संविधान का महासंग्राम: आज ही परखें अपनी राजव्यवस्था की समझ!
नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की मजबूत नींव को समझना आपकी तैयारी का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह रोज़ाना का अभ्यास सत्र आपको भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के जटिल पहलुओं में आपकी वैचारिक स्पष्टता को निखारने और चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, अपने ज्ञान की परीक्षा लें और संविधान के सारथी बनें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- सभी नागरिक स्वतंत्र हैं।
- कोई वंशानुगत शासक नहीं है।
- राष्ट्र का मुखिया अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
- सभी नागरिक समान हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, न कि वंशानुगत आधार पर। भारत में, राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। यद्यपि प्रस्तावना सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद में उल्लिखित नहीं है, राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया अनुच्छेद 54 में परिभाषित है, जो गणराज्य की अवधारणा को स्थापित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द भारत को एक राजशाही से अलग करता है, जहाँ राष्ट्र का प्रमुख वंशानुगत होता है। विकल्प (a) स्वतंत्रता के अधिकार, (b) गणराज्य की परिभाषा का एक हिस्सा (लेकिन पूर्ण अर्थ नहीं), और (d) समानता के अधिकार से संबंधित हैं, लेकिन ‘गणराज्य’ का मुख्य अर्थ राज्य के प्रमुख के चुनाव से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 19-22) से संबंधित है। विकल्प (b) गणराज्य के अर्थ का एक पहलू है, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव मुख्य विशेषता है। विकल्प (d) समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) से संबंधित है।
प्रश्न 2: ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) वाक्यांश भारतीय संविधान में कहाँ प्रयुक्त हुआ है और इसका क्या महत्व है?
- अनुच्छेद 1, और यह दर्शाता है कि भारतीय राज्यों को अलग होने का अधिकार नहीं है।
- अनुच्छेद 3, और यह राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति को दर्शाता है।
- भाग V, और यह केंद्र-राज्य संबंधों को परिभाषित करता है।
- प्रस्तावना, और यह भारत की एकात्मक प्रकृति को दर्शाता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1(1) कहता है कि “भारत, अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा।” यह वाक्यांश महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत को कनाडाई मॉडल की तरह ‘राज्यों के संघ’ के रूप में परिभाषित करता है, न कि अमेरिकी मॉडल के ‘संघ’ (Federation) की तरह। इसका अर्थ है कि भारतीय राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है, जो भारत की अखंडता को सुनिश्चित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, संघ और राज्यों के बीच एक समझौता नहीं है, बल्कि राज्यों का गठन संघ की इच्छा से हुआ है। इसलिए, राज्यों के पास अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। यह एकात्मकता की ओर झुकाव वाली एक संघीय प्रणाली है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 3 राज्यों के क्षेत्रों, नामों या सीमाओं में परिवर्तन से संबंधित है, न कि ‘राज्यों का संघ’ वाक्यांश के मूल अर्थ से। भाग V संघ की कार्यपालिका से संबंधित है। प्रस्तावना में भी भारत को ‘राज्यों का संघ’ नहीं कहा गया है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध है, विदेशियों के लिए नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भारत के क्षेत्र में कहीं भी आने-जाने, निवास करने और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत प्रदान किए गए अधिकार – भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और हथियारों के बिना एकत्र होने, संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, कहीं भी निवास करने और कोई भी पेशा, व्यवसाय या व्यापार करने की स्वतंत्रता – केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं। ये अधिकार भारत के राजनीतिक और बौद्धिक जीवन में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) सभी व्यक्तियों, नागरिक और विदेशी दोनों, के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है, हालांकि इसमें सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन प्रतिबंध हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं, न कि केवल नागरिकों पर। इसलिए, ये अनुच्छेद विदेशियों के लिए भी उपलब्ध हैं।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद “राज्य को नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता (Uniform Civil Code) प्राप्त कराने का प्रयास करना चाहिए” का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 46
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के भाग IV में अनुच्छेद 44 स्पष्ट रूप से कहता है कि “राज्य, भारतीय राज्यक्षेत्र के भीतर, नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का प्रयास करेगा।”
- संदर्भ और विस्तार: एक समान सिविल संहिता का उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों (जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण) को सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान बनाना है, ताकि किसी भी धर्म के लोगों के साथ भेदभाव न हो। यह एक निर्देशक सिद्धांत है, जिसे अदालतों द्वारा सीधे लागू नहीं किया जा सकता, बल्कि यह सरकार के लिए एक दिशानिर्देश है। हाल के वर्षों में इस पर काफी चर्चा हुई है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 42 मातृत्व अवकाश के प्रावधान से संबंधित है, अनुच्छेद 45 प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और 6 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा से संबंधित है (जिसे 86वें संशोधन द्वारा मौलिक अधिकार बनाया गया), और अनुच्छेद 46 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने से संबंधित है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य केवल नागरिकों के लिए है, राज्य के लिए नहीं?
- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थानों, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे अक्षुण्ण रखना।
- सभी नागरिकों में सामंजस्य और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करना, जो धर्म, भाषा और क्षेत्र या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो; ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत किया गया है। विकल्प (c) में उल्लिखित कर्तव्य “सभी नागरिकों में सामंजस्य और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करना…” विशेष रूप से नागरिकों के बीच सामाजिक सद्भाव और महिला सम्मान पर केंद्रित है। जबकि राज्य को इन सिद्धांतों को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए (DPSP के तहत), यह विशिष्ट कर्तव्य नागरिकों पर सामाजिक और व्यक्तिगत आचरण के लिए लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों से अपेक्षा करते हैं कि वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। अनुच्छेद 51A(c) भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने की बात करता है, जो राज्य और नागरिक दोनों की जिम्मेदारी है, लेकिन इसका निर्माण नागरिकों के बीच भाईचारा बढ़ाकर होता है। विकल्प (a), (b), और (d) भी नागरिकों के कर्तव्य हैं, लेकिन (c) विशेष रूप से नागरिकों के आपसी व्यवहार और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) प्रत्यक्ष रूप से हर नागरिक पर लागू होता है। विकल्प (b) भी नागरिकों का कर्तव्य है। विकल्प (d) वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास की बात करता है, जो एक व्यक्तिगत और सामूहिक नागरिक कर्तव्य है। विकल्प (c) में ‘स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध प्रथाओं का त्याग’ नागरिकों के व्यक्तिगत आचरण से अधिक जुड़ा हुआ है, यद्यपि राज्य भी इस दिशा में कार्य करता है।
प्रश्न 6: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 133
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को संसद के सत्रावसान की अवधि के दौरान अध्यादेश (Ordinance) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। यह अध्यादेश संसद के सत्र शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने पर ही प्रभावी बने रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यादेश जारी करने की यह शक्ति केवल तभी प्रयोग की जा सकती है जब संसद का कोई एक सदन या दोनों सदन सत्रावसान में हों और ऐसी परिस्थितियाँ हों जो राष्ट्रपति को तत्काल कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करें। अध्यादेश की शक्ति विधायी शक्ति के समान होती है, लेकिन यह अस्थायी होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की वीटो शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 133 उच्च न्यायालयों से अपील के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 143 सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 7: भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा के स्पीकर
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अनुसार, “प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।”
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि संविधान में नियुक्ति का उल्लेख है, व्यवहार में राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं जिसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त हो, जो सामान्यतः बहुमत दल का नेता होता है। राष्ट्रपति यह सुनिश्चित करते हैं कि नियुक्त व्यक्ति सरकार चलाने में सक्षम हो।
- गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा सभापति का प्रधानमंत्री की नियुक्ति में कोई सीधा संवैधानिक अधिकार नहीं होता है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन संघीय सरकार की विशेषता को सही ढंग से दर्शाता है?
- शक्तियों का विभाजन केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच होता है।
- केवल एक स्तर की सरकार होती है।
- सरकार की शक्ति एक नागरिक में निहित होती है।
- सरकार की शक्ति किसी एक सदन तक सीमित होती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघीय सरकार की प्राथमिक विशेषता यह है कि इसमें शक्तियों का विभाजन केंद्र सरकार और क्षेत्रीय सरकारों (जैसे राज्यों) के बीच संविधान द्वारा किया जाता है। भारत के संविधान में, यह विभाजन सातवीं अनुसूची में सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) के माध्यम से स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: शक्तियों का यह विभाजन सुनिश्चित करता है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में स्वायत्त रूप से कार्य कर सकें, लेकिन साथ ही एक-दूसरे के साथ सहयोग भी करें। यह शक्ति के केंद्रीकरण को रोकता है और क्षेत्रीय हितों की रक्षा करता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) एकात्मक सरकार की विशेषता है। विकल्प (c) और (d) सरकार के किसी भी रूप की विशेषता नहीं हो सकतीं, बल्कि ये तानाशाही या सीमित लोकतंत्र के लक्षण हो सकते हैं।
प्रश्न 9: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का कर्तव्य क्या है?
- सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- केंद्र और राज्यों द्वारा प्राप्त सभी ऋणों का लेखा-जोखा रखना।
- केंद्र और राज्यों के खातों की लेखा परीक्षा करना और उनसे संबंधित रिपोर्टें राष्ट्रपति/राज्यपाल को सौंपना।
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का प्राथमिक कर्तव्य भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होना है। अनुच्छेद 149 CAG को भारत और राज्यों की सभी प्राप्तियों और व्यय की लेखा परीक्षा करने का कर्तव्य सौंपता है। अनुच्छेद 151 कहता है कि CAG अपनी लेखा परीक्षा रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपेगा, जो उन्हें संसद के समक्ष रखवाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: CAG यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाए जिसके लिए इसे आवंटित किया गया था, और यह सरकारी खर्च में वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही बनाए रखता है। यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है जो विधायिका को कार्यपालिका के वित्तीय कामकाज पर निगरानी रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन कार्यकारी शाखा का काम है। ऋणों का लेखा-जोखा रखना CAG की बड़ी जिम्मेदारी का हिस्सा है, लेकिन इसका मुख्य कर्तव्य ‘लेखा परीक्षा’ है। मौलिक अधिकारों की रक्षा का कार्य न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) का है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: एक संवैधानिक निकाय वह होता है जिसका उल्लेख भारतीय संविधान में किया गया है और जिसे संविधान द्वारा शक्तियाँ और कार्य प्रदान किए गए हैं। भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग, जो 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित किया गया था, एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग सरकार के थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है और भारत सरकार को रणनीतिक और तकनीकी सलाह प्रदान करता है। यह पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में मदद करता है, लेकिन इसकी कोई संवैधानिक शक्ति नहीं है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके लिए संविधान में विशिष्ट प्रावधान (अनुच्छेद) हैं।
प्रश्न 11: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी?
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी। यह अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को 29 कार्यात्मक मदें प्रदान करती है, जिससे उन्हें स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने भाग IX भी जोड़ा, जिसमें पंचायतों के बारे में प्रावधान हैं, और अनुच्छेद 243 से 243O तक को शामिल किया गया। यह भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने वाला एक ऐतिहासिक कदम था।
- गलत विकल्प: दसवीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है (52वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई)। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई)। नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए पहले संशोधन (1951) द्वारा जोड़ी गई थी।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है, यदि वह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (मूल रूप से ‘आंतरिक अशांति’) के आधार पर संतुष्ट हो कि ऐसी आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पहली बार 1962 (भारत-चीन युद्ध), 1971 (भारत-पाकिस्तान युद्ध) और 1975 (आंतरिक आपातकाल) में घोषित किया गया था। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को किसी भी मामले पर निर्देश देने का अधिकार मिल जाता है, और अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त कुछ मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्य को संघ के निर्देशों का पालन न करने पर आपातकाल लगाने के प्रावधान से संबंधित है, जो अनुच्छेद 356 के तहत आता है।
प्रश्न 13: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) के ऐतिहासिक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने किस सिद्धांत को प्रतिपादित किया?
- पूर्ण न्यायिक समीक्षा का सिद्धांत
- ‘न्यूनतम आवश्यक’ का सिद्धांत
- संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत
- संसद की सर्वोच्चता का सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) के मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को स्थापित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, संसद किसी भी मौलिक अधिकार को संशोधित या निरस्त कर सकती है, लेकिन संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति (अनुच्छेद 368) पर एक महत्वपूर्ण सीमा लगाई। न्यायालय ने यह निर्धारित किया कि संविधान के मूल ढांचे में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकारों का सार आदि शामिल हैं। यह भारतीय संवैधानिक कानून में एक मील का पत्थर है।
- गलत विकल्प: न्यायिक समीक्षा का सिद्धांत पहले से मौजूद था, लेकिन केशवानंद मामले में इसे मूल ढांचे से जोड़ा गया। ‘न्यूनतम आवश्यक’ का सिद्धांत अनुच्छेद 21 के तहत आता है। संसद की सर्वोच्चता का सिद्धांत, जैसा कि यूके में है, को केशवानंद मामले ने खंडित कर दिया।
प्रश्न 14: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकने वाले रिट (Writ) में से कौन सा ‘हम आदेश देते हैं’ (We command) का अर्थ रखता है और किसी लोक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने का निर्देश देता है?
- हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Prohibition)
- मेंडमस (Mandamus)
- क्यों वारंटो (Quo Warranto)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus) लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या सार्वजनिक प्राधिकारी को कोई सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने का निर्देश देने के लिए जारी किया जाने वाला रिट है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: मेंडमस रिट किसी ऐसे लोक सेवक के खिलाफ जारी की जा सकती है जो अपने पद के कर्तव्य को पूरा करने से इनकार कर रहा हो। यह केवल सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य पर लागू होता है, न कि निजी मामले पर।
- गलत विकल्प: हैबियस कॉर्पस का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, जो अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने का आदेश है। बंदी प्रत्यक्षीकरण (Prohibition) का उपयोग किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामले की कार्यवाही रोकने के लिए किया जाता है। क्यों वारंटो (Quo Warranto) का अर्थ है ‘किस अधिकार से’, और इसका उपयोग किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर बने रहने के अधिकार पर सवाल उठाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी सूची समवर्ती सूची (Concurrent List) का विषय है?
- रक्षा
- रेलवे पुलिस
- आपराधिक प्रक्रिया
- जन स्वास्थ्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची शामिल हैं। समवर्ती सूची में वे विषय शामिल होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। समवर्ती सूची की प्रविष्टि 3 ‘आपराधिक प्रक्रिया’ (Criminal Procedure) है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर केंद्र और राज्य के कानूनों में विरोध होता है, तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होता है, बशर्ते कि उस राज्य के विधानमंडल ने उस पर एक नया कानून पारित न किया हो (जिस स्थिति में राज्य का कानून केंद्र के कानून पर अधिभावी होगा, जब तक कि राष्ट्रपति द्वारा आरक्षित न किया जाए)।
- गलत विकल्प: ‘रक्षा’ (Union List, Entry 5) और ‘रेलवे पुलिस’ (Union List, Entry 2A) संघ सूची के विषय हैं। ‘जन स्वास्थ्य’ (Public Health) राज्य सूची का विषय है (State List, Entry 6)।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति और उनके कर्तव्यों से संबंधित है?
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 79
- अनुच्छेद 165
- अनुच्छेद 148
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति, उनके पद की शर्तों और कर्तव्यों से संबंधित है। राष्ट्रपति भारत के महान्यायवादी को नियुक्त करते हैं, जो भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है और बोल सकता है, लेकिन मतदान का अधिकार उसे प्राप्त नहीं है। वह वह सब कार्य कर सकता है जो सरकार उसे सौंपती है। महान्यायवादी के लिए यह आवश्यक है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की योग्यता रखता हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 79 संसद के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से संबंधित है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘सलाहकार निकाय’ (Advisory Body) के रूप में कार्य करता है और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने में सहायता करता है, लेकिन इसका कोई संवैधानिक दर्जा नहीं है?
- वित्त आयोग
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- नीति आयोग
- केंद्रीय सतर्कता आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, नीति आयोग (NITI Aayog) एक गैर-संवैधानिक निकाय है जो सरकार के थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सलाह देता है, आर्थिक नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism) को बढ़ावा देता है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग की स्थापना सरकार के एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा की गई थी। यह आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास जैसे मुद्दों पर सरकार को रणनीतिक और नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) एक संवैधानिक निकाय है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भी एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत हुआ था।
प्रश्न 18: किस संशोधन ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को दस वर्ष के लिए बढ़ाया?
- 93वाँ संशोधन अधिनियम
- 95वाँ संशोधन अधिनियम
- 97वाँ संशोधन अधिनियम
- 101वाँ संशोधन अधिनियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को 25 जनवरी, 2010 से आगे दस वर्षों के लिए, अर्थात 25 जनवरी, 2020 तक बढ़ाया। बाद में 104वें संशोधन द्वारा इसे 25 जनवरी 2030 तक बढ़ाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान के अनुच्छेद 334 में इस आरक्षण की अवधि को प्रत्येक दस वर्ष के बाद बढ़ाने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य इन समुदायों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: 93वें संशोधन ने निजी शिक्षण संस्थानों में SC/ST के लिए आरक्षण को अनिवार्य किया। 97वें संशोधन ने सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान जोड़े। 101वें संशोधन ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया।
प्रश्न 19: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का वर्णन किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 124(1)
- अनुच्छेद 124(2)
- अनुच्छेद 124(3)
- अनुच्छेद 124(4)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124(2) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का वर्णन करता है। इसके अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश से, और यदि वह अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सलाह देने हेतु किसी न्यायाधीश को नियुक्त करता है, तो ऐसे अन्य न्यायाधीशों से, परामर्श करने के पश्चात्, वारंट द्वारा करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह ‘कॉलेजियम प्रणाली’ (Collegium System) की नींव रखता है, जो समय के साथ विकसित हुई है और जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति (कॉलेजियम) की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 124(1) भारत के एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की बात करता है। अनुच्छेद 124(3) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए योग्यताएं बताता है। अनुच्छेद 124(4) न्यायाधीशों को पद से हटाने की प्रक्रिया (महाभियोग) से संबंधित है।
प्रश्न 20: भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोक सभा के अध्यक्ष का चुनाव कौन करता है?
- प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा
- अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा निर्वाचित मंडल द्वारा
- संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा
- सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 54)। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) किया जाता है (अनुच्छेद 66)। लोक सभा के अध्यक्ष का चुनाव लोक सभा के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है, आम तौर पर सदन की पहली बैठक के तुरंत बाद।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यों की विधानसभाएं भी भाग लेती हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति और लोक सभा अध्यक्ष का चुनाव केवल संसद के सदस्यों द्वारा होता है। इसलिए, एक ऐसा विकल्प जो इन तीनों के चुनाव में संसद के सदस्यों की भूमिका को शामिल करता है, सबसे उपयुक्त है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं होता। केवल निर्वाचित मंडल ही नहीं, बल्कि मनोनीत सदस्य भी कुछ चुनाव (जैसे उपराष्ट्रपति) में भाग लेते हैं। राज्यों की विधानसभाएं केवल राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती हैं, न कि उपराष्ट्रपति या अध्यक्ष के।
प्रश्न 21: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 243D
- अनुच्छेद 243T
- अनुच्छेद 243C
- अनुच्छेद 243G
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया अनुच्छेद 243D पंचायती राज संस्थाओं में सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित होंगी। साथ ही, यह भी प्रावधान है कि पंचायतों में अध्यक्षों के पदों का आरक्षण भी अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए उसी अनुपात में होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अनुच्छेद प्रत्येक पंचायत में सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए एक-तिहाई (1/3) सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह महिलाओं को पंचायती राज में भागीदारी बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 243T शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) में आरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 243C पंचायतों की संरचना से संबंधित है, और अनुच्छेद 243G पंचायतों के प्राधिकार और उत्तरदायित्वों से संबंधित है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत भारतीय संविधान में ‘राज्य की परिभाषा’ (Definition of State) में शामिल नहीं है, जैसा कि अनुच्छेद 12 में परिभाषित है?
- भारत सरकार और संसद
- राज्य सरकारें और राज्य विधानमंडल
- सभी स्थानीय प्राधिकारी जो संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हैं
- निजी क्षेत्र की कंपनियाँ जो सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ संयुक्त उद्यम में हैं
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ की परिभाषा में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या में सर्वोच्च न्यायालय ने उन सभी संस्थाओं को शामिल किया है जो सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करती हैं और जिनके पास कानून बनाने, लागू करने या लागू करने की शक्ति है, भले ही वे विधायी, कार्यकारी या न्यायिक प्रकृति की हों।
- संदर्भ और विस्तार: हाल के अदालती फैसलों में, ऐसी निजी कंपनियों को भी ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया गया है जो सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करती हैं या जिनके पास नियामक शक्तियाँ होती हैं, भले ही वे निजी क्षेत्र की हों। हालाँकि, विशुद्ध रूप से निजी क्षेत्र की कंपनियाँ, जो केवल अपने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए कार्य करती हैं और सरकारी नियंत्रण या सार्वजनिक कार्य का निर्वहन नहीं करतीं, आमतौर पर इस परिभाषा में शामिल नहीं होती हैं, जब तक कि वे राज्य के एजेंट के रूप में कार्य न कर रही हों। दिए गए विकल्पों में, विशुद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियाँ इस परिभाषा में शामिल नहीं हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सीधे तौर पर अनुच्छेद 12 में परिभाषित हैं या अदालतों द्वारा ‘अन्य प्राधिकारी’ के रूप में व्याख्यायित किए गए हैं।
प्रश्न 23: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया, जो अनुच्छेद 61 में वर्णित है, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिकी मॉडल की तरह, भारतीय मॉडल में भी राष्ट्रपति को ‘संविधान का उल्लंघन’ के आरोप में महाभियोग द्वारा पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन द्वारा शुरू की जा सकती है, जिसके लिए उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा प्रस्तावित और दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प की आवश्यकता होती है। दूसरे सदन को आरोप की जांच करनी होती है।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में कोई लिखित संविधान नहीं है और राजशाही वंशानुगत होती है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की संसदीय प्रणालियाँ भी अलग हैं, और उनके राष्ट्रपति या राष्ट्रप्रमुख के महाभियोग की प्रक्रियाएँ भारत से भिन्न हैं।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान का कौन सा भाग मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV-A विशेष रूप से मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) से संबंधित है, जिसे 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर जोड़ा गया था। इस भाग में केवल एक अनुच्छेद है, अनुच्छेद 51A, जो नागरिकों के दस मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिक के लिए नैतिक दायित्व हैं और इन्हें सीधे तौर पर अदालतों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन इनका पालन करना नागरिक का कर्तव्य है। वर्ष 2002 में 86वें संशोधन द्वारा एक ग्यारहवाँ मौलिक कर्तव्य भी जोड़ा गया।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 25: केंद्र-राज्य विधायी संबंधों के संबंध में, अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ (Residuary Legislative Powers) किसके पास होती हैं?
- केवल संसद के पास
- केवल राज्य विधानमंडलों के पास
- केंद्र और राज्यों के बीच साझा (Shared)
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय द्वारा तय की जाएंगी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का विशेष अधिकार संसद के पास है। अवशिष्ट शक्तियाँ (Residuary Powers), यानी वे विषय जो तीनों सूचियों (संघ, राज्य, समवर्ती) में से किसी में भी शामिल नहीं हैं, वे भी संसद को सौंपी गई हैं। यह अनुच्छेद 248 में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 कहता है कि संसद के पास अवशिष्ट विधायी शक्तियों का अधिकार होगा, जिसका अर्थ है कि संसद किसी भी ऐसे विषय पर कानून बना सकती है जो किसी भी सूची में शामिल नहीं है। यह भारतीय संघीय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता है जो केंद्र को मजबूत करती है, खासकर अनिश्चित या उभरते हुए मुद्दों के संबंध में।
- गलत विकल्प: राज्य विधानमंडलों के पास केवल राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। ये शक्तियाँ साझा नहीं हैं, बल्कि विशेष रूप से संसद को सौंपी गई हैं। सर्वोच्च न्यायालय अवशिष्ट शक्तियों के संबंध में व्याख्या कर सकता है, लेकिन यह स्वयं इन शक्तियों को तय नहीं करता; यह शक्ति अंततः संसद के पास है।