Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

संविधान की कसौटी: खुद को परखें

संविधान की कसौटी: खुद को परखें

भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने को समझना हर गंभीर अभ्यार्थी के लिए अनिवार्य है। क्या आपके मौलिक अधिकारों, संवैधानिक निकायों और शासन की जटिलताओं पर पकड़ मज़बूत है? आइए, आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें।

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द कब और किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 1976, 42वाँ संशोधन
  2. 1978, 44वाँ संशोधन
  3. 1967, 21वाँ संशोधन
  4. 1951, प्रथम संशोधन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialism), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 1976 में पारित 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है, भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसने प्रस्तावना में इन शब्दों को शामिल करके राज्य के समाजवादी और पंथनिरपेक्ष स्वरूप को मजबूती से स्थापित किया।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर एक विधिक अधिकार बनाया। 21वें संशोधन ने सिंधी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ा। प्रथम संशोधन ने भूमि सुधारों से संबंधित कुछ कानूनों को नौवीं अनुसूची में डाला।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत ‘जीवन के अधिकार’ में शामिल नहीं है?

  1. अस्पतालों में मरने का अधिकार
  2. मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को बिना उचित प्रक्रिया के हिरासत में न रखना
  3. प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस लेने का अधिकार
  4. जीवन की गरिमा के साथ जीने का अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21A (जिसे अनुच्छेद 21 के हिस्से के रूप में व्याख्यायित किया जाता है) ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ की बात करता है। इसमें कई अधिकार सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों द्वारा शामिल किए गए हैं, जैसे कि गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार, और उचित कानूनी प्रक्रिया का अधिकार। ‘अस्पतालों में मरने का अधिकार’ (Right to die with dignity) एक जटिल विषय है और भारत में यह पूरी तरह से कानूनी रूप से स्थापित नहीं है, जबकि ‘सक्रिय इच्छा-मृत्यु’ (active euthanasia) वर्जित है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु’ (passive euthanasia) को कुछ शर्तों के तहत अनुमति दी है (अरुणा शानबाग मामला)।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 21 का दायरा बहुत व्यापक है। इसमें वो सब शामिल है जो जीवन को सार्थक, पूर्ण और गरिमापूर्ण बनाते हैं। इसमें अच्छे अस्पताल में इलाज का अधिकार, प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार, और अनुचित हिरासत से मुक्ति का अधिकार शामिल है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) सभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में स्पष्ट रूप से शामिल किए गए हैं।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति किसी लघुकरण (commutation) के माध्यम से आजीवन कारावास की सजा को 10 वर्ष के कारावास में बदल सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को एक निश्चित अवधि के लिए निलंबन (reprieve) या रोक (respite) लगा सकते हैं।
  4. राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह पर निर्भर करती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को मृत्युदंड को क्षमा करने, लघुकरण करने, या उसकी सजा या दंड को निलंबित करने (reprieve) या रोकने (respit) या कम करने (commute) की शक्ति प्रदान करता है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 161 राज्यपाल को भी ऐसी ही शक्तियाँ देता है, लेकिन वह मृत्युदंड या कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई सजा को क्षमा नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति उनकी अपनी विवेक शक्ति का हिस्सा है, हालांकि अधिकांश मामलों में वे मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करते हैं। लेकिन, अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य नहीं हैं, खासकर मृत्युदंड के मामलों में। यह एक महत्वपूर्ण न्यायिक समीक्षा का बिंदु रहा है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियों के तहत सही हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति, विशेष रूप से मृत्युदंड के मामलों में, मंत्रिपरिषद की सलाह से पूरी तरह बाध्य नहीं है (यह सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों, जैसे ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य (1996) और शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974) में स्थापित है)।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  3. नीति आयोग (NITI Aayog)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (अनुच्छेद 148) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) संविधान द्वारा स्थापित ‘संवैधानिक निकाय’ हैं। इनके पद, शक्तियाँ और कार्य संविधान में वर्णित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित एक गैर-संवैधानिक, गैर-वैधानिक निकाय है। यह भारत सरकार के थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है और इसका उद्देश्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना है। योजना आयोग के स्थान पर इसका गठन किया गया था।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके संबंधित अनुच्छेदों में उनके प्रावधान का उल्लेख है। नीति आयोग को एक कार्यकारी आदेश से बनाया गया है, इसलिए यह संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 5: संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ के किन-किन रूपों का उल्लेख किया गया है?

  1. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक
  2. आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक
  3. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  4. धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ सभी नागरिकों को समान रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अवसर मिलें और कोई भी भेदभाव का शिकार न हो।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक न्याय’ का अलग से उल्लेख नहीं है, हालांकि ‘सामाजिक न्याय’ के दायरे में धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध शामिल है। इसलिए, विकल्प (c) सटीक है।

प्रश्न 6: संसद के सत्रावसान (prorogation) और सत्रावसान (adjournment) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. सत्रावसान एक सदन के सत्र को अनिश्चित काल के लिए समाप्त करता है, जबकि स्थगन केवल एक बैठक को समाप्त करता है।
  2. सत्रावसान केवल राष्ट्रपति द्वारा किया जा सकता है, जबकि स्थगन पीठासीन अधिकारी द्वारा किया जाता है।
  3. सत्रावसान के पश्चात् विधेयक समाप्त हो जाते हैं, जबकि स्थगन के पश्चात् नहीं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सत्र का सत्रावसान (prorogation) राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 85(2)(a)) और यह पूरे सत्र को समाप्त करता है, जिसके बाद पुराने लंबित विधायी कार्यों (जैसे लंबित बिल) को समाप्त माना जाता है। स्थगन (adjournment) पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष/सभापति) द्वारा किया जाता है और यह सदन की बैठक को थोड़े समय के लिए (कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिनों तक) या अनिश्चित काल (sine die) के लिए स्थगित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान एक सत्र के अंत का प्रतीक है, जबकि स्थगन दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही को रोकता है। सत्रावसान के बाद, बिलों को फिर से शुरू करने के लिए एक नई प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है, या वे लैप्स हो जाते हैं। स्थगन के मामले में, लंबित कार्यवाही उसी सत्र में जारी रहती है, जब तक कि सत्र का सत्रावसान न हो जाए।
  • गलत विकल्प: उपरोक्त सभी कथन (a, b, और c) सत्रावसान और स्थगन के बीच के मुख्य अंतरों को सही ढंग से दर्शाते हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) को प्रतिपादित किया?

  1. शंकरी प्रसाद देव बनाम भारत संघ
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  4. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह व्यवस्था दी कि संसद संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को छोड़कर किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, संविधान के कुछ अंतर्निहित तत्व ऐसे हैं जिन्हें संशोधन के माध्यम से भी नहीं बदला जा सकता। इन तत्वों में सर्वोच्चता, गणराज्य की सरकार का स्वरूप, धर्मनिरपेक्षता, शक्तियों का पृथक्करण, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता शामिल हैं। यह निर्णय संसद की संशोधन शक्ति (अनुच्छेद 368) को सीमित करता है।
  • गलत विकल्प: शंकरी प्रसाद मामले (1951) ने कहा कि अनुच्छेद 13 के तहत ‘विधि’ शब्द में संविधान संशोधन शामिल नहीं है, इसलिए संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। ए. के. गोपालन मामले (1950) में अनुच्छेद 21 की व्याख्या संकुचित थी।

प्रश्न 8: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. वित्त मंत्री
  4. लोकसभा अध्यक्ष

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह भारत की संचित निधि, लोक वित्त और सभी सरकारी उपक्रमों के खातों का ऑडिट करता है। CAG का पद एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग न हो। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री या लोकसभा अध्यक्ष द्वारा CAG की नियुक्ति नहीं की जाती है; यह शक्ति पूरी तरह से राष्ट्रपति के पास है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन संघवाद (Federalism) के सिद्धांत का एक विशेषता नहीं है?

  1. दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य)
  2. लिखित संविधान
  3. शक्तियों का विभाजन
  4. संविधान की अनम्यता (Rigidity)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघवाद की मुख्य विशेषताओं में दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य), लिखित संविधान, शक्तियों का विभाजन, संविधान की सर्वोच्चता, स्वतंत्र न्यायपालिका और दोहरी नागरिकता (भारत में नहीं) शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान संघवाद को अपनाता है, लेकिन यह एक ‘मजबूत केंद्र’ वाले संघवाद की ओर झुका हुआ है, जिसे ‘सहकारी संघवाद’ या ‘अर्ध-संघवाद’ (Quasi-federal) भी कहा जाता है। संघवाद के लिए ‘लिखित संविधान’, ‘शक्तियों का विभाजन’ और ‘संविधान की सर्वोच्चता’ आवश्यक हैं।
  • गलत विकल्प: संघवाद के लिए संविधान का ‘अनम्य’ (rigid) होना एक आवश्यक शर्त नहीं है। वास्तव में, लचीलापन (flexibility) भी महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत में, संविधान संशोधन की प्रक्रिया में कठोरता (संघवाद की विशेषता) और लचीलेपन (एकात्मकता की ओर झुकाव) दोनों के तत्व मौजूद हैं। संविधान का संशोधन आसान (लचीला) और कठिन (कठोर) दोनों है। विकल्प (d) संघवाद की एक सार्वभौमिक विशेषता नहीं है, खासकर भारतीय संदर्भ में जहां संविधान में दोनों के तत्व हैं।

प्रश्न 10: भारतीय संविधान के किस भाग में पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान है?

  1. भाग IV
  2. भाग IX
  3. भाग IXA
  4. भाग VII

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में भाग IX जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने देश में पंचायती राज के लिए एक मानक ढाँचा स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर की पंचायतों की संरचना, सीटों का आरक्षण, अवधि और अन्य महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) हैं, जिसमें अनुच्छेद 40 (ग्राम पंचायतों का संगठन) शामिल है, लेकिन यह केवल एक नीति निदेशक तत्व है, न कि पंचायती राज का विस्तृत प्रावधान। भाग IXA नगरपालिकाओं से संबंधित है, और भाग VII को सातवें संशोधन द्वारा निरस्त कर दिया गया था।

प्रश्न 11: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के पद के लिए कौन योग्य नहीं है?

  1. भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  2. भारत का सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
  3. भारत का सेवानिवृत्त महान्यायवादी
  4. कोई भी व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के क्षेत्र में ज्ञान या अनुभव हो

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अधिनियम, 1993 के अनुसार, NHRC का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या भारत का सेवानिवृत्त न्यायाधीश (सुप्रीम कोर्ट का) होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके अतिरिक्त, आयोग में अन्य सदस्य भी होते हैं, जिनमें एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, मानव अधिकारों के क्षेत्र में ज्ञान या अनुभव वाला व्यक्ति (जो अध्यक्ष के रूप में योग्य हो सकता है यदि वह मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश हो) शामिल हैं। लेकिन, महान्यायवादी (Attorney General) या महाधिवक्ता (Advocate General) NHRC के अध्यक्ष या सदस्य बनने के योग्य नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) (यदि वह न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश हो) NHRC के अध्यक्ष बनने के योग्य हैं। महान्यायवादी (Attorney General) की भूमिका सरकार का कानूनी सलाहकार बनना है, न कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित आयोग का प्रमुख बनना।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस संवैधानिक संशोधन ने लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण को 2030 तक बढ़ा दिया?

  1. 95वाँ संशोधन
  2. 101वाँ संशोधन
  3. 103वाँ संशोधन
  4. 104वाँ संशोधन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 104वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2019 ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को अगले दस वर्षों के लिए, अर्थात 25 जनवरी 2030 तक बढ़ा दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में नामांकन का प्रावधान भी समाप्त कर दिया। पहले यह आरक्षण 95वें, 97वें, 100वें और 102वें संशोधनों के माध्यम से बढ़ाया गया था।
  • गलत विकल्प: 95वाँ संशोधन (2009) ने आरक्षण को 2010 तक बढ़ाया। 101वाँ संशोधन (2016) ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया। 103वाँ संशोधन (2019) ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया।

प्रश्न 13: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 360 के तहत की जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आपातकाल तब घोषित किया जा सकता है जब राष्ट्रपति संतुष्ट हो कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है। वित्तीय आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति राज्य सरकारों को वित्तीय औचित्य के सिद्धांतों का पालन करने के निर्देश दे सकते हैं, जिसमें धन विधेयकों को राज्य विधानमंडलों में विचार के लिए आरक्षित करना भी शामिल है। यह आज तक कभी भी घोषित नहीं किया गया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से और अनुच्छेद 365 उन अनुच्छेदों से संबंधित है जहां संघ के निर्देशों का पालन करने में विफलता होती है, जो अक्सर अनुच्छेद 356 के प्रयोग का आधार बनता है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) के संबंध में सत्य है?

  1. ये वे विशेषाधिकार हैं जो संसद के दोनों सदनों, उनके सदस्यों और समितियों को दिए जाते हैं।
  2. ये विशेषाधिकार किसी भी व्यक्ति को सदन की अवमानना (contempt of Parliament) के लिए दंडित करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
  3. संसद के प्रत्येक सदन को अपने सदस्यों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित करने की शक्ति है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद के विशेषाधिकारों से संबंधित है। यह अनुच्छेद कहता है कि संसद के प्रत्येक सदन और उसके सदस्यों को वे विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो सदन द्वारा समय-समय पर परिभाषित किए जाएंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों में सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं जैसे कि सत्र के दौरान गिरफ्तारी से छूट (कुछ अपराधों को छोड़कर), सदन के भीतर बोलने की स्वतंत्रता, और सदन के समक्ष गवाही देने की स्वतंत्रता। इनमें सदन की अवमानना के लिए किसी को दंडित करने की शक्ति भी शामिल है। यह शक्ति स्वतंत्र और निष्पक्ष कार्यवाही के लिए आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन संसदीय विशेषाधिकारों के संबंध में सही हैं। वे संसद की स्वतंत्रता, गरिमा और प्रभावी कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान की उद्देशिका (Preamble) में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. राज्य का प्रमुख वंशानुगत होगा।
  2. राज्य का प्रमुख अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाएगा।
  3. राज्य का प्रमुख प्रत्यक्ष रूप से चुना जाएगा।
  4. राज्य का प्रमुख निर्वाचित या मनोनीत हो सकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख, जो भारत के राष्ट्रपति हैं, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होता है। यह वंशानुगत पद नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत एक ‘संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ है। ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को इंगित करता है, और ‘गणराज्य’ शब्द राज्य के प्रमुख के निर्वाचित होने को दर्शाता है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 54)।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) राजशाही (Monarchy) को दर्शाता है। विकल्प (c) प्रत्यक्ष चुनाव की बात करता है, जो राष्ट्रपति के मामले में नहीं है। विकल्प (d) भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों की बात करता है, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव गणराज्य की मुख्य परिभाषा है, जबकि प्रत्यक्ष चुनाव लोकतंत्र का एक रूप है, गणराज्य का नहीं। इसलिए, (b) सबसे सटीक है।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान के अनुसार, ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. संसद
  2. राष्ट्रपति
  3. सर्वोच्च न्यायालय
  4. राज्य सरकारें

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियाँ (या वे सभी विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं) संसद को सौंपी गई हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संविधान के एकात्मक झुकाव को दर्शाता है। इसका मतलब है कि ऐसे किसी भी नए मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है जो संविधान के लागू होने के समय सूचियों में शामिल नहीं था।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय या राज्य सरकारें अवशिष्ट शक्तियों के लिए अधिकृत नहीं हैं। यह शक्ति विशेष रूप से संसद को प्रदान की गई है, जो संघ सूची में भी शामिल है।

प्रश्न 17: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
  3. वे संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन मतदान नहीं कर सकते।
  4. उनका कार्यकाल निश्चित होता है, जो 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं। वे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में बोल सकते हैं और किसी भी समिति में भाग ले सकते हैं, लेकिन मतदान का अधिकार केवल उन्हीं सदस्यों को होता है जो संसद के सदस्य हैं (अनुच्छेद 88)।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करते हैं, जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति उन्हें कभी भी हटा सकते हैं। आमतौर पर, वे तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक कि कार्यपालिका (सरकार) उन्हें नियुक्त करती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सत्य हैं। विकल्प (d) असत्य है क्योंकि महान्यायवादी का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, जैसा कि CAG या अन्य संवैधानिक पदों के लिए होता है।

प्रश्न 18: लोकपाल (Lokpal) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह केवल केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है।
  3. इसकी स्थापना 2013 में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी।
  4. लोकपाल का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश हो सकता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकपाल एक वैधानिक निकाय है, न कि संवैधानिक। इसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय है। यह प्रधानमंत्री (कुछ अपवादों के साथ), केंद्रीय मंत्री, संसद सदस्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर सकता है। लोकपाल के अध्यक्ष का पद भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या किसी अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए आरक्षित है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा चुना जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि यह संवैधानिक नहीं, वैधानिक है। विकल्प (b) आंशिक रूप से गलत है क्योंकि यह राज्य स्तर पर लोकायुक्त के माध्यम से राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों को भी कवर करता है, लेकिन मुख्य रूप से केंद्र पर केंद्रित है। विकल्प (d) सही हो सकता है यदि पूर्व मुख्य न्यायाधीश को अध्यक्ष चुना जाता है, लेकिन (c) लोकपाल की स्थापना का सबसे सटीक तथ्य प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 19: किस संवैधानिक संशोधन ने भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) शामिल किए?

  1. 42वाँ संशोधन, 1976
  2. 44वाँ संशोधन, 1978
  3. 52वाँ संशोधन, 1985
  4. 73वाँ संशोधन, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 ने भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ नामक एक नया भाग (भाग IV-A) और अनुच्छेद 51A जोड़ा।
  • संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं, जैसे कि राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना, और देश की रक्षा करना। मौलिक कर्तव्यों की अवधारणा सोवियत संघ (USSR) से प्रेरित है।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों को शामिल किया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा ‘अधिकार’ (Right) मौलिक अधिकार है, लेकिन आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किया जा सकता?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  2. समानता का अधिकार
  3. स्वतंत्रता का अधिकार
  4. अस्पृश्यता का उन्मूलन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किए जा सकते, चाहे वह राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) हो या राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356)।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 20 यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जाएगा (दोहरा खतरा), और किसी भी व्यक्ति को अपराध करने के समय लागू कानून के तहत ही दंडित किया जाएगा (अतिव्यापी दंड)। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा करता है। ये दो मौलिक अधिकार अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं और इन्हें निलंबित नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा, संघ, आवागमन, निवास और व्यवसाय की स्वतंत्रता) को राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान निलंबित किया जा सकता है, भले ही आपातकाल बाहरी आक्रमण के आधार पर लगाया गया हो। अस्पृश्यता का उन्मूलन (अनुच्छेद 17) एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह सीधे तौर पर आपातकाल निलंबन से संबंधित नहीं है; इसका निलंबन अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 19 के निलंबन से प्रभावित हो सकता है, लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 विशेष रूप से सुरक्षित हैं।

प्रश्न 21: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति का किसी भी विधेयक पर वीटो शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार निहित है?

  1. अनुच्छेद 111
  2. अनुच्छेद 108
  3. अनुच्छेद 107
  4. अनुच्छेद 112

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की विधायी शक्ति से संबंधित है। इसके अनुसार, जब कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जिस पर राष्ट्रपति या तो अपनी स्वीकृति दे सकते हैं, या स्वीकृति रोक सकते हैं, या (यदि यह धन विधेयक नहीं है) तो विधेयक को (संसोधन सहित या रहित) पुनर्विचार के लिए संसद को लौटा सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की विधेयक को वापस लौटाने की शक्ति को ‘निलंबनकारी वीटो’ (Suspensive Veto) कहा जाता है। राष्ट्रपति के पास ‘पूर्ण वीटो’ (Absolute Veto) भी होता है, जिसका अर्थ है कि वे किसी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए रोक सकते हैं (जैसे निजी सदस्यों के विधेयक के मामले में)। हालांकि, पॉकेट वीटो (Pocket Veto) का प्रयोग किसी भी विधेयक पर किया जा सकता है, जो भारत में सबसे विवादास्पद वीटो शक्ति है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक (joint sitting) से संबंधित है। अनुच्छेद 107 विधेयक पेश करने की प्रक्रिया से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस वर्ष ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग’ (National Commission for Backward Classes) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?

  1. 1993
  2. 2006
  3. 2018
  4. 1988

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, जिसने संविधान में अनुच्छेद 338B जोड़ा।
  • संदर्भ और विस्तार: इससे पहले, NCBC एक वैधानिक निकाय था जिसका गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। 102वें संशोधन ने अनुच्छेद 340 में संशोधन कर राष्ट्रप​ति को पिछड़े वर्गों की पहचान करने की शक्ति भी दी। संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद, आयोग को राज्यों के संबंध में सुझाव देने की शक्ति मिली है।
  • गलत विकल्प: 1993 में वैधानिक आयोग का गठन हुआ था। 2006 और 1988 में संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया था।

प्रश्न 23: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. न्यायपालिका द्वारा विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप।
  2. न्यायपालिका द्वारा सार्वजनिक हितों के मामलों में सक्रिय भूमिका निभाना।
  3. न्यायालयों द्वारा अपने निर्णयों को लागू करवाना।
  4. संसद द्वारा पारित कानूनों की व्याख्या करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता से तात्पर्य न्यायपालिका द्वारा सार्वजनिक हितों की रक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने से है, खासकर तब जब विधायिका और कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहती हैं। यह अक्सर जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से किया जाता है, जिसका आधार अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और 226 (उच्च न्यायालय) हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें न्यायपालिका नए मुद्दों को उठा सकती है, आदेश जारी कर सकती है, और नीतियों के निर्माण में भी भूमिका निभा सकती है। इसका उद्देश्य न्यायपालिका की भूमिका को केवल कानूनों की व्याख्या तक सीमित न रखकर, सामाजिक परिवर्तन के एक उपकरण के रूप में प्रयोग करना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘न्यायिक अधिक्रमण’ (Judicial Overreach) का संकेत देता है, जो सक्रियता का एक नकारात्मक पहलू हो सकता है। विकल्प (c) न्यायपालिका के कार्य का एक सामान्य हिस्सा है। विकल्प (d) न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) है। न्यायिक सक्रियता का मुख्य जोर सार्वजनिक हितों की रक्षा पर है।

प्रश्न 24: ‘संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System) में सरकार का मुखिया कौन होता है?

  1. राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में एक संसदीय शासन प्रणाली है, जो ब्रिटेन के मॉडल पर आधारित है। इसमें, प्रधानमंत्री सरकार का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख (real executive head) होता है, जबकि राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख (head of state) होता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 75 के तहत की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय प्रणाली की विशेषता यह है कि कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। प्रधानमंत्री संसद के सदस्य होते हैं और आमतौर पर लोकसभा में बहुमत दल के नेता होते हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति केवल नाममात्र का प्रमुख (nominal head) होता है। लोकसभा अध्यक्ष विधायिका के पीठासीन अधिकारी होते हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं।

प्रश्न 25: ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) का प्रावधान भारतीय संविधान की किस विशेषता से संबंधित है?

  1. भारतीय संघ की एकात्मक प्रकृति
  2. भारतीय संघ की संघात्मक प्रकृति
  3. संसदीय संप्रभुता
  4. न्यायपालिका की स्वतंत्रता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: एकल नागरिकता (Single Citizenship) की अवधारणा भारतीय संविधान की एकात्मक प्रकृति को दर्शाती है। संविधान में अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, उसे किसी भी राज्य का नागरिक नहीं माना जाएगा।
  • संदर्भ और विस्तार: संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे संघात्मक देशों में दोहरी नागरिकता (संघ की नागरिकता और राज्य की नागरिकता) होती है। भारत में, केवल भारतीय नागरिकता है, चाहे व्यक्ति किसी भी राज्य में रहता हो। यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है और केंद्र तथा राज्यों के बीच भेद को कम करता है।
  • गलत विकल्प: संघात्मक प्रकृति (b) में प्रायः दोहरी नागरिकता होती है। संसदीय संप्रभुता (c) और न्यायपालिका की स्वतंत्रता (d) भारतीय शासन प्रणाली की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर एकल नागरिकता से संबंधित नहीं हैं।

Leave a Comment