संविधान की परख: आज का महा-क्विज
भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना हर आकांक्षी के लिए महत्वपूर्ण है! क्या आपकी राजव्यवस्था की अवधारणाएं स्पष्ट हैं? आइए, आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और संविधान के प्रति अपनी पकड़ को मजबूत करें। तैयार हो जाइए ज्ञान की इस रोमांचक यात्रा के लिए!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इसी अधिनियम द्वारा ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द को भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन मिनी-संविधान के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना सहित संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इसका उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में परिभाषित करना था।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन (1985) ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा (10वीं अनुसूची)। 73वें संशोधन (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने से रोकने के लिए जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) का शाब्दिक अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी भी व्यक्ति को, जिसे गिरफ्तार किया गया है या हिरासत में रखा गया है, उसे अदालत के सामने पेश करने का आदेश देती है, ताकि अदालत उसकी रिहाई का आदेश दे सके यदि हिरासत अवैध हो। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 32 और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह राज्य या निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी जारी की जा सकती है।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ का अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’ और यह किसी लोक प्राधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश देती है। ‘उत्प्रेषण’ किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। ‘प्रतिषेध’ किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किस विधि द्वारा किया जाता है?
- प्रत्यक्ष मतदान
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली
- संसदीय प्रणाली
- सरल बहुमति प्रणाली
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव, अनुच्छेद 55 के अनुसार, ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली’ (System of Proportional Representation by means of Single Transferable Vote) के अनुसार किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली में, मतदाता अपनी वरीयता के क्रम में उम्मीदवारों को वोट देते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का चुनाव एक पूर्ण बहुमत वाले उम्मीदवार द्वारा जीता जाए, न कि केवल सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले द्वारा। इस चुनाव में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्ष मतदान वह प्रक्रिया है जहाँ नागरिक सीधे अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। संसदीय प्रणाली सरकार का एक स्वरूप है, चुनाव की विधि नहीं। सरल बहुमति प्रणाली में, जो उम्मीदवार सबसे अधिक मत प्राप्त करता है, वह जीत जाता है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य का एक संवैधानिक अंग नहीं है?
- संसद
- मंत्रिपरिषद
- सर्वोच्च न्यायालय
- नीति आयोग
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का संविधान संसद (अनुच्छेद 79), मंत्रिपरिषद (अनुच्छेद 74), और सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 124) जैसे निकायों की स्थापना और उनके कार्यों का प्रावधान करता है। नीति आयोग, हालांकि सरकार का एक प्रमुख थिंक टैंक है, लेकिन यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग की स्थापना 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी। यह भारत सरकार का एक नीतिगत थिंक टैंक है, जो ‘सहकारी संघवाद’ (Cooperative Federalism) की भावना को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करता है। इसका उल्लेख संविधान में नहीं है।
- गलत विकल्प: संसद, मंत्रिपरिषद और सर्वोच्च न्यायालय तीनों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उल्लेख संविधान में है और ये संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज से संबंधित है?
- भाग IV-A
- भाग IX
- भाग VII
- भाग XI
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जो 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, पंचायती राज संस्थाओं (PRI) से संबंधित है। इसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस भाग ने देश भर में पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे उन्हें अधिक स्वायत्तता और स्थिरता मिली। यह स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51-A) हैं। भाग VII में राज्यों के लिए पहली अनुसूची के भाग B में वर्णित राज्य थे, जिसे 7वें संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। भाग XI संघ और राज्यों के बीच विधायी और प्रशासनिक संबंधों से संबंधित है।
प्रश्न 6: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) भारतीय संविधान के किस भाग में शामिल हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy – DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये वे सिद्धांत हैं जिन्हें देश का शासन चलाने में सरकार के लिए मार्गदर्शक के रूप में देखा जाना चाहिए। यद्यपि ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), वे देश के शासन में मौलिक हैं और कानून बनाने में राज्य का कर्तव्य है कि वे इन सिद्धांतों को लागू करें। इन्हें आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है। भाग VI राज्यों की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 7: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा, युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में, या ऐसी आशंका होने पर, राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के तहत की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य में आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 का संबंध उन राज्यों से है जो संघ के निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के बारे में सत्य नहीं है?
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
- CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
- CAG भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय/विभाग द्वारा किए गए खर्चों की जांच नहीं कर सकता।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है। CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है, जिससे यह संसद की वोटिंग के अधीन नहीं होता। CAG भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों सहित सभी सरकारी खर्चों की लेखा-परीक्षा करता है। इसलिए, कथन (d) असत्य है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक है और उसकी रिपोर्ट संसद के समक्ष रखी जाती है, जो लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा जाँची जाती है।
- गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (c) CAG की नियुक्ति, कार्यकाल और वेतन से संबंधित सही जानकारी देते हैं। कथन (d) गलत है क्योंकि CAG भारत सरकार के व्यय की जांच करने के लिए पूरी तरह अधिकृत है।
प्रश्न 9: भारत में दल-बदल के आधार पर संसद और राज्यों के विधानमंडलों के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान किस अनुसूची में है?
- पांचवीं अनुसूची
- छठी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में दल-बदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान संविधान की दसवीं अनुसूची में हैं, जिसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य विधायकों को एक राजनीतिक दल से दूसरे दल में शामिल होने से रोकना है, जिससे राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। इसमें दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं।
- गलत विकल्प: पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के रूप में शक्तियों के वितरण से संबंधित है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?
- ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक पीठ ने निर्णय दिया कि संसद के पास संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वह ‘संविधान की मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाया और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता और लचीलेपन के बीच संतुलन बनाए रखा। मूल संरचना में प्रस्तावना, न्यायिक समीक्षा, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता, मौलिक अधिकारों के कुछ पहलू आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ए.के. गोपालन मामले (1950) में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निवारक निरोध पर चर्चा हुई। शंकरी प्रसाद मामले (1951) में कहा गया कि संसद मौलिक अधिकारों को भी संशोधित कर सकती है। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया।
प्रश्न 11: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) का पद किस अनुच्छेद के तहत सृजित किया गया है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद का प्रावधान है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सभी सार्वजनिक राजस्व और व्यय का लेखा-परीक्षण करता है और उसकी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाती है। यह एक स्वतंत्र प्राधिकरण है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से संबंधित है। अनुच्छेद 151 CAG की रिपोर्ट से संबंधित है।
प्रश्न 12: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- वह राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
- वह केवल सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
- उसे वोट देने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन वह संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (AG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है, और वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है। AG भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। वह संसद का सदस्य नहीं होता, इसलिए उसे वोट देने का अधिकार नहीं है, हालांकि वह किसी भी सदन या उसकी समितियों की कार्यवाही में भाग ले सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: AG की नियुक्ति के लिए वही योग्यताएं होनी चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक होती हैं।
- गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि AG भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। कथन (c) गलत है क्योंकि AG संसद का सदस्य न होने के कारण वोट नहीं दे सकता। चूंकि (b) और (c) गलत हैं, इसलिए (d) भी गलत है।
प्रश्न 13: भारत में ‘सर्वोच्च न्यायालय’ का गठन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 124
- अनुच्छेद 141
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 145
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना, गठन और उसके न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण है। यह संविधान का संरक्षक है और अपीलीय क्षेत्राधिकार, मूल क्षेत्राधिकार और सलाहकारी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 141 बताता है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के क्षेत्र के भीतर सभी अदालतों पर बाध्यकारी होगा। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 145 सर्वोच्च न्यायालय की प्रक्रिया और नियम से संबंधित है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘राज्य के नीति निदेशक तत्वों’ (DPSP) में शामिल है, लेकिन ‘मौलिक अधिकारों’ में नहीं?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार’ (अनुच्छेद 48-A) राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है। मौलिक अधिकार, जैसे समानता (अनुच्छेद 14), स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), और शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), भाग III में विस्तृत रूप से वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। यद्यपि पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है, इसे सीधे तौर पर किसी एक मौलिक अधिकार के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है, हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 21) के तहत इसे शामिल किया है।
- गलत विकल्प: समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), और शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) सभी मौलिक अधिकार हैं।
प्रश्न 15: भारत में ‘संघवाद’ (Federalism) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषताएं भारत को एक ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-Federal) राज्य बनाती हैं?
- शक्ति का विभाजन
- लिखित संविधान
- एकल नागरिकता
- सर्वोच्च न्यायालय की प्रधानता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान में शक्ति का विभाजन (सातवीं अनुसूची), एक लिखित संविधान, और सर्वोच्च न्यायालय की प्रधानता जैसी विशेषताएं संघीय राज्य की प्रमुख पहचान हैं। हालांकि, एकल नागरिकता (अनुच्छेद 9(1)) और एक मजबूत केंद्र जैसी विशेषताएं भारत को पारंपरिक संघवाद से अलग करती हैं और इसे ‘अर्ध-संघीय’ या ‘सहयोगी संघवाद’ (Cooperative Federalism) की श्रेणी में रखती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जहाँ एक ओर संविधान केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति के विभाजन का प्रावधान करता है, वहीं दूसरी ओर यह केंद्र को अधिक सशक्त बनाता है, जिससे यह पूर्ण रूप से संघीय नहीं रह जाता।
- गलत विकल्प: शक्ति का विभाजन, लिखित संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की प्रधानता संघीय व्यवस्था की विशेषताएं हैं, जो भारत में भी मौजूद हैं। एकल नागरिकता, भारत में मजबूत केंद्र की ओर इशारा करती है, जो इसे अर्ध-संघीय बनाती है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन भारत की ‘आकस्मिकता निधि’ (Contingency Fund of India) के संरक्षक होते हैं?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के वित्त मंत्री
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की आकस्मिकता निधि, जो राष्ट्रपति के नियंत्रण में होती है, अनुच्छेद 267(1) के तहत स्थापित की गई है। इस निधि से धन निकालने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है, जो अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संसद इस निधि में एक निश्चित राशि जमा करती है। यह निधि किसी भी अप्रत्याशित व्यय, जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं के लिए तत्काल धन उपलब्ध कराने हेतु महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: वित्त मंत्री, CAG और RBI गवर्नर महत्वपूर्ण वित्तीय प्राधिकारी हैं, लेकिन आकस्मिकता निधि का संरक्षक केवल राष्ट्रपति ही होता है।
प्रश्न 17: ‘सांसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) से संबंधित कौन सा अनुच्छेद है?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 118
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद के सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद के सदस्यों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभावी ढंग से करने में सक्षम बनाते हैं, बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप या भय के। इसमें भाषण की स्वतंत्रता, किसी भी विधायी कार्यवाही के संबंध में गिरफ्तारी से मुक्ति आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 118 अपनी प्रक्रियाओं के लिए नियमों से संबंधित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘संवैधानिक संस्था’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संवैधानिक संस्थाएं हैं क्योंकि इनका उल्लेख सीधे संविधान में है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की स्थापना संसद के एक अधिनियम, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत की गई थी, इसलिए यह एक सांविधिक संस्था (Statutory Body) है, संवैधानिक नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक संस्थाओं को संविधान से शक्ति प्राप्त होती है, जबकि सांविधिक संस्थाओं को संसद के अधिनियम द्वारा बनाया जाता है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, UPSC और वित्त आयोग तीनों संवैधानिक निकाय हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग एक सांविधिक निकाय है।
प्रश्न 19: आपातकाल के दौरान, निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार निलंबित नहीं किए जा सकते?
- अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)
- अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार)
- अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता)
- अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 को अनुच्छेद 358 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर) के दौरान स्वचालित रूप से निलंबित किया जा सकता है, लेकिन अनुच्छेद 359 के तहत राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित कर सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 को कुछ परिस्थितियों में निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 21 को निलंबित नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह निलंबित नहीं होता (यहाँ प्रश्न “निलंबित नहीं किए जा सकते” पूछ रहा है)। अनुच्छेद 14 भी 359 के तहत निलंबित हो सकता है। अनुच्छेद 20 और 21 निश्चित रूप से निलंबित नहीं किए जा सकते। इसलिए, अनुच्छेद 20 वह विकल्प है जो इस श्रेणी में आता है।
प्रश्न 20: भारत के राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति किस अनुच्छेद में वर्णित है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 78
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को क्षमादान (pardon), दंडादेश का प्रविलंबन (reprieve), विराम (respit) या परिहार (remission) करने की अथवा दंडादेश के निलंबन (suspension), लघुकरण (commutation) या समाधान (remission) की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को कुछ मानवीय आधारों पर दी गई है, जो क्षमादान की शक्ति के प्रयोग से मृत्युदंड को भी माफ कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद से संबंधित है। अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 78 राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।
प्रश्न 21: ‘लोक सेवा आयोग’ (Public Service Commissions) के बारे में प्रावधान भारतीय संविधान के किस भाग में है?
- भाग XIV
- भाग XIII
- भाग XII
- भाग XI
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XIV, ‘राज्यों के अधीन सेवाएं’ (Services Under the Union and the States) का प्रावधान करता है, जिसमें अनुच्छेद 315 से 323 तक लोक सेवा आयोगों (संघ लोक सेवा आयोग – UPSC और राज्य लोक सेवा आयोग – SPSC) की स्थापना, उनके कार्य, सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन आदि से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC और SPSC निष्पक्ष भर्ती सुनिश्चित करने और सरकारी सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए जिम्मेदार हैं।
- गलत विकल्प: भाग XIII में भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (Trade, Commerce and Intercourse within the territory of India) से संबंधित है। भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद (Finance, Property, Contracts and Suits) से संबंधित है। भाग XI संघ और राज्यों के बीच विधायी और प्रशासनिक संबंध (Legislative and Administrative Relations between the Union and the States) से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा देश के सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा?
- राज्य के नीति निदेशक तत्व
- मौलिक कर्तव्य
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून
- राष्ट्रपति का कोई भी आदेश
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 141 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत ‘न्यायिक पूर्वोदाहण’ (Judicial Precedent) या ‘स्टेयर डेसिसिस’ (Stare Decisis) का आधार बनता है, जो भारतीय न्याय प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
- गलत विकल्प: राज्य के नीति निदेशक तत्व न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। मौलिक कर्तव्य नागरिकों के लिए हैं, न्यायालयों पर बाध्यकारी कानून नहीं। राष्ट्रपति का आदेश एक प्रशासनिक या कार्यकारी आदेश हो सकता है, लेकिन यह सीधे तौर पर सभी न्यायालयों पर कानून की तरह बाध्यकारी नहीं होता, जब तक कि यह किसी कानून के तहत न हो।
प्रश्न 23: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के तहत, संसद के सत्र के दौरान सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, सिवाय किस स्थिति के?
- फौजदारी अपराध
- आपराधिक मामले
- लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए निवारक निरोध
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 के तहत, संसद के सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिसमें सत्र के दौरान गिरफ्तारी से सुरक्षा भी शामिल है। यह सुरक्षा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले से लेकर सत्र समाप्त होने के 40 दिन बाद तक लागू रहती है। हालांकि, यह विशेषाधिकार फौजदारी अपराधों (Civil Offences) के मामले में लागू नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: इस विशेषाधिकार का उद्देश्य सदस्यों को सत्र के दौरान उपस्थित रहने में सक्षम बनाना है, न कि उन्हें आपराधिक गतिविधियों से बचाना। इसलिए, यदि कोई सदस्य फौजदारी अपराध (जैसे दीवानी मामले, ऋण आदि) में शामिल पाया जाता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि, आपराधिक मामलों (Criminal Offences) में, सामान्य तौर पर, संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है, लेकिन निवारक निरोध (Preventive Detention) के मामलों में विशेषाधिकार लागू होता है। प्रश्न थोड़ा भ्रामक है, लेकिन ‘फौजदारी अपराध’ (Civil Offence) सबसे सटीक उत्तर है जहाँ विशेषाधिकार लागू नहीं होता।
- गलत विकल्प: आम तौर पर, आपराधिक मामलों में भी गिरफ्तारी के लिए प्रक्रिया का पालन करना होता है, लेकिन फौजदारी अपराध में विशेषाधिकार पूरी तरह समाप्त हो जाता है। इसलिए, ‘उपरोक्त सभी’ भी सही नहीं होगा।
प्रश्न 24: भारत में ‘केंद्र-राज्य संबंध’ (Centre-State Relations) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘विधायी’ (Legislative) व्यवस्था है?
- राज्यों के लिए एक समान नागरिक संहिता (UCC)
- राज्यों के लिए एक समान आपराधिक प्रक्रिया
- राज्यों द्वारा करों का विभाजन
- सभी राज्यों के लिए एक समान लोक सेवा आयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 254 के अनुसार, यदि किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित कोई विधि, संघ सूची के किसी विषय के संबंध में संसद द्वारा पारित किसी विधि के साथ या उसके द्वारा संशोधित किसी विधि के साथ असंगत है, तो जहां तक यह असंगति का संबंध है, संसद की विधि प्रभावी होगी। लेकिन, यदि राज्य की विधि राष्ट्रपति की सम्मति प्राप्त कर लेती है, तो वह राज्य में प्रभावी हो सकती है। हालांकि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत, **आपराधिक विधि** (Criminal Law) और **सिविल प्रक्रिया** (Civil Procedure) जैसे कुछ विषय समवर्ती सूची में हैं, और इन पर राज्य कानून बना सकते हैं। इसके विपरीत, **आपराधिक प्रक्रिया** (Criminal Procedure) एक समान है।
- संदर्भ और विस्तार: केंद्र-राज्य संबंधों के विधायी पहलू में शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची), और विभिन्न विषयों पर कानून बनाने की शक्ति का निर्धारण शामिल है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) पूरे भारत के लिए एक समान है, जो विधायी समरूपता का एक उदाहरण है।
- गलत विकल्प: एक समान नागरिक संहिता (UCC) अनुच्छेद 44 में DPSP में उल्लिखित है, लेकिन यह अभी तक पूरे भारत में लागू नहीं हुई है। करों का विभाजन वित्तीय संबंध का हिस्सा है (अनुच्छेद 280)। एक समान लोक सेवा आयोग (UPSC) केवल संघ के लिए है, राज्यों के अपने आयोग (SPSC) होते हैं।
प्रश्न 25: ‘दल-बदल विरोधी कानून’ (Anti-Defection Law) के तहत, यदि कोई सदस्य अपने दल के व्हिप (Whip) के विरुद्ध मतदान करता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है:
- यदि वह स्वेच्छा से दल का त्याग कर दे।
- यदि वह व्हिप की अवहेलना करे और उक्त मतदान में भाग न ले।
- यदि वह व्हिप की अवहेलना करके मतदान करे।
- यदि उपरोक्त (a) और (c) दोनों सत्य हों।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दसवीं अनुसूची के पैरा 2(1)(b) के अनुसार, कोई भी सदस्य अपने राजनीतिक दल की सदस्यता से स्वेच्छा से इस्तीफा दे दे, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है। साथ ही, यदि वह दल के व्हिप द्वारा जारी निर्देश का उल्लंघन करता है और उस मतदान या चर्चा में भाग नहीं लेता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है, बशर्ते कि उस सदस्य को मतदान या चर्चा से 15 दिन के भीतर दल द्वारा क्षमा न किया गया हो। इसी तरह, यदि वह व्हिप के विरुद्ध मतदान करता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: दल-बदल विरोधी कानून का उद्देश्य विधायकों को दल बदलने से रोकना है, लेकिन यह उन्हें दल के आंतरिक अनुशासन का पालन करने के लिए भी बाध्य करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) दोनों ही दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के आधार हैं। इसलिए, (d) दोनों को मिलाकर सबसे सटीक उत्तर है। (b) भी एक आधार है, लेकिन इसमें क्षमा का पहलू भी जुड़ जाता है, जो सीधे तौर पर अयोग्यता का कारण नहीं बनता जब तक कि क्षमा न मिले। प्रश्न सीधे तौर पर अयोग्यता के आधार पूछ रहा है।