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संविधान की रोज की पाठशाला: आज के 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

संविधान की रोज की पाठशाला: आज के 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला को समझना किसी भी प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी संवैधानिक समझ को परखें और अपने ज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। तैयार हो जाइए, आपकी यात्रा यहीं से शुरू होती है!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन मिनी-संविधान के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना भारत के संविधान का परिचय और दर्शन प्रस्तुत करती है। ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों का समान आदर करेगा, उन्हें संरक्षण देगा।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वें और 97वें संशोधनों ने क्रमशः पंचायती राज और सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में सही है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है।
  2. राष्ट्रपति केवल केंद्रीय कानूनों के तहत अपराधों के लिए क्षमादान दे सकता है।
  3. राष्ट्रपति द्वारा की गई क्षमादान की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के तहत किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने, या उसके लघुकरण या परिहार करने की शक्ति प्राप्त है। इसमें मृत्युदंड को क्षमा करना और केवल केंद्रीय कानूनों के तहत अपराधों तक सीमित न होना शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की यह शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है, जैसा कि ‘शेषन बनाम भारतीय संघ’ (1995) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है। राष्ट्रपति अपने विवेकाधिकार से कार्य नहीं करता, बल्कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: चूँकि राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है, केवल केंद्रीय कानूनों तक सीमित नहीं है, और यह शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही विकल्प है।

प्रश्न 3: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है?

  1. अनुच्छेद 76
  2. अनुच्छेद 165
  3. अनुच्छेद 148
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता। वह उन विशेषाधिकारों का हकदार है जो संसद सदस्यों को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 165 महाधिवक्ता (Advocate General) से संबंधित है, जो राज्य सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से संबंधित है, और अनुच्छेद 143 सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन मौलिक अधिकारों के बारे में गलत है?

  1. ये अधिकार भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त हैं।
  2. ये अधिकार पूर्ण नहीं हैं, इन पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
  3. ये अधिकार स्वतः प्रवर्तनीय नहीं हैं, इनके लिए कानून की आवश्यकता होती है।
  4. ये अधिकार न्यायोचित (Justiciable) हैं, जिनका उल्लंघन होने पर न्यायालय में जाया जा सकता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकार (भाग III) न्यायोचित हैं। इसका अर्थ है कि यदि किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है, तो पीड़ित व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जा सकता है। ये स्वतः प्रवर्तनीय (self-executory) होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कुछ मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त हैं (जैसे अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30), जबकि कुछ सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों) को प्राप्त हैं (जैसे अनुच्छेद 14, 20, 21, 22)। इन अधिकारों पर कुछ उचित प्रतिबंध (reasonable restrictions) लगाए जा सकते हैं, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के आधार पर।
  • गलत विकल्प: यह कथन कि मौलिक अधिकार स्वतः प्रवर्तनीय नहीं हैं, गलत है। वास्तव में, वे सीधे लागू होते हैं, और उनके उल्लंघन के लिए न्यायालय में जाया जा सकता है।

प्रश्न 5: भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 360 राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति देता है, यदि वह संतुष्ट हो कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे भारत या उसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है।
  • संदर्भ और विस्तार: अब तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल नहीं लगाया गया है। वित्तीय आपातकाल की घोषणा के पश्चात्, संसद द्वारा 2 महीने के भीतर इसका अनुमोदन आवश्यक है। इसके प्रभाव में, राष्ट्रपति राज्य सरकारों को वित्तीय औचित्यों को बनाए रखने के लिए निर्देश दे सकते हैं और कुछ वित्तीय विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना आवश्यक बना सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह) से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्यों द्वारा संघ के निर्देशों का अनुपालन करने में विफलता से संबंधित है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?

  1. 9वीं अनुसूची
  2. 10वीं अनुसूची
  3. 11वीं अनुसूची
  4. 12वीं अनुसूची

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गई, जिसमें 29 विषयों की सूची है जिन पर पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार दिए गए हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: 11वीं अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा और कार्यात्मक स्वायत्तता प्रदान करती है। यह ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक है।
  • गलत विकल्प: 9वीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित है। 10वीं अनुसूची दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है। 12वीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है, जिसे 74वें संशोधन, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।

प्रश्न 7: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति
  3. मुख्य न्यायाधीश
  4. संसदीय समिति

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 124(2) के तहत की जाती है। नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों से भी परामर्श कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए ‘कॉलेजियम प्रणाली’ प्रचलित है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। यह प्रणाली ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ (NJAC) अधिनियम, 2014 को रद्द करने के बाद से प्रभावी है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या संसदीय समिति सीधे न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते हैं। कॉलेजियम प्रणाली नियुक्ति की सिफारिश करती है, लेकिन अंतिम नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) के अंतर्गत आता है?

  1. 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।
  2. सभी नागरिकों के लिए आजीवन शिक्षा का अधिकार।
  3. उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार।
  4. बच्चों के लिए व्यावसायिक शिक्षा का अधिकार।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान में अनुच्छेद 21A जोड़ा गया, जिसने 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए ‘शिक्षा के अधिकार’ को एक मौलिक अधिकार बना दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिकार को और प्रभावी बनाने के लिए ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ (Right to Education Act, 2009) लागू किया गया। यह अधिकार राज्य को आवश्यक कानून द्वारा बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए बाध्य करता है।
  • गलत विकल्प: आजीवन शिक्षा, उच्च शिक्षा या व्यावसायिक शिक्षा का अधिकार सीधे तौर पर अनुच्छेद 21A के दायरे में नहीं आते हैं, यद्यपि जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) की व्याख्या में इन्हें शामिल किया जा सकता है, लेकिन 21A विशेष रूप से 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा से संबंधित है।

प्रश्न 9: भारत में ‘लोकपाल’ शब्द का प्रयोग पहली बार किसके द्वारा किया गया?

  1. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
  2. जवाहरलाल नेहरू
  3. डॉ. एल.एम. सिंघवी
  4. मोरारजी देसाई

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘लोकपाल’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1963 में डॉ. एल.एम. सिंघवी ने किया था। यह शब्द संस्कृत के ‘लोक’ (जनता) और ‘पाल’ (रक्षक) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘जनता का रक्षक’।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल एक अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी मंत्रियों और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करना है। भारत में लोकपाल अधिनियम 2013 में पारित किया गया था।
  • गलत विकल्प: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष थे, जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, और मोरारजी देसाई लोकपाल बिल पारित करने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक थे, लेकिन ‘लोकपाल’ शब्द का पहली बार प्रयोग डॉ. एल.एम. सिंघवी ने किया था।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के बारे में सही नहीं है?

  1. ये सिद्धांत संविधान के भाग IV में वर्णित हैं।
  2. ये न्यायोचित (Justiciable) हैं और इनका उल्लंघन होने पर न्यायालय में जाया जा सकता है।
  3. इनका उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
  4. ये सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में उल्लिखित हैं, न्यायोचित नहीं हैं। इसका अर्थ है कि यदि राज्य इन सिद्धांतों को लागू करने में विफल रहता है, तो कोई भी व्यक्ति न्यायालय में नहीं जा सकता (अनुच्छेद 37)।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना और सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना है। ये सिद्धांत विधायिका और कार्यपालिका के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: यह कथन कि DPSP न्यायोचित हैं, गलत है। जबकि अन्य सभी कथन (भाग IV में वर्णन, कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य, और मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करना) सत्य हैं।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंध’ से संबंधित है?

  1. भाग XI
  2. भाग XII
  3. भाग XIII
  4. भाग XIV

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI संघ और राज्यों के बीच विधायी (अध्याय I, अनुच्छेद 245-255) और प्रशासनिक (अध्याय II, अनुच्छेद 256-263) संबंधों से संबंधित है। वित्तीय संबंध भाग XII में शामिल हैं, लेकिन विधायी और प्रशासनिक संबंध विशेष रूप से भाग XI में हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भाग भारत को एक ‘अर्ध-संघीय’ (quasi-federal) राज्य बनाता है, जहां शक्तियों का वितरण संघ और राज्यों के बीच स्पष्ट रूप से परिभाषित है, लेकिन संघ को कुछ अधिक शक्तियां प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद से संबंधित है। भाग XIII भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से संबंधित है। भाग XIV सेवाओं से संबंधित है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो?

  1. अनुच्छेद 250
  2. अनुच्छेद 252
  3. अनुच्छेद 253
  4. अनुच्छेद 254

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 250 के अनुसार, जब राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) लागू होता है, तो संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अवधि के दौरान, संसद द्वारा बनाया गया कानून राज्य सूची के विषय पर उस हद तक प्रभावी होगा, जिस हद तक वह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के विपरीत हो। हालाँकि, यह शक्ति तब समाप्त हो जाती है जब आपातकाल लागू रहता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 252 दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही कानून बनाने हेतु संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 253 अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों को लागू करने के लिए प्रावधान करता है। अनुच्छेद 254 यह सुनिश्चित करता है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून राज्य के कानूनों पर प्राथमिकता लें, यदि दोनों एक ही विषय पर हों।

प्रश्न 13: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किस रूप में किया गया है?

  1. राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक
  2. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक
  3. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक
  4. केवल सामाजिक और राजनीतिक

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘न्याय’ को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में सुनिश्चित करती है। यह भारत के शासन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान सामाजिक स्थिति प्रदान करना। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और संपत्ति का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, बिना किसी भेदभाव के।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’, ‘सांस्कृतिक’ या केवल ‘सामाजिक और राजनीतिक’ न्याय का विशेष उल्लेख नहीं है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का विस्तृत रूप से उल्लेख है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ है?

  1. नीति आयोग
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
  3. चुनाव आयोग (Election Commission of India)
  4. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 भारत में एक चुनाव आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है। यह एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में चुनावों का संचालन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनकी स्थापना या प्रावधान संविधान में किया गया हो, और वे संविधान द्वारा प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हैं। चुनाव आयोग निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक (सलाहकार) निकाय है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एक सांविधिक (Statutory) निकाय है, जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। सीबीआई एक जांच एजेंसी है, जिसका गठन कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा हुआ था और यह कोई संविधिक या संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद की सलाह को राष्ट्रपति की सलाह का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए वापस भेज सकता है?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 91वां संशोधन अधिनियम, 2003
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 ने राष्ट्रपति की शक्तियों को अधिक स्पष्ट किया। इसके अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी सलाह को, यदि वह उसे राष्ट्रपतियों के लिए उचित समझता है, तो वह उसे मंत्रिपरिषद को उसके पुनर्मूल्यांकन के लिए वापस भेज सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, यदि मंत्रिपरिषद उस सलाह को पुनर्मूल्यांकन के पश्चात् राष्ट्रपति को फिर से भेजती है, तो राष्ट्रपति को उस सलाह के अनुसार कार्य करना होगा। यह संशोधन 42वें संशोधन द्वारा राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य करने की व्यवस्था को कुछ हद तक संतुलित करता है।
  • गलत विकल्प: 42वां संशोधन राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्यकारी बनाता था। 91वें संशोधन ने मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित किया, और 97वें संशोधन ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 16: ‘अस्पृश्यता’ का उन्मूलन किस मौलिक अधिकार के तहत आता है?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ के उन्मूलन का प्रावधान करता है। यह समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) के तहत आता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 कहता है कि ‘अस्पृश्यता’ का अंत कर दिया गया है और किसी भी रूप में उसका आचरण निषिद्ध है। अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय होगा। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (अब नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है।
  • गलत विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। शोषण के विरुद्ध अधिकार मानव तस्करी और बलात् श्रम को रोकता है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार धार्मिक अनुष्ठानों से संबंधित है।

प्रश्न 17: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए कौन सा संविधान संशोधन अधिनियम महत्वपूर्ण था?

  1. 64वां संशोधन अधिनियम, 1990
  2. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992, भारतीय संविधान में भाग IX जोड़कर पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। यह अधिनियम 24 अप्रैल, 1993 से लागू हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को स्व-शासन की एक संस्था के रूप में स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायतों की संरचना, शक्तियां, जिम्मेदारियां और वित्तीय प्रावधानों को परिभाषित किया गया।
  • गलत विकल्प: 64वें और 65वें संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं से संबंधित थे लेकिन संसद में पारित नहीं हुए। 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार देता है?

  1. अनुच्छेद 347
  2. अनुच्छेद 349
  3. अनुच्छेद 350B
  4. अनुच्छेद 351

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 350B भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान करता है। इस अधिकारी का कर्तव्य भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए संविधान में दिए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकारी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और संविधान की 7वीं संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 347 कुछ राज्यों में जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राजभाषा के रूप में मान्यता देने के बारे में है। अनुच्छेद 349 भाषा से संबंधित कुछ विधियों के अधिनियमित होने में विशेष प्रक्रिया से संबंधित है। अनुच्छेद 351 हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश देता है।

प्रश्न 19: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) का अर्थ क्या है?

  1. भाईचारे की भावना
  2. सभी नागरिकों के प्रति आदर
  3. राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखना
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का उल्लेख है, जिसका अर्थ है भाईचारे की भावना। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह भावना बनी रहे, संविधान में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए बंधुत्व को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: बंधुत्व का अर्थ है लोगों का आपस में भाई-भाई की तरह रहना। यह सुनिश्चित करता है कि समाज में समानता और न्याय बना रहे और कोई भी वर्ग स्वयं को अलग-थलग महसूस न करे।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में बंधुत्व का सीधा संबंध भाईचारे की भावना से है, जो राष्ट्रीय एकता और नागरिकों के प्रति आदर सुनिश्चित करता है, इसलिए उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. वित्त आयोग (Finance Commission)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC)
  4. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में दिए गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना RBI अधिनियम, 1934 के तहत की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक कार्यकारी निकाय है, जो 6 अगस्त, 1952 को एक प्रस्ताव द्वारा स्थापित की गई थी। यह देश के पंचवर्षीय योजनाओं के लिए अंतिम अनुमोदन प्राधिकारी के रूप में कार्य करती है। इसे कोई संवैधानिक या सांविधिक आधार प्राप्त नहीं है।
  • गलत विकल्प: वित्त आयोग और UPSC संवैधानिक निकाय हैं। RBI एक सांविधिक निकाय है, लेकिन भारत के आर्थिक और मौद्रिक प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। NDC एक असंवैधानिक निकाय है।

प्रश्न 21: भारत में ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) का सिद्धांत किस मामले में प्रतिपादित किया गया था?

  1. शंकर प्रसाद केस (1951)
  2. सज्जन सिंह केस (1965)
  3. गोलकनाथ केस (1967)
  4. केशवानंद भारती केस (1973)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इसने संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायालय ने माना कि संसद के पास संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वे संविधान की ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकते। मूल संरचना में लोकतंत्र, गणराज्य, धर्मनिरपेक्षता, शक्तियों का पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: शंकर प्रसाद केस और सज्जन सिंह केस में न्यायालय ने माना था कि मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित किया जा सकता है। गोलकनाथ केस (1967) में, न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों को छीन या सीमित नहीं कर सकती।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  4. किसी भी व्यक्ति को विधि के अनुसार स्थापित प्रक्रिया के बिना उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित न किया जाना (अनुच्छेद 21)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए हैं, न कि केवल नागरिकों के लिए। इसलिए, विकल्प (a) और (b) गलत हैं। विकल्प (d) अनुच्छेद 21 का ही एक हिस्सा है, जो सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।

प्रश्न 23: भारतीय संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल कितना हो सकता है?

  1. 1 महीना
  2. 3 महीने
  3. 4 महीने
  4. 6 महीने

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 85(2)(a) के तहत, राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर आहूत कर सकता है जो वह ठीक समझे। लेकिन, यह सुनिश्चित किया जाता है कि दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक न हो।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संसद को वर्ष में कम से कम दो बार अवश्य मिलना चाहिए। आम तौर पर, भारत में संसद के तीन सत्र होते हैं: बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र।
  • गलत विकल्प: 1, 3 या 4 महीने का अंतराल संविधान द्वारा निर्धारित अधिकतम अंतराल से कम है। संविधान ने अधिकतम 6 महीने का अंतराल निर्धारित किया है।

प्रश्न 24: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकता है?

  1. अनुच्छेद 142
  2. अनुच्छेद 143
  3. अनुच्छेद 144
  4. अनुच्छेद 145

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न या किसी ऐसे प्रश्न पर, जिस पर उसके मतानुसार विधि या तथ्य का कोई प्रश्न उत्पन्न हुआ है, सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को परामर्श दे सकता है, लेकिन यह परामर्श राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होता। इसी प्रकार, राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है। यह एक परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय की डिक्री या आदेशों के प्रवर्तन के संबंध में है। अनुच्छेद 144 सभी प्राधिकारियों पर सर्वोच्च न्यायालय की सहायता के लिए काम करने का बाध्यकारी है। अनुच्छेद 145 सर्वोच्च न्यायालय के नियमों और कार्यप्रणाली से संबंधित है।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस याचिका का अर्थ है ‘अधिकार-पृच्छा’?

  1. हैबियस कॉर्पस
  2. मंदमस
  3. प्रोहिबिशन
  4. क्यों वारंटो (Quo Warranto)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘क्यों वारंटो’ (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह याचिका किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर धारित किए गए अधिकार या दावे की जांच के लिए जारी की जाती है। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस याचिका द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से सार्वजनिक पद पर न रहे। यह केवल सार्वजनिक कार्यालयों पर लागू होती है, निजी पद पर नहीं।
  • गलत विकल्प: हैबियस कॉर्पस का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, जो अवैध गिरफ्तारी के विरुद्ध है। मंदमस का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, जो किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य करने के लिए जारी किया जाता है। प्रोहिबिशन का अर्थ है ‘निषेध’, जो किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर काम करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।

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