संविधान की कसौटी
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज के इस विशेष सत्र में, हम आपके संवैधानिक ढांचे की समझ को गहराई से जाँचेंगे। ये प्रश्न न केवल आपकी याददाश्त को चुनौती देंगे, बल्कि आपकी वैचारिक स्पष्टता को भी निखारेंगे। आइए, इस ज्ञान की यात्रा में आगे बढ़ें और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 24वाँ संशोधन अधिनियम, 1971
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह संशोधन मिनी-संविधान के रूप में जाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय गणराज्य के सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को मजबूत करना था। समाजवादी शब्द का अर्थ है राज्य ऐसी नीतियां अपनाएगा जिससे आय, अवसर और सामाजिक स्थिति की असमानता को कम किया जा सके।
- गलत विकल्प: 24वाँ संशोधन संसद की संविधान में संशोधन करने की शक्ति को पुनः स्थापित करता है; 44वाँ संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाता है; 52वाँ संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारत के राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 161
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72, भारतीय संविधान के तहत, राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, लघुकरण, प्रविलंबन या परिहार करने तथा दंडादेश के निलंबन या लघुकृत करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति उन सभी मामलों पर लागू होती है जहाँ दंड या दंडादेश किसी ऐसे विषय के विरुद्ध अपराध के लिए है जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के अंतर्गत आता है; या सभी मामलों में जहाँ दंड या दंडादेश कोर्ट मार्शल द्वारा दिया गया हो; या सभी मामलों में जहाँ दंड या दंडादेश मृत्युदण्ड के रूप में है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है; अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपने द्वारा दिए गए किसी भी निर्णय या आदेश का पुनरीक्षण करने की शक्ति देता है; अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘राज्यों के नीति निदेशक तत्व’ से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्यों के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन राज्य के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इन तत्वों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा। ये तत्व सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है; भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है; भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद, संघ की न्यायपालिका आदि से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 102
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 111
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 123, भारतीय संविधान के तहत, भारत के राष्ट्रपति को संसद के अवकाश काल के दौरान अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है, लेकिन यह अस्थायी होता है और संसद के पुनः अधिवेशन में आने पर छह सप्ताह के भीतर इसे दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, अन्यथा यह अप्रवर्तित हो जाएगा।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 102 संसद सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित है; अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में की गई डिक्री या आदेशों का प्रवर्तन; अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की अनुमति से संबंधित है।
प्रश्न 5: भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India) किस अनुच्छेद के तहत नियुक्त किया जाता है?
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 155
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76, भारतीय संविधान के अनुसार, भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है और वह संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है, परंतु मत नहीं दे सकता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से संबंधित है; अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति है; अनुच्छेद 155 राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका ‘शरीर को प्रस्तुत करने’ का आदेश देती है?
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘शरीर को प्रस्तुत करना’। यह याचिका किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए जारी की जाती है जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार मौलिक अधिकार के हनन के मामले में अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत उपलब्ध है। यह याचिका किसी व्यक्ति या सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा की गई अवैध हिरासत के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश देता है; उत्प्रेषण किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरण के निर्णय को रद्द करने का आदेश देता है; प्रतिषेध किसी अधीनस्थ न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकता है।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने संसद सदस्यों के लिए दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधान किए?
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1988
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985, जिसे दसवीं अनुसूची के रूप में जाना जाता है, ने संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधान पेश किए।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाना और विधायकों के दल बदलने की प्रवृत्ति को रोकना था। यह दसवीं अनुसूची में परिभाषित कुछ शर्तों के तहत सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है।
- गलत विकल्प: 61वाँ संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी; 73वाँ और 74वाँ संशोधन क्रमशः पंचायती राज संस्थाओं और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन भारत की संसद का अंग नहीं है?
- राष्ट्रपति
- लोक सभा
- राज्य सभा
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79 कहता है कि भारत के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति, राज्यों की परिषद (राज्यसभा) और लोक सभा (लोगों का सदन) शामिल होंगे।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है, भले ही वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य न हो। वह विधेयकों को कानून बनाने के लिए अपनी सहमति देता है। सर्वोच्च न्यायालय भारत की न्यायपालिका का शीर्ष निकाय है, न कि विधायिका का अंग।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा भारत की संसद के अंग हैं।
प्रश्न 9: भारत में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?
- राष्ट्रपति
- संघीय सरकार (केंद्र सरकार)
- राज्य सरकारें
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची की प्रविष्टि 97 के अनुसार, वे सभी विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं, अवशिष्ट शक्तियाँ कहलाती हैं और ये संघीय सरकार (केंद्र सरकार) को सौंपी गई हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारत के संघीय ढांचे में एक एकात्मक झुकाव को दर्शाता है, जहाँ अवशिष्ट विधायी शक्ति केंद्र के पास है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति को कोई अवशिष्ट विधायी शक्ति नहीं सौंपी गई है। राज्य सरकारों के पास केवल राज्य सूची के विषयों पर अवशिष्ट शक्तियाँ होती हैं, लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास हैं।
प्रश्न 10: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है?
- राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय
- केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय
- केवल राजनीतिक न्याय
- नैतिक और धार्मिक न्याय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘न्याय’ शब्द का उल्लेख सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में किया गया है, जो एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना का आश्वासन देता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो; आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय की असमानता को कम करना; और राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों।
- गलत विकल्प: केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय या केवल राजनीतिक न्याय कहना प्रस्तावना के पूर्ण अर्थ को संकुचित करता है। नैतिक और धार्मिक न्याय प्रस्तावना के प्रत्यक्ष उद्धरण का हिस्सा नहीं हैं।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- गृह मंत्रालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपाध्यक्ष, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या गृह मंत्रालय अकेले नियुक्ति नहीं करते; राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं, लेकिन एक समिति की सिफारिश पर।
प्रश्न 12: भारत में ‘संविधान दिवस’ किस तिथि को मनाया जाता है?
- 15 अगस्त
- 26 जनवरी
- 14 अप्रैल
- 26 नवंबर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में संविधान दिवस (National Law Day) 26 नवंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अपनाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: 2015 से, भारत सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है, ताकि भारतीय संविधान के महत्व को बढ़ावा दिया जा सके।
- गलत विकल्प: 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है; 26 जनवरी गणतंत्र दिवस है; 14 अप्रैल डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की जयंती है।
प्रश्न 13: किस अनुच्छेद के तहत राज्य विधानमंडल, एक विधि द्वारा, पंचायती राज संस्थाओं को स्थानीय स्वशासन की ‘संस्थाओं’ के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियां और प्राधिकार प्रदान कर सकता है?
- अनुच्छेद 243G
- अनुच्छेद 243H
- अनुच्छेद 243I
- अनुच्छेद 243K
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 243G के अनुसार, संसद या राज्य विधानमंडल, विधि द्वारा, पंचायतों को स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियां और प्राधिकार प्रदान कर सकता है, ताकि वे स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य कर सकें।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वे शक्तियाँ और प्राधिकार शामिल हो सकते हैं जो स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक हैं। यह 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 243H पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति से संबंधित है; अनुच्छेद 243I वित्त आयोग के गठन से संबंधित है; अनुच्छेद 243K पंचायतों के लिए चुनाव से संबंधित है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान के अनुसार, आपातकालीन घोषणा की उद्घोषणा का विस्तार कितनी अवधि तक हो सकता है, जब तक कि बाद में उसका नवीनीकरण न कर दिया जाए?
- एक महीना
- तीन महीने
- छह महीने
- एक वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा, संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित होने के बाद, छह महीने की अवधि के लिए प्रभावी रहती है। उसके बाद, इसे जारी रखने के लिए प्रत्येक छह महीने में संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 से पहले, यह अवधि एक महीने थी और अनुमोदन के लिए साधारण बहुमत पर्याप्त था।
- गलत विकल्प: छह महीने वह प्रारंभिक अवधि है जिसके लिए उद्घोषणा को संसदीय अनुमोदन के बाद प्रभावी किया जा सकता है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के अंतर्गत आती है, न कि मौलिक अधिकारों के?
- कानून के समक्ष समानता
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
- सार्वजनिक उपद्रव या अशांति को रोकने के लिए निवारक निरोध
- राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 49, जो DPSP का हिस्सा है, राज्य को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं के संरक्षण का निर्देश देता है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार (जैसे अनुच्छेद 14, 21, 22) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देते हैं, जबकि DPSP समाज के सामूहिक कल्याण और राज्य के लिए निर्देश हैं। निवारक निरोध (अनुच्छेद 22) एक मौलिक अधिकार है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकार हैं। विकल्प (c) निवारक निरोध से संबंधित है, जो अनुच्छेद 22 के तहत एक मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
प्रश्न 16: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन भारत का ‘राज्य’ (State) बनाने के लिए जिम्मेदार है?
- केवल संसद
- केवल विधानमंडल
- संसद या राज्य विधानमंडल
- राष्ट्रपति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 169 के अनुसार, संसद, विधि द्वारा, किसी राज्य विधान परिषद का सृजन या उत्सादन कर सकती है, यदि उस राज्य के विधानमंडल का, यथास्थिति, विधान परिषद बनाने या समाप्त करने के लिए आशय रखने वाला संकल्प, उस विधानमंडल के उस सत्र में, जिसमें वह उपस्थित है और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि राज्य विधानमंडल को विधान परिषद बनाने या समाप्त करने का प्रस्ताव पारित करना होगा, लेकिन अंतिम शक्ति संसद के पास है।
- गलत विकल्प: विधानमंडल के पास पूर्ण शक्ति नहीं है, और न ही केवल संसद (क्योंकि उसे राज्य विधानमंडल के प्रस्ताव की आवश्यकता होती है)। राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त नहीं है।
प्रश्न 17: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को पद से किसके द्वारा हटाया जा सकता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
- संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के तहत नियुक्त भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को केवल साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के बाद ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान है।
- संदर्भ और विस्तार: यह CAG को स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अकेले CAG को नहीं हटा सकते, उन्हें संसद की प्रक्रिया का पालन करना होता है। प्रधानमंत्री या सर्वोच्च न्यायालय सीधे तौर पर CAG को नहीं हटा सकते।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘संघ और राज्यों के बीच संबंध’ से संबंधित है?
- भाग XI
- भाग XII
- भाग XIII
- भाग XIV
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI (ग्यारह) संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों की व्याख्या करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें अध्याय I (विधायी संबंध, अनुच्छेद 245-255) और अध्याय II (प्रशासनिक संबंध, अनुच्छेद 256-263) शामिल हैं, और वित्तीय संबंध भाग XII में हैं, लेकिन विधायी और प्रशासनिक संबंध भाग XI में हैं।
- गलत विकल्प: भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद से संबंधित है; भाग XIII भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से संबंधित है; भाग XIV सेवाओं से संबंधित है।
प्रश्न 19: केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) का गठन किस अधिनियम के तहत किया गया है?
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) का गठन सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005) की धारा 12 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी सूचना तक पहुँच का अधिकार देता है और आयोग इस प्रक्रिया को लागू करने और शिकायतों का निवारण करने के लिए जिम्मेदार है।
- गलत विकल्प: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम NHRC से संबंधित है; सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम ई-गवर्नेंस और डिजिटल हस्ताक्षर से संबंधित है; लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम भ्रष्टाचार विरोधी लोकपालों की स्थापना से संबंधित है।
प्रश्न 20: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के तहत, राज्य का प्रशासन कौन चलाता है?
- राज्यपाल
- राष्ट्रपति
- राज्य विधानमंडल
- राज्य का मुख्यमंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो वह उद्घोषणा द्वारा उस राज्य का शासन अपने हाथ में ले सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित हो जाती हैं, और वह उन्हें राज्यपाल या किसी अन्य अधिकारी के माध्यम से प्रयोग कर सकता है। राज्य विधानमंडल के कार्यों को राष्ट्रपति या संसद द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: राज्यपाल केवल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं; राज्य विधानमंडल निलंबित हो सकता है; मुख्यमंत्री पद समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान की कौन सी विशेषता ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) के सिद्धांत पर आधारित है?
- एकल नागरिकता
- संसदीय संप्रभुता
- संविधान की सर्वोच्चता
- केंद्र सरकार की प्रधानता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय विधियों और कार्यपालिका आदेशों की संवैधानिकता की समीक्षा कर सकते हैं और उन्हें असंवैधानिक घोषित कर सकते हैं। यह ‘संविधान की सर्वोच्चता’ के सिद्धांत पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 13 (जो मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों को शून्य घोषित करता है), अनुच्छेद 32, 136, 142(1), 143(1), 144, 226, 227, 245, 246, 254, 372 आदि में निहित है। केशवानंद भारती मामले (1973) ने संविधान की सर्वोच्चता को और मजबूत किया।
- गलत विकल्प: एकल नागरिकता एकात्मक विशेषता है; संसदीय संप्रभुता (हालांकि भारतीय संदर्भ में सीमित) का अर्थ है संसद की सर्वोच्चता, जो संविधान की सर्वोच्चता से भिन्न है; केंद्र सरकार की प्रधानता एक एकात्मक झुकाव है, न कि न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार।
प्रश्न 22: पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243 पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में परिभाषित करता है।
- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
कौन सा कथन सही है?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन 1 सही है क्योंकि अनुच्छेद 243(d) के अनुसार, ‘पंचायत’ का अर्थ ‘स्व-शासन की एक संस्था (चाहे वह ग्राम सभा हो या पंचायत)’ है। कथन 2 भी सही है, क्योंकि 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O शामिल हैं, जो पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्तियाँ, प्राधिकार और एक निश्चित ढाँचा प्रदान किया।
- गलत विकल्प: दोनों कथन सही हैं।
प्रश्न 23: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया (अनुच्छेद 61) संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जो सदन के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित आरोप की सूचना के साथ शुरू होती है, जिसे फिर उस सदन के सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में एक संसदीय प्रणाली है; कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की अपनी अनूठी संवैधानिक प्रणालियाँ हैं, और महाभियोग प्रक्रिया के लिए प्रेरणा मुख्य रूप से अमेरिकी मॉडल से ली गई है।
प्रश्न 24: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) एक कार्यकारी निकाय है जिसका गठन 1952 में किया गया था। इसके पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC, पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन के लिए शीर्ष निकाय है और राज्यों के साथ केंद्र सरकार के सहयोग को बढ़ावा देती है। इसमें सभी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख है, सरकार का नहीं। वित्त मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
प्रश्न 25: ‘निरंकुश शक्ति भ्रष्ट होती है, और पूर्ण शक्ति पूर्ण रूप से भ्रष्ट होती है’ – यह कथन भारतीय राजव्यवस्था में किस अवधारणा को समझने के लिए महत्वपूर्ण है?
- विधायिका की सर्वोच्चता
- कार्यपालिका की जवाबदेही
- शक्तियों का पृथक्करण
- नियंत्रण और संतुलन (Checks and Balances)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: यह कथन ‘नियंत्रण और संतुलन’ (Checks and Balances) की अवधारणा को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है। यह वह प्रणाली है जो सरकार के प्रत्येक अंग (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को दूसरों की शक्तियों को सीमित करने और निरंकुशता को रोकने के लिए कुछ अधिकार प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, शक्तियों का पृथक्करण (Separation of Powers) पूर्ण नहीं है, लेकिन नियंत्रण और संतुलन की एक मजबूत व्यवस्था है, जहाँ एक अंग दूसरे की शक्तियों को जाँचता है। जैसे, विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन्हें लागू करती है, और न्यायपालिका कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा करती है।
- गलत विकल्प: विधायिका की सर्वोच्चता (जैसे यूके में) भारत में लागू नहीं होती। कार्यपालिका की जवाबदेही (जो महत्वपूर्ण है) नियंत्रण और संतुलन का एक परिणाम है, लेकिन यह स्वयं वह अवधारणा नहीं है जिसे कथन सीधे संबोधित करता है। शक्तियों का पृथक्करण (जैसे अमेरिकी मॉडल में) भी भारत में पूर्ण नहीं है।