संविधान के हर अनुच्छेद पर पकड़: आज की चुनौती
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय संविधान और राजव्यवस्था की गहरी समझ ही आपकी सफलता की नींव है। आइए, आज अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता को परखें और जानें कि आप इस महत्वपूर्ण विषय में कितने पारंगत हैं। यह 25 प्रश्नों की विशेष प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान को धार देगी!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन भारत को एक ‘संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि ‘समाजवाद’ शब्द को प्रस्तावना में जोड़ा गया, भारतीय न्यायपालिका ने हमेशा यह माना है कि संविधान के मूल ढांचे में यह तत्व निहित है, जो निर्देशक तत्वों (भाग IV) में स्पष्ट होता है। केशवानंद भारती मामले (1973) ने संसद की संशोधन शक्ति की सीमाएँ तय कीं।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाने और कुछ अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए था। 52वां संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है, और 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने के लिए था।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने से मुक्ति दिलाने के लिए जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) लैटिन में ‘to have the body’ का अर्थ रखती है। यह एक रिट है जो किसी भी व्यक्ति को, जिसे सार्वजनिक या निजी हिरासत में रखा गया है, अदालत के सामने पेश करने का आदेश देती है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उसकी हिरासत वैध है या नहीं। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली साधन है। यह तब जारी नहीं की जा सकती जब हिरासत कानूनी या न्यायिक हो, या जब निरोध किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया गया हो।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ किसी लोक प्राधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश देता है। ‘अधिकार पृच्छा’ किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर उसके अधिकार के बारे में पूछताछ करने के लिए जारी की जाती है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- यह अनुच्छेद 72 के तहत प्रदान की गई है।
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं।
- राष्ट्रपति केवल उन मामलों में क्षमादान दे सकते हैं जिनमें केंद्रीय कानून लागू होता है।
- राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं पर भी क्षमादान दे सकते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में किया गया है। इसके अंतर्गत क्षमा (Pardon), लघुकरण (Commutation), परिहार (Remission), प्रतिलंबन (Reprieve) और प्रविलंबन (Respite) शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति निम्नलिखित मामलों में क्षमादान दे सकते हैं: (i) संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के तहत आने वाले किसी अपराध के लिए, (ii) किसी ऐसे अपराध के लिए जो सैन्य न्यायालयों के तहत दंडनीय है, और (iii) मृत्युदंड के मामले में। राष्ट्रपति केंद्रीय कानून के साथ-साथ राज्य कानून के तहत दंडित व्यक्ति को भी क्षमादान दे सकते हैं, भले ही वह राज्य सूची का विषय हो।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति उन मामलों में भी क्षमादान दे सकते हैं जिनमें राज्य के कानूनों के तहत दंड दिया गया हो, बशर्ते कि वह अपराध संघ की कार्यपालिका शक्ति के अधिकार क्षेत्र से संबंधित हो या मृत्युदंड का मामला हो। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति का वर्णन करता है, जो राष्ट्रपति की शक्ति से कुछ मामलों में भिन्न है (जैसे मृत्युदंड को क्षमा करने की शक्ति राज्यपाल के पास नहीं है)।
प्रश्न 4: भारतीय संसद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- यह एक द्विसदनीय विधायिका है।
- यह सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित है।
- यह विधि निर्माण की शक्ति रखती है।
- यह एक संप्रभु संस्था है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद (अनुच्छेद 79) एक संप्रभु संस्था है, जिसका अर्थ है कि यह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर अंतिम और सर्वोच्च है, हालांकि इसकी संप्रभुता को संविधान के मूल ढांचे से बांधा गया है (केशवानंद भारती मामला)। यह अपने नियमों को बनाने, कार्यवाहियों को विनियमित करने और सदस्यों को विशेषाधिकार देने के लिए स्वतंत्र है।
- संदर्भ और विस्तार: संसद विधि निर्माण (अनुच्छेद 245-255), कार्यकारी को नियंत्रित करने, वित्तीय शक्ति, और संविधान संशोधन (अनुच्छेद 368) जैसी महत्वपूर्ण शक्तियाँ रखती है। द्विसदनीयता (लोकसभा और राज्यसभा) एक महत्वपूर्ण विशेषता है, लेकिन संप्रभुता इसकी सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (अनुच्छेद 326) का संबंध चुनाव से है, न कि संसद की प्रकृति से।
- गलत विकल्प: द्विसदनीयता (a) एक महत्वपूर्ण विशेषता है, लेकिन संप्रभुता अधिक मौलिक है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (b) चुनावों का आधार है। विधि निर्माण (c) संसद का कार्य है, लेकिन ‘संप्रभुता’ इसकी स्थिति को परिभाषित करती है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय नहीं है?
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक **संवैधानिक निकाय नहीं** है। यह मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत स्थापित एक **सांविधिक (Statutory) निकाय** है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में होता है और जिनके लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। CAG (अनुच्छेद 148), UPSC (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संवैधानिक निकाय हैं। NHRC मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इसका गठन एक अधिनियम द्वारा हुआ है, संविधान द्वारा नहीं।
- गलत विकल्प: CAG (a), UPSC (b), और वित्त आयोग (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं, जिनके लिए संविधान में स्पष्ट प्रावधान हैं।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्यों को ग्राम पंचायतों की स्थापना के लिए निर्देश देता है?
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 41
- अनुच्छेद 42
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 40, भारतीय संविधान के भाग IV (राज्य के नीति निर्देशक तत्व) में शामिल है, यह कहता है कि ‘राज्य ग्राम पंचायतों को संगठित करने के लिए कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हों।’
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 40 गांधीवादी सिद्धांतों में से एक को दर्शाता है, जो स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने पर जोर देता है। इसी अनुच्छेद के आधार पर 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 पारित किया गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 39 समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता, अनुच्छेद 41 काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार, और अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों तथा मातृत्व सहायता का उपबंध करता है।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर सकता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का उपराष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, यदि कोई विधेयक एक सदन द्वारा पारित कर दिए जाने के बाद दूसरे सदन में जाता है और वह विधेयक दूसरे सदन द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, या दोनों सदनों द्वारा विधेयक में किए जाने वाले संशोधनों पर असहमति हो जाती है, या वह विधेयक पारित होने के बाद छह महीने से अधिक समय तक लंबित रहता है, तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं। इस संयुक्त बैठक की अध्यक्षता **लोकसभा का अध्यक्ष** करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष, और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो संयुक्त बैठक में उपस्थित दोनों सदनों के सदस्य द्वारा अवधारित रीति से उस बैठक की अध्यक्षता सदन का कोई अन्य सदस्य कर सकेगा।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) संयुक्त बैठक बुलाते हैं, अध्यक्षता नहीं करते। उपराष्ट्रपति (b) राज्यसभा के सभापति होते हैं, लेकिन संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते। राज्यसभा का सभापति (d) भी वही व्यक्ति होता है जो उपराष्ट्रपति होता है, और वह भी अध्यक्षता नहीं करता।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को भी प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- अवसर की समानता (अनुच्छेद 16)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण की बात करता है, भारतीय नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त है। यह एक गैर-परित्योज्य (non-derogable) अधिकार है, जिसका अर्थ है कि यह आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध), अनुच्छेद 16 (अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण), अनुच्छेद 25, 26, 27, 28 (धार्मिक स्वतंत्रता) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15 और 16 केवल भारतीय नागरिकों के लिए हैं, विदेशियों को नहीं (हालांकि कुछ आधारों पर अनुच्छेद 14 विदेशियों पर लागू हो सकता है, लेकिन व्यापक अर्थ में यह नागरिकों के लिए है)।
प्रश्न 9: ‘पंचशील’ के सिद्धांत को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा बढ़ावा दिया गया?
- 36वां संशोधन अधिनियम, 1975
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- कोई नहीं, यह विदेश नीति का हिस्सा है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पंचशील’ भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, न कि भारतीय संविधान में उल्लिखित कोई संशोधन। पंचशील के पांच सिद्धांत (आपसी अनाक्रमण, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता और पारस्परिक लाभ, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व) 1954 में चीन के साथ हस्ताक्षरित एक समझौते से जुड़े हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पंचशील सिद्धांतों को किसी विशेष संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में शामिल नहीं किया गया है। ये सिद्धांत भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शन करते हैं।
- गलत विकल्प: उपर्युक्त सभी विकल्प गलत हैं क्योंकि पंचशील किसी भी संशोधन अधिनियम द्वारा बढ़ावा नहीं दिया गया है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति का आधार रहा है।
प्रश्न 10: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसदीय समिति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76(1) के अनुसार, भारत का महान्यायवादी (Attorney General for India) राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। वह उन सभी कर्तव्यों का पालन करता है जो राष्ट्रपति द्वारा उसे सौंपे जाते हैं। वह किसी भी भारतीय न्यायालय में सुनवाई का अधिकार रखता है और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। उसकी नियुक्ति योग्यता सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हेतु अर्हता प्राप्त व्यक्ति की होनी चाहिए।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (b) की सलाह पर राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री स्वयं नियुक्ति नहीं करते। मुख्य न्यायाधीश (c) न्यायिक प्रमुख होते हैं, न कि कार्यकारी नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार। संसदीय समिति (d) की भूमिका अप्रत्यक्ष हो सकती है, लेकिन प्रत्यक्ष नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति का है।
प्रश्न 11: ‘लोकपाल’ का पद पहली बार किस वर्ष में भारतीय संसद में पेश किया गया था?
- 1967
- 1971
- 1977
- 1985
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: लोकपाल विधेयक (The Lokpal Bill) पहली बार 1967 में चौथी लोकसभा में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करना था।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधेयक पारित नहीं हो सका और कई बार संसद में विभिन्न संशोधनों के साथ प्रस्तुत होता रहा। अंततः, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 पारित हुआ, जिसने भारत में लोकपाल संस्था की स्थापना की।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प वे वर्ष हैं जब विधेयक विभिन्न चरणों में थे या अन्य महत्वपूर्ण विधायी घटनाएँ हुईं, लेकिन पहली बार पेश करने का श्रेय 1967 को जाता है।
प्रश्न 12: यदि लोकसभा का कोई सदस्य अयोग्य घोषित किया जाता है, तो वह अपील कहाँ कर सकता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
- संसद की विशेषाधिकार समिति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: यदि किसी सदस्य की अयोग्यता अनुच्छेद 102(1) के खंड (i) से (iii) के तहत (जैसे लाभ का पद धारण करना, अविवेकपूर्ण होना, आदि) राष्ट्रपति द्वारा, चुनाव आयोग की राय लेने के बाद, निर्धारित की जाती है, तो ऐसे राष्ट्रपति के निर्णय को चुनौती सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 103) में दी जा सकती है। यदि अयोग्यता दसवीं अनुसूची (दलबदल) के तहत होती है, तो यह अध्यक्ष/सभापति का निर्णय होता है, जिसमें न्यायालय का हस्तक्षेप आमतौर पर सीमित होता है, लेकिन कुछ अपवाद हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 103 कहता है कि राष्ट्रपति, अनुच्छेद 102 के खंड (1) के अधीन किसी प्रश्न पर कोई निर्णय देने से पहले, चुनाव आयोग की राय लेगा और उस राय के अनुसार कार्य करेगा। राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा, लेकिन ऐसे निर्णय को किसी भी ऐसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जाएगी। (यहां एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम है, पर यदि राष्ट्रपति ने अनुचित राय पर कार्य किया हो तो न्यायालय का दखल संभव है, लेकिन सीधा अपील का अधिकार अनुच्छेद 103(2) में नहीं है, यह राष्ट्रपति के निर्णय की ‘न्यायिक समीक्षा’ का मामला बन जाता है।) हालांकि, सामान्य ज्ञान के प्रश्न में, यदि अयोग्यता का कारण लाभ का पद है, तो निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। प्रश्न के विकल्पों में सर्वोच्च न्यायालय सबसे उपयुक्त विकल्प है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) अंतिम निर्णय लेते हैं, न कि वह अपील प्राधिकारी हैं। प्रधानमंत्री (b) की कोई भूमिका नहीं है। विशेषाधिकार समिति (d) अयोग्यता का निर्धारण नहीं करती, बल्कि सदन के विशेषाधिकारों की देखरेख करती है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति राज्य विधानमंडल के पास नहीं है?
- राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाना
- समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना
- संघ सूची के विषयों पर कानून बनाना
- संवैधानिक संशोधन करना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य विधानमंडल को मुख्य रूप से राज्य सूची (सातवीं अनुसूची की सूची 2) के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति है (अनुच्छेद 246(3))। उन्हें समवर्ती सूची (सूची 3) के विषयों पर भी कानून बनाने की शक्ति है, बशर्ते कि संघ द्वारा बनाए गए कानून से कोई विरोध न हो (अनुच्छेद 254)।
- संदर्भ और विस्तार: संघ सूची (सूची 1) के विषयों पर कानून बनाने का विशेष अधिकार संसद को है। राज्य विधानमंडल के पास संवैधानिक संशोधन करने की शक्ति नहीं है, सिवाय उन प्रावधानों के जिनके लिए राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है (अनुच्छेद 368(2) में उल्लिखित)।
- गलत विकल्प: राज्य सूची (a) और समवर्ती सूची (b) पर कानून बनाने की शक्ति राज्य विधानमंडल के पास है। संवैधानिक संशोधन (d) के कुछ मामलों में राज्य विधानमंडलों की भूमिका हो सकती है, लेकिन यह पूर्ण शक्ति नहीं है। संघ सूची (c) पर कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है।
प्रश्न 14: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत, भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, यदि उन्हें यह समाधान हो जाता है कि युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को खतरा है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 का संबंध उन राज्यों से है जो संघ के निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 (b) राज्य आपातकाल, अनुच्छेद 360 (c) वित्तीय आपातकाल, और अनुच्छेद 365 (d) संबंधित राज्य के लिए लागू होते हैं, राष्ट्रीय आपातकाल के लिए नहीं।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान की ‘प्रस्तावना’ को संविधान की **कुंजी** किसने कहा है?
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- अर्नेस्ट बार्कर
- सर आइवर जेनिंग्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: प्रसिद्ध ब्रिटिश राजनीतिक विचारक अर्नेस्ट बार्कर ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ (Key to the Constitution) कहा है।
- संदर्भ और विस्तार: बार्कर का यह कथन प्रस्तावना के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि यह संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों और सिद्धांतों का सार प्रस्तुत करती है। संविधान सभा में, प्रस्तावना पर बहस के दौरान, इस पर व्यापक चर्चा हुई थी।
- गलत विकल्प: डॉ. बी.आर. अंबेडकर (a) को भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है और उन्होंने प्रस्तावना पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए थे, लेकिन ‘कुंजी’ शब्द का प्रयोग उन्होंने नहीं किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू (b) ने ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ (Objective Resolution) पेश किया था, जो प्रस्तावना का आधार बना। सर आइवर जेनिंग्स (d) एक अन्य प्रमुख संविधानविद् थे, लेकिन यह विशेष उपाधि बार्कर को दी जाती है।
प्रश्न 16: सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत रिट जारी कर सकता है?
- अनुच्छेद 226
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद नागरिकों को सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है यदि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। ये रिटें हैं: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 226 (a) उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है, जो सर्वोच्च न्यायालय से अधिक व्यापक हो सकती है। अनुच्छेद 132 (b) सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता से संबंधित है। अनुच्छेद 143 (d) राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांगने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा एक संवैधानिक निकाय है?
- नीति आयोग
- राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC)
- राष्ट्रीय महिला आयोग
- निर्वाचन आयोग (Election Commission)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: निर्वाचन आयोग (Election Commission) एक संवैधानिक निकाय है, जिसका प्रावधान भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 324** में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: निर्वाचन आयोग भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार है। यह एक स्थायी निकाय है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (a) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित थिंक-टैंक है, न कि संवैधानिक निकाय। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) (b) भी एक गैर-संवैधानिक निकाय थी, जिसे अब नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग (c) एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत किया गया है।
प्रश्न 18: भारत में ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ की सिफारिश किसने की थी?
- बलवंत राय मेहता समिति
- अशोक मेहता समिति
- एल. एम. सिंघवी समिति
- सरकारीया आयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ (Democratic Decentralisation) की अवधारणा को पहली बार 1957 में **बलवंत राय मेहता समिति** ने अपनी रिपोर्ट में प्रस्तुत किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समिति ने पंचायती राज संस्थाओं की त्रि-स्तरीय संरचना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) की सिफारिश की थी, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ के रूप में जाना जाता है। इसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करना था।
- गलत विकल्प: अशोक मेहता समिति (b) ने पंचायती राज को दो-स्तरीय बनाने की सिफारिश की थी। एल. एम. सिंघवी समिति (c) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की थी। सरकारीया आयोग (d) केंद्र-राज्य संबंधों का अध्ययन करने के लिए गठित किया गया था।
प्रश्न 19: संविधान के किस संशोधन ने गोवा को भारतीय संघ का एक पूर्ण राज्य बनाया?
- 36वां संशोधन अधिनियम, 1975
- 56वां संशोधन अधिनियम, 1987
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: 56वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 ने गोवा को एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया। इससे पहले, गोवा एक केंद्र शासित प्रदेश था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान के **पहले अनुसूची** को संशोधित किया गया, जिसमें भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम सूचीबद्ध हैं।
- गलत विकल्प: 36वां संशोधन (a) सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से संबंधित था। 61वां संशोधन (c) मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 करने के लिए था। 69वां संशोधन (d) दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विशेष दर्जा देने से संबंधित था।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘फेडरेशन’ शब्द का प्रयोग किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 14
- यह कहीं भी प्रयुक्त नहीं हुआ है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में भारत को ‘राज्यों का एक संघ’ (Union of States) कहा गया है, न कि ‘फेडरेशन’। ‘फेडरेशन’ शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान में कहीं भी नहीं किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि भारत का संविधान संघीय ढांचे की कई विशेषताएं रखता है, जैसे कि शक्तियों का विभाजन, दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य), लिखित संविधान, स्वतंत्र न्यायपालिका, आदि, लेकिन भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहने का अर्थ है कि यह अमेरिका जैसे संघ की तरह राज्यों के बीच समझौते का परिणाम नहीं है। भारत के राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 (a) भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहता है। अनुच्छेद 3 (b) नए राज्यों के निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित है। अनुच्छेद 14 (c) विधि के समक्ष समानता से संबंधित है। ‘फेडरेशन’ शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान में नहीं है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता?
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)** और **अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण)** को आपातकाल के दौरान, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) लागू होने पर भी, निलंबित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 (a) राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति द्वारा निलंबित किया जा सकता है, जब तक कि यह युद्ध या बाह्य आक्रमण के आधार पर लगाया गया हो। यदि यह सशस्त्र विद्रोह के आधार पर लगाया गया है, तो संसद को अनुच्छेद 19 के तहत अधिकारों को निलंबित करने के लिए एक विशेष कानून पारित करना होगा। अन्य सभी मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) राष्ट्रपति द्वारा निलंबित किए जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (a) राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 25 (c) और अनुच्छेद 23 (d) भी अन्य मौलिक अधिकार हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
प्रश्न 22: भारत में ‘संविधान की आत्मा’ किसे कहा गया है?
- प्रस्तावना
- मौलिक अधिकार
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने **मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights)** को भारतीय संविधान की ‘आत्मा और हृदय’ (Soul and Heart) कहा है, विशेष रूप से **अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार)** को।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार नागरिकों को राज्य के मनमाने और निरंकुश शासन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। अनुच्छेद 32 इन अधिकारों के प्रवर्तन के लिए न्यायपालिका को शक्ति प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ये अधिकार प्रभावी रहें।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना (a) को संविधान की कुंजी कहा गया है, आत्मा नहीं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व (c) आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं और राज्य को मार्गदर्शन देते हैं, लेकिन ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय (d) मौलिक अधिकारों का संरक्षक है, लेकिन अधिकार स्वयं ‘आत्मा’ हैं।
प्रश्न 23: किसी विधेयक के धन विधेयक होने या न होने का अंतिम निर्णय कौन करता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- राज्यसभा का सभापति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110(3) के अनुसार, ‘कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इस बाबत लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।’
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया सामान्य विधेयकों से भिन्न होती है। इसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। इसे पारित करने के बाद, यह राज्यसभा में जाता है, जो इसे 14 दिनों के भीतर सिफारिशों के साथ या बिना सिफारिशों के वापस कर सकती है। लोकसभा चाहे तो सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) विधेयक पर हस्ताक्षर करते हैं, लेकिन निर्णय नहीं। राज्यसभा का सभापति (b) धन विधेयकों से संबंधित निर्णय नहीं करते। वित्त मंत्री (d) विधेयक का मसौदा तैयार करते हैं, लेकिन अंतिम निर्णयकर्ता नहीं होते।
प्रश्न 24: भारत में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था प्रचलित है?
- एक-दलीय व्यवस्था
- द्विदलीय व्यवस्था
- बहुदलीय व्यवस्था
- कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारत में **बहुदलीय व्यवस्था (Multi-party System)** प्रचलित है। इसका अर्थ है कि देश में दो से अधिक राजनीतिक दल राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से चुनाव लड़ते हैं और सरकार बनाने या चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बहुदलीय व्यवस्था से विभिन्न विचारधाराओं और हितों को प्रतिनिधित्व मिलता है, लेकिन इससे अक्सर गठबंधन सरकारों का निर्माण होता है, जो कभी-कभी अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।
- गलत विकल्प: एक-दलीय व्यवस्था (a) वह होती है जहाँ केवल एक ही दल को राजनीतिक गतिविधियाँ चलाने की अनुमति होती है (जैसे चीन)। द्विदलीय व्यवस्था (b) में मुख्य रूप से दो प्रमुख दल होते हैं (जैसे अमेरिका या यूके)। भारत में इन दोनों में से कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रश्न 25: ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) भारतीय संसदीय प्रणाली की एक विशिष्ट देन है, जो ______________ के बाद शुरू होता है?
- प्रश्नकाल (Question Hour)
- अध्ययन का समय (Adjournment Motion)
- कार्यसूची का पहला घंटा
- प्रश्नकाल समाप्त होने का समय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) भारतीय संसदीय प्रणाली की एक अनूठी देन है, जो **प्रश्नकाल (Question Hour)** के ठीक बाद शुरू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्नकाल आमतौर पर लोकसभा में दोपहर 12 बजे तक चलता है। इसके तुरंत बाद, दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक का समय ‘शून्यकाल’ कहलाता है। इस दौरान, सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे उठा सकते हैं। यह संसदीय कार्य का एक अनौपचारिक समय है।
- गलत विकल्प: प्रश्नकाल (a) के बाद ही शून्यकाल आता है। अध्ययन का समय (b) एक प्रक्रिया है जो महत्वपूर्ण सार्वजनिक मामलों पर चर्चा के लिए सदन के सामान्य व्यवसाय को बाधित करने के लिए होती है, न कि शून्यकाल का समय। कार्यसूची का पहला घंटा (c) या प्रश्नकाल समाप्त होने का समय (d) तकनीकी रूप से सटीक नहीं है; सबसे सटीक समय प्रश्नकाल की समाप्ति के तुरंत बाद का है।