संविधान मंथन: आपकी राजव्यवस्था तैयारी का अंतिम इम्तिहान
हर दिन भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना ही सफलता की कुंजी है! अपनी संवैधानिक समझ को परखने और राजव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए तैयार हो जाइए। आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी में उतरें और देखें कि आप भारतीय संविधान और शासन के कितने गहरे जानकार हैं। आइए, शुरू करें ज्ञान का यह महासागर मंथन!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का एक परिचयात्मक वक्तव्य है जो उसके मूल दर्शन और मूल्यों को दर्शाता है। ये तीनों शब्द भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के हमारे संकल्प को और मजबूत करते हैं।
- अincorrect विकल्प: 44वाँ संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वाँ संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है (दसवीं अनुसूची)। 73वाँ संशोधन (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया (भाग IX)।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘लेख’ (Writ) जारी करने की शक्ति के तहत आता है, जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक अधिकारी को सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाने वाली रिट है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: परमादेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। यह किसी भी सरकारी विभाग, सार्वजनिक निगम, न्यायाधिकरण, निचली अदालत या सरकार के खिलाफ जारी किया जा सकता है। यह एक निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता।
- अincorrect विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी अवैध रूप से हिरासत में रखे गए व्यक्ति को अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश है। ‘उत्प्रेषण’ निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने का आदेश है। ‘प्रतिषेध’ निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने का आदेश है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान में ‘मौलिक अधिकार’ संविधान के किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। ये अधिकार भारतीय नागरिकों को राज्य के मनमाने हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार न्यायोचित (Justiciable) होते हैं, जिसका अर्थ है कि यदि उनका उल्लंघन होता है, तो व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जा सकता है। भारत का संविधान मूल रूप से सात मौलिक अधिकार प्रदान करता था, लेकिन संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 31) को 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और अनुच्छेद 300A के तहत एक कानूनी अधिकार बना दिया गया। वर्तमान में छह मौलिक अधिकार हैं।
- अincorrect विकल्प: भाग II नागरिकता (अनुच्छेद 5-11) से संबंधित है। भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) (अनुच्छेद 36-51) शामिल हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद, न्यायपालिका आदि से संबंधित है।
प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन निम्नलिखित में से किसके द्वारा किया जाता है?
- केवल संसद के निर्वाचित सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- लोकसभा के सदस्य और राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानमंडलों के सभी सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुच्छेद 54 के अनुसार एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानमंडलों (विधानसभाओं) के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति प्रत्यक्ष रूप से नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। निर्वाचक मंडल में मनोनीत सदस्य शामिल नहीं होते हैं। यह अप्रत्यक्ष प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करें, न कि किसी एक दल का।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि इसमें राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य शामिल नहीं हैं। विकल्प (b) गलत है क्योंकि इसमें संसद के मनोनीत सदस्य भी शामिल होंगे। विकल्प (d) गलत है क्योंकि इसमें संसद के सदस्य शामिल नहीं हैं।
प्रश्न 5: ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) भारतीय संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker) द्वारा की जाती है। परंपरा के अनुसार, अध्यक्ष मुख्य रूप से विपक्ष से ही सदस्य को अध्यक्ष नियुक्त करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जांच करना है, जो संसद में राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं। यह समिति सरकारी व्यय की जांच करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धन का उपयोग नियमों और विनियमों के अनुसार हुआ है।
- अincorrect विकल्प: राष्ट्रपति (a) समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करते हैं। राज्यसभा के सभापति (c) केवल राज्यसभा से संबंधित समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति कर सकते हैं। वित्त मंत्री (d) समिति के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष नियुक्त नहीं करते।
प्रश्न 6: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं बनाया जा सकता?
- अनुच्छेद 37
- अनुच्छेद 38
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 40
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 37 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं होंगे। हालाँकि, ये सिद्धांत देश के शासन में मौलिक हैं और विधि बनाने में राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP, भाग IV में उल्लिखित हैं, सरकार के लिए मार्गदर्शन के सिद्धांत हैं, जो एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए हैं। ये मौलिक अधिकारों के विपरीत, गैर-न्यायोचित (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि उनके उल्लंघन पर सीधे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। फिर भी, नीति निर्माण में उनका महत्व सर्वोपरि है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 38 ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ सुनिश्चित करने और आय, स्थिति, सुविधाओं और अवसरों की असमानता को कम करके नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य का प्रयास करेगा, कहता है। अनुच्छेद 39 कुछ विशिष्ट सिद्धांतों को बताता है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के संगठन से संबंधित है।
प्रश्न 7: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए कौन सी शर्त आवश्यक है?
- भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
- भारत के किसी भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश
- मानवाधिकारों के क्षेत्र में विशिष्ट ज्ञान रखने वाला कोई व्यक्ति
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) ही हो सकता है। अन्य सदस्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या मानवाधिकार विशेषज्ञ हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष का पद विशिष्ट है।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC एक स्वतंत्र निकाय है जो मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन करता है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- अincorrect विकल्प: जबकि सेवानिवृत्त न्यायाधीश (b) और मानवाधिकार के क्षेत्र में विशेषज्ञ (c) आयोग के सदस्य बन सकते हैं, अध्यक्ष पद के लिए मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की शर्त आवश्यक है। इसलिए, (d) गलत है।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत ‘संसद’ को संघ सूची में नए विषय शामिल करने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 248
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 249 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि यदि राज्यसभा राष्ट्रीय हित में ऐसा करना आवश्यक समझे, तो वह राज्य सूची में उल्लिखित किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है। हालाँकि, प्रश्न संघ सूची के बारे में है। संघ सूची के विषय पर संसद को हमेशा कानून बनाने की शक्ति है। यदि प्रश्न ‘राज्य सूची’ के संबंध में होता तो अनुच्छेद 249 सही होता। लेकिन, अनुच्छेद 248 अवशिष्ट शक्तियों (Residuary Powers) से संबंधित है, जो संसद को संघ सूची में न शामिल विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है। प्रश्न में ‘संघ सूची में नए विषय’ का अर्थ अप्रत्यक्ष रूप से उन विषयों से हो सकता है जो अभी तक किसी सूची में नहीं हैं, या उन विषयों पर जिनके तहत संसद को कानून बनाने का अधिकार है। यहाँ सबसे उपयुक्त विकल्प अनुच्छेद 248 है यदि इसका अर्थ अवशिष्ट शक्तियों से है। यदि इसका अर्थ संघ सूची के मौजूदा विषय पर है, तो संसद हमेशा सक्षम है। लेकिन यदि ‘नए विषय’ का अर्थ उन विषयों से है जो किसी सूची में नहीं हैं, तो यह अनुच्छेद 248 के अंतर्गत आता है।
- पुनर्विचार: प्रश्न की भाषा थोड़ी अस्पष्ट है। यदि ‘नए विषय’ का अर्थ वे विषय हैं जो किसी भी सूची में नहीं हैं, तो यह ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) होंगी, जो अनुच्छेद 248 के तहत संसद को प्राप्त हैं। यदि इसका अर्थ उन विषयों पर कानून बनाना है जो पहले से ही संघ सूची में हैं, तो संसद हमेशा सक्षम है। अनुच्छेद 249 राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है, यदि राष्ट्रीय हित हो। अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 252 दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संसद द्वारा कानून बनाने से संबंधित है। सबसे सटीक व्याख्या यह है कि ‘नए विषय’ वे हो सकते हैं जो किसी भी सूची में नहीं हैं।
- अंतिम उत्तर निर्धारण: इस प्रकार, ‘अवशिष्ट शक्तियों’ के तहत संघ सूची में नए विषयों को जोड़ना (अर्थात, जिन पर कानून बनाने का अधिकार किसी भी सूची में स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है) अनुच्छेद 248 के तहत आता है।
सही उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 248 भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट विधायी शक्तियों’ (Residuary Legislative Powers) से संबंधित है। इसका अर्थ है कि जिन विषयों को संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है, उन पर कानून बनाने का अनन्य अधिकार संसद को प्राप्त है। इस प्रकार, यदि कोई ‘नया विषय’ (जो किसी सूची में नहीं है) सामने आता है, तो उस पर कानून बनाने की शक्ति संसद के पास अनुच्छेद 248 के तहत होती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संघवाद में, शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों (संघ, राज्य, समवर्ती) में किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ संसद को दी गई हैं, जो भारत को एकात्मकता की ओर झुकाव वाला एक अर्द्ध-संघीय राज्य बनाती हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है जब राज्यसभा इसे राष्ट्रीय हित में आवश्यक घोषित करे। अनुच्छेद 250 आपातकाल की उद्घोषणा के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए संसद द्वारा कानून बनाने से संबंधित है।
प्रश्न 9: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोक लेखा समिति
- भारत के राष्ट्रपति
- वित्त मंत्रालय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 149 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। अनुच्छेद 151 के अनुसार, CAG संघ के खातों से संबंधित अपने प्रतिवेदनों को भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति इन प्रतिवेदनों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाते हैं। इसके बाद, लोक लेखा समिति (PAC) इन प्रतिवेदनों की विस्तार से जांच करती है। CAG की भूमिका सार्वजनिक धन के संरक्षक के रूप में होती है।
- अincorrect विकल्प: प्रधानमंत्री (a) CAG के प्रतिवेदन सीधे प्राप्त नहीं करते हैं। लोक लेखा समिति (b) CAG के प्रतिवेदनों की जांच करती है, न कि उन्हें प्राप्त करती है। वित्त मंत्रालय (d) CAG के कामकाज में एक भूमिका निभाता है, लेकिन प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा पंचायती राज संस्थाओं का एक स्तर नहीं है?
- जिला पंचायत
- ग्राम सभा
- पंचायत समिति
- नगर पालिका
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: पंचायती राज संस्थाएं भारत के ग्रामीण स्थानीय स्वशासन से संबंधित हैं। 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भाग IX को संविधान में जोड़ा, जिसने त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली को संवैधानिक दर्जा दिया। ये स्तर आमतौर पर होते हैं: ग्राम पंचायत (गांव स्तर पर), पंचायत समिति (खंड/ब्लॉक स्तर पर), और जिला परिषद/जिला पंचायत (जिला स्तर पर)। नगर पालिकाएं शहरी स्थानीय स्वशासन से संबंधित हैं, जिन्हें 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संवैधानिक दर्जा दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: त्रि-स्तरीय प्रणाली का उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। ग्राम सभा, जो सीधे गांव के सभी मतदाताओं से बनी होती है, पंचायती राज की आधारशिला है।
- अincorrect विकल्प: जिला पंचायत (a), ग्राम सभा (b) और पंचायत समिति (c) भारत में पंचायती राज व्यवस्था के अभिन्न अंग हैं। नगर पालिका (d) शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की इकाई है, न कि ग्रामीण पंचायती राज की।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान के अनुसार, किसी राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किन क्षेत्रों तक होता है?
- केवल उस राज्य के क्षेत्र तक
- उस राज्य के क्षेत्र तक और संसद द्वारा बनाई गई किसी भी विधि के अनुसार
- उस राज्य के क्षेत्र तक और भारत के संविधान द्वारा स्थापित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों तक
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 162 भारतीय संविधान में कहा गया है कि किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों तक होगा जिनके संबंध में राज्य के विधानमंडल को विधि बनाने की शक्ति है। इसके अलावा, अनुच्छेद 256 कहता है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग के अधीन होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करें। इसलिए, कार्यकारी शक्ति राज्य के क्षेत्र तक, संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार, और भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों तक विस्तारित होती है (संघ द्वारा लगाए गए कुछ प्रतिबंधों या निर्देशों के अधीन)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद संघ और राज्यों के बीच कार्यकारी शक्ति के समन्वय को दर्शाता है। राज्य सरकारें अपने क्षेत्र में कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय कानूनों का भी पालन करना होता है।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (d) सबसे व्यापक और सटीक उत्तर है क्योंकि यह उपरोक्त सभी पहलुओं को समाहित करता है: राज्य का क्षेत्र, संसद के कानून, और संघ सरकार के अधिकार क्षेत्र।
प्रश्न 12: भारत में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा से संबंधित है। राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकते हैं यदि वे संतुष्ट हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है।
- संदर्भ और विस्तार: वित्तीय आपातकाल की स्थिति में, संघ सरकार राज्य सरकारों को वित्तीय औचित्य के सभी संकेतों के प्रति निर्देश दे सकती है, जिसमें सरकारी सेवकों के वेतन को कम करना भी शामिल है। यह अभी तक भारत में कभी भी घोषित नहीं किया गया है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) या राज्य आपातकाल (State Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 ऐसे मामलों से संबंधित है जहाँ कोई राज्य संघ के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है।
प्रश्न 13: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- आयरलैंड
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का विचार आयरिश संविधान (Irish Constitution) से लिया गया है। आयरलैंड के संविधान ने स्पेनिश संविधान से इन तत्वों को अपनाया था।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP, भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित हैं, जो समाज के कल्याण को बढ़ावा देने और एक सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए सरकार के लिए मार्गदर्शन सिद्धांत प्रदान करते हैं। ये मौलिक अधिकारों के पूरक हैं।
- अincorrect विकल्प: यूनाइटेड किंगडम (a) से संसदीय सरकार की प्रणाली ली गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका (b) से मौलिक अधिकार (Bill of Rights), स्वतंत्र न्यायपालिका और न्यायिक पुनरावलोकन की अवधारणा ली गई है। कनाडा (d) से एक मजबूत केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियों का विचार लिया गया है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी समिति संसदीय समिति है जो मुख्य रूप से सार्वजनिक उपक्रमों (Public Undertakings) के वित्तीय और परिचालन दक्षता का अध्ययन करती है?
- लोक लेखा समिति (PAC)
- प्राक्कलन समिति (Estimate Committee)
- सार्वजनिक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings – COPU)
- नियम समिति (Committee on Rules)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: सार्वजनिक उपक्रम समिति (COPU) संसदीय समितियों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की वित्तीय और परिचालन दक्षता का मूल्यांकन करने के लिए स्थापित किया गया है। इसका गठन 1964 में कृष्ण मेनन समिति की सिफारिश पर किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: COPU उन रिपोर्टों और लेखों की जांच करती है जो सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित हैं, जैसे कि CAG की रिपोर्टें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रम प्रभावी ढंग से और कुशलता से संचालित हों।
- अincorrect विकल्प: लोक लेखा समिति (PAC) मुख्य रूप से CAG की रिपोर्टों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो सरकारी खर्च की जांच करती है। प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) व्यय की मात्रा और कुशलता पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसका उद्देश्य सरकार के बजट में बचत का सुझाव देना है। नियम समिति (Committee on Rules) सदन के कामकाज के नियमों और प्रक्रियाओं से संबंधित है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक संरक्षक’ (Guardian of the Constitution) माना जाता है?
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के तहत नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। यह अनुच्छेद स्वयं में एक मौलिक अधिकार है, जिसे डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था। सर्वोच्च न्यायालय इस अनुच्छेद के तहत विभिन्न रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा) जारी करके मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इस प्रकार, यह संविधान का संरक्षक बन जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की शक्ति, जो सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी कानून या सरकारी कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित करने की अनुमति देती है, इस भूमिका का एक प्रमुख पहलू है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 13 न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति को परिभाषित करता है (मौलिक अधिकारों से असंगत कानूनों को शून्य घोषित करना)। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है। जबकि ये सभी अनुच्छेद न्यायपालिका की भूमिका से संबंधित हैं, अनुच्छेद 32 प्रत्यक्ष रूप से मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन और इस प्रकार संवैधानिक संरक्षक की भूमिका को स्थापित करता है।
प्रश्न 16: भारत में ‘मंत्रिपरिषद’ (Council of Ministers) सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा
- राज्यसभा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसका अर्थ है कि मंत्रिपरिषद तब तक पद पर बनी रहती है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पारित करके मंत्रिपरिषद को पद से हटा सकती है। यह संसदीय प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो सुनिश्चित करती है कि कार्यकारी सरकार विधायिका के प्रति जवाबदेह रहे।
- अincorrect विकल्प: मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होती है (अनुच्छेद 75(2)), लेकिन सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति। प्रधानमंत्री (b) मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, न कि वह जिसके प्रति वे उत्तरदायी होते हैं। राज्यसभा (d) के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व नहीं होता है।
प्रश्न 17: ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ (National Development Council – NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) और गैर-सांविधिक (non-statutory) निकाय है। इसके पदेन (ex-officio) अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। NDC की स्थापना 1952 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत की पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने और राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें केंद्र सरकार के मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
- अincorrect विकल्प: भारत के राष्ट्रपति (a) और उपराष्ट्रपति (b) NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं होते हैं। वित्त मंत्री (d) सदस्य हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘विधि के शासन’ (Rule of Law) के सिद्धांत के बारे में सत्य है?
- विधि सर्वोच्च है, और शासक व शासित सभी उसके अधीन हैं।
- व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सबसे महत्वपूर्ण है।
- सरकार को मनमाने ढंग से कार्य करने की स्वतंत्रता है।
- कानून केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों के लिए है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) एक मौलिक सिद्धांत है जो कहता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। सभी व्यक्ति, शासक और शासित, कानून के समक्ष समान हैं और उसी कानून द्वारा शासित होते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण का सिद्धांत शामिल है, जो विधि के शासन का एक हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मनमानी शक्ति के बजाय कानून के शासन पर जोर देता है, जो आधुनिक लोकतंत्रों की एक पहचान है।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (b) स्वतंत्रता के महत्व को बताता है, जो विधि के शासन से जुड़ा हो सकता है, लेकिन यह उसका मुख्य सार नहीं है। विकल्प (c) और (d) विधि के शासन के सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत हैं, जो मनमानी शक्ति और विशेषाधिकारों का खंडन करता है।
प्रश्न 19: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट विधायी शक्तियों’ (Residuary Legislative Powers) के बारे में क्या सत्य है?
- यह राज्य विधानमंडलों के पास हैं।
- यह केंद्र और राज्य दोनों के पास समान रूप से वितरित हैं।
- यह संसद के पास हैं।
- यह राष्ट्रपति के पास हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में शक्तियों का विभाजन संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। जिन विषयों को इन सूचियों में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें ‘अवशिष्ट विषय’ (Residuary Matters) कहा जाता है। अनुच्छेद 248 के अनुसार, इन अवशिष्ट विषयों पर कानून बनाने की अनन्य शक्ति संसद (Union Parliament) के पास है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान भारत को एकात्मक राज्य की ओर झुकाव वाला एक अर्ध-संघीय राज्य बनाता है, जहाँ केंद्र के पास महत्वपूर्ण शक्तियाँ निहित हैं, खासकर अप्रत्याशित या उभरते हुए मामलों में।
- अincorrect विकल्प: राज्य विधानमंडल (a) के पास केवल राज्य सूची के विषयों पर शक्ति है। केंद्र और राज्य (b) के बीच वितरण सूचियों के अनुसार होता है। राष्ट्रपति (d) के पास विधायी शक्तियाँ नहीं हैं, वे कार्यपालिका के प्रमुख हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक संशोधन ‘मतदान की आयु’ को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है?
- 39वाँ संशोधन अधिनियम, 1975
- 40वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 70वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989 भारतीय संविधान में किया गया था, जिसने अनुच्छेद 326 में संशोधन करके लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवाओं को अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व देना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी बढ़ाना था। यह देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण बदलाव था जिसने युवा आबादी को सीधे प्रभावित किया।
- अincorrect विकल्प: 39वाँ संशोधन (1975) राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित है। 40वाँ संशोधन (1976) ने नौवीं अनुसूची में कुछ कानूनों को शामिल किया। 70वाँ संशोधन (1992) ने दिल्ली और पांडिचेरी (पुडुचेरी) के विधानसभा सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया।
प्रश्न 21: भारत में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का उन्मूलन किस मौलिक अधिकार के तहत किया गया है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है और इसके किसी भी रूप के आचरण को एक दंडनीय अपराध घोषित करता है। यह अधिकार समानता के अधिकार (भाग III) के अंतर्गत आता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करता है। संसद ने इस अनुच्छेद के प्रवर्तन के लिए ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ भी पारित किया है, जिसे बाद में ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955’ नाम दिया गया।
- अincorrect विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार (b) अभिव्यक्ति, आवागमन आदि की स्वतंत्रता से संबंधित है। शोषण के विरुद्ध अधिकार (c) मानव तस्करी और बलात् श्रम का निषेध करता है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (d) धार्मिक मामलों के प्रबंधन से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति का प्रावधान करता है। महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हें भारत का नागरिक होना चाहिए और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए।
- अincorrect विकल्प: प्रधानमंत्री (b) राष्ट्रपति को सलाह दे सकते हैं, लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य न्यायाधीश (c) और संसद (d) महान्यायवादी की नियुक्ति प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी समवर्ती सूची (Concurrent List) का विषय है?
- रेलवे
- पुलिस
- वन
- बैंकिंग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: सातवीं अनुसूची में शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में है। समवर्ती सूची वह सूची है जिस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। ‘वन’ (Forests) समवर्ती सूची का विषय है (प्रविष्टि 17A)।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची में कुल 52 विषय हैं। यदि संघ सूची और राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बनाने की शक्ति का टकराव होता है, तो संसद द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है, बशर्ते वह संविधान के अनुच्छेद 254 के प्रावधानों के अनुसार हो।
- अincorrect विकल्प: रेलवे (a) संघ सूची का विषय है। पुलिस (b) राज्य सूची का विषय है। बैंकिंग (d) संघ सूची का विषय है।
प्रश्न 24: संविधान के किस संशोधन अधिनियम ने दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी प्रावधान) को जोड़ा?
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा भारतीय संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इस अनुसूची में संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को दलबदल (Defection) के आधार पर अयोग्य ठहराने के प्रावधान शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना और विधायकों द्वारा दल बदलने की प्रवृत्ति को रोकना था, जो अक्सर सरकारों को अस्थिर कर देती थी।
- अincorrect विकल्प: 61वाँ संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष की। 73वाँ संशोधन (1992) ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 74वाँ संशोधन (1992) ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 25: एक ‘अविश्वास प्रस्ताव’ (No-Confidence Motion) केवल किस सदन में लाया जा सकता है?
- राज्यसभा
- लोकसभा
- दोनों सदन
- किसी भी सदन में नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संसदीय प्रणाली में, अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यह अनुच्छेद 75(3) के प्रावधान पर आधारित है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। राज्यसभा केवल स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) के माध्यम से सरकार की आलोचना कर सकती है, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती।
- अincorrect विकल्प: राज्यसभा (a) सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत के अधीन नहीं है। दोनों सदन (c) में अविश्वास प्रस्ताव लाने की शक्ति नहीं है। किसी भी सदन में नहीं (d) गलत है क्योंकि यह लोकसभा में संभव है।
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