संविधान की शक्ति: आपके ज्ञान की अग्निपरीक्षा
स्वागत है, संविधान के जिज्ञासुओं! आज हम भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को गहराई से समझने के लिए एक नई यात्रा पर निकल रहे हैं। यह 25 प्रश्नों की प्रश्नोत्तरी न केवल आपकी विश्लेषणात्मक क्षमता को परखेगी, बल्कि आपके संवैधानिक ज्ञान की गहराई को भी उजागर करेगी। आइए, अपने संकल्प को मजबूत करें और इस ज्ञान की अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हो जाएं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियों’ (Residuary Powers) का सिद्धांत किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान में अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत, जहाँ उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं, कनाडा के संविधान से प्रेरित है। यह भारतीय संविधान की संघीय प्रकृति को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 के अनुसार, संसद के पास किसी भी ऐसे विषय के संबंध में कोई भी कानून बनाने की अनन्य शक्ति है जो राज्य सूची या समवर्ती सूची में प्रगणित नहीं है। ये शक्तियाँ अवशिष्ट शक्तियाँ कहलाती हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान संघीय शक्तियों के पृथक्करण पर अधिक जोर देता है। ऑस्ट्रेलिया का संविधान समवर्ती सूची में शक्तियों के विभाजन के लिए जाना जाता है। यूनाइटेड किंगडम एक एकात्मक राज्य है जहाँ संसदीय सर्वोच्चता प्रमुख है।
प्रश्न 2: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा, प्रतिनिधित्व और शक्ति प्रदान की गई। इसने संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें पंचायतों को सौंपा जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को एक त्रि-स्तरीय (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर) प्रणाली के रूप में स्थापित करना और उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए सशक्त बनाना था।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वां संशोधन अधिनियम (1989) पंचायती राज से संबंधित एक पूर्ववर्ती प्रयास था जो पारित नहीं हो सका। 42वां संशोधन अधिनियम, 1976, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है, ने प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों, राज्यों के नीति निदेशक सिद्धांतों आदि में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे, लेकिन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया।
प्रश्न 3: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभुता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता, और अखंडता’ शब्दों को किस संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialism), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism), और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को जोड़ा गया। ‘संप्रभु’ शब्द पहले से ही प्रस्तावना में मौजूद था। (ध्यान दें: प्रश्न में ‘संप्रभुता’ शब्द का उल्लेख है, लेकिन यह संशोधन के दौरान नहीं, बल्कि मूल प्रस्तावना का हिस्सा था।)
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंड राष्ट्र के रूप में स्थापित करना था, जो तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक चेतना को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन अधिनियम ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून को संविधान की दसवीं अनुसूची में जोड़ा।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘जीवन के अधिकार’ में शामिल नहीं है?
- गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार
- शुद्ध पर्यावरण का अधिकार
- तत्काल चिकित्सा सहायता का अधिकार
- निजी संपत्ति रखने का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 ‘कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा, का प्रावधान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इस अधिकार का विस्तार किया है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन, शुद्ध पर्यावरण, और तत्काल चिकित्सा सहायता शामिल हैं। निजी संपत्ति रखने का अधिकार अब अनुच्छेद 300A के तहत एक संवैधानिक अधिकार है, न कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा।
- संदर्भ और विस्तार: मेनका गांधी मामले (1978) में, सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या को ‘कानून की उचित प्रक्रिया’ तक विस्तृत किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से कोई भी वंचित कार्रवाई उचित, निष्पक्ष और तर्कसंगत हो।
- गलत विकल्प: गरिमापूर्ण जीवन (वृद्धावस्था में सहायता, मानव तस्करी से मुक्ति), शुद्ध पर्यावरण (विभिन्न निर्णयों में), और तत्काल चिकित्सा सहायता (पرمानंद कटारा मामले) सभी अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित हैं। निजी संपत्ति का अधिकार पहले मौलिक था, जिसे 44वें संशोधन द्वारा हटा दिया गया।
प्रश्न 5: भारतीय संसद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का उपराष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत, किसी विधेयक पर गतिरोध की स्थिति में संसद की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है, जिसकी अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker) करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित है, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और यदि वह भी अनुपस्थित है, तो राज्यसभा का उप-सभापति बैठक की अध्यक्षता करता है। यह सुनिश्चित करता है कि संयुक्त बैठक में लोकसभा का पलड़ा भारी रहे।
- गलत विकल्प: भारत का राष्ट्रपति संयुक्त बैठक आहूत करता है (बुलाता है) लेकिन अध्यक्षता नहीं करता। उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, भी अध्यक्षता नहीं करता।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन भारत के संविधान का संरक्षक माना जाता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
- संसद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय है। अनुच्छेद 13 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी भी ऐसे कानून को असंवैधानिक घोषित कर सके जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो (न्यायिक समीक्षा की शक्ति)।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान की व्याख्या और उसके संरक्षण की अंतिम शक्ति सर्वोच्च न्यायालय में निहित है। यह सुनिश्चित करता है कि विधायिका और कार्यपालिका संविधान के प्रावधानों के भीतर ही कार्य करें।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति कार्यकारी प्रमुख होता है, पर संविधान की अंतिम व्याख्याकर्ता नहीं। प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। संसद कानून बनाती है, लेकिन संविधान के दायरे में रहकर।
प्रश्न 7: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को किस उद्देश्य से भारतीय संविधान में शामिल किया गया है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
- समानता का अधिकार प्रदान करना
- एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं, का मुख्य उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये तत्व सरकार को नीतियों के निर्माण और कानून बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं, जैसे कि समान न्याय, जीवन स्तर को ऊपर उठाना, और सभी के लिए अवसर सुनिश्चित करना। ये गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, अर्थात इन्हें सीधे अदालतों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकारों का उद्देश्य नागरिकों के कुछ निश्चित अधिकारों को सुरक्षित करना है। समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता अनुच्छेद 50 में वर्णित है, जो DPSP का हिस्सा है, लेकिन यह DPSP का अंतिम उद्देश्य नहीं, बल्कि एक साधन है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक/गैर-वैधानिक निकाय है। इसका गठन 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर किया गया था। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत, महान्यायवादी (Attorney General) अनुच्छेद 76 के तहत, और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 के तहत संवैधानिक निकाय हैं, क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके सृजन, शक्तियां और कार्य संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं। नीति आयोग का उद्देश्य भारत सरकार के लिए नीतिगत थिंक-टैंक के रूप में कार्य करना है।
- गलत विकल्प: CAG, महान्यायवादी और UPSC सभी के प्रावधान संविधान में हैं, इसलिए वे संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 9: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता है?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का गठन अनुच्छेद 54 में किया गया है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं। विधान परिषदों के सदस्य (चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान भारत की संघीय व्यवस्था को संतुलित करता है, जहाँ राज्यों के विधायी निकायों को राष्ट्रपति के चुनाव में प्रतिनिधित्व मिलता है, लेकिन द्विसदनीय राज्यों की उच्च सदन (विधान परिषद) को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
- गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
प्रश्न 10: ‘लोक व्यवस्था’ (Public Order) एक ऐसा विषय है जो समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। यह किस अनुसूची में सूचीबद्ध है?
- पहली अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- नवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सातवीं अनुसूची भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है। इसमें तीन सूचियाँ हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। ‘लोक व्यवस्था’ (Public Order) राज्य सूची की प्रविष्टि 1 में सूचीबद्ध है, जबकि ‘आपराधिक प्रक्रिया’ (Criminal Procedure) समवर्ती सूची की प्रविष्टि 2 में है। (यहां प्रश्न में “समवर्ती सूची” का उल्लेख एक संभावित गलती हो सकती है, क्योंकि “लोक व्यवस्था” राज्य सूची में है, लेकिन सूची के बारे में प्रश्न पूछा गया है।)
- संदर्भ और विस्तार: सातवीं अनुसूची विधायी शक्तियों के विभाजन का आधार है। अनुच्छेद 246 के अनुसार, संघ सूची के विषयों पर संसद कानून बना सकती है, राज्य सूची के विषयों पर राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं, और समवर्ती सूची के विषयों पर दोनों कानून बना सकते हैं, जिसमें संसद का कानून प्रभावी होता है।
- गलत विकल्प: पहली अनुसूची संघ और उसके राज्य क्षेत्रों से संबंधित है। आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं से संबंधित है। नवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से संबंधित है।
प्रश्न 11: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य’ को परिभाषित करता है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ शब्द को परिभाषित करता है। इस परिभाषा के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार-क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा विशेष रूप से मौलिक अधिकारों (भाग III) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य के कार्यों के विरुद्ध लागू होते हैं। ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या ने न्यायिक समीक्षा के दायरे को बढ़ाया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की बात करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 12: संसद के स्थगन (Adjournment) और सत्रावसान (Prorogation) के बीच मुख्य अंतर क्या है?
- स्थगन एक अनिश्चित काल के लिए सदन को निलंबित करता है, जबकि सत्रावसान सत्र को समाप्त करता है।
- सत्रावसान राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जबकि स्थगन पीठासीन अधिकारी द्वारा।
- स्थगन के लिए कोरम (गणपूर्ति) की आवश्यकता होती है, सत्रावसान के लिए नहीं।
- स्थगन के लिए सरकारी आदेश की आवश्यकता होती है, सत्रावसान के लिए नहीं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: स्थगन (Adjournment) पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष/सभापति) द्वारा सदन की कार्यवाही को एक निश्चित अवधि या अनिश्चित काल (sine die) के लिए निलंबित करना है। सत्रावसान (Prorogation) राष्ट्रपति द्वारा सत्र की अवधि को औपचारिक रूप से समाप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान के साथ ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हुई बैठकें भी समाप्त हो जाती हैं। सत्रावसान के बाद, राष्ट्रपति एक नया सत्र आहूत करता है। स्थगन केवल कार्यवाही को अस्थायी रूप से रोकता है।
- गलत विकल्प: स्थगन अनिश्चित काल के लिए भी हो सकता है, लेकिन सत्रावसान सत्र को समाप्त करता है। स्थगन पीठासीन अधिकारी करता है, सत्रावसान राष्ट्रपति। कोरम (अनुच्छेद 100) दोनों में आवश्यक है। सत्रावसान के लिए राष्ट्रपति का आदेश आवश्यक है।
प्रश्न 13: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक’ (Comptroller and Auditor General) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- संसद की लोक लेखा समिति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। CAG भारत के सभी वित्तीय लेन-देन की लेखा-परीक्षा करता है और उसकी रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और इसे भारत का लोक-निधिक संरक्षक माना जाता है। वह स्वतंत्र होता है और उसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख है, पर नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। लोकसभा अध्यक्ष या लोक लेखा समिति CAG की नियुक्ति नहीं करते।
प्रश्न 14: किस संवैधानिक संशोधन द्वारा मतदान की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1988
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1988 ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन किया, जिससे मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करना था। यह संशोधन 28 मार्च 1989 से लागू हुआ।
- गलत विकल्प: 42वां और 44वां संशोधन क्रमशः 1976 और 1978 के हैं और उनके उद्देश्यों से भिन्न हैं। 52वां संशोधन दल-बदल कानून से संबंधित है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत वर्णित हैं। इन्हें 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। ये गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इनके उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, लेकिन ये नागरिकों को अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत करते हैं।
- गलत विकल्प: भाग III में मौलिक अधिकार हैं। भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 16: राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों से संबंधित कौन से अनुच्छेद हैं?
- अनुच्छेद 352, 356, 360
- अनुच्छेद 350, 351
- अनुच्छेद 310, 311
- अनुच्छेद 301, 302
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति की तीन प्रकार की आपातकालीन शक्तियां हैं: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर लागू होता है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। ये शक्तियां भारतीय संविधान की एक अनूठी विशेषता हैं जो देश की संप्रभुता, सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए कार्य करती हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 350-351 अल्पसंख्यकों की भाषाओं और हिंदी भाषा के विकास से संबंधित हैं। अनुच्छेद 310-311 लोक सेवकों के अधिकारों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 301-302 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित हैं।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन किसी राज्य के राज्यपाल को पद से हटा सकता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
- उच्चतम न्यायालय
- राज्य की विधानसभा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल को पद से हटा सकता है। हालांकि संविधान में अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (during the pleasure of the President) पद धारण करता है, राज्यपाल को हटाने के लिए कोई निश्चित प्रक्रिया निर्धारित नहीं है, जैसा कि महाभियोग द्वारा राष्ट्रपति को हटाने के लिए है।
- संदर्भ और विस्तार: व्यवहार में, राष्ट्रपति आमतौर पर राज्य विधानमंडल के बहुमत के विश्वास से वंचित होने या केंद्र सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए राज्यपाल को हटाता है। यह प्रावधान राज्यपाल की स्थिति पर विवाद का विषय रहा है।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री या उच्च न्यायालय या राज्य की विधानसभा के पास राज्यपाल को हटाने की सीधी शक्ति नहीं है।
प्रश्न 18: भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा का अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 324 के तहत की जाती है। राष्ट्रपति अन्य निर्वाचन आयुक्तों की भी नियुक्ति करता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्थायी संवैधानिक निकाय है जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का संचालन सुनिश्चित करता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाते।
प्रश्न 19: ‘शून्य काल’ (Zero Hour) की अवधारणा भारतीय संसदीय प्रणाली में किस देश से अपनाई गई है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- भारत
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘शून्य काल’ (Zero Hour) एक भारतीय संसदीय नवाचार है। इसकी कोई निश्चित अवधि या प्रक्रिया संविधान में परिभाषित नहीं है, लेकिन यह प्रश्न काल (Question Hour) के तुरंत बाद शुरू होता है और दोपहर के भोजन के अवकाश से पहले तक चलता है।
- संदर्भ और विस्तार: शून्य काल के दौरान, सदस्य पूर्व सूचना देकर महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के मामलों को उठा सकते हैं। यह भारतीय संसद की एक अनूठी विशेषता है जो विधायी प्रक्रिया को और अधिक जीवंत बनाती है।
- गलत विकल्प: यह अन्य संसदीय प्रणालियों में सीधे तौर पर नहीं पाया जाता है।
प्रश्न 20: कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) के गठन का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 338
- अनुच्छेद 338A
- अनुच्छेद 339
- अनुच्छेद 340
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 338 भारतीय संविधान में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के गठन का प्रावधान करता है। 89वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा अनुच्छेद 338A जोड़ा गया, जिसने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) का गठन किया।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का कार्य अनुसूचित जातियों के अधिकारों की सुरक्षा करना, उनके कल्याण को बढ़ावा देना और उनके संबंध में संविधान के तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की निगरानी करना है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 338A अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 339 विशेष परिस्थितियों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और कल्याण से संबंधित है। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान करता है।
प्रश्न 21: भारत में ‘विधायी अतिरेक’ (Legislative Overreach) की स्थिति में, क्या किया जा सकता है?
- राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा के माध्यम से हस्तक्षेप कर सकता है।
- प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।
- संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया जा सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: विधायी अतिरेक, जिसका अर्थ है कि विधायिका (संसद या राज्य विधानमंडल) अपनी संवैधानिक शक्तियों का उल्लंघन करके ऐसे कानून बनाती है जो मौलिक अधिकारों, संविधान के मूल ढांचे, या अन्य संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत हों, की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 13 और 32 के तहत) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के तहत) न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) के माध्यम से हस्तक्षेप कर सकते हैं और ऐसे कानूनों को अमान्य घोषित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) के बाद से, न्यायिक समीक्षा को संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग माना जाता है। यह शक्ति सुनिश्चित करती है कि विधायिका संविधान के दायरे में रहे।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अध्यादेश अनुच्छेद 123 के तहत विशेष परिस्थितियों में जारी करते हैं, विधायी अतिरेक के सीधे समाधान के लिए नहीं। प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं, जो सरकार को हटाने से संबंधित है। विशेषाधिकार प्रस्ताव संसदीय विशेषाधिकारों के उल्लंघन पर लागू होता है।
प्रश्न 22: भारत में ‘आर्थिक नियोजन’ (Economic Planning) किस सूची का विषय है?
- संघ सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- अवशिष्ट सूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 20 ‘आर्थिक और सामाजिक नियोजन’ (Economic and Social Planning) को शामिल करती है। इसलिए, इस विषय पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची में होने के कारण, आर्थिक नियोजन केंद्र सरकार के राष्ट्रीय एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन राज्य भी अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार योजना बना सकते हैं। योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने भारत में नियोजन के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- गलत विकल्प: हालांकि केंद्र सरकार की भूमिका प्रमुख है, यह केवल संघ सूची का विषय नहीं है, और राज्य भी अपनी योजनाएं बनाते हैं, इसलिए यह समवर्ती सूची में आता है।
प्रश्न 23: किसी भी सदन की सदस्यता से किसी सदस्य की अनुपस्थिति के आधार पर रिक्त होने का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 101(4)
- अनुच्छेद 105(2)
- अनुच्छेद 118(1)
- अनुच्छेद 122(1)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, यदि कोई सदस्य, किसी सदन को सूचित किए बिना, 60 दिनों की अवधि के लिए सदन के सभी अधिवेशनों से अनुपस्थित रहता है, तो उसका स्थान रिक्त घोषित किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि संसद सदस्य अपने कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह हों और बिना किसी वैध कारण के लंबी अनुपस्थिति न हो। यह नियम संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) पर लागू होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 105 विशेषाधिकारों से संबंधित है, 118 कार्यवाहियों के नियमों से, और 122 न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जाँच न करने से संबंधित है।
प्रश्न 24: ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ (Independence of Judiciary) भारतीय संविधान के किस भाग में निहित है?
- मौलिक अधिकार (भाग III)
- राज्य के नीति निदेशक तत्व (भाग IV)
- संसद की शक्तियाँ (भाग V)
- न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायपालिका की स्वतंत्रता, जो एक कल्याणकारी राज्य के निर्माण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, को राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के तहत अनुच्छेद 50 में सीधे तौर पर कहा गया है: “राज्य, कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग करने के लिए कदम उठाएगा।”
- संदर्भ और विस्तार: यह तत्व सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके, सरकार के अन्य अंगों से अप्रभावित रहे। यद्यपि यह गैर-न्यायसंगत है, यह भारतीय संवैधानिक व्यवस्था का एक मूल सिद्धांत है। न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता का एक परिणाम है, लेकिन अनुच्छेद 50 मुख्य रूप से इस स्वतंत्रता को DPSP के रूप में स्थापित करता है।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार नागरिकों को राज्य के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। संसद की शक्तियाँ विधायिका से संबंधित हैं। यद्यपि न्यायिक समीक्षा न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़ी है, इसे सीधे DPSP के तहत स्वतंत्रता के प्रावधान के रूप में नहीं माना जाता है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार, संविधान संशोधन की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रभावित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- दक्षिण अफ्रीका
- आयरलैंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368, जो संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है, की प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से प्रभावित है।
- संदर्भ और विस्तार: दक्षिण अफ्रीका के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया भारत के समान ही बहुलता में है, जहाँ संसद के दोनों सदनों की विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। भारत में संशोधन के तीन तरीके हैं: साधारण बहुमत, विशेष बहुमत, और विशेष बहुमत के साथ राज्यों का अनुसमर्थन।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान संशोधन की प्रक्रिया में भिन्नता रखता है (जहाँ राज्यों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है)। यूनाइटेड किंगडम में अलिखित संविधान है और कोई विशेष संशोधन प्रक्रिया नहीं है। आयरलैंड का संविधान राज्य के नीति निदेशक तत्वों और राष्ट्रपति चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रणाली से प्रभावित है।
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