संविधान के महारथी बनें: आज का विशेष प्रश्नोत्तरी
नमस्कार, भावी लोक सेवकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव और उसके संवैधानिक ढांचे की गहरी समझ अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने और परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम आपके लिए लाए हैं भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 विशिष्ट बहुविकल्पीय प्रश्न। हर प्रश्न के साथ गहन विश्लेषण आपको संवैधानिक प्रावधानों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों से अवगत कराएगा। आइए, इस ज्ञानवर्धक सफर की शुरुआत करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर बने रहने के अधिकार का निर्धारण करने के लिए जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) याचिका का अर्थ है “किस अधिकार से”। यह याचिका किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक कार्यालय में धारण किए गए पद की वैधता की जांच करने के लिए जारी की जाती है। यदि कोई व्यक्ति गैर-कानूनी ढंग से किसी सार्वजनिक पद पर आसीन है, तो न्यायालय उसे पद से हटा सकता है। यह याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह याचिका विशेष रूप से किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद के दुरुपयोग या अवैध अधिग्रहण को रोकने के लिए है। यदि पद सार्वजनिक प्रकृति का है और उसका दावा किसी कानून या संविधान के तहत किया गया है, तो यह याचिका प्रासंगिक है।
- गलत विकल्प: परमादेश (Mandamus) किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश देता है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। प्रतिषेध (Prohibition) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामले पर कार्रवाई करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘भाईचारा’ के आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘भाईचारा’ (Liberté, Égalité, Fraternité) के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) से गहराई से प्रभावित हैं और ये फ्रांसीसी गणराज्य के मूल सिद्धांत हैं। इन आदर्शों को भारतीय संविधान में शामिल करके भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की आकांक्षा व्यक्त की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: ये शब्द न केवल राजनीतिक समानता बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता पर भी जोर देते हैं, जो एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। प्रस्तावना स्वयं संविधान का एक अभिन्न अंग है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान अधिकारों के विधेयक (Bill of Rights) और गणराज्यवाद से प्रेरित है। यूनाइटेड किंगडम संसदीय संप्रभुता और विधि के शासन के लिए जाना जाता है। कनाडा का संविधान संघवाद और मजबूत केंद्रीय सरकार की अवधारणाओं में योगदान देता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त हैं, विदेशियों को नहीं?
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25)
- सभी को उपलब्ध शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21A)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सभा, संघ बनाने, संचरण की स्वतंत्रता, निवास और बसने की स्वतंत्रता, वृत्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों का अधिकार) भी केवल नागरिकों के लिए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भेद यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र निर्माण और सार्वजनिक जीवन में कुछ विशेष अधिकारों का प्रयोग केवल राष्ट्र के नागरिकों तक सीमित रहे।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) भारत में आने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है, न कि केवल नागरिकों के लिए।
प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में कौन शामिल होता है?
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधान परिषदों के सभी सदस्य
- दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का गठन अनुच्छेद 54 के अनुसार किया जाता है, जिसमें केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: 70वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है। विधान परिषदों के सदस्य और संसद के मनोनीत सदस्य इस मंडल में शामिल नहीं होते हैं।
- गलत विकल्प: संसद के मनोनीत सदस्य (a) और राज्य विधान परिषदों के सभी सदस्य (c) राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं करते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी के मनोनीत सदस्य (d) भी निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है?
- अनुच्छेद 153
- अनुच्छेद 154
- अनुच्छेद 155
- अनुच्छेद 156
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 155 स्पष्ट रूप से बताता है कि राष्ट्रपति, अपने हस्ताक्षर और मुद्रा वाली अधिपत्र द्वारा, प्रत्येक राज्य के राज्यपाल को नियुक्त करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 153 कहता है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा (हालांकि, सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा यह प्रावधान किया गया कि एक ही व्यक्ति दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जा सकता है)। अनुच्छेद 154 राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति से संबंधित है, और अनुच्छेद 156 राज्यपाल के कार्यकाल और पदच्युति की शर्तों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 153 राज्यपाल के पद का प्रावधान करता है, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया नहीं। अनुच्छेद 154 राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 156 कार्यकाल और पदच्युति से संबंधित है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन केंद्रीय मंत्रिपरिषद के बारे में सही नहीं है?
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।
- मंत्रिपरिषद का आकार प्रधानमंत्री द्वारा तय किया जाता है।
- मंत्रियों को लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना अनिवार्य है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। अनुच्छेद 75(2) के अनुसार, मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, वह अधिकतम छह महीने तक मंत्री रह सकता है, उसके बाद उसे किसी भी सदन की सदस्यता लेनी होगी। मंत्रिपरिषद के आकार को 91वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा सीमित किया गया है, जिसके अनुसार मंत्रिपरिषद का आकार लोकसभा के कुल सदस्यों के 15% से अधिक नहीं होना चाहिए, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा तय किया जाता है (लेकिन यह कथन अपने आप में पूर्ण रूप से सही नहीं है क्योंकि इसमें संशोधन अधिनियम का संदर्भ महत्वपूर्ण है)।
- संदर्भ और विस्तार: मूल रूप से, मंत्रिपरिषद के आकार को निश्चित करने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं था, लेकिन 91वें संशोधन ने इसे नियंत्रित किया। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का ढांचा बहुत बड़ा न हो।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि मंत्रिपरिषद के आकार को 91वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा सीमित किया गया है, जो कहता है कि मंत्रिपरिषद का आकार लोकसभा के कुल सदस्यों के 15% से अधिक नहीं होना चाहिए। यह प्रधानमंत्री द्वारा तय किया जाता है, लेकिन यह एक संवैधानिक सीमा के भीतर होता है। विकल्प (d) सही है कि उन्हें सदस्य होना चाहिए, लेकिन यह छह महीने की मोहलत के साथ है, इसलिए पूरा बयान अभी भी मान्य है। हालांकि, (c) स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि “प्रधानमंत्री द्वारा तय किया जाता है” यह कहकर संवैधानिक सीमा को अनदेखा किया गया है।
प्रश्न 7: भारतीय संसद में शून्य काल (Zero Hour) की अवधि क्या है?
- प्रश्नकाल के बाद और अगली विधायी कार्यसूची के बीच का समय
- प्रश्नकाल से पहले का समय
- सत्र का पहला घंटा
- सत्र का अंतिम घंटा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद में शून्य काल (Zero Hour) का उल्लेख किसी भी संसदीय नियम या संविधान में नहीं है। यह एक अनौपचारिक व्यवस्था है जो प्रश्नकाल (दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक) के तुरंत बाद शुरू होती है और दोपहर 1 बजे तक या अगली विधायी कार्यसूची शुरू होने तक जारी रहती है। इस दौरान सदस्य बिना पूर्व सूचना के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: शून्य काल भारत की संसदीय प्रक्रिया की एक अनूठी देन है। यह सदस्यों को तत्काल लोक महत्व के मामलों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: प्रश्नकाल (12 से 1 बजे) शून्य काल से पहले आता है। सत्र का पहला या अंतिम घंटा शून्य काल से संबंधित नहीं है।
प्रश्न 8: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 256
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 में राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है। यदि किसी राज्य का राज्यपाल यह रिपोर्ट करता है कि राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है, तो राष्ट्रपति उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 256 राज्यों को कुछ निदेश जारी करने के संबंध में केंद्र के अधिकार से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 और 360 आपातकाल के अन्य प्रकारों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 256 केंद्र-राज्य संबंधों का एक पहलू है, लेकिन सीधे राष्ट्रपति शासन लगाने से नहीं जुड़ा है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- भारत का चुनाव आयोग (ECI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक **संवैधानिक निकाय नहीं** है, बल्कि एक **सांविधिक निकाय** है। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का प्रावधान अनुच्छेद 315, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का प्रावधान अनुच्छेद 148, और भारत का चुनाव आयोग (ECI) का प्रावधान अनुच्छेद 324 में किया गया है। ये सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका उल्लेख सीधे संविधान में है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे हैं जिनके अस्तित्व, संरचना और शक्तियों का उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में किया गया है। सांविधिक निकाय वे हैं जिनका गठन संसद द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा किया जाता है।
- गलत विकल्प: UPSC (अनुच्छेद 315), CAG (अनुच्छेद 148), और ECI (अनुच्छेद 324) सभी का उल्लेख संविधान में है, इसलिए वे संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- भारत का राजा या रानी द्वारा शासित होना
- भारत का निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष होना
- भारत में संसदीय सरकार का होना
- भारत का संघवाद पर आधारित होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख, अर्थात राष्ट्रपति, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है, न कि वंशानुगत आधार पर। भारत में, राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 54 में उल्लिखित निर्वाचक मंडल द्वारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: एक गणराज्य में, सर्वोच्च शक्ति अंततः लोगों में निहित होती है, जो अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं। यह राजशाही (Monarchy) के विपरीत है, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष वंशानुगत होता है।
- गलत विकल्प: भारत राजा या रानी द्वारा शासित नहीं होता है (a)। भारत में संसदीय सरकार है (c), लेकिन यह ‘गणराज्य’ शब्द का प्रत्यक्ष अर्थ नहीं है। भारत संघवाद पर आधारित है (d), लेकिन यह भी ‘गणराज्य’ का अर्थ नहीं है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी रिट मुख्य रूप से सरकारी अधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने का निर्देश देने के लिए जारी की जाती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: परमादेश (Mandamus) का अर्थ है “हम आदेश देते हैं”। यह रिट किसी सार्वजनिक अधिकारी, सरकारी संस्था या निगम को उसके कानूनी या सार्वजनिक कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है, जिसे वह करने से इनकार कर रहा है। यह उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट सुनिश्चित करती है कि कोई भी सार्वजनिक पदधारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में उपेक्षा न करे। इसे किसी भी सार्वजनिक कर्तव्य के लिए जारी किया जा सकता है जो कानून के दायरे में आता हो।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) अवैध निरोध से व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए है। अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) सार्वजनिक पद के वैधता की जांच के लिए है। उत्प्रेषण (Certiorari) निचली अदालतों के निर्णयों को रद्द करने के लिए है।
प्रश्न 12: भारत के संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों (DPSP) का वर्णन किया गया है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निर्देशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का वर्णन करता है। ये तत्व सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण हैं और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखते हैं। हालांकि ये गैर-न्यायिक (non-justiciable) हैं, फिर भी ये देश के शासन के लिए मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951” के बारे में सही है?
- यह चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित करता है।
- यह किसी व्यक्ति के चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराए जाने के आधारों को परिभाषित करता है।
- यह केवल लोकसभा के चुनावों के लिए लागू होता है।
- यह चुनाव आयोग की शक्तियों को परिभाषित करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, चुनाव लड़ने या प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को अयोग्य ठहराए जाने के विभिन्न आधारों को परिभाषित करता है, जैसे कि भ्रष्टाचार, अपराध, या कुछ सरकारी पदों पर रहना। यह अधिनियम भारतीय संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानमंडलों के चुनावों को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिनियम चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण विधायी आधार प्रदान करता है। इसमें चुनावी अपराधों और चुनावी विवादों से निपटने के प्रावधान भी शामिल हैं।
- गलत विकल्प: चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु का उल्लेख संविधान में (अनुच्छेद 84 और 173) किया गया है, न कि इस अधिनियम में। यह अधिनियम केवल लोकसभा के लिए नहीं, बल्कि सभी चुनावों के लिए लागू होता है। चुनाव आयोग की शक्तियां मुख्य रूप से संविधान (अनुच्छेद 324) में परिभाषित हैं, हालांकि अधिनियम कुछ संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट करता है।
प्रश्न 14: भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से कैसे हटाया जा सकता है?
- राष्ट्रपति द्वारा सीधे आदेश जारी करने पर
- महाभियोग प्रक्रिया द्वारा, जो संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित हो
- प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
- सर्वोच्च न्यायालय के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को कदाचार या अक्षमता के आधार पर पद से हटाया जा सकता है। यह एक महाभियोग (Impeachment) प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसे संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कुल सद्स्य संख्या के बहुमत द्वारा समर्थित तथा सदन के कुल सद्स्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों द्वारा समर्थित एक समावेदन (address) पर राष्ट्रपति द्वारा आदेश जारी करके किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया अत्यंत कठिन है और न्यायाधीशों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अभिप्रेत है। किसी भी न्यायाधीश को अब तक पद से नहीं हटाया गया है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति सीधे आदेश जारी करके (a) या प्रधानमंत्री की सिफारिश पर (c) नहीं हटा सकते। सर्वोच्च न्यायालय के बहुमत से पारित प्रस्ताव (d) भी उन्हें हटाने की प्रक्रिया नहीं है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा कथन केंद्र-राज्य संबंधों के संबंध में गलत है?
- वित्तीय मामलों में, केंद्र सरकार राज्यों को अनुदान दे सकती है।
- अंतर-राज्य परिषद (Inter-State Council) का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जा सकता है।
- राज्यों को अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिए कि वह संघ की कार्यकारी शक्ति के प्रयोग में कोई बाधा न डाले।
- किसी राज्य का विधानमंडल राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना धन विधेयक (Money Bill) पेश नहीं कर सकता।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 282 के अनुसार, संघ या कोई राज्य लोक प्रयोजनों के लिए अनुदान कर सकता है। अनुच्छेद 263 अंतर-राज्य परिषद के गठन का प्रावधान करता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा गठन किया जा सकता है। अनुच्छेद 257(1) कहता है कि प्रत्येक राज्य अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग इस प्रकार करेगा कि वह संघ की कार्यकारी शक्ति के प्रयोग में बाधा न डाले या प्रतिकूल प्रभाव न डाले। धन विधेयक (Money Bill) राज्य विधानमंडल में केवल राज्यपाल की पूर्व सहमति से पेश किया जा सकता है, राष्ट्रपति की नहीं। (संविधान के अनुच्छेद 198(1) के अनुसार)।
- संदर्भ और विस्तार: केंद्र-राज्य संबंध भारत के संघीय ढांचे का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अनुदान, परिषदें और कार्यकारी शक्तियों का समन्वय इस संबंध को मजबूत करता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि राज्य विधानमंडल में धन विधेयक राज्यपाल की सहमति से पेश होता है, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से नहीं। अन्य सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को किस संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए थे: ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity)।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को अधिक स्पष्ट करना था। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में माना था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके मूल ढांचे (Basic Structure) को बदला नहीं जा सकता।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार से संबंधित कुछ बदलाव किए। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 17: किसी विधेयक को धन विधेयक (Money Bill) के रूप में प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार किसे प्राप्त है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के वित्त मंत्री
- लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker)
- राज्यसभा का सभापति (Chairman)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110(3) के अनुसार, किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा के अध्यक्ष का होता है। अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है और उसे किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। यदि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, यह तय करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। राज्यसभा के पास धन विधेयक पर सीमित अधिकार हैं; वह इसे अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती, केवल सिफारिशें दे सकती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति (a) विधेयक को प्रमाणित नहीं करता, बल्कि उनकी सहमति से ही कोई विधेयक कानून बनता है। वित्त मंत्री (b) विधेयक प्रस्तुत करते हैं, लेकिन प्रमाणन उनका कार्य नहीं है। राज्यसभा का सभापति (d) लोकसभा अध्यक्ष के समान अधिकार नहीं रखता।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC)
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक सांविधिक निकाय है। इसका गठन संसद द्वारा पारित केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत किया गया था। यह भारत सरकार के संगठनों में सतर्कता के लिए एक प्रमुख निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (a) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक निकाय है। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) (b) भी एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा गठित थी। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) (d) राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत गठित एक सांविधिक निकाय है। यद्यपि NCW भी सांविधिक है, CVC भी एक प्रमुख उदाहरण है और अक्सर ऐसे प्रश्नों में पूछा जाता है। (यहाँ प्रश्न में एक से अधिक सांविधिक निकायों का विकल्प होना संभव है, हमें सर्वोत्तम विकल्प चुनना है। NCW भी सांविधिक है, लेकिन CVC अक्सर चर्चा में रहता है)। यदि प्रश्न की भाषा ‘निम्नलिखित में से कौन *सी* सांविधिक निकाय *है*?’ है, तो दोनों (c) और (d) सही होंगे। यदि ‘सर्वोत्तम उदाहरण’ या ‘केवल एक’ का संकेत है, तो यह संदर्भ पर निर्भर करता है। सामान्यतः, CVC और NCW दोनों सांविधिक हैं। हम यहाँ NCW को भी सांविधिक मानते हुए CVC को चुन रहे हैं।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (a) और राष्ट्रीय विकास परिषद (b) संवैधानिक या सांविधिक निकाय नहीं हैं।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV A, अनुच्छेद 51A के तहत, नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है। ये कर्तव्य 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे, जो सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित थे।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। ये कर्तव्य गैर-न्यायिक हैं, जिसका अर्थ है कि इनका उल्लंघन होने पर न्यायालय द्वारा इन्हें लागू नहीं किया जा सकता।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निर्देशक तत्वों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 20: ग्राम सभा के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- ग्राम सभा ग्राम पंचायत का कार्यकारी अंग है।
- ग्राम सभा में केवल ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- ग्राम सभा ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले गांव या गांवों के सभी पंजीकृत मतदाता होते हैं।
- ग्राम सभा की बैठकों के लिए कोई कोरम (गणपूर्ति) आवश्यक नहीं है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया भाग IX (अनुच्छेद 243G) और पंचायती राज से संबंधित अनुसूची (XI) ग्राम सभा की अवधारणा को परिभाषित करती है। ग्राम सभा में ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले गाँव या गाँवों के सभी पंजीकृत मतदाता शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा पंचायती राज संस्थाओं की एक बुनियादी इकाई है। यह सीधे तौर पर जमीनी स्तर पर लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करती है। ग्राम पंचायत, ग्राम सभा के निर्णयों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होती है।
- गलत विकल्प: ग्राम पंचायत ग्राम सभा का कार्यकारी अंग नहीं है, बल्कि ग्राम सभा की देखरेख में काम करती है (a)। ग्राम सभा में सभी पंजीकृत मतदाता होते हैं, न कि केवल निर्वाचित सदस्य (b)। ग्राम सभा की बैठकों के लिए आमतौर पर कोरम (गणपूर्ति) की आवश्यकता होती है (d)।
प्रश्न 21: किसी राज्य में विधानसभा का गठन कौन करता है?
- राज्यपाल
- मुख्यमंत्री
- विधानसभा अध्यक्ष
- राज्य के राज्यपाल और विधानसभा के सदस्यों द्वारा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 170 के अनुसार, विधानसभा का गठन राज्यपाल और राज्य के विधानमंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें विधानसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। हालाँकि, राज्य के राज्यपाल विधानसभा का गठन प्रत्यक्ष रूप से नहीं करते, बल्कि विधानसभा में निर्वाचित सदस्य होते हैं जो विधानसभा का गठन करते हैं। राज्यपाल केवल विधानसभा को आहूत (summon) और सत्रावसान (prorogue) करते हैं। अतः, सबसे सटीक उत्तर वह है जो सदस्यों को शामिल करता है।
- संदर्भ और विस्तार: विधानसभा राज्य विधानमंडल का निचला सदन है। इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है।
- गलत विकल्प: केवल राज्यपाल (a), मुख्यमंत्री (b) या विधानसभा अध्यक्ष (c) विधानसभा का गठन नहीं करते। राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन वे स्वयं गठन का हिस्सा नहीं हैं; वे विधायी प्रक्रिया के प्रमुख हैं।
प्रश्न 22: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76(1) के अनुसार, भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत में होने वाली किसी भी आपराधिक कार्यवाही में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। वह संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (b), मुख्य न्यायाधीश (c) या संसद (d) महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से किसे ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) कहा गया है?
- भारत
- जम्मू और कश्मीर
- दिल्ली
- कोई नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) के अनुसार, “भारत, अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा।” यह भारत के संघीय ढांचे को दर्शाता है, जहाँ राज्य केंद्र से अलग होकर स्वतंत्र नहीं हो सकते।
- संदर्भ और विस्तार: ‘राज्यों का संघ’ शब्द का अर्थ है कि भारतीय संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का परिणाम नहीं है, बल्कि राज्यों को संघ में शामिल होने की स्वतंत्रता के बिना संघ का हिस्सा बनाया गया है।
- गलत विकल्प: जम्मू और कश्मीर (b) एक राज्य था, लेकिन इसका दर्जा अब विशेष है और यह “राज्यों का संघ” का हिस्सा है, न कि स्वयं संघ। दिल्ली (c) एक केंद्र शासित प्रदेश है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी रिट केवल सार्वजनिक पद धारण करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध जारी की जा सकती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) रिट विशेष रूप से किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद के गैर-कानूनी या अनाधिकृत दावे के विरुद्ध जारी की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे पद पर न बना रहे जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार न हो। यह रिट अनुच्छेद 32 और 226 के तहत जारी की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट किसी निजी व्यक्ति द्वारा धारण किए गए सार्वजनिक पद के लिए भी जारी की जा सकती है, यदि वह पद सार्वजनिक प्रकृति का हो।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (a) किसी भी व्यक्ति (निजी या सार्वजनिक) के विरुद्ध जारी की जा सकती है। परमादेश (b) सरकारी अधिकारियों या सार्वजनिक संस्थाओं के विरुद्ध जारी की जाती है। उत्प्रेषण (c) निचली अदालतों, न्यायाधिकरणों या न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकायों के विरुद्ध जारी की जाती है।
प्रश्न 25: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- गृह मंत्रालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा के अध्यक्ष, भारत के गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, और राज्यसभा के उप-सभापति शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC एक महत्वपूर्ण सांविधिक निकाय है जो भारत में मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए काम करता है। यद्यपि नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, यह एक नियुक्तित समिति की सिफारिश पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (b) समिति के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (c) NHRC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किए जा सकते, हालांकि पूर्व मुख्य न्यायाधीश इसके अध्यक्ष बन सकते हैं। गृह मंत्रालय (d) इस नियुक्ति प्रक्रिया में सीधे तौर पर भूमिका नहीं निभाता, बल्कि यह एक समिति का हिस्सा होता है।