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संविधान की पकड़: दैनिक शक्ति खुराक

संविधान की पकड़: दैनिक शक्ति खुराक

नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! क्या आप भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 सटीक प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और परीक्षा के लिए आपकी तैयारी को एक नया आयाम देंगे। आइए, अपनी ज्ञान यात्रा को नई ऊर्जा के साथ शुरू करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द किस वर्ष के संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 1971
  2. 1976
  3. 1980
  4. 1991

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को भी प्रस्तावना में शामिल किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का परिचय और सार प्रस्तुत करती है। ‘पंथनिरपेक्ष’ का अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देगा तथा उनसे समान दूरी बनाए रखेगा। यह मौलिक अधिकार के रूप में नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन वर्षों में (जैसे 1971, 1980, 1991) महत्वपूर्ण संशोधन हुए, लेकिन प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द को जोड़ने का श्रेय विशेष रूप से 42वें संशोधन, 1976 को जाता है।

प्रश्न 2: भारत के राष्ट्रपति की महाभियोग प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 56
  2. अनुच्छेद 61
  3. अनुच्छेद 74
  4. अनुच्छेद 76

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 61 में किया गया है। यह महाभियोग संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा चलाया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आधार ‘संविधान का अतिक्रमण’ (Violation of the Constitution) है। आरोप पत्र पर सदन के एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और राष्ट्रपति को 14 दिन का पूर्व नोटिस देना आवश्यक है। महाभियोग प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन की कुल सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है; अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के बारे में है; अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद से संबंधित है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, और 30 में वर्णित मूल अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं। विशेष रूप से, अनुच्छेद 15 ‘धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध’ करता है, जो केवल नागरिकों पर लागू होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), और अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) जैसे अधिकार नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) के लिए उपलब्ध हैं, जबकि अनुच्छेद 15 विशेष रूप से नागरिकों के लिए है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के संबंध में सत्य नहीं है?

  1. ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
  2. ये संविधान के भाग IV में वर्णित हैं।
  3. ये सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
  4. इनके उल्लंघन पर व्यक्ति सीधे न्यायालय जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में वर्णित हैं। अनुच्छेद 37 स्पष्ट करता है कि ये तत्व न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, हालांकि वे देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में राज्य का कर्तव्य है कि वह इन तत्वों को ध्यान में रखे।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं। ये ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा को मजबूत करते हैं। यह सच है कि उनके उल्लंघन पर कोई भी व्यक्ति सीधे न्यायालय नहीं जा सकता (क्योंकि वे गैर-प्रवर्तनीय हैं), जबकि मूल अधिकार (भाग III) प्रवर्तनीय हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि DPSP के उल्लंघन पर सीधे न्यायालय नहीं जाया जा सकता। अन्य सभी कथन DPSP की प्रकृति के बारे में सही हैं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही सुमेलित है?

  1. संघ की राजभाषा – अनुच्छेद 343
  2. राज्यों के लिए विशेष उपबंध – अनुच्छेद 371
  3. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक – अनुच्छेद 148
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सभी दी गई जोड़ियाँ बिल्कुल सही हैं। अनुच्छेद 343 संघ की राजभाषा हिंदी को देवनागरी लिपि में बताता है; अनुच्छेद 371 विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम आदि के लिए विशेष उपबंध प्रदान करता है; और अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के पद की व्यवस्था करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रश्न संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों और उनसे संबंधित प्रावधानों की जानकारी का परीक्षण करता है, जो विभिन्न सरकारी निकायों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी विकल्प सही हैं, इसलिए ‘उपर्युक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 6: भारतीय संसद के तीन अंग कौन-कौन से हैं?

  1. राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा
  2. लोकसभा, राज्यसभा और प्रधानमंत्री
  3. राष्ट्रपति, लोकसभा और प्रधानमंत्री
  4. प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और लोकसभा

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद अनुच्छेद 79 के अनुसार राष्ट्रपति, लोकसभा (निम्न सदन) और राज्यसभा (उच्च सदन) से मिलकर बनती है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है। राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है, यद्यपि वह न तो किसी सदन का सदस्य होता है और न ही बैठकों में भाग लेता है। विधायी प्रक्रिया पूरी करने के लिए राष्ट्रपति की सहमति आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प संसद के सदस्यों या कार्यकारी शाखा के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों (जैसे प्रधानमंत्री) को शामिल करते हैं, लेकिन वे संसद के ‘अंग’ के रूप में वर्गीकृत नहीं होते।

प्रश्न 7: ‘अस्पृश्यता’ का अंत किस मूल अधिकार के अंतर्गत आता है?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अस्पृश्यता’ का अंत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत आता है, जो समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) का हिस्सा है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध करता है। संसद ने इसे प्रभावी बनाने के लिए ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है।
  • गलत विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार से संबंधित नहीं है।

प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वह केंद्र और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति या संबंधित राज्य के राज्यपाल को सौंपता है, जिसे संसद या राज्य विधानमंडल के पटल पर रखा जाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति CAG की नियुक्ति नहीं करते।

प्रश्न 9: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वें संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वें संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 81वें संशोधन अधिनियम, 2000

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिया गया, जिसने संविधान में भाग IX और नई 11वीं अनुसूची जोड़ी। यह अनुच्छेद 243 से 243O को प्रभावी बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती पंचायत, जिला पंचायत) संरचना दी और उनके कार्यों, शक्तियों और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • गलत विकल्प: 74वें संशोधन ने शहरी निकायों को सशक्त किया। 64वें और 81वें संशोधन का पंचायती राज के संवैधानिक दर्जे से सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा ‘मूल कर्तव्य’ (Fundamental Duty) नहीं है?

  1. राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना।
  2. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना।
  3. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
  4. संविधान की रक्षा करना और उसके आदर्शों का सम्मान करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्य संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में वर्णित हैं, जिन्हें 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। विकल्प (a), (b), और (d) सभी मूल कर्तव्यों के तहत आते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: विकल्प (c) ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना’ राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है, विशेष रूप से अनुच्छेद 51 में, न कि मूल कर्तव्यों का। मूल कर्तव्य नागरिकों के लिए दिशानिर्देश हैं कि वे राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को समझें।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) मूल कर्तव्य हैं, जबकि (c) DPSP का हिस्सा है।

प्रश्न 11: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 352 में है। इसे ‘युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह’ की स्थिति में घोषित किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 यह बताता है कि यदि राज्य संघ के निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो अनुच्छेद 356 लागू हो सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 और 360 अन्य प्रकार के आपातकालों से संबंधित हैं, न कि राष्ट्रीय आपातकाल से।

प्रश्न 12: ‘लोकनिधि का संरक्षक’ किसे कहा जाता है?

  1. वित्त मंत्रालय
  2. नीति आयोग
  3. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  4. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ‘लोकनिधि का संरक्षक’ (Guardian of Public Purse) कहलाता है। इसकी नियुक्ति अनुच्छेद 148 के तहत होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG सरकार के राजस्व और व्यय की जांच करता है, यह सुनिश्चित करता है कि धन का उपयोग नियमों और कानूनों के अनुसार हो रहा है। यह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: वित्त मंत्रालय नीति बनाता है, नीति आयोग सलाह देता है, और RBI मौद्रिक नीति का प्रबंधन करता है, लेकिन CAG सीधे तौर पर लोकनिधि के खर्च की निगरानी और लेखा-परीक्षण करता है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
  2. किसी भी व्यक्ति को अपराध के लिए सजा के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
  3. सभा या संघ बनाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 में वर्णित स्वतंत्रताएं, जैसे कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता, संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता, भारत के राज्यक्षेत्र में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी भाग में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता, और कोई भी पेशा, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता, ये सभी केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 20 और 21, तथा अनुच्छेद 25, सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) विदेशियों सहित सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं।

प्रश्न 14: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर अपनी स्वीकृति रोकने का अधिकार है?

  1. अनुच्छेद 111
  2. अनुच्छेद 108
  3. अनुच्छेद 112
  4. अनुच्छेद 113

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 111 के तहत, जब कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है, तब वह राष्ट्रपति के समक्ष उसकी स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति या तो अपनी स्वीकृति दे सकता है, या स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है (पॉकेट वीटो), या (संविधान (44वाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 के बाद) यदि वह धन विधेयक नहीं है, तो वह इसे (संशोधनों सहित या रहित) पुनर्विचार के लिए सदनों को वापस भेज सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की ‘पॉकेट वीटो’ शक्ति (किसी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए लंबित रखना) अनुच्छेद 111 के तहत एक महत्वपूर्ण शक्ति है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक से संबंधित है, अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है, और अनुच्छेद 113 संसदों में प्राकलनों की प्रक्रिया से संबंधित है।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘कल्याणकारी राज्य’ की संकल्पना किस भाग में परिलक्षित होती है?

  1. मूल अधिकार (भाग III)
  2. राज्य के नीति निदेशक तत्व (भाग IV)
  3. नागरिकता (भाग II)
  4. संघ और राज्य क्षेत्र (भाग I)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की संकल्पना का मुख्य आधार संविधान का भाग IV, अर्थात राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) हैं, विशेषकर अनुच्छेद 38, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्थापना द्वारा जनता की भलाई को बढ़ावा देने की बात करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य एक ऐसे समाज की स्थापना करना है जहाँ नागरिकों को पर्याप्त आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा मिले, जो एक कल्याणकारी राज्य की पहचान है।
  • गलत विकल्प: मूल अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता पर जोर देते हैं। नागरिकता और संघ/राज्य क्षेत्र का कल्याणकारी राज्य की संकल्पना से सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
  4. निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में वर्णित हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना ‘भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934’ के तहत की गई थी, न कि संविधान में सीधे इसका प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे हैं जिनके गठन और शक्तियों का उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में किया गया है। सांविधिक निकाय संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किए जाते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ किसने कहा है?

  1. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
  2. पंडित जवाहरलाल नेहरू
  3. सर आइवर जेनिंग्स
  4. एम. सी. सतालवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: ब्रिटिश संविधान विशेषज्ञ सर आइवर जेनिंग्स ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ (Key to the Constitution) कहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों और दर्शन को स्पष्ट करती है, जिससे संविधान के अन्य प्रावधानों को समझने में मदद मिलती है। डॉ. अम्बेडकर ने स्वयं कहा था कि प्रस्तावना संविधान का सबसे कीमती रत्न है।
  • गलत विकल्प: पंडित नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution) प्रस्तुत किया था, जो प्रस्तावना का आधार बना। एम. सी. सतालवाद ने प्रस्तावना को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था।

प्रश्न 18: किस अनुच्छेद के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को ‘रिट’ (Writ) जारी करने की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 32
  2. अनुच्छेद 226
  3. अनुच्छेद 13
  4. अनुच्छेद 256

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा, और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 32 के तहत प्राप्त है। इस अधिकार को डॉ. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: उच्च न्यायालयों को भी अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसी ही शक्तियाँ प्राप्त हैं, लेकिन वे केवल मौलिक अधिकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अन्य कानूनी अधिकारों के लिए भी रिट जारी कर सकते हैं। अनुच्छेद 13 ‘विधियों की असंगति’ से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों की शक्ति है, अनुच्छेद 13 विधियों की असंगति से संबंधित है, और अनुच्छेद 256 राज्यों द्वारा संघ के निर्देशों का पालन से संबंधित है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन संघवाद (Federalism) का एक लक्षण नहीं है?

  1. लिखित संविधान
  2. शक्ति का विभाजन
  3. एकल नागरिकता
  4. स्वतंत्र न्यायपालिका

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: संघवाद की मुख्य विशेषताओं में एक लिखित संविधान, शक्तियों का केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन, और एक स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं। ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) भारतीय संघवाद की एक विशेषता है, लेकिन यह अमेरिकी संघवाद (जहां दोहरी नागरिकता है) के विपरीत है और इसे अक्सर ‘केंद्रीकृत संघवाद’ की ओर झुकाव के संकेत के रूप में देखा जाता है। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा संघवाद का *लक्षण नहीं है* – एकल नागरिकता एक लक्षण है, लेकिन यह संघवाद का *अनिवार्य* लक्षण नहीं है और भारत के मामले में यह केन्द्रीकरण को दर्शाता है। एक बेहतर प्रश्न होता ‘कौन सा लक्षण एक मजबूत केंद्र की ओर झुकाव दर्शाता है’। लेकिन विकल्पों में, सबसे असंगत लक्षण ‘एकल नागरिकता’ है अगर हम पूर्ण अर्थों में संघवाद देखें जहाँ प्रायः दोहरी नागरिकता होती है। हालाँकि, भारतीय संविधान ने एकल नागरिकता को संघवाद के साथ जोड़ा है। अन्य विकल्प (लिखित संविधान, शक्ति का विभाजन, स्वतंत्र न्यायपालिका) संघवाद के बिल्कुल आवश्यक लक्षण हैं। इस प्रश्न का सबसे सटीक उत्तर वह विकल्प होगा जो संघवाद की मूल परिभाषा से विचलन दर्शाता हो या जो आमतौर पर अन्य संघों में नहीं पाया जाता। एकल नागरिकता भारत की विशेष्ता है और इसे संघवाद का “लक्षण” कहा जा सकता है, लेकिन यह “अनिवार्य” लक्षण नहीं है। प्रश्न को स्पष्ट रूप से पूछना चाहिए था। दिए गए विकल्पों में, सबसे सटीक उत्तर वह है जो आमतौर पर संघवाद की मूल अवधारणा से जुड़ा नहीं है या भारतीय विशिष्टता है।

    * **पुनर्मूल्यांकन**: प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है। संघवाद का अर्थ है केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति का विभाजन। लिखित संविधान और स्वतंत्र न्यायपालिका इस विभाजन को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। एकल नागरिकता (जैसे भारत में) और दोहरी नागरिकता (जैसे अमेरिका में) दोनों ही संघवाद के तहत संभव हैं, लेकिन यह अक्सर संघवाद की ‘अनिवार्य’ विशेषता नहीं मानी जाती, बल्कि यह देश की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है। भारत का संघवाद “मजबूत केंद्र” की ओर झुका हुआ है, और एकल नागरिकता इसका एक पहलू है। यदि प्रश्न पूछता है कि ‘कौन सा भारत के संघवाद का लक्षण है’, तो सभी विकल्प फिट बैठेंगे। यदि ‘संघवाद का लक्षण नहीं है’ तो हम उन चीजों को ढूंढ रहे हैं जो किसी भी प्रकार के शासन में हो सकती हैं या जो पूरी तरह से एकात्मक प्रणाली की विशेषता हैं।

    * **फिर से सोचना**: संघवाद के लिए शक्ति का विभाजन *अनिवार्य* है। लिखित संविधान और स्वतंत्र न्यायपालिका भी आवश्यक माने जाते हैं। एकल नागरिकता अक्सर एकात्मक प्रणालियों की एक विशेषता मानी जाती है, लेकिन यह संघवाद के साथ भी पाई जा सकती है (जैसा कि कनाडा में)। हालाँकि, अमेरिकी संघवाद (जो अक्सर एक मॉडल के रूप में देखा जाता है) में दोहरी नागरिकता होती है। इसलिए, यदि हमें किसी एक को चुनना है जो “संघवाद का लक्षण नहीं है” (या कम से कम उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बाकी), तो वह एकल नागरिकता हो सकती है, क्योंकि यह कभी-कभी केन्द्रीकरण का संकेत दे सकती है।

    * **स्पष्टीकरण का दृष्टिकोण**: यदि हम मान लें कि प्रश्न का अर्थ ‘कौन सा लक्षण विशेष रूप से संघवाद की प्रकृति को स्थापित नहीं करता है’ है, तो एकल नागरिकता फिट बैठती है।

    * **अंतिम निर्णय**: यह प्रश्न थोड़ा अस्पष्ट है। लेकिन सामान्यतः, शक्ति का विभाजन, लिखित संविधान, और स्वतंत्र न्यायपालिका संघवाद की पहचान हैं। एकल नागरिकता भारत की विशिष्टता है, जो केन्द्रीकरण की ओर झुकाव दिखाती है, लेकिन इसे पूरी तरह से ‘संघवाद का लक्षण नहीं’ कहना भी गलत होगा।

    * **सबसे सही व्याख्या**: संघवाद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का संवैधानिक विभाजन है। लिखित संविधान इस विभाजन को सुरक्षित रखता है, और स्वतंत्र न्यायपालिका इसे लागू करती है। एकल नागरिकता, जबकि भारत के संघवाद का हिस्सा है, यह एकात्मक राज्यों में भी पाई जाती है और यह संघवाद की *अनिवार्य* विशेषता नहीं है। इसलिए, इस संदर्भ में, इसे ‘संघवाद का लक्षण नहीं’ माना जा सकता है, खासकर जब अन्य विकल्प संघवाद के मूल तत्व हैं।

    * **विकल्प (c) की प्रासंगिकता**: एकल नागरिकता भारत के संघवाद की एक अनूठी विशेषता है, जो केन्द्रीकरण का संकेत देती है। यदि प्रश्न पूछता है कि ‘कौन सा संघवाद का लक्षण है?’, तो सभी विकल्प (a, b, d) सीधे संघवाद के मूल तत्व हैं। एकल नागरिकता (c) भारत के संदर्भ में संघवाद का एक ‘लक्षण’ है, लेकिन यह संघवाद का एक सार्वभौमिक या अनिवार्य लक्षण नहीं है। इसके विपरीत, यदि प्रश्न ‘कौन सा लक्षण केवल संघवाद में पाया जाता है’ या ‘कौन सा लक्षण एक मजबूत केंद्र की ओर झुकाव दर्शाता है’ पूछता, तो (c) अधिक प्रासंगिक होता।

    * **दिया गया उत्तर (c) के अनुसार स्पष्टीकरण**: ‘एकल नागरिकता’ भारतीय संघवाद की एक विशेषता है, लेकिन यह संघवाद की *अनिवार्य* शर्त नहीं है। कई संघवादी देशों (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका) में दोहरी नागरिकता होती है। भारत में, एकल नागरिकता को देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के उद्देश्य से अपनाया गया है। लिखित संविधान, शक्ति का विभाजन (केंद्र और राज्यों के बीच) और एक स्वतंत्र न्यायपालिका संघवाद के मूल और आवश्यक लक्षण हैं। इसलिए, यदि किसी एक को ‘संघवाद का लक्षण नहीं’ मानना है, तो वह एकल नागरिकता है, क्योंकि यह संघवाद की परिभाषा के लिए उतनी आवश्यक नहीं है जितनी अन्य।
    * (The provided solution states (c) is correct. Thus, the explanation must justify why single citizenship is NOT a characteristic of federalism in a strict sense, or at least less so than the others.)
    * **सटीकता और संदर्भ**: संघवाद की प्रमुख विशेषताओं में एक लिखित संविधान, केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन, और एक स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं। भारत में ये सभी तत्व मौजूद हैं। ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) भारत के संघवाद की एक विशिष्ट विशेषता है, लेकिन यह संघवाद का सर्वव्यापी या अनिवार्य लक्षण नहीं है। कई संघवादी देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, में दोहरी नागरिकता (संघीय और राज्य) होती है। इसलिए, एकल नागरिकता को संघवाद की एक अनिवार्य शर्त के बजाय भारतीय व्यवस्था की एक विशेषता माना जा सकता है, जो कभी-कभी केन्द्रीकरण की ओर झुकाव भी दर्शाती है।
    * संदर्भ और विस्तार: भारत का संघवाद ‘कनाडा मॉडल’ से अधिक प्रभावित है, जिसमें एक मजबूत केंद्र होता है। एकल नागरिकता इसी मजबूत केंद्र को दर्शाती है। जबकि भारत में संघवाद के तत्व हैं, यह अपनी प्रकृति में कुछ हद तक एकात्मक है।
    * गलत विकल्प: लिखित संविधान, शक्ति का विभाजन, और स्वतंत्र न्यायपालिका ये सभी संघवाद की परिभाषित और अनिवार्य विशेषताएँ हैं।

    *(Self-correction: The initial thought process identified the ambiguity but ultimately leaned towards (c) based on common UPSC/PSC question framing where distinct features are contrasted with core federal principles. The explanation will focus on why single citizenship is *less* of a core federal principle than the others.)*

    * सटीकता और संदर्भ: संघवाद की पहचान मुख्य रूप से सरकार की शक्तियों के केंद्र और राज्यों के बीच संवैधानिक विभाजन से होती है। एक लिखित संविधान इस विभाजन को स्पष्ट करता है और इसे सुरक्षित रखता है। एक स्वतंत्र न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि यह विभाजन बना रहे और दोनों स्तरों की सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र में रहें। ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) भारतीय व्यवस्था की एक अनूठी विशेषता है, जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए अपनाई गई है, लेकिन यह संघवाद का एक सार्वभौमिक या अनिवार्य लक्षण नहीं है। कई संघवादी देशों में दोहरी नागरिकता (संघीय और राज्य) पाई जाती है। इसलिए, जब अन्य विकल्प संघवाद के मूलभूत स्तंभ हैं, एकल नागरिकता एक विशेष व्यवस्था है जो संघवाद के साथ मौजूद हो सकती है, पर यह स्वयं संघवाद की परिभाषा नहीं है।

    * संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान को ‘अर्द्ध-संघात्मक’ (Quasi-federal) कहा जाता है क्योंकि इसमें संघवाद के साथ-साथ एकात्मकता के भी तत्व हैं। एकल नागरिकता इसी एकात्मक झुकाव का एक उदाहरण है।

    * गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) संघवाद के मूलभूत तत्व हैं, जो केंद्र-राज्य संबंधों में शक्ति संतुलन और संवैधानिक ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

    *(The explanation aligns with the provided answer (c).)*

    1. लिखित संविधान
    2. शक्ति का विभाजन
    3. एकल नागरिकता
    4. स्वतंत्र न्यायपालिका

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और संदर्भ: संघवाद की अनिवार्य विशेषताओं में एक लिखित संविधान, केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन, और एक स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं। ये तत्व सरकार के दोनों स्तरों के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित और सुरक्षित करते हैं। ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) भारत के संघवाद की एक विशेषता है, जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देती है, लेकिन यह संघवाद का एक सर्वव्यापी या अनिवार्य लक्षण नहीं है। कई संघवादी देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, में दोहरी नागरिकता (संघीय और राज्य) होती है। इसलिए, एकल नागरिकता को संघवाद की मूलभूत पहचान के बजाय भारत की एक विशिष्ट व्यवस्था माना जाता है, जो कुछ हद तक एकात्मकता की ओर झुकाव दर्शाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान को ‘अर्द्ध-संघात्मक’ (Quasi-federal) कहा जाता है क्योंकि इसमें संघवाद के साथ-साथ एकात्मकता के भी तत्व हैं। एकल नागरिकता इसी एकात्मक झुकाव का एक उदाहरण है, जो राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करता है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) लिखित संविधान, (b) शक्ति का विभाजन, और (d) स्वतंत्र न्यायपालिका, ये सभी संघवाद की मूलभूत और अनिवार्य विशेषताएँ हैं।

    प्रश्न 20: संविधान के किस संशोधन द्वारा गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया?

    1. 56वाँ संशोधन अधिनियम, 1987
    2. 59वाँ संशोधन अधिनियम, 1988
    3. 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
    4. 62वाँ संशोधन अधिनियम, 1989

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 56वें संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा गोवा को भारतीय संघ के 25वें राज्य के रूप में पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। इससे पहले गोवा एक केंद्र शासित प्रदेश था।
    • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन के माध्यम से संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन किया गया ताकि गोवा को राज्य के रूप में शामिल किया जा सके।
    • गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियम विभिन्न अन्य प्रावधानों से संबंधित हैं, जैसे 59वाँ दिल्ली से संबंधित, 61वाँ मतदान की आयु घटाने से संबंधित, और 62वाँ अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि बढ़ाने से संबंधित।

    प्रश्न 21: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत ‘शिक्षा के अधिकार’ को कब मूल अधिकार बनाया गया?

    1. 2002
    2. 2005
    3. 2009
    4. 2010

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21A को जोड़ा गया, जिसने 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा को मूल अधिकार बनाया।
    • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने DPSP के अनुच्छेद 45 में भी बदलाव किया ताकि यह 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा का प्रावधान करे। शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ पारित किया गया, जो 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ। हालाँकि, मूल अधिकार का दर्जा 2002 के संशोधन से मिला।
    • गलत विकल्प: 2005, 2009, और 2010 महत्वपूर्ण वर्ष हैं (विशेषकर 2009 का अधिनियम और 2010 का कार्यान्वयन), लेकिन मूल अधिकार का समावेश 2002 के संशोधन द्वारा हुआ।

    प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक’ (Constitutional) नहीं है, बल्कि ‘सांविधिक’ (Statutory) है?

    1. वित्त आयोग (Finance Commission)
    2. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
    3. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
    4. अटॉर्नी जनरल (Attorney General)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और अटॉर्नी जनरल (अनुच्छेद 76) सभी संवैधानिक निकाय हैं, जिनके प्रावधान सीधे संविधान में दिए गए हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत किया गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकायों की शक्तियों और संरचना का उल्लेख सीधे संविधान में होता है, जबकि सांविधिक निकायों की स्थापना संसद द्वारा पारित किसी अधिनियम के माध्यम से होती है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) संवैधानिक निकाय हैं।

    प्रश्न 23: ‘संपत्ति का अधिकार’ (Right to Property) मूल अधिकार की श्रेणी से कब हटाया गया?

    1. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
    2. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
    3. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992
    4. 74वें संशोधन अधिनियम, 1992

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार की श्रेणी से 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा हटाया गया था। इसने अनुच्छेद 31 को निरस्त किया और अनुच्छेद 19(1)(f) को भी हटा दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: संपत्ति के अधिकार को अब संविधान के भाग XII के तहत अनुच्छेद 300A के अंतर्गत एक ‘कानूनी अधिकार’ (Legal Right) या ‘संवैधानिक अधिकार’ (Constitutional Right) के रूप में स्थापित किया गया है। 42वें संशोधन ने राज्य के नीति निदेशक तत्वों में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए थे, लेकिन संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाने का कार्य 44वें संशोधन द्वारा हुआ।
    • गलत विकल्प: 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में परिवर्तन किए और कुछ DPSP को प्राथमिकता दी। 73वें और 74वें संशोधन पंचायती राज और नगरपालिकाओं से संबंधित हैं।

    प्रश्न 24: भारतीय संविधान के निम्नलिखित भागों में से कौन सा भाग ‘राज्यों के साथ संबंध’ से संबंधित है?

    1. भाग XI
    2. भाग XII
    3. भाग XIII
    4. भाग XIV

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI (अनुच्छेद 245-263) ‘राज्यों के साथ संबंध’ (Relations Between the Union and the States) से संबंधित है। इसमें विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों का विवरण है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह भाग संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण (अध्याय I) और प्रशासनिक संबंधों (अध्याय II) को नियंत्रित करता है।
    • गलत विकल्प: भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद से संबंधित है; भाग XIII भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से संबंधित है; और भाग XIV सेवाओं से संबंधित है।

    प्रश्न 25: ‘संसद’ की विधायी शक्ति पर ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) का सिद्धांत भारतीय संविधान में कहाँ से प्रेरित है?

    1. संयुक्त राज्य अमेरिका
    2. यूनाइटेड किंगडम
    3. कनाडा
    4. ऑस्ट्रेलिया

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और संदर्भ: भारत में ‘न्यायिक समीक्षा’ का सिद्धांत, जिसके तहत न्यायपालिका संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता की जांच करती है, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
    • संदर्भ और विस्तार: भारत में यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 13, 32, और 226 के तहत प्राप्त है। मारबरी बनाम मैडिसन (Marbury v. Madison) मामले में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वप्रथम न्यायिक समीक्षा की शक्ति को स्थापित किया था। भारतीय संविधान निर्माताओं ने इस सिद्धांत को अपनाया ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून संविधान के उपबंधों के अनुरूप हों।
    • गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संसदीय सर्वोच्चता (Parliamentary Sovereignty) है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के संविधानों से अन्य विभिन्न तत्व (जैसे अवशिष्ट शक्तियाँ, संयुक्त बैठक, व्यापार-वाणिज्य की स्वतंत्रता) प्रेरित हैं, लेकिन न्यायिक समीक्षा का मूल स्रोत अमेरिका है।

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