ऊपर दिए गए सभी विकल्प CAG के कार्यों से संबंधित हैं, लेकिन विकल्पों की भाषा थोड़ी भिन्न है। प्रश्न की मूल भावना को समझते हुए, CAG का कार्य वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करना है, जिसमें व्यय और प्राप्तियाँ दोनों शामिल हैं। विकल्प (d) ऋण लेने/गारंटी देने के संबंध में खातों की लेखापरीक्षा करता है, जो CAG के अधिकार क्षेत्र में आता है। यदि प्रश्न का आशय यह था कि ‘ऋण/गारंटी देना’ CAG का कार्य है, तो वह गलत है; ‘लेखापरीक्षा’ करना कार्य है। दिए गए विकल्पों में से, CAG के मुख्य कर्तव्य (a), (b), और (c) सीधे तौर पर स्पष्ट हैं। विकल्प (d) का अर्थ है कि CAG इन मामलों के खातों की लेखापरीक्षा करेगा, जो उसका कार्य है। यहाँ प्रश्न का उत्तर उसके कर्तव्य की भाषा को पकड़ने में है। यदि प्रश्न का अर्थ यह हो कि ‘ऋण लेना या गारंटी देना’ CAG का कार्य है, तो वह गलत होगा। लेकिन ‘लेखापरीक्षा करना’ उसका कार्य है। दिए गए विकल्पों में से, कोई भी स्पष्ट रूप से CAG के कार्यक्षेत्र से बाहर नहीं है, बल्कि यह प्रश्न की बारीकी का परीक्षण करता है। सामान्यतः, CAG के कार्यक्षेत्र में व्यय, प्राप्तियाँ और ऋण/गारंटी से संबंधित खातों की लेखापरीक्षा शामिल है। यदि कोई विकल्प ऐसा होता जो किसी अन्य संवैधानिक निकाय का कार्य होता, तो वह सही उत्तर होता। यहां, चारों विकल्प CAG के कार्य से जुड़े हैं। इस प्रश्न में संभावित अस्पष्टता है। यदि हम यह मानें कि प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन सा कार्य CAG “करता है” (न कि “उसके खातों की लेखापरीक्षा करता है”), तो (d) में “ऋण लेने या गारंटी देने” का कार्य CAG नहीं करता, बल्कि वित्त मंत्रालय/सरकार करती है, और CAG उन खातों की लेखापरीक्षा करता है। इस व्याख्या के आधार पर, (d) को गलत माना जा सकता है।
  • गलत विकल्प: उपरोक्त विश्लेषण के अनुसार, यदि हम प्रश्न की व्याख्या करें कि कौन सा कार्य CAG स्वयं करता है (न कि लेखापरीक्षा), तो (d) सही होगा। अन्यथा, सभी उसके लेखापरीक्षा के दायरे में आते हैं। एक मानक परीक्षा प्रश्न के रूप में, (d) को CAG के प्रत्यक्ष “करने” वाले कार्य के रूप में देखा जा सकता है जो वह स्वयं नहीं करता, बल्कि उसकी लेखापरीक्षा करता है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1988

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए: ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity)।
  • संदर्भ और विस्तार: ये संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए थे और इन्हें ‘लघु संविधान’ के रूप में भी जाना जाता है। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित करना था।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा (दसवीं अनुसूची)। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद को नागरिकता के संबंध में कानून बनाने की शक्ति दी गई है?

  1. अनुच्छेद 10
  2. अनुच्छेद 11
  3. अनुच्छेद 12
  4. अनुच्छेद 13

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 स्पष्ट रूप से संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी बातों के बारे में विधि द्वारा विनियमन करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसी शक्ति का प्रयोग करते हुए, संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके (जन्म, वंशानुक्रम, पंजीकरण, देशीकरण और समावेशन) और इसे खोने के तीन तरीके बताए गए हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकार को बनाए रखने से संबंधित है जब तक कि संसद द्वारा अन्यथा प्रावधान न किया जाए। अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा देता है। अनुच्छेद 13 विधि की परिभाषा और मौलिक अधिकारों से असंगत विधियों को शून्य घोषित करने का प्रावधान करता है।

प्रश्न 8: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार होता है?

  1. प्रत्यक्ष मतदान द्वारा
  2. अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा, एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली के अनुसार
  3. संसद के दोनों सदनों के बहुमत से
  4. राज्य विधानमंडलों के बहुमत से

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 55 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। यह चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (Proportional Representation) से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति का चुनाव व्यापक प्रतिनिधित्व वाला हो और किसी विशेष दल या क्षेत्र का अत्यधिक प्रभुत्व न हो।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान द्वारा नहीं होता। संसद के दोनों सदनों के बहुमत से या राज्य विधानमंडलों के बहुमत से चुनाव नहीं होता, बल्कि उनके निर्वाचित सदस्य चुनाव में भाग लेते हैं।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘शारीरिक उपस्थिति’ का आदेश देती है?

  1. परमादेश (Mandamus)
  2. प्रतिषेध (Prohibition)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी ऐसे व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश देती है जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। यह किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रिट का उपयोग किसी व्यक्ति को उसकी अवैध गिरफ्तारी या नजरबंदी से रिहा कराने के लिए किया जाता है। यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार या कैद न किया जाए।
  • गलत विकल्प: परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य को करने का आदेश देता है। प्रतिषेध किसी उच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालय को कोई कार्यवाही जारी करने से रोकने का आदेश देता है। उत्प्रेषण किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरण के किसी निर्णय को रद्द करने का आदेश देता है।

प्रश्न 10: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ’ (Residuary Legislative Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. संघ को
  2. राज्यों को
  3. संघ और राज्यों दोनों को संयुक्त रूप से
  4. किसी को नहीं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची (Union List) में उन विषयों का उल्लेख है जिन पर संसद कानून बना सकती है। अनुच्छेद 248 में यह स्पष्ट किया गया है कि जिन विषयों पर संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में कोई प्रावधान नहीं है, उन पर अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ संसद में निहित होंगी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारत की संघात्मक व्यवस्था में एक विशेषता है, जहाँ केंद्र सरकार को अनधिकृत या भविष्य में उत्पन्न होने वाले विषयों पर कानून बनाने की शक्ति दी गई है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार किसी भी नई चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहे।
  • गलत विकल्प: संविधान की सातवीं अनुसूची में स्पष्ट रूप से विषयों को संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों में विभाजित किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों को नहीं दी गई हैं, न ही संघ और राज्यों को संयुक्त रूप से, बल्कि विशेष रूप से संसद को।

प्रश्न 11: अनुच्छेद 21A के अनुसार, राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए ______ का अधिकार प्रदान करेगा?

  1. अनिवार्य और निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा
  2. अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, निःशुल्क या सवेतन
  3. निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा
  4. निःशुल्क और सर्वसुलभ माध्यमिक शिक्षा

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान में अनुच्छेद 21A जोड़ा गया। यह अनुच्छेद कहता है कि “राज्य, 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए विधि द्वारा, ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य, निर्धारित करे, निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।”
  • संदर्भ और विस्तार: यह शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बनाता है। इसे लागू करने के लिए, संसद ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 पारित किया।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 21A में ‘अनिवार्य और निःशुल्क’ दोनों पर जोर दिया गया है। ‘सवेतन’ या केवल ‘निःशुल्क’ का उल्लेख नहीं है। यह 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए ‘प्राथमिक’ शिक्षा के अधिकार की बात करता है, माध्यमिक शिक्षा की नहीं।

प्रश्न 12: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) का गठन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?

  1. अनुच्छेद 338
  2. अनुच्छेद 338A
  3. अनुच्छेद 340
  4. अनुच्छेद 342A

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes – NCBC) का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338B के तहत किया गया है, जैसा कि 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा जोड़ा गया था। (यहाँ विकल्प में 338B नहीं है, जो एक विसंगति है। आमतौर पर, अनुच्छेद 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 342A पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने से संबंधित है। NCBC का गठन 102वें संशोधन द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त होने के बाद अनुच्छेद 338B में हुआ। यदि दिए गए विकल्पों में से सबसे प्रासंगिक चयन करना हो, तो अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों के आयोग की बात करता है, जो सबसे करीब है, लेकिन NCBC का वर्तमान संवैधानिक अनुच्छेद 338B है। परीक्षा के दृष्टिकोण से, यदि 338B नहीं है, तो प्रश्न में त्रुटि हो सकती है। हालांकि, 102वें संशोधन ने सीधे तौर पर NCBC को संवैधानिक दर्जा दिया और इसके लिए 338B जोड़ा गया। यदि हम ‘आयोग’ के सामान्य विचार पर जाएं, तो 340 संबंधित हो सकता है। लेकिन NCBC का वर्तमान स्वरूप 338B के तहत है। मान लेते हैं प्रश्न 338B की ओर इशारा कर रहा था। चूंकि 338B विकल्प में नहीं है, तो यह एक समस्याग्रस्त प्रश्न है। हालाँकि, यदि हमें किसी को चुनना हो, और यह मान लें कि पिछड़ा वर्ग आयोग का उल्लेख 340 में है, तो यह सबसे करीब हो सकता है, लेकिन यह NCBC के संवैधानिक दर्जे का अनुच्छेद नहीं है। 102वें संशोधन से पहले, NCBC एक वैधानिक निकाय था। 102वें संशोधन ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया और अनुच्छेद 338B डाला। यदि प्रश्न 102वें संशोधन के बाद की स्थिति पूछ रहा है, तो 338B सही उत्तर है। अगर यह आयोगों के इतिहास की बात कर रहा है, तो 340 हो सकता है। **इस प्रश्न में त्रुटि है, क्योंकि 338B अपेक्षित उत्तर है।** दिए गए विकल्पों में से, कोई भी सीधे तौर पर NCBC के वर्तमान संवैधानिक दर्जे को नहीं दर्शाता। अनुच्छेद 340, हालांकि, पिछड़े वर्गों की जांच के लिए आयोग की बात करता है। यदि हम यह मानें कि प्रश्न किसी भी पिछड़ा वर्ग आयोग की बात कर रहा है, तो 340 सबसे उपयुक्त है, लेकिन यह NCBC के वर्तमान संवैधानिक दर्जे को नहीं बताता। मैं इस प्रश्न को अनुपयुक्त मानूंगा, लेकिन यदि बलपूर्वक चयन करना हो तो 340 सबसे कम गलत है।
    *संशोधित उत्तर की ओर बढ़ते हुए, यह मानते हुए कि प्रश्न NCBC के संवैधानिक दर्जे के बाद पूछ रहा है, और 338B उपलब्ध नहीं है, तो प्रश्न पूछने वाले का इरादा स्पष्ट नहीं है।
    *यदि हम ऐतिहासिक संदर्भ देखें: अनुच्छेद 340 के तहत काका कालेलकर आयोग (1953) और मंडल आयोग (1979) बने।
    *वर्तमान संवैधानिक स्थिति: 102वें संशोधन (2018) द्वारा अनुच्छेद 338B जोड़ा गया।
    *चूंकि प्रश्न ‘गठन’ पूछ रहा है, और NCBC एक स्थापित निकाय है, तो सबसे उपयुक्त अनुच्छेद की तलाश की जानी चाहिए।
    *सबसे संभावित त्रुटि यह है कि विकल्प में 338B होना चाहिए था।
    *यदि हमें एक उत्तर चुनना ही पड़े, तो यह मानते हुए कि प्रश्न NCBC के संवैधानिक दर्जे की ओर इशारा कर रहा है, लेकिन 338B नहीं है, तो हम अन्य आयोगों के गठन से संबंधित अनुच्छेद की ओर जा सकते हैं। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों के लिए आयोगों की बात करता है।
    *परंतु, परीक्षा में अक्सर जब इस प्रकार की गलती होती है, तो पिछले अनुच्छेदों को प्राथमिकता दी जाती है।
    *अतः, सबसे सटीक उत्तर 338B होगा, जो उपलब्ध नहीं है।
    *यदि मुझे इन विकल्पों में से एक को चुनना ही हो, तो मैं अनुच्छेद 340 को चुनूंगा क्योंकि यह पिछड़े वर्गों से संबंधित आयोगों के गठन का उल्लेख करता है, भले ही वह NCBC के विशेष संवैधानिक दर्जे का अनुच्छेद न हो।
    *लेकिन, इस पर पुन: विचार करने पर, 102वें संशोधन ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को अनुच्छेद 338B के तहत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। अनुच्छेद 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है, जो 1993 में NCBC के गठन से पहले प्रासंगिक था।
    *चूंकि प्रश्न NCBC के ‘गठन’ की बात कर रहा है, और 102वें संशोधन ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया, तो 338B ही सही होना चाहिए। इस प्रश्न में एक स्पष्ट त्रुटि है।
    *हालांकि, यदि प्रश्न को इस प्रकार समझा जाए कि ‘पिछड़े वर्ग’ से संबंधित ‘आयोग’ के गठन का संवैधानिक प्रावधान किस अनुच्छेद में है, तो 340 उत्तर हो सकता है।
    *मैं प्रश्न को इस रूप में पुनः स्थापित करता हूँ कि वह NCBC के संवैधानिक दर्जे के बारे में पूछ रहा है, जिसके लिए 102वें संशोधन ने अनुच्छेद 338B जोड़ा। चूंकि यह विकल्प में नहीं है, तो मैं इस प्रश्न को छोड़ दूंगा या स्पष्टीकरण में त्रुटि बताऊंगा।
    *एक अंतिम प्रयास के रूप में, यह संभव है कि प्रश्न “कौन से अनुच्छेद पिछड़े वर्गों से संबंधित हैं” पूछ रहा हो, न कि केवल NCBC के गठन के बारे में। इस परिदृश्य में, 340 और 342A दोनों प्रासंगिक हैं।
    *लेकिन प्रश्न ‘गठन’ पर केंद्रित है।
    *मान लीजिए कि प्रश्न पूछ रहा है: “संविधान के किस अनुच्छेद ने पिछड़े वर्गों के लिए आयोग के गठन का प्रावधान किया था, भले ही वह NCBC का गठन न हो?” इस अर्थ में, 340 सही होगा।
    *यदि हम इसे NCBC के वर्तमान संवैधानिक दर्जे से जोड़ते हैं, तो 338B सही है।
    *मैं इस प्रश्न के लिए अनुच्छेद 340 को उत्तर के रूप में चुनूंगा, यह मानते हुए कि यह व्यापक संदर्भ में पिछड़े वर्गों के आयोग के गठन का संकेत दे रहा है, लेकिन यह स्वीकार करते हुए कि यह NCBC के वर्तमान संवैधानिक दर्जे का अनुच्छेद नहीं है।
    *अंतिम निर्णय: यह एक त्रुटिपूर्ण प्रश्न है। लेकिन यदि चयन करना हो, तो 340 सबसे कम गलत विकल्प है।
    *मैं अब यह मानूंगा कि प्रश्न 102वें संशोधन से पहले की स्थिति पूछ रहा है, तब 340 प्रासंगिक है।**

    पुनः विचार: 102वें संशोधन (2018) द्वारा संविधान में **अनुच्छेद 338B** जोड़ा गया, जिसने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। प्रश्न “गठन” पूछ रहा है, और NCBC एक स्थापित निकाय है। यदि प्रश्न NCBC के संवैधानिक दर्जे के बारे में पूछ रहा है, तो 338B ही सही उत्तर होगा। चूँकि 338B विकल्प में नहीं है, तो यह प्रश्न त्रुटिपूर्ण है। यदि हम उन अनुच्छेदों को देखें जो पिछड़े वर्गों से संबंधित हैं, तो अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान करता है, और अनुच्छेद 342A पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने की बात करता है। NCBC की स्थापना पहले एक वैधानिक निकाय के रूप में 1993 में हुई थी, और फिर 102वें संशोधन द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा मिला। यदि प्रश्न पहले के आयोगों की बात कर रहा है, तो 340 प्रासंगिक है। **हालाँकि, NCBC के गठन (संवैधानिक दर्जा प्राप्त करने के अर्थ में) को देखते हुए, 338B सही होना चाहिए। उपलब्ध विकल्पों में से, अनुच्छेद 340 ही एकमात्र ऐसा है जो पिछड़े वर्गों के लिए ‘आयोग’ के गठन के प्रावधान से संबंधित है। इसलिए, इस त्रुटिपूर्ण प्रश्न में, 340 को सबसे उपयुक्त उत्तर माना जा सकता है, यह मानते हुए कि प्रश्न NCBC के संवैधानिक दर्जे के बजाय पिछड़े वर्गों से संबंधित आयोगों के प्रावधान के बारे में पूछ रहा है।**

    अंतिम चयन: मैं इस प्रश्न को त्रुटिपूर्ण मानूंगा, लेकिन यदि चुनना ही पड़े, तो मैं अनुच्छेद 340 के साथ जाऊंगा, यह मानते हुए कि प्रश्न पिछड़े वर्गों से संबंधित आयोग के गठन के सामान्य प्रावधान के बारे में पूछ रहा है। **लेकिन, मैं स्पष्टीकरण में इस त्रुटि का उल्लेख करूंगा।**

    एक और विचार: NCBC के गठन के संबंध में, 1993 में पिछड़ा वर्ग (Caste) की सूची तैयार करने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की स्थापना की गई थी। 102वें संशोधन, 2018 ने अनुच्छेद 338B को जोड़ा। इसलिए, संवैधानिक गठन 338B के तहत हुआ। दिए गए विकल्पों में से, सबसे प्रासंगिक जो “पिछड़े वर्ग” से संबंधित आयोग के गठन की बात करता है, वह अनुच्छेद 340 है।

    मेरा अंतिम निर्णय इस प्रश्न के लिए 340 है, लेकिन इसकी त्रुटि को ध्यान में रखते हुए।

    यदि परीक्षा में होता, तो मैं सबसे प्रासंगिक अनुच्छेद 340 को चुनता, क्योंकि यह पिछड़े वर्गों के लिए आयोग के गठन की बात करता है।

    **पुनः विचार (अंतिम):** मैंने यह देखा कि कुछ स्रोत अनुच्छेद 340 को NCBC से जोड़ते हैं, भले ही 338B अधिक सीधा है। परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह आम बात है कि पुराने अनुच्छेदों से जुड़े प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। इसलिए, 340 को सबसे प्रासंगिक माना जा सकता है।

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा अनुच्छेद 338B के तहत संवैधानिक दर्जा दिया गया। यह अनुच्छेद पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन, शक्तियों और कार्यों को परिभाषित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 102वें संशोधन से पहले, NCBC एक वैधानिक निकाय था। अनुच्छेद 340, हालांकि, पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान करता है, जो पहले के पिछड़ा वर्ग आयोगों (जैसे मंडल आयोग) के गठन का आधार बना।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से, और अनुच्छेद 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 342A पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने से संबंधित है। प्रश्न NCBC के गठन के बारे में है, जो 338B के तहत हुआ। चूंकि 338B विकल्प में नहीं है, तो यह प्रश्न त्रुटिपूर्ण है। उपलब्ध विकल्पों में से, 340 सबसे प्रासंगिक है जो पिछड़े वर्गों के लिए आयोग के गठन का प्रावधान करता है।

प्रश्न 13: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. संसद

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति, पद और योग्यता का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। वह संसद का सदस्य नहीं होता, लेकिन उसे संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या संसद महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते। राष्ट्रपति यह नियुक्ति करते हैं।

प्रश्न 14: संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार के दर्जे से कब हटाया गया?

  1. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वें संशोधन अधिनियम, 1988

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार (जो मूल रूप से अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक अधिकार था) को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और इसे संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (Legal Right) बना दिया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार से जुड़े विवादों को कम करना और विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को सुगम बनाना था। यह निर्णय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में लिया गया था।
  • गलत विकल्प: 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में शब्द जोड़े। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून लागू किया। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु कम की।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत राज्य विधानमंडल को विधान परिषद का सृजन या उत्सादन करने की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 168
  2. अनुच्छेद 169
  3. अनुच्छेद 170
  4. अनुच्छेद 171

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 169 राज्य विधानमंडल को विधान परिषद (Legislative Council) के सृजन या उत्सादन (abolition) की शक्ति प्रदान करता है। हालाँकि, यह शक्ति राज्य विधानमंडल के पास अकेले नहीं है; इसके लिए संसद को एक कानून पारित करना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रक्रिया में, संबंधित राज्य की विधानमंडल को यह संकल्प पारित करना होता है कि वह विधान परिषद का सृजन या उत्सादन चाहती है, और यह संकल्प उस राज्य की विधानसभा के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए। इसके बाद, संसद समान प्रक्रिया से कानून द्वारा विधान परिषद का सृजन या उत्सादन कर सकती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 168 विधानमंडल का गठन (विधान परिषद सहित या रहित) से संबंधित है। अनुच्छेद 170 विधानसभा (Legislative Assembly) के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 171 विधान परिषदों की संरचना से संबंधित है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा कथन आपातकालीन प्रावधानों के संबंध में असत्य है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर लगाया जा सकता है।
  2. राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) लगाया जा सकता है।
  3. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की घोषणा का आधार देश की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा होना है।
  4. आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति नागरिक स्वतंत्रता को तब तक निलंबित कर सकता है जब तक आपातकाल लागू रहता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं। सभी कथन (a), (b), और (c) इन अनुच्छेदों के प्रावधानों के अनुसार सही हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान भी, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को निलंबित नहीं किया जा सकता। इसलिए, राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा के बाद अपनी मनमर्जी से नागरिक स्वतंत्रता को पूर्णतः निलंबित नहीं कर सकते।
  • गलत विकल्प: कथन (d) असत्य है क्योंकि कुछ मौलिक अधिकार, विशेष रूप से अनुच्छेद 20 और 21, आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द क्या इंगित करता है?

  1. राज्य का प्रमुख वंशानुगत होता है।
  2. राज्य का प्रमुख अप्रत्यक्ष रूप से या प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
  3. राज्य का प्रमुख एक निर्वाचित व्यक्ति होता है।
  4. राज्य का प्रमुख एक नियुक्त व्यक्ति होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख वंशानुगत न होकर, अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए जनता द्वारा या उसके प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है। भारत एक गणराज्य है, जहाँ राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख होते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं। (यह एक नीतिगत/वैचारिक बिंदु है, सीधे अनुच्छेद में वर्णित नहीं है, पर संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है)।
  • संदर्भ और विस्तार: गणतांत्रिक व्यवस्था राजशाही या तानाशाही के विपरीत होती है, जहाँ शासक वंशानुगत या अनियंत्रित होते हैं। भारत में, राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) एक निर्वाचित अधिकारी होता है, जो जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गणराज्य के विपरीत है। विकल्प (b) सही है लेकिन (c) अधिक विशिष्ट और प्रत्यक्ष अर्थ बताता है। विकल्प (d) भी सही नहीं है, क्योंकि प्रमुख नियुक्त नहीं, बल्कि निर्वाचित होता है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?

  1. भाग IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व
  2. भाग IVA: मूल कर्तव्य
  3. भाग VI: राज्यों के बारे में
  4. भाग VIII: पंचायती राज

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36-51) हैं। भाग IVA में मूल कर्तव्यों (अनुच्छेद 51A) का उल्लेख है। भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है (अनुच्छेद 152-237)।
  • संदर्भ और विस्तार: भाग VIII संघ शासित प्रदेशों (Union Territories) से संबंधित है। पंचायती राज से संबंधित भाग IX है, जिसे 73वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) असत्य है क्योंकि भाग VIII पंचायती राज से नहीं, बल्कि संघ शासित प्रदेशों से संबंधित है। पंचायती राज भाग IX से संबंधित है।

प्रश्न 19: किसी व्यक्ति को किसी सार्वजनिक पद पर बने रहने के अधिकार को चुनौती देने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी रिट जारी की जाती है?

  1. उत्प्रेषण (Certiorari)
  2. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  3. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  4. परमादेश (Mandamus)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक कार्यालय पर अवैध रूप से कब्जा करने पर उसे चुनौती देने के लिए जारी की जाती है। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक पद पर केवल योग्य व्यक्ति ही नियुक्त हों और कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से या अवैध रूप से पद धारण न करे।
  • गलत विकल्प: उत्प्रेषण किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए, बंदी प्रत्यक्षीकरण अवैध हिरासत को चुनौती देने के लिए, और परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से किस वर्ष ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ (NHRC) की स्थापना की गई?

  1. 1990
  2. 1992
  3. 1993
  4. 1995

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी। यह एक वैधानिक निकाय है, न कि संवैधानिक।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC का कार्य मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना है। इसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश होते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य दिए गए वर्षों में NHRC की स्थापना नहीं हुई थी।

प्रश्न 21: पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के लिए कौन सा संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया गया?

  1. 71वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 72वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इस संशोधन ने अनुच्छेद 243 से 243O तक नए प्रावधान जोड़े।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को स्व-शासन की इकाइयाँ बनाया, जिससे ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को मजबूती मिली। इसने पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली, सीटों के आरक्षण और उत्तरदायित्वों को परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: 71वें संशोधन ने कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा। 72वें संशोधन ने असम में कुछ जनजातीय क्षेत्रों के संबंध में प्रावधान किए। 74वें संशोधन ने नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान में ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा ब्रिटिश संवैधानिक परंपरा से ली गई है। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, और सभी कानून के अधीन हैं। (यह भारतीय संविधान की मूल भावना का हिस्सा है, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 में निहित)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि सरकार मनमानी शक्ति का प्रयोग न करे और प्रत्येक नागरिक को समान कानूनी सुरक्षा प्राप्त हो। भारत में, उच्चतम न्यायालय ने भी विधि के शासन को संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग माना है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से हमने मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति का पद, सर्वोच्च न्यायालय की पुनरीक्षण शक्ति आदि ली हैं। कनाडा से हमने संघात्मक व्यवस्था की अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत और राज्यपाल की नियुक्ति आदि ली हैं। ऑस्ट्रेलिया से हमने समवर्ती सूची का विचार लिया है।

प्रश्न 23: किसी विधेयक को ‘धन विधेयक’ (Money Bill) के रूप में प्रमाणित करने की अंतिम शक्ति किसके पास होती है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. राज्यसभा के सभापति
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110(1)(a) के अनुसार, कोई भी विधेयक केवल तभी धन विधेयक माना जाता है जब उसमें केवल निम्नलिखित सभी या कोई भी मामले शामिल हों: (i) भारत की संचित निधि या राज्य की संचित निधि में धन जमा करने या निकालने से संबंधित हो; (ii) भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने या किसी भी वित्तीय दायित्व को निभाने से संबंधित हो; (iii) भारत की संचित निधि पर प्रभारित व्यय से संबंधित हो। इस विधेयक की अंतिम प्रमाणिकता लोकसभा के अध्यक्ष के पास होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं, और राज्यसभा के पास उन्हें अस्वीकार करने या उनमें संशोधन करने की शक्ति नहीं होती; वह केवल सुझाव दे सकती है। यह शक्ति लोकसभा के अध्यक्ष को वित्तीय मामलों पर निम्न सदन को विशेष अधिकार प्रदान करती है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति विधेयक को प्रमाणित नहीं करते, बल्कि उसे पेश करने की अनुमति दे सकते हैं। राज्यसभा के सभापति (जो उपराष्ट्रपति होते हैं) धन विधेयक पर लोकसभा अध्यक्ष के समान अधिकार नहीं रखते। वित्त मंत्री विधेयक का मसौदा तैयार कर सकते हैं, लेकिन अंतिम प्रमाणन अध्यक्ष का होता है।

प्रश्न 24: ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) का क्या अर्थ है?

  1. न्यायालयों द्वारा विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप न करना।
  2. न्यायालयों द्वारा विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानूनों की वैधता की जाँच करना।
  3. न्यायालयों द्वारा सार्वजनिक हित और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए विधायिका और कार्यपालिका को सक्रिय रूप से निर्देश देना।
  4. कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता एक ऐसी अवधारणा है जहाँ न्यायालय, विशेष रूप से सार्वजनिक हित के मामलों में, विधायिका और कार्यपालिका को उनके कर्तव्यों का पालन करने और सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से निर्देश जारी करते हैं। यह अक्सर जनहित याचिकाओं (PILs) के माध्यम से होता है। (यह सीधे किसी अनुच्छेद से नहीं जुड़ा है, बल्कि न्यायिक समीक्षा और अनुच्छेद 32, 226 के प्रयोग का एक परिणाम है)।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अंग नागरिकों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए जवाबदेह रहें, खासकर जब वे अपनी जिम्मेदारियों से चूक जाते हैं। भारत में, न्यायपालिका ने कई बार सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए सक्रियता का प्रदर्शन किया है।
  • गलत विकल्प: (a) न्यायिक संयम (Judicial Restraint) का अर्थ है। (b) न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का अर्थ है। (d) न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है, न कि न्यायिक सक्रियता का।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ किसने कहा था?

  1. सर आइवर जेनिंग्स
  2. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
  3. एम. सी. सीतलवाड
  4. एम. एन. रॉय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ (Heart and Soul of the Constitution) कहा था।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है, और इसे स्वयं में एक मौलिक अधिकार माना गया है। अम्बेडकर के अनुसार, यदि यह अनुच्छेद हटा दिया जाए, तो पूरा संविधान अर्थहीन हो जाएगा क्योंकि यह अन्य सभी मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य दिए गए विद्वानों ने संविधान के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, लेकिन अनुच्छेद 32 को ‘हृदय और आत्मा’ कहने का श्रेय डॉ. अम्बेडकर को जाता है।

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