संविधान मंथन: रोज की परीक्षा
भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभ को समझने की अपनी यात्रा में एक और कदम बढ़ाएं! हर दिन, हम आपके लिए भारतीय पॉलिटी और संविधान के ऐसे प्रश्न लेकर आते हैं जो न केवल आपकी तथ्यात्मक जानकारी को चुनौती देते हैं, बल्कि आपकी वैचारिक स्पष्टता को भी परखते हैं। आइए, आज फिर से अपने ज्ञान को धार दें और अपनी परीक्षा की तैयारी को मजबूत बनाएं!
भारतीय पॉलिटी और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 24वां संशोधन
- 42वां संशोधन
- 44वां संशोधन
- 52वां संशोधन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। ये संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान हुए थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना के मूल स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, जिससे भारतीय राज्य की प्रकृति और उद्देश्यों को और स्पष्ट किया गया। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) और सभी धर्मों के प्रति समान आदर की भावना को संवैधानिक रूप से स्थापित करना था। ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी इसी संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
- अincorrect विकल्प: 24वां संशोधन, 1971 ने संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति दी। 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और प्रस्तावना में किए गए कुछ संशोधनों को वापस लिया (जैसे कि ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ का उल्लेख)। 52वां संशोधन, 1985 ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों को संविधान की दसवीं अनुसूची में जोड़ा।
प्रश्न 2: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं।
- राष्ट्रपति लघुकरण (Commutation) के तहत सजा की प्रकृति को बदल सकते हैं।
- राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति के लिए मंत्रिपरिषद की सलाह की आवश्यकता नहीं होती है।
- राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्ति का प्रयोग भारत के मुख्य न्यायाधीश के अनुमोदन से किया जाता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत प्रदान की गई है। इसके अंतर्गत राष्ट्रपति किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा (Pardon), उसका लघुकरण (Commute), उसका प्रविलंबन (Reprieve) या विराम (Respite) या परिहार (Remit) कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 72(1) के अनुसार, राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं (लघुकरण) और सजा की प्रकृति को भी बदल सकते हैं। हालांकि, राष्ट्रपति की यह शक्ति पूर्ण नहीं है; संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार, राष्ट्रपति को अपने कार्यों के निष्पादन में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करना होता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर किया जाता है, लेकिन यह सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है (हालांकि व्यवहार में इसका पालन किया जाता है)।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a) और (b) सही हैं क्योंकि अनुच्छेद 72 में ये शक्तियां दी गई हैं। विकल्प (c) भी एक हद तक सही है कि क्षमादान की शक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह से संचालित होती है, लेकिन सलाह लेना एक प्रक्रिया है। राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति के लिए किसी अन्य प्राधिकारी (जैसे मुख्य न्यायाधीश) के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति किसी भी मामले में क्षमादान की शक्ति का प्रयोग करते समय भारत के मुख्य न्यायाधीश या किसी अन्य प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत की गारंटी देता है, जो राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है?
- अनुच्छेद 39 (क)
- अनुच्छेद 39 (ख)
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 43
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39 (क) यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि राज्य, विशेष रूप से, यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा कि पुरुष और महिला नागरिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले। यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत न केवल DPSP में बल्कि मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता) के साथ भी जुड़ा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में इस सिद्धांत को मौलिक अधिकार के रूप में व्याख्यायित किया है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 39 (ख) राज्य के नीति निदेशक तत्वों में समाज के भौतिक संसाधनों के समान वितरण से संबंधित है। अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व राहत से संबंधित है। अनुच्छेद 43 कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी, जीवन स्तर आदि सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका ‘निषेध’ (Prohibition) के रूप में जानी जाती है और इसे उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रतिषेध’ (Prohibition) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘रोकना’। यह एक रिट है जिसे उच्च न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत) द्वारा किसी अधीनस्थ न्यायालय, अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण या सार्वजनिक अधिकारी को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। यह रिट किसी प्रशासनिक या न्यायिक कार्यवाही के दौरान जारी की जा सकती है, ताकि आगे की कार्यवाही को रोका जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतिषेध का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी प्राधिकरण अपने विधिक अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन न करे। यह रिट केवल न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकायों के विरुद्ध ही जारी की जा सकती है, न कि प्रशासनिक प्राधिकरणों के विरुद्ध, जब तक कि वे अर्ध-न्यायिक कार्य न कर रहे हों।
- अincorrect विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) अवैध रूप से बंदी बनाए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए जारी की जाती है। ‘परमादेश’ (Mandamus) किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। ‘उत्प्रेषण’ (Certiorari) किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा पारित किसी आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है, जब वह अवैध हो या उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता हो।
प्रश्न 5: भारत में ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) भारत की संसदीय समितियों में से एक है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति परंपरा के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) द्वारा की जाती है। हालांकि, इस नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है, यह संसद की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों (Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha) द्वारा शासित है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति का मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तुत विनियोग लेखाओं (Appropriation Accounts) और लोक वित्त (Public Finance) से संबंधित अन्य प्रतिवेदनों की जांच करना है। समिति यह सुनिश्चित करती है कि जनता का धन उस सीमा तक खर्च किया गया है, जिस सीमा तक वह संसद द्वारा विनियोग अधिनियमों के तहत विनियोजित किया गया था। अध्यक्ष आमतौर पर विपक्षी दल का सदस्य होता है, जो समिति को निष्पक्षता प्रदान करता है।
- अincorrect विकल्प: भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री कीPAC के अध्यक्ष की नियुक्ति में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है। राज्यसभा के सभापति की भी इसमें कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि PAC मुख्य रूप से लोकसभा से संबंधित है, हालांकि इसके कुछ सदस्य राज्यसभा से भी हो सकते हैं।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी को भारत में किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की योग्यता रखनी चाहिए। वह भारत सरकार का प्रतिनिधित्व सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में करता है। वह भारत सरकार से संबंधित किसी भी कानूनी मामले में सलाह देता है, और राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए अन्य कानूनी कर्तव्यों का निर्वहन करता है।
- अincorrect विकल्प: भारत के प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश या संसद की महान्यायवादी की नियुक्ति में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है। राष्ट्रपति यह नियुक्ति अपनी स्वयं की शक्ति के प्रयोग में करते हैं, हालांकि यह कार्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही किया जाता है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?
- शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ (1951)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 के मामले में किया था। इस निर्णय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान के किसी भी प्रावधान को संशोधित कर सकती है, लेकिन वह संविधान की ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती। मूल संरचना में न्यायपालिका द्वारा परिभाषित किए गए तत्व शामिल हैं, जैसे कि संविधान की सर्वोच्चता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, संघवाद, शक्तियों का पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकारों की प्रधानता आदि। इस सिद्धांत ने संविधान की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कवच प्रदान किया।
- अincorrect विकल्प: ‘शंकरी प्रसाद’ मामले (1951) में न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है। ‘सज्जन सिंह’ मामले (1965) ने भी इसी विचार को दोहराया। ‘गोलकनाथ’ मामले (1967) में, न्यायालय ने कहा कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। केशवानंद भारती मामले ने इन सभी तर्कों को पार करते हुए ‘मूल संरचना’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
प्रश्न 8: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) के सदस्यों की नियुक्ति की सिफारिश कौन सी समिति करती है?
- संसदीय समिति
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति
- गृह मंत्रालय की समिति
- राष्ट्रपति की व्यक्तिगत समिति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। यह चयन समिति प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में होती है और इसमें लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री शामिल होते हैं। यह NHRC अधिनियम, 1993 द्वारा शासित है।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC भारत में मानव अधिकारों का प्रहरी है। यह मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करता है और पीड़ितों को राहत प्रदान करने की सिफारिश करता है। चयन समिति का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आयोग के सदस्यों का चयन निष्पक्ष और योग्य व्यक्तियों में से हो।
- अincorrect विकल्प: NHRC के सदस्यों की नियुक्ति के लिए कोई अलग संसदीय समिति या गृह मंत्रालय की समिति जिम्मेदार नहीं है। राष्ट्रपति व्यक्तिगत रूप से किसी समिति का गठन नहीं करते, बल्कि एक निर्धारित चयन समिति की सिफारिश पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 9: पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) जोड़ी गई थी। इस अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित किए जाने वाले 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची भाग IX का एक हिस्सा है, जो पंचायतों से संबंधित है। यह पंचायतों को अधिक शक्तिशाली और जवाबदेह बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इस संशोधन ने देश भर में पंचायती राज को लागू करने के लिए एक समान ढांचा प्रदान किया, जिससे स्थानीय स्वशासन को मजबूती मिली।
- अincorrect विकल्प: सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) का प्रावधान करती है। नौवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों और विनियमों का उल्लेख है, जिन्हें न्यायोचित समीक्षा से छूट दी गई है। बारहवीं अनुसूची 74वें संवैधानिक संशोधन, 1992 द्वारा जोड़ी गई थी और इसमें शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) के 18 विषय शामिल हैं।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- जर्मनी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों (जैसे राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन, और वित्तीय आपातकाल) को जर्मनी के ‘वीमर संविधान’ (Weimar Constitution of Germany) से प्रेरित होकर शामिल किया गया है। ये प्रावधान संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352, 356 और 360 में वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आपातकालीन प्रावधानों का उद्देश्य देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना है, जब राष्ट्र को गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है। जर्मनी के वीमर संविधान में भी इसी तरह के प्रावधान थे, जिनका उपयोग नाजियों द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के लिए किया गया था, जिसने भारतीय संविधान निर्माताओं को इस पर सावधानीपूर्वक विचार करने के लिए प्रेरित किया।
- अincorrect विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से हमने स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक समीक्षा, उपराष्ट्रपति, और मौलिक अधिकारों (बिल ऑफ राइट्स) जैसी अवधारणाएं ली हैं। कनाडा से हमने संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत और राज्यपाल की नियुक्ति जैसी अवधारणाएं ली हैं। ऑस्ट्रेलिया से हमने समवर्ती सूची और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ गैर-नागरिकों को भी प्राप्त है?
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
उत्तर: (b), (c) और (d) [यह एक बहु-विकल्प प्रश्न है, जिसमें एकाधिक सही उत्तर हो सकते हैं। परीक्षा के लिए, आमतौर पर एक ही विकल्प सही माना जाता है। यदि हमें सर्वश्रेष्ठ एकल विकल्प चुनना हो, तो वह हो सकता है अनुच्छेद 14 या 21। लेकिन दिए गए विकल्पों में से, 14, 21, और 25-28 तीनों गैर-नागरिकों को भी प्राप्त हैं।]
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकार कुछ केवल नागरिकों के लिए हैं, जबकि अन्य सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण। यह अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिक और विदेशी दोनों) के लिए है।
- अनुच्छेद 15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध। यह केवल नागरिकों के लिए है।
- अनुच्छेद 20: अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 23: मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 24: कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 25-28: धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार। यह सभी व्यक्तियों के लिए है।
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण (भाषा, लिपि, संस्कृति)। यह केवल नागरिकों के लिए है।
- अनुच्छेद 30: शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन में अल्पसंख्यकों का अधिकार। यह केवल नागरिकों के लिए है।
प्रश्न में दिए गए विकल्पों में से, अनुच्छेद 14, 21, और 25-28 गैर-नागरिकों को भी प्राप्त हैं। यदि एक ही विकल्प चुनना हो, तो यह प्रश्न की संरचना पर निर्भर करेगा। आम तौर पर, ऐसे प्रश्नों में एक विकल्प होता है जो निश्चित रूप से सभी को प्राप्त होता है, जैसे अनुच्छेद 14 या 21।
- संदर्भ और विस्तार: यह विभाजन इसलिए किया गया है ताकि राज्य राष्ट्र-निर्माण के लिए आवश्यक कुछ विशेष अधिकारों को केवल नागरिकों तक सीमित रख सके (जैसे राजनीतिक अधिकार, और सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार जो राष्ट्र की समग्रता को प्रभावित करते हैं), जबकि सामान्य मानवाधिकारों को सभी के लिए खुला रखा जा सके।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 15 केवल नागरिकों के लिए है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस वर्ष भारत में पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल (Article 352) की घोषणा की गई?
- 1962
- 1965
- 1971
- 1975
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा 26 अक्टूबर 1962 को चीन के आक्रमण के कारण की गई थी। यह अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इसके बाद, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय और 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भी राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की गई। 1975 का आपातकाल आंतरिक अशांति के आधार पर लगाया गया था।
- अincorrect विकल्प: 1965 में दूसरा राष्ट्रीय आपातकाल घोषित हुआ। 1971 में तीसरा राष्ट्रीय आपातकाल घोषित हुआ। 1975 में चौथा राष्ट्रीय आपातकाल (आंतरिक अशांति के आधार पर) घोषित हुआ।
प्रश्न 13: ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का उन्मूलन भारतीय संविधान के किस मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अस्पृश्यता का उन्मूलन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत एक मौलिक अधिकार है, जो समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) का हिस्सा है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के प्रवर्तन के लिए संसद ने ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ (Protection of Civil Rights Act, 1955) पारित किया, जिसे बाद में संशोधित किया गया। यह अधिकार भारत के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है और सामाजिक समानता की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अincorrect विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) मानव दुर्व्यापार और बाल श्रम को प्रतिबंधित करता है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) धार्मिक मामलों के प्रबंधन से संबंधित है।
प्रश्न 14: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद के लिए योग्यता के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उसे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने के लिए योग्य होना चाहिए।
- उसे भारत का नागरिक होना चाहिए और किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता (Advocate) के रूप में कार्य किया हो।
- उसे विधि के योग्य विशेषज्ञ माना जाना चाहिए।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति की योग्यताएं संविधान के अनुच्छेद 76(1) में निर्धारित की गई हैं। इसके अनुसार, महान्यायवादी वह व्यक्ति होगा जिसे भारत का नागरिक होना चाहिए और जिसने भारत के किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो, या किसी उच्च न्यायालय में लगातार 5 वर्ष तक न्यायाधीश रहा हो, या किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो, या राष्ट्रपति की राय में वह विधि का एक योग्य विशेषज्ञ हो।
- संदर्भ और विस्तार: इन योग्यताओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महान्यायवादी कानूनी मामलों में सरकार को उचित सलाह दे सके। भारत का नागरिक होना पहली शर्त है।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सभी महान्यायवादी के लिए आवश्यक योग्यताओं का हिस्सा हैं। इसलिए, (d) ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 15: भारत में ‘संविधान संशोधन’ की प्रक्रिया का उल्लेख भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 368
- अनुच्छेद 370
- अनुच्छेद 280
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के भाग XX के अनुच्छेद 368 में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 368 संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि संशोधन संसद की विधि निर्माण शक्ति के विस्तार के अधीन होंगे। इसके तहत तीन प्रकार के संशोधन हो सकते हैं: साधारण बहुमत द्वारा, विशेष बहुमत द्वारा, और विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन द्वारा।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 370 (अब निरस्त) जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन से संबंधित है।
प्रश्न 16: संसदीय प्रणाली में, ‘मंत्री परिषद’ (Council of Ministers) सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा
- राज्यसभा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) सामूहिक रूप से लोकसभा (House of the People) के प्रति उत्तरदायी होती है। यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 75(3) में उल्लिखित है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence motion) पारित करती है, तो प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है। यह सिद्धांत मंत्रिपरिषद को जनता के चुने हुए सदन के प्रति जवाबदेह बनाता है।
- अincorrect विकल्प: यद्यपि मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं (अनुच्छेद 75(1)), सामूहिक उत्तरदायित्व लोकसभा के प्रति होता है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, लेकिन उत्तरदायित्व सीधे प्रधानमंत्री के बजाय संपूर्ण मंत्रिपरिषद का होता है। राज्यसभा, लोकसभा की तरह, मंत्रिपरिषद के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है।
प्रश्न 17: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General – CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वह केंद्र और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और अपनी रिपोर्ट संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत करता है। CAG को राष्ट्रपति द्वारा पद की शपथ दिलाई जाती है और उसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि CAG अपने कार्यों का निष्पादन निष्पक्ष रूप से करे, उसे कार्यकाल सुरक्षा प्रदान की गई है।
- अincorrect विकल्प: भारत के प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री की CAG की नियुक्ति में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है।
प्रश्न 18: सर्वोच्च न्यायालय ने किस मामले में यह निर्णय दिया कि संसद किसी भी मौलिक अधिकार में संशोधन कर सकती है, सिवाय उन अधिकारों के जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं?
- ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951)
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 के ऐतिहासिक निर्णय में यह स्पष्ट किया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन इस संशोधन से संविधान की ‘मूल संरचना’ (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: यह निर्णय भारतीय संवैधानिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसने संसद की संशोधन शक्ति पर एक महत्वपूर्ण सीमा लगाई और संविधान की रक्षा की। मौलिक अधिकार, संविधान की मूल संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं।
- अincorrect विकल्प: ‘ए. के. गोपालन’ मामले में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार पर महत्वपूर्ण निर्णय आया था। ‘शंकर प्रसाद’ मामले (1951) में न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है। ‘गोलकनाथ’ मामले (1967) में, न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। केशवानंद भारती मामले ने ‘गोलकनाथ’ के निर्णय को आंशिक रूप से पलट दिया और ‘मूल संरचना’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘संसद के सत्र,’ ‘सत्र का अवसान’ और ‘विघटन’ (Session, Prorogation and Dissolution) से संबंधित है?
- अनुच्छेद 85
- अनुच्छेद 86
- अनुच्छेद 87
- अनुच्छेद 88
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 85 राष्ट्रपति को संसद के सत्र बुलाने (summon), सत्र का अवसान (prorogue) करने और लोकसभा को विघटित (dissolve) करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर यह कार्य करते हैं। सत्र बुलाने का अर्थ है संसद की बैठकें शुरू करना। सत्र का अवसान किसी सत्र की समाप्ति को दर्शाता है। विघटन का अर्थ है लोकसभा को भंग करना, जिसके बाद नए चुनाव होते हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति द्वारा सदनों को संबोधित करने से संबंधित है। अनुच्छेद 87 राष्ट्रपति द्वारा विशेष अभिभाषण (special address) से संबंधित है। अनुच्छेद 88 मंत्रियों और महान्यायवादी के सदन में अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान के अनुसार, ‘उच्चतम न्यायालय’ (Supreme Court) में न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत की संसद
- प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124(1) यह प्रावधान करता है कि भारत का एक उच्चतम न्यायालय होगा, जिसमें भारत का मुख्य न्यायाधीश और, जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे, न्यायाधीशों की संख्या ऐसे अन्य न्यायाधीशों की होगी जो संसद द्वारा निर्धारित किए जाएं।
- संदर्भ और विस्तार: इसलिए, उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाने या घटाने की शक्ति संसद के पास है। संसद ने समय-समय पर न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाया है। वर्तमान में, मुख्य न्यायाधीश सहित उच्चतम न्यायालय में कुल 34 न्यायाधीश हैं।
- अincorrect विकल्प: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद, या मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित करने की सीधी शक्ति नहीं है, यह शक्ति संसद द्वारा प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची ‘दल-बदल’ (Defection) के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) को 52वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था। यह अनुसूची राजनीतिक दल-बदल के आधार पर संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाना और विधायकों को दलबदल से रोकना है। यह अनुसूची यह निर्धारित करती है कि किन परिस्थितियों में किसी सदस्य को दल-बदल के कारण अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- अincorrect विकल्प: सातवीं अनुसूची शक्तियों के वितरण से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों को न्यायोचित समीक्षा से छूट देती है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है।
प्रश्न 22: ‘वित्त आयोग’ (Finance Commission) का गठन भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत किया जाता है?
- अनुच्छेद 275
- अनुच्छेद 280
- अनुच्छेद 281
- अनुच्छेद 265
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 280 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक पांचवें वर्ष या उससे पहले एक वित्त आयोग का गठन करेंगे। वित्त आयोग की मुख्य भूमिका केंद्र और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगम (net proceeds) के वितरण और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के आवंटन के सिद्धांतों को निर्धारित करना है। यह संघ और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 275 कुछ राज्यों को संघ से अनुदान (grants) देने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 281 वित्त आयोग की सिफारिशों पर की जाने वाली कार्रवाई से संबंधित है। अनुच्छेद 265 कर अधिरोपण के संबंध में है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान में ‘राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति’ (Power to Promulgate Ordinances) किस अनुच्छेद के तहत वर्णित है?
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 110
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्रदान की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को तब अध्यादेश जारी करने की अनुमति देती है जब संसद के दोनों सदन सत्र में न हों और ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए कि राष्ट्रपति को तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो। अध्यादेश का प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है, लेकिन इसे संसद के अगले सत्र के शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर अनुमोदित करवाना अनिवार्य होता है। यह शक्ति विधायिका के अवकाश के दौरान उसकी शक्तियों के पूरक के रूप में कार्य करती है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संबंधित है। अनुच्छेद 108 सदनों की संयुक्त बैठक से संबंधित है। अनुच्छेद 110 धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा से संबंधित है।
प्रश्न 24: ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) को भारतीय संविधान में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 73वां संशोधन, 1992
- 86वां संशोधन, 2002
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। ये कर्तव्य नागरिकों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में कार्य करते हैं और देश के प्रति उनके दायित्वों को रेखांकित करते हैं। प्रारंभ में, 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए थे, और 2002 में 86वें संशोधन द्वारा 11वां मौलिक कर्तव्य (6-14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करना) जोड़ा गया।
- अincorrect विकल्प: 44वां संशोधन ने कुछ मौलिक अधिकारों को मजबूत किया और आपातकालीन प्रावधानों में परिवर्तन किए। 73वां संशोधन ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 86वां संशोधन (2002) ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21-A) बनाया और एक नया मौलिक कर्तव्य जोड़ा।
प्रश्न 25: भारत में ‘अंतर-राज्यीय परिषद’ (Inter-State Council) की स्थापना का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 262
- अनुच्छेद 263
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 301
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 263 राष्ट्रपति को ऐसे परिषद की स्थापना करने की शक्ति देता है ताकि राज्यों के बीच उत्पन्न होने वाले या होने वाले किसी भी विवाद की जांच करने और उस पर सलाह देने के लिए, और कुछ विशिष्ट विषयों पर नीति और कार्रवाई के लिए सिफारिशें करने के लिए यह एक उपयुक्त निकाय हो। राष्ट्रपति ने 1990 में सरकारीया आयोग की सिफारिशों पर अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना की। इसका उद्देश्य केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करना और बढ़ावा देना है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय नदियों या नदी घाटियों के संबंध में विवादों के न्यायनिर्णयन से संबंधित है। अनुच्छेद 249 संसद को राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 301 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित है।