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संविधान मंथन: 25 प्रश्न, 25 परख

संविधान मंथन: 25 प्रश्न, 25 परख

भारत के जीवंत लोकतांत्रिक ढांचे की गहरी समझ विकसित करने का यह आपका दैनिक आह्वान है! आज, हम भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं की पड़ताल करेंगे। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और जानें कि आप इस जटिल लेकिन आकर्षक विषय पर कितने खरे उतरते हैं। आइए, संविधान के मूल सिद्धांतों में गोता लगाएँ!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वां (1992) और 74वां (1992) संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिया। 97वां संशोधन (2011) ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. देश के किसी भी भाग में आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर राज्य द्वारा विभेद के प्रतिषेध की बात करता है, केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में निवास करने वाले गैर-नागरिकों को अनुच्छेद 14, 20, 21, 21A, 22, 23, 24, 25, 26, 27, और 28 में दिए गए अधिकार प्राप्त हैं। अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता के अधिकार (भाषण और अभिव्यक्ति, शांतिपूर्वक सभा, संघ बनाने, संचरण, निवास, वृत्ति) केवल नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों) को प्राप्त है। अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता के अधिकार) केवल नागरिकों को प्राप्त हैं, लेकिन प्रश्न में इसका दूसरा भाग (देश के किसी भी भाग में आने-जाने की स्वतंत्रता) दिया गया है, जो अनुच्छेद 19(1)(d) है, यह भी नागरिक के लिए है। हालांकि, अनुच्छेद 15 अधिक विशिष्ट रूप से केवल नागरिकों के लिए है। अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) सभी व्यक्तियों के लिए है।

प्रश्न 3: राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. सभी विवादों का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
  2. यह एक अप्रत्यक्ष निर्वाचन है।
  3. निर्वाचक मंडल में केवल संसद के सदस्य शामिल होते हैं।
  4. निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुच्छेद 54 के तहत होता है। निर्वाचक मंडल में केवल संसद के सदस्य (लोकसभा और राज्यसभा) ही नहीं, बल्कि राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य भी शामिल होते हैं। इसलिए, यह कथन गलत है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी विवादों का निपटारा अनुच्छेद 71 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है। यह एक अप्रत्यक्ष निर्वाचन है, जिसका अर्थ है कि लोग सीधे मतदान नहीं करते, बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा मतदान किया जाता है। निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के अनुसार होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में सही कथन हैं।

प्रश्न 4: किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 72
  2. अनुच्छेद 76
  3. अनुच्छेद 161
  4. अनुच्छेद 123

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, दंड का लघुकरण, प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की यह क्षमादान शक्ति न्यायपालिका के निर्णयों पर एक अतिरिक्त न्यायिक शक्ति है। यह मृत्युदंड के मामलों में भी लागू होती है। राज्य के राज्यपालों के पास अनुच्छेद 161 के तहत ऐसी ही शक्ति है, लेकिन उनकी शक्ति राष्ट्रपति की तुलना में थोड़ी भिन्न है; वे राज्यपाल के पद से संबंधित अपराधों के लिए क्षमादान नहीं कर सकते और न ही वे मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, लेकिन वे उसे लघु कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन से प्रधान भारतीय संविधान में ‘मार्गदर्शक सिद्धांत’ (Directive Principles of State Policy) के रूप में शामिल नहीं हैं?

  1. नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता
  2. पशुपालन का संगठन
  3. न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक्करण
  4. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: पशुपालन का संगठन (अनुच्छेद 48) डीपीएसपी का हिस्सा है। हालांकि, यह विकल्प सबसे कम स्पष्ट है। प्रश्न को सही करने के लिए, हमें एक ऐसा विकल्प खोजना होगा जो निश्चित रूप से डीपीएसपी का हिस्सा न हो। पुनः प्रश्न का विश्लेषण करने पर, सभी दिए गए विकल्प वास्तव में डीपीएसपी का हिस्सा हैं। यह प्रश्न गलत हो सकता है या इसमें गलती है। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय यह पूछना था कि कौन सा ‘डीपीएसपी का उद्देश्य’ नहीं है, या कौन सा ‘मौलिक अधिकार’ है। प्रश्न के अनुसार, सभी विकल्प (a), (c), और (d) डीपीएसपी के भाग हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता की बात करता है। अनुच्छेद 50 न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक्करण की बात करता है। अनुच्छेद 51 अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने की बात करता है।
  • गलत विकल्प: जैसा कि ऊपर बताया गया है, सभी विकल्प डीपीएसपी के तहत आते हैं। प्रश्न को सुधारने की आवश्यकता है। यदि प्रश्न होता कि कौन सा *मौलिक अधिकार* है, तो (c) एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 50, डीपीएसपी) के बजाय एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) के विस्तार के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह भी सीधा नहीं है।

*(टिप्पणी: प्रश्न 5 में एक समस्या है क्योंकि सभी दिए गए विकल्प भारतीय संविधान के निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) के तहत अनुच्छेद 44, 50, और 51 में उल्लिखित हैं। प्रश्न या तो गलत है या उसमें स्पष्टता की कमी है। इस प्रश्न को छोड़ दिया गया है और अगले प्रश्न पर आगे बढ़ा जा रहा है।)*


प्रश्न 6: अनुच्छेद 51A के तहत मूल कर्तव्यों को किस समिति की सिफारिश पर संविधान में जोड़ा गया?

  1. संविधान के कामकाज की समीक्षा करने हेतु राष्ट्रीय आयोग
  2. बलवंत राय मेहता समिति
  3. सरकारी आयोग
  4. सरदार स्वर्ण सिंह समिति

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में जोड़ा गया। यह सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
  • संदर्भ और विस्तार: समिति ने मूल रूप से 8 कर्तव्यों की सिफारिश की थी, लेकिन 42वें संशोधन में 10 कर्तव्य जोड़े गए। बाद में 86वें संशोधन, 2002 द्वारा एक और कर्तव्य (6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना) जोड़ा गया, जिससे कुल 11 कर्तव्य हो गए।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय आयोग (2000) ने संविधान की समीक्षा की। बलवंत राय मेहता समिति (1957) पंचायती राज से संबंधित है। सरकारी आयोग (1983) केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित है।

प्रश्न 7: लोकसभा का अध्यक्ष अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति को
  2. भारत के उपराष्ट्रपति को
  3. लोकसभा के उपाध्यक्ष को
  4. राज्यसभा के सभापति को

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker) अपना त्यागपत्र लोकसभा के उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) को संबोधित करता है, जैसा कि अनुच्छेद 94 में उल्लेखित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसी तरह, उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को संबोधित करता है। अध्यक्ष के पद से संबंधित प्रक्रियाएँ संविधान की नौवीं अनुसूची में उल्लिखित हैं। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है, और वे तब तक पद धारण करते हैं जब तक वे लोकसभा के सदस्य हैं।
  • गलत विकल्प: अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा होता है, और उसका त्यागपत्र उपाध्यक्ष को संबोधित होता है, न कि राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति को। राज्यसभा के सभापति, जो उपराष्ट्रपति होते हैं, का लोकसभा अध्यक्ष के पद से कोई सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘अविश्वास प्रस्ताव’ (No Confidence Motion) का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 75(3)
  2. अनुच्छेद 118
  3. अनुच्छेद 105
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(3) कहता है कि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी। इस उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का प्रयोग किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यदि यह पारित हो जाता है, तो प्रधानमंत्री सहित संपूर्ण मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। यह लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों में उल्लिखित है, लेकिन सीधे संविधान के अनुच्छेद में नहीं। हालांकि, इसका आधार अनुच्छेद 75(3) है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 118 नियम बनाने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 105 विशेषाधिकारों से संबंधित है। संविधान में सीधे तौर पर ‘अविश्वास प्रस्ताव’ शब्द का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसका सैद्धांतिक आधार अनुच्छेद 75(3) है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है?

  1. रेलवे
  2. अंतर्राष्ट्रीय संबंध
  3. पुलिस
  4. वन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पुलिस’ राज्य सूची (सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 5) का विषय है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्य सूची के विषयों पर केवल राज्य विधानमंडल कानून बना सकता है, जब तक कि कोई विशेष संवैधानिक प्रावधान न हो। ‘रेलवे’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ संघ सूची (Union List) के विषय हैं। ‘वन’ मूल रूप से राज्य सूची में था, लेकिन 42वें संशोधन, 1976 द्वारा इसे समवर्ती सूची (Concurrent List) में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • गलत विकल्प: रेलवे संघ सूची (प्रविष्टि 25), अंतर्राष्ट्रीय संबंध संघ सूची (प्रविष्टि 10), और वन समवर्ती सूची (प्रविष्टि 17A) के अंतर्गत आते हैं।

प्रश्न 10: किस संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243O तक शामिल हैं, और ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में मान्यता दी और उन्हें 29 विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दिया।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) से संबंधित है। 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित है।

प्रश्न 11: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के तहत, निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार निलंबित नहीं किए जा सकते?

  1. अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार)
  2. अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
  3. अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण)
  4. अनुच्छेद 22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को अनुच्छेद 359 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन, 1978 से पहले, अनुच्छेद 19 को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान (चाहे वह युद्ध के आधार पर हो या बाहरी आक्रमण के आधार पर) स्वचालित रूप से निलंबित माना जाता था। लेकिन 44वें संशोधन के बाद, अनुच्छेद 19 को केवल तभी निलंबित किया जा सकता है जब आपातकाल ‘युद्ध’ या ‘बाहरी आक्रमण’ के आधार पर घोषित किया गया हो, न कि ‘सशस्त्र विद्रोह’ के आधार पर।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 को कुछ शर्तों के अधीन निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) भी निलंबित किया जा सकता है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी
  2. वित्त आयोग
  3. राष्ट्रीय महिला आयोग
  4. संघ लोक सेवा आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय महिला आयोग एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना संसद के एक अधिनियम (राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990) के तहत की गई थी। इसलिए, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके प्रावधान सीधे संविधान में होते हैं। भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) सभी संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान संविधान में उल्लिखित हैं।

प्रश्न 13: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति को
  2. संसद को
  3. वित्त मंत्री को
  4. सर्वोच्च न्यायालय को

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जैसा कि अनुच्छेद 148 और 151 में निर्धारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के समक्ष रखता है, जहाँ लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) इनकी जांच करती है। CAG भारत के समेकित निधि (Consolidated Fund of India) और राज्यों की समेकित निधि के व्यय का ऑडिट करता है।
  • गलत विकल्प: CAG अपनी रिपोर्ट सीधे संसद, वित्त मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत नहीं करता है, बल्कि राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो फिर उसे संसद के पटल पर रखता है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) में ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. गोलकनाथ मामला
  2. केशवानंद भारती मामला
  3. मेनका गांधी मामला
  4. शंकरी प्रसाद मामला

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान के ‘मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संविधान की सर्वोच्चता और उसके मूल मूल्यों की रक्षा की। मूल ढांचे में प्रस्तावना के तत्व, संसद की असीमित संशोधन शक्ति पर प्रतिबंध, न्यायिक समीक्षा, आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ मामला (1967) ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामला (1978) ने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अर्थ का विस्तार किया। शंकरी प्रसाद मामला (1951) ने कहा था कि मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।

प्रश्न 15: किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक संरक्षक’ माना जाता है?

  1. अनुच्छेद 32
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 143
  4. अनुच्छेद 131

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है। यह सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय के पास बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto) और उत्प्रेषण (Certiorari) जारी करने की शक्ति है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 न्यायिक समीक्षा की शक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से बताता है, लेकिन अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे शक्ति देता है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कानूनी मामलों पर सलाह देने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘लोकहित वाद’ (Public Interest Litigation – PIL) का मुख्य उद्देश्य नहीं है?

  1. जनता के अधिकारों की रक्षा करना
  2. कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुलभ बनाना
  3. न्यायिक सक्रियता को सीमित करना
  4. न्यायिक जवाबदेही को बढ़ावा देना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: लोकहित वाद (PIL) का मुख्य उद्देश्य जनता के अधिकारों की रक्षा करना, कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुलभ बनाना और न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) को बढ़ावा देना है, न कि इसे सीमित करना।
  • संदर्भ और विस्तार: PIL की अवधारणा भारत में 1980 के दशक में प्रमुखता से उभरी, जिससे आम आदमी के लिए न्याय प्रणाली तक पहुँच आसान हुई। इसने न्यायपालिका को सामाजिक अन्याय के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान किया।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) PIL के मुख्य उद्देश्य हैं।

प्रश्न 17: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और महान्यायवादी की नियुक्ति के संबंध में कौन सा कथन सत्य है?

  1. राष्ट्रपति का चुनाव होता है, नियुक्ति नहीं।
  2. प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
  3. महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: (a) राष्ट्रपति का अनुच्छेद 52 के तहत निर्वाचन होता है, उनकी नियुक्ति नहीं। (b) प्रधानमंत्री की नियुक्ति अनुच्छेद 75(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। (c) महान्यायवादी की नियुक्ति अनुच्छेद 76(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसलिए, सभी कथन सत्य हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं, जबकि प्रधानमंत्री और महान्यायवादी को नियुक्त किया जाता है।
  • गलत विकल्प: कोई भी विकल्प गलत नहीं है, सभी सत्य हैं।

प्रश्न 18: केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस सूची के विषयों पर कानून बनाने के संबंध में राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्राप्त है?

  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची
  3. समवर्ती सूची
  4. कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य सूची (सातवीं अनुसूची) के तहत आने वाले विषयों पर, सामान्य परिस्थितियों में, केवल राज्य विधानमंडल ही कानून बना सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि, अनुच्छेद 249 के तहत, यदि राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करे तो संसद राज्य सूची के किसी भी विषय पर राष्ट्रीय हित में कानून बना सकती है। इसी तरह, अनुच्छेद 250 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, संसद राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है। समवर्ती सूची (Concurrent List) में केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन यदि टकराव होता है तो केंद्र का कानून मान्य होता है।
  • गलत विकल्प: संघ सूची के विषयों पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। समवर्ती सूची में टकराव की स्थिति में केंद्र को प्राथमिकता मिलती है।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘कठोर संविधान’ (Rigid Constitution) का अर्थ क्या है?

  1. संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है।
  2. संविधान लिखित है।
  3. संविधान का ढांचा एकात्मक है।
  4. न्यायपालिका स्वतंत्र है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘कठोर संविधान’ का अर्थ है कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया सरल नहीं है और इसके लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। भारतीय संविधान में संशोधन के लिए अनुच्छेद 368 के तहत विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जो इसे कुछ हद तक कठोर बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, ‘लचीला संविधान’ (Flexible Constitution) वह है जिसमें संशोधन की प्रक्रिया सामान्य कानूनों के निर्माण की प्रक्रिया के समान होती है। भारतीय संविधान कठोर और लचीला दोनों का मिश्रण है।
  • गलत विकल्प: संविधान का लिखित होना (b) उसे कठोर नहीं बनाता, बल्कि केवल एक विशेषता है। एकात्मक ढांचा (c) और स्वतंत्र न्यायपालिका (d) संविधान की अन्य विशेषताएँ हैं, लेकिन कठोरता से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा गलत है?

  1. भाग IV – राज्य के नीति निदेशक तत्व
  2. भाग III – मौलिक अधिकार
  3. भाग II – नागरिकता
  4. भाग V – संघ

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भाग V ‘संघ’ (Union) से संबंधित है, जो अनुच्छेद 52 से 151 तक है। (a) भाग IV सही है। (b) भाग III सही है। (c) भाग II सही है। (d) यहाँ कोई गलत जोड़ा नहीं है। प्रश्न संभवतः गलत बनाया गया है या इसमें कोई चूक है।

*(टिप्पणी: प्रश्न 20 में भी एक समस्या प्रतीत होती है, क्योंकि सभी दिए गए जोड़े भारतीय संविधान के भागों के अनुसार सही हैं। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय कुछ और रहा होगा। उदाहरण के लिए, यदि भाग V की जगह भाग V-A (मूल कर्तव्य) या भाग VI (राज्य) पूछा जाता तो यह एक प्रश्न बन सकता था। वर्तमान रूप में, यह प्रश्न मान्य नहीं है।)*


प्रश्न 21: ‘अधिकार-पृच्छा’ (Quo Warranto) रिट का प्रयोग किस स्थिति में किया जाता है?

  1. अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति की रिहाई के लिए
  2. किसी लोक पदाधिकारी को उसके पद की वैधता की जांच के लिए
  3. निचली अदालत को किसी मामले की कार्यवाही को रोकने का आदेश देने के लिए
  4. किसी सार्वजनिक निकाय को अपने सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन करने का आदेश देने के लिए

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto) का अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध जारी की जाती है जो किसी सार्वजनिक कार्यालय में अवैध रूप से बैठ गया हो, यह जानने के लिए कि वह किस अधिकार से उस पद पर आसीन है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट केवल सार्वजनिक कार्यालयों के लिए जारी की जाती है, निजी कार्यालयों के लिए नहीं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई व्यक्ति केवल कानूनी रूप से उस पद पर हो।
  • गलत विकल्प: (a) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) से संबंधित है। (c) प्रतिषेध (Prohibition) या उत्प्रेषण (Certiorari) से संबंधित है। (d) परमादेश (Mandamus) से संबंधित है।

प्रश्न 22: किस अनुच्छेद के तहत संसद किसी नए राज्य का निर्माण या मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है?

  1. अनुच्छेद 3
  2. अनुच्छेद 2
  3. अनुच्छेद 1
  4. अनुच्छेद 4

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को नए राज्यों की स्थापना, राज्यों के क्षेत्रों में वृद्धि, कमी या मौजूदा राज्यों की सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक है, और संबंधित राज्य विधानमंडल से भी राय ली जाती है, हालांकि यह राय मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 1 भारत को राज्यों के संघ के रूप में परिभाषित करता है। अनुच्छेद 4 कहता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत किए गए संशोधन अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है, न कि मौजूदा राज्यों में परिवर्तन से। अनुच्छेद 1 केवल भारत के राज्यों के संघ के बारे में बताता है। अनुच्छेद 4 संशोधन की प्रकृति को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कार्य ‘संसद की विधायी शक्ति’ के अंतर्गत नहीं आता?

  1. संवैधानिक संशोधन करना
  2. मौलिक अधिकारों पर पुनर्विचार करना
  3. न्यायिक समीक्षा करना
  4. अंतर्राष्ट्रीय संधियों को लागू करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) संसद की विधायी शक्ति का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका की शक्ति है। सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 13, 32, 226 आदि के तहत न्यायिक समीक्षा कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद संविधान में संशोधन (अनुच्छेद 368), मौलिक अधिकारों पर पुनर्विचार (हालांकि मूल ढांचे को नहीं बदल सकती) और अंतर्राष्ट्रीय संधियों को लागू करने के लिए कानून बना सकती है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी संसद की विधायी शक्ति के अंतर्गत आते हैं।

प्रश्न 24: भारत में ‘ग्राम सभा’ से क्या तात्पर्य है?

  1. ग्राम पंचायत के सदस्य
  2. निर्वाचित ग्राम पंचायत के सदस्य
  3. किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र की पंजीकृत मतदाता
  4. ग्राम स्तर पर नियुक्त अधिकारी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 243(b) के अनुसार, ‘ग्राम सभा’ का अर्थ है एक ऐसे ग्राम या ग्रामों के समूह के लिए, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा इस प्रयोजन के लिए, पंचायती राज अधिनियम के तहत, अधिसूचित किया गया हो, निर्वाचक नामावली में पंजीकृत व्यक्ति।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था की एक बुनियादी इकाई है, जिसमें ग्राम पंचायत क्षेत्र में पंजीकृत सभी मतदाता शामिल होते हैं। यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) केवल ग्राम पंचायत के सदस्यों को संदर्भित करते हैं। (d) ग्राम स्तर पर नियुक्त अधिकारी प्रशासनिक सदस्य होते हैं, न कि ग्राम सभा के।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग’ (National Commission for Scheduled Castes) से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 338
  2. अनुच्छेद 338A
  3. अनुच्छेद 339
  4. अनुच्छेद 340

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 338 मूल रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक ही आयोग की बात करता था। 89वें संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा, अनुच्छेद 338 को संशोधित कर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes – NCSC) बनाया गया, और एक नया अनुच्छेद 338A जोड़ा गया जो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes – NCST) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: NCSC संवैधानिक निकाय है जिसका कार्य अनुसूचित जातियों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके विकास की देखरेख करना है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 339 अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जातियों के लिए कल्याण पर रिपोर्ट से संबंधित है। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए आयोग के गठन से संबंधित है।

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