संविधान मंथन: 25 प्रश्न, 25 चुनौतियाँ
नमस्कार, भावी प्रशासकों! आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी में आपका स्वागत है। भारतीय लोकतंत्र के मूल स्तंभों को समझना आपकी सफलता की कुंजी है। आइए, अपनी संवैधानिक समझ की गहराई को परखें और देश की शासन व्यवस्था पर अपनी पकड़ को मज़बूत करें। तैयार हो जाइए 25 गहन प्रश्नों के इस महामंथन के लिए!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ शब्द का प्रयोग किस रूप में किया गया है?
- केवल सामाजिक
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
- सामाजिक और आर्थिक
- राजनीतिक और धार्मिक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का आश्वासन देती है। यह प्रस्तावना के मूलभूत ढाँचे का हिस्सा है और संविधान के समग्र उद्देश्यों को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि संविधान का उद्देश्य अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) की प्राप्ति को सुरक्षित करना है। ‘सामाजिक न्याय’ का अर्थ है जाति, नस्ल, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर कोई भी भेदभाव न होना। ‘आर्थिक न्याय’ का अर्थ है आय और संपत्ति के असमानताओं को कम करना। ‘राजनीतिक न्याय’ का अर्थ है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों, जैसे कि वोट देने और पद धारण करने का अधिकार।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) प्रस्तावना में उल्लिखित न्याय के व्यापक दायरे को सीमित करते हैं। प्रस्तावना इन तीनों (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) आयामों को एक साथ शामिल करती है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों को समान अवसर मिलें।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध) भी सभी व्यक्तियों के लिए है, हालांकि इसके कुछ उपबंध (जैसे 15(4)) केवल नागरिकों पर लागू होते हैं। अन्य महत्वपूर्ण अधिकार जो केवल नागरिकों को प्राप्त हैं, उनमें अनुच्छेद 15, 17, 19, 29 और 30 शामिल हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) सभी व्यक्तियों के लिए हैं। विकल्प (c) भी बड़े पैमाने पर सभी व्यक्तियों के लिए है, लेकिन अनुच्छेद 16 पूरी तरह से भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित है।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को प्राप्त है।
- यह शक्ति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकती है।
- यह शक्ति सैनिक न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं पर भी लागू होती है।
- राष्ट्रपति को यह शक्ति किसी भी मामले में जारी की गई सजा को क्षमा करने का अधिकार देती है, भले ही वह असंवैधानिक हो।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति है, जिसमें क्षमा (pardon), लघुकरण (commutation), परिहार (remission), प्रतिहार (respite) और प्रविलंबन (reprieve) शामिल हैं। यह शक्ति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने (लघुकरण) या सैनिक न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं पर भी लागू होती है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 72(1) राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों के संबंध में क्षमादान की शक्ति देता है जिनके अपराध के लिए दंड किसी कानून के विरुद्ध अपराध है, किसी ऐसे मामले के संबंध में जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के अधीन है; या किसी ऐसे अपराध के लिए दंड, जो किसी कोर्ट-मार्शल द्वारा दिया गया है। हालाँकि, यह शक्ति मनमानी नहीं है। राष्ट्रपति को क्षमादान के लिए याचिकाकर्ता के मामले में सभी प्रासंगिक तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करना होता है। यदि सजा असंवैधानिक है, तो क्षमादान के बजाय इसे सीधे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किया जा सकता है, या राष्ट्रपति अन्य न्यायिक प्रक्रियाओं का सहारा ले सकते हैं। क्षमादान की शक्ति का दुरुपयोग या मनमाना प्रयोग न्यायपालिका के पुनर्विलोकन के अधीन हो सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति मनमानी नहीं है और यह न्यायपालिका के पुनर्विलोकन के अधीन हो सकती है, विशेष रूप से जब यह किसी असंवैधानिक सजा को ‘माफ़’ करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। राष्ट्रपति सजा को ‘रद्द’ नहीं कर सकते अगर वह पहले से ही असंवैधानिक है; उस स्थिति में, प्रक्रिया भिन्न होती है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी समिति संसद की स्थायी समितियों का हिस्सा नहीं है?
- लोक लेखा समिति
- प्राक्कलन समिति
- वित्तीय सलाहकार समिति
- सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति संसद की तीन स्थायी वित्तीय समितियों में से हैं। ये समितियाँ वित्तीय मामलों पर संसद के नियंत्रण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) सरकारी खर्चों की लेखापरीक्षा करती है। प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) सरकारी खर्चों के अनुमानों की जांच करती है और दक्षता व मितव्ययिता के उपायों का सुझाव देती है। सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (Committee on Public Undertakings – COPU) सरकारी उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा करती है। ‘वित्तीय सलाहकार समिति’ (Financial Advisory Committee) जैसी कोई स्थायी समिति संसद में मौजूद नहीं है।
- गलत विकल्प: ‘वित्तीय सलाहकार समिति’ एक वास्तविक समिति नहीं है, जबकि अन्य तीन विकल्प संसद की महत्वपूर्ण स्थायी समितियाँ हैं।
प्रश्न 5: संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संशोधन संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: 42वां संशोधन, जिसे ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है, ने प्रस्तावना में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इसने भारत को एक ‘संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ घोषित किया और राष्ट्र की एकता को ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ में बदल दिया। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया (अनुच्छेद 300A बनाया)। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) को जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 6: भारतीय संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति किस अनुच्छेद के तहत प्राप्त है?
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 368
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 भारतीय संविधान के भाग XX में स्थित है और यह संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद संशोधन की प्रक्रिया भी बताता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के संशोधन (साधारण बहुमत, विशेष बहुमत, विशेष बहुमत तथा राज्यों के अनुसमर्थन से) शामिल हैं। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान की ‘मूलभूत संरचना’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों से संबंधित है। अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने की शक्ति देता है, यदि वह राष्ट्रीय हित में आवश्यक हो। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस मूल अधिकार को ‘डॉक्ट्रिन ऑफ एसेंशियल रिक्वायरमेंट्स’ (Doctrine of Essential Requirements) के तहत संरक्षित किया गया है?
- धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(a))
- सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार (अनुच्छेद 30)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘डॉक्ट्रिन ऑफ एसेंशियल रिक्वायरमेंट्स’ (आवश्यकता के सिद्धांत) को सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) के संदर्भ में विकसित किया है। यह सिद्धांत मानता है कि प्रत्येक धर्म के अपने आवश्यक अनुष्ठान और प्रथाएं होती हैं, और राज्य ऐसे अनुष्ठानों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकता जब तक वे सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हों।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत का सार यह है कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में किसी धर्म के सारभूत (essential) तत्वों का पालन करने का अधिकार शामिल है। उदाहरण के लिए, ‘ताजिया’ निकालने की प्रथा या ‘श्रीरंगपटनम’ में ‘श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर’ के संचालन से संबंधित मामले इस सिद्धांत के तहत देखे गए हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) में ‘डॉक्ट्रिन ऑफ बेसिक स्ट्रक्चर’ जैसे सिद्धांत लागू होते हैं, लेकिन ‘आवश्यकता का सिद्धांत’ विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा है। अनुच्छेद 19(1)(a) और 30 भी महत्वपूर्ण अधिकार हैं, लेकिन ‘आवश्यकता का सिद्धांत’ सीधे तौर पर धार्मिक प्रथाओं के संरक्षण के लिए है।
प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
- CAG को केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है।
- CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है। CAG का वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: CAG को पद से हटाना सामान्यतः महाभियोग जैसी प्रक्रिया द्वारा होता है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए निर्धारित किया गया है (अनुच्छेद 148(1) के तहत)। हालाँकि, यह प्रक्रिया राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने से थोड़ी भिन्न हो सकती है। CAG को ‘संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित एक प्रस्ताव के आधार पर’ हटाया जाता है, जिसमें साबित कदाचार या असमर्थता का उल्लेख हो। यह महाभियोग (Impeachment) शब्द से भिन्न है, जो केवल राष्ट्रपति पर लागू होता है। अतः, यह कहना कि ‘केवल महाभियोग प्रक्रिया’ गलत है।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) असत्य है क्योंकि CAG को हटाना महाभियोग के समान एक प्रक्रिया द्वारा होता है, लेकिन ‘केवल महाभियोग’ शब्द तकनीकी रूप से सटीक नहीं है। यह ‘संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव’ द्वारा हटाया जाता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘तदर्थ’ (Ad Hoc) नियुक्ति का उदाहरण है?
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General)
- राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General)
- सर्वोच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Acting Chief Justice of the Supreme Court)
- भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति अनुच्छेद 126 के तहत की जाती है। यह एक तदर्थ (Ad Hoc) नियुक्ति है जो तब की जाती है जब मुख्य न्यायाधीश का पद खाली हो या वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो।
- संदर्भ और विस्तार: तदर्थ नियुक्ति का अर्थ है किसी विशेष उद्देश्य या अवधि के लिए की गई नियुक्ति। महान्यायवादी (अनुच्छेद 76) और महाधिवक्ता (अनुच्छेद 165) नियमित रूप से नियुक्त किए जाते हैं, हालांकि वे सरकार के बदलने पर बदल सकते हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी एक स्थायी पद नहीं है, लेकिन वह भी तदर्थ नियुक्ति के दायरे में नहीं आता। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति तब तक प्रभावी रहती है जब तक मुख्य न्यायाधीश का पद भरा न जाए।
- गलत विकल्प: महान्यायवादी, महाधिवक्ता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति अलग-अलग प्रावधानों (जैसे अनुच्छेद 76, 165, और सरकार की नियुक्ति शक्ति) के तहत होती है, जो तदर्थ प्रकृति की नहीं है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान में ‘राज्य की नीति के निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और प्रेरणा: भारतीय संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (DPSP) को आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान के ‘नीति निदेशक सिद्धांत’ (Directive Principles of Social Policy) भारतीय DPSP के समान ही कल्याणकारी राज्य की स्थापना और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने पर बल देते हैं। ये तत्व न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, अर्थात इन्हें न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, लेकिन ये देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य का कर्तव्य है कि वह इन्हें लागू करे।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से हमने मौलिक अधिकार (Fundamental Rights), कनाडा से संघात्मक व्यवस्था (संघ की अवशिष्ट शक्ति राज्यपाल में निहित), और ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची (Concurrent List) ली है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकती है, यदि वह राष्ट्र हित में आवश्यक हो?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 253
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, यदि वह राज्यसभा द्वारा पारित प्रस्ताव द्वारा घोषित किया गया हो कि ऐसा करना राष्ट्र हित में आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद केंद्र-राज्य संबंधों में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो आपातकाल की स्थिति के बिना भी केंद्रीय सरकार को राज्य सूची के विषयों पर विधायी शक्ति प्रदान करता है, बशर्ते कि राष्ट्रीय हित की आवश्यकता हो। इसके लिए प्रस्ताव को उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची पर विधायी शक्ति देता है। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 253 अंतर्राष्ट्रीय करार के निष्पादन के लिए प्रावधान करता है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय नहीं है?
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- योजना आयोग (Planning Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) संविधान में स्पष्ट रूप से स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: योजना आयोग (Planning Commission) भारत सरकार का एक कार्यकारी निकाय था, जिसे 1950 में स्थापित किया गया था। यह संविधान में कहीं भी उल्लिखित नहीं था। इसे 2015 में भंग कर दिया गया और इसके स्थान पर नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन किया गया, जो एक थिंक-टैंक और नीति निर्माण संस्था है।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग, चुनाव आयोग और संघ लोक सेवा आयोग सभी संवैधानिक निकाय हैं, जबकि योजना आयोग एक कार्यकारी निकाय था।
प्रश्न 13: भारत में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी?
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुसूची संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRI) से संबंधित 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने संविधान में भाग IX भी जोड़ा, जो पंचायतों के गठन, शक्तियों, प्राधिकारों और जिम्मेदारियों का प्रावधान करता है। यह ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने की दिशा में एक मील का पत्थर था।
- गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित है और पहले संशोधन द्वारा जोड़ी गई थी। दसवीं अनुसूची दल-बदल से संबंधित है (52वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई)। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है और 74वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘पूर्णतः’ (Absolutely) नहीं, बल्कि ‘उचित प्रतिबंधों’ (Reasonable Restrictions) के अधीन है?
- धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह अधिकार ‘सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य’ के अधीन है। इसका अर्थ है कि इस अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘उचित प्रतिबंध’ का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी मौलिक अधिकार का प्रयोग इस तरह से न हो कि वह सार्वजनिक हित या अन्य नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करे। अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) पर भी कुछ परिस्थितिजन्य प्रतिबंध हो सकते हैं, लेकिन अनुच्छेद 25 में ये प्रतिबंध सीधे तौर पर धर्म की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के अंतर्गत ही परिभाषित हैं। अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को भी निलंबित किया जा सकता है (आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 359), लेकिन यह ‘उचित प्रतिबंध’ से अलग है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन भी कुछ हद तक सार्वजनिक व्यवस्था के तहत रोका जा सकता है, लेकिन अनुच्छेद 25 का आधार ही ‘उचित प्रतिबंध’ है। अनुच्छेद 32 आपातकाल के दौरान निलंबित होता है, जो ‘उचित प्रतिबंध’ से भिन्न प्रकृति का है।
प्रश्न 15: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है, जब युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance) को ‘सशस्त्र विद्रोह’ (Armed Rebellion) से बदल दिया गया था ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिखित सलाह पर की जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्य द्वारा संघ के निर्देशों का पालन न करने पर लागू होता है, जो अक्सर अनुच्छेद 356 के प्रयोग का आधार बनता है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) को सबसे अच्छी तरह परिभाषित करता है?
- न्यायाधीशों द्वारा केवल कानून की व्याख्या करना।
- न्यायालयों द्वारा कार्यपालिका और विधायिका के निर्णयों की समीक्षा करना।
- न्यायालयों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का विस्तार करके सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को सक्रिय रूप से संबोधित करना।
- विधायिका द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक वैधता का निर्धारण करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और परिभाषा: न्यायिक सक्रियता से तात्पर्य न्यायालयों, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों, द्वारा अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए लोक कल्याण और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय भूमिका निभाना है, अक्सर जब कार्यपालिका या विधायिका कार्रवाई करने में विफल रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें सार्वजनिक हित याचिका (PIL) का प्रयोग, विधायी या कार्यकारी निष्क्रियता के विरुद्ध निर्देश जारी करना, और मौलिक अधिकारों के दायरे को विस्तारित करना शामिल हो सकता है। यह न्यायपालिका को सार्वजनिक नीतियों में एक अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) के पहलू हैं, जो न्यायिक सक्रियता का हिस्सा हो सकते हैं लेकिन पूरी परिभाषा नहीं हैं। (b) कार्यपालिका और विधायिका की समीक्षा न्यायिक समीक्षा का हिस्सा है, लेकिन न्यायिक सक्रियता इससे आगे बढ़कर सक्रिय पहल करने पर जोर देती है।
प्रश्न 17: भारत के संविधान की कौन सी अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करती है?
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुसूची संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ी गई ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिए 29 विषयों की सूची दी गई है, जिन पर वे कानून बना सकते हैं और उन्हें लागू कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची पंचायतों को वित्तीय संसाधन जुटाने और उनके उपयोग के लिए शक्तियाँ और अधिकार प्रदान करती है, जिससे वे स्थानीय स्वशासन की प्रभावी संस्थाएँ बन सकें।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन को दर्शाती है। आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) के कार्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करती है।
प्रश्न 18: राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल की घोषणा के लिए आवश्यक बहुमत क्या है?
- सदैव साधारण बहुमत
- सदैव विशेष बहुमत
- घोषणा के प्रकार के आधार पर भिन्न होता है
- सदैव दो-तिहाई बहुमत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: घोषणाओं के लिए आवश्यक बहुमत भिन्न होता है। राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की घोषणा के लिए संसद के प्रत्येक सदन का ‘विशेष बहुमत’ (कुल सदस्यता के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत) आवश्यक होता है। राज्य में आपातकाल (अनुच्छेद 356) की घोषणा के लिए ‘साधारण बहुमत’ (सदनों द्वारा संकल्प पारित) पर्याप्त होता है। वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की घोषणा के लिए भी ‘साधारण बहुमत’ आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल के मामले में, घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा मूल रूप से एक महीने के भीतर (यदि पहले से लागू न हो) और फिर हर छह महीने में विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा जारी रखना होता है। अन्य आपातकालों के लिए अनुमोदन का समय-काल और बहुमत का प्रकार अलग है।
- गलत विकल्प: सभी प्रकार के आपातकालों के लिए एक ही प्रकार का बहुमत आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है और जिसे निलंबित नहीं किया जा सकता?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 15)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा गया है। यह अधिकार स्वयं में एक मौलिक अधिकार है और इसे अनुच्छेद 359 के तहत आपातकाल की स्थिति में भी निलंबित नहीं किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि अनुच्छेद 14, 15, 19, 20, 21, 25 पर कुछ प्रतिबंध लागू हो सकते हैं या उन्हें निलंबित किया जा सकता है (जैसे अनुच्छेद 21 को आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है, जैसा कि कुछ व्याख्याओं में माना गया है), अनुच्छेद 32 को निलंबित करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त कुछ अधिकार, जैसे अनुच्छेद 19, को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) को छोड़कर अन्य अधिकार (25, 15) या तो सभी व्यक्तियों के लिए हैं या, यदि केवल नागरिकों के लिए भी हैं, तो उन्हें निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 21 को छोड़कर, अन्य सभी मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित किए जा सकते हैं।
प्रश्न 20: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की भूमिका क्या है?
- सरकार की व्यय नीतियों का निर्धारण करना।
- सरकार के वित्तीय लेनदेन का लेखा-जोखा रखना और उनका ऑडिट करना।
- संसद के लिए सरकारी धन के उपयोग पर एक रिपोर्ट तैयार करना।
- केंद्र सरकार के लिए वित्तीय सलाह देना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। अनुच्छेद 148 CAG की नियुक्ति करता है, जबकि अनुच्छेद 149 उसके कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है, जिसमें सरकारी धन के व्यय का लेखा-जोखा रखना और ऑडिट करना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत की संचित निधि, आकस्मिक निधि और लोक लेखा से किए गए सभी व्यय का ऑडिट करता है। वह अपनी ऑडिट रिपोर्टें राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। CAG सरकार की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: (a) व्यय नीतियों का निर्धारण सरकार (वित्त मंत्रालय) करती है। (c) संसद के लिए रिपोर्ट तैयार करना CAG का कार्य है, लेकिन यह उसकी भूमिका का केवल एक हिस्सा है, पूर्ण विवरण नहीं। (d) वित्तीय सलाह का कार्य मुख्य रूप से वित्त मंत्रालय और नीति आयोग का होता है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘लोकसभा अध्यक्ष’ (Speaker of Lok Sabha) के बारे में सही है?
- उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे सदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- वे पहली बार में अपने पद से त्यागपत्र देते हैं।
- वे सदन की अवमानना के लिए किसी सदस्य को दंडित कर सकते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है, न कि राष्ट्रपति द्वारा। हालाँकि, लोकसभा अध्यक्ष सदन की अवमानना के लिए किसी सदस्य को दंडित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए लोकसभा के तत्कालीन (तत्काल उपस्थित और मत देने वाले) सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प की आवश्यकता होती है, और इस संकल्प पर विचार करने के लिए 14 दिन का पूर्व नोटिस देना आवश्यक है। वे अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को देते हैं। अध्यक्ष सदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं, लेकिन उनका प्राथमिक कर्तव्य सदन की कार्यवाही का संचालन करना और उसके विशेषाधिकारों की रक्षा करना है। उन्हें विशेषाधिकार समिति के माध्यम से सदन की ओर से कार्य करने की शक्ति प्राप्त है, जिसमें अवमानना के मामलों में कार्रवाई शामिल है।
- गलत विकल्प: (a) अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति नहीं, बल्कि लोकसभा के सदस्य करते हैं। (b) वे सदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं, लेकिन उनका पद केवल सदन की इच्छा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि एक निश्चित प्रक्रिया से हटाया जाता है। (c) वे उपाध्यक्ष को त्यागपत्र देते हैं, न कि पहली बार में अपने पद से।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य’ की परिभाषा देता है, जो मौलिक अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा प्रदान करता है। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों वाले भाग III (अनुच्छेद 12-35) के प्रयोजनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। इसमें सरकारी एजेंसियां, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, और कुछ निजी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं यदि वे राज्य की ओर से कार्य करती हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 ‘विधियों को असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली’ बताता है। अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार है, और अनुच्छेद 15 भेदभाव का प्रतिषेध है। ये सभी अनुच्छेद ‘राज्य’ की परिभाषा पर ही निर्भर करते हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार ‘डॉक्ट्रिन ऑफ प्रोपोरशनेलिटी’ (Doctrine of Proportionality) द्वारा शासित होता है?
- भेदभाव का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- जबरन श्रम का निषेध (अनुच्छेद 23)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण (अनुच्छेद 29)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘डॉक्ट्रिन ऑफ प्रोपोरशनेलिटी’ (अनुपात का सिद्धांत) का अनुप्रयोग मुख्य रूप से अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत राज्य द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वैधता का आकलन करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, यदि राज्य किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता के अधिकार को सीमित करता है, तो यह प्रतिबंध न केवल एक वैध उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए होना चाहिए, बल्कि यह उस उद्देश्य के लिए ‘आनुपातिक’ (proportionate) भी होना चाहिए। यानी, प्रतिबंध आवश्यक से अधिक कठोर नहीं होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने मेनका गांधी मामले (1978) में इस सिद्धांत को अपनाया था।
- गलत विकल्प: अन्य अनुच्छेद भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों पर लगाए गए प्रतिबंधों की वैधता का निर्धारण करने में ‘प्रोपोरशनेलिटी’ का सिद्धांत विशेष रूप से प्रभावी रहा है।
प्रश्न 24: अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत ‘व्यापार करने की स्वतंत्रता’ पर उचित प्रतिबंधों का एक आधार क्या है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा
- सार्वजनिक व्यवस्था
- संवैधानिक नैतिकता
- अल्पसंख्यकों का संरक्षण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19(1)(g) भारत के सभी नागरिकों को कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता देता है। हालांकि, इस अधिकार पर अनुच्छेद 19(6) के तहत ‘उचित प्रतिबंध’ लगाए जा सकते हैं, जिसमें ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (Public Order) भी एक आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ के आधार पर लगाए गए प्रतिबंधों में ऐसे व्यापार या व्यवसायों पर रोक लगाना शामिल हो सकता है जो समाज में अव्यवस्था फैलाते हैं या शांति भंग करते हैं। अन्य आधारों में जनहित में सामान्य जनता के हित में उचित प्रतिबंध, तकनीकी योग्यताएं, और सरकारी एकाधिकार शामिल हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय सुरक्षा (Article 19(1)(d)), संवैधानिक नैतिकता (हालांकि यह अप्रत्यक्ष रूप से अन्य आधारों में शामिल हो सकती है) और अल्पसंख्यकों का संरक्षण (यह अन्य अनुच्छेदों से संबंधित है, जैसे अनुच्छेद 15, 29, 30) सीधे तौर पर अनुच्छेद 19(6) के तहत ‘व्यापार करने की स्वतंत्रता’ पर प्रतिबंध के सूचीबद्ध आधार नहीं हैं।
प्रश्न 25: ‘सरकार की संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System of Government) की प्रमुख विशेषता क्या है?
- कार्यपालिका का विधायिका से पृथक्करण।
- राज्य का मुखिया (जैसे राष्ट्रपति) राष्ट्र का मुखिया भी होता है।
- कार्यपालिका, विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
- कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और परिभाषा: संसदीय प्रणाली की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिपरिषद) अपनी राजनीतिक जवाबदेही के लिए विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि मंत्रिपरिषद तब तक सत्ता में बनी रहती है जब तक उसे संसद (विशेषकर निचला सदन, लोकसभा) का विश्वास प्राप्त हो। विश्वास मत हारने पर मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ सकता है। अध्यक्षीय प्रणाली (Presidential System) के विपरीत, जहाँ कार्यपालिका और विधायिका का स्पष्ट पृथक्करण होता है और कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती।
- गलत विकल्प: (a) यह अध्यक्षीय प्रणाली की विशेषता है, संसदीय प्रणाली की नहीं। (b) यह संवैधानिक राजशाही (Constitutional Monarchy) या गणतंत्र (Republic) की विशेषता हो सकती है, न कि संसदीय प्रणाली की विशिष्ट पहचान। (d) संसदीय प्रणाली में, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, यह बहुमत पर निर्भर करता है।