संविधान पारखी: अपनी ज्ञान-सीमा को चुनौती दें
नमस्कार, संविधान के जिज्ञासु साथियों! भारतीय लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभों को समझना और अपनी पकड़ को मजबूत करना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की सफलता का मार्ग है। आज का यह अभ्यास सत्र आपके संविधानिक ज्ञान की परख करेगा और आपकी वैचारिक स्पष्टता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। आइए, अपनी तैयारी को धार दें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular), ‘समाजवादी’ (Socialist), और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह संशोधन मिनी-संविधान के रूप में भी जाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का परिचय और सार प्रस्तुत करती है। 42वें संशोधन ने इसे इन महत्वपूर्ण समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों से समृद्ध किया, जो भारतीय गणराज्य के स्वरूप को परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वां संशोधन पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित है, और 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेता है, लेकिन उनके महाभियोग (impeachment) की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता?
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानमंडलों के सदस्य
- संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के तहत होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद 61 के तहत होती है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के कुल सदस्य संख्या के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, और इसमें दोनों सदनों के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानमंडलों के सदस्य और संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्य (जिनका स्वयं का विधानमंडल है) भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में केवल संसद के सदस्य ही भाग लेते हैं। इसलिए, लोकसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग प्रक्रिया में भी भाग लेते हैं, जबकि राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य भी चुनाव और महाभियोग दोनों में भाग लेते हैं। प्रश्न में पूछा गया है कि कौन चुनाव में भाग लेता है, लेकिन महाभियोग में नहीं। यह एक ट्रिकी प्रश्न है; असल में, राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले सभी सदस्य (लोकसभा निर्वाचित, राज्यसभा निर्वाचित, राज्य विधानसभा निर्वाचित) महाभियोग प्रक्रिया में भी भाग लेते हैं। हालांकि, प्रश्न के विकल्पों को देखते हुए, यदि प्रश्न को “राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया में कौन भाग नहीं लेता” के रूप में पढ़ा जाए, तो राज्य विधानमंडलों के सदस्य (जो चुनाव में भाग लेते हैं) महाभियोग में भाग नहीं लेते। लेकिन प्रश्न पूछ रहा है कि कौन चुनाव में भाग लेता है, पर महाभियोग में नहीं। इसे पुनः देखने पर, प्रश्न का अर्थ यह हो सकता है कि किस समूह के सदस्य चुनाव में तो हैं, पर महाभियोग के आरोप-पत्र को शुरू करने में नहीं। तकनीकी रूप से, सभी संसद सदस्य दोनों में भाग लेते हैं (लोकसभा सीधे, राज्यसभा आरोप-पत्र पर विचार करके)।
चलिए, इसे दूसरे दृष्टिकोण से देखते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले कौन हैं:
1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
3. राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
4. दिल्ली और पुडुचेरी (अब जम्मू-कश्मीर भी शामिल हो सकता है, हालांकि वर्तमान में विधानमंडल है) विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।महाभियोग की प्रक्रिया में कौन भाग लेता है:
1. लोकसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)
2. राज्यसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)तो, जो चुनाव में तो भाग लेते हैं (निर्वाचित सदस्य) लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में (जो केवल संसद के सदस्यों द्वारा होती है) भाग नहीं लेते, वे हैं ‘राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य’।
विकल्पों पर फिर से विचार करते हैं:
a) राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य: चुनाव में भाग लेते हैं, महाभियोग में भी भाग लेते हैं (राज्य सभा के सदस्य के रूप में)।
b)लोकसभा के निर्वाचित सदस्य: चुनाव में भाग लेते हैं, महाभियोग में भी भाग लेते हैं (लोकसभा के सदस्य के रूप में)।
c)राज्य विधानमंडलों के सदस्य: चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेते क्योंकि यह केवल संसद के सदस्यों तक सीमित है।
d)संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्य: चुनाव में भाग लेते हैं (यदि उनका विधानमंडल है), लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेते।तो, विकल्प (c) और (d) दोनों सही प्रतीत होते हैं, बशर्ते उन संघ राज्य क्षेत्रों का विधानमंडल हो। लेकिन ‘राज्य विधानमंडलों’ एक व्यापक शब्द है।
यह प्रश्न शायद इस बिंदु पर है कि क्या महाभियोग प्रक्रिया राज्य विधानमंडलों को शामिल करती है। नहीं करती। राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल राज्य विधानमंडलों के सदस्य महाभियोग में शामिल नहीं होते।मान लेते हैं कि प्रश्न का इरादा यही है।
Revised Correctness & Article Reference: राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं (अनुच्छेद 54)। राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों द्वारा संचालित की जाती है (अनुच्छेद 61)। इस प्रकार, राज्य विधानमंडलों के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में तो भाग लेते हैं, परंतु महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेते। - संदर्भ और विस्तार: यह अंतर राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्ति और जवाबदेही की प्रकृति को दर्शाता है। वे निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन उन्हें महाभियोग द्वारा हटाया जाता है, जो एक विधायी प्रक्रिया है।
- गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव और महाभियोग दोनों में भाग लेते हैं। संघ राज्य क्षेत्रों के सदस्य भी चुनाव में भाग ले सकते हैं (यदि उनका विधानमंडल है), लेकिन वे भी महाभियोग में भाग नहीं लेते, जो उन्हें (c) की श्रेणी में लाता है। हालाँकि, ‘राज्य विधानमंडलों’ एक अधिक सामान्य और स्पष्ट श्रेणी है।
प्रश्न 3: किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘मूल ढांचा सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) का प्रतिपादन किया?
- ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक वाद में, सर्वोच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने निर्णय दिया कि संसद संविधान के किसी भी भाग, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान के ‘मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखा। मूल ढांचे में संप्रभुता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, कल्याणकारी राज्य, शक्ति का पृथक्करण, मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों के बीच संतुलन, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ए.के. गोपालन वाद ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों को उचित ठहराया। गोलकनाथ वाद में कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मेनका गांधी वाद ने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के दायरे को विस्तारित किया।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन एक संवैधानिक निकाय नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग, जो भारत सरकार की एक नीति थिंक-टैंक है, को एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित किया गया था, और यह एक गैर-संवैधानिक (या कार्यकारी) निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में होता है और जिनके गठन, शक्तियां और कार्य संविधान द्वारा परिभाषित होते हैं। नीति आयोग के पास कोई संवैधानिक शक्ति नहीं है।
- गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प संवैधानिक निकायों के उदाहरण हैं, जिनके गठन और कार्यप्रणाली का वर्णन संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में किया गया है।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को विधि द्वारा नए राज्यों को संघ में प्रवेश कराने या नए राज्यों की स्थापना करने की शक्ति प्रदान की गई है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 2 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों को प्रवेश दे सके या उनकी स्थापना कर सके। अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह किसी राज्य में से उसका क्षेत्र निकाल कर अथवा दो या अधिक राज्यों को मिलाकर या राज्यों के भागों को मिलाकर नए राज्यों का निर्माण कर सके।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का संघ’ घोषित करता है और भारत के क्षेत्र को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 4 स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून, जो संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन माने जाएंगे, के लिए किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 3 नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित है। अनुच्छेद 4 एक प्रक्रियात्मक उपबंध है।
प्रश्न 6: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को भारतीय संविधान में किस देश के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) की अवधारणा को भारतीय संविधान में आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है। ये तत्व संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान में इन तत्वों को ‘निर्देश’ (Directives) कहा गया था। ये तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य द्वारा इन सिद्धांतों का पालन करना राज्य का कर्तव्य होगा, जैसा कि अनुच्छेद 37 में कहा गया है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, कनाडा से संघात्मक व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियां, तथा ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और प्रस्तावना की भाषा ली गई है।
प्रश्न 7: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) किस अनुच्छेद के अंतर्गत परिभाषित किए गए हैं?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 104
- अनुच्छेद 118
- अनुच्छेद 101
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों तथा उन्मुक्तियों से संबंधित है। यह संसद को कुछ विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार भी देता है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों में यह शामिल है कि संसद के किसी भी सदन में या उसकी समितियों में की गई किसी भी कार्यवाही के संबंध में किसी भी सदन के किसी भी सदस्य के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही किसी भी न्यायालय में नहीं की जाएगी। इसके अलावा, संसद के सदस्यों को सत्र के दौरान और सत्र की समाप्ति से 40 दिन पहले और बाद में कुछ सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट प्राप्त होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 104 सदन या समितियों में बैठने और मतदान करने से पहले शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने में असफलता के लिए दंड से संबंधित है। अनुच्छेद 118 सदन की कार्यवाही के संचालन के लिए प्रक्रिया के नियमों से संबंधित है। अनुच्छेद 101 सदस्यों की सदस्यता की रिक्तता से संबंधित है।
प्रश्न 8: भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत करता है?
- भारत के राष्ट्रपति को
- भारत के प्रधानमंत्री को
- लोकसभा अध्यक्ष को
- वित्त मंत्री को
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्ट (जो संघ के खातों से संबंधित होती है) भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उसे संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाते हैं (अनुच्छेद 151(1))।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। राज्य के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाती है, जो उसे राज्य विधानमंडल के समक्ष रखवाते हैं (अनुच्छेद 151(2))। CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, उनके पद से हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीशों के समान है।
- गलत विकल्प: CAG सीधे प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करता। उनकी रिपोर्ट की समीक्षा के लिए संसद या राज्य विधानमंडल में लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) जैसे उपबंध हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- किसी भी उपाधि का अंत (अनुच्छेद 18)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद के प्रतिषेध की बात करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। इसके विपरीत, अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) भारत में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 18 (किसी भी उपाधि का अंत) भी सभी व्यक्तियों के लिए है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान विदेशी नागरिकों को भी कुछ अधिकार प्रदान करता है, लेकिन कुछ अधिकार केवल नागरिकों के लिए आरक्षित हैं, जैसे कि सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समानता (अनुच्छेद 16), धर्म और भाषा की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28), अल्पसंख्यकों के अधिकार (अनुच्छेद 29-30), और कुछ राजनीतिक अधिकार जैसे चुनाव लड़ने का अधिकार।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 18 भी सभी व्यक्तियों के लिए लागू होता है।
प्रश्न 10: भारत में ‘त्रिशंकु संसद’ (Hung Parliament) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- जब किसी भी दल को लोकसभा में बहुमत प्राप्त न हो।
- जब सत्ताधारी दल अपने गठबंधन से बाहर हो जाए।
- जब विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे।
- जब लोकसभा को समय से पहले भंग कर दिया जाए।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: त्रिशंकु संसद वह स्थिति है जब आम चुनाव के बाद किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत (कम से कम 273 सीटें) प्राप्त नहीं होता है। ऐसी स्थिति में, सरकार बनाने के लिए गठबंधन या मिली-जुली सरकार का सहारा लेना पड़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्थिति सरकार गठन को जटिल बना देती है और अक्सर अस्थिरता की ओर ले जाती है। राष्ट्रपति ऐसे समय में सबसे बड़े दल या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सरकार के संकट की स्थिति को इंगित करते हैं, लेकिन त्रिशंकु संसद का सीधा संबंध स्पष्ट बहुमत की अनुपस्थिति से है।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?
- भाग VII
- भाग VIII
- भाग IX
- भाग X
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जिसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया, पंचायती राज संस्थाओं (पंचायत) से संबंधित है। यह भाग पंचायतों के गठन, उनकी शक्तियों, प्राधिकरण और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें संशोधन अधिनियम ने पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और देश में विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली को मजबूत किया। इस भाग में अनुच्छेद 243 से 243-O शामिल हैं।
- गलत विकल्प: भाग VII (जो अब निरस्त हो गया है), भाग VIII (संघ राज्य क्षेत्र), और भाग X (अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र) पंचायती राज से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन उच्चतम न्यायालय के उन न्यायाधीशों की संख्या को निर्धारित करता है, जो संसद विधि द्वारा तय कर सकती है?
- प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- विधि मंत्रालय
- संसद
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है। वर्तमान में, मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 है, जैसा कि ‘सुप्रीम कोर्ट जजेज (अमेंडमेंट) एक्ट, 2019’ द्वारा निर्धारित किया गया है। अनुच्छेद 124(1) कहता है कि भारत का राष्ट्रपति, कुछ अपवादों के साथ, समय-समय पर संसद द्वारा विधि द्वारा निर्धारित संख्या में न्यायाधीश नियुक्त करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि का निर्णय विशुद्ध रूप से विधायी प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है। यह संसद को न्यायालय की क्षमता और कार्यभार के अनुरूप न्यायाधीशों की संख्या को समायोजित करने की अनुमति देता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति की नियुक्ति शक्ति के तहत न्यायाधीशों की संख्या तय करने की शक्ति, अंततः संसद के अधिनियम पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री या विधि मंत्रालय सीधे तौर पर यह संख्या निर्धारित नहीं करते।
प्रश्न 13: भारत में आपातकालीन प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- जर्मनी का वाइमर गणराज्य
- कनाडा
- फ्रांस
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान के आपातकालीन प्रावधान (भाग XVIII, अनुच्छेद 352, 356, 360) मुख्य रूप से जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान से प्रेरित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी के संविधान ने राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों के निलंबन की व्यवस्था की थी, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत निलंबित किए जा सकने वाले मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) में समाहित किया गया है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, कनाडा से संघात्मक व्यवस्था और फ्रांस से गणतंत्रात्मक सिद्धांत और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व के आदर्श लिए गए हैं।
प्रश्न 14: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) का अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष (वर्तमान में नीति आयोग के सीईओ)
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) भारत की एक कार्यकारी संस्था है, जिसकी स्थापना 6 अगस्त 1952 को हुई थी। इसके अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC राष्ट्रीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती है और राज्यों के साथ मिलकर काम करती है। इसमें केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक/प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष या वित्त मंत्री NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं होते हैं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी राज्य को राष्ट्रीय या राज्य सूची में से किसी विषय को हटाकर उस पर विधि बनाने के लिए सशक्त कर सके?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 254
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 249 संसद को राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार देता है। यदि राज्यसभा यह संकल्प पारित करे कि राष्ट्रीय हित में ऐसा करना आवश्यक है, तो संसद उस विषय पर कानून बना सकती है, भले ही वह विषय राज्य सूची में हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपबंध भारतीय संघीय ढांचे में केंद्र को कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में राज्यों के विधायी क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की शक्ति प्रदान करता है, जब राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर विधायी शक्ति प्रदान करता है। अनुच्छेद 252 दो या दो से अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 254 असंगत विधियों के बारे में है।
प्रश्न 16: एकल नागरिकता (Single Citizenship) की अवधारणा किस देश के संविधान से ली गई है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ब्रिटेन
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारत में एकल नागरिकता की अवधारणा ब्रिटेन के संविधान से ली गई है। इसका अर्थ है कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति, जो जन्म से या प्रवासन से भारत का नागरिक है, उसे पूरे देश में समान नागरिक अधिकार प्राप्त हैं, और किसी राज्य की अलग नागरिकता नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अमेरिकी मॉडल के विपरीत है, जहां दोहरी नागरिकता (संघीय और राज्य) है। एकल नागरिकता राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा देती है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका दोहरी नागरिकता अपनाता है। कनाडा भी दोहरी नागरिकता का एक रूप प्रस्तुत करता है। ऑस्ट्रेलिया में भी एकल नागरिकता है, लेकिन अवधारणा के स्रोत के रूप में ब्रिटेन को प्राथमिकता दी जाती है।
प्रश्न 17: किस संशोधन द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1988
- 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
- 70वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन किया गया, जिससे व्यस्क मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवाओं को राष्ट्रीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक भागीदारी देना था। इसने देश के किशोर आबादी के एक बड़े हिस्से को चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रमशः दिल्ली को विशेष दर्जा, राष्ट्रपति चुनाव में कुछ राज्यों के विधानमंडलों की भागीदारी, और पंचायती राज से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- ब्रिटेन
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान में न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है। यह वह सिद्धांत है जिसके तहत न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों और कार्यपालिका द्वारा की गई कार्रवाई की संवैधानिकता की समीक्षा कर सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि कोई कानून या कार्य संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो न्यायपालिका उसे असंवैधानिक घोषित कर सकती है। यह शक्ति संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गलत विकल्प: ब्रिटेन में संसदीय सर्वोच्चता है, जहां न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति सीमित है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से कुछ अन्य संवैधानिक तत्व लिए गए हैं, लेकिन न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का मुख्य स्रोत अमेरिका है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission) के सदस्यों की नियुक्ति करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- संसदीय समिति
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह नियुक्ति प्रक्रिया सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत निर्धारित है। समिति का उद्देश्य आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अकेले या केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्ति नहीं करते। एक विशिष्ट चयन समिति की सिफारिश आवश्यक है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची विभिन्न राज्यों के लिए सीटों के आवंटन से संबंधित है?
- तीसरी अनुसूची
- चौथी अनुसूची
- पांचवीं अनुसूची
- छठी अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची राज्यसभा में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए सीटों के आवंटन से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के बीच जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
- गलत विकल्प: तीसरी अनुसूची शपथ और प्रतिज्ञान के प्रारूपों से संबंधित है। पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारत का महान्यायवादी (Attorney General for India) किसके प्रसाद पर्यंत अपने पद पर बना रहता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (AG) भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है और वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (during the pleasure of the President) अपने पद पर बना रहता है। यह अनुच्छेद 76(4) में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: AG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हालांकि ‘प्रसाद पर्यंत’ पद का अर्थ यह नहीं है कि AG को कभी भी हटाया जा सकता है; व्यवहार में, AG को तब तक पद पर बनाए रखा जाता है जब तक सरकार सत्ता में है, क्योंकि वह सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: AG प्रधानमंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रसाद पर्यंत पद पर नहीं रहता, न ही संसद के प्रति सीधे जवाबदेह होता है।
प्रश्न 22: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की स्थापना किस अधिनियम के तहत की गई है?
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। यह एक सांविधिक (statutory) निकाय है, न कि संवैधानिक।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC भारत में मानवाधिकारों का प्रहरी है और इसका मुख्य कार्य मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना और पीड़ितों को राहत दिलाना है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रमशः सूचना का अधिकार, लोकपाल और लोकायुक्त, और बाल अधिकार संरक्षण से संबंधित अधिनियम हैं।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत, किसी व्यक्ति को __________ के आधार पर दोषसिद्ध ठहराया जा सकता है?
- किसी भी कार्य के लिए जो उस समय दंडनीय था
- किसी भी कार्य के लिए जो भविष्य में दंडनीय हो जाएगा
- किसी भी कार्य के लिए जो उस समय या बाद में दंडनीय हो
- किसी भी कृत्य के लिए जिसके लिए उसे अदालतों द्वारा दोषी ठहराया गया हो
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) के अनुसार, किसी व्यक्ति को किसी भी कार्य के लिए तब तक दोषसिद्धि ठहराया नहीं जा सकता जब तक कि वह उस समय प्रवृत्त किसी विधि का उल्लंघन न करता हो। इसे ‘विपरीत प्रभाव से विधि निर्माण का निषेध’ (prohibition of ex-post facto law) कहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि किसी भी व्यक्ति पर केवल उस समय के कानून के अनुसार ही मुकदमा चलाया जा सकता है, जब उसने अपराध किया था। भविष्य में बनाए गए कानूनों का प्रभाव अतीत पर नहीं पड़ेगा।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प इस सिद्धांत के विपरीत हैं। अनुच्छेद 20 का दूसरा खंड ‘दोहरे दंड से संरक्षण’ (protection against double jeopardy) और तीसरा खंड ‘आत्म-अपमान के विरुद्ध संरक्षण’ (protection against self-incrimination) भी प्रदान करता है।
प्रश्न 24: राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) का क्या अर्थ है?
- सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर
- सरकार के कुल व्यय का कुल राजस्व से अधिक होना
- सरकार के कुल राजस्व का कुल व्यय से अधिक होना
- सरकार द्वारा लिए गए ऋणों का कुल व्यय से अधिक होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय (पूंजीगत और राजस्व व्यय) और उसके कुल राजस्व (गैर-ऋण प्राप्तियों) के बीच का अंतर है। जब व्यय राजस्व से अधिक होता है, तो यह घाटा कहलाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सरकार की उधारी आवश्यकता का एक माप है। राजकोषीय घाटा आमतौर पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) केवल राजस्व और व्यय के अंतर को बताता है, लेकिन यह नहीं बताता कि कौन अधिक है। विकल्प (c) अधिशेष (surplus) की स्थिति है, और विकल्प (d) ऋण और व्यय के बीच सीधा तुलना है, न कि घाटे का प्रत्यक्ष माप।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘याचिका योग्य’ (Justiciable) नहीं है?
- राज्य के नीति निदेशक तत्व
- मौलिक अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
- संसद द्वारा प्रदत्त कोई अन्य अधिकार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) प्रकृति में गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) होते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 37 में स्पष्ट किया गया है। इसका अर्थ है कि अदालतें इनके उल्लंघन पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इसके विपरीत, मौलिक अधिकार (भाग III) और संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32) न्यायसंगत (justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि उनके उल्लंघन पर व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए राज्य को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, लेकिन ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। वे कानून बनाने में राज्य के लिए “आधारभूत” हैं।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार और संवैधानिक उपचार का अधिकार (जो स्वयं मौलिक अधिकार है) न्यायसंगत हैं। संसद द्वारा प्रदत्त अन्य अधिकार भी, यदि वे न्यायसंगत होने के लिए कानून में प्रावधानित हैं, तो याचिका योग्य हो सकते हैं।