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संविधान की कसौटी पर स्वयं को परखें: आज का अचूक अभ्यास

संविधान की कसौटी पर स्वयं को परखें: आज का अचूक अभ्यास

नमस्कार, भावी आईएएस/ पीसीएस/ एसएससी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को और मज़बूत करने का समय आ गया है। आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपको संविधान के विभिन्न पहलुओं की गहराई से समझ बनाने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने का अवसर देगा। आइए, इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को नई धार दें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का क्या अर्थ है?

  1. वंशानुगत शासन का अभाव
  2. निर्वाचित या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्र प्रमुख
  3. सभी नागरिकों के लिए समानता
  4. कानून का शासन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख वंशानुगत नहीं होता, बल्कि एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। भारत में, राष्ट्रपति राष्ट्र प्रमुख होते हैं, जिनका चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द सुनिश्चित करता है कि राज्य का मुखिया कोई विशेष विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग या परिवार से नहीं होगा। यह लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो अनुच्छेद 52 के तहत राष्ट्रपति के पद की व्यवस्था से भी जुड़ा है, हालांकि गणराज्य की अवधारणा प्रस्तावना में निहित है।
  • गलत विकल्प: (a) वंशानुगत शासन का अभाव गणराज्य का एक परिणाम है, लेकिन यह इसका पूर्ण अर्थ नहीं है। (c) सभी नागरिकों के लिए समानता एक मौलिक अधिकार है (अनुच्छेद 14), जो गणराज्य के सिद्धांतों से प्रेरित है। (d) कानून का शासन (Rule of Law) भी एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, लेकिन यह गणराज्य का सीधा अर्थ नहीं है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत भारत में कहीं भी आने-जाने, बसने और कोई भी पेशा करने की स्वतंत्रता केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह अधिकार विदेशियों को प्राप्त नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 भारत के नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है (हालांकि कुछ को कुछ प्रतिबंधों के अधीन)। ये स्वतंत्रताएँ भारतीय संप्रभुता और राजनीतिक व्यवस्था से जुड़ी होने के कारण केवल नागरिकों को ही उपलब्ध हैं।
  • गलत विकल्प: (a) विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) और विधियों का समान संरक्षण, (b) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21), और (c) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25) ये सभी अधिकार भारतीय क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. नौवीं अनुसूची
  3. ग्यारहवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची (73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ी गई) पंचायती राज संस्थाओं को उनके 29 विषयों के साथ संवैधानिक मान्यता प्रदान करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची पंचायतों को उन अधिकारों, प्राधिकारों और उत्तरदायित्वों के बारे में प्रावधान करती है, जो वे स्व-शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक समझती हैं।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों के बारे में है। नौवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों और विनियमों का समावेश है, जिनसे न्यायिक पुनर्विलोकन से सुरक्षा प्रदान की गई है। बारहवीं अनुसूची नगरपालिकाओं से संबंधित है।

प्रश्न 4: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) को हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान में कहाँ किया गया है?

  1. अनुच्छेद 76
  2. अनुच्छेद 148
  3. अनुच्छेद 324
  4. संविधान में कोई उल्लेख नहीं

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति, पदावधि, या हटाने की प्रक्रिया के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 76 में कोई विशिष्ट प्रक्रिया नहीं दी गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 76(1) में कहा गया है कि भारत का महान्यायवादी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा। अनुच्छेद 76(4) में यह प्रावधान है कि महान्यायवादी अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि राष्ट्रपति उसे प्रसन्न करें, और राष्ट्रपति उसे कभी भी पद से हटा सकते हैं। यह ‘राष्ट्रपति की प्रसन्नता’ (pleasure of the President) का सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि वह किसी भी समय इस्तीफा दे सकता है या राष्ट्रपति उसे हटा सकता है। यह प्रक्रिया अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों से भिन्न है, जिनके लिए महाभियोग या विशिष्ट प्रक्रियाएं निर्धारित हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 महान्यायवादी की नियुक्ति और कार्यों का वर्णन करता है, लेकिन हटाने की प्रक्रिया का नहीं। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से संबंधित है। अनुच्छेद 324 भारतीय निर्वाचन आयोग से संबंधित है।

प्रश्न 5: किस संविधान संशोधन द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) का विशेष दर्जा दिया गया?

  1. 44वाँ संविधान संशोधन
  2. 52वाँ संविधान संशोधन
  3. 69वाँ संविधान संशोधन
  4. 74वाँ संविधान संशोधन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 ने संविधान में एक नया अनुच्छेद 239AA (भाग VIII) जोड़ा, जिसने दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory – NCT) के रूप में विशेष दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने दिल्ली के लिए एक विधानसभा और मंत्रिपरिषद की स्थापना का प्रावधान किया, जिससे इसे संघ शासित प्रदेश होते हुए भी कुछ हद तक राज्य के समान शक्तियाँ और उत्तरदायित्व प्राप्त हुए।
  • गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाने से संबंधित है। 52वाँ संशोधन दल-बदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) से संबंधित है। 74वाँ संशोधन नगरपालिकाओं से संबंधित है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘संसदीय प्रणाली’ को स्थापित करता है?

  1. भाग V (संघ)
  2. भाग VI (राज्य)
  3. भाग IV (नीति निदेशक तत्व)
  4. भाग III (मौलिक अधिकार)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग V, जिसमें संघ की कार्यपालिका (अनुच्छेद 52-78), संसद (अनुच्छेद 79-122), संघ की न्यायपालिका और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रावधान शामिल हैं, भारत की संसदीय प्रणाली की रूपरेखा स्थापित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय प्रणाली में, कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद) व्यवस्थापिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है। राष्ट्रपति नाममात्र के कार्यकारी प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होते हैं। भाग V में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिपरिषद और भारत की संसद (लोकसभा और राज्यसभा) से संबंधित विस्तृत प्रावधान हैं, जो संसदीय शासन की नींव रखते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधानमंडल से संबंधित है, जो संसदीय प्रणाली के प्रांतीय रूप को दर्शाता है। भाग IV नीति निदेशक तत्वों से और भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है।

प्रश्न 7: उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘जीवन के अधिकार’ (Right to Life) का विस्तार किन अन्य अधिकारों तक किया गया है?

  1. निजीता का अधिकार (Right to Privacy)
  2. शासकीय भवनों के समक्ष झंडा फहराने का अधिकार
  3. विभिन्न जेलों में बंदियों से मिलने का अधिकार
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उच्चतम न्यायालय ने अपने कई ऐतिहासिक निर्णयों में अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के दायरे का विस्तार किया है। इसमें निजता का अधिकार (KS Puttaswamy vs. Union of India), गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, आश्रय का अधिकार, स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, विभिन्न जेलों में बंदियों से मिलने का अधिकार, और सरकारी भवनों के समक्ष झंडा फहराने का अधिकार (Union of India vs. Naveen Jindal) जैसे अधिकार शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायालय ने यह माना है कि जीवन का अधिकार केवल पशुवत अस्तित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी अधिकार शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि उपरोक्त सभी अधिकार विभिन्न निर्णयों द्वारा अनुच्छेद 21 में शामिल किए गए हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति किसी राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ (President’s Rule) लगा सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 249

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि यदि किसी राज्य का संवैधानिक तंत्र विफल हो जाए, तो वह उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की घोषणा राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या अन्यथा (यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हो) की जा सकती है। इसकी घोषणा के लिए संसद के दोनों सदनों का अनुमोदन आवश्यक है, और यह अधिकतम एक वर्ष के लिए लागू हो सकता है, जिसके बाद इसे आगे बढ़ाने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से, अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से, और अनुच्छेद 249 राज्य सूची के विषयों के संबंध में संसद को कानून बनाने की शक्ति देने से संबंधित है।

प्रश्न 9: भारतीय संसद के दो सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को संयुक्त रूप से आहूत (summon) करने की शक्ति किसके पास है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. लोकसभा अध्यक्ष
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. राज्यसभा का सभापति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85(1) के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति को संसद के किसी भी सदन या दोनों सदनों को ऐसे समय और स्थान पर आहूत करने की शक्ति है, जो वे उचित समझें।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति सत्र का आरंभ अपने अभिभाषण से करते हैं। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं, लेकिन आहूत करने की शक्ति राष्ट्रपति की होती है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं, लोकसभा अध्यक्ष सदन के अध्यक्ष हैं, और राज्यसभा के सभापति (जो उपराष्ट्रपति होते हैं) राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी होते हैं। ये संयुक्त सत्र को आहूत करने की शक्ति नहीं रखते।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारत के संविधान के ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) भाग में सूचीबद्ध नहीं है?

  1. देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना
  2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना
  3. अस्पृश्यता का उन्मूलन करना
  4. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना और हिंसा से दूर रहना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया है। ‘अस्पृश्यता का उन्मूलन’ (अनुच्छेद 17) एक मौलिक अधिकार है, न कि मौलिक कर्तव्य।
  • संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों के वे नैतिक दायित्व हैं जिन्हें संविधान में जोड़ा गया था (42वें संशोधन, 1976 द्वारा)। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और इसका अभ्यास निषिद्ध करता है।
  • गलत विकल्प: (a) संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना, (b) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन का विकास करना, और (d) सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना और हिंसा से दूर रहना, ये सभी अनुच्छेद 51A के तहत मौलिक कर्तव्यों में सूचीबद्ध हैं।

प्रश्न 11: ‘नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. आयरलैंड
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्व आयरिश संविधान (Constitution of Ireland) से प्रेरित हैं। इन तत्वों का वर्णन संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: आयरिश संविधान के निदेशक सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर, भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु इन तत्वों को शामिल किया। अनुच्छेद 37 स्पष्ट करता है कि ये तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इनका प्रयोग राज्य का कर्तव्य होगा।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ लिए गए हैं। कनाडा से ‘संघीय प्रणाली’ (मजबूत केंद्र के साथ) और ‘अवशिष्ट शक्तियों’ का सिद्धांत लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया से ‘समवर्ती सूची’ और ‘संयुक्त बैठक’ का प्रावधान लिया गया है।

प्रश्न 12: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया का आधार क्या है?

  1. संविधान का उल्लंघन
  2. भ्रष्टाचार
  3. संवैधानिक तंत्र की विफलता
  4. उच्च राजद्रोह

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग का आधार ‘संविधान का उल्लंघन’ (Violation of the Constitution) है।
  • संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जो संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में शुरू की जा सकती है। प्रस्ताव को उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और कम से कम 14 दिन का पूर्व नोटिस देना होगा। प्रस्ताव को उस सदन के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए, जिसके बाद यह दूसरे सदन में जाता है, जहाँ जाँच की जाती है। यदि दूसरा सदन भी प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दे, तो राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया गया माना जाता है और वे पद से हटा दिए जाते हैं।
  • गलत विकल्प: भ्रष्टाचार, संवैधानिक तंत्र की विफलता या उच्च राजद्रोह, ये महाभियोग के आधार नहीं हैं, हालांकि ऐसे कृत्य संविधान के उल्लंघन की श्रेणी में आ सकते हैं।

प्रश्न 13: किस अनुच्छेद के तहत संसद किसी राज्य के नाम, सीमा या क्षेत्र में परिवर्तन कर सकती है?

  1. अनुच्छेद 2
  2. अनुच्छेद 3
  3. अनुच्छेद 4
  4. अनुच्छेद 169

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी राज्य के क्षेत्र में वृद्धि कर सकती है, किसी राज्य के क्षेत्र को घटा सकती है, किसी राज्य के क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है, या किसी राज्य का नाम बदल सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार का कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है। विधेयक को संबंधित राज्य विधानमंडल को उस पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए भेजा जा सकता है, लेकिन संसद उस राय से बाध्य नहीं है। इस अनुच्छेद के तहत किए गए परिवर्तन संविधान के अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए ‘संशोधन’ नहीं माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है। अनुच्छेद 4 इस प्रक्रिया के दौरान पारित कानूनों के बारे में है, जिन्हें संशोधन नहीं माना जाता। अनुच्छेद 169 राज्यों में विधान परिषदों के निर्माण या उत्सादन से संबंधित है।

प्रश्न 14: ‘लोकपाल’ (Lokpal) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था?

  1. जवाहरलाल नेहरू
  2. एल. एम. सिंघवी
  3. मोरारजी देसाई
  4. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: ‘लोकपाल’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1960 के दशक में प्रसिद्ध विधिवेत्ता डॉ. एल. एम. सिंघवी ने किया था। इसका अर्थ है ‘जनता का रक्षक’।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल एक ऐसी संस्था है जो लोक सेवकों (उच्च स्तर के अधिकारियों) के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करती है। भारत में लोकपाल अधिनियम 2013 में पारित हुआ, जिसके तहत लोकपाल की नियुक्ति का प्रावधान है।
  • गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। मोरारजी देसाई भारत के प्रथम गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे और उन्होंने प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों को आगे बढ़ाया, लेकिन शब्द का प्रयोग सिंघवी ने किया। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर संविधान सभा के प्रमुख व्यक्ति थे।

प्रश्न 15: किस अनुच्छेद के तहत संसद को नागरिकता के संबंध में कानून बनाने की शक्ति दी गई है?

  1. अनुच्छेद 9
  2. अनुच्छेद 10
  3. अनुच्छेद 11
  4. अनुच्छेद 12

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 11 के अनुसार, नागरिकता से संबंधित विषयों पर कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस शक्ति का प्रयोग करते हुए संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने और खोने के विभिन्न तरीकों का प्रावधान है। यह संसद को नागरिकता के अधिकार को विनियमित करने की अनुमति देता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों के बने रहने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ की परिभाषा से संबंधित है।

प्रश्न 16: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्ट किसे सौंपता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. राष्ट्रपति
  4. संसद की लोक लेखा समिति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी ऑडिट रिपोर्ट संघ के खातों के संबंध में राष्ट्रपति को और राज्य के खातों के संबंध में संबंधित राज्य के राज्यपाल को सौंपता है। यह प्रावधान अनुच्छेद 149, 150 और 151 में निहित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों (अनुच्छेद 151) के समक्ष रखवाते हैं। संसद इन रिपोर्टों की जांच के लिए लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) का गठन करती है, जो CAG की रिपोर्टों पर विचार करती है।
  • गलत विकल्प: CAG सीधे प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय या लोक लेखा समिति को रिपोर्ट नहीं सौंपता, बल्कि राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उसे संसद के पटल पर रखवाते हैं।

प्रश्न 17: ‘सार्वजनिक महत्व के मामलों पर सलाह देने’ के लिए राष्ट्रपति को अधिकार किस अनुच्छेद के तहत प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 123
  2. अनुच्छेद 143
  3. अनुच्छेद 72
  4. अनुच्छेद 161

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न या ऐसे प्रश्न पर, जिससे विधि के प्रश्न या तथ्य के प्रश्न के रूप में उत्पन्न होने की संभावना हो, सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकते हैं। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया परामर्श राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होता है। यह राष्ट्रपति की एक विवेकाधीन शक्ति मानी जाती है, लेकिन इसका प्रयोग वे अपनी मर्जी से करते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति से और अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी रिट केवल किसी लोक पद पर आसीन व्यक्ति के विरुद्ध जारी की जा सकती है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  4. प्रतिषेध (Prohibition)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) रिट किसी व्यक्ति के लोक पद पर अवैध रूप से आसीन होने की स्थिति में जारी की जाती है। यह प्रश्न पूछती है कि ‘आप किस अधिकार से पद पर हैं?’। यह केवल सार्वजनिक पद के संबंध में ही जारी की जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक पद पर केवल योग्य व्यक्ति ही नियुक्त हों। यह मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 32) और अन्य कानूनी अधिकारों (अनुच्छेद 226) के प्रवर्तन के लिए जारी की जा सकती है।
  • गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) अवैध रूप से हिरासत में रखे गए व्यक्ति की रिहाई के लिए जारी होती है। परमादेश (Mandamus) किसी लोक प्राधिकारी को उसके विधिक कर्तव्य का पालन करने के लिए जारी होती है। प्रतिषेध (Prohibition) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी होती है। ये रिटें सार्वजनिक पद के अलावा अन्य स्थितियों में भी जारी की जा सकती हैं।

प्रश्न 19: पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण और अनुमोदन की प्रक्रिया में संसद की क्या भूमिका थी, जब तक कि नीति आयोग का गठन नहीं हुआ था?

  1. योजनाओं को सीधे संसद द्वारा पारित किया जाता था।
  2. राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC) योजनाओं को अनुमोदित करती थी, जिसे संसद के पटल पर रखा जाता था।
  3. केवल वित्त मंत्रालय योजनाओं को अंतिम रूप देता था।
  4. योजना आयोग की सिफारिशें स्वतः ही लागू हो जाती थीं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: योजना आयोग (Planning Commission) पंचवर्षीय योजनाओं का मसौदा तैयार करता था, और राष्ट्रीय विकास परिषद् (National Development Council – NDC) इसे अंतिम मंजूरी देती थी। NDC का गठन 1952 में हुआ था और यह भारत में योजना निर्माण की सर्वोच्च संस्था थी, जो पंचवर्षीय योजनाओं के लिए एक प्रकार से ‘क्रेडल’ (cradle) की तरह काम करती थी।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते थे। NDC द्वारा अनुमोदित योजनाओं को फिर संसद के पटल पर रखा जाता था, लेकिन NDC का अनुमोदन ही अंतिम होता था, न कि संसद का प्रत्यक्ष विधायी अनुमोदन। 2015 में योजना आयोग को भंग कर नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन किया गया।
  • गलत विकल्प: योजनाओं को सीधे संसद द्वारा पारित नहीं किया जाता था (यह विधायी प्रक्रिया नहीं थी)। केवल वित्त मंत्रालय या योजना आयोग की सिफारिशें अपने आप लागू नहीं होती थीं।

प्रश्न 20: किस अनुच्छेद के तहत किसी राज्य में विधान परिषद के सृजन या उत्सादन का प्रावधान है?

  1. अनुच्छेद 168
  2. अनुच्छेद 169
  3. अनुच्छेद 170
  4. अनुच्छेद 171

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 169 संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी राज्य में विधान परिषद (Legislative Council) का सृजन या उत्सादन कर सके।
  • संदर्भ और विस्तार: ऐसा करने के लिए, संसद को उस राज्य की विधान सभा में एक प्रस्ताव पारित करना होगा, जिसमें उस विधान सभा के कुल सदस्यों के बहुमत से और उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से यह संकल्प किया गया हो कि विधान परिषद का सृजन या उत्सादन किया जाए। इसके बाद संसद एक साधारण बहुमत से कानून बना सकती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 168 राज्यों में विधानमंडल की संरचना से संबंधित है। अनुच्छेद 170 विधानसभाओं की संरचना से और अनुच्छेद 171 विधान परिषदों की संरचना से संबंधित है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी सूची समवर्ती सूची (Concurrent List) में शामिल है?

  1. रेलवे
  2. जन स्वास्थ्य
  3. शेयर बाजार
  4. परमाणु ऊर्जा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची (सूची 3) में ‘जन स्वास्थ्य’ (Public Health) शामिल है। समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, और यदि कोई विरोध होता है, तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है (अनुच्छेद 254)।
  • संदर्भ और विस्तार: जन स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जिसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: रेलवे (Union List, entry 24), शेयर बाजार (Union List, entry 45) और परमाणु ऊर्जा (Union List, entry 6) संघ सूची के विषय हैं, जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है।

प्रश्न 22: भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के प्रधानमंत्री
  2. भारत के राष्ट्रपति
  3. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. संसद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि, 2023 में पारित मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत, राष्ट्रपति एक समिति की सिफारिश पर यह नियुक्ति करते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश (सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा नामित) शामिल होते हैं। अधिनियम से पहले, यह नियुक्ति केवल राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी, और नियुक्ति में कोई समिति शामिल नहीं थी।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या संसद सीधे तौर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति नहीं करते हैं।

प्रश्न 23: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General of India – CAG) का कार्यकाल कितना होता है?

  1. 5 वर्ष
  2. 6 वर्ष
  3. 65 वर्ष की आयु तक
  4. 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148(1) के अनुसार, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पहले हो, पद धारण करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत के सार्वजनिक वित्त का संरक्षक होता है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वे संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उन्हें केवल साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है, जिसकी प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा ही संभव है।
  • गलत विकल्प: केवल 5 वर्ष, केवल 6 वर्ष, या केवल 65 वर्ष की आयु तक का कार्यकाल सही नहीं है, क्योंकि यह दोनों की संयुक्त शर्त पर निर्भर करता है।

प्रश्न 24: भारत में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) से संबंधित प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में दिया गया है?

  1. अनुच्छेद 105
  2. अनुच्छेद 104
  3. अनुच्छेद 106
  4. अनुच्छेद 107

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों (privileges and immunities) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन विशेषाधिकारों में भाषण की स्वतंत्रता, समितियों में भाग लेने का अधिकार, और सदन के सत्र के दौरान कुछ मामलों में गिरफ्तारी से छूट शामिल हैं। ये विशेषाधिकार संसद की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अनुच्छेद यह भी प्रावधान करता है कि ये विशेषाधिकार समय-समय पर संसद द्वारा कानून द्वारा परिभाषित किए जाएंगे।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 104 सदस्यों द्वारा शपथ लेने से पहले कार्य करने पर दंड से संबंधित है। अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन और भत्ते से संबंधित है। अनुच्छेद 107 विधेयकों को पुरःस्थापित करने के संबंध में प्रावधानों से संबंधित है।

प्रश्न 25: किस वाद (Case) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का ‘अभिन्न अंग’ (Integral Part) है?

  1. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  4. शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक ‘अभिन्न अंग’ है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रस्तावना संविधान का भाग है, लेकिन यह न तो पूर्णतः संशोधन योग्य है और न ही पूर्णतः अगम्य (inaccessible)। संसद प्रस्तावना में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान के ‘मूलभूत ढांचे’ (Basic Structure) में परिवर्तन किए बिना। यह निर्णय भारत के संवैधानिक कानून में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
  • गलत विकल्प: ए. के. गोपालन मामले (1950) में प्रस्तावना को संविधान का भाग नहीं माना गया था। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। शंकर प्रसाद मामले (1951) में कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।

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