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संविधान की कसौटी: खुद को परखें आज!

संविधान की कसौटी: खुद को परखें आज!

नमस्कार, भावी दिग्गजों! भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के अथाह सागर में अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखने का यह एक सुनहरा अवसर है। आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम संविधान के विभिन्न आयामों से 25 सारगर्भित प्रश्न लेकर आए हैं। अपनी तैयारी को नई धार दें और जानें कि आप इस महत्वपूर्ण विषय में कहाँ खड़े हैं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस वर्ष में जोड़ा गया?

  1. 1971
  2. 1976
  3. 1980
  4. 1984

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारत के संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य प्रस्तावना को भारतीय गणराज्य के समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता के आदर्शों को प्रतिबिंबित करने के लिए संशोधित करना था। ये शब्द भारतीय राज्य की प्रकृति को अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प इन शब्दों को जोड़ने के वर्ष से संबंधित नहीं हैं। 42वां संशोधन भारतीय संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (Article 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (Article 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (Article 25)
  4. भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (Article 15)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार हैं। अनुच्छेद 15 कहता है कि राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये अधिकार भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं, इसलिए इन्हें केवल नागरिकों तक सीमित रखा गया है। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) विदेशियों सहित सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी को उपलब्ध है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं, इसलिए वे सही उत्तर नहीं हैं।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यता सम्बन्धी प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 52
  2. अनुच्छेद 56
  3. अनुच्छेद 58
  4. अनुच्छेद 60

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 58 भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए ‘योग्यता’ का उल्लेख करता है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए, 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, और लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 52 राष्ट्रपति पद के प्रावधान से संबंधित है, अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से, और अनुच्छेद 60 राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान से संबंधित है। अनुच्छेद 58 राष्ट्रपति चुनाव के लिए आवश्यक योग्यताओं को स्पष्ट करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 52, 56 और 60 क्रमशः राष्ट्रपति पद के सृजन, कार्यकाल और शपथ से संबंधित हैं, न कि पद के लिए योग्यताओं से।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित किसी साधारण विधेयक पर वीटो की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 200
  2. अनुच्छेद 201
  3. अनुच्छेद 249
  4. अनुच्छेद 250

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 201 के अनुसार, जब किसी राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की विचार के लिए आरक्षित रखा जाता है, तो राष्ट्रपति उस विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है) उच्चित संशोधन के साथ या बिना संशोधन के राज्य विधानमंडल के पास पुनः विचार के लिए भेज सकते हैं। यदि राज्य विधानमंडल उस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए संशोधन सहित या बिना संशोधन के पुनः पारित करता है और राष्ट्रपति के पास प्रस्तुत करता है, तो राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति दे सकते हैं या उसे रोक सकते हैं (एब्सोल्यूट वीटो)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 200 राज्यपाल की विधायी शक्तियों से संबंधित है, जिसमें विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना शामिल है। अनुच्छेद 201 राष्ट्रपति द्वारा विधेयक पर विचार करने की प्रक्रिया का वर्णन करता है। राष्ट्रपति के पास राज्य विधेयकों पर पॉकेट वीटो का भी अधिकार होता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 200 केवल विधेयकों को आरक्षित करने की राज्यपाल की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने की शक्ति देता है, और अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान इसी तरह की शक्ति देता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) को पद से हटा सकता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया
  3. सर्वोच्च न्यायालय
  4. प्रधानमंत्री

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को उसी रीति और उन्हीं आधारों पर पद से हटाया जा सकता है जिन पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है, जैसा कि अनुच्छेद 324(5) में प्रावधान है। यह प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा विशेष बहुमत से पारित महाभियोग प्रस्ताव के माध्यम से होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्व्यवहार या असमर्थता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा यह कार्यवाही की जाती है, लेकिन केवल संसद की सिफारिश पर। इसका अर्थ है कि संसद की प्रक्रिया के बिना राष्ट्रपति उन्हें हटा नहीं सकते। चुनाव आयुक्तों (मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त) को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है, लेकिन ऐसे आयुक्त को कदाचार या असमर्थता के आधार पर तभी हटाया जाएगा जब ऐसे किसी भी आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त उसी प्रकार की सिफारिश राष्ट्रपति को करें।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति सीधे तौर पर उन्हें नहीं हटा सकते; उन्हें संसद की प्रक्रिया का पालन करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय या प्रधानमंत्री के पास यह शक्ति नहीं है।

प्रश्न 6: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री
  3. गृह मंत्री
  4. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 316(1) के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जो अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उम्मीदवारों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करता है। अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। उनकी नियुक्ति के बाद, उनके पद की शर्तों को राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास UPSC अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के संबंध में सत्य है?

  1. संसदीय विशेषाधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं।
  2. इन विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने पर किसी भी सदस्य को सदन से निलंबित किया जा सकता है।
  3. संसदीय विशेषाधिकार केवल संसद सदस्यों को प्राप्त होते हैं।
  4. संसद अपने सदस्यों को विशेषाधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित नहीं कर सकती।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकारों को अनुच्छेद 105 (संसद के सदनों, सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि) में कुछ हद तक उल्लेखित किया गया है, लेकिन वे पूर्ण रूप से परिभाषित नहीं हैं। इन विशेषाधिकारों में सदन की कार्यवाही में भाग लेने और मतदान करने की स्वतंत्रता, और सदन की अवमानना के लिए किसी व्यक्ति को दंडित करने की शक्ति शामिल है। जब कोई सदस्य इन विशेषाधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उसे सदन से निलंबित किया जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन करने में सक्षम बनाते हैं। ये विशेषाधिकार केवल सदस्यों को ही नहीं, बल्कि सदन और उसकी समितियों को भी प्राप्त होते हैं। विशेषाधिकारों के उल्लंघन को सदन की अवमानना माना जाता है, और ऐसे मामलों में सदन अपनी अवमानना के लिए सदस्यों को दंडित कर सकती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि विशेषाधिकार पूरी तरह से परिभाषित नहीं हैं। विकल्प (c) भी गलत है क्योंकि ये समितियों और सदन को भी प्राप्त होते हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि सदन विशेषाधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित कर सकता है।

प्रश्न 8: भारत में ‘शक्तियों का पृथक्करण’ (Separation of Powers) का सिद्धांत किस हद तक लागू होता है?

  1. यह एक कठोर सिद्धांत है, जहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
  2. यह एक लचीला सिद्धांत है, जहाँ शक्तियों का कुछ हद तक ओवरलैप होता है।
  3. भारतीय संविधान शक्तियों के पूर्ण पृथक्करण की वकालत करता है।
  4. न्यायपालिका की शक्ति कार्यपालिका और विधायिका से पूरी तरह अलग है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत को अपनाता है, लेकिन यह पश्चिमी देशों (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका) की तरह कठोर नहीं है। भारत में, कार्यपालिका (राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) का ही हिस्सा होती है (मंत्रिपरिषद संसद के प्रति उत्तरदायी होती है)। न्यायपालिका स्वतंत्र है, लेकिन न्यायिक समीक्षा जैसी शक्तियाँ इसे विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों को प्रभावित करने में सक्षम बनाती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह मॉडल ‘नियंत्रण और संतुलन’ (Checks and Balances) की प्रणाली के साथ मिलकर काम करता है, जहाँ सरकार की प्रत्येक शाखा दूसरी शाखाओं पर कुछ नियंत्रण रखती है। अनुच्छेद 50 राज्य के नीति निदेशक तत्वों में कार्यपालिका को न्यायपालिका से अलग करने का निर्देश देता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) गलत हैं क्योंकि भारत में शक्ति पृथक्करण कठोर नहीं है। विकल्प (d) भी पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि न्यायिक समीक्षा के माध्यम से न्यायपालिका का कार्यपालिका और विधायिका से अप्रत्यक्ष संबंध बना रहता है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ (Local Self-Government) का जनक माना जाता है?

  1. लॉर्ड कर्ज़न
  2. लॉर्ड रिपन
  3. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  4. लॉर्ड डलहौजी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: लॉर्ड रिपन को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन का जनक’ कहा जाता है। 1882 में, उन्होंने एक प्रस्ताव जारी किया जिसने स्थानीय निकायों को स्वायत्तता दी और उन्हें अधिक अधिकार प्रदान किए, जैसे कि चुनाव के माध्यम से चुने हुए प्रतिनिधियों का प्रभुत्व।
  • संदर्भ एवं विस्तार: लॉर्ड रिपन के प्रस्ताव ने ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के विकास की नींव रखी। उनके प्रस्तावों ने स्थानीय सरकार को एक महत्वपूर्ण स्तर की प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता दी।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्ज़न ने प्रशासनिक सुधार किए लेकिन स्थानीय स्वशासन के लिए ऐसी कोई विशेष पहल नहीं की। लॉर्ड विलियम बेंटिंक और लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में भी ऐसी कोई प्रमुख नीतिगत पहल नहीं हुई जो उन्हें स्थानीय स्वशासन का जनक बना सके।

प्रश्न 10: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘संसद के सत्र के अवसान’ (Prorogation of Parliament) की व्यवस्था है?

  1. अनुच्छेद 85(1)
  2. अनुच्छेद 85(2)(a)
  3. अनुच्छेद 86(1)
  4. अनुच्छेद 87(1)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85(2)(a) राष्ट्रपति को किसी भी समय सत्र के अवसान (Prorogue) करने की शक्ति प्रदान करता है। ‘सत्र का अवसान’ (Prorogation) का अर्थ है सत्र की समाप्ति, जबकि ‘सत्र का स्थगन’ (Adjournment) केवल बैठक को कुछ समय के लिए रोकना है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अवसान के बाद, सदन की बैठकें अगले सत्र की शुरुआत तक नहीं होतीं। यह राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जबकि स्थगन सभापति या अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। अनुच्छेद 85(1) राष्ट्रपति को समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को सत्र के लिए आहूत (Summon) करने की शक्ति देता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 85(1) आहूत करने से संबंधित है। अनुच्छेद 86(1) राष्ट्रपति द्वारा सदनों में अभिभाषण देने से संबंधित है। अनुच्छेद 87(1) राष्ट्रपति के विशेष अभिभाषण से संबंधित है।

प्रश्न 11: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) का प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत किया जाता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. लोक लेखा समिति
  3. संसद
  4. राष्ट्रपति

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) द्वारा तैयार लेखापरीक्षा रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाती है (अनुच्छेद 151)। राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के पटल पर रखवाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG की रिपोर्टों की जांच संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) करती है। CAG की मुख्य रिपोर्टें ‘विनियोजन लेखाओं पर लेखापरीक्षा रिपोर्ट’ (Audit Report on Appropriation Accounts) और ‘वित्त लेखाओं पर लेखापरीक्षा रिपोर्ट’ (Audit Report on Finance Accounts) हैं।
  • गलत विकल्प: CAG की रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री या लोक लेखा समिति को प्रस्तुत नहीं की जाती है, बल्कि संसद में रखी जाती है। राष्ट्रपति रिपोर्ट प्राप्त करते हैं और उसे संसद में रखवाते हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संवैधानिक संशोधन’ (Constitutional Amendment) के संबंध में गलत है?

  1. संसद के दोनों सदनों में विधेयक को विशेष बहुमत से पारित होना आवश्यक है।
  2. कुछ संशोधनों के लिए राज्यों के आधे से अधिक विधानमंडलों का अनुसमर्थन आवश्यक है।
  3. संविधान की प्रस्तावना को अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है।
  4. कोई भी संवैधानिक संशोधन राष्ट्रपति की वीटो शक्ति के अधीन है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 के अनुसार, संवैधानिक संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की सहमति आवश्यक है, लेकिन राष्ट्रपति के पास ऐसे विधेयक को वीटो करने का अधिकार नहीं होता है। राष्ट्रपति को ऐसे विधेयक पर अपनी सहमति देनी ही होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत के राष्ट्रपति द्वारा किसी संवैधानिक संशोधन विधेयक को पॉकेट वीटो (Pocket Veto) का प्रयोग करके अस्वीकृत नहीं किया जा सकता है। उन्हें इस पर अपनी सहमति देनी ही होती है। अन्य सभी विकल्प (a, b, c) संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित सही कथन हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति के पास संवैधानिक संशोधन विधेयकों पर वीटो की शक्ति नहीं है।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन उपबंध’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. जर्मनी
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: भारत के संविधान में आपातकालीन उपबंधों (राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन, और वित्तीय आपातकाल) का प्रावधान जर्मनी के ‘ग Jednak Weimar Constitution’ से प्रेरित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जर्मनी के संविधान ने युद्धकाल या आंतरिक अशांति के समय नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित करने और आपातकालीन शक्तियां लागू करने की व्यवस्था की थी, जिसे भारत ने भी अपनाया है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के संविधानों से भारत ने अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान लिए हैं (जैसे मौलिक अधिकार अमेरिका से, संघात्मक ढांचा कनाडा से, समवर्ती सूची ऑस्ट्रेलिया से), लेकिन आपातकालीन उपबंध जर्मनी से लिए गए हैं।

प्रश्न 14: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 71वां संशोधन, 1992
  2. 73वां संशोधन, 1992
  3. 74वां संशोधन, 1993
  4. 82वां संशोधन, 1999

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (जो 1993 में लागू हुआ) ने पंचायती राज संस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और संविधान में भाग IX (पंचायतों) और 11वीं अनुसूची जोड़ी।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को स्व-शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक अधिकार, प्राधिकार और उत्तरदायित्व प्रदान किए। इसमें ग्राम सभा, पंचायतों की संरचना, सीटों का आरक्षण, पंचायतों का कार्यकाल आदि का प्रावधान है।
  • गलत विकल्प: 71वें संशोधन ने आठवीं अनुसूची में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को जोड़ा। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया। 82वें संशोधन का संबंध चुनावों से है।

प्रश्न 15: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा किस मामले से प्रमुखता से उभरी?

  1. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  2. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  3. एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ
  4. बीनू मोंगा बनाम भारत संघ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: ‘मेनका गांधी बनाम भारत संघ’ (1978) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) की व्याख्या का विस्तार किया और माना कि यह केवल भौतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार, और यात्रा का अधिकार भी शामिल है। इसने जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से न्याय तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त किया, जो न्यायिक सक्रियता का एक प्रमुख उपकरण है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस मामले ने ‘कानून की उचित प्रक्रिया’ (Due Process of Law) को अपनाया, जिसने न्यायपालिका को विधायी और कार्यकारी कार्यों की समीक्षा करने की व्यापक शक्ति दी। केशवानंद भारती मामला (1973) ‘आधारभूत संरचना सिद्धांत’ से संबंधित है। एस. आर. बोम्मई मामला राष्ट्रपति शासन से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अन्य उल्लिखित मामले महत्वपूर्ण हैं, लेकिन न्यायिक सक्रियता के व्यापक विस्तार और जनहित याचिका की मजबूती में मेनका गांधी मामले का योगदान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन ‘मूल अधिकार’ (Fundamental Right) नहीं है?

  1. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Article 23-24)
  2. समानता का अधिकार (Article 14-18)
  3. आर्थिक सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार (Article 30)
  4. During the period of national emergency, the President can suspend the right to constitutional remedies.

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) स्वयं एक मौलिक अधिकार है, जिसके तहत नागरिक अपने अन्य मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 359 के तहत राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए अदालतों में जाने के अधिकार को निलंबित कर सकते हैं। इसलिए, सीधे तौर पर ‘संवैधानिक उपचारों के अधिकार का निलंबन’ एक मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अन्य मौलिक अधिकारों के लिए अदालत जाने का अधिकार निलंबित किया जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: विकल्प (a), (b) और (c) भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकार हैं। विकल्प (d) अनुच्छेद 359 की एक व्यवस्था है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकार हैं। (d) मौलिक अधिकार नहीं बल्कि एक प्रक्रियात्मक व्यवस्था है, जो राष्ट्रीय आपातकाल से जुड़ी है।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत, ‘वन’ (Forest) किस सूची का विषय है?

  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची
  3. समवर्ती सूची
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत, ‘वन’ (Forests) समवर्ती सूची (Concurrent List) के विषय संख्या 17 में सूचीबद्ध है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: समवर्ती सूची के विषयों पर संघ और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। हालांकि, यदि कोई विरोधाभास होता है, तो संघ द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा (अनुच्छेद 254)। वन संरक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ दोनों स्तरों पर कानून बनाने की आवश्यकता होती है, जैसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (संघ द्वारा) और विभिन्न राज्यों के वन कानून।
  • गलत विकल्प: संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं, और राज्य सूची में स्थानीय महत्व के विषय। वन इन दोनों से व्यापक है और दोनों की भूमिका की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 18: संविधान का कौन सा भाग ‘ग्राम सभा’ का प्रावधान करता है?

  1. भाग IV
  2. भाग V
  3. भाग IX
  4. भाग IX-A

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जो पंचायतों से संबंधित है, अनुच्छेद 243(b) के अनुसार, ‘ग्राम सभा’ को परिभाषित करता है। ग्राम सभा को अनुच्छेद 243(A) के तहत स्थापित किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ग्राम सभा पंचायत के अधिकार क्षेत्र के भीतर एक ग्राम स्तर पर एक निकाय है जिसमें उस पंचायत के अधिकार क्षेत्र में निर्वाचक नामावली में पंजीकृत व्यक्ति शामिल हैं। यह पंचायती राज व्यवस्था का आधार है।
  • गलत विकल्प: भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है, भाग V संघ की कार्यपालिका और संसद से संबंधित है, और भाग IX-A नगर पालिकाओं से संबंधित है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure of the Constitution) का सिद्धांत प्रतिपादित किया?

  1. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि संसद संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, संशोधित कर सकती है, लेकिन वह ‘संविधान की मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर एक महत्वपूर्ण सीमा लगाई और भारतीय संविधान के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की रक्षा की। यह सिद्धांत भारतीय संवैधानिक कानून में एक महत्वपूर्ण विकास था।
  • गलत विकल्प: गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950) और शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ (1951) के मामलों में यह माना गया था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है। गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967) ने इस पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन केशवानंद भारती मामले में मूल संरचना सिद्धांत को निश्चित रूप से स्थापित किया गया।

प्रश्न 20: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति संसद के सदनों को संयुक्त बैठक में संबोधित कर सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 86(1)
  2. अनुच्छेद 87(1)
  3. अनुच्छेद 88
  4. अनुच्छेद 89

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 86(1) राष्ट्रपति को किसी भी समय संसद के किसी एक सदन या दोनों सदनों के संयुक्त रूप से सत्र में होने पर उन्हें अभिभाषण करने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 87(1) राष्ट्रपति के विशेष अभिभाषण (जो आम चुनाव के बाद पहली बैठक और प्रत्येक वर्ष की पहली बैठक में होता है) से संबंधित है, जो अनुच्छेद 86(2) में वर्णित अभिभाषण से भिन्न है। अनुच्छेद 88 महान्यायवादी (Attorney General) के अधिकारों से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 87(1) विशेष अभिभाषण से है, न कि किसी भी समय संयुक्त बैठक को संबोधित करने से। अनुच्छेद 88 महान्यायवादी के विशेषाधिकार से है, और अनुच्छेद 89 राज्यसभा के सभापति और उप-सभापति के निर्वाचन से संबंधित है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी विधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ‘रिट’ (Writ) के दायरे में नहीं आती?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  4. दंडादेश (Sentence)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को पांच प्रकार की रिट जारी करने की शक्ति देता है: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध (Prohibition), उत्प्रेषण (Certiorari), और अधिकार पृच्छा। ‘दंडादेश’ (Sentence) इनमें से कोई रिट नहीं है; यह अदालतों द्वारा अपराध के लिए दी जाने वाली सजा का एक रूप है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये रिट नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं। बंदी प्रत्यक्षीकरण किसी अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश है। परमादेश किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश है। अधिकार पृच्छा किसी व्यक्ति द्वारा गैर-कानूनी रूप से धारण किए गए पद के संबंध में है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए जारी की जाने वाली रिट हैं। (d) एक सजा का रूप है, न कि न्यायिक उपचार की रिट।

प्रश्न 22: भारत में ‘अटल पेंशन योजना’ (Atal Pension Yojana) किस वर्ष प्रारंभ की गई?

  1. 2014
  2. 2015
  3. 2016
  4. 2018

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं ऐतिहासिक संदर्भ: अटल पेंशन योजना (APY) भारत सरकार द्वारा 9 मई 2015 को प्रारंभ की गई थी।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक पेंशन योजना है, जिसका उद्देश्य उन्हें वृद्धावस्था में नियमित आय सुनिश्चित करना है। यह नागरिकों को बचत करने और एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • गलत विकल्प: योजना 2015 में शुरू की गई थी, अन्य वर्ष गलत हैं।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. वित्त आयोग (Finance Commission)
  2. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
  3. नीति आयोग (NITI Aayog)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया था। यह योजना आयोग का स्थान लेने वाली एक गैर-संवैधानिक (Non-Constitutional) और गैर-सांविधिक (Non-Statutory) संस्था है। वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनकी स्थापना के प्रावधान और कार्य सीधे संविधान में दिए गए होते हैं। सांविधिक निकाय वे होते हैं जिनकी स्थापना संसद द्वारा पारित अधिनियम (Statute) द्वारा की जाती है। नीति आयोग इन दोनों श्रेणियों में नहीं आता।
  • गलत विकल्प: वित्त आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और UPSC संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 24: भारत के संविधान के अनुसार, ‘लोक व्यवस्था’ (Public Order) किस सूची का विषय है?

  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची
  3. समवर्ती सूची
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची (State List) की प्रविष्टि 1 में ‘लोक व्यवस्था’ (Public Order) का उल्लेख है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसका अर्थ है कि लोक व्यवस्था बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विशेष परिस्थितियों में संघ भी हस्तक्षेप कर सकता है।
  • गलत विकल्प: संघ सूची में राष्ट्रीय रक्षा, विदेश मामले जैसे विषय होते हैं। समवर्ती सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। लोक व्यवस्था मुख्यतः राज्य का विषय है।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन ‘शिक्षा’ को समवर्ती सूची में लाया?

  1. 42वां संशोधन, 1976
  2. 44वां संशोधन, 1978
  3. 52वां संशोधन, 1985
  4. 61वां संशोधन, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, शिक्षा को राज्य सूची (विषय संख्या 11) से हटाकर समवर्ती सूची (Concurrent List) में विषय संख्या 25A के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्यों दोनों के बीच समन्वय स्थापित करना था, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून को जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

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