संविधान की गहराई नापें: 25 पेचीदा प्रश्न
नमस्कार, भावी प्रशासकों! आज भारतीय राजनीति और संविधान की आपकी समझ का वास्तविक परीक्षण करने का दिन है। भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाले सिद्धांतों और प्रावधानों में गोता लगाएँ। यह 25 प्रश्नों का मॉक टेस्ट आपकी वैचारिक स्पष्टता को तेज करने और आपकी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। तो, अपनी कलम उठाएं और शुरू करें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘प्रस्तावना संविधान की मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है’?
- बेरुबारी संघ मामला (1960)
- केशवानंद भारती मामला (1973)
- गोलकनाथ मामला (1967)
- मिनर्वा मिल्स मामला (1980)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की अब तक की सबसे बड़ी पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का एक अंग है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसकी ‘मूल संरचना’ को बदला नहीं जा सकता।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और ‘संविधान की मूल संरचना’ के सिद्धांत को स्थापित किया, जो आज भी भारतीय संवैधानिक कानून का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। प्रस्तावना को संविधान की आत्मा और सार माना गया।
- गलत विकल्प: बेरुबारी संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है। गोलकनाथ मामले ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित करने का प्रयास किया था, लेकिन केशवानंद भारती मामले ने इसे और स्पष्ट किया। मिनर्वा मिल्स मामले ने मूल संरचना सिद्धांत को और मजबूत किया।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए न्यायालय जाने का अधिकार शामिल है?
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 20
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 25
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। यह मौलिक अधिकार स्वयं एक मौलिक अधिकार है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन हेतु रिट (जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत समान शक्तियाँ प्राप्त हैं, हालांकि यह व्यापक है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है, अनुच्छेद 20 दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से, और अनुच्छेद 25 धर्म की स्वतंत्रता से। ये सभी मौलिक अधिकार हैं, लेकिन सीधे प्रवर्तन के लिए न्यायालय जाने का अधिकार अनुच्छेद 32 में निहित है।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 161
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, दंडादेश का निलंबन, विराम, परिहार या लघुकरण करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति उन्हें मृत्युदंड के मामलों में भी क्षमादान देने की अनुमति देती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग की जाती है। इसके विपरीत, राज्यपाल के पास अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान की शक्ति है, जो कुछ हद तक राष्ट्रपति की शक्ति से भिन्न है (जैसे मृत्युदंड को क्षमा करने या कोर्ट मार्शल से संबंधित मामलों में)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है, अनुच्छेद 123 अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति से, और अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- भारत का चुनाव आयोग
- वित्त आयोग
- नीति आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक निकाय है, जिसका कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है। यह सरकार के लिए एक नीति थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) सभी भारतीय संविधान में विशेष अनुच्छेदों द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्ति प्राप्त है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, वित्त आयोग और यूपीएससी संविधान द्वारा स्थापित संस्थाएं हैं, इसलिए वे संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग एक सरकारी प्रस्ताव द्वारा बनाई गई एक कार्यकारी संस्था है।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संशोधन संदर्भ: दसवीं अनुसूची, जिसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था, संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों को निर्धारित करती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य राजनीतिक अस्थिरता को कम करना और विधायकों को दलबदल से रोकना था। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों को न्यायालयों द्वारा संशोधित किया गया है।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची शक्तियों के वितरण से संबंधित है, नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से, और ग्यारहवीं अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों और जिम्मेदारियों से।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संघवाद (Federalism) की विशेषता नहीं है?
- लिखित संविधान
- एकल नागरिकता
- शक्तियों का विभाजन
- स्वतंत्र न्यायपालिका
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: एकल नागरिकता (Single Citizenship) भारतीय संघवाद की एक विशेषता नहीं है, बल्कि यह एकात्मक (Unitary) शासन प्रणाली की विशेषता है। भारतीय संविधान संघात्मक होते हुए भी, नागरिकों को केवल भारत की नागरिकता प्रदान करता है, राज्यों की नहीं।
- संदर्भ एवं विस्तार: लिखित संविधान, शक्तियों का स्पष्ट विभाजन (केंद्र और राज्यों के बीच, सातवीं अनुसूची में) और एक स्वतंत्र न्यायपालिका (जो विवादों का निपटारा करे) भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएं हैं। कनाडा जैसे देशों में दोहरी नागरिकता (संघ और राज्य) पाई जाती है।
- गलत विकल्प: लिखित संविधान (अनुच्छेद 394), शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची), और स्वतंत्र न्यायपालिका (न्यायिक समीक्षा, न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया) भारतीय संघवाद के आवश्यक तत्व हैं। एकल नागरिकता एकात्मक विशेषता है।
प्रश्न 7: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के चुनाव से संबंधित विवादों का निपटारा करने का अधिकार किसे है?
- सर्वोच्च न्यायालय
- उच्च न्यायालय
- संसद
- चुनाव आयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 71 के अनुसार, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव की वैधता से संबंधित किसी भी प्रश्न का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा, जिसका निर्णय अंतिम होगा। इसी प्रकार, प्रधानमंत्री का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से लोकसभा के बहुमत से होता है, और इससे संबंधित विवाद भी सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि देश के सर्वोच्च कार्यकारी पदों के चुनावों में निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी विवाद का निपटारा एक निष्पक्ष और अंतिम प्राधिकारी द्वारा हो।
- गलत विकल्प: उच्च न्यायालयों के पास इन विशिष्ट मामलों में सीधा अधिकार क्षेत्र नहीं है। संसद और चुनाव आयोग चुनाव कराने और नियमों के निर्माण में भूमिका निभाते हैं, लेकिन विवादों का अंतिम निपटारा सर्वोच्च न्यायालय ही करता है।
प्रश्न 8: ‘लोक उपक्रम समिति’ (Committee on Public Undertakings) के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है?
- 22
- 15
- 25
- 30
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: लोक उपक्रम समिति, जो संसद की एक वित्तीय समिति है, में कुल 22 सदस्य होते हैं। इनमें से 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से चुने जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के खातों और उन पर महालेखाकार (CAG) की रिपोर्टों की जांच करती है, ताकि उनकी दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
- गलत विकल्प: लोक लेखा समिति में 22 सदस्य होते हैं (15 लोकसभा से, 7 राज्य सभा से), अनुमान समिति में केवल 30 सदस्य होते हैं, जो सभी लोकसभा से चुने जाते हैं।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialism) शब्द को किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 73वां संशोधन, 1992
- 86वां संशोधन, 2002
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संशोधन संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान लाया गया था और इसने प्रस्तावना को संशोधित कर भारत को एक ‘संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने का उद्घोष किया।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, और 86वें संशोधन ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।
प्रश्न 10: राज्य के नीति निर्देशक तत्वों (DPSP) का उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
- संसद की विधायी शक्तियों को बढ़ाना
- देश में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निर्देशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं, का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के साथ-साथ एक ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की स्थापना करना है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व निर्देशक प्रकृति के हैं, जिसका अर्थ है कि वे न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन राज्य अपने शासन में इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए बाध्य है। ये देश के शासन के लिए मौलिक माने जाते हैं।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना (भाग III का उद्देश्य), संसद की शक्तियों को बढ़ाना, या न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखना DPSP का सीधा उद्देश्य नहीं है, यद्यपि अप्रत्यक्ष रूप से ये जुड़े हो सकते हैं।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमन्त्री
- नीति आयोग का उपाध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमन्त्री होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: NDC भारत का एक कार्यकारी निकाय है, जो पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने और राष्ट्रीय विकास से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों को मंजूरी देने के लिए स्थापित किया गया था। इसमें प्रधानमन्त्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक सदस्य होते हैं।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख होते हैं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष कार्यकारी प्रमुख होते हैं, और वित्त मंत्री महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन NDC के पदेन अध्यक्ष प्रधानमन्त्री ही होते हैं।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘अवशिष्ट शक्तियों’ (Residuary Powers) का उल्लेख है?
- अनुच्छेद 246
- अनुच्छेद 248
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 248 अवशिष्ट शक्तियों से संबंधित है। यह प्रावधान करता है कि संसद के पास संघ सूची और समवर्ती सूची में शामिल न की गई किसी भी विषय पर कानून बनाने की शक्ति है।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) में किया गया है। जिन विषयों का उल्लेख इन सूचियों में नहीं है, वे अवशिष्ट शक्तियाँ कहलाती हैं, जो भारतीय मॉडल में संघीय विधायिका (संसद) में निहित हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 246 संघ और राज्यों द्वारा बनाए जा सकने वाले कानूनों के विषय से संबंधित है, अनुच्छेद 249 राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से, और अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 13: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला संविधान संशोधन कौन सा है?
- 73वां संविधान संशोधन, 1992
- 74वां संविधान संशोधन, 1992
- 64वां संविधान संशोधन, 1989
- 65वां संविधान संशोधन, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संशोधन संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज की 29 शक्तियां वर्णित हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्ति, अधिकार और स्वायत्तता प्रदान करना था ताकि वे जमीनी स्तर पर स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो पाए थे।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- कानून के समक्ष समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) जैसे अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में रहने वाले विदेशियों को भी उपलब्ध हैं (कुछ अपवादों को छोड़कर)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध हैं, जबकि अनुच्छेद 15 विशेष रूप से केवल नागरिकों को प्राप्त है।
प्रश्न 15: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमन्त्री
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- संसदीय समिति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है और वह राष्ट्रपति की इच्छा पर्यंत पद धारण करता है। वह भारत सरकार को महत्वपूर्ण कानूनी मामलों पर सलाह देता है और उसकी ओर से न्यायालयों में उपस्थित होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमन्त्री सरकार के प्रमुख होते हैं, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं, और संसदीय समितियां विधायी कार्य करती हैं, लेकिन नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति का स्रोत क्या है?
- संविधान में प्रत्यक्ष उल्लेख
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिकी संविधान
- सुस्थापित संसदीय प्रथा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, जिसके तहत न्यायपालिका विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों और कार्यपालिका के कार्यों की संवैधानिकता की जांच करती है, अमेरिकी संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान में इसका प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, लेकिन यह अनुच्छेदों 13, 32, 226 और 142 के तहत अंतर्निहित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में न्यायिक पुनर्विलोकन को संविधान की मूल संरचना का हिस्सा माना है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कानून या कार्य संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध न हो।
- गलत विकल्प: अमेरिकी संविधान में यह शक्ति ‘मार्बरी बनाम मैडिसन’ (1803) मामले में स्थापित हुई थी। भारतीय संविधान में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है, न ही यह ब्रिटिश परंपरा का हिस्सा है।
प्रश्न 17: संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- राज्य सभा के सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 118(3) के अनुसार, भारत का लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संयुक्त बैठक सामान्यतः तब बुलाई जाती है जब किसी विधेयक पर दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न हो जाता है (अनुच्छेद 108)। यदि लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्य सभा का उप-सभापति अध्यक्षता करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाता है (अनुच्छेद 108), उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है, और राज्य सभा का उप-सभापति भी अध्यक्षता कर सकता है, लेकिन सामान्य और अंतिम अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष की होती है।
प्रश्न 18: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वे 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहते हैं।
- वे भारत सरकार के खातों का ऑडिट करते हैं।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महानियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। वे 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक पद धारण करते हैं (अनुच्छेद 148(3))। CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के सभी खातों का ऑडिट करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल को सौंपता है, जिन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के पटल पर रखा जाता है (अनुच्छेद 151)।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और सार्वजनिक धन का संरक्षक माना जाता है।
- गलत विकल्प: तीनों ही कथन CAG के संबंध में सत्य हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 19: भारत में आपातकालीन प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- जर्मनी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं संदर्भ: भारत में आपातकालीन प्रावधानों, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360), की प्रेरणा जर्मनी के ‘वाइमर गणराज्य’ के संविधान से ली गई है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जर्मनी के संविधान ने युद्ध या आंतरिक अशांति के समय नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित करने की व्यवस्था की थी, जिसे भारतीय संविधान निर्माताओं ने अपनाया। हालाँकि, भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों को कनाडा के मॉडल से भी कुछ प्रेरणा मिली है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, कनाडा से संघवाद (अवशिष्ट शक्तियों सहित) और ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची जैसी विशेषताएं ली गई हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा कथन **असत्य** है?
- मौलिक कर्तव्य न्यायोचित (Justiciable) नहीं हैं।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व प्रकृति में न्यायोचित हैं।
- संसद मौलिक अधिकारों को केवल प्रस्तावना में संशोधन करके सीमित कर सकती है।
- संविधान की मूल संरचना में संशोधन नहीं किया जा सकता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: यह कथन कि ‘राज्य के नीति निर्देशक तत्व प्रकृति में न्यायोचित हैं’ **असत्य** है। मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) और DPSP दोनों ही अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (Non-justiciable)। यह मौलिक अधिकार (भाग III) हैं जो न्यायोचित (Justiciable) हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मौलिक कर्तव्य और DPSP राज्य को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, लेकिन उनके उल्लंघन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों को न्यायोचित ठहराता है। संसद मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है, लेकिन मूल संरचना को नहीं (केशवानंद भारती मामला)।
- गलत विकल्प: (a) मौलिक कर्तव्य न्यायोचित नहीं हैं, यह सत्य है। (c) संसद मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है, लेकिन प्रस्तावना में संशोधन के माध्यम से ही नहीं, बल्कि संविधान के अन्य प्रावधानों द्वारा भी (हालांकि मूल संरचना को प्रभावित किए बिना)। यह कथन पूरी तरह से सटीक नहीं है, पर (b) स्पष्ट रूप से असत्य है। (d) संविधान की मूल संरचना में संशोधन नहीं किया जा सकता, यह सत्य है।
प्रश्न 21: भारत में ‘अस्पृश्यता’ का उन्मूलन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है। इसे एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस अनुच्छेद को प्रभावी बनाने के लिए संसद ने ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ पारित किया, जिसे बाद में ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955’ कर दिया गया।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता से संबंधित हैं।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस निकाय का गठन ‘संवैधानिक रूप से’ किया गया है?
- राष्ट्रीय महिला आयोग
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग का गठन अनुच्छेद 280 के तहत संवैधानिक रूप से किया गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वित्त आयोग एक अर्ध-न्यायिक (quasi-judicial) संस्था है जो केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण के संबंध में सिफारिशें करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसे निकाय संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित सांविधिक (statutory) निकाय हैं, न कि संवैधानिक।
- गलत विकल्प: अन्य तीनों आयोगों का गठन संसद के अधिनियमों के तहत हुआ है, जबकि वित्त आयोग का प्रावधान सीधे संविधान में है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत ‘राज्य’ (State) की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 36
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12, भाग III (मौलिक अधिकार) के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ की परिभाषा देता है, जिसमें संसद और सरकार, राज्य विधानमंडल और सरकार, और सभी स्थानीय प्राधिकारी या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। अनुच्छेद 36, भाग IV (DPSP) के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ की परिभाषा देता है, जो अनुच्छेद 12 के समान है। अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से ‘राज्य’ की विधायी शक्तियों को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए ‘राज्य’ की व्यापक परिभाषा महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य की सभी शाखाएं इन अधिकारों का उल्लंघन न करें।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 12 और 36 दोनों ‘राज्य’ की परिभाषा देते हैं, और अनुच्छेद 13 राज्य की शक्तियों पर नियंत्रण रखता है। इसलिए, तीनों ही मौलिक अधिकारों के संदर्भ में प्रासंगिक हैं।
प्रश्न 24: ‘सर्वोच्च न्यायालय’ किस अनुच्छेद के तहत मूल, अपीलीय और परामर्शदात्री अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है?
- अनुच्छेद 131, 132, 136, 143
- अनुच्छेद 226, 227, 228
- अनुच्छेद 32, 226
- अनुच्छेद 143, 226
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय का मूल अधिकार क्षेत्र अनुच्छेद 131 में, अपीलीय अधिकार क्षेत्र अनुच्छेद 132 (संवैधानिक मामले), 133 (सिविल मामले), 134 (आपराधिक मामले), 136 (विशेष अनुमति द्वारा अपील) में, और परामर्शदात्री अधिकार क्षेत्र अनुच्छेद 143 में वर्णित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय के व्यापक न्यायिक क्षेत्राधिकार को दर्शाते हैं, जो इसे संघीय विवादों, संवैधानिक व्याख्याओं और अन्य महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में अंतिम प्राधिकारी बनाते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है, अनुच्छेद 227 उच्च न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति देता है, और अनुच्छेद 228 कुछ मामलों को उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन हेतु रिट जारी करने की शक्ति देता है (जो इसका मूल अधिकार क्षेत्र का हिस्सा है), लेकिन अनुच्छेद 131, 132, 136, 143 सर्वोच्च न्यायालय के सम्पूर्ण अधिकार क्षेत्रों को कवर करते हैं।
प्रश्न 25: भारत का संविधान किस वर्ष अस्तित्व में आया?
- 1947
- 1949
- 1950
- 1952
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से अस्तित्व में आया, जिसे ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था (जिस दिन अनुच्छेद 394 के तहत कुछ प्रावधान लागू हुए), लेकिन पूर्ण लागू होने की तारीख 26 जनवरी 1950 ही मानी जाती है, जिसे ‘प्रारम्भ दिवस’ भी कहा जाता है। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, और 1949 में संविधान अपनाया गया। 1952 में पहला आम चुनाव हुआ।
- गलत विकल्प: 1947 में स्वतंत्रता मिली, 1949 में संविधान अपनाया गया, और 1952 में पहला आम चुनाव हुए।