संविधान की कसौटी: आज ही अपनी विशेषज्ञता परखें!
भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने को समझना हर जागरूक नागरिक और महत्वाकांक्षी परीक्षार्थी का परम कर्तव्य है। अपनी संवैधानिक समझ को पैना करने और अवधारणाओं को स्पष्ट करने का यह अनूठा अवसर न चूकें। आज के इन 25 तीखे सवालों के साथ अपने ज्ञान का परीक्षण करें और अपनी तैयारी को नई दिशा दें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’ (Socialism) और ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism) शब्दों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु-संविधान’ के रूप में भी जाना जाता है। इन शब्दों को जोड़ना भारतीय राज्य की प्रकृति को परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। केशवानंद भारती मामले (1973) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और संसद इसमें संशोधन कर सकती है, लेकिन मूल ढांचे को नहीं बदल सकती।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य बदलाव किए। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है (दसवीं अनुसूची)। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद अस्पृश्यता के उन्मूलन और उसके किसी भी रूप में अभ्यास को प्रतिबंधित करता है?
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 18
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 सीधे तौर पर अस्पृश्यता (Untouchability) को समाप्त करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को प्रतिबंधित करता है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराधों का निवारण) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित करके इस अनुच्छेद को प्रभावी बनाया है।
- संदर्भ और विस्तार: अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करना कानून द्वारा दंडनीय है। यह मौलिक अधिकारों के तहत समानता के अधिकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की बात करता है। अनुच्छेद 18 उपाधियों के अंत का प्रावधान करता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- भेदभाव का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव के प्रतिषेध से संबंधित है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। इसी तरह, अनुच्छेद 16 (अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आदि), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों द्वारा) भी केवल नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि देश के नागरिक राज्य द्वारा किसी भी प्रकार के भेदभाव से सुरक्षित रहें, जो विदेशियों पर लागू नहीं होता क्योंकि उनके पास अपने देशों के कानून के तहत ऐसे अधिकार हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) सभी व्यक्ति (व्यक्तियों) के लिए उपलब्ध हैं, जिनमें नागरिक और विदेशी दोनों शामिल हैं।
प्रश्न 4: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना
- लोकतांत्रिक गणराज्य में सामाजिक और आर्थिक प्रजातंत्र की स्थापना करना
- संसद की संप्रभुता को बनाए रखना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं, का मुख्य उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, जिसका लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक प्रजातंत्र को बढ़ावा देना है। ये तत्व सरकार के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ये प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), ये देश के शासन के लिए मौलिक हैं और कानून बनाने में राज्य को इनका ध्यान रखना चाहिए। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने उन्हें ‘संविधान की अनूठी विशेषता’ कहा था।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना (भाग III) का उद्देश्य है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 50) DPSP का हिस्सा है, लेकिन यह समग्र उद्देश्य नहीं है। संसद की संप्रभुता भारतीय संसदीय प्रणाली का एक पहलू है, न कि DPSP का मुख्य उद्देश्य।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य नहीं है?
- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोना और उनका पालन करना
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना
- सभी प्रकार की अस्पृश्यता को समाप्त करना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्य, जो संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में सूचीबद्ध हैं, नागरिकों के लिए कुछ दायित्व निर्धारित करते हैं। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित है, जो एक मौलिक अधिकार है, न कि मौलिक कर्तव्य।
- संदर्भ और विस्तार: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए थे, और 2002 में 86वें संशोधन द्वारा एक और कर्तव्य जोड़ा गया, जिससे कुल 11 हो गए। ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके उत्तरदायित्वों की याद दिलाते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A के तहत सूचीबद्ध मौलिक कर्तव्य हैं।
प्रश्न 6: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
- 25 वर्ष
- 30 वर्ष
- 35 वर्ष
- 40 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 58(1)(b) के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यही न्यूनतम आयु उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 66) और किसी राज्य के राज्यपाल (अनुच्छेद 157) के लिए भी निर्धारित है। राष्ट्रपति को संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए और यदि वह सदस्य है, तो उसे पद ग्रहण करने से पहले उस सदन की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा (अनुच्छेद 59)।
- गलत विकल्प: 25 वर्ष लोकसभा सदस्य या विधानसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 84(b) और 173(b))। 30 वर्ष राज्यसभा सदस्य या विधान परिषद सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 84(b) और 173(b))।
प्रश्न 7: भारत के प्रधानमंत्री को किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(1) के अनुसार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है या जो सदन में बहुमत प्राप्त कर सकता है। यदि कोई पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाती है, तो राष्ट्रपति विवेक का प्रयोग करके ऐसे व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है जिसे वह बहुमत प्राप्त करने की संभावना देखता है।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 8: भारतीय संसद के दो सदनों – लोक सभा और राज्य सभा – का संयुक्त अधिवेशन किस अनुच्छेद के तहत आहूत किया जाता है?
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 118
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 राष्ट्रपति को दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिवेशन सामान्य विधेयकों के संबंध में गतिरोध को दूर करने के लिए आहूत किया जाता है। संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है। धन विधेयकों (अनुच्छेद 110) और संविधान संशोधन विधेयकों (अनुच्छेद 368) के मामले में संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीं है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 118 संसद के कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया के नियम बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का एक तरीका है?
- न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका का पूर्ण नियंत्रण
- न्यायाधीशों के लिए पदच्युति की सरल प्रक्रिया
- न्यायाधीशों का निश्चित कार्यकाल और उनकी सेवा शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन न होना
- संसद द्वारा न्यायपालिका के निर्णयों पर पूर्ण पुनरीक्षण का अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 50 राज्य को कार्यपालिका से न्यायपालिका को पृथक करने का निर्देश देता है। न्यायाधीशों का निश्चित कार्यकाल (अनुच्छेद 124 सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए और अनुच्छेद 217 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए) और उनकी सेवा शर्तों में अलाभकारी परिवर्तन न होना (अनुच्छेद 125, 212) उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायाधीशों को केवल सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के बाद ही पद से हटाया जा सकता है (अनुच्छेद 124(4) और 217(1)(b))। यह कठिन प्रक्रिया न्यायाधीशों को राजनीतिक दबाव से बचाती है।
- गलत विकल्प: (a) कार्यपालिका का पूर्ण नियंत्रण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त कर देगा। (b) सरल प्रक्रिया न्यायाधीशों को अस्थिर कर देगी। (d) न्यायपालिका के निर्णयों पर संसद का पूर्ण पुनरीक्षण भी स्वतंत्रता के विरुद्ध होगा।
प्रश्न 10: ‘कानून के शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है, जिसे भारतीय संविधान में अपनाया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘कानून का शासन’ की अवधारणा, जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, और सभी कानून के अधीन हैं, यूनाइटेड किंगडम के संविधान से प्रेरित है। यह अवधारणा अनुच्छेद 14 में निहित है, जो विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की गारंटी देता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, कानून का शासन एक बुनियादी ढांचागत विशेषता है। इसका अर्थ है कि सरकार को मनमाने ढंग से कार्य करने की शक्ति नहीं है, बल्कि उसे कानून के अनुसार कार्य करना चाहिए।
- गलत विकल्प: अमेरिका से हमने मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरीक्षण, उपराष्ट्रपति का पद आदि लिए हैं। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना आदि। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची, संयुक्त अधिवेशन आदि।
प्रश्न 11: केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में ‘अवशिष्ट शक्तियां’ (Residuary Powers) किसके पास होती हैं?
- राज्य सरकारें
- केंद्र सरकार
- दोनों के पास संयुक्त रूप से
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, अवशिष्ट शक्तियां, यानी वे शक्तियां जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं हैं, केंद्र सरकार के पास निहित हैं। यह अनुच्छेद 248 में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 कहता है कि संसद के पास उन सभी विषयों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है जो किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं। यह प्रावधान कनाडा के संविधान से प्रेरित है और भारत को एक मजबूत केंद्र वाली संघात्मक व्यवस्था बनाता है।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास केवल राज्य सूची की शक्तियों पर कानून बनाने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय का कार्य कानून की व्याख्या करना है, न कि अवशिष्ट शक्तियां रखना।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) का गठन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 338
- अनुच्छेद 338A
- अनुच्छेद 339
- अनुच्छेद 340
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes – NCSC) का गठन संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: 89वें संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा, अनुच्छेद 338 में संशोधन किया गया और अनुच्छेद 338A के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes – NCST) का गठन किया गया। NCSC का कार्य अनुसूचित जातियों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके संवैधानिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 338A अनुसूचित जनजातियों के लिए आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 339 राष्ट्रपति को अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जातियों के कल्याण से संबंधित रिपोर्टों पर निर्देश देने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों के लिए आयोग की नियुक्ति का प्रावधान करता है।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है, बल्कि एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकायों का उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है और उनके गठन, शक्तियां और कार्य संविधान में ही परिभाषित हैं। जैसे: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), वित्त आयोग (अनुच्छेद 280)। ये निकाय संविधान के प्रति जवाबदेह होते हैं।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनका उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा और सुरक्षा प्रदान की गई। इसने संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को अधिक शक्तिशाली, जवाबदेह और प्रभावी बनाना था, जो स्थानीय स्वशासन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। 74वां संशोधन (1992) शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है।
- गलत विकल्प: 64वां और 65वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन संसद में पारित नहीं हो सके। 74वां संशोधन शहरी निकायों से संबंधित है।
प्रश्न 15: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ की घोषणा की जा सकती है। यह घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance) शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ (Armed Rebellion) से बदल दिया गया ताकि आपातकाल की घोषणा को अधिक जवाबदेह बनाया जा सके। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर की जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्यों द्वारा निर्देशों का पालन न करने पर लागू होता है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान में ‘मौलिक अधिकारों’ को किस देश के संविधान से लिया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- आयरलैंड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों (भाग III, अनुच्छेद 12-35) को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरणा लेकर शामिल किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिका के ‘बिल ऑफ राइट्स’ ने भारतीय संविधान निर्माताओं को नागरिकों के लिए आवश्यक अधिकारों की सूची बनाने के लिए प्रेरित किया। मौलिक अधिकार राज्य की शक्ति पर कुछ प्रतिबंध लगाते हैं ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन लिया गया। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था। आयरलैंड से नीति निदेशक तत्व और राष्ट्रपति के चुनाव की पद्धति ली गई।
प्रश्न 17: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 73
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 76
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को क्षमा, लघुकरण, परिहार, विराम या प्रतिलंबन (दंड को निलंबित करना) करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों को राहत देने की अनुमति देती है जिन्हें संघ के कानून के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है, जैसे मृत्युदंड, या सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड। हालांकि, यह शक्ति विवेकपूर्ण नहीं है और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करती है। यह न्यायिक शक्ति का एक रूप है, लेकिन यह न्यायिक प्रक्रिया से स्वतंत्र है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 73 संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति की सहायता और सलाह के लिए मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 76 भारत का महान्यायवादी (Attorney General) से संबंधित है।
प्रश्न 18: धन विधेयक (Money Bill) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- इसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
- इसे राज्यसभा द्वारा वीटो किया जा सकता है।
- इसे राज्यसभा द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
- राज्यसभा इसे अधिक से अधिक 30 दिनों तक रोक सकती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 धन विधेयक को परिभाषित करता है। धन विधेयक को केवल राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: एक बार लोकसभा से पारित होने के बाद, इसे राज्यसभा में भेजा जाता है, जो इसे 14 दिनों के भीतर सिफारिशों सहित या उसके बिना वापस कर सकती है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक को वापस नहीं करती है, तो यह दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है। राज्यसभा धन विधेयक को वीटो नहीं कर सकती या संशोधित नहीं कर सकती; यह केवल सिफारिशें कर सकती है, जिन्हें लोकसभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
- गलत विकल्प: (b) राज्यसभा धन विधेयक को वीटो नहीं कर सकती। (c) राज्यसभा धन विधेयक को केवल सिफारिशें कर सकती है, संशोधित नहीं। (d) राज्यसभा इसे अधिक से अधिक 14 दिनों तक ही रोक सकती है, 30 दिनों तक नहीं।
प्रश्न 19: भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148(1) के अनुसार भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह भारत की संचित निधि, लोक वित्त और सभी सरकारी उपक्रमों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है। CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, उसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और उसे केवल संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित समावेशन (impeachment) प्रक्रिया के माध्यम से ही हटाया जा सकता है, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान है (अनुच्छेद 148(1) और 124(4))।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री CAG की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 20: किस संवैधानिक संशोधन ने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी?
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 ने संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन किया, जिससे लोक सभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए nirvachanh (चुनाव) में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवाओं को चुनावी प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था, क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) संपत्ति के अधिकार से संबंधित था। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी कानून से संबंधित था। 42वां संशोधन (1976) प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्ष, अखंडता शब्दों को जोड़ने के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 21: भारत में ‘लोकसभा का अध्यक्ष’ (Speaker of the Lok Sabha) अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा के उपाध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा का अध्यक्ष अपना त्यागपत्र लोकसभा के उपाध्यक्ष को संबोधित करता है। यह लोकसभा की कार्य संचालन प्रक्रिया का एक सामान्य नियम है, जो अनुच्छेद 94 में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: इसी प्रकार, लोकसभा का उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र लोकसभा के अध्यक्ष को संबोधित करता है। यदि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों का पद रिक्त हो जाता है, तो राष्ट्रपति किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त कर सकता है।
- गलत विकल्प: लोकसभा का अध्यक्ष सीधे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या मुख्य न्यायाधीश को त्यागपत्र नहीं देता है।
प्रश्न 22: ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति भारतीय संविधान में कहाँ से ली गई है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय किसी भी कानून या सरकारी कार्रवाई की वैधता को चुनौती दे सकते हैं और उसे असंवैधानिक घोषित कर सकते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान में, यह शक्ति अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 13, 32, 226 और 245 में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों के माध्यम से ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत को स्थापित करने में मदद की है।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संसदीय संप्रभुता है, न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति सीमित है। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची, कनाडा से अवशिष्ट शक्तियां ली गई हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘नीति आयोग’ (NITI Aayog) के शासी निकाय (Governing Council) की अध्यक्षता करती है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष
- केंद्रीय गृह मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग, जिसका गठन 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर किया गया था, एक सांविधिक निकाय नहीं है, बल्कि एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक थिंक-टैंक है। इसके शासी निकाय (Governing Council) की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: शासी निकाय में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासक शामिल होते हैं। यह आयोग भारत सरकार के लिए एक नीतिगत थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है, जो रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों का मार्गदर्शन करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, उपाध्यक्ष या गृह मंत्री नीति आयोग के शासी निकाय के पदेन अध्यक्ष नहीं होते हैं।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) का प्रावधान किन-किन रूपों में किया गया है?
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
- सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक
- राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक
- सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘न्याय’ को तीन रूपों में सुनिश्चित करती है: सामाजिक (Social), आर्थिक (Economic) और राजनीतिक (Political)।
- संदर्भ और विस्तार: यह नागरिकों को सभी प्रकार के अन्याय से मुक्त रखने का आश्वासन देता है। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, लिंग, धर्म आदि पर आधारित भेदभाव का अंत। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में समान भागीदारी का अवसर।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ या ‘सांस्कृतिक’ न्याय का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, हालांकि ये सामाजिक न्याय के पहलुओं में निहित हो सकते हैं।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारत के नागरिकों को प्राप्त है?
- विदेशियों को भारत में किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त होने का अधिकार।
- कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
- किसी भी नागरिक के जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: विकल्प (a) एक विशेष अधिकार का वर्णन करता है कि विदेशियों को भारत में किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त होने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता) में स्पष्ट है कि केवल भारतीय नागरिकों को ही रोजगार के मामलों में समानता का अधिकार है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों के लिए नागरिकता एक आवश्यक शर्त है। यह प्रावधान भारत की संप्रभुता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) से संबंधित हैं, जो नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध है। विकल्प (d) अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) से संबंधित है, जो सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों) के लिए उपलब्ध है।