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संविधान का सार: आज का अग्निपरीक्षा

संविधान का सार: आज का अग्निपरीक्षा

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के गहन सागर में उतरने और अपनी संकल्पनाओं को पैना करने का समय आ गया है। आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपको हमारे प्रजातांत्रिक ढांचे की जटिलताओं को समझने और अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर देगा। क्या आप तैयार हैं अपने ज्ञान की अग्निपरीक्षा के लिए?

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द कब जोड़े गए?

  1. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पारित हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय समाजवाद को एक निश्चित दिशा देना और राज्य को किसी विशेष धर्म के प्रति तटस्थ बनाना था। प्रस्तावना संविधान की व्याख्या में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन, 1985 ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) जोड़ा। 73वां संशोधन, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 2: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को उसके द्वारा पहले सुनाए गए किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 137
  2. अनुच्छेद 142
  3. अनुच्छेद 143
  4. अनुच्छेद 145

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति देता है कि वह अपनी ही किसी न्यायिक घोषणा या आदेश की समीक्षा कर सके। यह ‘पुनरीक्षण’ (Review) की शक्ति कहलाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस शक्ति का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब कानून के अनुसार आवश्यक हो या न्याय के हित में हो। हालाँकि, यह शक्ति पूर्ण नहीं है और कुछ सीमाओं के अधीन है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 ‘पूर्ण न्याय’ के लिए आदेश जारी करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 145 सर्वोच्च न्यायालय के नियमों से संबंधित है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) के संबंध में सही है?

  1. यह सुनिश्चित करता है कि संसद द्वारा पारित कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हों।
  2. यह राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों की वैधता की जांच करता है।
  3. यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
  4. यह संसद की विधायी शक्तियों को सीमित करता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को यह शक्ति प्राप्त है कि वे संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित किसी भी कानून की वैधता को संविधान की कसौटी पर परख सकें। यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध पाया जाता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है। यह शक्ति अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 13 (मौलिक अधिकारों से असंगत कानून को शून्य घोषित करना) और अन्य संबंधित अनुच्छेदों में निहित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था। यह शक्तियों के पृथक्करण और कानून के शासन को बनाए रखने में सहायक है।
  • गलत विकल्प: जबकि न्यायिक पुनर्विलोकन कानूनों की वैधता की जांच करता है, यह सीधे तौर पर अध्यादेशों की वैधता या न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को नियंत्रित नहीं करता (हालांकि नियुक्तियों की प्रक्रिया की जांच हो सकती है)। यह शक्तियों को सीमित अवश्य करता है, पर पहला विकल्प इसकी प्राथमिक परिभाषा को सबसे सटीक रूप से बताता है।

प्रश्न 4: भारत में ‘संपत्ति का अधिकार’ को किस संविधान संशोधन द्वारा मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया गया?

  1. 42वाँ संशोधन, 1976
  2. 44वाँ संशोधन, 1978
  3. 52वाँ संशोधन, 1985
  4. 61वाँ संशोधन, 1989

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा हटाया गया था। इसे संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) से हटाकर भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘संवैधानिक अधिकार’ या ‘कानूनी अधिकार’ के रूप में स्थापित किया गया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य भूमि सुधारों और सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए संपत्ति के अधिग्रहण में आने वाली बाधाओं को दूर करना था। पहले यह अधिकार अनुच्छेद 31 के तहत संरक्षित था।
  • गलत विकल्प: 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और अखंडता शब्द जोड़े। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून पेश किया। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 निम्नलिखित में से किस शीर्षक से संबंधित है?

  1. सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता
  2. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट जारी करने की शक्ति
  3. राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति
  4. संसद की अवशिष्ट शक्तियाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है। इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) और उत्प्रेषण (Certiorari) नामक पाँच प्रकार के रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने का सबसे शक्तिशाली साधन है। अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को भी यह शक्ति प्राप्त है, लेकिन यह व्यापक है क्योंकि यह कानूनी अधिकारों को लागू करने के लिए भी रिट जारी कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 132-136 सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता से संबंधित हैं। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अवशिष्ट शक्तियाँ अनुच्छेद 248 में वर्णित हैं।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का एक उद्देश्य नहीं है?

  1. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना
  2. आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना
  3. सामाजिक और आर्थिक समानता प्राप्त करना
  4. न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने का सिद्धांत ‘राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों’ (DPSP) का उद्देश्य नहीं है, बल्कि यह ‘मौलिक अधिकारों’ में अनुच्छेद 50 के माध्यम से निहित है, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य स्थानीय स्व-सरकारों में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए कदम उठाएगा। DPSP का मुख्य उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP (अनुच्छेद 36-51) मौलिक अधिकारों के पूरक हैं और देश के शासन के लिए मूलभूत हैं। वे न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, यानी न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किए जा सकते, लेकिन सरकार के लिए कानून बनाते समय इनका ध्यान रखना अनिवार्य है।
  • गलत विकल्प: लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना (अनुच्छेद 38), आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना (जैसे समान कार्य के लिए समान वेतन, अनुच्छेद 39) और सामाजिक-आर्थिक समानता प्राप्त करना (जैसे अनुच्छेद 39) DPSP के प्रमुख उद्देश्य हैं।

प्रश्न 7: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. आयरलैंड
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का विचार आयरलैंड के संविधान से लिया गया है। आयरलैंड के संविधान ने अपने निर्देशक सिद्धांतों को स्पेनिश संविधान से प्रेरित होकर अपनाया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान निर्माताओं ने आयर्लैंड के मॉडल को अपनाया, जहाँ ये सिद्धांत सरकार की नीतियों के लिए एक नैतिक आधार प्रदान करते हैं। ये सिद्धांत भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ और ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ का विचार लिया गया है। कनाडा से ‘संघीय प्रणाली’ (मजबूत केंद्र के साथ) और ‘अवशिष्ट शक्तियों’ का विचार लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया से ‘समवर्ती सूची’ का विचार लिया गया है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य नहीं है?

  1. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना
  2. देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करना
  3. 6 से 14 वर्ष की आयु के अपने बच्चों या प्रतिपाल्यों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करना
  4. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव न करना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव न करना एक ‘मौलिक अधिकार’ है, जो अनुच्छेद 15 में वर्णित है, न कि मौलिक कर्तव्य। मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा संविधान के भाग IVA में अनुच्छेद 51A के तहत जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों के लिए कुछ बुनियादी दायित्व निर्धारित करते हैं। सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना (51A(g)), संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना (51A(c)) और 6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना (51A(k), 86वें संशोधन, 2002 द्वारा जोड़ा गया) सभी मौलिक कर्तव्य हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) स्पष्ट रूप से मौलिक कर्तव्यों के तहत आते हैं। विकल्प (d) समानता के अधिकार (अनुच्छेद 15) का उल्लंघन होगा यदि यह मौलिक कर्तव्य के रूप में देखा जाए, जबकि यह वास्तव में एक मौलिक अधिकार है।

प्रश्न 9: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में कौन शामिल नहीं होता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
  4. राज्य विधान परिषदों के सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्य विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं होते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का प्रावधान अनुच्छेद 54 में किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं (राज्यों की विधानसभाओं) के सभी निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी (अब पुडुचेरी) के विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्यों को भी शामिल किया गया।
  • गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (a, b) तथा दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य (c) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। विधान परिषद के सदस्य (d) राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेते क्योंकि वे सीधे जनता द्वारा नहीं चुने जाते और कुछ राज्यों में ही मौजूद हैं।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति को पदच्युत (Impeach) करने की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है?

  1. राज्यसभा के सदस्य
  2. लोकसभा के सदस्य
  3. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश
  4. विधान परिषद के सदस्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रपति को पदच्युत करने (Impeachment) की प्रक्रिया में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भाग नहीं लेते हैं। राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 61 में है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा शुरू की जा सकती है। इसके लिए आरोप पत्र पर उस सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और उस सदन के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित होना चाहिए। इसके बाद दूसरा सदन आरोपों की जांच करता है, और यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: राज्यसभा (a) और लोकसभा (b) के सभी सदस्य, चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत, महाभियोग प्रक्रिया में भाग लेते हैं। विधान परिषद के सदस्य (d) संसद का हिस्सा नहीं होते, इसलिए वे राष्ट्रपति के चुनाव में तो वैसे भी भाग नहीं लेते और महाभियोग प्रक्रिया में भी भाग नहीं लेते। उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश (c) राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में किसी भी तरह से भाग नहीं लेते; वे स्वयं किसी अन्य प्रक्रिया (अनुच्छेद 124(4)) के तहत हटाए जाते हैं।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति भारत के प्रधानमंत्री की नहीं है?

  1. मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना
  2. राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संचार का माध्यम होना
  3. मंत्रालयों के कार्यों के आवंटन को प्रभावित करना
  4. किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की सलाह देना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की सलाह देने की शक्ति सीधे तौर पर भारत के प्रधानमंत्री की नहीं है। न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जिसमें कॉलेजियम प्रणाली (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति) की सलाह महत्वपूर्ण होती है, न कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत सलाह। प्रधानमंत्री कॉलेजियम का हिस्सा हो सकते हैं या अप्रत्यक्ष रूप से प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह उनकी प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं (अनुच्छेद 75)। वे मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं (a), राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच मुख्य संपर्क सूत्र के रूप में कार्य करते हैं (b), और मंत्रियों के विभागों के आवंटन को प्रभावित करते हैं (c), हालांकि अंतिम निर्णय राष्ट्रपति का होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को दर्शाते हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक जटिल संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें राष्ट्रपति, कॉलेजियम और अन्य प्राधिकारी शामिल होते हैं, न कि केवल प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत सलाह।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को बुलाने का आधार नहीं बन सकती?

  1. एक विधेयक पारित करने में लोकसभा द्वारा संशोधन को अस्वीकार करना, जिसे राज्यसभा ने पारित किया हो
  2. एक विधेयक पर चर्चा के दौरान दोनों सदनों के बीच असहमति
  3. एक विधेयक, जिसे लोकसभा में पारित करने के बाद राज्यसभा द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया हो
  4. विधेयक पारित करने में छह महीने से अधिक की देरी, जब विधेयक राज्यसभा द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया हो

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: केवल ‘असहमति’ (disagreement) होने पर संयुक्त बैठक नहीं बुलाई जाती, बल्कि एक निश्चित सीमा तक ‘असहमति’ या ‘देरी’ होने पर बुलाई जाती है। अनुच्छेद 108 के अनुसार, संयुक्त बैठक के तीन मुख्य आधार हैं: (1) एक विधेयक के पारित होने में दूसरे सदन द्वारा किया गया संशोधन जिसे पहला सदन स्वीकार नहीं करता, (2) एक विधेयक का दूसरे सदन द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाना, और (3) एक विधेयक का दूसरे सदन द्वारा छह महीने से अधिक समय तक रोका जाना।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संयुक्त बैठक का उद्देश्य गतिरोध को दूर करना है। इसकी अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष करते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) संयुक्त बैठक का एक वैध कारण है। विकल्प (c) भी वैध कारण है। विकल्प (d) एक विधेयक को छह महीने से अधिक समय तक रोके रखना, चाहे वह राज्यसभा द्वारा हो या लोकसभा द्वारा, संयुक्त बैठक का आधार बनता है। केवल ‘असहमति’ (b) स्वयं में संयुक्त बैठक का कारण नहीं बनती; इसके लिए एक विशिष्ट प्रकार की असहमति या देरी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद लोक सभा के अध्यक्ष (Speaker) के पद और कर्तव्यों से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 93
  2. अनुच्छेद 94
  3. अनुच्छेद 95
  4. अनुच्छेद 97

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 95 लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के कर्तव्यों का वर्णन करता है, विशेष रूप से उस स्थिति में जब अध्यक्ष का पद रिक्त हो या वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो। अनुच्छेद 93 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 94 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, त्यागपत्र देना या हटाया जाना बताता है। अनुच्छेद 97 सभापति और उपसभापति के वेतन भत्ते आदि से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अध्यक्ष के पास सदन के संचालन, अनुशासन और प्रक्रिया संबंधी व्यापक शक्तियां होती हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 93 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव से संबंधित है। अनुच्छेद 94 पद रिक्त होने से संबंधित है। अनुच्छेद 97 वेतन भत्ते से संबंधित है। अनुच्छेद 95 अध्यक्ष के कर्तव्यों को परिभाषित करता है, खासकर जब वह अनुपस्थित हो।

प्रश्न 14: ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. न्यायालय द्वारा विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप न करना।
  2. न्यायालय द्वारा सार्वजनिक कल्याण और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाना।
  3. न्यायालय द्वारा केवल संविधान के लिखित प्रावधानों का पालन करना।
  4. न्यायालय द्वारा अपने निर्णयों को लागू करने के लिए अत्यधिक विवेक का प्रयोग करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘न्यायिक सक्रियता’ एक ऐसी अवधारणा है जिसमें न्यायपालिका, विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय, सार्वजनिक कल्याण, सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाती है, भले ही इसके लिए विधायिका या कार्यपालिका के क्षेत्रों में हस्तक्षेप करना पड़े। यह अप्रत्यक्ष रूप से मौलिक अधिकारों (भाग III) को प्रभावी बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति (अनुच्छेद 32) से जुड़ी है, जिसे जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से विस्तारित किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक सक्रियता का सबसे प्रमुख उदाहरण जनहित याचिका (PIL) है, जिसने आम नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। इससे पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों की रक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्णय आए हैं।
  • गलत विकल्प: (a) न्यायिक निष्क्रियता को दर्शाता है। (c) यह ‘न्यायिक संयम’ (Judicial Restraint) का हिस्सा हो सकता है, सक्रियता का नहीं। (d) यह न्यायपालिका के दुरुपयोग को दर्शाता है, न कि सक्रियता को।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  2. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
  3. नीति आयोग (NITI Aayog)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है, बल्कि एक ‘कार्यकारी आदेश’ (Executive Order) द्वारा स्थापित एक ‘गैर-संवैधानिक’ या ‘सांविधिक’ (Statutory) निकाय है। यह 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित किया गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है और जिनके गठन, शक्तियों और कार्यों का विवरण संविधान में ही दिया गया है। भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 में, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (वर्तमान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के साथ एकीकृत) अनुच्छेद 338 में, और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 में उल्लिखित हैं, इसलिए ये सभी संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: CAG (a), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (b), और UPSC (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान संविधान में हैं। नीति आयोग (c) संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 16: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति की सिफारिश करने वाली समिति में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं होता है?

  1. भारत का प्रधानमंत्री
  2. लोकसभा का अध्यक्ष
  3. राज्यसभा का सभापति (उपराष्ट्रपति)
  4. केंद्रीय गृह मंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस समिति में भारत के प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा का अध्यक्ष (सदस्य), केंद्रीय गृह मंत्री (सदस्य), लोकसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य), राज्यसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य), और भारत के उप-राष्ट्रपति (सदस्य) शामिल होते हैं। राज्यसभा का सभापति (जो भारत का उपराष्ट्रपति होता है) भी इस समिति का एक सदस्य होता है, लेकिन यह प्रश्न ‘सभापति’ के रूप में पूछा गया है, न कि ‘विपक्ष के नेता’ के रूप में। यहाँ प्रश्न के विकल्पों में, विकल्प (c) ‘राज्यसभा का सभापति’ सही उत्तर होगा यदि हम सामान्यतः समिति के घटकों को देखें, परन्तु प्रश्न में ‘अनुशंसा करने वाली समिति’ की बात है, और उपराष्ट्रपति (जो सभापति होता है) उस समिति का सदस्य होता है। वास्तव में, यदि प्रश्न को ‘समिति के अध्यक्ष’ के संदर्भ में पूछना होता, तो उत्तर प्रधानमंत्री होता। दिए गए विकल्पों में, हम समिति के सदस्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाती है जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता, राज्यसभा में विपक्ष का नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश (या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश) शामिल होते हैं। **मेरे प्रारंभिक विश्लेषण में थोड़ी चूक थी, सही समिति में उपराष्ट्रपति (सभापति) शामिल नहीं होते, बल्कि प्रधान न्यायाधीश शामिल होते हैं।** अतः, सही उत्तर (c) ही है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: NHRC का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (a), लोकसभा अध्यक्ष (b), और केंद्रीय गृह मंत्री (d) NHRC की नियुक्ति समिति के सदस्य हैं। उपराष्ट्रपति (c) NHRC की नियुक्ति समिति का सदस्य नहीं होता है।

प्रश्न 17: भारत में पंचायती राज व्यवस्था का जनक किसे माना जाता है?

  1. लॉर्ड रिपन
  2. लॉर्ड कर्जन
  3. महात्मा गांधी
  4. जवाहरलाल नेहरू

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: लॉर्ड रिपन को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन का जनक’ माना जाता है। उनके 1882 के प्रस्ताव ने स्थानीय निकायों को अधिक स्वायत्तता और उत्तरदायित्व प्रदान किया, जो पंचायती राज की नींव साबित हुई। अनुच्छेद 243 (भाग IX) पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: लॉर्ड रिपन के प्रस्ताव ने स्थानीय स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को महत्व दिया। बाद में, बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज की सिफारिश की, जिसे राजस्थान के नागौर में 2 अक्टूबर 1959 को लागू किया गया। 73वें संविधान संशोधन, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (b) ने बंगाल का विभाजन किया और प्रशासनिक सुधार किए। महात्मा गांधी (c) ने ग्राम स्वराज की वकालत की, लेकिन वे संस्थागत जनक नहीं माने जाते। जवाहरलाल नेहरू (d) भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पंचायती राज को लागू करने में भूमिका निभाई।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?

  1. भाग IX
  2. भाग IX-A
  3. भाग IX-B
  4. भाग X

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX पंचायती राज संस्थाओं (पंचायतों) से संबंधित है। यह 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायतों की संरचना, शक्तियां, कार्यकाल, वित्त आदि का प्रावधान है। भाग IX-A नगर पालिकाओं से और भाग IX-B सहकारी समितियों से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: भाग IX-A (b) नगर पालिकाओं से संबंधित है। भाग IX-B (c) सहकारी समितियों से संबंधित है। भाग X (d) अनुसूचित और जनजाति क्षेत्रों से संबंधित है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा आपातकाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत घोषित किया जा सकता है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल
  2. राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन)
  3. वित्तीय आपातकाल
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ या ‘राष्ट्रपति शासन’ के प्रावधानों से संबंधित है। यह तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 352 ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ से संबंधित है, अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ से संबंधित है। राष्ट्रपति शासन का मुख्य उद्देश्य किसी राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखना या संवैधानिक ढांचे को बहाल करना है, जब राज्यपाल द्वारा ऐसी रिपोर्ट दी जाती है या अन्यथा राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (a) और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल (c) से संबंधित हैं। इसलिए, अनुच्छेद 356 केवल राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है।

प्रश्न 20: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. यह अनुच्छेद 360 के तहत घोषित किया जाता है।
  2. इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  3. इसे घोषित करने के लिए एक बार की मंजूरी पर्याप्त होती है और फिर इसकी कोई समय सीमा नहीं होती।
  4. इस आपातकाल को घोषित करने के लिए राज्य सरकार का कोई प्रस्ताव आवश्यक नहीं है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के संबंध में कथन (c) असत्य है। वित्तीय आपातकाल को घोषित करने के बाद, इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है (जैसा कि राष्ट्रीय आपातकाल के लिए मूल रूप से 1962 में था, लेकिन 44वें संशोधन, 1978 के बाद यह एक महीने हो गया है, जबकि राष्ट्रपति शासन के लिए यह दो महीने है)। **यहाँ एक सुधार आवश्यक है: 44वें संशोधन के बाद, राष्ट्रीय आपातकाल के लिए एक महीने की अवधि थी, लेकिन वित्तीय आपातकाल के लिए यह अवधि भी दो महीने ही है।** सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्तीय आपातकाल की घोषणा के लिए संसद की मंजूरी के बाद भी, इसका कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होती, लेकिन इसे जारी रखने के लिए हर छह महीने में संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है। कथन (c) कहता है कि ‘एक बार की मंजूरी पर्याप्त होती है और फिर इसकी कोई समय सीमा नहीं होती’, जो कि गलत है क्योंकि इसे जारी रखने के लिए पुन: अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वित्तीय आपातकाल की घोषणा भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरे में डालने वाली परिस्थितियों में की जाती है।
  • गलत विकल्प: कथन (a) सत्य है। कथन (b) भी सत्य है (दो महीने की अवधि)। कथन (d) भी सत्य है क्योंकि यह केंद्र की शक्ति है। कथन (c) इसलिए असत्य है क्योंकि इसे जारी रखने के लिए बार-बार संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत का उल्लेख है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 39 (घ)
  4. अनुच्छेद 42

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (घ) में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के रूप में उल्लिखित है। यह एक गैर-न्यायोचित (non-justiciable) अधिकार है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत न्यायसंगत और मानवीय कार्य दशाओं, मातृत्व सहायता और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के राज्य के प्रयासों को दर्शाता है। हालांकि यह सीधे न्यायालय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, इसे मौलिक अधिकारों (जैसे अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समानता) के संदर्भ में देखा जा सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (a) समानता के अधिकार की बात करता है। अनुच्छेद 15 (b) धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। अनुच्छेद 42 (d) काम की न्यायसंगत और मानवीय दशाओं तथा मातृत्व राहत का प्रावधान करता है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा पद, भारत में ‘संवैधानिक प्रमुख’ (Constitutional Head) के रूप में माना जाता है?

  1. भारत के प्रधानमंत्री
  2. भारत के राष्ट्रपति
  3. भारत के उपराष्ट्रपति
  4. लोकसभा के अध्यक्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को देश का ‘संवैधानिक प्रमुख’ माना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार, भारत का एक राष्ट्रपति होगा। राष्ट्रपति भारत गणराज्य का राष्ट्राध्यक्ष होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यद्यपि वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती हैं (संसदीय प्रणाली के कारण), राष्ट्रपति औपचारिक रूप से सभी कार्यकारी कार्यों को करते हैं और सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियां उनके नाम पर होती हैं। वे संविधान के रक्षक भी माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (a) सरकार के प्रमुख होते हैं, संवैधानिक प्रमुख नहीं। उपराष्ट्रपति (c) राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनका कार्य करते हैं। लोकसभा अध्यक्ष (d) सदन के कामकाज का संचालन करते हैं।

प्रश्न 23: भारत में ‘महान्यायवादी’ (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. संसद

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 76(1) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है। वह संसद की किसी भी कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (b), मुख्य न्यायाधीश (c) और संसद (d) महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते। राष्ट्रपति ही इस पद पर नियुक्ति करते हैं।

प्रश्न 24: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा ‘दलबदल’ (Defection) के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों को जोड़ा गया?

  1. 42वाँ संशोधन, 1976
  2. 44वाँ संशोधन, 1978
  3. 52वाँ संशोधन, 1985
  4. 61वाँ संशोधन, 1989

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: दलबदल विरोधी कानूनों को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य राजनीतिक दलों के सदस्यों द्वारा दलबदल को रोकना और विधायिका की स्थिरता बनाए रखना था। यह कानून सांसदों और विधायकों को किसी विशेष दल के टिकट पर चुने जाने के बाद दूसरे दल में शामिल होने पर अयोग्य घोषित करता है।
  • गलत विकल्प: 42वां संशोधन (a) प्रस्तावना में परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण संशोधन लाया। 44वां संशोधन (b) संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर लाया। 61वां संशोधन (d) मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष किया।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के संबंध में कुछ विशेष प्रावधान कर सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 239AA
  2. अनुच्छेद 239AB
  3. अनुच्छेद 240
  4. अनुच्छेद 241

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 239AA (जो 69वें संविधान संशोधन, 1991 द्वारा जोड़ा गया) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान करता है। इसके तहत दिल्ली को एक विशेष केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, जिसमें अपनी विधानसभा और मंत्रिपरिषद है, लेकिन केंद्र सरकार के पास कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां आरक्षित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 239AB कुछ परिस्थितियों में दिल्ली के प्रशासन का निलंबन या निष्प्रभावण से संबंधित है। अनुच्छेद 240 संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 241 संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालयों से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 239AB (b) दिल्ली के प्रशासन को निष्प्रभावित करने से संबंधित है। अनुच्छेद 240 (c) सामान्य संघ राज्यक्षेत्रों के लिए है, विशेष रूप से दिल्ली के लिए नहीं। अनुच्छेद 241 (d) संघ राज्यक्षेत्रों के उच्च न्यायालयों से संबंधित है।

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