संविधान का महा-परीक्षण: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। क्या आप भारतीय राजव्यवस्था और संविधान की अपनी समझ में पारंगत हैं? आइए, आज के इस गहन प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करें। यह 25 प्रश्नों का संग्रह आपकी तैयारी को एक नई दिशा देगा!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्नोत्तरी
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभुता’, ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘लोकतांत्रिक’, ‘गणराज्य’ शब्दों का सही क्रम क्या है?
- लोकतांत्रिक, गणराज्य, संप्रभुता, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष
- संप्रभुता, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य
- पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, संप्रभुता, समाजवादी
- समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, संप्रभुता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना का मूल स्वरूप ‘संप्रभुता’, ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘लोकतांत्रिक’, ‘गणराज्य’ के क्रम में है। ये शब्द प्रस्तावना को एक विशिष्ट दार्शनिक और राजनीतिक दिशा देते हैं। ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़े गए थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है। यह भारत के नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करती है। शब्दों का यह क्रम, विशेष रूप से संप्रभुता को पहले रखना, यह दर्शाता है कि भारत आंतरिक और बाह्य रूप से स्वतंत्र है।
- अशुद्ध विकल्प: अन्य विकल्प प्रस्तावना में शब्दों के वास्तविक क्रम को गलत दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, ‘लोकतांत्रिक’ और ‘गणराज्य’ शब्द संप्रभुता के बाद आते हैं, और ‘समाजवादी’ व ‘पंथनिरपेक्ष’ मूल प्रस्तावना में नहीं थे, बल्कि बाद में जोड़े गए।
प्रश्न 2: ‘लिखित संविधान’ के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान बनाती है?
- इसमें नागरिकता, मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निदेशक तत्व आदि के विस्तृत प्रावधान हैं।
- इसमें संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के प्रत्येक स्तर पर शक्तियों और कार्यों का वर्णन है।
- इसमें भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों का बड़ा हिस्सा शामिल है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान माना जाता है, और इसके कई कारण हैं। विकल्प (a), (b), और (c) सभी इस कथन को सही ठहराते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार:
- (a) नागरिकता, मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निदेशक तत्व, मौलिक कर्तव्य जैसे विस्तृत उपबंध।
- (b) संघ कार्यपालिका, संघ विधायिका, राज्य कार्यपालिका, राज्य विधायिका, न्यायपालिका के गठन, शक्तियों और प्रक्रियाओं का विस्तृत वर्णन।
- (c) भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त कई प्रावधानों को अपनाना, जो स्वयं एक बहुत विस्तृत अधिनियम था।
इसके अतिरिक्त, एकल नागरिकता, आपातकालीन उपबंधों का विस्तृत वर्णन, तथा विभिन्न प्रकार की विशेष प्रावधान (जैसे अनुसूचित क्षेत्रों, जनजातीय क्षेत्रों के लिए) भी इसे लंबा बनाते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: यह विकल्प इन सभी कारणों के समुच्चय को शामिल करता है, इसलिए अकेले कोई भी एक विकल्प पूर्ण रूप से सही नहीं है, जबकि (d) सभी को सही ठहराता है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान के निर्माण के लिए गठित संविधान सभा के प्रारूपण समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- श्री जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- श्री सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर संविधान सभा की प्रारूपण समिति के अध्यक्ष थे, जो संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रारूपण समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था। डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें भारतीय संविधान का ‘जनक’ भी कहा जाता है।
- अशुद्ध विकल्प: डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। श्री जवाहरलाल नेहरू संघ संविधान समिति और संघ शक्ति समिति के अध्यक्ष थे। श्री सरदार वल्लभभाई पटेल अल्पसंख्यक उप-समिति और प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद नागरिकों को ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 29
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 22
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) के अंतर्गत आता है और इसे ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ कहा जाता है। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने इसे ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) में जाने का अधिकार देता है। न्यायालय रिट जारी करके इन अधिकारों को लागू करते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 19 वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है। अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 22 गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण प्रदान करता है।
प्रश्न 5: ‘विधि के समक्ष समानता’ (Equality before the Law) और ‘विधियों का समान संरक्षण’ (Equal Protection of the Laws) के बीच मुख्य अंतर क्या है?
- ‘विधि के समक्ष समानता’ एक नकारात्मक अवधारणा है, जबकि ‘विधियों का समान संरक्षण’ एक सकारात्मक अवधारणा है।
- ‘विधि के समक्ष समानता’ अमेरिकी संविधान से ली गई है, जबकि ‘विधियों का समान संरक्षण’ ब्रिटिश संविधान से।
- ‘विधि के समक्ष समानता’ किसी भी परिस्थिति में लागू होती है, जबकि ‘विधियों का समान संरक्षण’ केवल विशेष परिस्थितियों में।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 के तहत, ‘विधि के समक्ष समानता’ (ब्रिटिश मूल) एक नकारात्मक अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि किसी को भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है और कानून के सामने सभी समान हैं। ‘विधियों का समान संरक्षण’ (अमेरिकी मूल) एक सकारात्मक अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, जिससे समान लोगों के साथ समानता हो।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अंतर महत्वपूर्ण है क्योंकि ‘विधियों का समान संरक्षण’ उचित वर्गीकरण (reasonable classification) की अनुमति देता है, जो ‘विधि के समक्ष समानता’ के पूर्ण अनुप्रयोग से भिन्न है।
- अशुद्ध विकल्प: ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश संविधान से, और ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी संविधान से लिया गया है, इसलिए विकल्प (b) गलत है। ‘विधि के समक्ष समानता’ पूर्ण नहीं है और इसका अपवाद हो सकता है, जबकि ‘विधियों का समान संरक्षण’ विशेष परिस्थितियों में समान व्यवहार सुनिश्चित करता है, इसलिए विकल्प (c) भी भ्रमित करने वाला है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 राज्य को किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद करने से रोकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद सार्वजनिक स्थानों (जैसे दुकान, होटल, कुओं, सड़कों) तक पहुँच में समानता सुनिश्चित करता है। यह मौलिक अधिकारों के तहत समानता के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 7: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के अंतर्गत, निम्नलिखित में से कौन सा एक गांधीवादी सिद्धांत का उदाहरण है?
- सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता।
- पर्यावरण की सुरक्षा और संवर्धन।
- ग्राम पंचायतों का गठन और उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने हेतु सशक्त बनाना।
- काम, शिक्षा और बेरोजगारी की स्थिति में लोक सहायता पाने का अधिकार।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 40, जो ग्राम पंचायतों के गठन और उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने हेतु सशक्त बनाने से संबंधित है, गांधीवादी सिद्धांतों का एक प्रमुख उदाहरण है।
- संदर्भ एवं विस्तार: गांधीवादी सिद्धांतों में स्वदेशी, ग्राम स्वराज, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं। यह डीपीएसपी गांधीजी के ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण के सपने को दर्शाता है।
- अशुद्ध विकल्प: (a) समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 (उदारवादी-बौद्धिक सिद्धांत) के अंतर्गत आता है। (b) पर्यावरण संरक्षण अनुच्छेद 48A (उदारवादी-बौद्धिक सिद्धांत) के अंतर्गत आता है। (d) लोक सहायता पाने का अधिकार अनुच्छेद 41 (समाजवादी सिद्धांत) के अंतर्गत आता है।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य को नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) प्राप्त करने का प्रयास करने का निर्देश देता है?
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 48
- अनुच्छेद 50
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 44 राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) में शामिल है और यह निर्देश देता है कि राज्य भारत के संपूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा।
- संदर्भ एवं विस्तार: समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि व्यक्तिगत कानूनों (जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार) को धर्म के आधार पर अलग करने के बजाय सभी नागरिकों पर एक समान लागू किया जाए। यह डीपीएसपी के उदारवादी-बौद्धिक श्रेणी में आता है।
- अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 50 कार्यपालिका से न्यायपालिका के पृथक्करण से संबंधित है।
प्रश्न 9: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) को जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 ने भारतीय संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत दस मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा। बाद में 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा ग्यारहवां मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
- संदर्भ एवं विस्तार: सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर यह संशोधन किया गया था। मौलिक कर्तव्य नागरिकों के नैतिक दायित्वों को परिभाषित करते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा (दसवीं अनुसूची)। 61वां संशोधन अधिनियम, 1989 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 10: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया किस सदन में शुरू की जा सकती है?
- केवल लोकसभा में
- केवल राज्यसभा में
- लोकसभा या राज्यसभा किसी भी सदन में
- संसद के किसी भी सदन के संयुक्त सत्र में
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया (अनुच्छेद 61) किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है। प्रस्ताव का 1/4 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना और 14 दिन की पूर्व सूचना देना आवश्यक है।
- संदर्भ एवं विस्तार: महाभियोग का आरोप लगाने वाला प्रस्ताव उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके बाद, दूसरा सदन आरोपों की जांच करता है। यदि दूसरा सदन भी आरोप को अपने कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
- अशुद्ध विकल्प: महाभियोग की प्रक्रिया किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है, न कि केवल एक विशिष्ट सदन में। संयुक्त सत्र का प्रावधान यहाँ लागू नहीं होता।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद मंत्रिपरिषद की सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility) के सिद्धांत को निर्धारित करता है?
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 75(3)
- अनुच्छेद 77
- अनुच्छेद 78
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(3) यह प्रावधान करता है कि मंत्रिपरिषद, लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस सिद्धांत का अर्थ है कि सभी मंत्री एक साथ कार्य करते हैं और यदि लोकसभा किसी एक मंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। यह संसदीय शासन प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
- अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 77 भारत सरकार के कार्यों के संचालन से संबंधित है। अनुच्छेद 78 राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान के तहत, राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों के पास क्षमादान (Pardon) की शक्ति है। इन शक्तियों में मुख्य अंतर क्या है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है, जबकि राज्यपाल नहीं।
- राष्ट्रपति केवल संघ विधि के अधीन अपराधों के लिए क्षमादान दे सकता है, जबकि राज्यपाल राज्य विधि के अधीन अपराधों के लिए।
- राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड को क्षमा कर सकता है, जबकि राज्यपाल नहीं।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति अनुच्छेद 72 में निहित है, जबकि राज्यपाल की क्षमादान शक्ति अनुच्छेद 161 में निहित है।
- संदर्भ एवं विस्तार:
- (a) राष्ट्रपति के पास मृत्युदंड को क्षमा करने, लघु करने या परिहार करने की शक्ति है, जबकि राज्यपाल के पास इस शक्ति का अभाव है।
- (b) राष्ट्रपति संघ की विधि के अधीन किसी अपराध के लिए दिए गए दंड को क्षमा कर सकता है, जबकि राज्यपाल राज्य की विधि के अधीन किसी अपराध के लिए दिए गए दंड को क्षमा कर सकता है।
- (c) राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों के अधीन दंडों को क्षमा कर सकता है, जबकि राज्यपाल यह शक्ति नहीं रखता।
इन तीनों बिंदुओं का संयोजन राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों के बीच मुख्य अंतरों को दर्शाता है।
- अशुद्ध विकल्प: विकल्प (d) इन सभी विशिष्ट अंतरों को एक साथ प्रस्तुत करता है, जो सत्य हैं।
प्रश्न 13: भारतीय संसद के सदनों की संयुक्त बैठक (Joint Sitting) को कौन आहूत (Summon) करता है और कौन उसकी अध्यक्षता (Preside) करता है?
- आहूत राष्ट्रपति, अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष
- आहूत उपराष्ट्रपति, अध्यक्षता राष्ट्रपति
- आहूत लोकसभा अध्यक्ष, अध्यक्षता राज्यसभा सभापति
- आहूत एवं अध्यक्षता दोनों राष्ट्रपति द्वारा
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति संयुक्त बैठक को आहूत करते हैं। यदि बैठक आहूत की जाती है, तो इसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा उपाध्यक्ष, और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्यसभा का सभापति (जो भारत का उपराष्ट्रपति होता है) अध्यक्षता करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संयुक्त बैठक सामान्य विधेयकों (धन विधेयकों और संविधान संशोधन विधेयकों को छोड़कर) के गतिरोध को हल करने के लिए बुलाई जाती है।
- अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a) सही संयोजन प्रदान करता है। उपराष्ट्रपति (राज्यसभा का सभापति) संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता, बल्कि केवल अनुपस्थिति की स्थिति में ही करता है। राष्ट्रपति केवल आहूत करते हैं, अध्यक्षता नहीं।
प्रश्न 14: धन विधेयक (Money Bill) और वित्त विधेयक (Financial Bill) के संबंध में लोकसभा को विशेष अधिकार प्राप्त हैं। यह विशेष अधिकार किस प्रकार का है?
- धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
- धन विधेयक पर राज्यसभा केवल सिफारिशें कर सकती है, उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करने का अंतिम निर्णय लोकसभा का होता है।
- धन विधेयक पर राज्यसभा 14 दिनों से अधिक संशोधन नहीं कर सकती।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: धन विधेयक (अनुच्छेद 110) और वित्त विधेयक (अनुच्छेद 117) दोनों के संबंध में लोकसभा को विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार:
- (a) धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है, राज्यसभा में नहीं (अनुच्छेद 109(1))।
- (b) धन विधेयक पर राज्यसभा केवल सिफारिशें कर सकती है, और यदि वह 14 दिनों के भीतर स्वीकृत या अस्वीकृत न हो, तो उसे दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है (अनुच्छेद 109(5))।
- (c) राज्यसभा धन विधेयक में संशोधन नहीं कर सकती, वह केवल सिफारिशें कर सकती है, और उन पर अंतिम निर्णय लोकसभा का होता है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक वापस नहीं करती तो उसे पारित मान लिया जाता है।
ये सभी प्रावधान लोकसभा को धन विधेयकों पर विशेष शक्ति प्रदान करते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: सभी दिए गए कथन धन विधेयकों के संबंध में लोकसभा के विशेष अधिकारों को सही ढंग से दर्शाते हैं।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति का स्रोत क्या है?
- यह संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
- यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने एक निर्णय में स्थापित की गई शक्ति है।
- यह अमेरिकी संविधान से प्रेरित है।
- ये सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, जो संसद द्वारा पारित किसी भी कानून या कार्यपालिका के किसी भी कार्य की संवैधानिक वैधता की जांच करने के लिए न्यायपालिका को अधिकार देती है, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 13, 32, 226 और 246 के तहत निहित है।
- संदर्भ एवं विस्तार:
- (a) संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में, विशेष रूप से मौलिक अधिकारों के संबंध में, न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार निहित है।
- (b) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) जैसे ऐतिहासिक निर्णयों ने इस शक्ति को और सुदृढ़ किया है और ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत की स्थापना की है।
- (c) यह शक्ति अमेरिका के संविधान से प्रेरित है, जहाँ ‘मार्बरी बनाम मैडिसन’ (Marbury v. Madison) मामले में न्यायिक पुनर्विलोकन की स्थापना हुई थी।
इसलिए, ये सभी कारक न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति के स्रोतों को दर्शाते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: सभी दिए गए विकल्प न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति को स्थापित करने या उसे प्रेरित करने में भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 16: भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित ‘कॉलेजियम प्रणाली’ (Collegium System) की उत्पत्ति किस ऐतिहासिक सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से मानी जाती है?
- एस. पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981)
- सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (1993)
- विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997)
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: कॉलेजियम प्रणाली, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की सिफारिशें उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा की जाती हैं, ‘सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ’ (जिसे ‘द्वितीय न्यायाधीश मामला’ या ‘Second Judges Case’ भी कहा जाता है) के निर्णय (1993) से उत्पन्न हुई।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने यह स्थापित किया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में ‘परामर्श’ (consultation) का अर्थ ‘सहमति’ (concurrence) है, जिससे कॉलेजियम को महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हुआ।
- अशुद्ध विकल्प: एस. पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981) में ‘परामर्श’ को केवल ‘सलाह’ माना गया था, जो कॉलेजियम प्रणाली के विपरीत था। विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997) कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित था। मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) ने ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ के अधिकार (अनुच्छेद 21) का व्यापक अर्थ दिया था।
प्रश्न 17: भारतीय संघीय प्रणाली में, अवशिष्ट शक्तियाँ (Residuary Powers), अर्थात वे शक्तियाँ जो संघ या राज्य सूची में सूचीबद्ध नहीं हैं, किसके पास निहित होती हैं?
- राज्य विधानमंडल
- संसद
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में अवशिष्ट शक्तियों को संसद में निहित किया गया है, जैसा कि अनुच्छेद 248 में उल्लेखित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसका अर्थ है कि यदि कोई ऐसा विषय आता है जो किसी भी सूची में शामिल नहीं है, तो उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास होगा। यह भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र की ओर झुकाव को दर्शाता है।
- अशुद्ध विकल्प: राज्य विधानमंडल को केवल राज्य सूची के विषयों पर विधायी शक्ति प्राप्त है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास अवशिष्ट शक्तियों से संबंधित कोई विधायी अधिकार नहीं है।
प्रश्न 18: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद, जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है, का उल्लेख भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 279A
- अनुच्छेद 269A
- अनुच्छेद 280
- अनुच्छेद 300A
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 279A भारतीय संविधान के तहत वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की स्थापना और उसके कार्यों का प्रावधान करता है। यह 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: GST परिषद भारत में GST के प्रशासन की देखरेख करती है, जिसमें GST से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष के रूप में और राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 269A अंतर-राज्यीय व्यापार और वाणिज्य पर IGST के आरोपण और संघ तथा राज्यों के बीच उसके विभाजन से संबंधित है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 300A संपत्ति के अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324, भारत में किस महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय की स्थापना और उसके कार्यों का प्रावधान करता है?
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 324 भारतीय संविधान के भाग XV के अंतर्गत आता है और यह भारत में ‘चुनाव आयोग’ की स्थापना, अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का प्रावधान करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: चुनाव आयोग निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव शामिल हैं। यह एक स्थायी और स्वतंत्र निकाय है।
- अशुद्ध विकल्प: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का उल्लेख अनुच्छेद 315 में है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का उल्लेख अनुच्छेद 148 में है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय है, संवैधानिक नहीं, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुआ है।
प्रश्न 20: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General – CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- भारत के राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है और केंद्र व राज्य सरकारों के खातों का लेखा-जोखा करता है। इसकी रिपोर्टें संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष रखी जाती हैं।
- अशुद्ध विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश CAG की नियुक्ति नहीं करते। राष्ट्रपति इस पद पर नियुक्ति के लिए एकमात्र प्राधिकारी हैं।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान के अनुसार, वित्त आयोग (Finance Commission) का गठन प्रत्येक पांचवें वर्ष ( quinquennially) या उससे पहले किया जाना है। वित्त आयोग की मुख्य भूमिका क्या है?
- संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों का वितरण।
- राज्यों को सहायता अनुदान (Grants-in-aid) के सिद्धांत।
- राज्यों द्वारा उधार लेने के संबंध में राष्ट्रपति को सिफारिशें देना।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 280 भारतीय संविधान के तहत वित्त आयोग के गठन और उसकी भूमिका का प्रावधान करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वित्त आयोग एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जिसकी मुख्य भूमिकाएँ ये हैं:
- (a) संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों का वितरण।
- (b) राज्यों को दिए जाने वाले सहायता अनुदान के सिद्धांतों का निर्धारण।
- (c) पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए संसाधन बढ़ाने हेतु राज्य के समेकित निधि (Consolidated Fund) के पूरक हेतु आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।
- (d) संघ और राज्यों के बीच करों के बंटवारे से संबंधित अन्य मामले, और राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित कोई अन्य वित्तीय मामला।
विकल्प (a), (b) और (c) वित्त आयोग की मुख्य जिम्मेदारियों का वर्णन करते हैं।
- अशुद्ध विकल्प: उपरोक्त सभी कथन वित्त आयोग की भूमिकाओं का सही वर्णन करते हैं।
प्रश्न 22: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) एक संवैधानिक निकाय है या एक वैधानिक निकाय?
- यह एक संवैधानिक निकाय है, जिसका उल्लेख संविधान के किसी अनुच्छेद में है।
- यह एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा हुआ है।
- यह एक सलाहकार निकाय है, जिसका गठन कार्यकारी आदेश द्वारा हुआ है।
- यह एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय है। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (Protection of Human Rights Act, 1993) के तहत संसद द्वारा पारित एक अधिनियम के माध्यम से हुआ है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में किया गया है (जैसे चुनाव आयोग, UPSC)। वैधानिक निकाय संसद द्वारा पारित कानून के माध्यम से बनते हैं। NHRC मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है और संबंधित सिफारिशें करता है।
- अशुद्ध विकल्प: NHRC का उल्लेख किसी भी अनुच्छेद में नहीं है, इसलिए यह संवैधानिक निकाय नहीं है (विकल्प a गलत)। इसका गठन कार्यकारी आदेश से नहीं, बल्कि अधिनियम से हुआ है, इसलिए सलाहकार निकाय या NGO नहीं है (विकल्प c, d गलत)।
प्रश्न 23: भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाले 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत, पंचायतों में महिलाओं के लिए न्यूनतम कितनी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया है?
- एक-तिहाई (1/3)
- आधा (1/2)
- दो-तिहाई (2/3)
- कोई निश्चित प्रतिशत नहीं, राज्यों के विवेक पर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और अनुच्छेद 243D (जो आरक्षण से संबंधित है) के अनुसार, पंचायतों में सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए सीटों का न्यूनतम एक-तिहाई आरक्षण अनिवार्य किया गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रावधान पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था। कुछ राज्यों ने इसे बढ़ाकर आधा कर दिया है, लेकिन न्यूनतम एक-तिहाई आरक्षण अनिवार्य है।
- अशुद्ध विकल्प: एक-तिहाई आरक्षण संवैधानिक रूप से अनिवार्य है। आधा आरक्षण कुछ राज्यों में है, लेकिन यह न्यूनतम संवैधानिक प्रावधान नहीं है। दो-तिहाई या विवेक पर छोड़ना गलत है।
प्रश्न 24: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की उद्घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कितने समय के भीतर अनुमोदित (Approved) किया जाना आवश्यक है?
- एक महीने के भीतर
- दो महीने के भीतर
- छह महीने के भीतर
- एक साल के भीतर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा उद्घोषणा की तारीख से दो महीने के भीतर सामान्य बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ एवं विस्तार: यदि उद्घोषणा तब जारी की जाती है जब लोकसभा भंग हो, तो इसे लोकसभा के पुनर्गठन के बाद पहली बैठक से 30 दिनों के भीतर अनुमोदित होना चाहिए। अनुमोदन के बाद, आपातकाल छह महीने तक लागू रहता है, जिसे हर छह महीने में संसद के पुनः अनुमोदन से बढ़ाया जा सकता है।
- अशुद्ध विकल्प: एक महीने का समय (राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन के लिए) या अन्य अवधि गलत हैं। राष्ट्रीय आपातकाल के प्रारंभिक अनुमोदन के लिए दो महीने की अवधि निर्धारित है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure Doctrine) के सिद्धांत को किस ऐतिहासिक सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में प्रतिपादित किया गया था?
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)
- एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत को केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने यह स्थापित किया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन यह संशोधन ‘संविधान के मूल ढांचे’ को नष्ट या विकृत नहीं कर सकता। इस निर्णय ने संसदीय संशोधन शक्ति को सीमित किया और संविधान की सर्वोच्चता तथा लोकतंत्र की रक्षा की।
- अशुद्ध विकल्प: गोलकनाथ मामले (1967) ने पहली बार संसदीय संशोधन शक्ति पर सीमाएं लगाई थीं। मिनर्वा मिल्स मामले (1980) ने मूल ढांचे के सिद्धांत को और मजबूत किया और न्यायिक पुनर्विलोकन को संरक्षित किया। एस. आर. बोम्मई मामला (1994) राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के दुरुपयोग से संबंधित था।
सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
[कोर्स और फ्री नोट्स के लिए यहाँ क्लिक करें]