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संविधान की परख: आज की चुनौती

संविधान की परख: आज की चुनौती

लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। अपनी संवैधानिक समझ को और पैना करने और अवधारणाओं को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज हम आपके लिए लाए हैं भारतीय राजव्यवस्था पर 25 विशेष प्रश्न, जो आपकी तैयारी को एक नया आयाम देंगे। आइए, इस ज्ञानवर्धक सफर की शुरुआत करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़े गए?

  1. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ ये तीन नए शब्द 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान हुआ था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य प्रस्तावना में कुछ और महत्वपूर्ण मूल्यों को शामिल करना था, जो भारतीय राज्य के स्वरूप को बेहतर ढंग से परिभाषित करते हैं। ‘समाजवादी’ सामाजिक और आर्थिक समानता पर जोर देता है, जबकि ‘धर्मनिरपेक्ष’ राज्य के सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रवैये को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बदलाव किए। 52वाँ संशोधन (1985) दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वाँ संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने पर जारी की जाती है?

  1. परमादेश (Mandamus)
  2. उत्प्रेषण (Certiorari)
  3. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus), जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, एक ऐसी याचिका है जो किसी भी व्यक्ति को, जिसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो, अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश देती है। यह मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए अनुच्छेद 32 (सुप्रीम कोर्ट) और अनुच्छेद 226 (हाई कोर्ट) के तहत जारी की जा सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह याचिका किसी भी नागरिक के व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार या कैद न किया जाए।
  • गलत विकल्प: ‘परमादेश’ किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य करने का आदेश देता है। ‘उत्प्रेषण’ किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरण के किसी निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। ‘अधिकार पृच्छा’ किसी व्यक्ति द्वारा लोक पद पर अवैध दावे को रोकने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है।
  2. महाभियोग का आरोप किसी भी सदन द्वारा लगाया जा सकता है, लेकिन इसकी जांच दूसरे सदन द्वारा की जाती है।
  3. महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद 61 के तहत वर्णित है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 में उल्लिखित है। यह आरोप किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा लगाया जा सकता है (कथन ‘क’ सत्य है)। आरोप पत्र पर सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और 14 दिन का पूर्व नोटिस दिया जाना चाहिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आरोप लगाने वाले सदन के अलावा, दूसरा सदन (जिसने आरोप नहीं लगाया) उन आरोपों की जांच करेगा या जांच करवाएगा। जांच में राष्ट्रपति को अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है। यदि जांच करने वाला सदन (या उस सदन द्वारा नियुक्त कोई न्यायालय या प्राधिकरण) उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से आरोप की पुष्टि कर देता है, तो प्रस्ताव पारित माना जाता है (कथन ‘ख’ सत्य है)। प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी कथन सत्य हैं, इसलिए विकल्प (d) सही है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारत में नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 1
  2. अनुच्छेद 2
  3. अनुच्छेद 3
  4. अनुच्छेद 4

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 2 संसद को ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना की शक्ति प्रदान करता है। इसका तात्पर्य उन राज्यों से है जो भारतीय संघ का हिस्सा नहीं हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, सिक्किम को भारतीय संघ में प्रवेश अनुच्छेद 2 के तहत ही प्रदान किया गया था। यह अनुच्छेद उन प्रदेशों पर लागू होता है जो भारत के मौजूदा क्षेत्रों से बाहर हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत का नाम और राज्य क्षेत्र बताता है। अनुच्छेद 3 संसद को भारत के भीतर मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 4 बताता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून, जिनमें अनुसूची 4 का संशोधन शामिल है, अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा भाग राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग V
  4. भाग VI

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। ये तत्व शासन के लिए मूलभूत हैं और देश के कानून बनाने में इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को बढ़ावा देते हैं, यद्यपि वे न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37)। इनमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने वाले विभिन्न सिद्धांत शामिल हैं, जैसे समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39D) और ग्राम पंचायतों का गठन (अनुच्छेद 40)।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है। भाग VI राज्यों की कार्यपालिका, विधानमंडल और उच्च न्यायालयों से संबंधित है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन संसद के एक सचेतक (Whip) के कर्तव्यों में शामिल नहीं है?

  1. अपने दल के सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए निर्देश देना।
  2. अपने दल के सदस्यों को किसी विधेयक या मुद्दे पर मतदान के लिए एक निश्चित दिशा-निर्देश देना।
  3. सदन के अंदर विपक्षी दलों के साथ समन्वय करना।
  4. दल के सदस्यों के अनुशासन और व्यवहार को सुनिश्चित करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: संसद के सचेतक का मुख्य कार्य अपने दल के सदस्यों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने, मतदान करने और दल की रणनीति का पालन करने के लिए निर्देशित करना होता है। वे दल के सदस्यों के अनुशासन को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं (विकल्प ‘क’, ‘ख’, और ‘घ’ सचेतक के कर्तव्य हैं)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सचेतक अपने दल के सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने (बैठक का व्हिप जारी करना), किसी विशेष विधेयक के पक्ष या विपक्ष में मतदान करने (वोट व्हिप), या अनुपस्थित रहने (पे पर्चे व्हिप) के लिए निर्देश देते हैं। वे दल के सदस्यों के आचरण पर भी नजर रखते हैं।
  • गलत विकल्प: विपक्षी दलों के साथ समन्वय करना सचेतक का प्राथमिक कर्तव्य नहीं है; यह कार्य मुख्य रूप से संसदीय मामलों के मंत्रियों या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया जाता है। सचेतक का ध्यान दल के भीतर अनुशासन और सामंजस्य बनाए रखने पर होता है।

प्रश्न 7: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
  3. CAG अपने पद से उसी रीति और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है जिस रीति और आधारों पर सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश हटाया जाता है।
  4. CAG भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों द्वारा किए गए खर्चों का ऑडिट नहीं करता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 148)। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो (अनुच्छेद 148(3))। CAG को केवल संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर ही हटाया जा सकता है, उसी प्रक्रिया से जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाया जाता है (अनुच्छेद 148(1))।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के खातों का भी ऑडिट करता है। यह संघ के खातों से संबंधित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसे संसद के पटल पर रखा जाता है (अनुच्छेद 151(1))। इसी प्रकार, यह राज्यों के खातों से संबंधित अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत करता है (अनुच्छेद 151(2))।
  • गलत विकल्प: CAG भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य संस्थाओं के वित्तीय सौदों का भी ऑडिट करता है। इसलिए, कथन (d) गलत है।

प्रश्न 8: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992, जिसने भाग IX को जोड़ा और संविधान में एक नई ग्यारहवीं अनुसूची शामिल की, ने भारत में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायती राज को स्व-शासन की एक प्रणाली के रूप में स्थापित किया, जिसमें ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायतों की त्रि-स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई। इसने पंचायती राज संस्थाओं को 29 विषय भी हस्तांतरित किए।
  • गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992, शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 64वाँ और 65वाँ संशोधन प्रस्ताव क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं के लिए लाए गए थे, लेकिन वे पारित नहीं हो सके थे।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से किसे ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया गया है?

  1. संसद और राज्य विधानमंडल
  2. सभी स्थानीय प्राधिकारी या अन्य प्राधिकारी
  3. (a) और (b) दोनों
  4. केवल संघ और राज्य सरकारें

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इसके अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह परिभाषा विशेष रूप से मौलिक अधिकारों (भाग III) के संबंध में महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौलिक अधिकारों को राज्य के कार्यों के विरुद्ध गारंटी दी जाती है। ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में की है, जिसमें सरकारी निकाय, सार्वजनिक उपक्रम आदि शामिल हो सकते हैं यदि वे सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) दोनों को मिलाकर अनुच्छेद 12 की पूर्ण परिभाषा बनती है, इसलिए (c) सही है। केवल संघ और राज्य सरकारों को शामिल करना अपूर्ण है।

प्रश्न 10: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के लिए निम्नलिखित में से कौन सी अहर्ता आवश्यक है?

  1. भारत का सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश।
  2. भारत का सेवानिवृत्त उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश।
  3. मानवाधिकारों के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कोई व्यक्ति।
  4. (a) और (b) दोनों

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2(1)(d) के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष वही व्यक्ति बन सकता है जो या तो भारत का सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश हो, या भारत का सेवानिवृत्त उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो (विकल्प ‘a’ और ‘b’ दोनों)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अध्यक्ष के अलावा, आयोग में सदस्यों का भी प्रावधान है, जिनमें से एक मानवाधिकारों के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाला या ख्याति प्राप्त व्यक्ति हो सकता है (विकल्प ‘c’ सदस्यों के लिए प्रासंगिक है, लेकिन अध्यक्ष के लिए नहीं)। आयोग यह सुनिश्चित करता है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो और पीड़ितों को न्याय मिले।
  • गलत विकल्प: अध्यक्ष के लिए केवल सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश या सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश होना आवश्यक है। मानवाधिकार क्षेत्र का विशेषज्ञ सदस्य हो सकता है, लेकिन अध्यक्ष नहीं।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का उल्लेख है?

  1. अनुच्छेद 105
  2. अनुच्छेद 194
  3. अनुच्छेद 106
  4. (a) और (b) दोनों

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 194 राज्यों के विधानमंडलों और उनके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद या विधानमंडल के सुचारू और प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक हैं। इनमें बोलने की स्वतंत्रता, विधायी कार्यवाही के संबंध में स्वतंत्रता, और कुछ मामलों में गिरफ्तारी से छूट शामिल हो सकती है। हालांकि, ये विशेषाधिकार निरपेक्ष नहीं हैं और संविधान और विधानमंडल के नियमों के अधीन हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन और भत्तों से संबंधित है। इसलिए, केवल (a) या (b) का उल्लेख करना अपूर्ण है, जबकि (d) दोनों सदनों के विशेषाधिकारों को सही ढंग से दर्शाता है।

प्रश्न 12: आपातकालीन प्रावधानों के तहत, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा कर सकते हैं यदि…

  1. बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की आशंका हो।
  2. राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की आशंका हो।
  3. वित्तीय आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई हो।
  4. (a) और (b) दोनों

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा केवल ‘युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह’ के आधार पर कर सकते हैं। 44वें संशोधन के बाद, ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द को जोड़ा गया। ‘आशंका’ शब्द को भी हटा दिया गया था, अब यह युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर ही लागू होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। राष्ट्रीय आपातकाल के तहत, कुछ मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं (अनुच्छेद 358 और 359)।
  • गलत विकल्प: राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (b) राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) का आधार है, राष्ट्रीय आपातकाल का नहीं। वित्तीय आपातकाल (c) अनुच्छेद 360 के अंतर्गत आता है। इसलिए, केवल (a) राष्ट्रीय आपातकाल का आधार है।

प्रश्न 13: भारत में ‘संविधान की सर्वोच्चता’ का सिद्धांत…

  1. प्रत्यक्ष रूप से संविधान के किसी अनुच्छेद में उल्लिखित है।
  2. सुप्रीम कोर्ट के केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित किया गया।
  3. अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
  4. केवल संसद को संविधान में संशोधन करने की असीमित शक्ति देता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: यद्यपि ‘संविधान की सर्वोच्चता’ शब्द का प्रयोग सीधे तौर पर संविधान में नहीं किया गया है, सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में अपने ऐतिहासिक निर्णय में इसे भारतीय संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) का एक अभिन्न अंग घोषित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होना चाहिए। संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन उन संशोधनों से संविधान की मूल संरचना में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि यह सिद्धांत सीधे तौर पर उल्लिखित नहीं है। (c) गलत है क्योंकि मूल संरचना सिद्धांत के कारण अनुच्छेद 368 द्वारा संविधान की सर्वोच्चता को समाप्त नहीं किया जा सकता। (d) गलत है क्योंकि अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन शक्ति असीमित नहीं है।

प्रश्न 14: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
  3. उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे मत नहीं दे सकते।
  4. वे किसी भी न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्य कर सकते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं (अनुच्छेद 76(2))। अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों, उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति, जिसमें वे सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए हों, में बोलने और अन्य कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे मत देने का अधिकार नहीं रखते।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी का यह कर्तव्य है कि वे विधि संबंधी उन विषयों पर भारत सरकार को सलाह दें और उन विधिक स्वरूप के अन्य कार्यों को करें जो राष्ट्रपति द्वारा सौंपे जाएँ।
  • गलत विकल्प: महान्यायवादी भारत के किसी भी न्यायालय में वकालत कर सकते हैं, लेकिन वे किसी भी भारतीय अदालत में किसी भी पक्ष का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते, सिवाय उस सरकार के जिसके लिए वे नियुक्त किए गए हैं। वे किसी भी कंपनी या निगम के निदेशक नहीं हो सकते, या सरकार की अनुमति के बिना निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते। सबसे महत्वपूर्ण बात, वे किसी भी न्यायालय में *वरिष्ठ अधिवक्ता* के रूप में किसी पक्ष की पैरवी नहीं कर सकते। यह एक सामान्य भ्रम है, क्योंकि वे किसी भी न्यायालय में *पेश* हो सकते हैं, पर “वरिष्ठ अधिवक्ता” के रूप में केस नहीं लड़ सकते।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 20
  2. अनुच्छेद 21
  3. अनुच्छेद 22
  4. अनुच्छेद 19

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि ‘किसी भी व्यक्ति को विधि की उचित प्रक्रिया द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।’
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 21 को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक अर्थ दिया है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार, निजता का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार आदि शामिल हैं। यह सबसे व्यापक और महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 22 कुछ मामलों में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे कुछ अधिकारों की गारंटी देता है।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. यूनाइटेड किंगडम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान में समवर्ती सूची (Concurrent List) की अवधारणा ऑस्ट्रेलिया के संविधान से ली गई है। समवर्ती सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन यदि दोनों के कानूनों में टकराव होता है, तो केंद्र सरकार का कानून मान्य होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के माध्यम से शक्तियों का विभाजन किया गया है, जो कि एक संघीय व्यवस्था की विशेषता है। समवर्ती सूची संघवाद में लचीलापन लाती है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ और ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ की अवधारणाएं ली गई हैं। कनाडा से ‘अर्ध-संघात्मक’ (quasi-federal) व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना लिया गया है। यूनाइटेड किंगडम से संसदीय शासन प्रणाली, विधि का शासन आदि ली गई हैं।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
  3. विधान परिषदों के सदस्य
  4. (a) और (b) दोनों

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में केवल संसद के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) शामिल होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है, के चुनाव में राज्य विधानमंडलों के सदस्य (चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत) भाग नहीं लेते हैं।
  • गलत विकल्प: लोकसभा के निर्वाचित सदस्य (a) और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य (b) दोनों उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। इसलिए, विकल्प (c) सही है क्योंकि विधान परिषदों के सदस्य (चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत) इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होते हैं।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन ‘क्षेत्रीय परिषदों’ (Regional Councils) के गठन का प्रावधान करता है?

  1. कोई भी संवैधानिक संशोधन सीधे तौर पर नहीं।
  2. 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  4. संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान के मूल पाठ में सीधे तौर पर ‘क्षेत्रीय परिषदों’ के गठन का कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है, जैसा कि पंचायती राज (भाग IX) या नगर पालिकाओं (भाग IX-A) के लिए है। हालाँकि, क्षेत्रीय परिषदों का गठन राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत किया गया था, जो एक विधायी कार्य था, न कि सीधे संवैधानिक संशोधन।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये परिषदें भारत के पांच क्षेत्रों (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी) में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई थीं। इनका उद्देश्य क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना और आर्थिक तथा सामाजिक योजना में मदद करना है।
  • गलत विकल्प: 73वाँ और 74वाँ संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं से संबंधित हैं। पहली अनुसूची राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम और उनके क्षेत्र से संबंधित है, न कि क्षेत्रीय परिषदों के गठन से।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 14, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28 सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 15 केवल नागरिकों को धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर राज्य द्वारा किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचाता है। यह विदेशियों पर लागू नहीं होता।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि में संरक्षण), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) विदेशी नागरिकों को भी उपलब्ध हैं।

प्रश्न 20: भारत का प्रधानमंत्री अपने पद पर तब तक बना रहता है जब तक उसे _____ का विश्वास प्राप्त है?

  1. राष्ट्रपति
  2. लोकसभा
  3. राज्यसभा
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। इसका तात्पर्य यह है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री तब तक अपने पद पर बने रहेंगे जब तक उन्हें लोकसभा का विश्वास प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यदि लोकसभा प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है और पूरी मंत्रिपरिषद को भी त्यागपत्र देना पड़ता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त तो करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री का कार्यकाल लोकसभा के विश्वास पर निर्भर करता है, न कि राष्ट्रपति की इच्छा पर।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण नहीं करते, बल्कि लोकसभा के विश्वास पर। राज्यसभा का विश्वास अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन प्रत्यक्ष संवैधानिक आधार लोकसभा का विश्वास है। सर्वोच्च न्यायालय का कोई सीधा संबंध कार्यकाल की निरंतरता से नहीं है।

प्रश्न 21: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कितने वर्षों के लिए की जाती है?

  1. 5 वर्ष
  2. 6 वर्ष
  3. 7 वर्ष
  4. राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वे 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं (अनुच्छेद 316(2))।
  • संदर्भ एवं विस्तार: UPSC भारतीय संविधान द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र और निष्पक्ष निकाय है, जो केंद्र सरकार के लिए अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं और केंद्रीय संवर्ग सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है।
  • गलत विकल्प: UPSC सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। 5 वर्ष का कार्यकाल कुछ अन्य निकायों के लिए हो सकता है। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण नहीं करते, बल्कि निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किए जाते हैं।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य सूची का विषय है?

  1. जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन
  2. वन
  3. पुलिस
  4. वनस्पति एवं पशु संरक्षण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विषयों का बंटवारा किया गया है। ‘पुलिस’ राज्य सूची का विषय है, जिसका अर्थ है कि इस पर कानून बनाने का अधिकार मुख्य रूप से राज्य सरकारों को है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पुलिस व्यवस्था राज्य का महत्वपूर्ण कार्य है, जिसमें कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराधों की रोकथाम और जांच शामिल है।
  • गलत विकल्प: ‘जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन’, ‘वन’, और ‘वनस्पति एवं पशु संरक्षण’ समवर्ती सूची (Concurrent List) के विषय हैं (प्रविष्टि 17, 17A, 17B सातवीं अनुसूची की)।

प्रश्न 23: संविधान के किस संशोधन ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द को ‘संप्रभुता-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ के रूप में पुनर्गठित किया?

  1. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 97वाँ संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है, ने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े। इसने ‘संप्रभुता-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ को बदलकर ‘संप्रभुता-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ कर दिया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन भारतीय गणराज्य के स्वरूप और उसके उद्देश्यों को स्पष्ट करने के लिए किया गया था। हालाँकि, ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द प्रस्तावना में पहले से मौजूद था, लेकिन ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों के साथ इसके संयोजन को 42वें संशोधन द्वारा परिभाषित किया गया। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक हो सकती है, लेकिन 42वें संशोधन ने ही वर्तमान स्वरूप को स्थापित किया।
  • गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार और मौलिक अधिकारों से संबंधित महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। 52वाँ संशोधन (1985) दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। 97वाँ संशोधन (2011) सहकारी समितियों से संबंधित है।

प्रश्न 24: किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का अंग है?

  1. बेरूबारी यूनियन मामला (1960)
  2. केशवानंद भारती मामला (1973)
  3. गोलकनाथ मामला (1967)
  4. मेनका गांधी मामला (1978)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अंग है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति पर बुनियादी संरचना के सिद्धांत के माध्यम से कुछ सीमाएं लगाईं। इससे पहले, बेरूबारी यूनियन मामले (1960) में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है। गोलकनाथ मामले (1967) में, अदालत ने माना कि मौलिक अधिकार अपरिवर्तनीय हैं, जिसे बाद में 24वें संशोधन द्वारा बदला गया। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या का विस्तार किया।
  • गलत विकल्प: बेरूबारी मामले में प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना गया था। गोलकनाथ मामले में मौलिक अधिकारों की अपरिवर्तनीयता को स्थापित किया गया था। मेनका गांधी मामले ने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का दायरा बढ़ाया।

प्रश्न 25: यदि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है, तो अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति _____ को लागू कर सकते हैं?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल
  2. वित्तीय आपातकाल
  3. राज्य में राष्ट्रपति शासन
  4. संसद का विशेष सत्र

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356, जिसे अक्सर ‘राष्ट्रपति शासन’ कहा जाता है, किसी राज्य में राज्य सरकार के संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में लागू किया जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जब किसी राज्य का राज्यपाल रिपोर्ट करता है कि राज्य की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चल सकती है, या राष्ट्रपति को स्वयं यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, तो वे अनुच्छेद 356 के तहत उद्घोषणा जारी कर सकते हैं। इस उद्घोषणा के तहत, राष्ट्रपति राज्य की सरकार के अधिकांश कार्य अपने हाथ में ले सकते हैं या उन्हें किसी अन्य प्राधिकरण को सौंप सकते हैं, और घोषणा कर सकते हैं कि राज्य विधानमंडल की शक्तियां संसद द्वारा या उसके प्राधिकार के तहत प्रयोग की जाएंगी।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 के तहत, और वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 के तहत लागू होता है। राष्ट्रपति शासन का सीधा संबंध किसी संवैधानिक तंत्र की विफलता से है। संसद का विशेष सत्र किसी विशेष उद्देश्य के लिए बुलाया जा सकता है, न कि आपातकाल लागू करने के लिए।

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