संविधान की परख: अपनी राजव्यवस्था समझ को निखारें
नमस्कार, भावी आईएएस और पीसीएस अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के स्तंभों को मज़बूती से समझना आज की आवश्यकता है। अपनी राजव्यवस्था की अवधारणाओं को परखें और परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें। प्रस्तुत है भारतीय पॉलिटी का एक अनूठा दैनिक अभ्यास सत्र, जो आपकी सफलता की राह को और प्रशस्त करेगा!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: संविधान सभा में ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ का मसौदा किसने तैयार किया था, जिसे बाद में भारत के संविधान की प्रस्तावना के रूप में अपनाया गया?
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- जवाहरलाल नेहरू
- सी. राजगोपालाचारी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उद्देश्य प्रस्ताव को 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस प्रस्ताव ने संविधान के मूल आदर्शों और दर्शन को रेखांकित किया, जो अंततः प्रस्तावना का आधार बना।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रस्ताव सभा को यह बताता था कि उसका उद्देश्य क्या है, वह क्या हासिल करना चाहती है, और वह किस प्रकार का संविधान बनाने जा रही है। इसने भारत को एक संप्रभु गणराज्य घोषित किया और नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करने की बात कही।
- गलत विकल्प: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और संविधान के मुख्य वास्तुकार थे, लेकिन उन्होंने उद्देश्य प्रस्ताव पेश नहीं किया। सरदार पटेल ने एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि सी. राजगोपालाचारी बाद में गवर्नर-जनरल बने।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुता’ (Fraternity) का आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुता’ का आदर्श, जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के साथ-साथ नागरिकों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देता है, फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों से काफी प्रभावित है।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांसीसी क्रांति के नारे ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) ने दुनिया भर के संविधानों को प्रभावित किया है। भारत ने इस महत्वपूर्ण सामाजिक भावना को अपनाया है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान स्वतंत्रता और लोकतंत्र के विचारों के लिए जाना जाता है। यूनाइटेड किंगडम की संसदीय प्रणाली ने भारत को बहुत प्रभावित किया है। कनाडा का संविधान संघीय ढांचे के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 3: मौलिक अधिकारों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- ये केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
- ये राज्य के कृत्यों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- इनको निलंबित किया जा सकता है।
- ये पूर्ण नहीं हैं और इन पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकार (भाग III) कुछ ऐसे हैं जो केवल नागरिकों को मिलते हैं (जैसे अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30), लेकिन कुछ अधिकार ऐसे भी हैं जो नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिए उपलब्ध हैं (जैसे अनुच्छेद 14, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28)। इसलिए, यह कहना कि ‘ये केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं’ गलत है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार राज्य की मनमानी शक्ति के विरुद्ध सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं (अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा)। इनमें से कुछ अधिकारों (जैसे अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) को आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है (अनुच्छेद 359)। ये अधिकार पूर्ण नहीं हैं और उचित प्रतिबंधों के अधीन हैं (जैसे अनुच्छेद 19)।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) मौलिक अधिकारों की प्रकृति के बारे में सही कथन हैं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत आने वाले स्थानीय प्राधिकारी को भी शामिल करता है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इसमें भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या न्यायपालिका द्वारा व्यापक रूप से की गई है, जिसमें वे सभी प्राधिकरण शामिल हैं जो कानून बनाने, लागू करने या किसी सार्वजनिक कार्य का निर्वहन करते हैं, चाहे उनके पास विधायी या प्रशासनिक शक्ति हो या नहीं, और वे सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन के लिए सरकारी धन पर निर्भर हों। इसमें नगरपालिकाएं, पंचायतें, बिजली बोर्ड, आदि शामिल हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता की बात करता है, और अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 5: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के संबंध में कौन सा कथन सही है?
- ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
- ये संविधान के लागू होने के समय से ही लागू थे।
- ये सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
- इन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (भाग IV) प्रकृति में गैर-न्यायिक (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि वे न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37)। इन्हें लागू करने के लिए सरकार पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP का मुख्य उद्देश्य भारत में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है, जो एक कल्याणकारी राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ये सिद्धांत देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे। ये मौलिक अधिकार की तरह ‘संविधान के लागू होने के समय से ही’ स्वतः लागू नहीं हुए, बल्कि इन्हें धीरे-धीरे विधायी उपायों द्वारा लागू किया गया। इन पर ‘प्रतिबंध’ लगाने की बात लागू नहीं होती क्योंकि ये स्वयं ही प्रवर्तनीय नहीं हैं; हाँ, इन्हें ‘लागू’ करने के लिए विधायी उपाय किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि DPSP गैर-न्यायिक हैं। (b) गलत है क्योंकि ये स्वतः लागू नहीं हुए। (d) गलत है क्योंकि ‘प्रतिबंध’ शब्द यहाँ उपयुक्त नहीं है, बल्कि ‘प्रवर्तन’ (enforceability) की कमी है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) में स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का एक अंतर्निहित भाग माना है?
- पर्यावरण संरक्षण
- जीवन यापन का अधिकार
- निःशुल्क कानूनी सहायता
- काम का अधिकार
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पर्यावरण संरक्षण का अधिकार, हालांकि अनुच्छेद 48A (DPSP) में राज्य के कर्तव्य के रूप में उल्लेखित है, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के विस्तार के रूप में स्थापित किया है (जैसे *एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ* मामले में)।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 21 को एक जीवित अधिकार (living right) माना गया है और इसमें गरिमापूर्ण जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें शामिल हैं, जिसमें स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार भी है। जीवन यापन का अधिकार (b) अनुच्छेद 21 में ही निहित है। निःशुल्क कानूनी सहायता (c) अनुच्छेद 39A (DPSP) में उल्लेखित है और इसे अनुच्छेद 21 के तहत भी मान्यता मिली है (अनुच्छेद 14 और 22(1) के साथ)। काम का अधिकार (d) भी अनुच्छेद 41 (DPSP) का हिस्सा है, जिसे कुछ संदर्भों में अनुच्छेद 21 के तहत प्रासंगिक माना गया है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 21 और DPSP से जुड़े हुए हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को अनुच्छेद 21 के तहत एक विस्तृत मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करना एक महत्वपूर्ण न्यायिक विकास रहा है, जबकि यह DPSP में राज्य के कर्तव्य के रूप में स्पष्ट है।
प्रश्न 7: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में निम्नलिखित में से कौन भाग नहीं लेता है?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य
- दिल्ली और पुडुचेरी विधान सभाओं के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं (Legislative Assemblies) के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं (अनुच्छेद 54)।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यों की विधान परिषदों (Legislative Councils) के सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली और पुडुचेरी (अब पांडिचेरी) की विधान सभाओं के सदस्यों को 70वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा शामिल किया गया था।
- गलत विकल्प: (a) और (b) सही हैं क्योंकि वे निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। (d) सही है क्योंकि दिल्ली और पुडुचेरी के विधानसभा सदस्य भी भाग लेते हैं। (c) गलत है क्योंकि विधान परिषदों के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है।
प्रश्न 8: भारत के राष्ट्रपति के पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कितने समय के भीतर कराया जाना चाहिए?
- 1 माह
- 3 माह
- 6 माह
- 12 माह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, रिक्ति को भरने के लिए चुनाव पद की रिक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर कराया जाना चाहिए (अनुच्छेद 62(2))।
- संदर्भ और विस्तार: इस चुनाव को पूरा करने के लिए एक समय-सीमा निर्धारित की गई है ताकि देश में निर्वाचित राष्ट्रपित पद खाली न रहे। छह महीने की अवधि का मतलब यह नहीं है कि चुनाव ठीक छह महीने में ही हो, बल्कि इस अवधि के भीतर चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: अन्य समय-सीमाएं (1, 3, 12 महीने) भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद में राष्ट्रपति के चुनाव की रिक्ति को भरने के लिए निर्धारित नहीं हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 75(1))।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 75(1) में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री को छोड़कर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है। व्यवहार में, राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जिसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त हो।
- गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायिक प्रमुख होते हैं, लोकसभा के अध्यक्ष सदन के कामकाज का संचालन करते हैं, और राज्यसभा के सभापति राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी होते हैं। ये तीनों प्रधानमंत्री की नियुक्ति में भूमिका नहीं निभाते।
प्रश्न 10: केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
- राष्ट्रपति
- राज्यसभा
- लोकसभा
- भारत की संसद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है (अनुच्छेद 75(3))।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि पूरी मंत्रिपरिषद को लोकसभा का विश्वास प्राप्त होना चाहिए। यदि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख होता है, लेकिन राजनीतिक रूप से मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति जवाबदेह होती है।
- गलत विकल्प: मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को उसके कार्यों के लिए जवाबदेह होती है, लेकिन सामूहिक उत्तरदायित्व केवल लोकसभा के प्रति है। राज्यसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व नहीं है, हालांकि राज्यसभा महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और चर्चाओं के माध्यम से मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण रखती है। संसद के प्रति भी प्रत्यक्ष सामूहिक उत्तरदायित्व नहीं है।
प्रश्न 11: ‘अविश्वास प्रस्ताव’ (No-Confidence Motion) की अधिकतम सीमा कितने दिन है, जिसके भीतर इस पर चर्चा और मतदान होना चाहिए, यदि यह स्वीकार कर लिया जाता है?
- 7 दिन
- 10 दिन
- 15 दिन
- 30 दिन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम, 198 (198 (1) of the Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha) के अनुसार, यदि अध्यक्ष एक अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करता है, तो उसे 10 दिनों के भीतर चर्चा और मतदान के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह नियम सुनिश्चित करता है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास की भावना को तुरंत संबोधित किया जाए और सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल तक बाधित न हो।
- गलत विकल्प: 7, 15, या 30 दिन इस नियम के तहत निर्धारित समय-सीमा नहीं हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन संसद की ‘वित्तीय समिति’ के संबंध में सही नहीं है?
- इसमें लोक लेखा समिति (PAC) और प्राक्कलन समिति (EC) शामिल हैं।
- प्राक्कलन समिति केवल लोकसभा सदस्यों से बनी होती है।
- PAC का अध्यक्ष आमतौर पर सत्ताधारी दल का होता है।
- ये समितियाँ सरकार के वित्तीय व्यय पर संसद का नियंत्रण सुनिश्चित करती हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसद की वित्तीय समितियों में मुख्य रूप से लोक लेखा समिति (PAC), प्राक्कलन समिति (EC) और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (Committee on Public Undertakings) शामिल हैं। PAC का अध्यक्ष परंपरा के अनुसार विपक्ष से होता है, जो सरकार के वित्तीय व्यय की जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्राक्कलन समिति (EC) में केवल लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं, जिन्हें हर साल आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा चुना जाता है (यह एक स्थायी समिति है)। PAC में 22 सदस्य होते हैं, जिनमें से 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से चुने जाते हैं। ये समितियाँ ‘पार्लियामेंट्री स्क्रूटनी’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और सार्वजनिक धन के सदुपयोग पर निगरानी रखती हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) सही हैं। (c) गलत है क्योंकि PAC का अध्यक्ष परंपरा के अनुसार विपक्ष से होता है, न कि सत्ताधारी दल से। (d) इन समितियों के कार्य का सही वर्णन करता है।
प्रश्न 13: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में ‘कॉलेजियम प्रणाली’ का वर्णन किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 124
- अनुच्छेद 125
- अनुच्छेद 126
- अनुच्छेद 127
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 124 (2) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित है। हालांकि इसमें ‘कॉलेजियम प्रणाली’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों (जैसे *पहला न्यायाधीश मामला (1981)*, *दूसरे न्यायाधीश मामले (1993)*, और *तीसरे न्यायाधीश मामले (1998)*) में इस प्रणाली को विकसित और परिष्कृत किया है।
- संदर्भ और विस्तार: कॉलेजियम प्रणाली में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं, जो उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की सिफारिश करते हैं। यह प्रणाली न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए विकसित की गई थी।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 125 न्यायाधीशों के वेतन आदि से संबंधित है। अनुच्छेद 126 कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और अनुच्छेद 127 तदर्थ न्यायाधीशों (ad hoc judges) की नियुक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 14: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- यह न्यायिक पुनरावलोकन के अधीन है।
- राष्ट्रपति अपनी मर्जी से किसी भी दंड को माफ कर सकता है।
- यह शक्ति राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के तहत प्राप्त है।
- यह एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को क्षमादान, लघुकरण, परिहार, विराम और प्रविलंबन की शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत प्राप्त है। यह शक्ति न्यायिक पुनरावलोकन के अधीन है, अर्थात यदि यह मनमाने ढंग से या अनुचित कारणों से प्रयोग की गई हो तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है (*शत्रुघ्न सिंह बनाम बिहार राज्य* मामला)। यह एक विशेषाधिकार है, जिसे राष्ट्रपति अपने विवेक से नहीं, बल्कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग करते हैं (हालांकि कुछ अपवाद हो सकते हैं, फिर भी यह पूरी तरह से विवेक पर आधारित नहीं है)।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का क्षमादान न्यायिक निर्णयों को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है, और यह शक्ति विवेकाधीन होने के बजाय एक संवैधानिक कर्तव्य है जिसका प्रयोग निष्पक्षता से होना चाहिए।
- गलत विकल्प: (a) और (c) सही हैं। (d) भी सही है, क्योंकि यह एक संवैधानिक विशेषाधिकार है। (b) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति यह कार्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है, न कि पूरी तरह अपनी मर्जी से।
प्रश्न 15: भारत में ‘संघवाद’ (Federalism) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय संविधान को एक ‘एकीकृत संघवाद’ (Integrated Federalism) बनाती है?
- एकल नागरिकता
- एकल न्यायपालिका
- दोनों (a) और (b)
- कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की कई विशेषताएं इसे पारंपरिक संघवाद से अलग करती हैं और इसे ‘एकीकृत संघवाद’ या ‘सहकारी संघवाद’ की ओर ले जाती हैं। एकल नागरिकता (अनुच्छेद 9) और एकल, एकीकृत न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय) (भाग V और VI) इस दिशा में महत्वपूर्ण कारक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जहाँ पारंपरिक संघवाद में प्रत्येक राज्य की अपनी अलग नागरिकता और न्यायपालिका हो सकती है, वहीं भारत में एकल नागरिकता और एक समान न्यायिक व्यवस्था केंद्र को मजबूत करती है। इसके अतिरिक्त, अखिल भारतीय सेवाएं, आपातकालीन प्रावधान, और राज्यपाल की नियुक्ति जैसी चीजें भी भारतीय संघवाद को एकात्मक झुकाव देती हैं।
- गलत विकल्प: (d) गलत है क्योंकि (a) और (b) दोनों ही भारतीय संघवाद की एकात्मक प्रवृत्तियों को दर्शाते हैं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत स्थापित एक निकाय है?
- वित्त आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- अंतर-राज्यीय परिषद
- नीति आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 263 राष्ट्रपति को अंतर-राज्यीय परिषदों (Inter-State Councils) की स्थापना का प्रावधान करने की शक्ति देता है, यदि उन्हें लगता है कि उनके बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए ऐसी परिषद का गठन आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: अंतर-राज्यीय परिषदें केंद्र-राज्य संबंधों के सामंजस्य के लिए स्थापित की जाती हैं। इनका गठन राज्यों के बीच विवादों के समाधान, सामान्य हितों के विषयों पर नीति निर्माण, और समन्वय के लिए किया जाता है। भारत में, 1990 में प्रथम अंतर-राज्यीय परिषद का गठन सरकारीया आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) संवैधानिक निकाय हैं लेकिन अनुच्छेद 263 के तहत नहीं आते। नीति आयोग एक कार्यकारी निकाय है, संवैधानिक या सांविधिक नहीं।
प्रश्न 17: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?
- उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं।
- वे संसद के दोनों सदनों में बोल सकते हैं।
- उनका कार्यकाल निश्चित होता है, जो 5 वर्ष है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (AG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 76(1))। वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं और उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है (अनुच्छेद 88), यद्यपि वे सदस्य नहीं होते और वोट नहीं दे सकते।
- संदर्भ और विस्तार: AG का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (pleasure of the President) पद धारण करते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें किसी भी समय हटाया जा सकता है। व्यवहार में, यह तब तक होता है जब तक कि मंत्रिपरिषद सत्ता में रहती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सही हैं। (d) गलत है क्योंकि उनका कार्यकाल निश्चित (5 वर्ष) नहीं होता है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय, संविधान में न होने के बावजूद, भारत में आर्थिक और सामाजिक योजना बनाने के लिए एक प्रमुख संस्थान है?
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) का गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा किया गया था। यह संविधान में उल्लिखित कोई निकाय नहीं है। इसे योजना आयोग के स्थान पर लाया गया।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग एक थिंक-टैंक और नीतिगत सुझाव देने वाली संस्था के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर आधारित सहभागी और समतावादी विकास को बढ़ावा देना है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नीति निर्माण में एक महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: RBI मौद्रिक नीति से संबंधित है, SEBI पूंजी बाजार को विनियमित करता है। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) सांविधिक निकाय थी (अब नीति आयोग के कारण उतनी प्रासंगिक नहीं रही) और पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती थी, लेकिन नीति आयोग वर्तमान में योजना और नीति निर्माण का प्रमुख संस्थान है।
प्रश्न 19: भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में मान्यता दी और उन्हें कुछ अधिकार और शक्तियाँ प्रदान कीं, जैसे कि स्थानीय आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की योजना बनाना और कार्यान्वयन करना। इसने देश भर में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की नींव रखी।
- गलत विकल्प: 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया। 64वें और 65वें संशोधन क्रमशः पंचायत और नगर पालिकाओं के लिए पहले के प्रयास थे जो पारित नहीं हुए थे।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान के किस भाग में नगर पालिकाओं (Urban Local Bodies) का प्रावधान है?
- भाग VIII
- भाग IXA
- भाग X
- भाग XI
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IXA, जो 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया, नगर पालिकाओं (जैसे नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद, नगर निगम) से संबंधित प्रावधानों को शामिल करता है। इसमें अनुच्छेद 243P से 243ZG तक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य शहरी स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियाँ और स्वायत्तता प्रदान करना, उन्हें अधिक प्रभावी बनाना और उनके लिए संवैधानिक आधार प्रदान करना था, जैसे कि पंचायती राज संस्थाओं के लिए किया गया था।
- गलत विकल्प: भाग VIII संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजाति क्षेत्रों से संबंधित है। भाग XI केंद्र और राज्यों के बीच विधायी और प्रशासनिक संबंधों से संबंधित है।
प्रश्न 21: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के तहत कर सकता है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत कर सकता है। यह आपातकाल युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा केवल ‘लिखित अनुरोध’ पर की जाती है जो संघ के मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है। पहले इसे केवल ‘आक्रमण’ शब्द के आधार पर घोषित किया जा सकता था, अब ‘सशस्त्र विद्रोह’ को जोड़ा गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
प्रश्न 22: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक ‘संवैधानिक अधिकार’ (Legal Right) बना दिया गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार (जो पहले अनुच्छेद 31 में एक मौलिक अधिकार था) को समाप्त कर दिया और इसे संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘संवैधानिक अधिकार’ (या कानूनी अधिकार) बना दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राज्य सामाजिक-आर्थिक नीतियों को लागू करने के लिए आवश्यक भूमि सुधारों और अन्य उपायों को करने में स्वतंत्र हो, बिना मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के डर के।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन कई महत्वपूर्ण बदलावों के लिए जाना जाता है, लेकिन संपत्ति के अधिकार को हटाने के लिए नहीं। 52वां संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है, और 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) के बारे में सत्य है?
- ये विशेषाधिकार केवल संसद सदस्यों को प्राप्त होते हैं।
- ये विशेषाधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 105 में वर्णित हैं।
- इन विशेषाधिकारों को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 भारतीय संसद के सदनों और उनके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों (privileges and immunities) से संबंधित है। हालांकि, इन विशेषाधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, बल्कि ये ब्रिटिश परंपराओं से लिए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जैसे कि सदन में कही गई बात या दिए गए मत के लिए किसी भी न्यायालय में कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती (अनुच्छेद 105(2))। इसके अतिरिक्त, कुछ विशेषाधिकार हैं जो सदन के संचालन और सदस्यों की सुरक्षा के लिए हैं (जैसे गिरफ्तारी से स्वतंत्रता)। हालाँकि, ये विशेषाधिकार पूर्ण नहीं हैं और इन्हें कुछ हद तक न्यायिक समीक्षा के अधीन किया जा सकता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने *स. पी. मित्तल बनाम भारत संघ* जैसे मामलों में कहा है।
- गलत विकल्प: (a) आंशिक रूप से सत्य है, क्योंकि विशेषाधिकार मुख्य रूप से सदस्यों को प्राप्त हैं, लेकिन सदन को भी सामूहिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं। (c) गलत है क्योंकि इन विशेषाधिकारों को कुछ हद तक चुनौती दी जा सकती है।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द को किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था?
- 40वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है। इसी संशोधन द्वारा प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय गणराज्य के चरित्र को और स्पष्ट करना था, जो एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और एकीकृत राष्ट्र के रूप में विकसित हो रहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने *केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य* (1973) मामले में कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों का संबंध प्रस्तावना में इन विशेष शब्दों को जोड़ने से नहीं है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) (अनुच्छेद 148) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में दिए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) एक सांविधिक निकाय (statutory body) है, जिसका गठन ‘मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत किया गया था। यह संविधान में सीधे उल्लिखित नहीं है, बल्कि एक कानून द्वारा बनाया गया है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं। (c) एक सांविधिक निकाय है, संवैधानिक नहीं।