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संविधान की कसौटी: आज की राजनीतिक चुनौती

संविधान की कसौटी: आज की राजनीतिक चुनौती

सिविल सेवा परीक्षा की राह में भारतीय राजव्यवस्था की गहरी समझ अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दैनिक अभ्यास सत्र आपको संविधान के जटिल पहलुओं पर अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। आइए, आज के इस चुनौतीपूर्ण क्विज के साथ अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें और सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएँ!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान में ‘संसदीय विशेषाधिकारों’ को परिभाषित करता है?

  1. अनुच्छेद 105
  2. अनुच्छेद 194
  3. अनुच्छेद 117
  4. अनुच्छेद 122

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 (Article 105) भारतीय संसद के सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ प्रदान करता है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 194 (Article 194) राज्यों के विधानमंडलों के सदस्यों को समान विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ प्रदान करता है। ये विशेषाधिकार संसद की कार्यवाही की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (सदन के भीतर) और प्रकाशन का अधिकार आदि को सुनिश्चित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों का उद्देश्य सांसदों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन बिना किसी भय या अनुचित दबाव के करने में सक्षम बनाना है। हालांकि, ये विशेषाधिकार पूर्ण नहीं हैं और संविधान या विशेषाधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अधीन हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 117 (Article 117) वित्तीय विधेयकों से संबंधित है। अनुच्छेद 122 (Article 122) यह बताता है कि संसद की कार्यवाही की वैधता को किसी भी अदालत में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा, जो विशेषाधिकारों से संबंधित है, लेकिन सीधे उन्हें परिभाषित नहीं करता।

प्रश्न 2: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को कितनी बार संशोधित किया गया है?

  1. एक बार
  2. दो बार
  3. तीन बार
  4. कभी नहीं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को केवल एक बार, 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 (42nd Amendment Act, 1976) द्वारा संशोधित किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए थे: ‘समाजवाद’ (Socialist), ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity)। इन शब्दों को संविधान के मूलभूत ढांचे का हिस्सा माना गया है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प गलत हैं क्योंकि प्रस्तावना में केवल एक बार संशोधन हुआ है। केशवानंद भारती मामले (Kesavananda Bharati case, 1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी थी कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और उसमें संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते कि इसके मूल ढांचे को नष्ट न किया जाए।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. नीति आयोग (NITI Aayog)
  3. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है। यह एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक निकाय है।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग योजना आयोग का स्थान लिया है और इसका उद्देश्य भारत के विकास में सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को बढ़ावा देना है।
  • गलत विकल्प: भारत का महान्यायवादी अनुच्छेद 76 (Article 76) के तहत एक संवैधानिक पद है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग अनुच्छेद 338 (Article 338) के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 (Article 315) के तहत एक संवैधानिक निकाय है।

प्रश्न 4: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. राजनीतिक स्वतंत्रता की स्थापना
  2. नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी
  3. सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना
  4. न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV (Part IV) में अनुच्छेद 36 से 51 (Articles 36-51) तक दिए गए हैं, का मुख्य उद्देश्य भारत में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने, राज्य को सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इन्हें कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की अवधारणा को साकार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • गलत विकल्प: राजनीतिक स्वतंत्रता की स्थापना मौलिक अधिकारों (भाग III) का उद्देश्य है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी भी भाग III का विषय है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता अनुच्छेद 50 (Article 50) में एक नीति निदेशक तत्व के रूप में उल्लिखित है, लेकिन यह DPSP का समग्र उद्देश्य नहीं है।

प्रश्न 5: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव निम्नलिखित में से किसके द्वारा किया जाता है?

  1. केवल लोकसभा के सदस्य
  2. केवल राज्यसभा के सदस्य
  3. लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  4. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों (सदस्यगण और मनोनीत सदस्य सहित) से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा, आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार किया जाता है, जैसा कि अनुच्छेद 66 (Article 66) में प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न है, जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है।
  • गलत विकल्प: केवल लोकसभा या केवल राज्यसभा के सदस्य या केवल निर्वाचित सदस्य उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते। सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) निर्वाचक मंडल का हिस्सा होते हैं।

प्रश्न 6: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 (73rd Amendment Act, 1992) ने भारतीय संविधान में भाग IX (Part IX) जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने संविधान में एक नई ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) भी जोड़ी, जिसमें पंचायतों के 29 कार्य शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज को अधिक प्रभावी, जवाबदेह और सशक्त बनाना था, जिससे यह स्थानीय स्वशासन की एक संस्था के रूप में कार्य कर सके।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन संसद में पारित नहीं हो सके।

प्रश्न 7: ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास निहित होती हैं?

  1. संघ (केंद्र) सरकार
  2. राज्य सरकारें
  3. दोनों समान रूप से
  4. भारत का राष्ट्रपति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, अनुच्छेद 248 (Article 248) के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियाँ (यानी वे विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में सूचीबद्ध नहीं हैं) संघ सरकार के पास निहित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि संसद के पास ऐसे मामलों पर कानून बनाने की विशेष शक्ति है जो किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं। यह विशेषता भारत के संघीय ढांचे में संघ की प्रधानता को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास वे शक्तियाँ हैं जो राज्य सूची में सूचीबद्ध हैं। अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों के पास नहीं हैं। राष्ट्रपति के पास ऐसी कोई विशिष्ट शक्ति नहीं है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) रिट के अंतर्गत आता है?

  1. अवैध निरोध से मुक्ति का अधिकार
  2. सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार
  3. किसी विशेष कार्य को करने का आदेश
  4. किसी भी अदालत द्वारा जारी आदेश की समीक्षा

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) का शाब्दिक अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी भी व्यक्ति को जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है, उसे अदालत में पेश करने के लिए जारी की जाती है। यह अनुच्छेद 32 (Article 32) के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 (Article 226) के तहत उच्च न्यायालय द्वारा जारी की जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
  • गलत विकल्प: ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) सार्वजनिक पद धारण करने के अधिकार से संबंधित है। ‘परमादेश’ (Mandamus) किसी विशेष कार्य को करने का आदेश है। ‘उत्प्रेषण’ (Certiorari) किसी भी अदालत द्वारा जारी आदेश की समीक्षा के लिए है।

प्रश्न 9: भारत में ‘आपातकालीन उपबंधों’ (Emergency Provisions) का प्रावधान संविधान के किस भाग में किया गया है?

  1. भाग XIV
  2. भाग XV
  3. भाग XVIII
  4. भाग XX

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में आपातकालीन उपबंधों का प्रावधान भारतीय संविधान के भाग XVIII (Part XVIII) में अनुच्छेद 352 से 360 (Articles 352-360) तक किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस भाग में तीन प्रकार के आपातकालों का वर्णन है: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन, अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
  • गलत विकल्प: भाग XIV में सेवाओं के बारे में, भाग XV में निर्वाचन, और भाग XX में संविधान संशोधन से संबंधित उपबंध हैं।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी समिति संसद की स्थायी समितियों (Standing Committees) में से एक नहीं है?

  1. प्राक्कलन समिति (Committee on Estimates)
  2. लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
  3. विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges)
  4. सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (Committee on Public Undertakings)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges) एक स्थायी समिति है, लेकिन यह वित्तीय या कार्यकारी निगरानी की प्रकृति की नहीं होती, जैसे अन्य तीन समितियाँ। हालाँकि, यदि प्रश्न स्थायी समितियों के वर्गीकरण को लेकर है, तो उपर्युक्त सभी स्थायी समितियाँ हैं। यहाँ प्रश्न की मंशा शायद विशिष्ट प्रकार की स्थायी समितियों को अलग करना है। प्राक्कलन समिति, लोक लेखा समिति और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति को ‘वित्तीय समितियाँ’ (Financial Committees) माना जाता है। विशेषाधिकार समिति का कार्य विशेषाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राक्कलन समिति (अनुमान समिति) लोक लेखा समिति (PAC) और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (COPU) संसद की तीन प्रमुख वित्तीय समितियाँ हैं, जो सरकार के खर्च और कामकाज पर निगरानी रखती हैं। विशेषाधिकार समिति भी एक महत्वपूर्ण स्थायी समिति है। हालांकि, इस प्रश्न में एक सूक्ष्मता हो सकती है कि क्या “स्थायी समिति” का अर्थ केवल वित्तीय निगरानी है। सामान्यतः, ये चारों ही स्थायी समितियाँ हैं। यदि एक विकल्प को अलग करना है, तो विशेषाधिकार समिति का कार्यक्षेत्र थोड़ा भिन्न है।
  • गलत विकल्प: प्राक्कलन समिति (अनुच्छेद 113), लोक लेखा समिति (अनुच्छेद 118 के तहत निर्मित) और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (1964 में निर्मित) स्थायी वित्तीय समितियाँ हैं। विशेषाधिकार समिति भी स्थायी है। (यदि प्रश्न का आशय वित्तीय समितियों से परे है, तो यह उत्तर हो सकता है, अन्यथा सभी स्थायी समितियाँ हैं)। (माना गया है कि प्रश्न ‘वित्तीय’ स्थायी समितियों से भिन्न पूछ रहा है)

प्रश्न 11: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति, संघ के किसी भी लोक-सेवा आयोग को, राज्य विधानमंडल के अनुरोध पर, ऐसे अतिरिक्त कार्यों को करने के लिए सौंप सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 315
  2. अनुच्छेद 317
  3. अनुच्छेद 320
  4. अनुच्छेद 321

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 321 (Article 321) के तहत, संसद कानून द्वारा संघ या किसी राज्य के लिए लोक सेवा आयोगों को ऐसे अतिरिक्त कार्यों को करने के लिए सशक्त बना सकती है, जो उस आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसमें राज्य विधानमंडल के अनुरोध पर संघ लोक सेवा आयोग को राज्य के कार्यों को सौंपना भी शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद लोक सेवा आयोगों के दायरे को बढ़ाने की शक्ति प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों की स्थापना का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 317 लोक सेवा आयोगों के सदस्यों की बर्खास्तगी से संबंधित है। अनुच्छेद 320 लोक सेवा आयोगों के कार्यों का वर्णन करता है।

प्रश्न 12: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों को पद से कौन हटा सकता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट के आधार पर
  3. भारत के प्रधानमंत्री
  4. लोकसभा अध्यक्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों को कदाचार के आधार पर केवल भारत के राष्ट्रपति ही हटा सकते हैं, लेकिन वह भी सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा की गई जाँच के बाद उसकी सिफारिश के अनुसार ही ऐसा कर सकते हैं। यह अनुच्छेद 317 (Article 317) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रक्रिया को ‘न्यायिक जाँच’ (Judicial Inquiry) के समान माना जाता है, जिसका उद्देश्य निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति सीधे तौर पर हटा नहीं सकते, बल्कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री या लोकसभा अध्यक्ष के पास यह शक्ति नहीं है।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘ग्राम सभा’ का प्रावधान करता है?

  1. भाग IX (अनुच्छेद 243)
  2. भाग IXA (अनुच्छेद 243P)
  3. भाग X (अनुच्छेद 244)
  4. भाग XI (अनुच्छेद 245)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IX (Part IX) में अनुच्छेद 243 (Article 243) के अंतर्गत ‘ग्राम सभा’ को परिभाषित किया गया है। ग्राम सभा, पंचायती राज व्यवस्था की आधारशिला है और इसमें गाँव की मतदाता सूची में पंजीकृत सभी व्यक्ति शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा एक ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले गांवों के क्षेत्र में रहने वाले उन सभी व्यक्तियों से मिलकर बनी है, जिनके नाम संबंधित गांवों की मतदाता सूचियों में किसी भी भाग के लिए दर्ज हैं। यह स्थानीय स्वशासन की एक महत्वपूर्ण इकाई है।
  • गलत विकल्प: भाग IXA नगर पालिकाओं से संबंधित है। भाग X और XI क्रमशः अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों तथा संघ और राज्यों के बीच विधायी और प्रशासनिक संबंधों से संबंधित हैं।

प्रश्न 14: ‘मतदान का अधिकार’ (Right to Vote) भारत में क्या है?

  1. एक मौलिक अधिकार
  2. एक संवैधानिक अधिकार
  3. एक प्राकृतिक अधिकार
  4. कोई अधिकार नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: मतदान का अधिकार भारतीय संविधान में एक मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि एक ‘संवैधानिक अधिकार’ (Constitutional Right) है। यह अनुच्छेद 326 (Article 326) में वयस्क मताधिकार (Adult Suffrage) के सिद्धांत के तहत प्रदान किया गया है, जिसमें कहा गया है कि संघ या राज्य के विधानमंडल के लिए चुनाव, सामान्य वयस्क आबादी के आधार पर होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि इसे मौलिक अधिकार के समान महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन यह उन अधिकारों में शामिल नहीं है जिनकी गारंटी सीधे भाग III में दी गई है और जिनके उल्लंघन पर सीधे अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय जाया जा सकता है। यह कानूनी अधिकार है जिसे संसद द्वारा विनियमित किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: यह मौलिक अधिकार नहीं है, न ही प्राकृतिक अधिकार (जो संविधान द्वारा परिभाषित या संरक्षित नहीं हैं), और यह निश्चित रूप से एक अधिकार है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद, संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा प्रस्तावित विधि के संबंध में अपनी सहमति दे सकती है, भले ही वह विधि राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित की गई हो?

  1. अनुच्छेद 201
  2. अनुच्छेद 200
  3. अनुच्छेद 254
  4. अनुच्छेद 249

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 201 (Article 201) में प्रावधान है कि जब किसी विधेयक को अनुच्छेद 200 के तहत राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया जाता है, तो राष्ट्रपति उस विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है) अपने समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, उस विधेयक को (संशोधनों सहित या रहित) राज्य के विधानमंडल को, जैसा वे उचित समझें, वापस भेज सकते हैं। यदि विधानमंडल विधेयक को पुनः पारित करता है, तो राष्ट्रपति उसे अपनी स्वीकृति दे सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद राज्यों के विधानों पर राष्ट्रपति की वीटो शक्ति और राज्य विधानमंडल के साथ उनके संबंधों को स्पष्ट करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 200 (Article 200) राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर कार्रवाई से संबंधित है। अनुच्छेद 254 (Article 254) संसद द्वारा बनाए गए कानूनों और राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच असंगति के बारे में बताता है। अनुच्छेद 249 (Article 249) राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के विषयों के संबंध में विधायी शक्तियों से संबंधित है।

प्रश्न 16: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति (Pardoning Power) का विस्तार किस पर है?

  1. सभी प्रकार के दंडों पर
  2. केवल मृत्युदंड और कोर्ट मार्शल से संबंधित दंडों पर
  3. सभी प्रकार के दंडों पर, सिवाय उन पर जो संसद के किसी कानून द्वारा अधिकृत है
  4. केवल मृत्युदंड पर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 (Article 72) के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है। इस शक्ति के तहत वे किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति के दंड को क्षमा कर सकते हैं, दंड को स्थगित कर सकते हैं, लघुकरण कर सकते हैं, या उसे माफ कर सकते हैं। यह शक्ति मृत्युदंड को क्षमा करने, सैन्य न्यायालयों (Court Martial) द्वारा दिए गए दंडों पर और उन सभी मामलों पर लागू होती है जहाँ सज़ा मृत्युदंड हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति न केवल क्षमा करने की है, बल्कि इसमें दया और मानवीय आधार पर निर्णय लेना भी शामिल है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति मृत्युदंड और कोर्ट मार्शल पर भी लागू होती है, इसलिए केवल मृत्युदंड या केवल कोर्ट मार्शल पर सीमित करना गलत है। यह सभी प्रकार के दंडों पर लागू होती है।

प्रश्न 17: ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) किस अनुच्छेद में वर्णित है?

  1. अनुच्छेद 29
  2. अनुच्छेद 30
  3. अनुच्छेद 32
  4. अनुच्छेद 35

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32) में वर्णित है। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने इसे ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) में जाने की शक्ति प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय पाँच प्रकार की रिटें (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा, उत्प्रेषण) जारी कर सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 35 कुछ विशिष्ट कानूनों के प्रवर्तन के संबंध में है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही नहीं है?

  1. भाग IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व
  2. भाग III: मौलिक अधिकार
  3. भाग II: नागरिकता
  4. भाग V: राज्यों का प्रशासन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भाग V (Part V) ‘संघ’ (The Union) से संबंधित है, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संघ की सरकार, संसद, संघ की न्यायपालिका आदि का प्रावधान है। भाग V राज्यों के प्रशासन से संबंधित नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यों के प्रशासन से संबंधित प्रावधान मुख्य रूप से भाग VI (Part VI) में दिए गए हैं।
  • गलत विकल्प: भाग IV (अनुच्छेद 36-51) राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग III (अनुच्छेद 12-35) मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग II (अनुच्छेद 5-11) नागरिकता से संबंधित है। इसलिए, विकल्प (d) गलत है।

प्रश्न 19: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) का गठन किस अधिनियम के तहत किया गया था?

  1. राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990
  2. महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 1993
  3. महिला सशक्तिकरण अधिनियम, 1995
  4. सामाजिक न्याय अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women – NCW) का गठन राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 (National Commission for Women Act, 1990) के तहत किया गया था। यह अधिनियम 31 जनवरी 1992 को प्रभावी हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: NCW एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है जो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके संवैधानिक व कानूनी प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प गलत अधिनियमों या वर्षों को दर्शाते हैं। 1993 का अधिनियम या 1995 का अधिनियम सही संदर्भ नहीं हैं।

प्रश्न 20: भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा की पहली बैठक कब आयोजित की गई थी?

  1. 9 दिसंबर 1946
  2. 11 दिसंबर 1946
  3. 13 दिसंबर 1946
  4. 26 जनवरी 1950

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 (9th December 1946) को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संविधान के निर्माण की दिशा में पहला कदम था। संविधान सभा का गठन ब्रिटिश कैबिनेट मिशन (Cabinet Mission) की सिफारिशों के आधार पर हुआ था।
  • गलत विकल्प: 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्थायी अध्यक्ष चुने गए। 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने ‘उद्देश्य संकल्प’ (Objective Resolution) प्रस्तुत किया। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी रिट केवल एक न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी (Judicial or Quasi-Judicial Authority) के विरुद्ध जारी की जा सकती है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: उत्प्रेषण (Certiorari) की रिट केवल न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकारियों के विरुद्ध जारी की जाती है। इसका उद्देश्य किसी निचली अदालत या ट्रिब्यूनल द्वारा पारित किए गए एक अवैध या त्रुटिपूर्ण आदेश को रद्द करना है। यह अनुच्छेद 32 और 226 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा जारी की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट सुनिश्चित करती है कि निचली अदालतें अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करें और कानून के दायरे में रहें।
  • गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध जारी की जा सकती है जिसने किसी को अवैध रूप से हिरासत में रखा हो। परमादेश (Mandamus) एक सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश देता है। अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) किसी व्यक्ति को उस सार्वजनिक पद को छोड़ने का आदेश देती है जिस पर वह अवैध रूप से पदासीन है। ये तीनों प्राधिकारी या व्यक्ति किसी भी प्रकार के हो सकते हैं, न कि केवल न्यायिक या अर्ध-न्यायिक।

प्रश्न 22: भारत में ‘अंतर-राज्यीय परिषद’ (Inter-State Council) का गठन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?

  1. अनुच्छेद 262
  2. अनुच्छेद 263
  3. अनुच्छेद 261
  4. अनुच्छेद 260

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 263 (Article 263) राष्ट्रपति को एक अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) की स्थापना करने की शक्ति प्रदान करता है। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, विवादों का समाधान करना और नीतिगत मामलों पर चर्चा करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति ने 1990 में सरकारी आयोग (Sarkaria Commission) की सिफारिशों के आधार पर इस परिषद की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 261 सार्वजनिक कार्यों, अभिलेखों और न्यायिक कार्यवाहियों की पारस्परिकता से संबंधित है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यों नदियों या नदी घाटियों के संबंध में विवादों के न्यायनिर्णयन के संबंध में है। अनुच्छेद 260 कुछ विदेशी क्षेत्रों के संबंध में भारत के अधिकार क्षेत्र के बारे में है।

प्रश्न 23: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’ (Liberty) का क्या अर्थ है?

  1. किसी भी तरह के प्रतिबंध से पूर्ण मुक्ति
  2. विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
  3. केवल राजनीतिक स्वतंत्रता
  4. आर्थिक स्वतंत्रता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता का अर्थ केवल किसी भी प्रकार के प्रतिबंध से पूर्ण मुक्ति नहीं है, बल्कि यह ‘विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता’ (Liberty of thought, expression, belief, faith and worship) को समाहित करता है। ये स्वतंत्रताएँ मौलिक अधिकारों के रूप में भाग III में विस्तृत रूप से दी गई हैं (जैसे अनुच्छेद 19)।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में स्वतंत्रता का अर्थ सकारात्मक है, जो नागरिकों को स्वयं को विकसित करने और समाज में योगदान करने के अवसर प्रदान करता है, न कि अनियंत्रित स्वतंत्रता।
  • गलत विकल्प: पूर्ण मुक्ति अव्यवस्था को जन्म दे सकती है। प्रस्तावना में राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ अन्य प्रकार की स्वतंत्रताएँ भी शामिल हैं। आर्थिक स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रस्तावना में उल्लिखित विशिष्ट स्वतंत्रताएँ ये हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी सूची (List) में विषयों की संख्या सबसे अधिक है?

  1. संघ सूची (Union List)
  2. राज्य सूची (State List)
  3. समवर्ती सूची (Concurrent List)
  4. अवशिष्ट विषय (Residuary Subjects)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में तीन सूचियाँ हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। वर्तमान में, संघ सूची में 100 विषय हैं (मूल रूप से 97 थे), राज्य सूची में 61 विषय हैं (मूल रूप से 66 थे), और समवर्ती सूची में 52 विषय हैं (मूल रूप से 47 थे)। अवशिष्ट विषय संघ के पास होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय शामिल हैं जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है।
  • गलत विकल्प: राज्य सूची में स्थानीय महत्व के विषय हैं जिन पर राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं। समवर्ती सूची में वे विषय हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन केंद्र का कानून मान्य होता है। इसलिए, संघ सूची में विषयों की संख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 25: ‘संविधान का संशोधन’ (Amendment of the Constitution) किस अनुच्छेद के तहत किया जाता है?

  1. अनुच्छेद 368
  2. अनुच्छेद 370
  3. अनुच्छेद 352
  4. अनुच्छेद 1

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग XX (Part XX) में अनुच्छेद 368 (Article 368) संविधान के संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित है। यह अनुच्छेद संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन की तीन विधियाँ बताई गई हैं: साधारण बहुमत से, विशेष बहुमत से, और विशेष बहुमत और राज्यों की सहमति से। केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन मूल ढांचे (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर से संबंधित विशेष प्रावधान था। अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का संघ’ घोषित करता है।

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