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संविधान मंथन: दैनिक अभ्यास से पाएं महारत

संविधान मंथन: दैनिक अभ्यास से पाएं महारत

नमस्कार, युवा भारत के भविष्य! लोकतंत्र के इस विशाल और जटिल ढांचे की समझ ही आपकी सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में उतरें और अपनी वैचारिक स्पष्टता को नई धार दें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग V
  4. भाग VI

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का प्रावधान करता है। ये तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य द्वारा लागू किए जाने वाले सिद्धांत हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान से प्रेरित, DPSP सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखते हैं। यद्यपि ये न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात् अदालतें इन्हें लागू नहीं करवा सकतीं, फिर भी देश के प्रशासन में इनका महत्व सर्वोपरि है (अनुच्छेद 37)।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग V संघ की कार्यपालिका और संसद से संबंधित है, और भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधानमंडलों से संबंधित है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. कानून के समक्ष समता का अधिकार (अनुच्छेद 15)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, ‘धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई विभेद का प्रतिषेध’, केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण), और अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों का अधिकार) भी केवल नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाता है और नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान करता है। कुछ अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं, जबकि कुछ केवल नागरिकों को।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) सभी व्यक्तियों के लिए है। अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) भी भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) के लिए उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3: ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) का क्या अर्थ है?

  1. न्यायालय द्वारा विधायिका के कार्यों का पुनरावलोकन।
  2. न्यायालय द्वारा कार्यपालिका के कार्यों का पुनरावलोकन।
  3. न्यायालय द्वारा अपनी शक्तियों का उपयोग करके सामाजिक या राजनीतिक मुद्दे को हल करना।
  4. न्यायालय द्वारा कानूनों की व्याख्या करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता वह सिद्धांत है जिसके तहत न्यायालय, विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय, अपने न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) के अधिकार का उपयोग करते हुए, समाज कल्याण को बढ़ावा देने या जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए, विधायिका और कार्यपालिका की शक्तियों के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं और सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। यह सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद से न जुड़ा होकर, न्यायिक शक्तियों के विस्तार का एक पहलू है।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायिक सक्रियता का उद्देश्य अक्सर उपेक्षित या शोषित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना या उन मुद्दों को हल करना होता है जिन्हें विधायिका या कार्यपालिका संबोधित करने में विफल रहती हैं। जनहित याचिका (PIL) इसका एक प्रमुख माध्यम रही है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) न्यायिक पुनरावलोकन के दायरे में आते हैं, जो कि न्यायिक सक्रियता से व्यापक है। (d) कानूनों की व्याख्या करना न्यायपालिका का नियमित कार्य है, लेकिन न्यायिक सक्रियता में यह अपनी शक्तियों का अधिक व्यापक प्रयोग करता है।

प्रश्न 4: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति किस अनुच्छेद के तहत आती है?

  1. अनुच्छेद 72
  2. अनुच्छेद 123
  3. अनुच्छेद 112
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को क्षमा, लघुकरण, परिहार, प्रविलंबन या दंडादेश के स्वरूप या परिमाण को कम करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति संघ के विधि के विरुद्ध किए गए किसी अपराध के लिए, या ऐसे अपराध के लिए जो मृत्युदंड, या ऐसे किसी अपराध से संबंधित है, जिसके लिए दंड का स्वरूप मृत्युदंड है, पर लागू होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति अपनी इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है। यह शक्ति किसी न्यायालय द्वारा सुनाई गई सज़ा के मामले में लागू होती है। राज्यपाल के पास भी अनुच्छेद 161 के तहत ऐसी ही शक्तियां हैं, हालांकि वे राष्ट्रपति की तुलना में कुछ भिन्न हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है, अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है, और अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केशवानंद भारती’ (Kesavananda Bharati) मामले में ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) का सिद्धांत प्रतिपादित किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की अब तक की सबसे बड़ी (13 न्यायाधीशों की) पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की असीमित शक्ति नहीं है। संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन यह संशोधन ‘संविधान के मूल ढांचे’ को विकृत या नष्ट नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संविधान की सर्वोच्चता और लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, संघीय चरित्र जैसे मूलभूत तत्वों को सुरक्षित रखा। संविधान के मूल ढांचे में क्या शामिल है, यह समय-समय पर अदालतों द्वारा स्पष्ट किया जाता रहा है, जिसमें शक्तियों का पृथक्करण, स्वतंत्र न्यायपालिका, संसदीय प्रणाली आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ मामला (1967) ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों को सीमित या रद्द नहीं कर सकती। शंकर प्रसाद (1951) और मिनर्वा मिल्स (1980) अन्य महत्वपूर्ण मामले हैं जिन्होंने संविधान संशोधन शक्ति की सीमाओं पर विभिन्न निर्णय दिए, लेकिन ‘मूल ढांचे’ का सिद्धांत केशवानंद भारती में ही प्रतिपादित हुआ।

प्रश्न 6: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वह भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का ऑडिट करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति या संबंधित राज्य के राज्यपाल को सौंपता है, जो फिर इन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, लोकसभा अध्यक्ष सदन का प्रमुख होता है, और वित्त मंत्री वित्तीय मामलों को देखता है, लेकिन नियुक्ति की संवैधानिक शक्ति राष्ट्रपति के पास है।

प्रश्न 7: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976
  4. 44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं, और 11वीं अनुसूची भी जोड़ी जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता और शक्ति प्रदान करना था ताकि वे ‘स्व-शासन की इकाइयाँ’ (Units of Self-Government) के रूप में कार्य कर सकें। इससे जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया गया।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 42वां और 44वां संशोधन क्रमशः आपातकाल के दौरान और उसके बाद हुए थे और उनमें अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए थे, लेकिन पंचायती राज से सीधे संबंधित नहीं थे।

प्रश्न 8: भारतीय संसद का कौन सा सदन ‘उच्च सदन’ (Upper House) कहलाता है?

  1. लोकसभा
  2. राज्यसभा
  3. विधान परिषद (जहां लागू हो)
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद के दो सदन हैं: लोकसभा (हाउस ऑफ द पीपल) और राज्यसभा (काउंसिल ऑफ स्टेट्स)। राज्यसभा को ‘उच्च सदन’ कहा जाता है। इसका प्रावधान अनुच्छेद 79 में है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यसभा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होती है, इसके सदस्य राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। यह एक स्थायी सदन है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता, और इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं। यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा ‘निम्न सदन’ (Lower House) कहलाता है। विधान परिषद (यदि मौजूद हो) राज्यों की विधानमंडलों का उच्च सदन होता है, न कि भारतीय संसद का।

प्रश्न 9: ‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ भारतीय संविधान के किन अनुच्छेदों में वर्णित है?

  1. अनुच्छेद 20-22
  2. अनुच्छेद 23-24
  3. अनुच्छेद 25-28
  4. अनुच्छेद 29-30

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III (मौलिक अधिकार) अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है। ये अनुच्छेद सभी व्यक्तियों को धर्म की स्वतंत्रता, अपने धर्म का आचरण, अभ्यास और प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों के लिए अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 27 किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए करों से छूट, और अनुच्छेद 28 शैक्षणिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या पूजा में उपस्थित होने की स्वतंत्रता से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 20-22 व्यक्तिगत स्वतंत्रता और दंड से संबंधित हैं। अनुच्छेद 23-24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं। अनुच्छेद 29-30 सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों से संबंधित हैं।

प्रश्न 10: भारत में ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ (National Emergency) किस अनुच्छेद के तहत घोषित किया जा सकता है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की या उसके किसी भाग की सुरक्षा को खतरा है, तो वह राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक माह के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। यह आपातकाल मूलतः छह महीने तक लागू रह सकता है, लेकिन संसद के दोनों सदनों द्वारा हर छह महीने में अनुमोदन के साथ अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके प्रभाव स्वरूप, संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार सभी राज्यों तक हो जाता है और मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) को निलंबित किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ से संबंधित है। अनुच्छेद 365 केंद्र के निर्देशों का अनुपालन करने में विफलता से संबंधित है, जो राष्ट्रपति शासन का आधार बन सकता है।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1988

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए: ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इन शब्दों को जोड़कर, प्रस्तावना ने भारत की समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य की प्रकृति पर और अधिक जोर दिया। ‘अखंडता’ शब्द ने राष्ट्रीय एकता पर विशेष बल दिया।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित प्रमुख बदलावों के लिए जाना जाता है। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी रिट जारी करके न्यायालय किसी व्यक्ति को पद ग्रहण करने से रोक सकता है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. प्रतिषेध (Prohibition)
  4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) रिट का अर्थ है ‘किस वारंट से’। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद के अवैध रूप से धारण करने पर आपत्ति जताती है और न्यायालय यह जांच करता है कि उस व्यक्ति ने पद धारण करने का क्या वारंट या अधिकार है। इसके द्वारा न्यायालय ऐसे व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक सकता है। यह शक्ति अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति केवल वैध अधिकार के तहत ही किसी सार्वजनिक पद पर बना रहे।
  • गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण किसी व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए है। परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य करने का आदेश है। प्रतिषेध किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए है।

प्रश्न 13: ‘अस्पृश्यता’ का अंत किस मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अस्पृश्यता का अंत समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) के अंतर्गत आता है, विशेष रूप से अनुच्छेद 17 के तहत। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को निषिद्ध करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद ने इस अनुच्छेद को प्रभावी बनाने के लिए ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ बनाया, जिसे बाद में ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955’ के रूप में संशोधित और नामांकित किया गया। इस अधिनियम के तहत अस्पृश्यता के आधार पर भेदभाव करना एक दंडनीय अपराध है।
  • गलत विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। शोषण के विरुद्ध अधिकार मानव तस्करी और जबरन श्रम से संबंधित है। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्म से संबंधित है।

प्रश्न 14: भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India) किसके प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of) पद धारण करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General) संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है और वह भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। यद्यपि वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है, व्यवहार में वह प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर नियुक्त होता है और उनकी सलाह पर ही पद से हटाया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख है, लेकिन महान्यायवादी की नियुक्ति और निष्कासन की शक्ति सीधे तौर पर राष्ट्रपति के पास है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या राज्यसभा के सभापति का इस पद से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।

प्रश्न 15: किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?

  1. संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री
  2. भारत के राष्ट्रपति
  3. भारत के प्रधानमंत्री
  4. संबंधित राज्य की विधानसभा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। वह राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है और राष्ट्रपति की इच्छा के अनुसार वह अपना पद धारण करता है (अनुच्छेद 156)। सामान्यतः, राज्यपाल की नियुक्ति करते समय संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श किया जाता है, लेकिन यह एक संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
  • गलत विकल्प: राज्य के मुख्यमंत्री या विधानसभा की राज्यपाल की नियुक्ति में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सलाह दे सकता है, लेकिन अंतिम नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 16: भारत में ‘संविधान दिवस’ (Constitution Day) कब मनाया जाता है?

  1. 26 जनवरी
  2. 15 अगस्त
  3. 26 नवंबर
  4. 14 अप्रैल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 26 नवंबर को भारत में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जब 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: 26 नवंबर, 2015 को भारत सरकार ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के 125वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, जिसे ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • गलत विकल्प: 26 जनवरी गणतंत्र दिवस है, 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है, और 14 अप्रैल डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्मदिवस है।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशें हैं?

  1. अनिवार्य (Binding)
  2. सलाहकार (Advisory)
  3. न्यायिक (Judicial)
  4. विधायी (Legislative)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशें प्रकृति में सलाहकारी होती हैं, अनिवार्य नहीं।
  • संदर्भ और विस्तार: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत गठित NHRC, मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करता है और पीड़ित को मुआवजा देने या दोषी लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने जैसी सिफारिशें करता है। हालांकि, इन सिफारिशों को मानने या न मानने का निर्णय संबंधित सरकारी प्राधिकारी पर निर्भर करता है। यदि सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो आयोग अपनी रिपोर्ट संसद और संबंधित राज्य विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
  • गलत विकल्प: NHRC एक सलाहकार निकाय है, न कि वह सिफारिशों को लागू करने के लिए बाध्यकारी अधिकार रखता है। यह न्यायिक या विधायी निकाय नहीं है।

प्रश्न 18: अनुच्छेद 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, किस वर्ष हटाया गया?

  1. 2016
  2. 2017
  3. 2019
  4. 2020

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: अनुच्छेद 370, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था, को भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निरस्त कर दिया गया था, और 6 अगस्त, 2019 को संसद द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस कदम के बाद, जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख – में पुनर्गठित किया गया। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू और कश्मीर के लिए भारतीय संविधान के सभी प्रावधान स्वतः लागू हो गए, जिससे उसकी स्वायत्तता समाप्त हो गई।
  • गलत विकल्प: अन्य वर्षों में ऐसे कोई बड़े बदलाव नहीं हुए थे।

प्रश्न 19: किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति को किसी भी मामले में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति है?

  1. अनुच्छेद 143
  2. अनुच्छेद 142
  3. अनुच्छेद 144
  4. अनुच्छेद 141

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह किसी भी प्रश्न पर, जिस पर उसकी राय में सार्वजनिक महत्व का है, सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को ऐसे प्रश्न पर सलाह दे सकता है, लेकिन यह सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती। राष्ट्रपति ऐसे परामर्श को सार्वजनिक कर सकता है या नहीं, यह तय करने का अधिकार भी रखता है। यह परामर्श न्याययिक पुनरावलोकन के दायरे में नहीं आता।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय जारी करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 144 सभी प्राधिकरणों को सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करने के लिए निर्देशित करता है। अनुच्छेद 141 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित विधि को सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी बनाता है।

प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. केंद्र सरकार
  2. राज्य सरकारें
  3. दोनों (केंद्र और राज्य)
  4. स्थानीय सरकारें

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची प्रदान करती है। अवशिष्ट शक्तियाँ, जो इन सूचियों में शामिल नहीं हैं, अनुच्छेद 248 के अनुसार, संसद को सौंपी गई हैं, अर्थात् केंद्र सरकार को।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में संघीय व्यवस्था के बावजूद, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र को सौंपा जाना कनाडा के मॉडल के अनुरूप है, जो एक मजबूत केंद्र की ओर इंगित करता है। इसका मतलब है कि जो भी विषय इन सूचियों में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध नहीं हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है।
  • गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास केवल राज्य सूची के विषय पर विधायी शक्ति है। समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय हित में केंद्र का कानून प्रभावी होता है। स्थानीय सरकारों के पास शक्तियां संविधान द्वारा या विधियों द्वारा प्रत्यायोजित होती हैं।

प्रश्न 21: राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया ‘महाभियोग’ (Impeachment) का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 61
  2. अनुच्छेद 56
  3. अनुच्छेद 57
  4. अनुच्छेद 58

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 61 भारतीय संविधान में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आधार ‘संविधान का उल्लंघन’ है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा लाया जा सकता है। प्रस्ताव को उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और फिर उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके बाद दूसरा सदन मामले की जांच करता है। राष्ट्रपति पर महाभियोग एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है, अनुच्छेद 57 पुनर्निवार्चन के लिए पात्रता से, और अनुच्छेद 58 राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यताएं बताता है।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची दलबदल के आधार पर अयोग्यता का प्रावधान करती है?

  1. दूसरी अनुसूची
  2. सातवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. दसवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है, जिसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची संसद या राज्य विधानमंडल के किसी सदस्य को उस स्थिति में अयोग्य घोषित करने के प्रावधानों को निर्धारित करती है जब वह दल-बदल करता है, अर्थात वह अपनी पार्टी द्वारा जारी व्हिप (Whip) का उल्लंघन करता है या स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है। अध्यक्ष या सभापति ऐसे मामलों पर निर्णय लेता है।
  • गलत विकल्प: दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति, राज्यपाल, न्यायाधीशों आदि के भत्ते और विशेषाधिकारों से संबंधित है। सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण (संघ, राज्य और समवर्ती सूचियाँ) से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से संबंधित है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य पुनर्गठन से संबंधित है?

  1. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1953
  2. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956
  3. भारतीय संविधान का सातवां संशोधन
  4. दोनों (b) और (c)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सीमाओं को बड़े पैमाने पर पुनर्गठित किया। यह अधिनियम भारतीय संविधान के सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 के साथ मिलकर प्रभावी हुआ, जिसने राज्य पुनर्गठन के लिए संवैधानिक ढांचा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर, 1956 में इस अधिनियम ने राज्यों को भाषाई आधार पर पुनर्गठित किया, जिससे भारत में कुल 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बने। सातवें संशोधन ने राज्यों के पहले और दूसरे अनुसूची को संशोधित किया।
  • गलत विकल्प: 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ था, लेकिन अधिनियम 1956 में आया। केवल (b) या केवल (c) अधूरे उत्तर हैं क्योंकि दोनों एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं।

प्रश्न 24: राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों का निपटारा कौन करता है?

  1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय
  2. भारत का चुनाव आयोग
  3. राष्ट्रपति
  4. प्रधानमंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित किसी भी शंका या विवाद का निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है, जिसका निर्णय अंतिम होता है। यह प्रावधान अनुच्छेद 71 में निहित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के चुनाव की वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, और यदि यह पाया जाता है कि चुनाव अमान्य है, तो सर्वोच्च न्यायालय यह घोषित कर सकता है कि चुनाव शून्य है। चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया को आयोजित करता है, लेकिन विवादों के निपटारे का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के पास है।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग चुनाव कराता है, लेकिन अंतिम निर्णय उसका नहीं होता। राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री चुनाव विवादों का निपटारा नहीं करते।

प्रश्न 25: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. गृह मंत्री
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 316 के अनुसार की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जो अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं और संघ के अधीन सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए भर्ती का संचालन करता है। अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। उनकी नियुक्ति और निष्कासन की प्रक्रिया संविधान में विस्तृत है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास UPSC अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करने का सीधा अधिकार नहीं है।

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