संविधान मंथन: अपनी तैयारी को परखें
भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझने के लिए तैयार हो जाइए! हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 चुनिंदा बहुविकल्पीय प्रश्न। अपनी अवधारणाओं को परखें और आगामी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को और भी मज़बूत बनाएँ!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का क्या अर्थ है? यह किस एक प्रमुख भावना को सुनिश्चित करता है?
- सामाजिक समरसता और एकता
- आर्थिक समानता
- राजनीतिक स्वतंत्रता
- धार्मिक सहिष्णुता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का अर्थ है भाईचारे की भावना। यह नागरिकों के बीच राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संविधान का यह आदर्श फ्रांस की क्रांति से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: बंधुत्व का उद्देश्य केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि व्यक्ति और राष्ट्र के बीच भाईचारे की भावना बनी रहे, जो सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: आर्थिक समानता (अनुच्छेद 39) और राजनीतिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) मौलिक अधिकारों के तहत आते हैं, जबकि बंधुत्व एक सामाजिक भावना है जो एकता को बढ़ावा देती है। धार्मिक सहिष्णुता (अनुच्छेद 25-28) एक अलग अधिकार है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 29 भारतीय नागरिकों के किसी भी वर्ग को, जो भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास कर रहा है, अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार देता है। यह अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त कुछ मौलिक अधिकार केवल नागरिकों के लिए हैं, जबकि अन्य सभी के लिए (नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए) उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 29 और 30 (अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकार) विशेष रूप से नागरिकों के लिए हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, 25, 20, 22, 23, 24, 27, 28 जैसे अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) के लिए उपलब्ध हैं।
प्रश्न 3: भारतीय संसद में कौन सा संप्रभुता का सिद्धांत लागू होता है?
- संसदीय संप्रभुता
- न्यायिक संप्रभुता
- सांविधानिक संप्रभुता
- जनता की संप्रभुता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद को विधि निर्माण की शक्ति प्राप्त है, जो अनुच्छेद 246 में वर्णित है। हालाँकि, भारत में संप्रभुता का स्वरूप मिश्रित है, जिसमें संसदीय संप्रभुता के साथ-साथ संविधान की सर्वोच्चता और न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति भी महत्वपूर्ण है। प्रश्न के संदर्भ में, विधि निर्माण के संदर्भ में संसदीय संप्रभुता प्रमुख है।
- संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश मॉडल की तरह, जहाँ संसद सर्वोच्च है, भारत में भी संसद को व्यापक विधायी शक्तियाँ प्राप्त हैं। हालाँकि, संविधान की सर्वोच्चता, मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था इसे पूर्ण संसदीय संप्रभुता से अलग करती है।
- गलत विकल्प: न्यायिक संप्रभुता (न्यायपालिका की सर्वोच्चता) और सांविधानिक संप्रभुता (संविधान की सर्वोच्चता) भी भारत में लागू होती हैं, लेकिन विधायी शक्ति के स्रोत के रूप में संसद की भूमिका को दर्शाने के लिए ‘संसदीय संप्रभुता’ अधिक उपयुक्त है। जनता की संप्रभुता (लोकतंत्र का मूल सिद्धांत) भी है, पर संसद के संबंध में यह सीमित है।
प्रश्न 4: किस वर्ष भारतीय संविधान में ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया?
- 1976
- 1950
- 1971
- 1984
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये शब्द भारतीय संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा नहीं थे, बल्कि एक संशोधन द्वारा जोड़े गए। 42वां संविधान संशोधन, जिसे ‘मिनी-कॉन्स्टीट्यूशन’ भी कहा जाता है, ने कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए थे। ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द को भी इसी संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
- गलत विकल्प: 1950 में संविधान लागू हुआ। 1971 में कुछ संशोधन हुए लेकिन ये शब्द उस समय नहीं जुड़े। 1984 में राजीव गांधी सरकार का कार्यकाल था, लेकिन इस संशोधन का संबंध इन शब्दों से नहीं है।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित कानूनों को समाहित करती है, जिससे उन पर न्यायिक समीक्षा की शक्ति सीमित हो जाती है?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: नौवीं अनुसूची को प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य भूमि सुधारों से संबंधित कुछ अधिनियमों को न्यायिक समीक्षा से बचाना था।
- संदर्भ और विस्तार: नौवीं अनुसूची में शामिल कानूनों को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। हालाँकि, 2007 में, केशवानंद भारती मामले के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि नौवीं अनुसूची में 24 अप्रैल 1973 (केशवानंद भारती मामले के निर्णय की तिथि) के बाद जोड़े गए कानूनों की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है। दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची पंचायती राज से संबंधित है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘मौलिक अधिकार’ नहीं है, यद्यपि यह एक संवैधानिक अधिकार है?
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21A)
- संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 300A)
- धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार, जो मूल रूप से मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) था, को 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और अब यह संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ या ‘संवैधानिक अधिकार’ है।
- संदर्भ और विस्तार: संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाना एक महत्वपूर्ण संवैधानिक परिवर्तन था। इसका उद्देश्य भूमि सुधारों को सुगम बनाना और आर्थिक विकास के लिए संपत्ति के अधिग्रहण को आसान बनाना था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 (भेदभाव के विरुद्ध), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है, जैसा कि KS पुट्टस्वामी मामले में कहा गया), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) सभी मौलिक अधिकार हैं।
प्रश्न 7: राष्ट्रपति के चुनाव में कौन मतदान करता है?
- केवल संसद के निर्वाचित सदस्य
- संसद के सभी सदस्य
- संसद के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- संसद के सभी सदस्य तथा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 8: केंद्रीय मंत्री परिषद की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के प्रधानमंत्री की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति
- भारत के राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष की सलाह पर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय मंत्री परिषद के सदस्यों की नियुक्ति भारत के प्रधानमंत्री की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह अनुच्छेद 75(1) में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों के नाम के बारे में सूचित करता है जिन्हें मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाना है, और राष्ट्रपति उसी सलाह के अनुसार नियुक्ति करते हैं। यह भारत में संसदीय प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता है जहाँ कार्यकारी शक्तियाँ प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद में निहित होती हैं, जो राष्ट्रपति के नाम पर प्रयोग की जाती हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अकेले (a) या प्रधानमंत्री अकेले (b) नियुक्ति नहीं करते। लोकसभा अध्यक्ष की सलाह (d) का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
प्रश्न 9: धन विधेयक (Money Bill) के संबंध में लोकसभा को राज्यसभा की तुलना में कौन सी विशेष शक्ति प्राप्त है?
- धन विधेयक को पारित करने का अधिकार
- धन विधेयक में संशोधन करने का अधिकार
- धन विधेयक को अनिश्चित काल के लिए रोक रखने का अधिकार
- धन विधेयक पर विचार करने और सुझाव देने के लिए केवल 14 दिन का समय
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 109 के अनुसार, कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। धन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया के तहत, यह केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके बाद, यह राज्यसभा को विचार के लिए भेजा जाता है, जो इसे प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर सिफारिशों के साथ या उसके बिना वापस भेज सकती है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक को वापस नहीं करती है, तो उसे दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है, भले ही राज्यसभा ने कोई सिफारिश न की हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह लोकसभा को राज्यसभा की तुलना में अधिक शक्ति प्रदान करता है, क्योंकि राज्यसभा के पास धन विधेयक को अनिश्चित काल तक रोकने या उसे अस्वीकार करने की शक्ति नहीं है। राज्यसभा केवल सुझाव दे सकती है, जिन्हें स्वीकार या अस्वीकार करना लोकसभा पर निर्भर करता है।
- गलत विकल्प: धन विधेयक को पारित करने या संशोधित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा का ही है, लेकिन राज्यसभा के पास 14 दिन की ही शक्ति होती है, न कि किसी अनिश्चित काल की रोक की।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) का सिद्धांत प्रतिपादित किया?
- ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- शंकरी प्रसाद बनाम भारतीय संघ
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इसने कहा कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह उसकी ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस ऐतिहासिक निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखा। मूल संरचना के तत्वों में संविधान की सर्वोच्चता, गणतंत्रात्मक और लोकतांत्रिक स्वरूप, धर्मनिरपेक्ष चरित्र, शक्तियों का पृथक्करण, संघीय चरित्र आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ए.के. गोपालन (1950) और शंकरी प्रसाद (1951) के मामलों में, न्यायालय ने संसद की संशोधन शक्ति के पक्ष में निर्णय दिया था। मेनका गांधी (1978) के मामले ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या को व्यापक बनाया।
प्रश्न 11: भारत में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास निहित हैं?
- केवल संसद के पास
- केवल राज्यों के पास
- केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित
- ना तो केंद्र के पास और ना ही राज्यों के पास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियाँ (अर्थात् वे विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं) संसद में निहित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सातवीं अनुसूची (अनुच्छेद 246) संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विषयों को सूचीबद्ध करती है। अवशिष्ट विषयों पर कानून बनाने का अधिकार, जो अनियंत्रित होते हैं, वह संघ (संसद) को दिया गया है। यह भारत के संघवाद के एकात्मक झुकाव को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: कनाडा के विपरीत, जहां अवशिष्ट शक्तियाँ संघ के पास होती हैं, भारत में भी यही व्यवस्था है। राज्यों के पास अवशिष्ट शक्तियाँ नहीं हैं।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- एक चयन समिति की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह समिति प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा के अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, और केंद्रीय गृह सचिव जैसे सदस्यों से बनी होती है। (मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993)
- संदर्भ और विस्तार: NHRC एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन करना है। नियुक्ति प्रक्रिया में विभिन्न राजनीतिक और न्यायिक पदाधिकारियों की भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि आयोग निष्पक्ष और योग्य व्यक्तियों द्वारा संचालित हो।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अकेले (a) या प्रधानमंत्री (b) सीधे नियुक्त नहीं करते। राज्यसभा के सभापति (d) का इस नियुक्ति प्रक्रिया में कोई सीधा अधिकार नहीं है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से किस संवैधानिक निकाय का कार्य भारत की संचित निधि से राज्यों को राजस्व की सहायता अनुदान की सिफारिश करना है?
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
- योजना आयोग (अब समाप्त)
- लोक लेखा समिति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (Finance Commission) का गठन राष्ट्रपति द्वारा हर पांचवें वर्ष या जब भी वे आवश्यक समझें, किया जाता है। इसका मुख्य कार्य अनुच्छेद 280 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के वितरण और विभिन्न राज्यों को सहायता अनुदान के सिद्धांतों की सिफारिश करना है।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग एक अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है जो केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसकी सिफारिशें राष्ट्रपति के समक्ष संसद के दोनों सदनों में रखी जाती हैं।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (NITI Aayog) एक नीति-उन्मुख थिंक टैंक है, न कि संवैधानिक निकाय। योजना आयोग पहले था लेकिन अब नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है। लोक लेखा समिति (PAC) वित्तीय मामलों की जांच करने वाली संसदीय समिति है।
प्रश्न 14: ‘सर्विस-फॉर-ऑल’ (Service-for-all) दृष्टिकोण के साथ पंचायती राज संस्थाओं को किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायती राज को त्रि-स्तरीय संरचना (ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती स्तर और जिला परिषद) प्रदान की और ग्राम सभा को भी मान्यता दी। इसका उद्देश्य ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देना है।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन मूल रूप से पंचायती राज और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के प्रयास थे, लेकिन वे अधिनियमित नहीं हो सके और बाद में 73वें और 74वें संशोधनों के माध्यम से सफल हुए।
प्रश्न 15: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 370
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ की घोषणा की जा सकती है। यह घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ से संबंधित है। अनुच्छेद 370, जो अब निरस्त कर दिया गया है, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, संसद राज्यों के विधायी विधायी विषयों पर कानून बना सकती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल और 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं। अनुच्छेद 370 का आपातकाल से कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 16: किसी राज्य के राज्यपाल को कौन नियुक्त करता है?
- संबंधित राज्य की विधानसभा
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 155 के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है (अनुच्छेद 156)। यद्यपि व्यवहार में, राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर की जाती है, लेकिन संवैधानिक रूप से यह अधिकार राष्ट्रपति का है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है।
- गलत विकल्प: राज्य विधानसभा (a), प्रधानमंत्री (c), या मुख्य न्यायाधीश (d) राज्यपाल की नियुक्ति नहीं करते।
प्रश्न 17: भारत में **’एकल नागरिकता’** का प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ब्रिटेन
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान ब्रिटेन के संविधान से प्रेरित है। भारत में, नागरिकता संबंधी प्रावधान भाग II (अनुच्छेद 5-11) में दिए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एकल नागरिकता का अर्थ है कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति केवल भारतीय नागरिक है, चाहे वह किसी भी राज्य में रहता हो। इसके विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका में दोहरी नागरिकता है: एक राष्ट्रीय नागरिकता और एक राज्य की नागरिकता।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका (a) दोहरी नागरिकता प्रदान करता है। कनाडा (b) और ऑस्ट्रेलिया (d) भी अपने नागरिकता नियमों में भिन्नता रखते हैं।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने के मामले में जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘शारीरिक रूप से प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में रखने पर जारी की जाती है, जिसमें हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाता है। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली साधन है।
- गलत विकल्प: परमादेश (Mandamus) किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य पालन करने का आदेश देता है। प्रतिषेध (Prohibition) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकता है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी किया जाता है।
प्रश्न 19: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्ट किसे प्रस्तुत करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- संसद
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखी जाती है। (अनुच्छेद 149, 151)
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वह केंद्र और राज्य सरकारों के लेखाओं की जाँच करता है और अपनी रिपोर्ट के माध्यम से सरकार के वित्तीय प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: CAG अपनी रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री (a) या सर्वोच्च न्यायालय (d) को प्रस्तुत नहीं करता। रिपोर्ट संसद (b) के समक्ष रखी जाती है, लेकिन प्रस्तुति राष्ट्रपति के माध्यम से होती है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक **’लोक महत्व’ (Public Importance) के महत्वपूर्ण मामले** पर सार्वजनिक रूप से अपने विचारों को व्यक्त करने वाले व्यक्ति के अधिकार को सीमित कर सकता है?
- सार्वजनिक व्यवस्था
- अशांति और अपराध
- भारत की संप्रभुता और अखंडता
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19(2) के तहत, वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘शांति भंग’, ‘अपराध के लिए उकसाना’, ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता’, ‘राज्य की सुरक्षा’, ‘विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध’, ‘मानहानि’, ‘न्यायालय की अवमानना’ और ‘शिष्टाचार या नैतिकता’ जैसे आधारों पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रतिबंध स्वतंत्र भाषण के अधिकार को पूर्ण नहीं बनाते, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि यह दूसरों के अधिकारों या राष्ट्रीय हित को नुकसान न पहुँचाए।
- गलत विकल्प: चूंकि उपरोक्त सभी विकल्प अनुच्छेद 19(2) में उल्लिखित प्रतिबंधों के आधार हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 21: चुनाव आयोग (Election Commission) की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा प्रावधान किया गया है?
- आयुक्तों की नियुक्ति केवल एक पार्टी द्वारा की जाती है
- आयुक्तों को केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है, वह भी संसद के अनुमोदन के बिना
- आयुक्तों को केवल उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है
- आयुक्तों का कार्यकाल निश्चित नहीं होता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के चुनाव आयोग के सदस्यों (मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों) को केवल उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है – अर्थात, कदाचार या असमर्थता के सिद्ध होने पर और संसद के प्रत्येक सदन द्वारा उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत द्वारा समर्थित और उस सदन की बैठक में उपस्थित सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा पारित एक पटल पर रखे गए प्रस्ताव के बाद राष्ट्रपति द्वारा। (अनुच्छेद 324 (5))
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है, ताकि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सके।
- गलत विकल्प: आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, न कि केवल एक पार्टी द्वारा (a)। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है, लेकिन संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है (b)। उनका कार्यकाल निश्चित (6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो) होता है (d)।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा पंचायती राज का **’पंचम’** (Fifth) या **’अतिरिक्त’** (Additional) स्तर माना जाता है, जो राज्य सरकार और पंचायती राज संस्थाओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है?
- ग्राम सभा
- पंचायत समिति / मंडल पंचायत
- जिला परिषद / जिला पंचायत
- राज्य विकास परिषद / विकास खंड
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: हालांकि 73वें संशोधन में मुख्य रूप से तीन-स्तरीय संरचना (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला) का प्रावधान है, कुछ राज्यों में ‘राज्य विकास परिषद’ (State Development Council) या ‘विकास खंड’ (Block Development Council) जैसी संस्थाएं भी मौजूद हैं, जो राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय का कार्य करती हैं। इन्हें अक्सर पंचायती राज व्यवस्था का एक अतिरिक्त स्तर माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्तर राज्यों के अनुसार भिन्न हो सकता है और इसका संवैधानिक उल्लेख मुख्य तीन स्तरों से अलग है, पर यह शासन के समग्र ढाँचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: ग्राम सभा (a) सबसे निचला स्तर है। पंचायत समिति (b) मध्यवर्ती स्तर है। जिला परिषद (c) जिला स्तर पर है।
प्रश्न 23: **’संसदीय विशेषाधिकार’** (Parliamentary Privileges) का अर्थ क्या है?
- संसद सदस्यों को मिलने वाली विशेष छूटें और स्वतंत्रताएं
- संसद द्वारा पारित कानूनों के ऊपर न्यायपालिका का अधिकार
- संसद के दोनों सदनों की बैठकें
- संसद के सदस्यों द्वारा वोट देने का अधिकार
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकार वे विशेष अधिकार, छूटें या स्वतंत्रताएं हैं जो संसद के प्रत्येक सदन को, उसके सदस्यों को और समितियों को प्रदान की जाती हैं। अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से और बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के करने में सक्षम बनाते हैं। उदाहरणों में सदन के सत्र के दौरान गिरफ्तारी से छूट, सदन में दिए गए भाषणों के लिए विशेषाधिकार आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: न्यायपालिका का अधिकार (b) विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि शक्तियों का पृथक्करण है। बैठकें (c) और वोटिंग का अधिकार (d) संसद सदस्यों के सामान्य कार्य हैं, विशेषाधिकार नहीं।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन **’असमित’** (Unreasoned) आदेश जारी कर सकता है?
- परमादेश (Mandamus)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक असमित (unreasoned) रिट है। इसका मतलब है कि इसे जारी करने के लिए अदालत को याचिकाकर्ता के पक्ष में हिरासत के कारण को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं होती है; अदालत केवल हिरासत की वैधता की जाँच करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में न रखा जाए।
- गलत विकल्प: परमादेश, प्रतिषेध और उत्प्रेषण में, अदालतें कारणों की जांच करती हैं और उचित तर्क के आधार पर आदेश जारी करती हैं। प्रतिषेध और उत्प्रेषण विशेष रूप से कानूनी या तथ्यात्मक कारणों से निचली अदालतों के निर्णयों को चुनौती देने के लिए हैं।
प्रश्न 25: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार प्रदान करना
- सरकार के लिए सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना
- संसद की सर्वोच्चता स्थापित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं, सरकार को देश में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए नीतियां बनाने का मार्गदर्शन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें अदालत में लागू नहीं किया जा सकता। हालांकि, राज्य को इन्हें अपने विधायी और कार्यकारी कार्यों में लागू करना चाहिए। ये राष्ट्र के कल्याण और प्रगति के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार (a) भाग III में हैं और न्यायोचित हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता (c) और संसद की सर्वोच्चता (d) अलग-अलग संवैधानिक अवधारणाएं हैं।