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संविधान की गहराई में उतरें: रोज़ाना 25 प्रश्नोत्तरी

संविधान की गहराई में उतरें: रोज़ाना 25 प्रश्नोत्तरी

नमस्कार, संवैधानिक योद्धाओं! आज फिर हम भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों की गहराई में उतरने के लिए तैयार हैं। अपनी संवैधानिक समझ को पैना करने और विभिन्न प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को परखने का यह सुनहरा अवसर न चूकें। आइए, आज के 25 चुनिंदा सवालों के साथ अपनी अवधारणाओं को मजबूत करें!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?

  1. 24वां संशोधन अधिनियम, 1971
  2. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  3. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  4. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण संशोधन था जिसने प्रस्तावना के स्वरूप को मौलिक रूप से बदला।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना में कुल तीन नए शब्द जोड़े। ‘समाजवादी’ शब्द का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द यह सुनिश्चित करता है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और सभी धर्मों के प्रति समान आदर होगा, और ‘अखंडता’ शब्द देश की एकता और अभिन्नता को बनाए रखने पर बल देता है।
  • गलत विकल्प: 24वां संशोधन अधिनियम, 1971 ने संसद को संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने की शक्ति को स्पष्ट किया। 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने कुछ मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को बढ़ाया और संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया। 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध है, विदेशियों के लिए नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19) भारत के संविधान द्वारा केवल भारतीय नागरिकों को प्रदान किया गया है। इस अधिकार में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक एकत्र होने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, आवागमन की स्वतंत्रता, निवास करने और बसने की स्वतंत्रता, और कोई भी पेशा, व्यवसाय या व्यापार करने की स्वतंत्रता शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है, हालांकि यह कुछ प्रतिबंधों के अधीन है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 29 और 30 विशेष रूप से नागरिकों के लिए हैं। जबकि अनुच्छेद 14, 21, 21A, 22, 25, 26, 27, 28 सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3: भारत के संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है?

  1. अनुच्छेद 12
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 14
  4. अनुच्छेद 15

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ की परिभाषा प्रदान करता है। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों (भाग III) के प्रवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य के कृत्यों के विरुद्ध प्राप्त होते हैं। अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल, और भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस परिभाषा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सभी अंग और प्राधिकारी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें। इसमें सार्वजनिक उपक्रमों और कुछ निजी निकायों को भी शामिल किया जा सकता है यदि वे राज्य के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13, कानून की परिभाषा और मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करने से संबंधित है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था प्रत्यक्ष रूप से भारत के संविधान के अंतर्गत स्थापित नहीं है?

  1. नीति आयोग
  2. निर्वाचन आयोग
  3. संघ लोक सेवा आयोग
  4. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) भारत के संविधान के अंतर्गत प्रत्यक्ष रूप से स्थापित संस्था नहीं है। यह एक कार्यकारी आदेश द्वारा 2015 में स्थापित एक वैधानिक निकाय (statutory body) है, जो एक थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) (अनुच्छेद 148) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके पद और कार्य संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं।
  • गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी संवैधानिक निकाय हैं।

प्रश्न 5: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह शक्ति पूर्ण है और इसमें न्यायालय के फैसले को पलट देना शामिल है।
  2. यह शक्ति केवल मृत्युदंड के मामलों में लागू होती है।
  3. राष्ट्रपति, न्यायालय मार्शल द्वारा दी गई सजा को क्षमा कर सकते हैं।
  4. यह शक्ति मजिस्टेरियल निर्णय पर लागू नहीं होती।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत आती है। इस शक्ति के तहत, राष्ट्रपति किसी भी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका लघुकरण, परिहार, प्रविलंबन या उसे कम कर सकते हैं। इसमें न्यायालय मार्शल द्वारा दी गई सजा को क्षमा करना भी शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की यह शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है, जिसका अर्थ है कि यह मनमानी नहीं हो सकती। राष्ट्रपति अक्सर मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं, लेकिन क्षमादान की शक्ति पर निर्णय लेते समय वे अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं (हालांकि इस पर भी न्यायिक व्याख्याएं हैं)। यह शक्ति सभी प्रकार की सज़ाओं पर लागू होती है, न कि केवल मृत्युदंड पर।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि यह शक्ति पूर्ण नहीं है और न्यायिक समीक्षा के अधीन है। (b) गलत है क्योंकि यह मृत्युदंड के अलावा अन्य सज़ाओं पर भी लागू होती है। (d) गलत है क्योंकि यह मजिस्टेरियल निर्णयों पर भी लागू होती है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची दल-बदल के आधार पर संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. आठवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. दसवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे ‘दल-बदल विरोधी कानून’ के रूप में जाना जाता है, संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधानों से संबंधित है। इसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची के अनुसार, यदि कोई सदस्य स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है, या पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है। हालांकि, इस अनुसूची में कुछ अपवाद भी हैं, जैसे कि पार्टी का विलय या अध्यक्ष/सभापति द्वारा अनुमति।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है। आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से संबंधित है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा भारत के संविधान का संरक्षक माना जाता है?

  1. राष्ट्रपति
  2. संसद
  3. सर्वोच्च न्यायालय
  4. प्रधानमंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय को भारत के संविधान का संरक्षक माना जाता है। यह मौलिक अधिकारों का गारंटर है और अनुच्छेद 32 के तहत रिट जारी करके उनकी रक्षा करता है। सर्वोच्च न्यायालय के पास न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) की शक्ति भी है, जिसके माध्यम से यह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है यदि वे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हों।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान के संरक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय का कार्य यह सुनिश्चित करना है कि विधायिका और कार्यपालिका अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम करें और संविधान की सर्वोच्चता बनी रहे। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख हैं लेकिन वे विधायी या न्यायिक शक्तियों के प्रत्यक्ष संरक्षक नहीं हैं। संसद कानून बनाती है और राष्ट्रपति और कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है, लेकिन यह स्वयं संविधान की व्याख्या और संरक्षक नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यपालिका का प्रमुख होता है।

प्रश्न 8: भारतीय संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?

  1. राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. राज्यसभा का सभापति

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) भारत की संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति परंपरा के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। हालाँकि, यह नियुक्ति सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद में नहीं लिखी है, बल्कि यह संसदीय प्रथा का हिस्सा है।
  • संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तुत किए गए लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों की जांच करना है। यह सरकारी खर्चों पर संसदीय नियंत्रण का एक प्रभावी माध्यम है। परंपरा यह है कि PAC का अध्यक्ष एक विपक्षी दल का सदस्य होता है, जिससे समिति की निष्पक्षता बनी रहे।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्यसभा के सभापति PAC के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करते हैं। इन नियुक्तियों में लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका सर्वोपरि है।

प्रश्न 9: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पदों के लिए आयु अर्हता को निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद में दर्शाया गया है?

  1. अनुच्छेद 58, 66, 75
  2. अनुच्छेद 58, 66, 74
  3. अनुच्छेद 52, 63, 74
  4. अनुच्छेद 52, 63, 75

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के पद के लिए अर्हताएँ अनुच्छेद 58 में दी गई हैं, जिसमें 35 वर्ष की आयु एक मुख्य शर्त है। उपराष्ट्रपति के पद के लिए अर्हताएँ अनुच्छेद 66 में दी गई हैं, जहाँ भी 35 वर्ष की आयु आवश्यक है। प्रधानमंत्री के लिए कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है जो आयु निर्धारित करता हो, लेकिन उन्हें लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना चाहिए। सामान्यतः, लोकसभा के सदस्य के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष (अनुच्छेद 84) है। इसलिए, अनुच्छेद 75 (प्रधानमंत्री की नियुक्ति आदि) के संदर्भ में, अप्रत्यक्ष रूप से 25 वर्ष की आयु लागू होती है, लेकिन प्रश्न में ‘पदों के लिए आयु अर्हता’ पूछी गई है, और राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के लिए सीधे 35 वर्ष है। प्रधानमंत्री के लिए, अनुच्छेद 75 सीधे आयु नहीं बताता, बल्कि यह प्रावधान करता है कि वे सदन के सदस्य हों। लोकसभा सदस्य के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है। यहाँ, विकल्प (a) सबसे सटीक है क्योंकि यह राष्ट्रपति (58) और उपराष्ट्रपति (66) के लिए सीधा उल्लेख करता है, और प्रधानमंत्री के लिए अनुच्छेद 75 संबंधित है। (यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री के लिए कोई प्रत्यक्ष आयु अर्हता नहीं है, लेकिन वह संसद के सदस्य हों, यह अनिवार्य है)।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित है। प्रधानमंत्री के लिए, यह आवश्यक है कि वे संसद के किसी भी सदन के सदस्य हों। यदि वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, तो उन्हें नियुक्त होने के छह महीने के भीतर किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प गलत हैं क्योंकि वे या तो अनुपयुक्त अनुच्छेदों का उल्लेख करते हैं या अनुच्छेदों के गलत संयोजन प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 74 मंत्रिपरिषद के बारे में है, न कि सीधे प्रधानमंत्री की आयु अर्हता के बारे में।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) के संबंध में सत्य नहीं है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
  3. CAG भारत की संचित निधि में से वेतन प्राप्त करता है।
  4. CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो। CAG को भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से वेतन मिलता है, और यह वेतन भारत की संचित निधि पर भारित व्यय (charged expenditure) होता है, जिस पर संसद में मतदान नहीं होता। CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, और राष्ट्रपति इसे संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के समक्ष रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है और सरकारी खातों का ऑडिट करता है। कार्यकाल और वेतन संबंधी शर्तें इसे वित्तीय निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। अनुच्छेद 148(1) में यह कहा गया है कि CAG 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक पद धारण करेगा।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?

  1. भाग IV-A
  2. भाग IX
  3. भाग IX-A
  4. भाग VII

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX पंचायती राज संस्थाओं (Gram Panchayats) से संबंधित है। इसे 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था। इस भाग में अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, जो ग्राम सभा, पंचायतों की संरचना, सीटों का आरक्षण, कार्यकाल, शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्वों को परिभाषित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: 73वें संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे यह देश में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक महत्वपूर्ण इकाई बन गई।
  • गलत विकल्प: भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग IX-A नगर पालिकाओं से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग VII निरस्त किया जा चुका है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी रिट सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाती है?

  1. हेबियस कॉर्पस
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. प्रतिषेध (Prohibition)
  4. उत्प्रेषण (Certiorari)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: परमादेश (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह रिट सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) द्वारा किसी भी सार्वजनिक प्राधिकारी, सरकार या न्यायालय को उसके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य का पालन करने के लिए जारी की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट तब जारी की जाती है जब कोई प्राधिकारी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहता है। यह किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से कब्जा करने से रोकने के लिए जारी नहीं की जा सकती, न ही किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी की जा सकती है।
  • गलत विकल्प: हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) अवैध रूप से निरुद्ध व्यक्ति को न्यायालय में पेश करने के लिए है। प्रतिषेध (Prohibition) एक निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित किसी आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 13: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
  4. राज्यों की विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं। इसके अलावा, दिल्ली और पुडुचेरी (अब जम्मू और कश्मीर भी) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भी भाग लेते हैं, जैसा कि 70वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सही हैं क्योंकि ये सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। (d) गलत है क्योंकि विधान परिषदों के सदस्य भाग नहीं लेते।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता का निर्णय राज्यपाल करता है?

  1. अनुच्छेद 191(2)
  2. अनुच्छेद 173
  3. अनुच्छेद 169
  4. अनुच्छेद 165

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 191(2) यह प्रावधान करता है कि यदि किसी राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य, अनुच्छेद 191(1) के तहत किसी भी आधार पर अयोग्य घोषित किया जाता है, तो अंतिम निर्णय राज्यपाल द्वारा, उस मामले में निर्वाचन आयोग की राय के अनुसार, लिया जाएगा।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 191(1) उन आधारों को सूचीबद्ध करता है जिन पर कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल का सदस्य होने के लिए अयोग्य हो सकता है, जैसे कि लाभ का पद धारण करना, विकृतचित्त होना, दिवालिया होना, या भारत का नागरिक न होना। दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 173 विधानमंडल की सदस्यता के लिए योग्यताएं निर्धारित करता है। अनुच्छेद 169 विधान परिषदों के उन्मूलन या सृजन से संबंधित है। अनुच्छेद 165 महाधिवक्ता के पद से संबंधित है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा dyarchy (दोहरा शासन) की प्रणाली से संबंधित है, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1919 द्वारा पेश किया गया था?

  1. केंद्र में सरकार का विभाजन
  2. प्रांतों में सरकार का विभाजन
  3. दोनों सदनों वाली द्विसदनीय विधायिका
  4. सांप्रदायिक निर्वाचन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) ने प्रांतों में dyarchy (दोहरा शासन) की प्रणाली पेश की। इसका अर्थ था कि प्रांतीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया था: आरक्षित (reserved) विषय और हस्तांतरित (transferred) विषय।
  • संदर्भ और विस्तार: आरक्षित विषयों का प्रशासन गवर्नर और उसकी कार्यकारी परिषद द्वारा किया जाता था, जो विधान परिषद के प्रति उत्तरदायी नहीं थी। हस्तांतरित विषयों का प्रशासन गवर्नर द्वारा भारतीय विधान परिषद के मंत्रियों की सहायता से किया जाता था, जो विधान परिषद के प्रति उत्तरदायी थे। इस व्यवस्था का उद्देश्य धीरे-धीरे भारतीयों को शासन में अधिक जिम्मेदारी देना था।
  • गलत विकल्प: भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने केंद्र में दोहरी शासन प्रणाली लागू नहीं की। इसने पहली बार द्विसदनीय विधायिका (केंद्रीय विधानमंडल) की स्थापना की, लेकिन यह dyarchy से भिन्न है। सांप्रदायिक निर्वाचन (Separate Electorates) की शुरुआत पहले 1909 के अधिनियम द्वारा की गई थी और 1919 के अधिनियम ने इसे और विस्तारित किया, लेकिन यह dyarchy का हिस्सा नहीं था।

प्रश्न 16: ‘संविधान संशोधन’ (Constitutional Amendment) की प्रक्रिया भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में उल्लिखित है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 368
  4. अनुच्छेद 370

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का उल्लेख है। यह अनुच्छेद संसद को संविधान में परिवर्तन करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान संशोधन की प्रक्रिया दो मुख्य तरीकों से की जा सकती है: साधारण बहुमत द्वारा और विशेष बहुमत द्वारा। कुछ प्रावधानों को राज्यों के विधानमंडलों के अनुसमर्थन (ratification) के साथ विशेष बहुमत से संशोधित किया जा सकता है। अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन भी न्यायोचित समीक्षा के अधीन हैं, जैसा कि केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्थापित किया था।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन से संबंधित है। अनुच्छेद 370 (अब निष्प्रभावी) जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था।

प्रश्न 17: भारत में ‘संसद की अवमानना’ (Contempt of Parliament) के लिए सदस्यों को दंडित करने की शक्ति किसके पास है?

  1. संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष/सभापति)
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. संसद का प्रत्येक सदन अपने सदस्यों के संबंध में
  4. राष्ट्रपति

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रत्येक सदन, यानी लोकसभा और राज्यसभा, अपने सदस्यों के संबंध में संसद की अवमानना सहित अपने विशेषाधिकारों (privileges) को बनाए रखने और लागू करने के लिए स्वयं उत्तरदायी है। संविधान का अनुच्छेद 105 (1) सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों को परिभाषित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद को अपने विशेषाधिकारों को परिभाषित करने और बनाए रखने की शक्ति प्राप्त है। जब कोई सदस्य या बाहरी व्यक्ति सदन की अवमानना करता है, तो संबंधित सदन कार्रवाई कर सकता है, जिसमें कारावास भी शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय भी कुछ मामलों में संसद की अवमानना पर कार्रवाई कर सकता है, लेकिन सदन के सदस्यों को सीधे अपने विशेषाधिकारों के उल्लंघन पर सदन द्वारा ही दंडित किया जाता है।
  • गलत विकल्प: केवल पीठासीन अधिकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन शक्ति पूरे सदन की है। सर्वोच्च न्यायालय अप्रत्यक्ष रूप से या बाहरी व्यक्तियों के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। राष्ट्रपति की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

प्रश्न 18: ‘फेडरलिज्म’ (संघवाद) की अवधारणा भारतीय संविधान में किस देश से ली गई है?

  1. यूनाइटेड किंगडम
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में संघवाद (Federalism) की अवधारणा, विशेष रूप से केंद्र के साथ मजबूत संबंध वाली ‘अर्ध-संघीय’ (quasi-federal) प्रकृति, कनाडा के संविधान से प्रेरित है। भारत में संघवाद की प्रकृति पर विद्वानों में मतभेद है; कुछ इसे सच्चे संघवाद के करीब मानते हैं, जबकि अन्य इसे एकात्मक प्रवृत्ति वाले संघवाद के रूप में देखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कनाडा के संविधान में, संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण एक मजबूत केंद्र की ओर झुका हुआ है, जो भारत की स्थिति के समान है। भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची), अवशिष्ट शक्तियाँ (residual powers) केंद्र के पास (अनुच्छेद 248) और कुछ आपातकालीन प्रावधानों का केंद्र के पक्ष में झुकाव संघवाद के इस विशेष मॉडल को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन ली गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका से न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति का पद आदि लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची (Concurrent List) और संयुक्त बैठक (Joint Sitting) की अवधारणा ली गई है।

प्रश्न 19: भारत में ‘अंतर-राज्यीय परिषद’ (Inter-State Council) की स्थापना का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 262
  2. अनुच्छेद 263
  3. अनुच्छेद 280
  4. अनुच्छेद 275

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 263 अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) की स्थापना का प्रावधान करता है। यह परिषद लोक नीति के मामलों पर राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है। 1990 में सरकारी आयोग (Sarkaria Commission) की सिफारिशों के आधार पर इसे स्थापित किया गया था। इसका मुख्य कार्य राज्यों के बीच विवादों पर विचार करना, उन विषयों पर नीतिगत सिफारिशें करना जिनमें राज्यों और केंद्र दोनों की समान रुचि हो, और ऐसे अन्य विषयों पर कार्य करना जो लोकहित में हों।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों के न्यायनिर्णयन से संबंधित है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 275 अनुदानों से संबंधित है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को उपलब्ध है?

  1. धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता
  2. किसी भी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
  4. भेदभाव से सुरक्षा

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: किसी भी पेशे या व्यवसाय का अभ्यास करने की स्वतंत्रता का अधिकार, जो अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत आता है, केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 में दिए गए अन्य अधिकार, जैसे वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सभा करने, संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, बसने की स्वतंत्रता भी नागरिकों को ही प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और भेदभाव से सुरक्षा (अनुच्छेद 15) दोनों ही अनुच्छेद सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) को प्राप्त हैं। जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21) भी सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।

प्रश्न 21: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति किस अनुच्छेद में निहित है?

  1. अनुच्छेद 111
  2. अनुच्छेद 123
  3. अनुच्छेद 133
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 123 भारतीय संसद के अवकाश काल में अध्यादेश (Ordinances) जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: जब संसद का कोई एक सदन या दोनों सदन सत्र में न हों, और ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए जब राष्ट्रपति की राय में यह आवश्यक हो कि संसद के एक अधिनियम द्वारा किए जाने वाले विधान का तुरंत प्रभाव से विधान किया जाना आवश्यक है, तो राष्ट्रपति अपनी अधिकारिता के अनुसार अध्यादेश प्रख्यापित कर सकते हैं। यह अध्यादेश संसद के पुनः सत्र में आने के छह सप्ताह के भीतर अनुमोदित होना चाहिए, अन्यथा यह स्वतः समाप्त हो जाता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 111, विधेयक पर राष्ट्रपति की सहमति से संबंधित है। अनुच्छेद 133, सर्वोच्च न्यायालय में सिविल मामलों में अपील से संबंधित है। अनुच्छेद 143, राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी समिति ‘संसदीय समिति’ है, लेकिन ‘स्थायी समिति’ नहीं?

  1. लोक लेखा समिति
  2. प्राक्कलन समिति
  3. सरकारी आश्वासन समिति
  4. अनुसंधान के लिए तदर्थ समितियाँ (Ad hoc Committees for Research)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद में विभिन्न प्रकार की समितियाँ होती हैं, जिनमें स्थायी समितियाँ (Standing Committees) और तदर्थ समितियाँ (Ad hoc Committees) शामिल हैं। लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सरकारी आश्वासन समिति सभी स्थायी समितियाँ हैं, जिनका गठन नियमित रूप से किया जाता है और जिनका एक निश्चित कार्यक्षेत्र होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: तदर्थ समितियाँ विशेष प्रयोजनों के लिए बनाई जाती हैं और जब उनका उद्देश्य पूरा हो जाता है तो वे भंग कर दी जाती हैं। ‘अनुसंधान के लिए तदर्थ समितियाँ’ इसी श्रेणी में आती हैं। ये समितियाँ किसी विशिष्ट मुद्दे की जांच या अध्ययन के लिए बनाई जाती हैं और संसदीय प्रक्रिया का एक लचीला हिस्सा हैं।
  • गलत विकल्प: लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सरकारी आश्वासन समिति सभी स्थायी समितियाँ हैं जो वित्तीय या अन्य संसदीय कार्यों पर निगरानी रखती हैं।

प्रश्न 23: भारत के उपराष्ट्रपति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  2. उसकी नियुक्ति एक निर्वाचक मंडल द्वारा की जाती है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं।
  3. वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के लिए 6 महीने से अधिक समय तक पद धारण नहीं कर सकता, जब तक कि उस अवधि के भीतर राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाए।
  4. उसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 64 के अनुसार, राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। उसका चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 66)। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है (अनुच्छेद 67)।
  • संदर्भ और विस्तार: कथन (c) असत्य है। वास्तव में, यदि उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करना होता है, तो वह तब तक उस पद पर कार्य कर सकता है जब तक कि नया राष्ट्रपति नियुक्त न हो जाए, या यदि नया राष्ट्रपति नियुक्त हो गया है, तो उस स्थिति में वह अपने स्वयं के पद पर वापस आ जाएगा। अनुच्छेद 65 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में तब तक कार्य करता है जब तक नया राष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं कर लेता। 6 महीने की सीमा राष्ट्रपति के पद खाली होने पर चुनाव कराने से संबंधित है, न कि उपराष्ट्रपति के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की अवधि से।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सही कथन हैं। (c) असत्य है क्योंकि यह अवधि की सीमा के बारे में गलत जानकारी देता है।

प्रश्न 24: भारत के संविधान में ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत’ (Directive Principles of State Policy) किस भाग में दिए गए हैं?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, जो एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के उद्देश्य से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं। ये न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात इन्हें अदालतों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, लेकिन ये देश के शासन में मूलभूत हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।

प्रश्न 25: भारत के संविधान का कौन सा संशोधन ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण था?

  1. 24वां संशोधन अधिनियम, 1971
  2. 25वां संशोधन अधिनियम, 1971
  3. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  4. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मूल संरचना सिद्धांत’ की स्थापना मुख्य रूप से केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय से हुई। हालाँकि, इस सिद्धांत की जड़ें 25वें संशोधन अधिनियम, 1971 के कुछ प्रावधानों में भी देखी जा सकती हैं, जिन्होंने अनुच्छेद 31C को पेश किया था, जिसने कुछ निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी बनाने के लिए अनुच्छेद 14, 19 और 31 के तहत कुछ मौलिक अधिकारों को प्राथमिकता दी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन उसके ‘मूल ढांचे’ (basic structure) को नहीं बदल सकती। इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण संवैधानिक सीमाएं लगाईं। 24वें संशोधन ने संसद की शक्ति को स्पष्ट किया था, जबकि 42वें संशोधन ने प्रस्तावना को बदला और कुछ अन्य व्यापक परिवर्तन किए। 44वें संशोधन ने कुछ अधिकारों को पुनःस्थापित किया। सिद्धांत की स्थापना के संदर्भ में, केशवानंद भारती का निर्णय (जिसका आधार 25वें संशोधन के प्रभाव का परीक्षण था) सबसे महत्वपूर्ण है। (हालांकि, सीधे तौर पर ‘संशोधन अधिनियम’ पूछने पर, यह मामला 25वें संशोधन के प्रभाव के मूल्यांकन से गहराई से जुड़ा है, लेकिन सिद्धांत की स्थापना स्वयं एक न्यायिक व्याख्या है, न कि किसी संशोधन अधिनियम का प्रत्यक्ष परिणाम।)
  • गलत विकल्प: 24वां संशोधन संसद की शक्ति को बढ़ाता है, लेकिन मूल संरचना सिद्धांत स्थापित नहीं करता। 42वां संशोधन मूल संरचना को कमजोर करने का प्रयास करता था, जिसे बाद में न्यायपालिका ने नियंत्रित किया। 44वां संशोधन मूल संरचना सिद्धांत की स्थापना के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि पिछले संशोधनों के प्रभाव को समायोजित करता है।

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