संविधान की मशाल: आज ही अपनी क्षमता को परखें
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के गहन ज्ञान की आवश्यकता को समझते हुए, हम लेकर आए हैं आज का विशेष अभ्यास सत्र। यह क्विज न केवल आपकी संकल्पनाओं को परखेगा, बल्कि आपको हमारे लोकतांत्रिक ढांचे की बारीकियों से भी रूबरू कराएगा। तो, अपने ज्ञान की मशाल जलाएं और इस चुनौती के लिए तैयार हो जाएं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का कौन सा रूप सम्मिलित नहीं है?
- सामाजिक
- आर्थिक
- राजनीतिक
- धार्मिक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करती है। यह आदर्श फ्रांस की क्रांति से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ न्याय का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, हालांकि ‘धर्म की स्वतंत्रता’ का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) मौलिक अधिकारों के तहत आता है। यह स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों के साथ मिलकर न्याय के व्यापक विचार को पूरा करती है।
- गलत विकल्प: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय ये तीनों ही प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं और संविधान का आधारभूत ढांचा बनाते हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति、किसी भी समय, अपने पद की शक्तियों का प्रयोग करते हुए, किसी भी कानून के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकते हैं?
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 144
- अनुच्छेद 145
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को एक विशेष सलाहकार क्षेत्राधिकार प्रदान करता है, जिसके तहत वे किसी भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के मामले या किसी भी प्रश्न पर, जो किसी संधि, विधि या प्रथा के अर्थ या प्रवर्तन से संबंधित हो, सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांग सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सलाह सर्वोच्च न्यायालय के विवेक पर है, और यदि वह सलाह देना चुनता है, तो वह उसके निष्कर्षों को सार्वजनिक कर सकता है। हालांकि, राष्ट्रपति इस सलाह से बंधे नहीं होते हैं। यह अनुच्छेद भारत के संविधान में एक अनूठी व्यवस्था है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 ‘सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता’ से संबंधित है, अनुच्छेद 144 ‘सभी प्राधिकारियों द्वारा सिविल और न्यायिक अधिकारियों की सहायता में कार्य करना’ और अनुच्छेद 145 ‘सर्वोच्च न्यायालय के नियम’ से संबंधित हैं, न कि राष्ट्रपति द्वारा सलाह मांगने से।
प्रश्न 3: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) न्यायोचित नहीं हैं।
- मौलिक कर्तव्य न्यायोचित नहीं हैं।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है, जो अनुच्छेद 37 के अनुसार न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (न्यायोचित नहीं)। इसी प्रकार, भाग IV-A में उल्लिखित मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) भी न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात इनके उल्लंघन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य नागरिकों के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करने जैसे 11 कर्तव्य बताते हैं। यद्यपि ये प्रत्यक्ष रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं, इन्हें कानून बनाते समय न्यायालयों द्वारा ध्यान में रखा जाता है।
- गलत विकल्प: यह कथन कि DPSP और मौलिक कर्तव्य दोनों ही न्यायोचित नहीं हैं, संविधान के अनुसार सत्य है।
प्रश्न 4: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में ‘मूल कर्तव्य’ (Fundamental Duties) को शामिल किया गया?
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वें संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 ने भारतीय संविधान में एक नया भाग IV-A जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के लिए दस मूल कर्तव्यों को सम्मिलित किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इन मूल कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर शामिल किया गया था। बाद में, 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा ग्यारहवां मूल कर्तव्य जोड़ा गया। यह संशोधन आपातकाल के दौरान किया गया था और इसने संविधान के ‘प्रस्तावना’ में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’, और ‘अखंडता’ जैसे शब्द भी जोड़े।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (दसवीं अनुसूची) जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग चलाने की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है?
- संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधान परिषदों के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का उल्लेख अनुच्छेद 61 में है। इस प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य भाग लेते हैं। इसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं, लेकिन राज्य विधानसभाओं या विधान परिषदों के सदस्य इसमें भाग नहीं लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आरोप किसी भी सदन द्वारा लगाया जा सकता है, बशर्ते कि उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों ने उस आरोप का समर्थन किया हो और प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। आरोप लगाने वाला सदन जांच करता है, और दूसरा सदन जांच करता है।
- गलत विकल्प: संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। राज्य विधानसभाओं के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, महाभियोग में नहीं। राज्य विधान परिषदों के सदस्य न तो राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं और न ही महाभियोग की प्रक्रिया में।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का ‘मूल ढाँचा’ (Basic Structure) है?
- शंकरी प्रसाद बनाम भारतीय संघ (1951)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन वे ‘संविधान के मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकते। प्रस्तावना को भी इस मूल ढांचे का हिस्सा माना गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संविधान की व्याख्या में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया और संसद की संशोधन शक्ति को सीमित किया। प्रस्तावना को संविधान का अभिन्न अंग भी इसी मामले में माना गया था।
- गलत विकल्प: शंकरी प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) मामलों में, न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है। गोलकनाथ (1967) में, न्यायालय ने फैसला सुनाया कि संसद मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘पंचायती राज’ व्यवस्था का उल्लेख है?
- भाग IV
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग X
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IX में पंचायती राज संस्थाओं (पंचायतों) के बारे में प्रावधान हैं, जो 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था। यह भाग अनुच्छेद 243 से 243-O तक विस्तारित है।
- संदर्भ और विस्तार: भाग IX पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है, जिसमें उनकी संरचना, सदस्यों का चुनाव, शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व, वित्तीय मामले आदि शामिल हैं। यह स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं। भाग IX-A में नगर पालिकाएं (शहरी स्थानीय निकाय) हैं। भाग X में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित प्रावधान हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन ‘भारत का महान्यायवादी’ (Attorney General of India) की नियुक्ति के लिए योग्यता से संबंधित नहीं है?
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसने कम से कम पाँच वर्षों तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो।
- उसने दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य किया हो।
- वह विधि के प्रतिष्ठित विद्वान हों।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति अनुच्छेद 76 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनकी योग्यताओं का उल्लेख अनुच्छेद 76(1) में है: वे ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हों। यह योग्यता किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम पांच साल के कार्यकाल से संबंधित नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए, व्यक्ति को या तो दस वर्षों तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए, या दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य किया हो, या वह विधि का प्रतिष्ठित विद्वान हो। महान्यायवादी इन तीन में से किसी एक योग्यता को पूरा करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) सही योग्यताएं हैं। विकल्प (b) एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम पांच साल का कार्यकाल, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की एक सामान्य योग्यता है, महान्यायवादी की नियुक्ति की सीधी योग्यता नहीं है।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में संसदीय विशेषाधिकारों की अवधारणा मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के संविधान से प्रेरित है, जहाँ संसदीय विशेषाधिकारों की एक लंबी परंपरा रही है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 क्रमशः संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 105 में कहा गया है कि संसद और उसके सदस्यों को वह विशेषाधिकार होंगे जो संसद समय-समय पर विधि द्वारा परिभाषित करती है, और जब तक ऐसा परिभाषित न हो, वे अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधीन, उन विशेषाधिकारों का प्रयोग करेंगे जो ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों को विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों के बराबर हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में संसदीय प्रणालियाँ हैं, लेकिन भारत में संसदीय विशेषाधिकारों की विशेष प्रकृति को यूके से अधिक प्रभावित माना जाता है।
प्रश्न 10: ‘अस्पृश्यता’ का उन्मूलन किस अनुच्छेद के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के अंत का प्रावधान करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को निषिद्ध करता है। अस्पृश्यता से उपजी किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) के अंतर्गत आता है और भारतीय समाज से एक गंभीर सामाजिक बुराई को दूर करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (जिसे बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 नाम दिया गया) इस अनुच्छेद के प्रावधानों को लागू करने के लिए बनाया गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता से संबंधित हैं।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) का पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है। NDC एक कार्यकारी निकाय है, जिसका गठन 1952 में पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन में राज्य सरकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: NDC में भारत के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक (या उनके प्रतिनिधि) शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय योजनाओं का अनुमोदन करना है।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति औपचारिक प्रधान होते हैं। वित्त मंत्री या नीति आयोग के उपाध्यक्ष, हालांकि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं होते।
प्रश्न 12: किस अनुच्छेद के तहत राज्य、जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 20
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 22
- अनुच्छेद 23
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 कहता है कि ‘किसी भी व्यक्ति को, विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा、उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।’ यह मौलिक अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या को बहुत व्यापक बनाया है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार, निजता का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार आदि शामिल हैं। यह अधिकार सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण, अनुच्छेद 22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण, और अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 13: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- गृह मंत्रालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (Protection of Human Rights Act, 1993) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस चयन समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति, लोकसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। राष्ट्रपति, इस समिति की सिफारिशों के आधार पर, अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या गृह मंत्रालय अकेले नियुक्ति नहीं करते हैं; यह राष्ट्रपति का कार्य है जो एक समिति की सलाह पर किया जाता है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने के वैध आधार को चुनौती देने’ के लिए प्रयोग की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी भी व्यक्ति की अवैध हिरासत को चुनौती देने के लिए जारी की जाती है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी स्थिति में हो। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सबसे प्रभावी रिटों में से एक है। यदि किसी व्यक्ति को अवैध रूप से गिरफ्तार या हिरासत में रखा गया है, तो वह या कोई अन्य व्यक्ति इस रिट के माध्यम से रिहाई का आदेश प्राप्त कर सकता है।
- गलत विकल्प: परमादेश सार्वजनिक प्राधिकारियों को उनके कर्तव्य करने का आदेश देता है। उत्प्रेषण किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को रद्द करने के लिए जारी किया जाता है। प्रतिषेध किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्यवाही करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जर्मनी
- स्विट्जरलैंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों को मुख्य रूप से वीमर गणराज्य (जर्मनी) के संविधान से लिया गया है। भारतीय संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपात), 356 (राज्य आपात/राष्ट्रपति शासन), और 360 (वित्तीय आपात) आपातकालीन स्थितियों से संबंधित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी का संविधान, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद लागू हुआ था, आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों को निलंबित करने की व्यवस्था प्रदान करता था, जो भारत के संविधान के निर्माताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और स्विट्जरलैंड के संविधानों में आपातकालीन प्रावधानों की व्यवस्था हमारे संविधान से भिन्न है या उन्होंने हमारे संविधान को प्रभावित नहीं किया है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा पद ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- चुनाव आयोग (ECI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी प्रस्ताव (executive resolution) के माध्यम से 1 जनवरी 2015 को स्थापित एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) और गैर-वैधानिक (non-statutory) निकाय है। यह योजना आयोग का स्थान लेकर थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 के तहत, और चुनाव आयोग (ECI) अनुच्छेद 324 के तहत संवैधानिक निकाय हैं, क्योंकि उनकी स्थापना के प्रावधान सीधे संविधान में किए गए हैं।
- गलत विकल्प: CAG, UPSC, और ECI तीनों ही संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग, जो थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है, संविधान में उल्लिखित नहीं है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सुमेलित नहीं है?
- अंतर-राज्यीय परिषद – अनुच्छेद 263
- राजभाषा – भाग XVII
- राज्यों के लिए विशेष उपबंध – भाग XXI
- अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन – भाग X
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्यों के लिए विशेष उपबंध (Special Provisions relating to certain Classes) भाग XXI में नहीं, बल्कि भाग XIV-A (अनुच्छेद 339A), भाग XVI (अनुच्छेद 330-342) में उल्लिखित हैं। विशेष रूप से, अनुच्छेद 371 (A) से (J) कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करते हैं। भाग XXI ‘अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध’ (Temporary, Transitional and Special Provisions) से संबंधित है, लेकिन राज्यों के लिए विशेष उपबंधों का मुख्य खंड भाग XVI में है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 263 अंतर-राज्यीय परिषद के गठन का प्रावधान करता है। भाग XVII भारत की राजभाषा से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प सही सुमेलित हैं। राज्यों के लिए विशेष उपबंध मुख्य रूप से भाग XVI के अंतर्गत आते हैं, न कि भाग XXI के।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता’ की गारंटी देता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 18
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 ‘लोक नियोजन के विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता’ की गारंटी देता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के अधीन किसी भी पद पर नियुक्ति के मामले में किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, वंश, जन्मस्थान या निवास के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, इस अनुच्छेद में कुछ अपवाद भी हैं, जैसे कि निवास स्थान का निर्धारण (अनुच्छेद 16(3)) या पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण (अनुच्छेद 16(4))।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध, और अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत करता है।
प्रश्न 19: संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 70वां संशोधन अधिनियम, 1991
- 71वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (पंचायतों) के संबंध में प्रावधान शामिल हैं, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायतों को एक समान, त्रि-स्तरीय (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर) संरचना प्रदान की और उनके लिए आरक्षण, कार्यकाल, वित्तीय स्वतंत्रता आदि जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए।
- गलत विकल्प: 71वां संशोधन आठवीं अनुसूची में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को शामिल करने से संबंधित है। 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। 70वां संशोधन दिल्ली की विधानसभा और मंत्रिपरिषद से संबंधित है।
प्रश्न 20: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का गठन किस वर्ष किया गया था?
- 1960
- 1964
- 1971
- 1985
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) की स्थापना 1964 में के संथानम समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। यह एक वैधानिक निकाय है, जिसे CVC अधिनियम, 2003 द्वारा वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: CVC का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार के संगठनों में भ्रष्टाचार को रोकना है। यह एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करता है और भारत के राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
- गलत विकल्प: CVC की स्थापना 1964 में हुई थी। अन्य वर्षों का इससे सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 21: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत भारतीय संसद को विदेशी नागरिकता प्राप्त करने या समाप्त करने के बारे में विधि बनाने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 9
- अनुच्छेद 10
- अनुच्छेद 11
- अनुच्छेद 12
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 9 स्पष्ट करता है कि जो व्यक्ति स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। यह अनुच्छेद नागरिकता के स्वैच्छिक अधिग्रहण पर आधारित है। संसद नागरिकता से संबंधित मामलों पर कानून बनाने के लिए अनुच्छेद 11 का उपयोग करती है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, अनुच्छेद 9 सीधे तौर पर नागरिकता प्राप्त करने या समाप्त करने के बारे में विधि बनाने की शक्ति नहीं देता, बल्कि यह एक ऐसे सिद्धांत को स्थापित करता है जो नागरिकता के अधिग्रहण या समाप्ति को प्रभावित करता है। संसद ने इस संबंध में नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया है, जो भारतीय नागरिकता प्राप्त करने और खोने के विभिन्न तरीके निर्धारित करता है। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के संबंध में कानून बनाने की शक्ति देता है। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक हो सकती है, लेकिन अनुच्छेद 9 नागरिकता के स्वैच्छिक अधिग्रहण के प्रभाव को बताता है। यदि प्रश्न “नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी बातों के बारे में उपबंध करने की शक्ति” के बारे में होता, तो उत्तर अनुच्छेद 11 होता। लेकिन ‘विदेशी नागरिकता प्राप्त करने या समाप्त करने’ के संदर्भ में, अनुच्छेद 9 सीधे प्रभाव को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों का बना रहना, अनुच्छेद 11 संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विनियमन, और अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा से संबंधित हैं। अनुच्छेद 11 ही वह अनुच्छेद है जो संसद को नागरिकता से संबंधित नियम बनाने की शक्ति देता है। लेकिन प्रश्न “विदेशी नागरिकता प्राप्त करने या समाप्त करने” के *बारे में* विधि बनाने की शक्ति की बात कर रहा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 11 से जुड़ा है। यदि प्रश्न ‘नागरिकता के संबंध में कानून बनाने’ की शक्ति के बारे में होता तो 11 सही होता। यहाँ, अनुच्छेद 9 एक सिद्धांत स्थापित करता है। यह एक ट्रिकी प्रश्न है। चूंकि 11 संसद को शक्ति देता है, यह अधिक उपयुक्त है। प्रश्न को फिर से समझने पर, अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता से संबंधित सभी मामलों पर कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसमें विदेशी नागरिकता के अधिग्रहण से भारतीय नागरिकता का स्वतः समाप्त होना भी शामिल है। इसलिए 11 अधिक सही है।
पुनः मूल्यांकन: प्रश्न पूछ रहा है कि “भारतीय संसद को विदेशी नागरिकता प्राप्त करने या समाप्त करने के बारे में विधि बनाने की शक्ति है?” यह शक्ति **अनुच्छेद 11** के तहत आती है, जो संसद को नागरिकता से संबंधित सभी मामलों के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 9 केवल एक सिद्धांत बताता है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता ग्रहण करता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। यह विधि बनाने की शक्ति नहीं है। इसलिए, **अनुच्छेद 11** सही उत्तर है।
पुनः उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी मामलों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति अनुच्छेद 11 प्रदान करता है। इसी के तहत नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: जब कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारतीय नागरिकता खो देता है, जैसा कि अनुच्छेद 9 में उल्लेखित है। लेकिन यह विधि बनाने की शक्ति का स्रोत नहीं है, बल्कि यह स्वयं अनुच्छेद 11 के तहत बनाए गए कानूनों का परिणाम है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 9 नागरिकता के स्वैच्छिक अधिग्रहण पर एक सिद्धांत स्थापित करता है। अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों के बने रहने की बात करता है। अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ की परिभाषा देता है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की घोषणा का आधार नहीं हो सकती?
- युद्ध
- बाह्य आक्रमण
- आंतरिक अशांति
- सशस्त्र विद्रोह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा ‘युद्ध’ (War), ‘बाह्य आक्रमण’ (External Aggression) या ‘सशस्त्र विद्रोह’ (Armed Rebellion) के आधार पर की जा सकती है। 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 ने ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance) शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से प्रतिस्थापित कर दिया था, क्योंकि ‘आंतरिक अशांति’ का प्रयोग राजनीतिक कारणों से दुरुपयोग के रूप में देखा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: मूल संविधान में ‘आंतरिक अशांति’ शब्द शामिल था, लेकिन 1978 के संशोधन ने इसे अधिक विशिष्ट और वस्तुनिष्ठ आधार प्रदान किया।
- गलत विकल्प: युद्ध, बाह्य आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह, ये तीनों ही अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के आधार हैं। आंतरिक अशांति अब आधार नहीं है।
प्रश्न 23: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) का क्या अर्थ है?
- सभी नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना।
- सबकी गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करना।
- सबको समान अवसर प्रदान करना।
- सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ का अर्थ व्यक्तियों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक नागरिक की गरिमा बनी रहे और राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे। प्रस्तावना में ये तीनों ही मूल्य (बंधुत्व, गरिमा, एकता और अखंडता) महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बंधुत्व का भाव भारतीय संविधान के मौलिक सिद्धांतों में से एक है, जो सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) बंधुत्व का आंशिक अर्थ बताता है। विकल्प (c) समानता के अधिकार से संबंधित है। विकल्प (d) न्याय के प्रकारों से संबंधित है। विकल्प (b) बंधुत्व के व्यापक अर्थ को, जिसमें गरिमा और राष्ट्र की एकता/अखंडता शामिल है, सबसे अच्छी तरह से दर्शाता है।
प्रश्न 24: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘मूल अधिकार’ (Fundamental Rights) की व्याख्या और विस्तार में कौन सा सिद्धांत बार-बार अपनाया गया है?
- ‘शून्य और शून्य’ सिद्धांत
- ‘नयापन’ सिद्धांत
- ‘विवेकपूर्ण’ सिद्धांत
- ‘न्यायसंगत’ सिद्धांत
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय ने मूल अधिकारों की व्याख्या और विस्तार में ‘नयापन’ (Proportionality) के सिद्धांत का व्यापक रूप से उपयोग किया है। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि किसी अधिकार पर लगाया गया कोई भी प्रतिबंध, उस उद्देश्य के अनुपात में होना चाहिए जिसे प्राप्त करने के लिए वह प्रतिबंध लगाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 19(2) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, लेकिन उन प्रतिबंधों को ‘उचित’ (reasonable) और ‘आनुपातिक’ (proportionate) होना चाहिए। यह सिद्धांत मनमानी शक्तियों को रोकने और अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: ‘शून्य और शून्य’ (Void ab initio) का अर्थ शुरू से ही अमान्य होता है। ‘विवेकपूर्ण’ (discretionary) सिद्धांत का अर्थ है कि निर्णय लेने वाला अपनी इच्छानुसार निर्णय ले सकता है। ‘न्यायसंगत’ (equitable) सिद्धांत का अर्थ निष्पक्षता पर आधारित है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी समिति ‘संसदीय समितियों’ से संबंधित है?
- एम.एन. वेंकटचलैया समिति
- एल.एम. सिंघवी समिति
- बलवंत राय मेहता समिति
- सत्येंद्र नारायण सिन्हा समिति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: सत्येंद्र नारायण सिन्हा समिति (Satyendra Narayan Sinha Committee), जिसे 1966 में स्थापित किया गया था, का उद्देश्य संसद की वित्तीय समितियों (जैसे लोक लेखा समिति, अनुमान समिति) की कार्यप्रणाली और संरचना का अध्ययन करना था।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय समितियां, जैसे वित्तीय समितियां, सार्वजनिक उपक्रमों पर समितियां, आदि, भारतीय संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो कार्यपालिका पर विधायी नियंत्रण रखती हैं।
- गलत विकल्प: एम.एन. वेंकटचलैया समिति (1998) ने राष्ट्रीय लोकतंत्र हेतु संवैधानिक सुधारों पर विचार किया। एल.एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की। बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की सिफारिश की।