संविधान की कसौटी: आज का टेस्ट
नमस्कार, भावी लोक सेवकों! भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के ज्ञान की अपनी गहराई को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम एक बार फिर से आपके लिए लाए हैं, 25 बहुचर्चित और महत्वपूर्ण प्रश्न, जो आपकी अवधारणाओं को मजबूत करेंगे और परीक्षा की तैयारी को एक नई दिशा देंगे। आइए, अपने संवैधानिक ढांचे की समझ को निखारें और सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (समान नागरिक संहिता)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण
- सशस्त्र बल या शिक्षा संबंधी उपबंधों को छोड़कर उपाधियों का अंत
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28 केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं। विकल्पों में से, “सशस्त्र बल या शिक्षा संबंधी उपबंधों को छोड़कर उपाधियों का अंत” (अनुच्छेद 18) विशेष रूप से नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 18 (4) यह भी कहता है कि भारत सरकार के अधीन कोई भी उपाधि नहीं दी जाएगी। विदेशी उपाधियों का भी अंत अनुच्छेद 18 के तहत ही है। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) सभी के लिए उपलब्ध हैं, जबकि उपाधियों का अंत (अनुच्छेद 18) केवल नागरिकों के लिए है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) अनुच्छेद 44 (समान नागरिक संहिता) से संबंधित है, जो नीति निर्देशक तत्व है और नागरिकों के लिए है, लेकिन यह एक मौलिक अधिकार नहीं है जो *केवल* नागरिकों को प्राप्त हो। विकल्प (b) अनुच्छेद 15 सभी के लिए उपलब्ध है (विभेद का प्रतिषेध)। विकल्प (c) अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण, यह भी भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए है, न कि केवल नागरिकों के लिए।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट जारी नहीं कर सकता?
- जब व्यक्ति को न्यायालय की अवमानना के लिए हिरासत में लिया गया हो।
- जब हिरासत विधि सम्मत है।
- जब व्यक्ति को किसी संप्रभु राष्ट्र द्वारा राजनीतिक शरण दी गई हो।
- जब हिरासत कानूनी प्रक्रिया के तहत हो।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट तब जारी की जाती है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो। यदि हिरासत विधि सम्मत (lawful) है, तो न्यायालय रिट जारी नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत उपलब्ध है। यह किसी व्यक्ति को उसकी अवैध हिरासत से मुक्त कराने के लिए जारी की जाती है। विकल्प (a) में, अवमानना के लिए हिरासत वैध हो सकती है। विकल्प (c) में, यदि वह भारत का नागरिक नहीं है और किसी अन्य देश का नागरिक है जिसे राजनीतिक शरण मिली है, तो भी यह लागू हो सकता है। विकल्प (d) में, यदि हिरासत कानूनी प्रक्रिया के तहत है, तो वह वैध है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) सीधे तौर पर उस स्थिति को दर्शाता है जहाँ बंदी प्रत्यक्षीकरण जारी नहीं किया जा सकता – जब हिरासत विधि सम्मत हो।
प्रश्न 3: भारत के संविधान के अनुसार, संसद के दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन किस अनुच्छेद के तहत बुलाया जाता है?
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 118
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, राष्ट्रपति किसी विधेयक (जो लोकसभा द्वारा पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा द्वारा नामंजूर या संशोधित किया गया है, या जिसे दोनों सदनों के बीच असहमति हो) पर विचार-विमर्श और मतदान के लिए दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker) करते हैं। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो तो उपाध्यक्ष और यदि दोनों अनुपस्थित हों तो राज्यसभा का उपसभापति इसकी अध्यक्षता करते हैं। यह धन विधेयकों (अनुच्छेद 110) और वित्तीय विधेयकों (अनुच्छेद 117) पर लागू नहीं होता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 118 संसद के कार्यों के संचालन के लिए प्रक्रिया से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा प्रस्ताव केवल तभी स्वीकार किया जा सकता है जब प्रस्ताव देने वाले सदस्य के अतिरिक्त कम से कम 50 अन्य सदस्य उसका समर्थन करें?
- विश्वास प्रस्ताव
- अविश्वास प्रस्ताव
- काम रोको प्रस्ताव
- ध्यातव्य (Adjournment) प्रस्ताव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: काम रोको प्रस्ताव (Adjournment Motion) एक महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक उपकरण है जिसका उपयोग अविलंबनीय लोक महत्व के एक निश्चित मामले पर चर्चा करने के लिए सदन के सामान्य कार्य को स्थगित करने हेतु किया जाता है। नियम 193 के तहत, इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: काम रोको प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। यह किसी मंत्री द्वारा पेश नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्पष्ट रूप से अविलंबनीय लोक महत्व के विषय का उल्लेख करना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) को लोकसभा में कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन से पेश किया जा सकता है, लेकिन इसे स्वीकार करने के लिए 50 सदस्यों का समर्थन ‘प्रारंभिक’ है, न कि ‘अतिरिक्त’ 50 सदस्यों का। विश्वास प्रस्ताव (Confidence Motion) भी इसी प्रकार है। ध्यातव्य प्रस्ताव (Adjournment Motion) पर मतदान होता है, जबकि काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा होती है और मतदान नहीं होता।
प्रश्न 5: भारत में ‘नीति निर्देशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) का उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना।
- कार्यपालिका पर विधायिका का नियंत्रण स्थापित करना।
- सरकार को एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु निर्देशित करना।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति निर्देशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में उल्लिखित हैं, राज्य को एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक प्रजातंत्र की स्थापना करना है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), ये देश के शासन में मूलभूत माने जाते हैं और राज्य को कानून बनाते समय इन सिद्धांतों को लागू करने का प्रयास करना चाहिए। ये राज्य को आय की असमानताओं को कम करने, समान कार्य के लिए समान वेतन, सार्वजनिक सहायता, शिक्षा, काम का अधिकार आदि प्रदान करने के लिए निर्देश देते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) मौलिक अधिकार (भाग III) का उद्देश्य है। विकल्प (b) कार्यपालिका-विधायिका संबंधों का एक पहलू है, लेकिन DPSP का मुख्य उद्देश्य नहीं। विकल्प (d) न्यायपालिका की स्वतंत्रता अनुच्छेद 50 (कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण) से संबंधित है, जो DPSP का हिस्सा है, लेकिन DPSP का व्यापक उद्देश्य केवल यही नहीं है।
प्रश्न 6: अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) के तहत, किसी भी नागरिक को, चाहे वह किसी भी धर्म, मूलवंश, जाति या भाषा से संबंधित हो, निम्नलिखित में से किस आधार पर शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा?
- उसे किसी विशेष धर्म का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए।
- उसे किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग करने से रोका जाए।
- शिक्षा संस्था के प्रबंधन द्वारा उसकी निजी आय का आधार।
- उसकी सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 29(2) स्पष्ट रूप से कहता है कि “राज्य द्वारा पोषित या राज्य-निधि से सहायता प्राप्त किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश के लिए किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव या निबंधन के अधीन नहीं किया जाएगा।”
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, राज्य से मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में समान पहुँच मिले।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) अनुच्छेद 28 (धार्मिक शिक्षा) से संबंधित है, और अनुच्छेद 29(1) अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार देता है। विकल्प (b) भी अनुच्छेद 29(1) के दायरे में आता है। विकल्प (c) शिक्षा संस्था के प्रबंधन द्वारा ‘निजी आय का आधार’ (income basis) एक संभावित मानदंड हो सकता है, लेकिन यह अनुच्छेद 29(2) के तहत भेदभाव का आधार नहीं है। अनुच्छेद 29(2) स्पष्ट रूप से केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा को आधार मानता है।
प्रश्न 7: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 73
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 75
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 के अनुसार, राष्ट्रपति कुछ मामलों में क्षमा, दंड का विराम, लघुकरण, प्रविलंबन या परिहार करने की शक्ति रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति केवल दंडित व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि भारतीय दंड संहिता के अधीन अपराधों के लिए भी है। यह मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकता है, जो किसी अन्य प्राधिकारी के पास नहीं है। यह शक्ति राष्ट्रपति के अपने विवेक पर है, हालांकि वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 73 संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन की बात करता है। अनुच्छेद 75 प्रधान मंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेता है, लेकिन उनके महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
- दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले (अनुच्छेद 54) में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों के सदस्य भी (70वें संशोधन, 1992 द्वारा) शामिल हैं। राष्ट्रपति के महाभियोग (अनुच्छेद 61) में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, जबकि महाभियोग में सभी सदस्य भाग लेते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य दोनों ही राष्ट्रपति के चुनाव और महाभियोग दोनों में भाग लेते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन उनके विधानमंडल महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेते। अतः, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य वह हैं जो चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग में भाग लेते हैं। प्रश्न उस स्थिति के बारे में पूछता है जो चुनाव में भाग नहीं लेती लेकिन महाभियोग में भाग लेती है (यह प्रश्न थोड़ा गलत formulare किया गया है, इसे ‘चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग में भाग लेते हैं’ या ‘महाभियोग में भाग लेते हैं, लेकिन चुनाव में नहीं’ जैसा होना चाहिए। लेकिन दिए गए विकल्पों में, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग में भाग लेते हैं, जबकि प्रश्न इसका विपरीत पूछ रहा है।)
पुनर्विचार: प्रश्न पूछ रहा है “कौन भाग लेता है, लेकिन महाभियोग में भाग नहीं लेता?”
* लोकसभा के निर्वाचित सदस्य: चुनाव में लेते हैं, महाभियोग में लेते हैं।
* राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य: चुनाव में लेते हैं, महाभियोग में लेते हैं।
* राज्यसभा के मनोनीत सदस्य: चुनाव में नहीं लेते, महाभियोग में लेते हैं।
* दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडल के सदस्य: चुनाव में लेते हैं, महाभियोग में नहीं लेते।इसलिए, सही उत्तर (d) है।
सही उत्तर (d) है।
विस्तृत स्पष्टीकरण (संशोधित):
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का प्रावधान करता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य (70वें संशोधन, 1992 द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी के संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभाओं के सदस्य भी) शामिल हैं। अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन करता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के ‘सभी सदस्य’ (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार, दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेते हैं। इसके विपरीत, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य चुनाव और महाभियोग दोनों में भाग लेते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य चुनाव में भाग नहीं लेते, पर महाभियोग में लेते हैं।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘पंचायतों’ से संबंधित है?
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग IX-B
- भाग VIII
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जिसे 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया, पंचायतों से संबंधित है। इसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भाग पंचायतों की संरचना, सदस्यों का चुनाव, शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व, निधियां आदि को परिभाषित करता है। इसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- गलत विकल्प: भाग IX-A नगर पालिकाओं से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग IX-B सहकारी समितियों से संबंधित है (97वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग VIII संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक’ (Constitutional) है?
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संवैधानिक संस्थाएं वे होती हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया हो और जिनके गठन, शक्तियां आदि संविधान द्वारा निर्धारित की गई हों। नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग को प्रतिस्थापित करके किया गया था। यह एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के माध्यम से गठित हुआ था, न कि संविधान के किसी अनुच्छेद के तहत।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्न में दिए गए अन्य सभी आयोग (NHRC, CIC, NGT) विधायी अधिनियमों (Statutory Acts) के तहत स्थापित किए गए हैं, न कि सीधे संविधान के तहत। NHRC का गठन ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत हुआ। CIC का गठन ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005’ के तहत हुआ। NGT का गठन ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010’ के तहत हुआ। इसलिए, इन तीनों को वैधानिक (Statutory) संस्थाएं कहा जाता है।
- गलत विकल्प: NHRC, CIC, और NGT सभी वैधानिक संस्थाएं हैं, न कि संवैधानिक। नीति आयोग भी संवैधानिक नहीं है, परंतु इसका गठन सरकार द्वारा किया गया एक कार्यकारी निकाय है। प्रश्न में ‘संवैधानिक’ के संदर्भ में, कोई भी विकल्प सीधे तौर पर संवैधानिक नहीं है। लेकिन, अक्सर प्रतियोगिता परीक्षाओं में, नीति आयोग को “संविधान में वर्णित नहीं” के संदर्भ में ‘अन्य’ श्रेणी में रखा जाता है, जबकि NHRC, CIC, NGT ‘वैधानिक’ हैं। यदि प्रश्न यह पूछता कि इनमें से कौन ‘संवैधानिक नहीं’ है, तो सभी होते। लेकिन चूंकि प्रश्न ‘संवैधानिक’ पूछ रहा है, और नीति आयोग का गठन एक कार्यकारी आदेश से हुआ है, जो किसी विशेष अधिनियम से नहीं, जबकि अन्य अधिनियम से हुए हैं, तो यह प्रश्न त्रुटिपूर्ण हो सकता है।
**पुनर्विचार:** यह प्रश्न संभवतः यह पूछना चाह रहा है कि ‘इनमें से कौन सा सीधे संविधान में वर्णित नहीं है?’ या ‘कौन सा वैधानिक/कार्यकारी है?’। यदि प्रश्न का इरादा संवैधानिक निकायों के बारे में है, तो दिए गए विकल्पों में से कोई भी सीधा संवैधानिक निकाय नहीं है।
मान लीजिए प्रश्न पूछ रहा है: “कौन सी संस्था संवैधानिक रूप से स्थापित नहीं है?”
* NHRC: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (वैधानिक)
* CIC: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (वैधानिक)
* NGT: राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (वैधानिक)
* नीति आयोग: कार्यकारी आदेश (1 जनवरी 2015) (कार्यकारी/गैर-वैधानिक/गैर-संवैधानिक)इस स्थिति में, सभी ही संवैधानिक नहीं हैं।
यदि प्रश्न का अर्थ है ‘कौन सी संस्था एक विशिष्ट संवैधानिक अनुच्छेद के तहत नहीं है, बल्कि अन्य तरीकों से गठित है?’
इस प्रकार के प्रश्नों में, जो संस्थाएं संविधान के किसी विशिष्ट अनुच्छेद से स्थापित नहीं हुई हैं, वे ‘संवैधानिक’ नहीं कहलातीं। नीति आयोग का गठन एक कार्यकारी आदेश से हुआ है, और यह किसी संवैधानिक अनुच्छेद के तहत स्थापित नहीं है। NHRC, CIC, NGT भी संवैधानिक अनुच्छेद के तहत स्थापित नहीं हैं, बल्कि वे वैधानिक हैं।
एक सामान्य गलत धारणा यह है कि नीति आयोग को ‘संवैधानिक’ के विपरीत ‘कार्यकारी’ माना जाता है।
चलिए, प्रश्न को इस प्रकार समझते हैं: “निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक’ नहीं है?”
यदि प्रश्न ‘संवैधानिक’ (Constitutional) की परिभाषा के तहत है, तो हमें ऐसे निकाय की तलाश करनी होगी जिसका उल्लेख सीधे संविधान में है। दिए गए विकल्पों में से कोई भी ऐसा नहीं है।
एक और व्याख्या: क्या प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन सी संस्था *संवैधानिक निकाय की श्रेणी में नहीं आती*?
* संवैधानिक निकाय: जिनका गठन सीधे संविधान द्वारा हुआ हो (जैसे ECI, UPSC, CAG)।
* वैधानिक निकाय: जिनका गठन संसद के अधिनियम द्वारा हुआ हो (जैसे NHRC, CIC, NGT)।
* कार्यकारी निकाय: जिनका गठन सरकार के प्रस्ताव या आदेश से हुआ हो (जैसे नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद)।इस आधार पर, NHRC, CIC, NGT ‘वैधानिक’ हैं। नीति आयोग ‘कार्यकारी’ है। सभी ‘संवैधानिक’ नहीं हैं।
इस प्रश्न का सबसे संभावित सही उत्तर (d) नीति आयोग है, क्योंकि यह सबसे विशिष्ट रूप से ‘कार्यकारी’ श्रेणी में आता है, और अक्सर इसकी तुलना संवैधानिक निकायों से की जाती है।
सही उत्तर (d) है।
विस्तृत स्पष्टीकरण (संशोधित):
- सटीकता और संदर्भ: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका प्रावधान सीधे संविधान में किया गया है, जैसे कि चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) आदि। नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) द्वारा योजना आयोग के स्थान पर किया गया था। यह किसी भी संवैधानिक अनुच्छेद या संसदीय अधिनियम के तहत स्थापित नहीं हुआ है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत हुआ है, इसलिए यह एक वैधानिक (Statutory) निकाय है। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) का गठन ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005’ के तहत हुआ है, यह भी एक वैधानिक निकाय है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का गठन ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010’ के तहत हुआ है, जो इसे एक वैधानिक निकाय बनाता है। उपरोक्त सभी निकाय संवैधानिक निकाय नहीं हैं, बल्कि नीति आयोग को कार्यकारी/गैर-वैधानिक माना जाता है, जबकि अन्य वैधानिक हैं।
- गलत विकल्प: NHRC, CIC, और NGT वैधानिक निकायों के उदाहरण हैं, जो संसद के अधिनियमों द्वारा बनाए गए हैं। नीति आयोग का गठन सरकार के एक प्रस्ताव से हुआ है, इसलिए यह एक कार्यकारी निकाय है, न कि संवैधानिक।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 52वां संशोधन, 1985
- 61वां संशोधन, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘समाजवाद’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्षता’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े और संविधान के कई अन्य हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इन शब्दों को जोड़कर भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य प्रावधानों को बदला। 52वां संशोधन, 1985 ने दल-बदल विरोधी प्रावधान (दसवीं अनुसूची) को जोड़ा। 61वां संशोधन, 1989 ने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 12: किस अनुच्छेद के तहत, भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत, भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है, यदि वह युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (आंतरिक अशांति) से भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा के खतरे में होने का समाधान कर ले।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए। यदि इसे एक महीने से अधिक समय तक जारी रखना हो, तो संसद के दोनों सदनों द्वारा प्रत्येक छह महीने के बाद पुनः अनुमोदित कराना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 कुछ निर्देशों के अनुपालन में विफलता के प्रभाव से संबंधित है, जो अक्सर अनुच्छेद 356 के अनुप्रयोग में सहायक होता है।
प्रश्न 13: भारत में ‘प्रथम नागरिक’ (First Citizen) किसे कहा जाता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को भारत का ‘प्रथम नागरिक’ कहा जाता है। यह पदनाम संवैधानिक रूप से निर्धारित नहीं है, बल्कि यह एक प्रथागत (customary) और पारंपरिक उपाधि है जो देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति के लिए प्रयोग की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति देश का राष्ट्राध्यक्ष (Head of State) होता है और वह देश का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार, वह देश के सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख (Head of Government) होता है। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रमुख है। लोकसभा अध्यक्ष सदन का प्रमुख है। ये सभी महत्वपूर्ण पद हैं, लेकिन राष्ट्रपति को ‘प्रथम नागरिक’ का दर्जा प्राप्त है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक सलाहकार’ (Constitutional Advisor) के रूप में भी कार्य करने का अधिकार है?
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 137
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर, या किसी भी तथ्य या विधि के प्रश्न पर, जिस पर वह यह राय रखता है कि उसका राय लेना आवश्यक है, सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य नहीं है, और यदि सलाह देता भी है, तो राष्ट्रपति उस सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस प्रकार, सर्वोच्च न्यायालय एक सलाहकार की भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है। अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार के कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपील से संबंधित है। अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय की अपनी राय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से किस वर्ष भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) को जोड़ा गया?
- 1976
- 1978
- 1979
- 1980
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर इन्हें जोड़ा गया था। वर्तमान में, संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य शामिल हैं। ये नागरिकों के लिए नैतिक दायित्व हैं।
- गलत विकल्प: 1978 में 44वां संशोधन हुआ, 1979 में कोई प्रमुख संशोधन नहीं हुआ, और 1980 में कुछ अन्य संशोधन हुए।
प्रश्न 16: ‘राज्य के नीति निर्देशक तत्व’ (DPSP) को संविधान के किस भाग में रखा गया है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निर्देशक तत्व (DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं और इन्हें शासन के लिए मूलभूत मानते हैं। ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और संसद से संबंधित है। भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधानमंडल से संबंधित है।
प्रश्न 17: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General of India – CAG) का कार्यकाल कितना होता है?
- 5 वर्ष
- 6 वर्ष
- 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
- 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के तहत CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक होता है और संसद की ओर से राज्यों और केंद्र के खातों की लेखापरीक्षा करता है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है।
- गलत विकल्प: 5 वर्ष का कार्यकाल सामान्यतः विभिन्न सरकारी पदों के लिए होता है, लेकिन CAG के लिए यह 6 वर्ष है। 65 वर्ष की आयु सीमा सही है, लेकिन 5 वर्ष का कार्यकाल गलत है।
प्रश्न 18: किसी राज्य के विधानमंडल के सदन के सत्र का अवसान (prorogation) करने की शक्ति किसके पास है?
- राज्य का मुख्यमंत्री
- राज्य का राज्यपाल
- राज्य का विधान सभा अध्यक्ष
- राज्य का विधान परिषद का सभापति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 174(1) के अनुसार, राज्यपाल, समय-समय पर, विधानमंडल के किसी भी सदन को या दोनों सदनों को, ऐसे समय और स्थान पर जो वह ठीक समझे, अधिवेशित करने के लिए समन जारी करेगा; परंतु एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच छह मास की अवधि से अधिक अंतर नहीं होगा। अनुच्छेद 174(2) के अनुसार, राज्यपाल, विधानमंडल के किसी भी सदन का सत्रावसान कर सकेगा।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान (Prorogation) का अर्थ है सत्र को समाप्त करना। सत्र का अवसान राज्यपाल (विधान सभा अध्यक्ष नहीं) करता है, जो सदन के व्यवसाय को समाप्त करता है। सत्रावसान के पश्चात् ही स्थगन (Adjournment) के प्रभाव समाप्त होते हैं।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री कार्यकारी प्रमुख है। विधानसभा अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करता है, लेकिन सत्रावसान की शक्ति राज्यपाल के पास है। विधान परिषद का सभापति विधान परिषद का संचालन करता है, लेकिन सत्रावसान राज्यपाल द्वारा ही किया जाता है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन एक ‘अधिकार’ (Right) नहीं है?
- मताधिकार (Right to Vote)
- काम का अधिकार (Right to Work)
- समानता का अधिकार (Right to Equality)
- स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Liberty)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) और स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) मौलिक अधिकार हैं। मताधिकार, हालांकि संविधान में सीधे तौर पर एक मौलिक अधिकार के रूप में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन अनुच्छेद 326 के तहत इसे एक ‘वैधानिक अधिकार’ माना जाता है (कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा)। काम का अधिकार (Right to Work) एक नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 41) है, जो न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार (भाग III) राज्य के विरुद्ध नागरिकों को दिए गए संरक्षण हैं। नीति निर्देशक तत्व (भाग IV) राज्य के लिए दिशानिर्देश हैं, न कि नागरिकों के लिए अधिकार।
- गलत विकल्प: समानता और स्वतंत्रता का अधिकार मौलिक अधिकार हैं। मताधिकार को भी व्यापक अर्थों में एक अधिकार माना जाता है। काम का अधिकार एक निर्देशक तत्व है, जिसे मौलिक अधिकार के रूप में लागू नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 20: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के चुनाव से संबंधित विवादों का निपटारा करने का अधिकार किस निकाय को है?
- सर्वोच्च न्यायालय
- उच्च न्यायालय
- संसद
- चुनाव आयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रपति (अनुच्छेद 71) और उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 71) के चुनाव से संबंधित सभी शंकाओं और विवादों का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा, और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होगा। प्रधानमंत्री के चुनाव से संबंधित विवादों का भी न्यायिक प्रक्रिया द्वारा ही निपटारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव को न्यायिक समीक्षा के दायरे में लाता है।
- गलत विकल्प: उच्च न्यायालयों का क्षेत्राधिकार मुख्य रूप से राज्यों से संबंधित रहता है। संसद के पास चुनाव संबंधी कानून बनाने की शक्ति है, लेकिन विवादों का निपटारा नहीं। चुनाव आयोग चुनावों का संचालन करता है, लेकिन अंतिम निर्णय लेने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास है।
प्रश्न 21: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- केंद्रीय गृह मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 315 के तहत स्थापित संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC भारत की केंद्रीय भर्ती एजेंसी है और यह भारत की सिविल सेवाओं और सरकारी विभागों के लिए कर्मचारियों के चयन के लिए परीक्षाएं आयोजित करती है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और गृह मंत्री की नियुक्ति या गठन में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती, बल्कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की जाती है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ (Heart and Soul of the Constitution) किसने कहा था?
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- सर अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर
- डॉ. के. एम. मुंशी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32, जो मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचार (Remedies for Enforcement of Fundamental Rights) का अधिकार देता है, को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को रिट (Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo Warranto) जारी करने की शक्ति देता है, जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लागू किया जा सके।
- गलत विकल्प: अन्य नेताओं ने भी संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को महत्वपूर्ण बताया, लेकिन अनुच्छेद 32 को ‘हृदय और आत्मा’ कहने का श्रेय डॉ. अम्बेडकर को ही जाता है। सर अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर ने अनुच्छेद 22 को संविधान का ‘सबसे अधिक मौलिक’ अनुच्छेद कहा था।
प्रश्न 23: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संविधान के भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O जोड़कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इसने पंचायती राज व्यवस्था को एक त्रि-स्तरीय संरचना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) प्रदान की और उनके लिए चुनाव, शक्तियां, और वित्त पोषण के लिए प्रावधान किए।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन नगर पालिकाओं से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) को मौलिक अधिकार बनाने से संबंधित है। 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद संघ और राज्यों के बीच विधायी संबंधों से संबंधित है?
- अनुच्छेद 245-263
- अनुच्छेद 264-281
- अनुच्छेद 282-293
- अनुच्छेद 294-300
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI (अनुच्छेद 245-263) संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों से संबंधित है। इसमें से अनुच्छेद 245 से 255 विशेष रूप से विधायी संबंधों (Legislative Relations) पर केंद्रित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 246 संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए जाने वाले कानूनों के क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार को निर्धारित करता है। अनुच्छेद 249, 250, 251 संसद को कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 264-281 वित्तीय संबंधों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 282-293 भी कुछ वित्तीय प्रावधानों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 294-300 कुछ विधियों के समर्पण (succession to property, rights, liabilities and obligations) और निजी संपत्ति के अधिग्रहण से संबंधित हैं।
प्रश्न 25: भारत में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारत में न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, जिसके तहत न्यायालय विधायिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा की गई कार्रवाई की संवैधानिकता की समीक्षा कर सकते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (विधियों की असंगति), अनुच्छेद 32 (मौलिक अधिकारों के लिए उपचार) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालयों द्वारा रिट जारी करना) में निहित है। सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केशवानंद भारती मामले’ (1973) में न्यायिक पुनर्विलोकन के महत्व को रेखांकित किया था।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संसदीय सर्वोच्चता है, इसलिए न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति सीमित है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी कुछ प्रावधान लिए गए हैं, लेकिन न्यायिक पुनर्विलोकन की मुख्य प्रेरणा स्रोत अमेरिका है।