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संविधान की कसौटी: 25 प्रश्नों का दैनिक महासंग्राम

संविधान की कसौटी: 25 प्रश्नों का दैनिक महासंग्राम

लोकतंत्र के आधार स्तंभ को समझने के लिए अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने का यह सबसे बेहतरीन अवसर है! भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के ज्ञान को धार देने के लिए पेश है आज का विशेष प्रश्नोत्तरी। आइए, इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें और संवैधानिक ज्ञान के महारथी बनें।

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभुता’, ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘लोकतांत्रिक’ शब्दों का उल्लेख किस क्रम में किया गया है?

  1. संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक
  2. संप्रभु, लोकतांत्रिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष
  3. समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु, लोकतांत्रिक
  4. धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, संप्रभु, लोकतांत्रिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) में ‘संप्रभु’, ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ शब्दों का उल्लेख इसी क्रम में है। ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना संविधान का परिचय और उसके मूल आदर्शों का सार प्रस्तुत करती है। ये शब्द भारत की शासन प्रणाली की प्रकृति को परिभाषित करते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प प्रस्तावना में उल्लिखित शब्दों के मूल या संशोधित क्रम को सही ढंग से प्रस्तुत नहीं करते हैं।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद संसद को यह अधिकार देता है कि वह विधि द्वारा, कारखानों आदि में श्रमिकों के नियोजन के विनियमन के लिए उपबंध करे?

  1. अनुच्छेद 23
  2. अनुच्छेद 24
  3. अनुच्छेद 43
  4. अनुच्छेद 41

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 43 राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy) के अंतर्गत आता है, जिसमें कहा गया है कि राज्य, विशेष रूप से, किसी भी कानून द्वारा या अन्यथा, कृषि के अलावा अन्य उद्योगों में लगे हुए सभी श्रमिकों के लिए एक जीवन निर्वाह मजदूरी, काम करने की स्थिति जो गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करे, और सामाजिक व सांस्कृतिक अवसर सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद कार्यपालिका और विधायिका के लिए एक निर्देश है कि वे श्रमिकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नीतियाँ बनाएँ।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 23 मानव दुर्व्यापार और जबरन श्रम का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 24 कारखानों आदि में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 41 राज्य द्वारा काम, शिक्षा और कुछ मामलों में लोक सहायता पाने के अधिकार का उल्लेख करता है।

प्रश्न 3: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. इसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं के लिए संसाधनों को जुटाना और उनका आवंटन करना है।
  3. इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: कथन 3 सही है। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का गठन 6 अगस्त 1952 को एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया था। यह एक गैर-संवैधानिक, गैर-वैधानिक निकाय है। इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देना और उनका अनुमोदन करना है, न कि संसाधनों का आवंटन करना।
  • संदर्भ एवं विस्तार: NDC भारत की योजना प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करता है।
  • गलत विकल्प: कथन 1 गलत है क्योंकि NDC संवैधानिक निकाय नहीं है। कथन 2 भी गलत है क्योंकि NDC का मुख्य कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देना और अनुमोदन करना है, न कि संसाधनों का जुटाना और आवंटन करना।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति, राज्यपाल को किसी विशेष मामले में सलाह देने के लिए कह सकता है?

  1. अनुच्छेद 163(3)
  2. अनुच्छेद 154(2)
  3. अनुच्छेद 167(b)
  4. अनुच्छेद 155

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 167 (b) के अनुसार, यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह राज्य के प्रशासन से संबंधित सभी निर्णयों को राज्यपाल को सूचित करे, जैसा कि खंड (a) में संदर्भित है, और खंड (b) में कहा गया है कि वह विधान के लिए प्रस्तावित ऐसी जानकारी को भी सूचित करे जैसा राज्यपाल समय-समय पर मांग करे। हालांकि, प्रश्न राज्यपाल के राष्ट्रपति के प्रति कर्तव्य के बारे में है। राष्ट्रपति, राज्यपाल से किसी विशेष मामले में सलाह देने के लिए अनुच्छेद 163(3) का प्रयोग कर सकता है, लेकिन यह अनुच्छेद राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल से सीधे संपर्क का प्रावधान नहीं करता बल्कि राज्यपाल द्वारा मंत्री परिषद की सलाह के अनुसार कार्य करने की बात करता है। अनुच्छेद 167(b) मुख्यमंत्री के कर्तव्य बताता है। अनुच्छेद 163(1) के अनुसार, राज्यपाल अपने कार्यों के निष्पादन में मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य करता है। अनुच्छेद 167(b) के अनुसार, मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह विधान के प्रस्तावों के संबंध में राज्यपाल को जानकारी दे, जो राज्यपाल द्वारा माँगी जाए। यह राज्यपाल को राष्ट्रपति को सूचित करने का अप्रत्यक्ष मार्ग प्रशस्त करता है। सबसे सीधा और प्रासंगिक अनुच्छेद जो राज्यपाल के कार्यों को प्रभावित करता है और राष्ट्रपति के विवेक का उपयोग कर सकता है, वह अनुच्छेद 163(2) और 163(3) हैं, लेकिन सीधे सलाह मांगने का अधिकार किसी एक अनुच्छेद में स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, यदि हम राज्यपाल के एक महत्वपूर्ण कर्तव्य पर विचार करें, तो वह राष्ट्रपति को राज्य की स्थिति से अवगत कराता है। राष्ट्रपति, अनुच्छेद 356 के प्रयोग के संदर्भ में, राज्यपाल से रिपोर्ट मांग सकता है। यदि हम इन विकल्पों में से सबसे उपयुक्त चुनें, तो राज्यपाल राज्य के प्रशासन के बारे में राष्ट्रपति को सूचित करने के लिए बाध्य है (अनुच्छेद 167)। लेकिन प्रश्न राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को सलाह देने के बारे में है, न कि राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक है, लेकिन यदि इसका अर्थ राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल से सलाह लेना है, तो ऐसा कोई सीधा अनुच्छेद नहीं है। यदि इसका अर्थ राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को सलाह देना है, तो वह भी अप्रत्यक्ष है। फिर से प्रश्न पर गौर करें – “राष्ट्रपति, राज्यपाल को किसी विशेष मामले में सलाह देने के लिए कह सकता है?” इसका अर्थ है राष्ट्रपति राज्यपाल से सलाह चाहता है। यह सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद में नहीं है। लेकिन राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह से कार्य करता है। राष्ट्रपति, राज्य के मामलों के बारे में जानकारी के लिए राज्यपाल से संपर्क कर सकता है। अनुच्छेद 167(b) मुख्यमंत्री का कर्तव्य बताता है। अनुच्छेद 163(1) के तहत राज्यपाल मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य करता है। शायद प्रश्न का अर्थ राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को कुछ सूचित करना है। लेकिन ‘सलाह देने के लिए कह सकता है’ इसका मतलब राष्ट्रपति सलाह ले रहा है। भारतीय संविधान में, राष्ट्रपति के पास विशेष मामलों में राज्यपाल से जानकारी मांगने की शक्ति है, खासकर जब वह राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बारे में विचार कर रहा हो। अनुच्छेद 167 (b) मुख्यमंत्री के कर्तव्य को बताता है कि वह विधान के प्रस्तावों के बारे में राज्यपाल को सूचित करे, यदि राज्यपाल मांग करे। राष्ट्रपति, राज्यों के संबंध में, अनुच्छेद 167 के तहत राज्यपाल से जानकारी प्राप्त कर सकता है। यदि हम प्रश्न को यह मानते हुए देखें कि राष्ट्रपति राज्यपाल से किसी मामले पर जानकारी या इनपुट चाहता है, तो अप्रत्यक्ष रूप से यह संभव है। लेकिन विकल्पों में से, सबसे प्रासंगिक जो राज्यपाल के कार्यों और केंद्र के साथ उनके संबंध को दर्शाता है, वह अनुच्छेद 167 है (जो मुख्यमंत्री के कर्तव्यों के माध्यम से राज्यपाल को सूचित करता है)। हालांकि, सीधे तौर पर राष्ट्रपति राज्यपाल से सलाह मांगने का कोई अनुच्छेद नहीं है। यह एक जटिल बिंदु है। अक्सर, राष्ट्रपति, संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राज्यपाल से रिपोर्ट मांगता है (अनुच्छेद 356)।
    सही उत्तर की पुनः जाँच: प्रश्न का सटीक अर्थ राष्ट्रपति का राज्यपाल से सलाह लेना है। ऐसा कोई प्रत्यक्ष अनुच्छेद नहीं है। हालाँकि, राष्ट्रपति, राज्य के मामलों पर राज्यपाल से जानकारी प्राप्त कर सकता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से सलाह लेने जैसा है। अनुच्छेद 167(b) मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह राज्यपाल को विधान प्रस्तावित जानकारी दे। राष्ट्रपति, अनुच्छेद 167 के तहत, राज्यपाल से जानकारी मांग सकता है। इसलिए, अप्रत्यक्ष रूप से, राष्ट्रपति राज्यपाल को किसी विशेष मामले में जानकारी देने (जो सलाह के समान हो सकती है) के लिए कह सकता है।

    संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति, राज्य के मामलों में राज्यपाल से संपर्क कर सकते हैं, खासकर जब वह अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हों। राज्यपाल, अपनी भूमिका में, राज्य के प्रशासन और विधायी प्रस्तावों के बारे में राष्ट्रपति को सूचित करने के लिए बाध्य हैं, जैसा कि अनुच्छेद 167 में मुख्यमंत्री के कर्तव्यों के तहत उल्लिखित है।

    गलत विकल्प: अनुच्छेद 154(2) राज्यपाल की शक्तियों के अंतरण से संबंधित है। अनुच्छेद 155 राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 163(3) राज्यपाल के विवेक के प्रयोग के संबंध में है।


    प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘पंचायतों’ से संबंधित है?

    1. भाग IX
    2. भाग IX-A
    3. भाग IX-B
    4. भाग X

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX पंचायतों से संबंधित है। यह भाग 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, जिसने अनुच्छेद 243 से 243-O तक को सम्मिलित किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह भाग पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है और उनकी संरचना, कार्यप्रणाली, वित्तीय प्रावधानों आदि को परिभाषित करता है।
    • गलत विकल्प: भाग IX-A नगर पालिकाओं से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग IX-B सहकारी समितियों से संबंधित है (97वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।

    प्रश्न 6: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

    1. संसदीय विशेषाधिकारों की सूची अनुच्छेद 105 में दी गई है।
    2. ये विशेषाधिकार संसद के सदस्यों के व्यक्तिगत रूप से और सदनों के सामूहिक रूप से, बिना किसी बाधा के अपने कार्यों को करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हैं।
    3. संसदीय विशेषाधिकारों को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
    4. लोकसभा अध्यक्ष को सदन के सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन का निर्णय करने का अधिकार है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: कथन (c) सत्य नहीं है। अनुच्छेद 105 (1) और (2) सांसदों को कुछ विशेषाधिकार प्रदान करते हैं, और अनुच्छेद 105 (3) के तहत, संसद अपने सदस्यों और समितियों के विशेषाधिकारों को परिभाषित कर सकती है। विशेषाधिकारों को चुनौती दी जा सकती है यदि वे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को प्रभावी ढंग से कार्य करने और सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि विशेषाधिकारों का उल्लंघन होता है, तो संबंधित सदन के अध्यक्ष/सभापति मामले को देख सकते हैं।
    • गलत विकल्प: कथन (a) सत्य है। कथन (b) संसदीय विशेषाधिकारों का उद्देश्य बताता है। कथन (d) भी सत्य है, क्योंकि अध्यक्ष/सभापति विशेषाधिकार हनन के मामलों पर निर्णय लेते हैं।

    प्रश्न 7: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक संरक्षक’ (Guardian of the Constitution) माना जाता है?

    1. अनुच्छेद 13
    2. अनुच्छेद 32
    3. अनुच्छेद 141
    4. अनुच्छेद 142

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट (जैसे Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo Warranto) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। इस शक्ति के माध्यम से, सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक होने की भूमिका निभाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 13 न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की शक्ति का आधार प्रदान करता है, जिसके तहत न्यायालय यह निर्धारित कर सकते हैं कि कोई कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन तो नहीं करता। अनुच्छेद 141 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होता है। अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति देता है जो न्याय के हित में आवश्यक हों।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 न्यायिक समीक्षा का आधार है, लेकिन सीधे तौर पर मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन की शक्ति अनुच्छेद 32 में है। अनुच्छेद 141 और 142 सर्वोच्च न्यायालय की अन्य शक्तियाँ हैं।

    प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

    1. शंकरी प्रसाद देव बनाम भारत संघ (1951)
    2. सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
    3. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
    4. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन उसकी ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती। अनुच्छेद 13(2) किसी भी विधि के बारे में है जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, लेकिन इस मामले में मौलिक अधिकारों के संशोधन की शक्ति पर विचार किया गया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण सीमाएँ लगाईं और भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और संघीय प्रकृति जैसे मूल तत्वों की रक्षा की।
    • गलत विकल्प: शंकरी प्रसाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है। सज्जन सिंह मामले ने भी इसी को दोहराया। गोलकनाथ मामले में न्यायालय ने कहा कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। लेकिन मूल संरचना का सिद्धांत केशवानंद भारती मामले में आया।

    प्रश्न 9: भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन सा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद से संबंधित है?

    1. अनुच्छेद 148
    2. अनुच्छेद 149
    3. अनुच्छेद 150
    4. अनुच्छेद 151

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) के पद का प्रावधान करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत की संचित निधि, लोक-निधियों और सभी सरकारी उपक्रमों के व्यय का लेखा-परीक्षण करता है।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 150 कहता है कि केंद्र और राज्यों के खातों का प्रारूप राष्ट्रपति द्वारा CAG की सलाह पर निर्धारित किया जाएगा। अनुच्छेद 151 लेखापरीक्षा रिपोर्ट से संबंधित है।

    प्रश्न 10: यदि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति दोनों का पद रिक्त हो, तो भारत का कार्यवाहक राष्ट्रपति कौन होगा?

    1. भारत के महान्यायवादी (Attorney General)
    2. लोकसभा का प्रधान प्रतिपक्ष नेता (Leader of Opposition)
    3. सर्वोच्च न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश (Senior most Judge of Supreme Court)
    4. राज्यसभा का उपसभापति (Deputy Chairman of Rajya Sabha)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का पद एक साथ रिक्त हो जाता है, तो भारत का राष्ट्रपति का पद खाली रहता है। ऐसी स्थिति में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) या उनकी अनुपस्थिति में, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, यह स्थिति भारतीय संविधान में सीधे तौर पर अनुच्छेद 65 के तहत उपराष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन या राष्ट्रपति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को सौंपने की शक्ति के तहत स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है। बल्कि, यह एक स्थापित प्रथा और कानूनी व्याख्या पर आधारित है। विशेषतः, जब राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, और यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित हों, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद ग्रहण करते हैं। 2017 में, राम नाथ कोविंद के राष्ट्रपति रहते हुए, वे बीमार हो गए थे, तब प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति रहते हुए, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। जब वेंकैया नायडू ने कार्यभार संभाला, तब वे भारत के उपराष्ट्रपति थे। यह स्पष्ट है कि यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों अनुपस्थित हों, तो CJI कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 1969 में (जब डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गई थी और उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने इस्तीफा दे दिया था) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।
    • गलत विकल्प: भारत के महान्यायवादी, लोक सभा के प्रधान प्रतिपक्ष नेता या राज्यसभा के उपसभापति के पास यह अधिकार नहीं होता है।

    प्रश्न 11: ‘अस्पृश्यता’ का अंत किस मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है?

    1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
    2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
    3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
    4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अस्पृश्यता का अंत मौलिक अधिकार ‘समानता का अधिकार’ के अंतर्गत आता है, विशेष रूप से अनुच्छेद 17 में। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली किसी भी अक्षमता को लागू करना एक दंडनीय अपराध होगा। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (अब नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है।
    • गलत विकल्प: अन्य अधिकार क्रमशः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वतंत्रता, सुरक्षा, निवारक निरोध, धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित हैं।

    प्रश्न 12: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System) किस देश की प्रणाली से प्रेरित है?

    1. संयुक्त राज्य अमेरिका
    2. कनाडा
    3. यूनाइटेड किंगडम
    4. फ्रांस

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसदीय प्रणाली को मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) की प्रणाली से लिया गया है, जहाँ कार्यपालिका (सरकार) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है। संविधान में कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है जो सीधे तौर पर ‘संसदीय प्रणाली’ को परिभाषित करता हो, लेकिन यह व्यवस्था भाग V (संघ) और भाग VI (राज्य) में कार्यपालिका और विधायिका के संबंधों से परिलक्षित होती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में, प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल संसद (विशेषकर लोकसभा) के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।
    • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति प्रणाली है, जहाँ कार्यपालिका विधायिका से अलग होती है। कनाडा और फ्रांस की प्रणालियाँ भी भिन्न हैं।

    प्रश्न 13: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने से संबंधित है?

    1. अनुच्छेद 370 (जो पहले से था)
    2. अनुच्छेद 370(3)
    3. अनुच्छेद 371
    4. अनुच्छेद 35A (जिसे अब समाप्त कर दिया गया है)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370, जो मूल रूप से जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रभावी रूप से निष्प्रभावी कर दिया गया था। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रमित करने वाली है। अनुच्छेद 370(1) के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेश (C.O. 272 और 273) ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के साथ मिलकर, अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को लागू नहीं होने दिया। अनुच्छेद 370(3) ने राष्ट्रपति को यह घोषणा करने की शक्ति दी कि यह अनुच्छेद लागू नहीं होगा। यह शक्ति अनुच्छेद 370(3) के तहत राष्ट्रपति के आदेश द्वारा प्रयोग की गई थी। इसलिए, वह अनुच्छेद जो इस प्रक्रिया से सीधा संबंधित है, वह 370 ही है, विशेषकर उसका उप-अनुच्छेद (3)। 2019 के राष्ट्रपति के आदेश ने अनुच्छेद 370 के परिकलन को बदल दिया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: 5 अगस्त 2019 को, राष्ट्रपति के आदेश द्वारा, अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को लागू करना बंद कर दिया गया, जिससे राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 द्वारा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख में विभाजित किया गया।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 371 भारत के कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करता है। अनुच्छेद 35A भी जम्मू-कश्मीर से संबंधित था लेकिन अब निष्प्रभावी है।

    प्रश्न 14: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

    1. ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
    2. इनका उद्देश्य लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
    3. ये सरकार के लिए कानून बनाते समय मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं।
    4. इन पर संविधान के भाग III के तहत प्राप्त मौलिक अधिकारों को प्राथमिकता दी गई है।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: कथन (d) गलत है। संविधान के भाग III में मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) और भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) दिए गए हैं। सिद्धांत रूप में, मौलिक अधिकार अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं (अनुच्छेद 32), जबकि DPSP प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37)। हालाँकि, चंपकम दोराईराजन मामले (1951) के बाद, यह स्थापित हुआ कि मौलिक अधिकार, DPSP पर वरीयता रखते हैं। बाद में, 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, अनुच्छेद 39(b) और (c) में उल्लिखित कुछ DPSP को अनुच्छेद 14 और 19 के तहत कुछ मौलिक अधिकारों पर वरीयता दी गई। लेकिन सामान्य नियम के अनुसार, मौलिक अधिकार सर्वोपरि हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है और यह राज्य के लिए एक नैतिक अनिवार्यता है कि वह देश के शासन में इन सिद्धांतों का पालन करे।
    • गलत विकल्प: कथन (a) सही है (अनुच्छेद 37)। कथन (b) सही है, यह DPSP का मुख्य उद्देश्य है। कथन (c) भी सही है, यह सरकार के लिए मार्गदर्शक हैं।

    प्रश्न 15: भारत के राष्ट्रपति का महाभियोग (Impeachment) किस आधार पर चलाया जा सकता है?

    1. संविधान का उल्लंघन
    2. भ्रष्टाचार
    3. अक्षमता (Incapacity)
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार, राष्ट्रपति पर ‘संविधान के उल्लंघन’ (Violation of the Constitution) के आधार पर महाभियोग चलाया जा सकता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में शुरू की जा सकती है। प्रस्ताव को उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक लिखित सूचना द्वारा शुरू किया जाना चाहिए, जिसमें कम से कम 14 दिन का पूर्व नोटिस हो। यदि प्रस्ताव सदन के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तो वह दूसरे सदन में भेजा जाता है, जहाँ आरोप की जाँच की जाती है। यदि दूसरा सदन भी उस प्रस्ताव को अपने कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
    • गलत विकल्प: संविधान में महाभियोग के लिए ‘भ्रष्टाचार’ या ‘अक्षमता’ जैसे विशिष्ट आधारों का उल्लेख नहीं किया गया है, केवल ‘संविधान का उल्लंघन’ आधार है।

    प्रश्न 16: किस संविधान संशोधन द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory – NCT) का दर्जा दिया गया?

    1. 69वाँ संशोधन अधिनियम, 1991
    2. 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
    3. 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
    4. 86वाँ संशोधन अधिनियम, 2002

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 ने भारतीय संविधान में दो नए अनुच्छेद, 239AA और 239AB, जोड़े, जिसने दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में नामित किया और इसे ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ (National Capital Territory of Delhi) का दर्जा दिया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 239AA दिल्ली को कुछ विशेष प्रावधान प्रदान करता है, जिसमें एक विधानमंडल और एक मंत्रिपरिषद की स्थापना शामिल है।
    • गलत विकल्प: 73वाँ और 74वाँ संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं से संबंधित हैं। 86वाँ संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।

    प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) है?

    1. नीति आयोग (NITI Aayog)
    2. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
    3. भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
    4. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation – CBI)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) एक संवैधानिक निकाय है, जिसका प्रावधान अनुच्छेद 324 में किया गया है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ECI भारत में स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है।
    • गलत विकल्प: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक निकाय है (योजना आयोग का स्थान लिया)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया है। CBI सरकार की एक कार्यकारी एजेंसी है।

    प्रश्न 18: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा दी गई है, जिसमें कार्यपालिका और विधायिका को शामिल किया गया है?

    1. अनुच्छेद 12
    2. अनुच्छेद 13
    3. अनुच्छेद 15
    4. अनुच्छेद 16

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ (State) की परिभाषा प्रदान करता है। इसमें भारत सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह परिभाषा महत्वपूर्ण है क्योंकि मौलिक अधिकारों को राज्य के विरुद्ध गारंटी दी गई है।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 विधियों की शून्य घोषणा से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता प्रदान करता है।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी रिट (Writ) तब जारी की जाती है जब कोई लोक प्राधिकारी अपने सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहता है?

    1. हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
    2. मेंडमस (Mandamus)
    3. प्रोहिबिशन (Prohibition)
    4. क्यू वारंटो (Quo Warranto)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus), जिसका अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’, एक ऐसी रिट है जो उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य का पालन करने के लिए जारी की जाती है, जिसमें वे विफल रहे हैं। यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत जारी की जाती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह रिट यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करें।
    • गलत विकल्प: हैबियस कॉर्पस बंदी व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए है। प्रोहिबिशन एक निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए है। क्यू वारंटो एक व्यक्ति को उस पद पर बने रहने से रोकता है जिसके लिए वह योग्य नहीं है।

    प्रश्न 20: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाता है?

    1. 86वाँ संशोधन अधिनियम, 2002
    2. 97वाँ संशोधन अधिनियम, 2011
    3. 99वाँ संशोधन अधिनियम, 2014
    4. 101वाँ संशोधन अधिनियम, 2016

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 ने संविधान में अनुच्छेद 21A जोड़ा, जिसने 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया। इसने निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 का मार्ग प्रशस्त किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के तहत आया।
    • गलत विकल्प: 97वाँ संशोधन सहकारी समितियों से, 99वाँ राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से, और 101वाँ वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित है।

    प्रश्न 21: राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में है?

    1. अनुच्छेद 72
    2. अनुच्छेद 74
    3. अनुच्छेद 76
    4. अनुच्छेद 123

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, लघुकरण, परिहार या दंड के निलंबन की शक्ति प्रदान करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को मृत्युदंड को क्षमा करने या कम करने की भी शक्ति देती है। राज्यपाल के पास भी ऐसी ही शक्ति अनुच्छेद 161 के तहत है।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद की व्यवस्था करता है। अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है।

    प्रश्न 22: दल-बदल (Defection) के आधार पर किसी सदन के सदस्य की अयोग्यता का निर्णय कौन करता है?

    1. राष्ट्रपति
    2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
    3. संबंधित सदन का अध्यक्ष
    4. संबंधित सदन का प्रधान सचेतक (Chief Whip)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) के पैरा 6(1) के अनुसार, दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रश्नों पर अंतिम निर्णय संबंधित सदन का अध्यक्ष (लोकसभा का अध्यक्ष या राज्यसभा का सभापति) द्वारा किया जाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रावधान 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था। हालाँकि, किहोटो होलोहन मामले (1992) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अध्यक्ष का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
    • गलत विकल्प: राष्ट्रपति या मुख्य न्यायाधीश के पास यह निर्णय लेने का सीधा अधिकार नहीं है, वे केवल अंतिम अपील के रूप में देख सकते हैं यदि अध्यक्ष का निर्णय गलत हो। प्रधान सचेतक दल-बदल के विरुद्ध अपनी पार्टी के सदस्यों को व्हिप जारी कर सकता है।

    प्रश्न 23: भारत में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) संविधान के किस भाग में दिए गए हैं?

    1. भाग XIII
    2. भाग XIV
    3. भाग XV
    4. भाग XVIII

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत में आपातकालीन प्रावधान संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक दिए गए हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इनमें राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: भाग XIII व्यापार, वाणिज्य और सेवाओं से संबंधित है। भाग XIV संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं से संबंधित है। भाग XV निर्वाचन से संबंधित है।

    प्रश्न 24: भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘बंधुत्व’ के आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

    1. ब्रिटेन
    2. संयुक्त राज्य अमेरिका
    3. फ्रांस
    4. कनाडा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में उल्लिखित ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘बंधुत्व’ के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित हैं और इन्हें भारतीय संविधान में फ्रांस से लिया गया है। प्रस्तावना किसी विशिष्ट अनुच्छेद में नहीं है, बल्कि यह पूरे संविधान का परिचय है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ये आदर्श भारत को एक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने वाले गणराज्य के रूप में परिभाषित करते हैं।
    • गलत विकल्प: ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली, अमेरिका से मौलिक अधिकार (लेकिन स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व के आदर्श नहीं), और कनाडा से संघात्मक ढांचा लिया गया है।

    प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

    1. वित्त आयोग (Finance Commission)
    2. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
    3. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
    4. नीति आयोग (NITI Aayog)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक संवैधानिक निकाय नहीं है। यह योजना आयोग का स्थान लेने के लिए 1 जनवरी 2015 को एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित किया गया था।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अन्य विकल्प संवैधानिक निकाय हैं: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338)।
    • गलत विकल्प: वित्त आयोग, यूपीएससी और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान संविधान में निहित हैं।

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