संविधान की कसौटी: 25 प्रश्न आपकी तैयारी को परखें
देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने की गहरी समझ ही सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने संविधानिक ज्ञान की गहराई और वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के इस विशेष अभ्यास सत्र में गोता लगाएँ और देखें कि आप आज की चुनौती के लिए कितने सुसज्जित हैं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किस रूप में किया गया है?
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
- कानूनी, सामाजिक और आर्थिक
- राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक
- सामाजिक, वित्तीय और राजनीतिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय का उल्लेख ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक’ न्याय के रूप में किया गया है। यह न्याय का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो नागरिकों को केवल कानूनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता और निष्पक्षता की भी गारंटी देता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना स्पष्ट रूप से बताती है कि संविधान भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। यह न्याय की अवधारणा रूस की क्रांति से प्रेरित है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) न्याय के इन तीनों आयामों को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं या उसमें अतिरिक्त आयाम जोड़ते हैं जिनका प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 2: भारत के राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 116
- अनुच्छेद 121
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को संसद के स्थगन काल के दौरान अध्यादेश जारी करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को तब मिलती है जब संसद का कोई भी सदन सत्र में न हो और ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए कि किसी कानून को तत्काल लागू करना आवश्यक हो। राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश संसद के सत्र शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना आवश्यक है, अन्यथा यह समाप्त हो जाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों, जैसे विधेयक पर सहमति देना या रोकना, से संबंधित है। अनुच्छेद 116 ‘वोट ऑन अकाउंट’ से संबंधित है। अनुच्छेद 121 संसद के सदस्यों द्वारा किसी भी ऐसे मामले पर चर्चा को प्रतिबंधित करता है जिसका न्यायपालिका द्वारा निर्णय किया जा रहा है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’ के किन-किन रूपों का उल्लेख है?
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, उपासना और समानता
- विचार, विश्वास, धर्म, उपासना और स्वतंत्रता
- अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना और अधिकार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना नागरिकों को ‘विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता’ प्रदान करती है। ये स्वतंत्रताएं मौलिक अधिकारों में अनुच्छेद 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) आदि में विस्तृत रूप से वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना इन स्वतंत्रताओं को सुनिश्चित करने के प्रति संविधान के संकल्प को दर्शाती है, जो भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प स्वतंत्रता के सही रूपों को या तो गलत तरीके से सूचीबद्ध करते हैं या ‘समानता’ या ‘अधिकार’ जैसे अन्य अवधारणाओं को स्वतंत्रता के रूप में शामिल करते हैं, जो कि प्रस्तावना में उल्लिखित नहीं हैं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है?
- भाग IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- भाग II: मौलिक अधिकार
- भाग III: नागरिकता
- भाग V: संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भाग II नागरिकता से संबंधित है। भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है, और भाग V संघ (कार्यपालिका, संसद, सर्वोच्च न्यायालय) से संबंधित है। प्रश्न में पूछा गया है कि कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है, और यहाँ सभी युग्म सही हैं। प्रश्न में गलती हो सकती है या प्रश्न को ऐसे बनाना चाहिए था कि एक गलत युग्म हो। यहाँ, यदि हम प्रश्न के प्रारूप के अनुसार देखें, तो सभी सुमेलित हैं। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय यह था कि कौन सा भाग किस विषय से *संबंधित नहीं है* (जो कि गलत है) या कोई एक सूची गलत है। वर्तमान स्वरूप में, सभी सुमेलित हैं। पुनः जांच करने पर, भाग III मौलिक अधिकार है, न कि नागरिकता। इसलिए, (c) गलत है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक भाग विशिष्ट विषयों से संबंधित है। भाग II नागरिकता, भाग III मौलिक अधिकार, भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्व और भाग V संघ सरकार की संरचना व कार्यों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि भाग III भारतीय संविधान का मौलिक अधिकारों से संबंधित है, नागरिकता से नहीं। नागरिकता भाग II में वर्णित है।
प्रश्न 5: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटाकर एक कानूनी अधिकार बना दिया गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा, संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) से हटाकर संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक कानूनी अधिकार बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इससे पहले, 42वें संशोधन (1976) ने मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा था। 44वें संशोधन का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार से जुड़ी कुछ अनिश्चितताओं को दूर करना और इसे विधायिका के लिए अधिक सुलभ बनाना था।
- गलत विकल्प: 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है, और 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के संबंध में सत्य है?
- यह केवल संसद के सदस्यों तक सीमित है।
- ये किसी भी बाहरी प्राधिकरण द्वारा लागू नहीं किए जा सकते।
- ये स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं और कोई भी विशेषाधिकार अदालती जांच के अधीन नहीं हो सकता।
- ये संविधान के अनुच्छेद 105 में वर्णित हैं और संसद की गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 के अनुसार, संसद और उसके सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं जो संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और प्रभावी कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संविधान द्वारा या संसद के अधिनियमों द्वारा परिभाषित किए जाते हैं। कुछ विशेषाधिकारों की व्याख्या अदालतों द्वारा की जा सकती है। हालांकि, विशेषाधिकारों की एक व्यापक सूची है, जिनमें भाषण की स्वतंत्रता (सदन के भीतर) और समितियों के सदस्यों के रूप में कार्य करते समय विशेषाधिकार शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ये केवल सदस्यों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामूहिक रूप से सदन पर भी लागू होते हैं। कुछ विशेषाधिकारों की व्याख्या के लिए अदालती जांच संभव है (जैसा कि ‘पार्लियामेंटरी विशेषाधिकार बनाम मौलिक अधिकार’ के मामले में देखा गया है)।
प्रश्न 7: भारत में ‘लोकसभा’ का अध्यक्ष (Speaker) कैसे चुना जाता है?
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित किया जाता है।
- लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से चुना जाता है।
- राज्यसभा द्वारा चुना जाता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा के सदस्यों में से ही चुना जाता है। यह चुनाव लोकसभा की पहली बैठक के तुरंत बाद, अध्यक्ष के पद के खाली होने पर, या जब भी राष्ट्रपति इस हेतु नियत करें, तब होता है। यह चुनाव लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से होता है। (अनुच्छेद 93)
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का पद निष्पक्षता और गरिमा का प्रतीक है। उनका चुनाव प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा तय की गई तारीख को होता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्ति या नामांकन का कोई प्रावधान नहीं है। राज्यसभा का अध्यक्ष (उपराष्ट्रपति) के अलावा, राज्यसभा का अपना कोई अध्यक्ष नहीं होता; अध्यक्ष पद के लिए लोकसभा के सदस्य ही योग्य होते हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर बने रहने के लिए जारी की जाती है, और यह साबित करने के लिए कहा जाता है कि उसे उस पद पर बने रहने का अधिकार है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकार-पृच्छा’ (Quo Warranto) रिट का अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध जारी की जाती है जो सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से आसीन हो। इसके द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति से पूछता है कि वह किस अधिकार के तहत उस पद पर बना हुआ है, और यदि वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाता है, तो उसे पद से हटाया जा सकता है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट सार्वजनिक कार्यालयों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण न्यायिक उपाय है।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ अवैध निरोध के विरुद्ध है, ‘परमादेश’ किसी लोक निकाय या अधिकारी को उसके कर्तव्य करने के लिए आदेश देता है, और ‘प्रतिषेध’ किसी अधीनस्थ न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए है।
प्रश्न 9: भारत में ‘एकीकृत न्यायपालिका’ (Integrated Judiciary) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- उच्च न्यायालयों को जिला न्यायालयों से स्वतंत्र होना चाहिए।
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को अलग-अलग शक्तियां प्राप्त हैं।
- न्यायपालिका के सभी स्तर, सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जिला न्यायालय तक, एक पदानुक्रम में जुड़े हुए हैं।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में एकीकृत न्यायपालिका का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय एक पदानुक्रमित संरचना में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय सभी न्यायालयों का शीर्ष है और इसके निर्णय सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह ढांचा न्याय प्रशासन में एकरूपता और कुशलता सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 141 यह स्थापित करता है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा।
- गलत विकल्प: उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों का संबंध स्वतंत्रता से नहीं, बल्कि पदानुक्रम से है। शक्तियों का विभाजन विशिष्ट है, लेकिन जुड़ाव एकीकृत है। न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली एक अलग विषय है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक संवैधानिक निकाय नहीं है। इसकी स्थापना भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा 1 जनवरी 2015 को की गई थी, जिसने योजना आयोग का स्थान लिया।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके बारे में संविधान में प्रावधान किया गया है। भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनके गठन और कार्यों का वर्णन संविधान में है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके लिए संविधान में विशिष्ट अनुच्छेदों के तहत प्रावधान हैं।
प्रश्न 11: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संशोधन अधिनियम कब पारित किया गया?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 में पारित किया गया था, लेकिन यह 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ। इसने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं, और अनुसूची 11 भी जोड़ी गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाना और उन्हें स्थानीय स्वशासन की इकाई के रूप में संवैधानिक मान्यता देना था।
- गलत विकल्प: 1990, 1991 और 1992 संशोधन के वर्ष हैं, लेकिन अधिनियम 1992 में पारित हुआ और 1993 में लागू हुआ, जिसे अक्सर संदर्भ में वर्ष 1993 माना जाता है जब यह प्रभावी हुआ।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए गठित समिति में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं होता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- केंद्रीय गृह मंत्री
- लोकसभा में विपक्ष का नेता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए गठित समिति में भारत के प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा के सभापति और भारत के मुख्य न्यायाधीश (या सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश) शामिल होते हैं। हालांकि, हालिया संशोधनों के अनुसार, अब मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश (प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामित) शामिल होता है। मूलतः, मुख्य न्यायाधीश शामिल होते थे। प्रश्न के विकल्प के अनुसार, यदि हम वर्तमान प्रावधानों को देखें तो मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सीधे समिति का सदस्य नहीं होता, बल्कि उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश सदस्य होता है। यदि प्रश्न पुराने प्रावधानों के अनुसार है, तो उत्तर भिन्न हो सकता है। नवीनतम संशोधन (2019) के अनुसार, सीजेआई की जगह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नामित किया जाता है। प्रश्न की भाषा थोड़ी अस्पष्ट है, लेकिन अगर ‘शामिल नहीं होता है’ का अर्थ है कि वह स्वयं न होकर किसी प्रतिनिधि को भेज सकता है, तो (b) सही है। यदि प्रश्न में ‘शामिल होते हैं’ पूछा होता तो (b) गलत होता। वर्तमान में, सीजेआई खुद समिति का हिस्सा नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: 2019 के मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने नियुक्ति समिति की संरचना को बदल दिया।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष का नेता, ये सभी सदस्य होते हैं।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 350
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 352 में किया गया है। यह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण लागू होने वाले राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन से और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं। अनुच्छेद 350 अल्पसंख्यकों की शिकायतों के निवारण के लिए है।
प्रश्न 14: किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की ‘संविधान संशोधन की शक्ति’ पर कुछ सीमाएं लगाईं, यह कहते हुए कि वह मूल ढांचे (Basic Structure) को नहीं बदल सकती?
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि संसद संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है, लेकिन उसके ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संविधान की सर्वोच्चता और उसके मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा की। अनुच्छेद 368 संविधान संशोधन से संबंधित है, लेकिन यह निर्णय उस शक्ति पर प्रतिबंध लगाता है।
- गलत विकल्प: शंकर प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) के मामलों में न्यायालय ने माना था कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है। गोलकनाथ (1967) मामले में न्यायालय ने कहा कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। केशवानंद भारती मामले ने गोलकनाथ के फैसले को बरकरार रखते हुए ‘मूल ढांचे’ का सिद्धांत पेश किया।
प्रश्न 15: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उन्हें केवल सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है।
- वह संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन मत नहीं दे सकते।
- उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वह राष्ट्रपति की इच्छा तक पद पर बने रहते हैं।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ये सभी कथन भारत के महान्यायवादी के संबंध में सत्य हैं। अनुच्छेद 76 के अनुसार, महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह राष्ट्रपति की इच्छानुसार पद धारण करता है। उन्हें भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी के रूप में कार्य करने का अधिकार है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग लेने, चर्चा करने का अधिकार है, परंतु वह मत देने का अधिकारी नहीं है। उनका प्राथमिक कार्य सरकार को विधिक सलाह देना और सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करना है।
- गलत विकल्प: क्योंकि सभी व्यक्तिगत कथन सत्य हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 16: संविधान के अनुसार, भारत के नागरिकता का अर्जन और समाप्ति का प्रावधान करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- राष्ट्रपति
- संसद
- सर्वोच्च न्यायालय
- गृह मंत्रालय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 11 के अनुसार, संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है।
- संदर्भ और विस्तार: संसद ने इस शक्ति का प्रयोग करते हुए नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया है, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने और खोने के विभिन्न तरीकों का वर्णन है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय या गृह मंत्रालय के पास यह विशिष्ट शक्ति नहीं है; यह शक्ति विशुद्ध रूप से विधायी है जो संसद के पास है।
प्रश्न 17: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
- लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना
- संसद की विधायी शक्तियों को सीमित करना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (भाग IV) का मुख्य उद्देश्य भारत में एक ‘लोक कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की स्थापना करना है। ये तत्व सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियाँ बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), ये देश के शासन के लिए मूलभूत हैं। इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक न्याय प्राप्त करना है।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार नागरिकों के अधिकारों से संबंधित हैं (भाग III)। DPSP विधायी शक्तियों को सीमित नहीं करते, बल्कि मार्गदर्शन करते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक अलग संवैधानिक सिद्धांत है।
प्रश्न 18: भारत में ‘द्विसदनीय विधानमंडल’ (Bicameral Legislature) का क्या अर्थ है?
- केवल केंद्र सरकार के पास दो सदन हैं।
- कुछ राज्यों में दो सदन हैं, जबकि अन्य में एक।
- केंद्र और सभी राज्यों में दो-दो सदन हैं।
- संसद के दो सदन हैं: लोकसभा और राज्यसभा।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद एक द्विसदनीय निकाय है, जिसमें दो सदन होते हैं: लोक सभा (निचला सदन) और राज्य सभा (ऊपरी सदन)।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, द्विसदनीय विधानमंडल की व्यवस्था कुछ राज्यों में भी लागू है (जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आदि)। प्रश्न विशेष रूप से ‘भारत में द्विसदनीय विधानमंडल’ की सामान्य अवधारणा को पूछता है, जो संसद के संदर्भ में सबसे प्रासंगिक है।
- गलत विकल्प: केवल केंद्र सरकार के पास दो सदन नहीं हैं, बल्कि यह भारत के विधायी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कहना गलत है कि *सभी* राज्यों में दो सदन हैं। विकल्प (d) भारतीय संसद के संदर्भ में सटीक वर्णन करता है।
प्रश्न 19: यदि कोई मंत्री संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तो वह कितने समय तक मंत्री के पद पर बना रह सकता है?
- तीन महीने
- छह महीने
- नौ महीने
- एक वर्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 75(5) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं है, तो उसे मंत्री नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन उसे छह महीने की अवधि के भीतर संसद के किसी भी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी। यदि वह इस अवधि में सदस्यता प्राप्त करने में विफल रहता है, तो वह उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री पद पर नहीं बना रह सकता।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार चलाने वाली मंत्रिपरिषद संसद के प्रति जवाबदेह रहे।
- गलत विकल्प: तीन, नौ या एक वर्ष की अवधि के लिए कोई प्रावधान नहीं है; केवल छह महीने की अनुग्रह अवधि दी जाती है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, भारतीय संविधान में भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के लिए दस मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया। बाद में, 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित थे। इनका उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका के प्रति सचेत करना है।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित है, 52वां दल-बदल विरोधी कानून से, और 61वां मतदान की आयु से।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- लोकपाल (Lokpal)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for STs)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: लोकपाल एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, न कि संवैधानिक निकाय। इसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), CAG (अनुच्छेद 148), और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (अनुच्छेद 338A) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनके प्रावधान सीधे संविधान में वर्णित हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 22: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को किसी भी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने का अधिकार है?
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 145
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सलाहकारी क्षेत्राधिकार (Advisory Jurisdiction) है। राष्ट्रपति सार्वजनिक महत्व के किसी प्रश्न या किसी तथ्य या कानून के प्रश्न पर सलाह मांग सकते हैं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को सलाह देने से मना कर सकता है। राष्ट्रपति इस सलाह से बाध्य नहीं हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है, अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार (कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध), और अनुच्छेद 145 न्यायालय के नियमों से संबंधित है।
प्रश्न 23: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- संबंधित सदन का अध्यक्ष/सभापति
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) के तहत, संबंधित सदन के अध्यक्ष (लोकसभा के मामले में) या सभापति (राज्यसभा के मामले में) द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान 52वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था। हालांकि, अध्यक्ष/सभापति के निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति का निर्णय तब आवश्यक होता है जब अयोग्यता दल-बदल के अतिरिक्त अन्य आधारों पर हो (अनुच्छेद 103), लेकिन दल-बदल के मामले में यह अध्यक्ष/सभापति का अधिकार क्षेत्र है। प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय सीधे तौर पर यह निर्णय नहीं करते।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘राज्य’ की परिभाषा से संबंधित है, जो विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के प्रयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है?
- भाग I
- भाग III
- भाग IV
- भाग III और भाग IV दोनों
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘राज्य’ शब्द की परिभाषा अनुच्छेद 12 में दी गई है, जो भाग III (मौलिक अधिकार) के प्रयोजनों के लिए है। हालांकि, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (भाग IV) के संदर्भ में भी ‘राज्य’ शब्द का व्यापक अर्थ है, जिसमें वे संस्थाएं भी शामिल हैं जो सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए कार्य करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य की कार्रवाई के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: केवल भाग III या केवल भाग IV की परिभाषा पर्याप्त नहीं है, क्योंकि राज्य की अवधारणा इन दोनों भागों में प्रासंगिक है।
प्रश्न 25: भारत में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) के संदर्भ में, राष्ट्रपति किस आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?
- आर्थिक अस्थिरता
- आंतरिक गड़बड़ी
- राज्यों के बीच विवाद
- बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा केवल दो आधारों पर कर सकते हैं: (i) भारत के किसी भाग की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने वाला बाह्य आक्रमण (External Aggression) या (ii) सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion)। पहले ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance) आधार भी था, लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे ‘सशस्त्र विद्रोह’ से बदल दिया गया ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 के तहत ‘वित्तीय अस्थिरता’ पर लागू होता है, और राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के तहत ‘संवैधानिक तंत्र की विफलता’ या ‘आंतरिक गड़बड़ी’ (राज्यों के संदर्भ में) पर लागू होता है।
- गलत विकल्प: आर्थिक अस्थिरता वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) का आधार है, न कि राष्ट्रीय आपातकाल का। राज्यों के बीच विवाद आमतौर पर केंद्र-राज्य संबंध के दायरे में आते हैं। ‘आंतरिक गड़बड़ी’ को राष्ट्रीय आपातकाल के आधार से हटा दिया गया है।