संविधान की गहराई नापें: आज का महा-अभ्यास
तैयारी की मशाल जलाइए और भारतीय राजव्यवस्था के ज्ञान को पैना कीजिए! यह हर दिन का अभ्यास सत्र आपके संविधानिक सरोकारों को मजबूत करने और आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, भारतीय लोकतंत्र की नींव को और गहराई से समझें और खुद को आगामी परीक्षाओं के लिए तैयार करें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residual Powers) किसके पास निहित हैं?
- राष्ट्रपति
- संसद
- सर्वोच्च न्यायालय
- राज्य विधानमंडल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विधायी विषयों को विभाजित करती है। जिन विषयों का उल्लेख इन सूचियों में नहीं है, वे अवशिष्ट विषय कहलाते हैं। संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ केवल संसद में निहित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान कनाडा के संविधान से प्रेरित है। इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई ऐसा विषय जो वर्तमान में तीनों सूचियों में से किसी में भी सूचीबद्ध नहीं है, उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार (संसद) के पास है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति या सर्वोच्च न्यायालय के पास विधायी शक्तियाँ नहीं होतीं। राज्य विधानमंडल के पास केवल राज्य सूची के विषयों पर और समवर्ती सूची के विषयों पर (कुछ शर्तों के साथ) कानून बनाने का अधिकार होता है, अवशिष्ट विषयों पर नहीं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी लोक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाती है?
- हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- मेंडमस (Mandamus)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- क्योरटोरारी (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus), जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या लोक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी लोक प्राधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने से न बचे। यह रिट किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती।
- गलत विकल्प: ‘हैबियस कॉर्पस’ का अर्थ है ‘सबूत के साथ उपस्थित करना’ और यह अवैध हिरासत में रखे गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए जारी की जाती है। ‘प्रोहिबिशन’ का अर्थ है ‘रोकना’ और यह किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है। ‘क्योरटोरारी’ का अर्थ है ‘प्रमाणित करना’ और यह किसी निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा जारी किए गए आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में किसी भी विवाद का निर्णय कौन करता है?
- भारत का मुख्य न्यायाधीश
- भारत का उपराष्ट्रपति
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय
- लोकसभा का अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 71 (1) के अनुसार, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की विधिमान्यता के बारे में किसी भी प्रश्न का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति जैसे उच्च पद के चुनाव में किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से हो। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है।
- गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश या उपराष्ट्रपति स्वयं मामले का निर्णय नहीं करते, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय (संपूर्ण संस्था) यह कार्य करती है। लोकसभा अध्यक्ष चुनावों की प्रक्रिया में भाग लेते हैं, लेकिन विवादों का निपटारा उनका कार्यक्षेत्र नहीं है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय संविधान का लक्षण ‘प्रस्तावना’ (Preamble) से सीधे तौर पर प्रतिबिंबित नहीं होता है?
- संप्रभुता
- धर्मनिरपेक्षता
- न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक)
- संघवाद (Federalism)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और प्रस्तावना संदर्भ: प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है और अपने नागरिकों के लिए न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक), स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करती है। इसलिए, संप्रभुता, पंथनिरपेक्षता (धर्मनिरपेक्षता) और न्याय प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘संघवाद’ (Federalism) शब्द प्रस्तावना में सीधे तौर पर उल्लिखित नहीं है। यद्यपि भारत का संविधान संघीय (federal) प्रकृति का है, जिसमें शक्तियों का केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन है, लेकिन इसे ‘अर्ध-संघात्मक’ (quasi-federal) या ‘एकात्मकता की ओर झुकाव वाला’ (unitary bias) संघ भी कहा जाता है। ‘संघवाद’ शब्द का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 1 में “India, that is Bharat, shall be a Union of States” में “Union of States” के रूप में किया गया है, जो भारतीय संघ की एकात्मक प्रकृति पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: संप्रभुता (a), पंथनिरपेक्षता (b), और न्याय (c) प्रस्तावना के अभिन्न अंग हैं और संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माने जाते हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द क्या इंगित करता है?
- भारत एक वंशानुगत शासनाध्यक्ष वाला राज्य है।
- भारत का शासनाध्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
- भारत का शासनाध्यक्ष प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
- भारत का शासनाध्यक्ष निर्वाचित और निश्चित अवधि के लिए होता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और प्रस्तावना संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख वंशानुगत नहीं होता, बल्कि वह एक निश्चित अवधि के लिए अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। भारत में, राष्ट्रपति (राज्य के प्रमुख) अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं और उनका पद निश्चित कार्यकाल (5 वर्ष) के लिए होता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ का उल्लेख भारत के राजनीतिक स्वरूप को स्पष्ट करता है, जहाँ सत्ता जनता में निहित है और राष्ट्राध्यक्ष जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि गणराज्य में वंशानुगत शासन नहीं होता। (b) आंशिक रूप से सही है लेकिन (d) अधिक व्यापक और सटीक है। (c) भारत में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष होता है। (d) सही अर्थ बताता है कि राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होता है और उसका कार्यकाल निश्चित होता है।
प्रश्न 6: अनुच्छेद 19 के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर कौन से आधारों पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं?
- भारत की संप्रभुता और अखंडता
- राज्य की सुरक्षा
- सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है। हालांकि, अनुच्छेद 19(2) इस अधिकार पर कुछ उचित प्रतिबंधों की अनुमति देता है। ये प्रतिबंध भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, या मानहानि, अपराध के लिए उकसाना आदि के आधार पर लगाए जा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रतिबंध सुनिश्चित करते हैं कि एक नागरिक के अधिकार का प्रयोग दूसरे नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन न करे या समाज में अव्यवस्था न फैलाए।
- गलत विकल्प: सभी सूचीबद्ध विकल्प (a), (b), और (c) अनुच्छेद 19(2) के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जा सकने वाले वैध प्रतिबंधों के आधार हैं।
प्रश्न 7: संविधान का कौन सा अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को अपनी रुचि की संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है?
- अनुच्छेद 29
- अनुच्छेद 30
- अनुच्छेद 26
- अनुच्छेद 25
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 30 (1) स्पष्ट रूप से कहता है कि “धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यकों को, अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।”
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों को सुरक्षित करता है, उन्हें अपनी पहचान बनाए रखने और उसे बढ़ावा देने का अवसर देता है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि ‘अल्पसंख्यक’ का निर्धारण केवल भाषाई या धार्मिक आधार पर होता है, न कि जाति या किसी अन्य आधार पर।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है, जिसमें उनकी विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार शामिल है। अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता से संबंधित है, और अनुच्छेद 25 अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता से संबंधित है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के बारे में असत्य है?
- वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- उसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- उसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, परंतु मतदान का अधिकार नहीं।
- वह अनुच्छेद 76 के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने की अहर्ता रखता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति, शक्तियाँ और कार्य अनुच्छेद 76 में वर्णित हैं। वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अनुच्छेद 88 के तहत, उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी की अहर्ता अनुच्छेद 124 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए, जिसमें भारतीय नागरिक होना और किसी उच्च न्यायालय या दो या अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 5 वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य करना, या किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक वकील के रूप में कार्य करना शामिल है।
- गलत विकल्प: कथन (d) असत्य है क्योंकि महान्यायवादी के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की अहर्ता आवश्यक नहीं है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की अहर्ता आवश्यक है।
प्रश्न 9: संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल कितना हो सकता है?
- 3 महीने
- 4 महीने
- 6 महीने
- 12 महीने
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 (1) के अनुसार, राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे स्थान और समय पर आहूत करेगा जो वह उचित समझे। परंतु, एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 6 मास से अधिक का अंतर नहीं होगा।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 महीने का अंतराल हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद नियमित रूप से कार्य करे और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करे।
- गलत विकल्प: 3, 4, या 12 महीने के अंतराल की कोई संवैधानिक सीमा नहीं है; 6 महीने ही वह अधिकतम समय है जो दो सत्रों के बीच हो सकता है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान में ‘आपात उपबंध’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- यूनाइटेड किंगडम
- जर्मनी का वाइमर संविधान
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और प्रेरणा: भारतीय संविधान के आपातकालीन उपबंधों (राष्ट्रीय आपात, राज्य आपात और वित्तीय आपात) का प्रावधान जर्मनी के वाइमर संविधान (Weimar Constitution of Germany) से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: इन उपबंधों को संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक शामिल किया गया है। इन उपबंधों का उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए, या गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति में, केंद्र सरकार को विशेष शक्तियाँ प्रदान करना है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका (a) से न्यायिक पुनर्विलोकन, मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति आदि लिए गए हैं। कनाडा (b) से संघवाद और अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होना लिया गया है। यूनाइटेड किंगडम (c) से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन आदि लिए गए हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का ‘मूल ढांचा’ (Basic Structure) नहीं है?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- बेरूबारी संघ मामला
- मिनर्वा मिल्स मामला
- एस.आर. मुंबई मामला
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और ऐतिहासिक संदर्भ: ‘बेरूबारी संघ मामले (1960)’ में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा नहीं है और इसलिए, उस पर अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन का अधिकार लागू नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, बाद में ‘केशवानंद भारती मामले (1973)’ में, न्यायालय ने अपने पूर्व के निर्णय को पलट दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है और यह भी कहा कि प्रस्तावना संविधान के ‘मूल ढांचे’ का हिस्सा है। इसलिए, प्रस्तावना को संशोधित किया जा सकता है, लेकिन उसके मूल ढांचे को प्रभावित किए बिना।
- गलत विकल्प: केशवानंद भारती मामले (a) में प्रस्तावना को मूल ढांचे का हिस्सा माना गया। मिनर्वा मिल्स (c) और एस.आर. मुंबई (d) मामलों ने मूल ढांचे के सिद्धांत को और विकसित किया, जिसमें प्रस्तावना के महत्व को रेखांकित किया गया।
प्रश्न 12: राज्यों के पुनर्गठन के लिए ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ (States Reorganisation Commission) का गठन कब किया गया था?
- 1948
- 1950
- 1953
- 1956
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और गठन: भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँगों के बीच, भारत सरकार ने 1953 में ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ (States Reorganisation Commission) का गठन किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस आयोग की अध्यक्षता फजल अली ने की थी और इसके अन्य सदस्य के.एम. पणिक्कर और एच.एन. कुंजरू थे। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganisation Act, 1956) पारित किया गया, जिसने भारत के राज्यों का पुनर्गठन किया।
- गलत विकल्प: 1948 में ‘भाषा प्रांत आयोग’ (Dar Commission) का गठन हुआ था, जिसने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किया था। 1950 में संविधान लागू हुआ। 1956 में पुनर्गठन अधिनियम आया, लेकिन आयोग का गठन 1953 में हुआ था।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 123
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, लघुकरण, प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शक्ति के तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को भी माफ कर सकता है, जो राज्यपाल (अनुच्छेद 161) के पास नहीं होता। यह शक्ति राष्ट्रपति की न्यायपालिका संबंधी शक्तियों का एक हिस्सा है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संबंधित है। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और संशोधन: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में संसद द्वारा पारित किया गया था, जो 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243 O तक) जोड़ा और ग्यारहवीं अनुसूची को शामिल किया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने पंचायती राज को “स्व-शासन की एक प्रणाली” के रूप में स्थापित किया।
- गलत विकल्प: संशोधन 1992 में पारित हुआ, हालांकि यह 1993 में लागू हुआ। प्रश्न पारित होने का वर्ष पूछता है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी व्यवस्था भारत के संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा नहीं है?
- संसदीय प्रणाली
- कानून का शासन
- धर्मनिरपेक्षता
- ‘समानता’ और ‘स्वतंत्रता’ के बीच संतुलन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और मूल ढाँचा: केशवानंद भारती मामले (1973) और उसके बाद के कई निर्णयों में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि भारतीय संविधान की कुछ बुनियादी विशेषताएँ हैं जिन्हें ‘मूल ढांचा’ कहा जाता है और इन्हें संसद द्वारा संविधान संशोधन अधिनियम, 1973 (संविधान का 24वां संशोधन) के माध्यम से भी बदला नहीं जा सकता। संसदीय प्रणाली (a), कानून का शासन (b), और धर्मनिरपेक्षता (c) सभी को मूल ढांचे का हिस्सा माना गया है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘समानता’ और ‘स्वतंत्रता’ मौलिक अधिकार हैं और प्रस्तावना में भी इनका उल्लेख है। इन दोनों के बीच संतुलन (d) एक व्याख्या का विषय हो सकता है और न्यायालय द्वारा विभिन्न मामलों में इसे सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह स्वयं ‘समानता’ या ‘स्वतंत्रता’ जैसे मौलिक सिद्धांतों की तरह एक स्पष्ट मूल ढाँचा तत्व नहीं है। न्यायालय ने स्वयं यह कहा है कि वे (समानता और स्वतंत्रता) मूल ढांचे के तत्व हैं, लेकिन उनका “संतुलन” एक सीधी व्याख्या नहीं है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) निश्चित रूप से मूल ढांचे के हिस्से हैं। (d) एक विवादास्पद या गतिशील व्याख्या है, न कि एक स्थापित मूल ढाँचा तत्व।
प्रश्न 16: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है?
- केवल निर्वाचित सदस्य, संसद के
- केवल मनोनीत सदस्य, संसद के
- लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधान सभाओं के सभी सदस्य
- लोकसभा, राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के तहत एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दिल्ली और पुडुचेरी (और अब 70वें संविधान संशोधन, 1992 के बाद जम्मू और कश्मीर भी) के केंद्र शासित प्रदेशों की विधान सभाओं के सदस्य भी अब राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं। मनोनीत सदस्य (nominated members) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।
- गलत विकल्प: (a) और (b) गलत हैं क्योंकि संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। (c) गलत है क्योंकि राज्य विधान सभाओं के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते, और संसद के मनोनीत सदस्य भी भाग नहीं लेते।
प्रश्न 17: ‘पंच परमेश्वर’ की अवधारणा भारतीय संविधान के किस भाग में पाई जाती है?
- भाग IX (पंचायती राज)
- भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व)
- भाग III (मौलिक अधिकार)
- भाग VII (राज्यों के पहली अनुसूची के भाग B के संदर्भ में)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और संवैधानिक भाग: ‘पंच परमेश्वर’ की अवधारणा, जो प्राचीन भारतीय ग्राम प्रशासन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी, भारतीय संविधान के भाग IX में पंचायती राज संस्थाओं (Gram Panchayats) के प्रावधानों में परिलक्षित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 243 (d) ग्राम सभा को परिभाषित करता है, जिसमें गाँव के पंजीकृत मतदाता शामिल होते हैं। ग्राम सभा को ग्राम स्तर पर निर्णय लेने वाली संस्था के रूप में देखा जाता है, जहाँ ‘पंच परमेश्वर’ की तरह, समुदाय के लोग मिलकर निर्णय लेते हैं। 73वें संविधान संशोधन ने इसे संवैधानिक आधार प्रदान किया।
- गलत विकल्प: भाग IV (DPSP) में ग्राम पंचायतों के गठन का उल्लेख (अनुच्छेद 40) है, लेकिन ‘पंच परमेश्वर’ की संस्थागत व्याख्या भाग IX में है। भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग VII अब निरस्त कर दिया गया है।
प्रश्न 18: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को नए राज्यों का निर्माण या मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान करता है: (a) किसी राज्य में से उसका क्षेत्र अलग करके दो या अधिक राज्यों को मिलाकर या किसी राज्य क्षेत्र को किसी राज्य में मिलाकर नया राज्य बनाना; (b) किसी राज्य की सीमा बढ़ाना; (c) किसी राज्य की सीमा घटाना; (d) किसी राज्य का नाम बदलना।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के सभी कानून केवल राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही पेश किए जा सकते हैं, और संबंधित राज्य विधानमंडल की राय जानने के लिए विधेयक भेजा जाता है। हालाँकि, राष्ट्रपति और संसद उस राय से बाध्य नहीं होते।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का वर्णन करता है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है। अनुच्छेद 4 यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून साधारण बहुमत से पारित किए जा सकते हैं और वे संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।
प्रश्न 19: भारत में ‘सांसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) किस अनुच्छेद के तहत परिभाषित किए गए हैं?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 104
- अनुच्छेद 106
- अनुच्छेद 103
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद के सदस्यों (संसद) और उसकी समितियों को प्राप्त विशेषाधिकारों, उन्मुक्तियों और शक्तियों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इन विशेषाधिकारों में सदन के भीतर और बाहर भाषण की स्वतंत्रता, सदन की कार्यवाही की रिपोर्ट प्रकाशित करने का अधिकार, और कुछ मामलों में गिरफ्तारी से छूट आदि शामिल हैं। ये विशेषाधिकार संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और सदस्यों को बिना डर के बोलने के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 104 सदस्यों द्वारा शपथ लेने से पहले या अयोग्य होने पर बैठकों में भाग लेने या मतदान करने पर दंड से संबंधित है। अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन और भत्ते से संबंधित है। अनुच्छेद 103 संसद के सदस्यों की अयोग्यता संबंधी प्रश्नों पर राष्ट्रपति के निर्णय से संबंधित है।
प्रश्न 20: संविधान का कौन सा संशोधन ‘शिक्षा’ को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित करता है?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 52वां संशोधन, 1985
- 61वां संशोधन, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और संशोधन: 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976, जिसने ‘संविधान का लघुकरण’ (Mini-Constitution) भी कहा जाता है, ने शिक्षा को राज्य सूची (सूची 2) से हटाकर समवर्ती सूची (सूची 3) में स्थानांतरित कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पांच विषय (शिक्षा, वन, नाप-तौल, वन्यजीव संरक्षण और न्याय प्रशासन) राज्य सूची से समवर्ती सूची में डाले, जिससे केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों में कानून बनाने की शक्ति मिल गई।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन (1985) दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है। 61वां संशोधन (1989) मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करता है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान का संरक्षक (Guardian of the Constitution) माना जाता है?
- राष्ट्रपति
- संसद
- सर्वोच्च न्यायालय
- भारत का महान्यायवादी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और भूमिका: सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय संविधान का संरक्षक माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को लागू करने (अनुच्छेद 32) और संविधान की व्याख्या करने के लिए अपनी न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की शक्ति का उपयोग करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय किसी भी ऐसे कानून या सरकारी कार्य को असंवैधानिक घोषित कर सकता है जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो। यह संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख है, संसद विधायी निकाय है, और महान्यायवादी कानूनी सलाहकार है। इनमें से किसी की भी प्राथमिक भूमिका संविधान का संरक्षक होना नहीं है।
प्रश्न 22: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- गृह मंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 316 (1) के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जो अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया आयोजित करता है। सदस्यों को 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक (जो भी पहले हो) नियुक्त किया जाता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या लोकसभा अध्यक्ष इन नियुक्तियों के लिए अधिकृत नहीं हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘राज्य के नीति निदेशक तत्वों’ (DPSP) के बारे में सत्य है?
- ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
- इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
- ये किसी भी परिस्थिति में राज्य के विधायी कार्यों को प्रभावित नहीं कर सकते।
- ये केवल कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर बल देते हैं, न कि सामाजिक-आर्थिक न्याय पर।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं। इनका उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, जिसमें सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित हो। ये सीधे तौर पर न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं हैं, जैसा कि मौलिक अधिकार (भाग III) हैं (अनुच्छेद 37)।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में ये सिद्धांत मूलभूत हैं और राज्य का यह कर्तव्य है कि विधि बनाते समय इन तत्वों को ध्यान में रखे (अनुच्छेद 37)। ये मौलिक अधिकारों के पूरक हैं और सामाजिक-आर्थिक क्रांति का माध्यम हैं।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। (c) गलत है क्योंकि ये विधायी कार्यों को प्रभावित करते हैं (अनुच्छेद 37)। (d) गलत है क्योंकि ये सामाजिक-आर्थिक न्याय पर भी बल देते हैं, न कि केवल कल्याणकारी राज्य पर।
प्रश्न 24: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) का वार्षिक प्रतिवेदन किसको प्रस्तुत किया जाता है?
- प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का अनुच्छेद 148 के तहत प्रावधान है। CAG के अनुच्छेद 151 (1) के अनुसार, CAG द्वारा संघ के खातों से संबंधित प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाएगा, जो तत्पश्चात उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार के व्यय का लेखा-जोखा रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग नियमों के अनुसार हो रहा है या नहीं। उसके प्रतिवेदन संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) द्वारा जांचे जाते हैं।
- गलत विकल्प: CAG सीधे प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री या लोकसभा अध्यक्ष को प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं करता, बल्कि राष्ट्रपति को।
प्रश्न 25: संविधान की प्रस्तावना में ‘समानता’ का अधिकार किन-किन रूपों में सुनिश्चित किया गया है?
- सामाजिक
- आर्थिक
- राजनीतिक
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता और प्रस्तावना संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है। इसी के साथ, यह प्रतिष्ठा और अवसर की समानता की भी गारंटी देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग, या जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सभी को समान अवसर मिलें। मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14-18) इन समानताओं को संवैधानिक बल प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में उल्लिखित सभी तीनों प्रकार की समानताएँ (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) संविधान के लक्ष्य हैं, जिन्हें मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों के माध्यम से प्राप्त करने का प्रयास किया गया है।