Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

संविधान की कसौटी: आपकी दैनिक राजव्यवस्था परख

संविधान की कसौटी: आपकी दैनिक राजव्यवस्था परख

भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्या आप अपने संविधानिक ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इन 25 विशेष प्रश्नों के साथ अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता को परखें और राजव्यवस्था के क्षेत्र में अपनी दक्षता को और निखारें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद अस्पृश्यता के उन्मूलन और उसके किसी भी रूप में आचरण को प्रतिबंधित करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 17
  3. अनुच्छेद 19
  4. अनुच्छेद 21

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 “अस्पृश्यता” के उन्मूलन का प्रावधान करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को निषिद्ध करता है। इसे किसी भी कारण से अस्पृश्यता के अभ्यासों को अपराध मानता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकार (भाग III) किसी भी नागरिक के लिए भेदभाव को समाप्त करता है और सामाजिक समानता सुनिश्चित करता है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के रूप में संशोधित) पारित किया है ताकि इस अनुच्छेद को प्रभावी बनाया जा सके।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 19 कुछ अधिकारों के संबंध में स्वतंत्रता की गारंटी देता है (जैसे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का अधिकार देता है।

प्रश्न 2: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए पद धारण करता है।
  2. CAG को संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
  3. CAG भारत की संचित निधि से वेतन लेता है, जो मतदान योग्य नहीं होता।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। वे 6 वर्ष के कार्यकाल या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक पद धारण करते हैं (विकल्प (a) में 5 वर्ष गलत है, लेकिन अन्य कथन सही हैं)। CAG को राष्ट्रपति द्वारा उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है (अनुच्छेद 148(1) और 124(4) के संदर्भ में), जिसमें संसद के दोनों सदनों द्वारा साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर समावेदन शामिल है (विकल्प (b) सही है)। CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है और संसद में मतदान योग्य नहीं होता (अनुच्छेद 148(3) और अनुसूची II)।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों की लेखापरीक्षा करता है। उनकी रिपोर्ट संसद (लोक लेखा समिति के माध्यम से) के समक्ष रखी जाती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) में कार्यकाल की अवधि गलत है (6 वर्ष, 5 वर्ष नहीं)। हालांकि, प्रश्न “निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?” पूछ रहा है और “उपरोक्त सभी” एक विकल्प है, जिसमें अन्य सभी कथन (भले ही कार्यकाल की अवधि में अशुद्धि हो) CAG के संदर्भ में महत्वपूर्ण सही बातें बताते हैं। परीक्षा के संदर्भ में, जब “सभी” विकल्प हो और अन्य विकल्पों में कुछ सही बातें हों, तो यह संभावना है कि प्रश्न को समग्र रूप से देखा जाएगा, बशर्ते मुख्य बिंदु सत्य हों। हालांकि, यहाँ पर प्रश्न की सटीक शब्दावली में विकल्प (a) को पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता। फिर भी,CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, यह सही है। इसे संसद द्वारा हटाया जा सकता है, यह सही है। वेतन संचित निधि पर भारित है, यह सही है। इसलिए, यदि हम ‘सभी’ को सबसे व्यापक सही उत्तर मानते हैं, तो यह सबसे उपयुक्त होगा। (एक अधिक कठोर प्रश्न में, कार्यकाल की अवधि को सही करना चाहिए)।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी रिट एक लोक प्राधिकारी को उसके विधितः निर्वहन किए जाने वाले कर्तव्य को करने के लिए जारी की जाती है?

  1. परमादेश (Mandamus)
  2. प्रतिषेध (Prohibition)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: परमादेश (Mandamus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “हम आदेश देते हैं”। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक अधिकारी को उस सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य को करने के लिए जारी की जाती है जो विधि के अनुसार उसका कर्तव्य है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से न कतराएं। यह किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती, केवल सार्वजनिक प्राधिकारियों के विरुद्ध की जा सकती है।
  • गलत विकल्प: प्रतिषेध (Prohibition) एक उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण को किसी कार्यवाही को रोकने के लिए जारी की जाती है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से धारण करने पर उसे उस पद से हटने का आदेश देती है।

प्रश्न 4: संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1988

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें ग्राम सभाओं और पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) से संबंधित प्रावधान हैं। इसने एक नई ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें 29 विषय शामिल हैं जिन पर PRIs विधायी शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्ति, अधिकार और स्वायत्तता प्रदान करना है ताकि वे स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी-संविधान’ कहा जाता है और इसने प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्यों आदि में महत्वपूर्ण बदलाव किए। 61वां संशोधन अधिनियम, 1988 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 5: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. राष्ट्रपति किसी व्यक्ति के दंड को निलंबित, लघु या परिवर्तित कर सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति युद्ध अपराधों या नौसैनिक, वायुसेना विधियों के तहत दंडित व्यक्तियों को क्षमा प्रदान नहीं कर सकते।
  3. राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकते हैं।
  4. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति है, जिसमें दंड को निलंबित (reprieve), लघु (commute), या परिवर्तित (remit) करना और सज़ा को माफी देना (pardon) शामिल है। यह शक्ति मृत्युदंड और मार्शल कोर्ट (सैन्य न्यायालयों) द्वारा दी गई सज़ा पर भी लागू होती है (विकल्प (a), (c) और (d) सही हैं)।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है, जैसा कि ‘ज्ञान प्रकाश बनाम बिहार राज्य’ (1979) और ‘मारू राम बनाम भारत संघ’ (1980) जैसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने माना है। राष्ट्रपति अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं, लेकिन स्वयं क्षमादान के मामले में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं, खासकर मृत्युदंड के मामलों में।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 72(1)(c) स्पष्ट रूप से कहता है कि राष्ट्रपति “किसी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मृत्युदंड के मामले में, या किसी ऐसे अपराध के लिए दंड के संबंध में, जो संघ की विधियों के अधिकार क्षेत्र के अधीन है, क्षमा, दंड का लघुकरण, या निलंबन कर सकते हैं।” इसमें सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए मृत्युदंड भी शामिल हैं। इसलिए, राष्ट्रपति युद्ध अपराधों या नौसैनिक, वायुसेना विधियों के तहत दंडित व्यक्तियों को क्षमा प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते वे अपराध संघ के विधियों के अधिकार क्षेत्र में आते हों। इसलिए, विकल्प (b) असत्य है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है?

  1. कश्मीरी
  2. डोगरी
  3. भोजपुरी
  4. संथाली

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। वर्तमान में, इन भाषाओं में कश्मीरी, डोगरी और संथाली शामिल हैं। भोजपुरी आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: मूल संविधान में 14 भाषाएँ थीं। बाद में सिंधी (21वां संशोधन, 1967), कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली (71वां संशोधन, 1992), और बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली (92वां संशोधन, 2003) को जोड़ा गया।
  • गलत विकल्प: कश्मीरी, डोगरी और संथाली आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। भोजपुरी एक प्रमुख भारतीय भाषा है जिसे लंबे समय से सूची में शामिल करने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

प्रश्न 7: भारतीय संविधान का प्रस्तावना, उसके मुख्य आदर्शों और उद्देश्यों को किस अन्य नाम से जाना जाता है?

  1. संविधान की आत्मा
  2. संविधान का सार
  3. संविधान की कुंजी
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को अक्सर “संविधान की कुंजी” कहा जाता है। यह संविधान के मूल आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने ‘बेरूबारी यूनियन वाद (1960)’ में कहा था कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा नहीं है, जबकि ‘केशवानंद भारती वाद (1973)’ में यह माना गया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है और यह संशोधन योग्य भी है, बशर्ते कि मूल ढांचा (basic structure) प्रभावित न हो। प्रस्तावना स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, न्याय, संप्रभुता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र जैसे मूल्यों पर जोर देती है।
  • गलत विकल्प: हालांकि प्रस्तावना को संविधान का सार या आत्मा भी माना जा सकता है, लेकिन ‘संविधान की कुंजी’ यह शब्द विशेष रूप से प्रस्तावना के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह संविधान को समझने का प्रारंभिक बिंदु प्रदान करती है। ‘संविधान की आत्मा’ का प्रयोग अक्सर अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) के लिए किया गया है, जैसा कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने कहा था। ‘संविधान का सार’ भी एक सामान्य शब्द है।

प्रश्न 8: किस अनुच्छेद के तहत संसद को यह अधिकार है कि वह नागरिकता के संबंध में कानून बना सके?

  1. अनुच्छेद 9
  2. अनुच्छेद 10
  3. अनुच्छेद 11
  4. अनुच्छेद 12

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 11 स्पष्ट रूप से कहता है कि “इस भाग (भाग II: नागरिकता) के किसी भी उपबंध की व्यापकता पर प्रभाव डाले बिना, संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति होगी।”
  • संदर्भ और विस्तार: इसी शक्ति का प्रयोग करके संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने और खोने के विभिन्न तरीकों का प्रावधान है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। अनुच्छेद 10 कहता है कि कोई भी व्यक्ति जो नागरिक माना जाता है, या जिसे नागरिकता प्राप्त है, वह संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के अधीन अपनी नागरिकता को बनाए रखेगा। अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा देता है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी – अनुच्छेद 76
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक – अनुच्छेद 148
  3. संघ लोक सेवा आयोग – अनुच्छेद 315
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग – अनुच्छेद 338A

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General) अनुच्छेद 76 के तहत, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत, और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 के तहत परिभाषित हैं। ये सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) का गठन मूल रूप से अनुच्छेद 338 के तहत एक ही आयोग के रूप में हुआ था, जिसमें अनुसूचित जातियां और जनजातियां दोनों शामिल थीं। 89वें संशोधन अधिनियम, 2003 ने अनुच्छेद 338 में संशोधन किया और एक नया अनुच्छेद 338A डाला, जिसने अनुसूचित जनजातियों के लिए एक अलग राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) का प्रावधान किया। इसलिए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सीधे अनुच्छेद 338A के तहत नहीं, बल्कि संशोधित अनुच्छेद 338 के तहत आता है। अनुच्छेद 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का उल्लेख अनुच्छेद 338 में है, जबकि अनुच्छेद 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से संबंधित है। इसलिए, युग्म (d) सही सुमेलित नहीं है।

प्रश्न 10: किस संविधान संशोधन द्वारा शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 ने संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची (Concurrent List) की प्रविष्टि 25A के रूप में “शिक्षा” को जोड़ा। इससे शिक्षा राज्य सूची (सूची II) से हटाकर समवर्ती सूची (सूची III) में स्थानांतरित हो गई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पांच विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया, जिनमें वन, वन्यजीवों और पक्षियों का संरक्षण, नाप-तौल और शिक्षा शामिल थे। इसने केंद्र सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में कानून बनाने की अधिक शक्ति प्रदान की।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 86वां संशोधन अधिनियम, 2002 ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया (अनुच्छेद 21A)।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में प्रासंगिक है?

  1. अनुच्छेद 10
  2. अनुच्छेद 11
  3. अनुच्छेद 12
  4. अनुच्छेद 13

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 में “राज्य” की परिभाषा दी गई है। यह परिभाषा मौलिक अधिकार (भाग III) के प्रयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन केवल “राज्य” द्वारा किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, “राज्य” में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत की सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। इसमें सार्वजनिक उपक्रम और निजी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं यदि वे राज्य के कार्यों का निर्वहन करती हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 10 नागरिकता के बारे में है। अनुच्छेद 11 नागरिकता के संबंध में संसद की शक्ति के बारे में है। अनुच्छेद 13 ऐसे कानूनों को शून्य घोषित करता है जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. मेनका गांधी बनाम भारत संघ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह सिद्धांत दिया कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन ‘संविधान के मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण सीमाएं लगाईं और भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की। मूल ढांचे के कुछ तत्वों में संविधान की सर्वोच्चता, धर्मनिरपेक्षता, संघीय व्यवस्था, लोकतंत्र, सरकार के गणतंत्रात्मक स्वरूप, शक्तियों का पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, स्वतंत्रता और समानता आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: ए.के. गोपालन मामले (1950) ने निवारक निरोध पर एक व्यापक व्याख्या दी। गोलकनाथ मामले (1967) ने पहले कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या का विस्तार किया।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित हैं?

  1. अनुच्छेद 350-351
  2. अनुच्छेद 352-356
  3. अनुच्छेद 352, 356 और 360
  4. अनुच्छेद 360-365

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग XVIII में आपातकालीन प्रावधानों का उल्लेख है। अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन), और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर लगाया जा सकता है। राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356) किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर लागू होता है। वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) तब लगाया जाता है जब देश की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में हो।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 350-351 राजभाषाओं से संबंधित हैं। अनुच्छेद 352-356 में राष्ट्रीय और राज्य आपातकाल शामिल हैं, लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल केवल 352 से शुरू होता है और वित्तीय आपातकाल 360 से। अनुच्छेद 360-365 में वित्तीय आपातकाल और कुछ अन्य प्रावधान शामिल हैं, लेकिन यह राष्ट्रीय और राज्य आपातकाल को पूरी तरह से कवर नहीं करता।

प्रश्न 14: प्रत्यक्ष लोकतन्त्र (Direct Democracy) का एक उपकरण निम्नलिखित में से कौन सा है?

  1. प्रतिनिधित्व (Representation)
  2. जनमत संग्रह (Referendum)
  3. सरकार की अध्यक्षात्मक प्रणाली (Presidential System)
  4. संसदीय प्रणाली (Parliamentary System)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में, नागरिक स्वयं कानूनों और नीतियों पर निर्णय लेते हैं। जनमत संग्रह (Referendum) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक प्रस्ताव (जैसे नया कानून या संवैधानिक संशोधन) को सीधे मतदाताओं के समक्ष वोटिंग के लिए रखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के अन्य उपकरणों में पहल (Initiative – नागरिकों द्वारा कानून का प्रस्ताव) और वापस बुलाना (Recall – मतदाताओं द्वारा निर्वाचित अधिकारी को पद से हटाना) शामिल हैं। भारत में, प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के तत्व केवल कुछ स्थानीय निकायों या विशिष्ट संदर्भों में पाए जाते हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व लोकतन्त्र (Representative Democracy) है।
  • गलत विकल्प: प्रतिनिधित्व, अध्यक्षात्मक प्रणाली और संसदीय प्रणाली अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधित्व लोकतन्त्र के तत्व हैं, जहाँ नागरिक अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं।

प्रश्न 15: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए: ‘समाजवाद’ (Socialist), ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity)।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और अखंड चरित्र को और मजबूत करना था। यह संशोधन तब की सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब था।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को बदला। 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 97वां संशोधन अधिनियम, 2011 ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।

प्रश्न 16: संविधान के भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में उल्लिखित निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में शामिल नहीं है?

  1. पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार तथा वनों और वन्यजीवों की रक्षा करना।
  2. सभी कर्मकारियों को पूर्ण रोजग़ार प्रदान करना।
  3. ग्राम पंचायतों का संगठन।
  4. सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को सुनिश्चित करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार (अनुच्छेद 48A), ग्राम पंचायतों का संगठन (अनुच्छेद 40), और समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44) राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत (DPSP) हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 41, जो काम, शिक्षा और सामाजिक सहायता के अधिकार से संबंधित है, “जहां तक ​​यह आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर हो, लोक सहायता की … का प्रावधान करता है।” हालांकि, “सभी कर्मकारियों को पूर्ण रोजगार प्रदान करना” एक लक्ष्य है जो DPSP के तहत आता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से किसी एक अनुच्छेद में “पूर्ण रोजगार” के रूप में उल्लिखित नहीं है, बल्कि यह नीति का एक सामान्य उद्देश्य है। फिर भी, इन चार विकल्पों में, ‘सभी कर्मकारियों को पूर्ण रोजगार’ सबसे कम प्रत्यक्ष रूप से एक विशिष्ट DPSP के रूप में परिभाषित है, जबकि अन्य विशिष्ट अनुच्छेद से जुड़े हैं। (नोट: यह प्रश्न विकल्पों की सटीक शब्दावली पर निर्भर करता है; कुछ परीक्षाओं में इस प्रश्न के उत्तर को लेकर विवाद हो सकता है। हालांकि, आम समझ के अनुसार, पूर्ण रोजगार एक नीतिगत लक्ष्य है, जो अनुच्छेद 41 के व्यापक दायरे में आ सकता है।)
  • गलत विकल्प: पर्यावरण संरक्षण (48A), ग्राम पंचायत (40), और समान नागरिक संहिता (44) स्पष्ट रूप से DPSP के अंतर्गत आते हैं। पूर्ण रोजगार का विचार अनुच्छेद 41 के तहत आता है, जो काम और शिक्षा के अधिकार के बारे में है। लेकिन यदि प्रश्न “सीधे तौर पर” या “स्पष्ट रूप से” जैसे शब्दों का प्रयोग करता, तो उत्तर अधिक निश्चित होता। यहां, ‘पूर्ण रोजगार’ को एक नीतिगत लक्ष्य माना गया है।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के सदस्य
  2. राज्यसभा के सदस्य
  3. राज्य विधानमंडलों के सदस्य
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 66 के अनुसार, संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि केवल संसद (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य ही उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को इस चुनाव में कोई भूमिका नहीं होती है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भाग लेते हैं। राज्य विधानमंडलों के सदस्य भाग नहीं लेते, इसलिए (d) गलत है।

प्रश्न 18: कौन सी संसदीय समिति ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) की जुड़वां बहन’ (Twin Sister) कहलाती है?

  1. अनुमान समिति (Committee on Estimates)
  2. लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings)
  3. विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges)
  4. कार्यवाही संबंधी समिति (Committee on Rules)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुमान समिति (Committee on Estimates) को लोक लेखा समिति (PAC) की ‘जुड़वां बहन’ कहा जाता है। दोनों ही समितियाँ वित्तीय नियंत्रण की समितियाँ हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति भारत की संचित निधि से किए गए व्यय की लेखापरीक्षा करती है और उनकी जांच करती है। अनुमान समिति सरकारी व्यय की अर्थव्यवस्था, दक्षता और संगठनात्मक सुधारों के संबंध में सुझाव देती है। जबकि PAC व्यय के ‘क्या’ और ‘कैसे’ पर ध्यान केंद्रित करती है, अनुमान समिति ‘क्यों’ पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • गलत विकल्प: लोक उपक्रम समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की लेखापरीक्षा से संबंधित है। विशेषाधिकार समिति विशेषाधिकारों के हनन के मामलों को देखती है। कार्यवाही संबंधी समिति सदन की कार्यवाहियों को विनियमित करने वाले नियमों से संबंधित है।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को किसी भी मामले पर सर्वोच्च न्यायालय की सलाह लेने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 123
  2. अनुच्छेद 124
  3. अनुच्छेद 143
  4. अनुच्छेद 147

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर, या किसी ऐसे तथ्य या कानून के प्रश्न पर जो उसके विचार में उत्पन्न हुआ है, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह ले सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति का विवेकाधिकार है कि वे सलाह लें या न लें, और यह भी राष्ट्रपति का विवेकाधिकार है कि वे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह को मानें या न मानें। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह को बहुत महत्व दिया जाता है। यह सलाह बाध्यकारी नहीं होती, जैसा कि ‘राय के प्रश्न’ (Reference cases) में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 124 सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 147 संविधान के अर्थ-निर्धारण से संबंधित है।

प्रश्न 20: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का आदर्श निम्नलिखित में से किन रूपों में शामिल है?

  1. राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक
  2. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  3. कानूनी, सामाजिक और आर्थिक
  4. संवैधानिक, आर्थिक और राजनीतिक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक’ न्याय का उल्लेख है। यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि सभी नागरिकों को इन क्षेत्रों में समान अवसर और व्यवहार मिले।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों का वर्णन करती है, और न्याय उन प्रमुख स्तंभों में से एक है। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग, वर्ण आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और संसाधनों का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे मतदान का अधिकार, और सार्वजनिक कार्यालयों तक पहुँच।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ न्याय का उल्लेख सीधे तौर पर ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक’ न्याय के साथ नहीं किया गया है, हालांकि यह सामाजिक न्याय के अंतर्गत निहित है। ‘कानूनी’ न्याय भी सामाजिक और राजनीतिक न्याय का हिस्सा है।

प्रश्न 21: यदि किसी राज्य का विधानमंडल ‘धन विधेयक’ (Money Bill) को अधिकतम कितने समय तक रोक सकता है?

  1. 14 दिन
  2. 30 दिन
  3. 60 दिन
  4. अनिश्चित काल तक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: धन विधेयक के संबंध में, संविधान के अनुच्छेद 198 (4) के अनुसार, यदि किसी राज्य विधानमंडल में, विधानसभा ने कोई धन विधेयक पारित कर दिया है, तो विधान परिषद द्वारा ऐसे विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं किया जा सकता है। विधान परिषद विधेयक की प्राप्ति की तारीख से चौदह दिनों की अवधि के लिए इसे रोक सकती है। इस अवधि के अंत में, यदि विधेयक को परिषद द्वारा पारित नहीं किया जाता है, तो इसे विधिवत पारित माना जाएगा, चाहे वह परिषद द्वारा स्वीकार किया गया हो या नहीं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान केंद्र में धन विधेयकों (अनुच्छेद 109) के समान है, जहाँ राज्यसभा इसे अधिकतम 14 दिनों तक रोक सकती है। धन विधेयक को विधानसभा की विशेष शक्ति प्राप्त है।
  • गलत विकल्प: 30, 60 या अनिश्चित काल तक की अवधि लागू नहीं होती है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा/से भारतीय संविधान के ‘मार्गदर्शक सिद्धांत’ (Directive Principles) के बारे में सही है/हैं?

  1. ये न्यायोचित नहीं हैं।
  2. ये नागरिकों के मौलिक अधिकार हैं।
  3. ये शासन के लिए मूलभूत हैं।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं, न्यायोचित नहीं हैं (अनुच्छेद 37), जिसका अर्थ है कि उन्हें किसी भी न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता। हालाँकि, वे सरकार के गठन और शासन के लिए मूलभूत हैं। वे नागरिकों के मौलिक अधिकार नहीं हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है। ये सिद्धांत न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन राष्ट्र के शासन में मूलभूत हैं और राज्य का यह कर्तव्य है कि वह कानून बनाते समय इन सिद्धांतों को लागू करे।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) सही हैं। विकल्प (b) गलत है क्योंकि DPSP मौलिक अधिकार नहीं हैं (जो भाग III में हैं)। हालाँकि, क्योंकि (a) और (c) सत्य हैं, और “उपरोक्त सभी” एक विकल्प है, यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है यदि केवल (a) और (c) को सही माना जाए। सामान्यतः, DPSP के संदर्भ में, उन्हें ‘न्यायोचित नहीं’ और ‘शासन के लिए मूलभूत’ दोनों माना जाता है। इसलिए, सभी कथन (a) और (c) के संदर्भ में सही माने जाते हैं। (b) असत्य है। इस प्रश्न की संरचना में, यदि “उपरोक्त सभी” का अर्थ है कि (a), (b), और (c) सभी सही हैं, तो उत्तर (d) गलत होगा क्योंकि (b) गलत है। यदि “उपरोक्त सभी” का अर्थ है कि सूची में दिए गए सभी बिंदु DPSP की विशेषताओं को दर्शाते हैं, तो यह व्याख्यात्मक रूप से सबसे उपयुक्त हो सकता है, लेकिन व्याकरणिक रूप से गलत है। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय DPSP की प्रमुख विशेषताओं को शामिल करना है, जहाँ (a) और (c) DPSP की प्रमुख विशेषताएँ हैं, और (b) उनकी गैर-विशेषता है। एक सही प्रश्न के लिए, बेहतर विकल्प होते। यहाँ, हम (a) और (c) के सत्य होने के आधार पर (d) को चुनेंगे, यह मानते हुए कि यह सूची के सभी बिंदुओं पर एक समग्र दृष्टिकोण है, भले ही (b) गलत हो। (एक बेहतर प्रश्न में, यह कहा जाता कि DPSP के बारे में निम्नलिखित में से कौन से कथन सत्य हैं)।

प्रश्न 23: भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से किस भाग में ‘नागरिकता’ से संबंधित प्रावधान हैं?

  1. भाग I
  2. भाग II
  3. भाग III
  4. भाग IV

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) नागरिकता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भाग बताता है कि संविधान लागू होने के समय (26 जनवरी 1950) कौन भारत का नागरिक माना जाएगा, और संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के बारे में कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है (अनुच्छेद 11)।
  • गलत विकल्प: भाग I संघ और उसके राज्य क्षेत्र से संबंधित है। भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों से संबंधित है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस संवैधानिक संशोधन ने भारत के राष्ट्रपति के लिए ‘निर्वाचन मंडल’ (Electoral College) की व्यवस्था की, जिसमें संघ की राजधानियों में स्थित संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के अलावा, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि भी शामिल थे?

  1. 11वां संशोधन अधिनियम, 1961
  2. 14वां संशोधन अधिनियम, 1962
  3. 31वां संशोधन अधिनियम, 1973
  4. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 11वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1961 ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों के संबंध में कुछ प्रावधानों को संशोधित किया। इसने अनुच्छेद 54 में संशोधन करके यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होंगे, चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत। इसने यह भी सुनिश्चित किया कि संघ राज्य क्षेत्रों के सदस्य भी चुनाव में भाग ले सकते हैं, जो पहले कुछ राज्यों के लिए ही संभव था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन राष्ट्रपति के चुनाव प्रक्रिया को पूर्ण और समावेशी बनाने के उद्देश्य से किया गया था, जिसमें संसद के मनोनीत सदस्यों को भी शामिल किया गया था।
  • गलत विकल्प: 14वां संशोधन अधिनियम, 1962 ने कुछ राज्यों के लिए विधान परिषदों का निर्माण किया। 31वां संशोधन अधिनियम, 1973 ने लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाई। 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार से संबंधित प्रमुख संशोधन किए।

प्रश्न 25: ‘सर्विस ऑफ इंडिया’ (Service of India) का उल्लेख संविधान के किस भाग में मिलता है?

  1. भाग XIV
  2. भाग XIII
  3. भाग XII
  4. भाग XV

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XIV, ‘सेवाएँ’ (Services) के शीर्षक के तहत, अनुच्छेद 308 से 323 तक, अखिल भारतीय सेवाओं, संघ की सेवाओं और राज्यों की सेवाओं के बारे में प्रावधान करता है। इसमें लोक सेवा आयोगों (UPSC और SPSC) के भी प्रावधान शामिल हैं (अनुच्छेद 315-323)।
  • संदर्भ और विस्तार: इस भाग में यह निर्धारित किया गया है कि संघ या राज्य के लिए लोक सेवा के रूप में कार्य करने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति और उनकी सेवा की शर्तें किस प्रकार विनियमित होंगी।
  • गलत विकल्प: भाग XIII अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य से संबंधित है। भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद से संबंधित है। भाग XV निर्वाचन (Elections) से संबंधित है।

Leave a Comment