संविधान की कसौटी: आज ही परखें अपनी तैयारी
नमस्कार, भावी लोक सेवकों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, संविधान की गहराई में उतरें और देखें कि आप इस विशाल ज्ञान सागर में कितनी गहराई तक गोता लगा सकते हैं। तैयार हो जाइए, आपकी पॉलिटी की तैयारी का आज असली इम्तहान होगा!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 226
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए विभिन्न प्रकार की रिट (जैसे Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo-Warranto) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद नागरिकों को सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है यदि उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है। अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को भी ऐसी शक्तियाँ प्राप्त हैं, लेकिन यह उन पर निर्भर करता है कि वे उनका प्रयोग कैसे करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सलाहकारी अधिकार क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति देता है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह भारतीय संविधान में अब तक का सबसे व्यापक संशोधन था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना के मूल ढांचे में बदलाव किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है। इन शब्दों ने भारतीय राज्य की प्रकृति को और अधिक परिभाषित किया।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है, और 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन ‘भारत का प्रथम नागरिक’ कहलाता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के उप-राष्ट्रपति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति भारत गणराज्य के प्रमुख होते हैं और उन्हें ‘भारत का प्रथम नागरिक’ माना जाता है। यह पद की गरिमा और भूमिका को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि राष्ट्रपति देश के कार्यकारी प्रमुख हैं (अनुच्छेद 53), वे राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा का प्रतीक भी हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, राष्ट्रपति को सभी सरकारी अधिकारियों में सर्वोच्च स्थान दिया जाता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख और उप-राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। इन्हें भारत का प्रथम नागरिक नहीं कहा जाता।
प्रश्न 4: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 (जो 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ) ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्ति, अधिकार और उत्तरदायित्व प्रदान किए। इसने ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती पंचायत और जिला पंचायत की त्रि-स्तरीय व्यवस्था को अनिवार्य किया।
- गलत विकल्प: 1990, 1991, और 1993 अन्य महत्वपूर्ण वर्ष हैं, लेकिन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने वाले अधिनियम को 1992 में पारित किया गया था।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा भाग राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत संविधान निर्माताओं द्वारा कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए राज्य को मार्गदर्शन के रूप में दिए गए हैं। ये न्यायोचित नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 6: भारत में किसी भी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुद्रा की मोहर के अधीन की जाएगी।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है (अनुच्छेद 156)। वह राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में भी कार्य करता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मुख्य न्यायाधीश राज्यपाल की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 7: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए गठित समिति का प्रमुख कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति एक समिति की सिफारिश पर नियुक्त करते हैं, जिसका प्रमुख भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, और लोकसभा तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि नियुक्तियां निष्पक्ष और योग्य व्यक्तियों की हों।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं, लेकिन समिति का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं। मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष समिति के प्रमुख नहीं होते।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) के रूप में जानी जाती है?
- यह आदेश देती है कि किसी व्यक्ति को न्यायालय के सामने पेश किया जाए।
- यह किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देती है।
- यह किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उसके मामले को उच्च न्यायालय में भेजने का आदेश देती है।
- यह यह पूछती है कि किसी व्यक्ति ने किस अधिकार या प्राधिकार के तहत पद धारण किया है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘Quo Warranto’ एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा धारण किए गए सार्वजनिक पद की वैधता को चुनौती देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से किसी सार्वजनिक पद पर बैठा है, तो न्यायालय उससे पूछ सकता है कि वह किस अधिकार से उस पद पर है। यदि वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाता है, तो उसे पद से हटाया जा सकता है। यह शक्ति अनुच्छेद 32 और 226 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
- गलत विकल्प: (a) Habeas Corpus, (b) Mandamus, और (c) Certiorari के वर्णन से संबंधित हैं।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास हैं?
- केवल संसद के पास
- केवल राज्य विधानमंडलों के पास
- संसद और राज्य विधानमंडलों दोनों के पास साझा रूप से
- राष्ट्रपति के पास
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ (यानी, वे विषय जो किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं) अनुच्छेद 248 के तहत संसद के पास हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संसद उन विषयों पर कानून बना सकती है जो सूचियों में सूचीबद्ध नहीं हैं। यह भारत के संविधान को एकात्मक झुकाव (Unitary bias) प्रदान करता है, जहाँ केंद्र सरकार को अधिक शक्ति प्राप्त है।
- गलत विकल्प: राज्य विधानमंडलों या राष्ट्रपति के पास अवशिष्ट शक्तियाँ नहीं हैं।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संसद का अभिन्न अंग नहीं है?
- राष्ट्रपति
- उप-राष्ट्रपति
- लोकसभा
- राज्यसभा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79 कहता है कि संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति, राज्यों की परिषद (राज्यसभा) और लोक सभा (लोकसभा) शामिल होंगे।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि उप-राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, लेकिन वे संसद के सदस्य नहीं माने जाते हैं। इसलिए, वे संसद के अभिन्न अंग नहीं हैं, बल्कि उनके कार्यों का संचालन करने वाले प्रमुख होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा सभी संसद के अभिन्न अंग हैं।
प्रश्न 11: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन मौलिक अधिकार नहीं है?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार, जो मूल रूप से अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक अधिकार था, को 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा समाप्त कर दिया गया। अब यह अनुच्छेद 300A के तहत एक संवैधानिक (या कानूनी) अधिकार है।
- संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, भारतीय संविधान में छह मौलिक अधिकार हैं: समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), और संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)।
- गलत विकल्प: समानता (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-22) और शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) सभी मौलिक अधिकार हैं।
प्रश्न 12: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक _____ संस्था है?
- संवैधानिक
- सांविधिक
- कार्यकारी
- न्यायिक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को संसद के एक अधिनियम, केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 द्वारा स्थापित किया गया था। इसलिए, यह एक सांविधिक (Statutory) संस्था है।
- संदर्भ और विस्तार: CVC का मुख्य कार्य भ्रष्टाचार निवारण के क्षेत्र में लोकपाल और लोकायुक्त के समान ही है। इसे सरकारी भ्रष्टाचार की जाँच करने और निवारक उपाय सुझाने का अधिकार है।
- गलत विकल्प: यह संवैधानिक नहीं है क्योंकि इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। यह एक कार्यकारी या न्यायिक संस्था भी नहीं है।
प्रश्न 13: भारत में किस प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था है?
- एकात्मक
- अध्यक्षीय
- संसदीय
- संघीय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में संसदीय प्रणाली (Parliamentary System) अपनाई गई है, जो ब्रिटेन की प्रणाली से प्रेरित है। राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय प्रणाली की मुख्य विशेषता कार्यपालिका का विधायिका के प्रति उत्तरदायित्व है। भारत में, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं (अनुच्छेद 75(3))। यह अध्यक्षीय प्रणाली (जहां राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है और विधायिका से स्वतंत्र होता है) से भिन्न है।
- गलत विकल्प: भारत पूर्णतः एकात्मक नहीं है (इसमें संघीय तत्व हैं) और न ही यह पूरी तरह से संघीय है (इसमें एकात्मक झुकाव है)। यह अध्यक्षीय प्रणाली भी नहीं है।
प्रश्न 14: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा का आधार क्या हो सकता है?
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता
- बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह
- भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है, जो बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्न राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के “आधार” के बारे में पूछता है, जो आमतौर पर अनुच्छेद 352 के तहत होता है। हालांकि, व्यापक अर्थों में, ये तीनों अनुच्छेद ‘आपातकालीन उपबंध’ के तहत आते हैं। प्रश्न थोड़ा अस्पष्ट है, लेकिन यदि ‘आपातकाल’ को व्यापक अर्थ में लिया जाए तो सभी विकल्प प्रासंगिक हो सकते हैं। यदि केवल अनुच्छेद 352 के संदर्भ में पूछा जाए, तो उत्तर (b) होगा। वर्तमान प्रश्न ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ का उल्लेख करता है, जो सीधे अनुच्छेद 352 से जुड़ा है। (यहां एक व्याख्यात्मक बिंदु है जो प्रश्न की बारीकियों को पकड़ता है)।
- सुधारित व्याख्या (प्रश्न के इरादे के अनुसार): अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल के लिए है, जो बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर होता है। अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता के लिए है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल के लिए है। चूंकि प्रश्न “राष्ट्रीय आपातकाल” पूछ रहा है, इसका सबसे सीधा उत्तर (b) है। हालांकि, यदि प्रश्न को ‘आपातकाल’ के व्यापक अर्थ में देखा जाए, तो (d) संभव है। परीक्षा दृष्टिकोण से, अनुच्छेद 352 को प्राथमिकता देते हुए (b) अधिक सटीक है। लेकिन दिए गए विकल्पों और सामान्य प्रश्न पूछने के तरीके को देखते हुए, (d) ‘आपातकालीन प्रावधानों’ को कवर करता है। हम (d) को चुनते हैं, यह मानते हुए कि प्रश्न आपातकालीन उपबंधों के दायरे को व्यापक रूप से देख रहा है।
- पुनर्विचार: प्रश्न ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ की घोषणा के आधार पूछ रहा है, जो केवल अनुच्छेद 352 से संबंधित है। अनुच्छेद 356 और 360 क्रमशः राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता और वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं। इसलिए, सबसे सटीक उत्तर (b) है।
- अंतिम निर्णय (सबसे सटीक): (b) ही सबसे सटीक उत्तर है क्योंकि प्रश्न विशेष रूप से ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ का उल्लेख करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) क्रमशः राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता और वित्तीय आपातकाल से संबंधित हैं, न कि राष्ट्रीय आपातकाल से।
प्रश्न 15: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जाने वाले ‘निषेध’ (Prohibition) रिट का क्या उद्देश्य है?
- किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत से मुक्त करना।
- किसी लोक प्राधिकारी को अपने कर्तव्य का पालन करने का आदेश देना।
- किसी निचली अदालत या अधिकरण को किसी विशेष मामले में कार्यवाही करने से रोकना।
- यह निर्धारित करना कि कोई व्यक्ति किस अधिकार से सार्वजनिक पद पर है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘Prohibition’ रिट का अर्थ है ‘निषेध करना’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत या अधिकरण को किसी मामले में कार्यवाही करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है, यदि वह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट न्यायपालिका की शक्ति के दुरुपयोग को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि निचली अदालतें अपने अधिकार क्षेत्र की सीमाओं में ही कार्य करें। यह अनुच्छेद 32 और 226 के तहत उपलब्ध है।
- गलत विकल्प: (a) Habeas Corpus, (b) Mandamus, और (d) Quo-Warranto से संबंधित हैं।
प्रश्न 16: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह 6 वर्ष के कार्यकाल के लिए पद धारण करता है।
- वह केवल केंद्र सरकार के खातों की जाँच करता है।
- वह संसद की लोक लेखा समिति (PAC) के मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
- उसकी नियुक्ति के लिए कोई विशेष योग्यता निर्धारित नहीं है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत नियुक्त किया जाता है। CAG भारत की संचित निधि से निकाले गए सभी व्ययों की लेखापरीक्षा करता है और उसकी रिपोर्ट संसद के समक्ष रखी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG की रिपोर्ट की जाँच लोक लेखा समिति (PAC) करती है, जो संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है। इस प्रकार, CAG PAC के ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ के रूप में कार्य करता है। CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन उसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। CAG की नियुक्ति के लिए योग्यताओं का निर्धारण किया गया है (जैसे कि वित्त या लेखा के क्षेत्र में विशेषज्ञता)।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष है। (b) गलत है क्योंकि CAG केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के खातों की जाँच करता है। (d) गलत है क्योंकि योग्यताएं निर्धारित हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 213
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 148
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 भारत के राष्ट्रपति को संसद के अवकाश काल में अध्यादेश (Ordinance) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये अध्यादेश संसद के सत्र पुनः शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित होने पर कानून का रूप ले लेते हैं, अन्यथा वे समाप्त हो जाते हैं। ये केवल तभी जारी किए जा सकते हैं जब संसद का कोई भी सदन सत्र में न हो और राष्ट्रपति का यह समाधान हो कि ऐसी कार्रवाई करना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 213 राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति के सलाहकार क्षेत्राधिकार से और अनुच्छेद 148 CAG से संबंधित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी सूची सातवीं अनुसूची में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) का विषय है?
- रेलवे
- कृषि
- वन
- रक्षा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं: संघ सूची (Union List), राज्य सूची (State List), और समवर्ती सूची (Concurrent List)। ‘वन’ (Forests) समवर्ती सूची का विषय है।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची के विषयों पर संघ और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर दोनों द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध हो, तो संघ द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा (अनुच्छेद 254)।
- गलत विकल्प: रेलवे (संघ सूची), कृषि (राज्य सूची), और रक्षा (संघ सूची) समवर्ती सूची के विषय नहीं हैं।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 14
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है। यह मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने इस अनुच्छेद को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को वास्तविक बनाता है। इसके बिना, मौलिक अधिकार केवल कागजी रह जाते।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि, और अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता से संबंधित हैं।
प्रश्न 20: भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री कौन थे?
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- राजेंद्र प्रसाद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में ‘उप-प्रधानमंत्री’ का पद संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है। यह एक राजनीतिक नियुक्ति है। भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह पद आम तौर पर एक वरिष्ठ मंत्री को दिया जाता है, जो प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उनकी जगह ले सके और कैबिनेट की बैठकों में अध्यक्षता कर सके। सरदार पटेल ने प्रधानमंत्री नेहरू के साथ मिलकर काम किया और गृह मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विधि मंत्री थे, और राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति थे।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
- एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान की ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, न्यायपालिका के पास यह व्याख्या करने का अधिकार है कि कौन सी संरचनाएं संविधान का मूल भाग हैं और जिनका संशोधन नहीं किया जा सकता। इसने संसदीय सर्वोच्चता को सीमित कर दिया और न्यायिक समीक्षा की शक्ति को बढ़ाया।
- गलत विकल्प: मेनका गांधी (अनुच्छेद 21 का विस्तार), एस.आर. बोम्मई (राष्ट्रपति शासन), और गोलकनाथ (मौलिक अधिकारों में संशोधन की संसद की शक्ति) अन्य महत्वपूर्ण मामले हैं, लेकिन मूल संरचना का सिद्धांत केशवानंद भारती में दिया गया था।
प्रश्न 22: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान की किस अनुसूची में हैं?
- सातवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में निहित है। इसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची सांसदों और विधायकों को दल-बदल करने पर अयोग्य घोषित करने के प्रावधानों को रेखांकित करती है, जिसका उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना है।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची शक्तियों के वितरण से, नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से, और बारहवीं अनुसूची नगर पालिकाओं की शक्तियों और प्राधिकारों से संबंधित है।
प्रश्न 23: भारत में ‘वित्तीय आपातकाल’ की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) से संबंधित है। यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है, तो वे वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वित्तीय आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति वित्तीय मामलों के संबंध में राज्यों सहित सभी कार्यकारी प्राधिकरणों को निर्देश दे सकते हैं। अभी तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं हुई है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता, और अनुच्छेद 365 कुछ विशिष्ट परिस्थितियों से संबंधित है।
प्रश्न 24: भारत में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) क्या हैं?
- संसद के सदस्यों को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार और छूटें।
- संसद द्वारा पारित कानूनों का सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुनरीक्षण।
- प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद को जारी किए गए निर्देश।
- राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को प्राप्त विशेष शक्तियाँ।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकार वे अधिकार, छूटें और उन्मुक्तियाँ हैं जो संसद और उसके सदस्यों को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से और बिना किसी बाधा के करने के लिए प्रदान की जाती हैं। ये अधिकार अनुच्छेद 105 में वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इनमें भाषण की स्वतंत्रता, सदन में या उसकी समितियों में किसी भी कार्यवाही के लिए किसी भी नागरिक या आपराधिक कार्यवाही में गिरफ्तारी से छूट (कुछ सीमाओं के साथ) आदि शामिल हैं। भारत में, विशेषाधिकारों को पूरी तरह से संहिताबद्ध नहीं किया गया है, और वे ब्रिटेन के मॉडल से प्रभावित हैं।
- गलत विकल्प: (b) न्यायिक पुनरीक्षण से, (c) कार्यकारी निर्देशों से, और (d) राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकारों से संबंधित है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को किसके द्वारा संशोधित किया जा सकता है?
- केवल संसद द्वारा सामान्य बहुमत से
- केवल संसद द्वारा विशेष बहुमत से
- केवल संसद द्वारा विशेष बहुमत और राज्यों के अनुसमर्थन से
- प्रस्तावना को संशोधित नहीं किया जा सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती मामले (1973) के अनुसार, प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसे अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है। हालांकि, प्रस्तावना को संशोधित करने के लिए केवल संसद के विशेष बहुमत (Special Majority) की आवश्यकता होती है, राज्यों के अनुसमर्थन की नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: विशेष बहुमत का अर्थ है सदन के कुल सदस्यों का बहुमत और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत। प्रस्तावना संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है, इसलिए इसमें ऐसे संशोधन नहीं किए जा सकते जो इसकी मूल भावना को नष्ट कर दें। ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ जैसे शब्दों को 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था, जो विशेष बहुमत से हुआ था।
- गलत विकल्प: (a) सामान्य बहुमत से संशोधन संभव नहीं है। (c) यह उन संशोधनों पर लागू होता है जो संघवाद को प्रभावित करते हैं, प्रस्तावना पर नहीं। (d) यह गलत है क्योंकि केशवानंद भारती मामले ने प्रस्तावना को भी संशोधन योग्य माना है।