संविधान की कसौटी: आज अपनी राजव्यवस्था की समझ को परखें!
नमस्कार, भावी राष्ट्र निर्माताओं! भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के महासागर में आपकी अवधारणाओं की गहराई को परखने का समय आ गया है। आज की यह प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान की परीक्षा लेने और आपकी तैयारी को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है। आइए, मिलकर अपने लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूत नींव को समझें और आत्मविश्वास से आगे बढ़ें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की गारंटी देता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘राज्य के अधीन किसी भी नियोजन या नियुक्ति के मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी’। यह लोक नियोजन के संबंध में समानता की गारंटी देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 16(1) सभी नागरिकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है, जबकि अनुच्छेद 16(2) कहता है कि राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर विभेद नहीं करेगा। यह अनुच्छेद भारतीय लोकतंत्र में सामाजिक समानता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है, जो व्यापक है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है, जैसा कि अनुच्छेद 12 में परिभाषित किया गया है?
- भारत की संसद
- संसद के सदनों में से कोई एक सदन
- किसी राज्य का विधानमंडल
- एक निजी विश्वविद्यालय जो सरकार से कोई अनुदान प्राप्त नहीं करता है
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या विस्तृत है और इसमें वे सभी संस्थाएँ शामिल हो सकती हैं जो वैधानिक या अर्ध-वैधानिक शक्ति रखती हैं, या जो सार्वजनिक कार्य करती हैं, भले ही वे प्रत्यक्ष रूप से सरकारी न हों। हालांकि, एक पूरी तरह से निजी संस्था जो सरकार से किसी भी प्रकार का अनुदान या नियंत्रण प्राप्त नहीं करती है, वह सामान्यतः राज्य की परिभाषा में नहीं आती है। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में इसकी व्याख्या की है, जैसे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) बनाम एक सामान्य नागरिक मामले में।
- गलत विकल्प: भारत की संसद, संसद के सदन और राज्य विधानमंडल स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 12 में परिभाषित ‘राज्य’ का हिस्सा हैं।
प्रश्न 3: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ शब्द का क्या अर्थ है?
- केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- केवल राजनीतिक और धार्मिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक न्याय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना तीन प्रकार के न्याय का आश्वासन देती है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, रंग, लिंग, धर्म, जन्मस्थान आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन, संपत्ति और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का समान अवसर, जैसे कि वोट देना और चुनाव लड़ना। प्रस्तावना में धार्मिक स्वतंत्रता की बात तो है, लेकिन ‘न्याय’ के तीन स्तंभों में इसका सीधा उल्लेख नहीं है।
- गलत विकल्प: केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय अधूरा है। राजनीतिक और धार्मिक न्याय का मिश्रण भी प्रस्तावना के सीधे शब्दों से मेल नहीं खाता। धार्मिक न्याय का उल्लेख सीधे तौर पर ‘न्याय’ के प्रकार में नहीं है।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति, भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति करते हैं?
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 165
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76(1) के अनुसार, राष्ट्रपति भारत सरकार के लिए महान्यायवादी का पद सृजित करते हैं और उनकी नियुक्ति करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करते हैं जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने के योग्य हो। महान्यायवादी का कार्यकाल राष्ट्रपति की प्रसन्नता पर्यंत होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 165 राज्यों के लिए महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन संघवाद (Federalism) के बारे में सत्य नहीं है?
- यह शक्तियों के विभाजन पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्ति साझा की जाती है।
- संविधान लिखित और कठोर होता है।
- न्यायपालिका स्वतंत्र होती है और संविधान की व्याख्या कर सकती है।
- यह एकल सरकार के वर्चस्व पर बल देता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अवधारणा: संघवाद की मूल अवधारणा शक्तियों के विभाजन और साझाकरण पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में कार्य करती हैं। यह एकल सरकार के वर्चस्व के विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: एक संघीय प्रणाली में, संविधान लिखित और अक्सर कठोर होता है ताकि केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के संतुलन को बनाए रखा जा सके। स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान की सर्वोच्चता और केंद्र-राज्य संबंधों में विवादों के निपटारे के लिए आवश्यक है। एकल सरकार (एकात्मक प्रणाली) संघवाद के विपरीत है।
- गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (c) संघवाद की मुख्य विशेषताएं हैं। कथन (d) एकात्मक प्रणाली की विशेषता बताता है, न कि संघीय प्रणाली की।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन ‘मिनी संविधान’ के रूप में जाना जाता है?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 86वाँ संशोधन अधिनियम, 2002
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी संविधान’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसने संविधान में अभूतपूर्व परिवर्तन किए थे, जिसमें प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े गए, मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया, और संसद की शक्तियों में वृद्धि की गई।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और संविधान की प्रकृति पर गहरा प्रभाव डाला। यह आपातकाल के दौरान पारित किया गया था और इसने कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए, जिनमें से कुछ को बाद में 44वें संशोधन द्वारा संशोधित भी किया गया।
- गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन, 1978 ने 42वें संशोधन के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को रद्द किया। 73वाँ संशोधन पंचायती राज से और 86वाँ संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को अपने ही किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 144
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपनी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति (review) प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति न्यायिक समीक्षा (judicial review) का एक हिस्सा है, जो न्यायपालिका को अपनी गलतियों को सुधारने और कानून की व्याख्या को स्पष्ट करने में मदद करती है। हालांकि, यह शक्ति असीमित नहीं है और कुछ स्थापित न्यायिक मिसालों (precedents) के अनुसार प्रयोग की जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 144 सभी प्राधिकारियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करने का प्रावधान करता है।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान के तहत ‘संपत्ति का अधिकार’ वर्तमान में किस प्रकार का अधिकार है?
- एक मूल अधिकार
- एक कानूनी अधिकार
- एक प्राकृतिक अधिकार
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संशोधन: संपत्ति का अधिकार मूल रूप से मूल अधिकार (अनुच्छेद 31) था, लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मूल अधिकार सूची से हटा दिया गया और अनुच्छेद 300-A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (legal right) बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: अब यह अधिकार केवल संसद द्वारा कानून के आधार पर ही छीना जा सकता है, और इसके उल्लंघन पर नागरिक सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) नहीं जा सकते, बल्कि उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) या सामान्य अदालतों में जा सकते हैं। यह मूल अधिकारों को दिए गए विशेष संरक्षण को कम करता है।
- गलत विकल्प: यह अब मूल अधिकार नहीं है। प्राकृतिक अधिकार का उल्लेख संविधान में सीधे तौर पर नहीं है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के बारे में सही नहीं है?
- राष्ट्रपति किसी मृत्युदंड को कम कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति किसी ऐसे अपराध के लिए क्षमादान दे सकते हैं जो केवल संघ के कानून द्वारा दंडनीय हो।
- राष्ट्रपति किसी सैन्य न्यायालय द्वारा दी गई सज़ा को कम नहीं कर सकते।
- राष्ट्रपति किसी ऐसे अपराध के लिए क्षमादान दे सकते हैं जो राज्य के कानून द्वारा दंडनीय हो।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषसिद्धि पाए हुए किसी व्यक्ति के दंड या दंडादेश के प्रवर्तन को, चाहे वह किसी भी न्यायालय या प्राधिकरण द्वारा किया गया हो, क्षमा, लघुकरण, प्रविलंबन या परिहार की शक्ति प्रदान करता है। इसमें सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सज़ा भी शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति बहुत व्यापक है और इसमें किसी भी कानून के तहत दी गई सज़ा शामिल है, चाहे वह संघ सूची का विषय हो या राज्य सूची का, और चाहे वह सामान्य न्यायालय द्वारा हो या सैन्य न्यायालय द्वारा।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सज़ा को भी कम कर सकते हैं। विकल्प (a), (b), और (d) राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति के सही पहलू हैं।
प्रश्न 10: भारत के संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जर्मनी
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और प्रेरणा: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों (राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल) को जर्मनी के ‘वीमर गणराज्य’ के संविधान से लिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी का संविधान उस समय आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन के प्रावधानों के लिए जाना जाता था, जो भारत के अनुच्छेद 352, 356 और 360 में परिलक्षित होता है। यह प्रावधान उस समय की राजनीतिक अस्थिरता के कारण लिया गया था।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से न्यायिक समीक्षा, मूल अधिकार, उपराष्ट्रपति का पद लिया गया है। कनाडा से सशक्त केंद्र वाली संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास, आदि लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची, संयुक्त बैठक आदि लिए गए हैं।
प्रश्न 11: संसद के एक सत्र की दो बैठकों के बीच अधिकतम कितना अंतराल हो सकता है?
- तीन महीने
- चार महीने
- छह महीने
- एक वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85(1) के अनुसार, राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे स्थान और समय पर आहूत करेंगे जैसा वे उचित समझें। परन्तु, एक सदन की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच छह मास से अधिक का अंतराल नहीं होगा।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संसद के सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतराल हो सकता है। सामान्यतः, संसद के तीन सत्र होते हैं: बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र, जिनके बीच छह महीने से कम का अंतराल होता है।
- गलत विकल्प: तीन, चार या एक वर्ष का अंतराल छह महीने की अधिकतम सीमा से अधिक है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘संवैधानिक संस्था’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-कानूनी (statutory) संस्था है, जिसे 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक संस्थाएँ वे होती हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में होता है और उनके गठन, शक्तियाँ और कार्य संविधान में वर्णित होते हैं। भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी संविधान में वर्णित संवैधानिक संस्थाएँ हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित हैं और इसलिए संवैधानिक संस्थाएँ हैं। नीति आयोग का संविधान में कोई उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची दल-बदल (Defection) से संबंधित है?
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संशोधन: भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था, संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य विधायकों को राजनीतिक दल बदलने के कारण अयोग्य घोषित करना है, ताकि राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। इसमें दलबदल के आधार को परिभाषित किया गया है और इसके निर्धारण की प्रक्रिया बताई गई है, जो सदन के अध्यक्ष या सभापति के पास होती है।
- गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित कुछ अधिनियमों और आदेशों के बारे में है। ग्यारहवीं अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं से और बारहवीं अनुसूची नगरपालिकाओं से संबंधित है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 27 (किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए करों से मुक्ति), अनुच्छेद 28 (कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या पूजा में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण), और अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों का अधिकार) कुछ ऐसे मूल अधिकार हैं जो नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त हैं (कुछ अपवादों के साथ)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 भारतीय नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त हैं।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?
- केंद्र सरकार को
- राज्य सरकारों को
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समान रूप से
- किसी भी सरकार को नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 248 के अनुसार, संसद के पास अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ हैं, अर्थात् वे सभी विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान की संघीय व्यवस्था में, शक्तियों का विभाजन सातवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सूचियों के आधार पर किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ वे हैं जो इन सूचियों में शामिल नहीं हैं। कनाडाई मॉडल के प्रभाव में, भारत ने अवशिष्ट शक्तियों को संघ को सौंपा है।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास केवल वे शक्तियाँ हैं जो राज्य सूची में सूचीबद्ध हैं। केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का समान विभाजन अवशिष्ट शक्तियों के लिए नहीं है।
प्रश्न 16: लोकपाल (Ombudsman) की नियुक्ति और शक्तियाँ किस प्रकार के निकाय से संबंधित हैं?
- संवैधानिक निकाय
- वैधानिक निकाय
- कार्यकारी निकाय
- अर्ध-न्यायिक निकाय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अधिनियम: लोकपाल की नियुक्ति ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ के तहत होती है, जो इसे एक वैधानिक निकाय (statutory body) बनाता है।
- संदर्भ और विस्तार: लोकपाल भारत में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए एक अखिल भारतीय प्राधिकरण है, जिसमें उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति भी शामिल होते हैं। लोकायुक्त राज्य स्तर पर इसी तरह के कार्य करते हैं। संवैधानिक निकायों का उल्लेख सीधे संविधान में होता है, जबकि वैधानिक निकायों का गठन संसद द्वारा पारित अधिनियम के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: लोकपाल का संविधान में उल्लेख नहीं है, इसलिए यह संवैधानिक निकाय नहीं है। यह एक कार्यकारी आदेश से गठित नहीं हुआ है, इसलिए कार्यकारी निकाय नहीं है। हालांकि यह अर्ध-न्यायिक कार्य करता है, इसकी मूल प्रकृति वैधानिक है।
प्रश्न 17: ‘ग्राम सभा’ का क्या अर्थ है, जैसा कि पंचायती राज व्यवस्था में परिभाषित किया गया है?
- एक निश्चित क्षेत्र में रहने वाले सभी ग्राम प्रधानों की सभा
- एक निश्चित ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर पंजीकृत सभी मतदाताओं की सभा
- ग्राम पंचायत के सभी निर्वाचित सदस्यों की सभा
- सभी पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सभा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243(b) ‘ग्राम सभा’ को परिभाषित करता है। इसके अनुसार, ग्राम सभा का अर्थ एक निश्चित ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर निर्वाचन नामावली में पंजीकृत व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था की नींव है और यह एक ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पूरे गाँव की मतदाता सूची में पंजीकृत सभी मतदाताओं से मिलकर बनती है। यह सीधे तौर पर ग्राम पंचायत के कार्यों की निगरानी और अनुमोदन करती है।
- गलत विकल्प: यह केवल ग्राम प्रधानों, निर्वाचित सदस्यों या सभी पंचायती राज प्रतिनिधियों की सभा नहीं है, बल्कि क्षेत्र के सभी पंजीकृत मतदाताओं की सभा है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता?
- वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा के दौरान, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को निलंबित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान भारत के संविधान की एक अनूठी विशेषता है, जो यह सुनिश्चित करती है कि युद्ध या बाहरी आक्रमण की स्थिति में भी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित रहे। अनुच्छेद 19 को केवल बाहरी आक्रमण के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित किया जा सकता है, आंतरिक अशांति के आधार पर नहीं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अन्य मूल अधिकार (जैसे अनुच्छेद 23-24) विशेष परिस्थितियों में निलंबित किए जा सकते हैं।
प्रश्न 19: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को उनके पद से कौन हटा सकता है?
- राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद द्वारा महाभियोग के समान प्रक्रिया द्वारा
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148(1) CAG की नियुक्ति का प्रावधान करता है, और अनुच्छेद 148(1) में ही कहा गया है कि CAG को उसी प्रक्रिया से हटाया जाएगा जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4) में वर्णित है, जो संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित महाभियोग (impeachment) का प्रावधान है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है, और उनकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें केवल कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है, और वह भी एक कठोर प्रक्रिया के माध्यम से। राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अकेले उन्हें नहीं हटा सकते।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति CAG की नियुक्ति करते हैं, लेकिन हटा नहीं सकते। मुख्य न्यायाधीश का इस प्रक्रिया में कोई सीधा अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री की भूमिका भी इस प्रत्यक्ष प्रक्रिया में नहीं है।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का एक उदाहरण है?
- संसद के किसी भी सदस्य को किसी भी अदालत में कोई गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- संसद के सदस्य सत्र के दौरान गिरफ्तारी से छूट प्राप्त करते हैं।
- संसद के सदस्यों को सदन के अंदर कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकारों में वे विशेष अधिकार, छूट और उन्मुक्तियाँ शामिल हैं जिनका आनंद संसद के सदस्य (सांसद) और संसद स्वयं सामूहिक रूप से लेती हैं। ये विशेषाधिकार भारत के संविधान में (अनुच्छेद 105) और संसद के विभिन्न नियमों और प्रथाओं में निर्धारित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें सदन की कार्यवाही को प्रकाशित करने का अधिकार, सदन के अंदर और बाहर सदस्यों के विशेषाधिकार, सत्र के दौरान गिरफ्तारी से छूट (कुछ मामलों को छोड़कर) और सदन में कही गई किसी भी बात के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई से मुक्ति शामिल है। विकल्प (a), (b), और (c) सभी संसदीय विशेषाधिकारों के उदाहरण हैं।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन संसदीय विशेषाधिकारों के सही उदाहरण हैं।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘राज्यों के लिए निर्देशक सिद्धांत’ (Directive Principles of State Policy) का वर्णन है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और भाग संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्यों के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: निर्देशक सिद्धांत वे निर्देश हैं जो राज्य को कानून बनाते समय मार्गदर्शन करने के लिए दिए गए हैं। ये न्यायोचित नहीं हैं (non-justiciable), अर्थात न्यायालय द्वारा लागू नहीं किए जा सकते, लेकिन राष्ट्र के शासन में मौलिक माने जाते हैं। इनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
- गलत विकल्प: भाग III मूल अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की सरकार से संबंधित है। भाग VI राज्यों की सरकार से संबंधित है।
प्रश्न 22: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए कौन सा संविधान संशोधन किया गया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 86वाँ संशोधन अधिनियम, 2002
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संशोधन: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने अनुसूची XI भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्तरीय, त्रि-स्तरीय और द्वि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली को स्थापित करना और उन्हें स्वायत्त संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाना था। यह स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 64वें संशोधन का प्रयास सफल नहीं हुआ था। 86वाँ संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code) का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 43
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 46
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 राज्यों के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) में कहा गया है कि ‘राज्य भारत के सम्पूर्ण राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा’।
- संदर्भ और विस्तार: समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि जैसे व्यक्तिगत कानूनों को एक समान कानून के तहत लाया जाए। यह अनुच्छेद राज्य के लिए एक निर्देश है, न कि एक मूल अधिकार, और इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 43 उचित मजदूरी आदि से, अनुच्छेद 45 प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा से, और अनुच्छेद 46 अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों से संबंधित है।
प्रश्न 24: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. इसकी उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
2. इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
3. यह एक बार में अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है।
4. इसकी उद्घोषणा की समीक्षा न्यायपालिका द्वारा की जा सकती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सत्य हैं?
- 1, 2 और 3
- 1, 2 और 4
- 1, 3 और 4
- 2, 3 और 4
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के तहत लगाया जाता है। इसकी उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (कथन 1 सत्य)। इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है (कथन 2 सत्य)। यह पहली बार में 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है, लेकिन संसद के अनुमोदन से इसे अधिकतम 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, जहाँ प्रत्येक 6 महीने के विस्तार के लिए संसद का अनुमोदन आवश्यक होता है (कथन 3 आंशिक रूप से सत्य है, लेकिन ‘अधिकतम 6 महीने’ गलत है, क्योंकि प्रारंभिक अवधि 6 महीने है)। एस.आर. बोम्मई मामले (1994) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को न्यायिक समीक्षा के दायरे में लाया जा सकता है (कथन 4 सत्य)।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 की उद्घोषणा को दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से साधारण बहुमत से अनुमोदित होना चाहिए। यदि वह मूलतः 6 महीने से अधिक के लिए बढ़ाई जानी है, तो प्रत्येक 6 महीने के विस्तार के लिए पुनः अनुमोदन आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने उद्घोषणा के आधार की समीक्षा की शक्ति अपने पास रखी है।
- गलत विकल्प: कथन 3 पूर्णतः सत्य नहीं है क्योंकि प्रारंभिक अवधि 6 महीने है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। चूंकि 1, 2, और 4 सत्य हैं (और 3 के साथ कुछ समस्या है), विकल्प (b) सबसे सटीक है क्योंकि यह 1, 2, और 4 को सही मानता है। यदि प्रश्न ‘प्रारंभिक अवधि’ पूछता तो 3 सत्य होता। यहाँ ‘लगाया जा सकता है’ का अर्थ प्रारंभिक अवधि है, लेकिन ‘अधिकतम’ शब्द इसे जटिल बनाता है। ऐसे प्रश्नों में, जहाँ एक बिंदु थोड़ा अस्पष्ट हो, अन्य निश्चित रूप से सही बिंदुओं को चुनना होता है। (वैकल्पिक व्याख्या: यदि ‘लगाया जा सकता है’ का अर्थ ‘प्रारंभिक अवधि’ है, तो 3 सत्य है। लेकिन ‘अधिकतम’ शब्द का प्रयोग इसे 3 वर्ष तक ले जाता है। फिर भी, कई स्रोत प्रारंभिक 6 महीने को ही सत्य मानते हैं। लेकिन न्यायिक समीक्षा और संसद अनुमोदन निश्चित रूप से सही हैं।) सामान्यतः, इस प्रकार के प्रश्न में 1, 2, 4 को सत्य माना जाता है।
प्रश्न 25: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- राज्य विधानमंडलों के सदस्य
- भारत के राष्ट्रपति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य शामिल होते हैं। यह राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न है, जहाँ केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को बाहर रखा जाता है।
- गलत विकल्प: केवल निर्वाचित सदस्य (a) गलत है क्योंकि मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं। राज्य विधानमंडलों के सदस्य (c) और राष्ट्रपति (d) उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।