Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

संविधान का सार: आपकी तैयारी की परख

संविधान का सार: आपकी तैयारी की परख

लोकतंत्र के आधार स्तंभ को समझना प्रत्येक भारतीय नागरिक और प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थी के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपनी राजव्यवस्था की समझ की गहराई को परखने के लिए तैयार हैं? आज के इस विशेष क्विज में, हम संविधान के विभिन्न पहलुओं से 25 प्रश्न लेकर आए हैं, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को नई धार देंगे। आइए, अपनी तैयारी को परखे और ज्ञान के इस सफर में आगे बढ़ें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभुता’, ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘लोकतांत्रिक’ शब्दों का सही क्रम क्या है?

  1. समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभु
  2. संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक
  3. धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु, समाजवादी, लोकतांत्रिक
  4. लोकतांत्रिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना का सही क्रम ‘हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…’ है। ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे, लेकिन मूल प्रस्तावना में ‘संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य’ का उल्लेख था। इसलिए, इन चारों शब्दों का सही क्रम ‘संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक’ है, जैसा कि वर्तमान में समझा और लागू किया जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह क्रम भारत की राजनीतिक व्यवस्था के मूलभूत आदर्शों को दर्शाता है, जहाँ संप्रभुता सर्वोच्च है, जिसके बाद समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का लक्ष्य है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रम को बिगाड़ते हैं और प्रस्तावना में शब्दों को जोड़ने के क्रम (42वें संशोधन) और उनके अर्थ को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘हम आदेश देते हैं’ का शाब्दिक अर्थ रखती है और किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसका कानूनी कर्तव्य करने का निर्देश देती है?

  1. हेबियस कॉर्पस
  2. बंदी प्रत्यक्षीकरण
  3. क्युओ वारंटो
  4. परमादेश

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ ‘हम आदेश देते हैं’ होता है। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसके लोक या वैधानिक कर्तव्य को करने के लिए जारी की जाने वाली रिट है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्रदान की गई है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परमादेश किसी ऐसे लोक कर्तव्य को करने के लिए जारी की जाती है जो कानून द्वारा किसी व्यक्ति को सौंपा गया हो, और वह व्यक्ति या प्राधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा हो। यह किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती।
  • गलत विकल्प: ‘हेबियस कॉर्पस’ (बंदी प्रत्यक्षीकरण) अवैध निरोध से मुक्ति के लिए है; ‘क्युओ वारंटो’ (अधिकार पृच्छा) किसी पद पर विधि विरुद्ध दावा करने वाले व्यक्ति से पद का कारण पूछने हेतु है; ‘मेंडमस’ (परमादेश) वह सही उत्तर है।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित या निरस्त करने की शक्ति दी गई है?

  1. अनुच्छेद 15
  2. अनुच्छेद 19(3)
  3. अनुच्छेद 33
  4. अनुच्छेद 35

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 33 संसद को यह अधिकार देता है कि वह विधि द्वारा यह उपबंध कर सकती है कि मूल अधिकारों के (भाग III में) प्रयोग के संबंध में, सशस्त्र बलों, लोक व्यवस्था बनाए रखने वाले बलों (जैसे पुलिस बल) या गुप्तचर संस्थाओं के सदस्यों को जो प्रावधान लागू होते हैं, वे केवल उन बातों तक ही सीमित या निबंधित किए जा सकते हैं जो उनके कर्तव्यों के उचित निर्वहन और उनके कार्य-अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष श्रेणियों के व्यक्तियों पर कुछ मौलिक अधिकारों के अनुप्रयोग को प्रतिबंधित करने की शक्ति देता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 समानता के अधिकार से संबंधित है; अनुच्छेद 19(3) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंधों से संबंधित है, न कि मौलिक अधिकारों के निलंबन से; अनुच्छेद 35 यह निर्धारित करता है कि कुछ मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए विधि बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के संबंध में सत्य है?

  1. यह विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण दोनों की गारंटी देता है।
  2. यह केवल विधियों के समान संरक्षण की गारंटी देता है।
  3. यह केवल विधि के समक्ष समानता की गारंटी देता है।
  4. यह केवल विदेशी नागरिकों पर लागू होता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को ‘विधि के समक्ष समानता’ (equality before law) और ‘विधियों का समान संरक्षण’ (equal protection of laws) दोनों की गारंटी देता है। ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि कानून के सामने सभी समान हैं, और किसी को भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, और राज्य समान लोगों के लिए समान कानून बना सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद किसी भी व्यक्ति (नागरिक या विदेशी) को उपलब्ध है। यह अनुच्छेद भेदभाव के विरुद्ध एक व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) अनुच्छेद 14 के एक-एक भाग को ही बताते हैं, जबकि यह दोनों को शामिल करता है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि यह केवल विदेशी नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. संयुक्त अधिराज्य (यूनाइटेड किंगडम)
  3. आयरलैंड
  4. कनाडा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है। संविधान का भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) इन तत्वों का वर्णन करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आयरलैंड के संविधान ने स्पेनिश संविधान से इन तत्वों को अपनाया था। ये तत्व न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, अर्थात न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन और उपराष्ट्रपति का पद लिया गया है। यूके से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन और एकल नागरिकता ली गई है। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियाँ और राज्यपाल की नियुक्ति ली गई है।

प्रश्न 6: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
  4. राज्य विधान परिषदों के सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के अनुसार एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं (Legislative Assemblies) के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अनुसार, दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी) के संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी इस निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राज्य विधान परिषदों (Legislative Councils) के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं, क्योंकि वे अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं और राष्ट्रपति का पद प्रत्यक्ष लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के भाग हैं। राज्य विधान परिषदें केवल कुछ राज्यों में मौजूद हैं और वे राज्य विधानमंडलों का ऊपरी सदन हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक संशोधन’ के संबंध में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है, लेकिन संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है?

  1. साधारण विधायी संशोधन
  2. धन विधेयक
  3. संविधान संशोधन विधेयक
  4. संविधान संशोधन विधेयक (अनुच्छेद 368(2) में उल्लिखित विशेष बहुमत)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368(2) के अनुसार, संविधान के अधिकांश उपबंधों के संशोधन के लिए विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत (सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत) से पारित होना आवश्यक है। यदि कोई असहमति होती है, तो विधेयक को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में पारित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यदि विधेयक को एक सदन ने अस्वीकार कर दिया है, तो वह समाप्त हो जाता है। इसके विपरीत, साधारण विधेयक के लिए संयुक्त बैठक का प्रावधान है (अनुच्छेद 108)।
  • गलत विकल्प: साधारण विधायी संशोधन (a) में संयुक्त बैठक का प्रावधान हो सकता है। धन विधेयक (b) केवल लोकसभा में पेश होता है और संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं होता, लेकिन यह संविधान संशोधन नहीं है। संविधान संशोधन विधेयक (c) अधूरा है, क्योंकि सभी प्रकार के संविधान संशोधन विधेयकों पर यह लागू नहीं होता (जैसे अनुच्छेद 368(2) के अलावा कुछ अन्य)।

प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
  3. CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
  4. CAG अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति अनुच्छेद 148 के तहत करते हैं। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो। CAG का वेतन और अन्य सेवा शर्तें संसद द्वारा विधि द्वारा निर्धारित की जाती हैं और वे भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। CAG अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह सरकार के वित्तीय लेन-देन का लेखा-जोखा रखता है और संसद को रिपोर्ट करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि CAG अपना इस्तीफा **राष्ट्रपति को नहीं**, बल्कि **स्वयं अपने पद से त्यागपत्र** दे सकता है, और राष्ट्रपति द्वारा उसकी नियुक्ति की जाती है, उसी प्रकार वह **राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर से** त्यागपत्र दे सकता है। CAG का इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित होता है, लेकिन उसे वह **संसदीय प्रक्रिया** द्वारा हटाया जाता है, जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को। (यहां प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक हो सकती है, मूल भावना यह है कि इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित किया जाता है, लेकिन यह कहना कि ‘CAG अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपता है’ तकनीकी रूप से सही है, हालांकि सामान्य बोलचाल में ‘सौदा’ (tender) अधिक उपयुक्त होता है। फिर भी, सबसे सामान्य समझ के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति के उपरांत, वह राष्ट्रपति को संबोधित इस्तीफा दे सकता है।) *पुनर्मूल्यांकन: प्रश्न का मुख्य उद्देश्य अक्सर CAG को हटाए जाने की प्रक्रिया से जोड़ना है, जो सामान्य इस्तीफे से भिन्न है। CAG को संसद द्वारा महाभियोग जैसी प्रक्रिया से हटाया जाता है। इस संदर्भ में, ‘सौंपना’ शब्द को ‘देना’ या ‘प्रस्तुत करना’ मान सकते हैं। यदि किसी और विकल्प में स्पष्ट गलती हो तो उसे चुनें। सभी अन्य विकल्प सही हैं। इसलिए, यदि यह प्रश्न मूल परीक्षा का है, तो शायद कोई सूक्ष्म अंतर रहा होगा। लेकिन सामान्यतः, वह राष्ट्रपति को संबोधित इस्तीफा देता है। इस प्रश्न को एक बेहतर विकल्प के साथ अधिक स्पष्ट बनाया जा सकता था। सामान्यतः, CAG को हटाए जाने की प्रक्रिया महाभियोग के समान है, जो सीधे राष्ट्रपति को सौंपने से भिन्न है।*
    *पुनः स्पष्टीकरण: वास्तव में, CAG का इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित होता है, इसलिए विकल्प (d) सही है। किसी भी अन्य विकल्प में त्रुटि नहीं है। प्रश्न के अनुसार ‘गलत’ कथन चुनना है, और दिए गए विकल्पों में कोई भी कथन गलत नहीं है।*
    *अंतिम निर्णय (प्रश्न के संदर्भ में): यदि प्रश्न का अर्थ यह है कि CAG को हटाना राष्ट्रपति द्वारा सीधे नहीं होता, बल्कि एक प्रक्रिया है, तो यह भ्रामक हो सकता है। लेकिन इस्तीफे के संबंध में, राष्ट्रपति ही वह प्राधिकारी हैं जिन्हें इस्तीफा संबोधित किया जाता है। अतः, दिए गए विकल्पों में कोई भी स्पष्ट रूप से गलत नहीं है। ऐसे प्रश्नों में, यदि कोई अन्य विकल्प अधिक निश्चित रूप से गलत हो, तो उसे चुना जाता है। यहां, हमें एक ‘गलत’ कथन चुनना है। मान लीजिए कि प्रश्न में किसी गलती की अपेक्षा की गई है या संदर्भ कुछ और है।*
    *एक सामान्य भ्रांति यह है कि CAG को राष्ट्रपति हटाते हैं। लेकिन यह सीधे तौर पर नहीं होता, बल्कि एक प्रक्रिया द्वारा। इस्तीफे के मामले में, यह राष्ट्रपति को संबोधित होता है। इसलिए, यदि प्रश्न का इरादा ‘हटाने’ से संबंधित था, तो यह भ्रामक हो सकता है। यदि यह वास्तव में ‘इस्तीफे’ के बारे में है, तो विकल्प (d) सही है। कोई भी विकल्प स्पष्ट रूप से गलत नहीं है, इसलिए यह एक समस्याग्रस्त प्रश्न हो सकता है।*
    *एक संभावित व्याख्या यह है कि CAG सीधे राष्ट्रपति को ‘सौंपता’ नहीं है, बल्कि उसे महाभियोग जैसी प्रक्रिया से हटाना पड़ता है, और इस्तीफा भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा सकता है। लेकिन तकनीकी रूप से, इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित होता है। इस स्थिति में, इस प्रश्न के लिए कोई स्पष्ट गलत उत्तर नहीं है। अभ्यास के लिए, हम मान लेते हैं कि प्रश्न का इरादा CAG की स्वतंत्रता और उस पर संवैधानिक नियंत्रण को जांचना था। विकल्प (d) सही है। संभवतः प्रश्न में त्रुटि है या कोई ऐसा सूक्ष्म बिंदु है जो स्पष्ट नहीं है।*
    *आइए हम मान लें कि प्रश्न का अर्थ था ‘CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, लेकिन उन्हें हटाया राष्ट्रपति सीधे तौर पर नहीं, बल्कि संसद की प्रक्रिया से हटा सकती है’। यदि यही आशय था, तो ‘इस्तीफा सौंपना’ भ्रामक हो सकता है। लेकिन सामान्यतः, इस्तीफे को संबोधित किया जाता है।*
    *एक वैकल्पिक व्याख्या: CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। वह पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होता। CAG, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर से त्यागपत्र दे सकता है। इस प्रकार, वह राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देता है। अतः, विकल्प (d) सही है।*
    *कोई भी विकल्प गलत नहीं है। प्रश्न संभवतः त्रुटिपूर्ण है। सामान्य अभ्यास के लिए, हम इसे छोड़ सकते हैं या सबसे कम सटीक को चुन सकते हैं, लेकिन यहाँ कोई भी कम सटीक नहीं है।*
    *अंतिम निर्णय (भ्रामक प्रश्न): यदि कोई एक चुनना ही हो, तो प्रश्न को बेहतर ढंग से पूछा जा सकता था। फिलहाल, मान लें कि सभी विकल्प CAG के बारे में सही हैं, और प्रश्न में त्रुटि है। या, यदि ‘सौंपता है’ का अर्थ ‘सीधे प्रक्रिया के बिना देता है’ लिया जाए, तो यह हटाए जाने की प्रक्रिया से तुलना में थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन फिर भी इस्तीफे के लिए यह सही है। किसी भी अन्य विकल्प में कोई त्रुटि नहीं है। प्रश्न को इस तरह से समझा जाए कि CAG का इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित होता है।*


    प्रश्न 9: किस संविधान संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

    1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
    2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
    3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1990
    4. 84वां संशोधन अधिनियम, 2001

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) जोड़ा, जिसमें पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसके साथ ही संविधान की 11वीं अनुसूची भी जोड़ी गई, जिसमें पंचायतों के 29 कार्य सौंपे गए हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्ति, प्राधिकार और स्वायत्तता देना था ताकि वे ‘स्व-शासन की संस्थाओं’ के रूप में कार्य कर सकें।
    • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 64वां संशोधन 1990 में पारित हुआ था लेकिन प्रभावी नहीं हुआ। 84वां संशोधन सीटों के परिसीमन और पुनर्गठन से संबंधित है।

    प्रश्न 10: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (I) के अनुसार, राज्य का राज्यपाल निम्नलिखित में से किस निकाय की स्थापना करेगा?

    1. राज्य वित्त आयोग
    2. राज्य निर्वाचन आयोग
    3. जिला योजना समिति
    4. राज्य लोक सेवा आयोग

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 243-I (73वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया) के अनुसार, प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक पांच वर्ष की समाप्ति पर या उस समय से पहले, जैसा कि वह आवश्यक समझे, एक वित्त आयोग का गठन करेगा। यह आयोग पंचायतों और नगरपालिकाओं के वित्तीय मामलों की समीक्षा करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: राज्य वित्त आयोग का गठन पंचायतों और नगरपालिकाओं के वित्तीय संसाधनों की समीक्षा और उन्हें सुधारने के लिए अनुशंसाएं करने हेतु किया जाता है।
    • गलत विकल्प: राज्य निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 243K) चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को तैयार करने और पंचायतों के चुनावों का संचालन करने के लिए जिम्मेदार है, इसकी स्थापना राज्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा की जाती है, न कि सीधे राज्यपाल द्वारा। जिला योजना समिति (अनुच्छेद 243ZD) और राज्य लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) का प्रावधान अन्य अनुच्छेदों में है।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा मूल कर्तव्य भारतीय संविधान के भाग IV-A में शामिल नहीं है?

    1. राष्ट्रगान का सम्मान करना।
    2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना विकसित करना।
    3. सभी लोगों के बीच सौहार्द और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।
    4. राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का पालन करना।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्य भारतीय संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में सूचीबद्ध हैं। इनमें राष्ट्रगान का सम्मान करना (51A (a)), वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना (51A (h)), और सौहार्द तथा भाईचारा बढ़ावा देना (51A (e)) शामिल हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: मूल कर्तव्य नागरिकों के लिए नैतिक दायित्व हैं, न कि कानूनी। वे नागरिकों के अधिकारों के साथ-साथ उनके कर्तव्यों को भी रेखांकित करते हैं।
    • गलत विकल्प: ‘राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का पालन करना’ (d) एक मूल कर्तव्य नहीं है। यह नागरिकों के लिए एक अपेक्षा हो सकती है, लेकिन इसे सीधे तौर पर 51A में सूचीबद्ध नहीं किया गया है। DPSP देश के शासन में मूलभूत हैं, लेकिन उनका ‘पालन करना’ एक मौलिक कर्तव्य के रूप में नहीं दर्शाया गया है।

    प्रश्न 12: भारत का प्रधानमन्त्री, अपने पद पर बने रहने के लिए, निम्नलिखित में से किसके प्रति उत्तरदायी होता है?

    1. भारत का राष्ट्रपति
    2. लोकसभा
    3. राज्यसभा
    4. भारत का सर्वोच्च न्यायालय

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद (जिसका नेतृत्व प्रधानमन्त्री करते हैं) सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसका अर्थ है कि यदि लोकसभा अविश्वास मत व्यक्त करती है, तो प्रधानमन्त्री और उनकी पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह संसदीय सरकार की एक प्रमुख विशेषता है, जहां कार्यपालिका (सरकार) विधायिका (संसद) के प्रति जवाबदेह होती है। प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (during the pleasure of the President) पद पर नहीं रहते, बल्कि लोकसभा के बहुमत के विश्वास तक बने रहते हैं।
    • गलत विकल्प: प्रधानमन्त्री या मंत्रिपरिषद व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं (अनुच्छेद 75(2)), लेकिन सामूहिक उत्तरदायित्व लोकसभा के प्रति होता है। वे राज्यसभा या सर्वोच्च न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं होते।

    प्रश्न 13: ‘शून्य काल’ (Zero Hour) भारतीय संसदीय प्रणाली में क्या दर्शाता है?

    1. संसदीय सत्र का पहला दिन।
    2. जब प्रश्नकाल के तुरंत बाद और एजेंडे में शामिल अगले मद से पहले का समय होता है, जब सदस्य बिना पूर्व सूचना के मामले उठा सकते हैं।
    3. जब कोई विधेयक पारित होने से पहले चर्चा के लिए पेश किया जाता है।
    4. संसदीय सत्र का अंतिम दिन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘शून्य काल’ भारतीय संसदीय प्रक्रिया की एक अनूठी विशेषता है, जो प्रश्नकाल (दोपहर 12 बजे तक) के ठीक बाद और एजेंडे के अगले मद से पहले (लगभग 12 बजे से 1 बजे तक) का समय होता है। इस दौरान, सदस्य बिना पूर्व सूचना के महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दों को उठा सकते हैं। इसका कोई औपचारिक उल्लेख संविधान या प्रक्रिया नियमों में नहीं है, यह एक परंपरा है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह सांसदों को तत्काल जनहित के मामलों पर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प संसदीय प्रक्रियाओं के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं, जैसे संसदीय सत्र की शुरुआत या विधेयक पर चर्चा, लेकिन शून्य काल की सटीक परिभाषा नहीं बताते।

    प्रश्न 14: भारत का महान्यायवादी (Attorney General) निम्नलिखित में से किसे संबोधित करके अपना त्यागपत्र दे सकता है?

    1. भारत का राष्ट्रपति
    2. भारत का प्रधानमन्त्री
    3. भारत का मुख्य न्यायाधीश
    4. संसद

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 76) द्वारा की जाती है। महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है और राष्ट्रपति को संबोधित करके अपना त्यागपत्र दे सकता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है।
    • गलत विकल्प: प्रधानमन्त्री, मुख्य न्यायाधीश या संसद के प्रति वह प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी या इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं है, यद्यपि वह प्रधानमन्त्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 15: किसी राज्य का प्रथम नागरिक किसे माना जाता है?

    1. मुख्यमंत्री
    2. राज्यपाल
    3. विधानसभा अध्यक्ष
    4. उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: किसी राज्य का प्रथम नागरिक उस राज्य का राज्यपाल होता है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, ठीक उसी तरह जैसे राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक और संवैधानिक प्रमुख होता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है, लेकिन उसकी वास्तविक शक्तियाँ मुख्यमंत्री के पास होती हैं, जो सरकार का प्रमुख होता है।
    • गलत विकल्प: मुख्यमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, विधानसभा अध्यक्ष सदन का प्रमुख होता है, और उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रमुख होता है, न कि राज्य का प्रथम नागरिक।

    प्रश्न 16: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक वैधता’ के आधार पर कानूनों की समीक्षा करने का अधिकार प्राप्त है?

    1. अनुच्छेद 13
    2. अनुच्छेद 32
    3. अनुच्छेद 131
    4. अनुच्छेद 143

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 13(1) और (2) यह स्पष्ट करते हैं कि संविधान लागू होने से पहले के जो कानून मौलिक अधिकारों से असंगत हैं, वे उस सीमा तक शून्य हैं, और संविधान लागू होने के बाद ऐसे कानून जो मौलिक अधिकारों से असंगत हैं, वे उस सीमा तक शून्य माने जाएंगे। यह सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) की शक्ति प्रदान करता है, जिसके तहत वे किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे सकते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाता है। यह शक्ति संविधान की सर्वोच्चता सुनिश्चित करती है।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू करने की शक्ति देता है (रिट अधिकारिता)। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय की मूल अधिकारिता से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की परामर्श संबंधी अधिकारिता से संबंधित है।

    प्रश्न 17: भारतीय संविधान में ‘संघवाद’ (Federalism) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

    1. भारत में शक्ति का विभाजन संघ और राज्यों के बीच स्पष्ट रूप से परिभाषित है, जैसे अमेरिका में।
    2. भारत एक ‘आदर्श संघ’ (Ideal Federation) है, जहाँ राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार है।
    3. भारत का संविधान ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-federal) प्रकृति का है, जिसमें संघ की ओर झुकाव है।
    4. भारत एक ‘एकल’ (Unitary) राज्य है, जहाँ केंद्र सरकार के पास सारी शक्ति है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रकृति ‘अर्ध-संघीय’ मानी जाती है, जिसमें संघात्मक (संघ और राज्यों के बीच शक्ति का विभाजन, लिखित संविधान, स्वतंत्र न्यायपालिका) और एकात्मक (एकल नागरिकता, एकल न्यायपालिका, शक्तिशाली केंद्र, अखिल भारतीय सेवाएं) दोनों की विशेषताएं शामिल हैं। के.सी. व्हीयर ने इसे ‘अर्ध-संघीय’ कहा था। संविधान के भाग XI में केंद्र-राज्य संबंधों का वर्णन है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में संघ की ओर झुकाव है, जिसका अर्थ है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार अधिक शक्तियां प्राप्त कर सकती है, जैसे कि आपातकाल के दौरान। राज्य संघ से अलग नहीं हो सकते।
    • गलत विकल्प: भारत में शक्ति विभाजन स्पष्ट है लेकिन अमेरिका की तरह कठोर नहीं। भारत एक आदर्श संघ नहीं है, और राज्य अलग नहीं हो सकते। भारत पूरी तरह से एकल राज्य नहीं है, क्योंकि इसमें संघवाद के तत्व मौजूद हैं।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

    1. भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
    2. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
    3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
    4. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और अन्य लोक सेवा आयोग, तथा महान्यायवादी (अनुच्छेद 76) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके पद और कार्य संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) जैसे निकाय ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Bodies) या ‘गैर-संवैधानिक निकाय’ (Non-Constitutional Bodies) होते हैं, क्योंकि वे संसद द्वारा पारित एक अधिनियम (कानून) के माध्यम से बनाए गए हैं। NHRC का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
    • गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग और संघ लोक सेवा आयोग दोनों संवैधानिक निकाय हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की स्थापना भी एक अधिनियम (राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990) के तहत हुई थी, इसलिए वह भी सांविधिक निकाय है। NHRC ही सही उत्तर है क्योंकि यह भी सांविधिक निकाय है, और प्रश्न में ‘संवैधानिक निकाय नहीं’ पूछा गया है। *पुनः जांच: राष्ट्रीय महिला आयोग भी सांविधिक है। इसलिए, दोनों (c) और (d) संवैधानिक निकाय नहीं हैं। ऐसे प्रश्न में, सबसे सटीक या सामान्यतः उल्लिखित उदाहरण को चुनना पड़ सकता है। NHRC मानवाधिकारों के लिए एक अधिक प्रमुख निकाय है। दोनों ही उत्तर सही माने जा सकते हैं, जो प्रश्न की स्पष्टता पर निर्भर करता है। यदि एक चुनना है, तो NHRC को अक्सर सांविधिक निकायों के उदाहरण के रूप में अधिक प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाता है।*
      *पुनर्मूल्यांकन: राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत हुई थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुई थी। दोनों ही सांविधिक निकाय हैं। प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन सा ‘संवैधानिक निकाय नहीं है’। इस स्थिति में, (c) और (d) दोनों सही हैं। यदि केवल एक विकल्प चुनना हो, तो यह प्रश्न त्रुटिपूर्ण है।*
      *एक अभ्यास प्रश्न के रूप में, हम मानेंगे कि प्रश्न का इरादा सांविधिक बनाम संवैधानिक निकायों के बीच अंतर को स्पष्ट करना है। दोनों विकल्प (c) और (d) इस अंतर को दर्शाते हैं। हम NHRC को चुनते हैं क्योंकि यह अक्सर ऐसे प्रश्नों में पूछा जाता है।*
      *अंतिम निर्णय (त्रुटिपूर्ण प्रश्न): प्रश्न में दो सही उत्तर हैं। हम NHRC को उत्तर मानते हैं, क्योंकि यह अक्सर सांविधिक निकायों के उदाहरण के रूप में सामने आता है।*


      प्रश्न 19: भारत के किसी राज्य में विधान परिषद (Legislative Council) का गठन या विघटन किस आधार पर किया जा सकता है?

      1. संबंधित राज्य की विधानसभा का प्रस्ताव और संसद द्वारा कानून।
      2. संबंधित राज्य की विधानसभा का प्रस्ताव और राष्ट्रपति का आदेश।
      3. संबंधित राज्य के राज्यपाल का प्रस्ताव और संसद द्वारा कानून।
      4. संसद का एक अधिनियम, राष्ट्रपति की सहमति से।

      उत्तर: (a)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 169 के अनुसार, संसद, विधि द्वारा, किसी राज्य में विधान परिषद का सृजन या उसका उत्सादन कर सकती है, यदि उस राज्य की विधान सभा ने ऐसा करने के लिए अपने संकल्प में यह उपबंध किया है कि ऐसा करना उसके मत में राज्य के हित में है। यह संकल्प उस विधान सभा के कुल सदस्यों के बहुमत द्वारा, जो विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुसंख्यकों द्वारा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से समर्थित हो, पारित किया गया हो।
      • संदर्भ एवं विस्तार: इस प्रकार, विधान परिषद के गठन या विघटन के लिए दोनों सदनों (विधानसभा और संसद) की सहमति आवश्यक है, जिसमें विधानसभा के विशेष बहुमत और संसद द्वारा कानून बनाना शामिल है।
      • गलत विकल्प: राज्यपाल का प्रस्ताव (c) या केवल राष्ट्रपति का आदेश (b) या केवल संसद का अधिनियम (d) पर्याप्त नहीं है। विधानसभा का प्रस्ताव और संसद का कानून (a) ही सही प्रक्रिया है।

      प्रश्न 20: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है:

      1. केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर।
      2. केवल सशस्त्र विद्रोह के आधार पर।
      3. युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर।
      4. यह संसद की पूर्ण सहमति पर आधारित होता है।

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (जो 44वें संशोधन से पहले ‘आंतरिक अशांति’ था) के आधार पर कर सकता है। यह घोषणा ‘लिखित परामर्श’ के आधार पर की जानी चाहिए जो मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति को दी हो।
      • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल पूरे देश या उसके किसी भी भाग पर लागू हो सकता है। इसकी घोषणा के लिए राष्ट्रपति के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश होना अनिवार्य है (44वें संशोधन के बाद)।
      • गलत विकल्प: आपातकाल केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण (a) या केवल सशस्त्र विद्रोह (b) तक सीमित नहीं है। यह तीनों स्थितियों को कवर करता है। संसद की पूर्ण सहमति (d) आवश्यक है, लेकिन केवल ‘सहमति’ ही नहीं, बल्कि ‘लिखित परामर्श’ के बाद घोषणा की जाती है, जिसे बाद में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है।

      प्रश्न 21: भारत में ‘धन विधेयक’ (Money Bill) की अंतिम परिभाषा देने का अधिकार किसे है?

      1. भारत का राष्ट्रपति
      2. वित्त मंत्रालय
      3. लोकसभा का अध्यक्ष
      4. राज्यसभा का सभापति

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110(3) के अनुसार, किसी विधेयक को धन विधेयक है या नहीं, इसका अंतिम निश्चय लोकसभा का अध्यक्ष करता है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, और उसे राज्यसभा द्वारा अस्वीकार या संशोधित नहीं किया जा सकता, केवल सिफारिशें की जा सकती हैं, जिन्हें लोकसभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
      • गलत विकल्प: राष्ट्रपति विधेयक को अपनी सहमति देते हैं, लेकिन यह निर्णय नहीं लेते कि यह धन विधेयक है या नहीं। वित्त मंत्रालय विधेयक का मसौदा तैयार कर सकता है। राज्यसभा का सभापति (जो उपराष्ट्रपति होता है) धन विधेयक के मामले में निर्णायक नहीं होता।

      प्रश्न 22: ‘पंचवर्षीय योजना’ (Five Year Plan) की अवधारणा भारतीय संविधान की किस सूची में दी गई है?

      1. संघ सूची
      2. राज्य सूची
      3. समवर्ती सूची
      4. उपरोक्त में से कोई नहीं

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: पंचवर्षीय योजनाओं का संबंध आर्थिक और सामाजिक नियोजन से है। ‘आर्थिक और सामाजिक नियोजन’ समवर्ती सूची (Concurrent List) की प्रविष्टि 20 में शामिल है। समवर्ती सूची के विषय ऐसे होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन टकराव की स्थिति में केंद्र का कानून मान्य होता है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: यद्यपि योजना आयोग (अब नीति आयोग) एक गैर-संवैधानिक निकाय है, योजनाओं का क्रियान्वयन और उनसे संबंधित कानून बनाना समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है।
      • गलत विकल्प: संघ सूची (a) रक्षा, विदेश मामले जैसे विषयों से संबंधित है। राज्य सूची (b) सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस जैसे विषयों से संबंधित है। पंचवर्षीय योजनाओं का नियोजन एक ऐसा क्षेत्र है जहां केंद्र की भूमिका प्रमुख होती है, लेकिन राज्यों के सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है, जो समवर्ती सूची की प्रकृति के अनुरूप है।

      प्रश्न 23: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

      1. कार्यपालिका की शक्तियों को कम करना।
      2. विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों को निरस्त करना।
      3. जनता के अधिकारों की रक्षा करना और न्याय सुनिश्चित करना, विशेषकर जब अन्य अंग निष्क्रिय हों।
      4. संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया को तेज करना।

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता एक ऐसी स्थिति है जब न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय, अपने पारंपरिक न्यायिक कार्य से आगे बढ़कर सार्वजनिक हित के मामलों में निर्णय लेती है और सरकार के अन्य अंगों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए निर्देश देती है, ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके। इसका कोई सीधा अनुच्छेद संदर्भ नहीं है, बल्कि यह न्यायिक व्याख्याओं और जनहित याचिकाओं (PIL) के माध्यम से विकसित हुई है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था के अन्य अंगों (कार्यपालिका और विधायिका) की निष्क्रियता या विफलता की स्थिति में न्याय प्रदान करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का एक माध्यम है।
      • गलत विकल्प: न्यायिक सक्रियता का उद्देश्य सीधे तौर पर कार्यपालिका या विधायिका की शक्तियों को कम करना या कानूनों को निरस्त करना नहीं है, बल्कि उनके निर्णयों और कार्यों की संवैधानिकता और औचित्य की जांच करना और अधिकारों की रक्षा करना है। संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया को तेज करना इसका कार्यक्षेत्र नहीं है।

      प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा शब्द ‘संसद’ (Parliament) का अर्थशास्त्र में प्रयोग होने वाले ‘इकोनॉमिक्स’ (Economics) से व्युत्पन्न है?

      1. समाजवाद
      2. लोकतंत्र
      3. अर्थव्यवस्था
      4. प्रशासन

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘अर्थव्यवस्था’ (Economy) शब्द ग्रीक शब्द ‘ओइकोनोमिया’ (Oikonomia) से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है ‘घर का प्रबंधन’ (oikos – घर, nomos – कानून/प्रबंधन)। इसी प्रकार, ‘इकोनॉमिक्स’ (Economics) भी इसी मूल से आया है। ‘संसद’ (Parliament) शब्द लैटिन ‘parliamentum’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘बोलने के लिए’ (parler – बोलना)।
      • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि प्रश्न में ‘संसद’ का उल्लेख एक भ्रामक संदर्भ के रूप में है (शायद प्रश्न निर्माता का इरादा ‘Polity’ से संबंधित शब्द का अर्थ पूछना था), ‘अर्थव्यवस्था’ ही वह शब्द है जिसका अर्थशास्त्र से सीधा संबंध है और जो उक्त ग्रीक मूल से आया है।
      • गलत विकल्प: समाजवाद, लोकतंत्र और प्रशासन शब्दों के अर्थ और व्युत्पत्ति भिन्न हैं और उनका सीधा संबंध ‘इकोनॉमिक्स’ के मूल से नहीं है।

      प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) का प्रावधान किस देश के संविधान से लिया गया है?

      1. संयुक्त राज्य अमेरिका
      2. ऑस्ट्रेलिया
      3. कनाडा
      4. ब्रिटेन

      उत्तर: (b)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का वर्णन है। समवर्ती सूची की अवधारणा को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लिया गया है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: समवर्ती सूची में ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। यदि किसी विषय पर दोनों द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध होता है, तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है।
      • गलत विकल्प: अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, उपराष्ट्रपति का पद; कनाडा से संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियाँ; ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन जैसी अवधारणाएँ ली गई हैं।

Leave a Comment