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संविधान मंथन: अपनी तैयारी परखें

संविधान मंथन: अपनी तैयारी परखें

नमस्कार, भावी लोक सेवकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना और उसकी जटिलताओं में महारत हासिल करना आपकी यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है। आज, हम आपके वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए संविधान और भारतीय राजव्यवस्था पर आधारित 25 विशेष बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ हाजिर हैं। तो, कलम उठाइए और देखें कि आप आज के मंथन में कितना सफल होते हैं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के संबंध में सही नहीं है?

  1. संसदों को सत्र के दौरान और उसके 40 दिन पहले तथा बाद में कुछ दीवानी मामलों में गिरफ्तारी से छूट प्राप्त है।
  2. संसद के सदस्यों को सदन में या उसकी समितियों में कही गई किसी भी बात या दिए गए किसी भी वोट के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही से उन्मुक्ति प्राप्त है।
  3. सदन की कार्यवाही का प्रकाशन करने का विशेषाधिकार केवल संसद के प्रत्येक सदन को है, किसी भी व्यक्ति को नहीं।
  4. संसद के सदस्यों को सत्र के दौरान गवाही देने से छूट प्राप्त है, यदि वे इसे सदन के व्यवसाय में बाधा मानते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: कथन (c) गलत है। जबकि संसद के सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त है कि वे सदन की कार्यवाही को प्रकाशित कर सकें, यह विशेषाधिकार सदन के प्रत्येक सदन को ही नहीं, बल्कि संसद के किसी भी सदस्य को भी प्राप्त है, बशर्ते कि यह सदन की अनुमति से किया गया हो। अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ विशेषाधिकार के तहत समाचार पत्र और अन्य माध्यमों को सदन की कार्यवाही प्रकाशित करने की अनुमति है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों का उद्देश्य सांसदों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय भय या दबाव से मुक्त रखना है। ये विशेषाधिकार संविधान के अनुच्छेद 105 में वर्णित हैं। दीवानी मामलों में गिरफ्तारी से छूट (कथन a) अनुच्छेद 105(2) के तहत प्रदान की गई है। सदन में कही गई बात या वोट के लिए उन्मुक्ति (कथन b) अनुच्छेद 105(2) का सीधा परिणाम है। सदस्यों को गवाही से छूट (कथन d) भी उनके संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन को सुनिश्चित करने के लिए है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) संसदीय विशेषाधिकार के सही पहलू हैं। विकल्प (d) भी विशेषाधिकार का एक हिस्सा है। विकल्प (c) में ‘केवल’ शब्द इसे गलत बनाता है क्योंकि यह विशेषाधिकार सदन के सदस्यों तक भी विस्तारित है।

प्रश्न 2: भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा दी गई है?

  1. अनुच्छेद 109
  2. अनुच्छेद 110
  3. अनुच्छेद 111
  4. अनुच्छेद 112

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: धन विधेयक की परिभाषा भारत के संविधान के **अनुच्छेद 110** में दी गई है। यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि कौन से विधेयक धन विधेयक माने जाएंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है (अनुच्छेद 109)। राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी धन विधेयक लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता। धन विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया सामान्य विधेयकों से भिन्न होती है; इसमें राज्यसभा की भूमिका सीमित होती है। अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की अनुमति से संबंधित है, और अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों से संबंधित प्रक्रिया का वर्णन करता है, न कि परिभाषा का। अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की मंजूरी से संबंधित है, और अनुच्छेद 112 बजट से संबंधित है।

प्रश्न 3: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का उद्भव किस मामले से जोड़ा जाता है?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  4. एस. पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (न्यायाधीशों का मामला II)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: ‘न्यायिक सक्रियता’ की अवधारणा का उद्भव विशेष रूप से **एस. पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981)** मामले से जुड़ा है, जिसे ‘न्यायाधीशों का मामला II’ भी कहा जाता है। इस मामले ने सार्वजनिक हित वाद (PIL) के लिए द्वार खोल दिए और न्यायाधीशों को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायिक सक्रियता तब होती है जब न्यायपालिका अपनी पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़कर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर पहल करती है, अक्सर सार्वजनिक हित वादों के माध्यम से। गोलकनाथ (1967) ने मौलिक अधिकारों में संशोधन की संसद की शक्ति पर रोक लगाई। केशवानंद भारती (1973) ने ‘मूल संरचना’ सिद्धांत दिया। मेनका गांधी (1978) ने नैसर्गिक न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे को विस्तृत किया।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ, केशवानंद भारती और मेनका गांधी मामले महत्वपूर्ण थे लेकिन सीधे तौर पर ‘न्यायिक सक्रियता’ की शुरुआत से नहीं जुड़े हैं जैसा कि एस. पी. गुप्ता मामले से जुड़ा है।

प्रश्न 4: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द **42वें संशोधन अधिनियम, 1976** द्वारा जोड़े गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इसने प्रस्तावना के साथ-साथ संविधान के कई अन्य हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देना था।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी प्रावधान जोड़े (10वीं अनुसूची)। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 5: राष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. राष्ट्रपति का चुनाव भारत के राष्ट्रपति द्वारा संचालित किया जाता है।
2. राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
3. दिल्ली और पुडुचेरी विधान सभाओं के सदस्य भी राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
4. उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न होता है क्योंकि इसमें केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।

इनमें से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. 2, 3 और 4
  3. 1, 3 और 4
  4. केवल 2 और 3

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया अनुच्छेद 54 और 55 में वर्णित है। उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया अनुच्छेद 66 में वर्णित है।
    1. कथन 1 गलत है। राष्ट्रपति के चुनाव का संचालन **भारत के निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)** द्वारा किया जाता है, न कि राष्ट्रपति द्वारा।
    2. कथन 2 सत्य है। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के **निर्वाचित** सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं (Vidhan Sabhas) के **निर्वाचित** सदस्य शामिल होते हैं। (अनुच्छेद 54)
    3. कथन 3 सत्य है। 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी) की विधान सभाओं के सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है। (अनुच्छेद 54)
    4. कथन 4 सत्य है। उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 66 के अनुसार, संसद के दोनों सदनों के **सभी** सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) द्वारा किया जाता है, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते और राज्यों की विधान सभाओं के सदस्य भाग लेते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की चुनावी प्रक्रियाओं के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधान परिषदों के सदस्य भाग नहीं लेते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल कथन 1 गलत है, इसलिए विकल्प (a) और (c) गलत हैं। विकल्प (b) में सभी तीन कथन सत्य हैं।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन भारत के संविधान का संरक्षक (Guardian of the Constitution) माना जाता है?

  1. राष्ट्रपति
  2. संसद
  3. सर्वोच्च न्यायालय
  4. प्रधानमंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: भारत का **सर्वोच्च न्यायालय** संविधान का संरक्षक माना जाता है। अनुच्छेद 13 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित कर सकता है (न्यायिक पुनर्विलोकन)।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान का संरक्षक होने का अर्थ है कि न्यायपालिका संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने, सरकार की तीनों शाखाओं (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को उनके संवैधानिक दायरे में रखने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है। न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) सर्वोच्च न्यायालय का एक महत्वपूर्ण कार्य है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख है, संसद विधि बनाती है, और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, लेकिन संविधान की अंतिम व्याख्या और उसकी रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय का है।

प्रश्न 7: भारत में ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) की क्या विशेषता है?

  1. यह प्रश्नकाल के ठीक बाद का समय होता है जब सदस्य बिना पूर्व सूचना के कोई भी महत्वपूर्ण मामला उठा सकते हैं।
  2. यह दिन के अंत में होता है जब सरकारी कार्यों पर चर्चा की जाती है।
  3. यह सत्र की शुरुआत में होता है जब राष्ट्रपति अभिभाषण देते हैं।
  4. यह केवल बजट सत्र के दौरान उपलब्ध होता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: ‘शून्यकाल’ भारतीय संसदीय प्रक्रिया का एक अनूठा आविष्कार है, जो **प्रश्नकाल (प्रश्न काल) के ठीक बाद, दोपहर 12 बजे से शुरू होता है**। इसमें सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दे उठा सकते हैं। यह सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद में परिभाषित नहीं है, बल्कि संसदीय नियमों और प्रथाओं से विकसित हुआ है।
  • संदर्भ और विस्तार: शून्यकाल का उद्देश्य सांसदों को तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाने की अनुमति देना है, जिन पर वे प्रश्नकाल में नहीं पूछ पाए या जिनके लिए उन्हें पूर्व सूचना देने का समय नहीं था। इस दौरान उठाए गए मुद्दे सामान्यतः मंत्रियों को जांच के लिए संदर्भित किए जाते हैं।
  • गलत विकल्प: शून्यकाल प्रश्नकाल के बाद (लगभग 12 बजे) होता है, न कि दिन के अंत या सत्र की शुरुआत में। यह किसी विशेष सत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी सत्रों में होता है।

प्रश्न 8: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
2. वह संसद की किसी भी कार्यवाही में भाग ले सकता है लेकिन वोट नहीं दे सकता।
3. उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
4. वह केवल 65 वर्ष की आयु तक ही पद पर रह सकता है।

इनमें से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. 2, 3 और 4
  3. 1, 3 और 4
  4. 1 और 3

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ:
    1. कथन 1 सत्य है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, जैसा कि **अनुच्छेद 76 (1)** में प्रावधान है।
    2. कथन 2 सत्य है। महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों, उनकी समितियों और संसद द्वारा बुलाए गए किसी भी संयुक्त बैठक में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान में भाग नहीं ले सकता (जैसा कि **अनुच्छेद 88** में उपबंध है)।
    3. कथन 3 सत्य है। महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 76(1))।
    4. कथन 4 गलत है। महान्यायवादी का कार्यकाल राष्ट्रपति की मर्जी पर निर्भर करता है (अनुच्छेद 76(4))। संविधान में उसकी आयु सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि वह 65 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकता है, जैसा कि अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों के लिए कुछ हद तक होता है, लेकिन यह उसकी नियुक्ति की शर्त नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करता है।
  • गलत विकल्प: कथन 4 गलत होने के कारण विकल्प (b) और (c) गलत हैं। कथन 1, 2, 3 सत्य हैं, इसलिए विकल्प (a) सही है।

प्रश्न 9: भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
  2. आयोग एक **संवैधानिक निकाय** है।
  3. यह मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच कर सकता है।
  4. यह अपनी जांच में सिविल कोर्ट की शक्तियों का प्रयोग करता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) **एक सांविधिक (Statutory) निकाय है**, न कि संवैधानिक। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अन्य सभी कथन सही हैं: (a) नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के विपक्ष के नेता और राज्यसभा के विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। (c) आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है। (d) आयोग सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल न्यायालय की सभी शक्तियों का प्रयोग करता है, जैसे कि गवाहों को बुलाना, दस्तावेजों की जांच करना, आदि।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि NHRC एक सांविधिक निकाय है।

प्रश्न 10: पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी गई?

  1. नौवीं अनुसूची
  2. दसवीं अनुसूची
  3. ग्यारहवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में **ग्यारहवीं अनुसूची** जोड़ी गई।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के 29 कार्यात्मक मदों (Functions) का उल्लेख है, जिन्हें राज्य सरकारें इन संस्थाओं को सौंप सकती हैं। इस संशोधन ने भारतीय संविधान में भाग IX (पंचायतों) भी जोड़ा।
  • गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची पहले संशोधन से जोड़ी गई, दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है, और बारहवीं अनुसूची नगर पालिकाओं से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई)।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन सा संसद के सदनों के बीच सत्रावसान (Adjournment) और सत्रावसान (Prorogation) से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 85
  2. अनुच्छेद 86
  3. अनुच्छेद 87
  4. अनुच्छेद 88

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **अनुच्छेद 85** राष्ट्रपति को संसद के प्रत्येक सदन को आहूत (summon) करने, सत्रावसान (adjourn) करने और लोकसभा को विघटित (dissolve) करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान (Adjournment) किसी बैठक का अस्थायी स्थगन है, जबकि सत्रावसान (Prorogation) सत्र की समाप्ति होती है, जो आमतौर पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति को सदनों को संबोधित करने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 87 राष्ट्रपति द्वारा विशेष अभिभाषण से संबंधित है। अनुच्छेद 88 महान्यायवादी के सदन में भाग लेने के अधिकार से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अन्य अनुच्छेद क्रमशः सदनों को संबोधित करने, विशेष अभिभाषण और महान्यायवादी के अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा भारत के संघवाद (Federalism) की विशेषता नहीं है?

  1. लिखित संविधान
  2. दोहरी सरकार (संघ और राज्य)
  3. संविधान की सर्वोच्चता
  4. एकल नागरिकता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: भारत को ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-federal) या ‘संघीय’ (Federal) व्यवस्था वाला देश कहा जाता है, लेकिन कुछ ऐसी विशेषताएं भी हैं जो इसे शुद्ध संघवाद से अलग करती हैं। **एकल नागरिकता** (Single Citizenship) भारत के संघवाद की विशेषता नहीं है; यह एकात्मक (Unitary) विशेषता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संघवाद की विशेषताएं आमतौर पर लिखित संविधान (भाग V, VI, VII), शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची), संविधान की सर्वोच्चता (अनुच्छेद 13), स्वतंत्र न्यायपालिका, और दोहरी सरकार (संघ और राज्य स्तर पर सरकारें)। एकल नागरिकता (अनुच्छेद 9) का अर्थ है कि कोई राज्य-विशिष्ट नागरिकता नहीं है, जो एकात्मक प्रणाली की विशेषता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 13: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वह संसद के प्रति जवाबदेह होता है।
2. वह केंद्र और राज्यों दोनों के खातों की लेखा परीक्षा करता है।
3. वह भारत की संचित निधि से धन निकालने की अनुमति देता है।
4. उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है और वह 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक पद पर रहता है।

इनमें से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. 2, 3 और 4
  3. 1, 3 और 4
  4. 1, 2 और 4

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ:
    1. कथन 1 सत्य है। CAG की रिपोर्टें संसद के समक्ष रखी जाती हैं, जिससे वह संसद के प्रति जवाबदेह होता है।
    2. कथन 2 सत्य है। CAG केंद्र और राज्यों दोनों के लेखा-जोखा की लेखा परीक्षा करता है (अनुच्छेद 148, 149, 151)।
    3. कथन 3 गलत है। CAG धन निकालने की अनुमति **नहीं** देता है; वह केवल खातों की लेखा परीक्षा करता है। धन निकालने की प्रक्रिया के लिए **वित्त मंत्रालय** और **संसद** की स्वीकृति आवश्यक होती है।
    4. कथन 4 सत्य है। CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 148)। वह 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG की भूमिका सरकार के व्यय पर नियंत्रण रखना और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: कथन 3 गलत होने के कारण विकल्प (a) और (c) गलत हैं। कथन 1, 2, 4 सत्य हैं, इसलिए विकल्प (d) सही है।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के भाग IV (राज्य की नीति के निदेशक तत्व) के तहत निम्नलिखित में से कौन सा एक निर्देशक तत्व है?

  1. समान नागरिक संहिता
  2. प्रेस की स्वतंत्रता
  3. धर्म की स्वतंत्रता
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)** का प्रावधान भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 44** में राज्य की नीति के निदेशक तत्व के रूप में शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: निदेशक तत्व राज्य को ऐसी नीतियां बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं जो सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा दें। वे न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मौलिक हैं। प्रेस की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a)) मौलिक अधिकार है, धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28) मौलिक अधिकार है, और जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) मौलिक अधिकार है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) सभी मौलिक अधिकार हैं, न कि निदेशक तत्व।

प्रश्न 15: भारत में आपातकालीन प्रावधानों के तहत, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा कर सकते हैं यदि…

  1. राज्यों में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो जाए।
  2. देश की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में हो।
  3. भारत की सुरक्षा को युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा **अनुच्छेद 352** के तहत की जाती है, जब **भारत की सुरक्षा को युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (armed rebellion) से खतरा हो**।
  • संदर्भ और विस्तार:
    * अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता से संबंधित है (विकल्प a)।
    * अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है (विकल्प b)।
    * ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द को 44वें संशोधन, 1978 द्वारा ‘आंतरिक गड़बड़ी’ (Internal Disturbance) शब्द के स्थान पर जोड़ा गया था ताकि राष्ट्रीय आपातकाल को केवल गंभीर परिस्थितियों तक सीमित रखा जा सके।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, और विकल्प (b) वित्तीय आपातकाल से। राष्ट्रीय आपातकाल का आधार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत की ‘सार्वजनिक निधि’ (Public Account of India) के संबंध में सही नहीं है?

  1. इसमें वह धन शामिल है जो सरकार को ऋणी के रूप में प्राप्त होता है।
  2. इसमें वह धन शामिल है जो सरकार अपने पास न्यास (Trust) के रूप में रखती है।
  3. इस खाते से धन निकालने के लिए संसद की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है।
  4. यह भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) का ही एक हिस्सा है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: सार्वजनिक निधि (Public Account of India) का वर्णन **अनुच्छेद 266 (2)** में किया गया है। यह भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India – अनुच्छेद 266(1)) और भारत की आकस्मिक निधि (Contingency Fund of India – अनुच्छेद 267) से एक अलग खाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सार्वजनिक निधि में वह धन शामिल होता है जो सरकार को ऋणी के रूप में प्राप्त होता है या जिसे वह न्यास के रूप में रखती है, जैसे कि भविष्य निधि, सरकारी जमा, आदि। इस खाते से धन निकालने के लिए **संसद की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है**, क्योंकि यह सरकार की ओर से एक बैंकर के रूप में कार्य करने जैसा है। इसलिए, विकल्प (d) गलत है क्योंकि यह संचित निधि का हिस्सा नहीं है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सार्वजनिक निधि की सही विशेषताएँ हैं। (d) गलत है क्योंकि यह संचित निधि से अलग है।

प्रश्न 17: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions) की व्यवस्था की गई है?

  1. अनुच्छेद 315
  2. अनुच्छेद 316
  3. अनुच्छेद 317
  4. अनुच्छेद 319

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **अनुच्छेद 315** संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 316 सदस्यों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 317 लोक सेवा आयोग के सदस्य की पदच्युति (removal) और निलंबन (suspension) से संबंधित है। अनुच्छेद 319 लोक सेवा आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्य के रूप में या तत्पश्चात् किसी पद के धारण के संबंध में उपबंध करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 316, 317, और 319 अन्य संबंधित प्रावधानों से संबंधित हैं, न कि आयोगों की मूल व्यवस्था से।

प्रश्न 18: भारत के संविधान में ‘राज्य की परिभाषा’ (Definition of State) किस अनुच्छेद में दी गई है?

  1. अनुच्छेद 12
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 14
  4. अनुच्छेद 15

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **अनुच्छेद 12** में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल, और भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार-क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य के विरुद्ध लागू होते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करने से संबंधित है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।

प्रश्न 19: भारतीय संसद में ‘अविश्वास प्रस्ताव’ (No Confidence Motion) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह प्रस्ताव केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
  2. यह प्रस्ताव राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के विरुद्ध भी पेश किया जा सकता है।
  3. यह प्रस्ताव किसी भी मंत्री के विरुद्ध पेश किया जा सकता है।
  4. यह प्रस्ताव किसी भी कारण से पेश किया जा सकता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: अविश्वास प्रस्ताव भारतीय संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है और यह केवल **लोकसभा** में ही पेश किया जा सकता है। यह **सरकार (मंत्रिपरिषद) के विरुद्ध** ही पेश किया जा सकता है, न कि राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के विरुद्ध।
  • संदर्भ और विस्तार: अविश्वास प्रस्ताव को पारित होने के लिए लोकसभा के कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। प्रस्ताव के समर्थन में एक कारण बताना पड़ता है। यदि यह पारित हो जाता है, तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। यह संसद के नियमों के तहत आता है, न कि किसी विशेष अनुच्छेद में।
  • गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि यह राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के विरुद्ध नहीं होता। (c) गलत है क्योंकि यह किसी विशिष्ट मंत्री के बजाय पूरी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध होता है। (d) गलत है क्योंकि इसके लिए कारण बताना पड़ता है और यह केवल मंत्रिपरिषद के विरुद्ध होता है।

प्रश्न 20: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन से प्रकार शामिल हैं?

  1. राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक
  2. केवल सामाजिक और आर्थिक
  3. सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक
  4. राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार, नागरिकों को **सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय** प्रदान करने की व्यवस्था है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह तीनों प्रकार के न्याय सुनिश्चित करते हैं कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिलें, किसी भी आधार पर भेदभाव न हो, और उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मिले।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में धार्मिक न्याय का विशेष रूप से उल्लेख नहीं है, हालांकि धर्म की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है।

प्रश्न 21: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य विधानमंडल को धन विधेयक (Money Bill) को पारित करने के संबंध में विशेष प्रक्रिया का पालन करने के लिए निर्देशित करता है?

  1. अनुच्छेद 198
  2. अनुच्छेद 199
  3. अनुच्छेद 200
  4. अनुच्छेद 201

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **अनुच्छेद 198** राज्य विधानमंडल में धन विधेयकों से संबंधित विशेष प्रक्रिया का वर्णन करता है, जो काफी हद तक राष्ट्रीय स्तर पर अनुच्छेद 109 के समान है।
  • संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल राज्य विधान सभा (Legislative Assembly) में ही पेश किया जा सकता है, विधान परिषद (Legislative Council) में नहीं। यह राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जाता है। धन विधेयक को विधान परिषद में पेश नहीं किया जा सकता है, और विधान परिषद ऐसे विधेयक को अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती, केवल 14 दिनों तक रोक सकती है। अनुच्छेद 199 धन विधेयक की परिभाषा देता है। अनुच्छेद 200 राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर अनुमति देने या रोकने से संबंधित है। अनुच्छेद 201 आरक्षित विधेयकों पर पुनः विचार से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 199 धन विधेयक की परिभाषा देता है, अनुच्छेद 200 राज्यपाल की अनुमति से संबंधित है, और अनुच्छेद 201 आरक्षित विधेयकों से संबंधित है।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा शिक्षा को समवर्ती सूची (Concurrent List) में स्थानांतरित किया गया?

  1. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **42वें संशोधन अधिनियम, 1976** द्वारा, पाँच विषयों को राज्य सूची (State List) से हटाकर समवर्ती सूची (Concurrent List) में डाल दिया गया। इनमें से एक **शिक्षा** भी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर केंद्र और राज्य के कानूनों में टकराव होता है, तो केंद्र का कानून मान्य होता है। अन्य विषय थे वन, वन्यजीवों और पक्षियों का संरक्षण, माप और तौल, और न्याय प्रशासन।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन अन्य महत्वपूर्ण बदलावों से संबंधित हैं, जैसे 44वें ने संपत्ति के अधिकार को बदला, 52वें ने दल-बदल को शामिल किया, और 61वें ने मतदान की आयु कम की।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन भारत की ‘आकस्मिक निधि’ (Contingency Fund of India) के संचालन से संबंधित है?

  1. राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री
  3. वित्त मंत्रालय
  4. संसद

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: भारत की आकस्मिक निधि, जिसका वर्णन **अनुच्छेद 267** में है, राष्ट्रपति के **नियंत्रण** में होती है और इसका संचालन **वित्त मंत्रालय** के माध्यम से होता है। हालांकि, अनुच्छेद 267(1) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “संसद, विधि द्वारा, भारत की आकस्मिक निधि नामक एक निधि की स्थापना कर सकती है।” और अनुच्छेद 267(2) कहता है कि “यह निधि उस प्रायोजन के लिए होगी जो संसद विधि द्वारा नियुक्त करे।” व्यवहार में, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मंत्रालय इसका प्रबंधन करता है। लेकिन, ‘संचालन’ के अधिकार का अंतिम निहितार्थ राष्ट्रपति के पास है, क्योंकि वे इसके अभिरक्षक हैं। हालांकि, अभ्यास और प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए, वित्त मंत्रालय को प्रमुख माना जाता है। लेकिन, एक अधिक सटीक उत्तर के लिए, राष्ट्रपति को प्रधानता दी जाती है क्योंकि यह ‘राष्ट्रपति के नियंत्रण’ में है। यदि ‘प्रबंधन’ पूछा जाता तो वित्त मंत्रालय सही होता। ‘संचालन’ में अप्रत्यक्ष नियंत्रण शामिल है।
    हालांकि, नवीनतम व्याख्याएं और प्रश्न प्रारूपों के अनुसार, राष्ट्रपति को प्राथमिक उत्तर माना जाता है क्योंकि निधि उनके नियंत्रण में है।
  • संदर्भ और विस्तार: आकस्मिक निधि अप्रत्याशित व्ययों को पूरा करने के लिए होती है। इस निधि से धन निकालने के लिए संसद की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और संसद का प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होता। वित्त मंत्रालय इसका प्रशासनिक प्रबंधन करता है, लेकिन निधि राष्ट्रपति के नियंत्रण में है।

प्रश्न 24: संविधान का कौन सा संशोधन अधिनियम भारत में मतदान की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है?

  1. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: **61वें संशोधन अधिनियम, 1989** द्वारा, संविधान के **अनुच्छेद 326** में संशोधन किया गया, जिससे लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवा आबादी को चुनावी प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन क्रमशः प्रस्तावना में बदलाव, संपत्ति के अधिकार में बदलाव और पंचायती राज से संबंधित हैं।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय ‘रिट’ (Writ) जारी करने की शक्ति रखता है?

  1. अनुच्छेद 32 और 139
  2. अनुच्छेद 226
  3. अनुच्छेद 142
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/प्रावधान संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए **अनुच्छेद 32** के तहत रिट जारी कर सकता है। इसके अतिरिक्त, संसद ने **अनुच्छेद 139** द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), निषेध (Prohibition), अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto) और उत्प्रेषण (Certiorari) के अलावा अन्य रिट जारी करने की शक्ति भी प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय **अनुच्छेद 142** के तहत भी ऐसे आदेश जारी कर सकता है जो न्याय के पूर्ण अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हों, जिसमें रिट जारी करना भी शामिल हो सकता है। उच्च न्यायालय **अनुच्छेद 226** के तहत रिट जारी करते हैं, जो मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों को लागू करने के लिए भी होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था। यह नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के हनन पर सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 139 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के अतिरिक्त अन्य विधिक अधिकारों के लिए भी रिट जारी करने की शक्ति दी गई है, जबकि अनुच्छेद 226 केवल उच्च न्यायालयों को यह शक्ति देता है। अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के पास कई अनुच्छेदों के तहत रिट या समान आदेश जारी करने की शक्ति है।
  • गलत विकल्प: चूंकि सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32, 139 और 142 के तहत रिट या समान आदेश जारी कर सकता है, और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

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