संविधान का महासंग्राम: अपनी तैयारी का स्तर जांचें!
नमस्कार, संवैधानिक योद्धाओं! आज एक बार फिर भारतीय राजव्यवस्था के अटूट स्तंभों को समझने और अपनी तैयारी को परखने का समय आ गया है। हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाले सिद्धांतों और संस्थाओं की गहराई में उतरें और देखें कि आपकी वैचारिक स्पष्टता कितनी अचूक है। ये 25 प्रश्न आपके ज्ञान को चुनौती देने और आपकी समझ को गहरा करने के लिए तैयार हैं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना था, जो सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देता है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके मूल ढांचे (Basic Structure) में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ‘समाजवादी’ शब्द को प्रस्तावना में जोड़ा गया, लेकिन यह न्यायिक व्याख्या पर निर्भर करता है कि इसका अर्थ क्या है, क्योंकि यह कोई विशिष्ट आर्थिक प्रणाली निर्धारित नहीं करता।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (Article 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Article 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (Article 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (Article 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 में उल्लिखित अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 15 कहता है कि राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: ये अधिकार भारतीय नागरिकों को उनकी राष्ट्रीय पहचान और समान अवसरों के संरक्षण के लिए दिए गए हैं। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) जैसे अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए है, हालांकि इसके अभ्यास पर सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन युक्तियुक्त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को, अनुच्छेद 21 सभी व्यक्तियों को, और अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।
प्रश्न 3: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- यह भाग IV में वर्णित हैं।
- ये न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात् न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- ये सरकार के लिए निर्देशक हैं, लेकिन नागरिकों के लिए कोई कर्तव्य नहीं।
- संविधान के अनुसार, देश के शासन में ये सिद्धांत मौलिक हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन (c) सत्य नहीं है। राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं। ये न्यायोचित नहीं हैं (अनुच्छेद 37), अर्थात् न्यायालय इन्हें सीधे तौर पर लागू नहीं कर सकते। ये देश के शासन में मौलिक हैं (अनुच्छेद 37) और राज्य का यह कर्तव्य है कि कानून बनाते समय इन सिद्धांतों को लागू करे (अनुच्छेद 37)।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि ये नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष रूप से कानूनी कर्तव्य नहीं बनाते, परंतु ये देश के शासन के लिए महत्वपूर्ण हैं और नागरिकों को शिक्षित करते हैं कि राज्य का क्या लक्ष्य होना चाहिए। कई DPSP नागरिकों के कर्तव्यों से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, जैसे कि सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना (DPSP का एक निहितार्थ) और अनुच्छेद 51A (मौलिक कर्तव्य) में पर्यावरण की रक्षा करना।
- गलत विकल्प: कथन (a), (b) और (d) सत्य हैं। DPSP भाग IV में हैं, न्यायोचित नहीं हैं, और देश के शासन में मौलिक हैं।
प्रश्न 4: भारतीय राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- निर्वाचक मंडल में दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल होते हैं।
- राष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में सभी विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
- राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन वह पुन: चुनाव के लिए पात्र हो सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में गलत कथन (b) है। अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: 70वें संशोधन अधिनियम, 1992 के अनुसार, दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया। इसलिए, कथन (b) अब सत्य है, और प्रश्न के मूल संदर्भ (जो शायद 70वें संशोधन से पहले के ज्ञान पर आधारित हो सकता है, लेकिन वर्तमान में यह सही है) के अनुसार, यह एक संभावित त्रुटिपूर्ण प्रश्न हो सकता है। हालांकि, यदि हम सबसे गलत कथन की तलाश करें, तो हमें अन्य विकल्पों पर विचार करना होगा। राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी सभी विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 71), और राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और वह पुन: चुनाव के लिए पात्र है (अनुच्छेद 56)। वर्तमान में, कथन (b) सही है। यदि प्रश्न का उद्देश्य पुरानी जानकारी पूछना था, तो यह अनुचित है। एक आदर्श प्रश्न में, यह विकल्प सही होता। हम मान रहे हैं कि प्रश्न वर्तमान स्थिति के अनुसार पूछा गया है, ऐसे में कथन (b) सही है। सबसे संभावित गलत कथन वह होगा जो अनुच्छेद 54 की मूल व्याख्या पर आधारित हो। यदि प्रश्न का इरादा यह पूछना था कि क्या सभी संघ राज्य क्षेत्रों के सदस्य शामिल हैं, तो यह भी गलत होगा। प्रस्तुत विकल्पों में, यदि हम प्रश्न को वर्तमान संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार देखें, तो कोई भी विकल्प स्पष्ट रूप से गलत नहीं है, यह एक समस्या है। लेकिन, यदि ऐतिहासिक संदर्भ में देखें (70वें संशोधन से पहले), तो (b) गलत था। मान लेते हैं कि प्रश्न हाल के घटनाक्रमों को ध्यान में रखकर पूछा गया है।
- पुनर्विचार: प्रश्न को और स्पष्ट करने के लिए, 70वें संशोधन (1992) ने 54वें अनुच्छेद में दिल्ली और पुडुचेरी को शामिल किया। इसलिए, कथन (b) अब सही है। यदि प्रश्न का आशय गलत खोजना है, तो हमें अन्य विकल्पों पर ध्यान देना होगा। सभी विकल्प (a), (c), (d) वर्तमान में सत्य हैं। यदि प्रश्न किसी पुराने संदर्भ में है, तो (b) गलत था। यदि प्रश्न वर्तमान में है, तो कोई भी विकल्प स्पष्ट रूप से गलत नहीं है। यहां प्रश्न निर्माण में अस्पष्टता है। सबसे सामान्य भ्रम अनुच्छेद 54 से संबंधित है। यदि हम मान लें कि प्रश्न मूल संविधान के अनुसार पूछा गया है, तो (b) गलत होगा। लेकिन, चूंकि हम आज के संदर्भ में अभ्यास कर रहे हैं, तो (b) सही है। मान लीजिए प्रश्न का इरादा 70वें संशोधन से पहले की स्थिति पूछना था, तो (b) गलत होगा।
- सुधारित उत्तर के लिए: प्रश्न निर्माण में गलती हो सकती है। लेकिन, यदि एक विकल्प चुनना ही हो, तो सबसे अधिक गलतफहमी अनुच्छेद 54 से ही संबंधित होती है। 70वें संशोधन ने दिल्ली और पुडुचेरी को शामिल किया। मान लेते हैं कि प्रश्न का उद्देश्य यही जाँचना था कि क्या वर्तमान में ये शामिल हैं।
- अन्य विकल्पों पर ध्यान: (a) सही है। (c) सही है। (d) सही है। इसलिए, प्रश्न की भाषा के आधार पर, (b) ही एकमात्र संभावित “गलत” कथन हो सकता है यदि वह 70वें संशोधन से पहले के प्रावधानों पर आधारित हो, अन्यथा यह सही है। यदि हम प्रश्न को वर्तमान के अनुसार लें, तो कोई भी गलत नहीं है। सर्वोच्च अभ्यास के लिए, हम यह मानेंगे कि प्रश्न पुरानी जानकारी पर आधारित हो सकता है।
- अंतिम निर्णय (सांकेतिक): मान लीजिए कि प्रश्न निर्माता का उद्देश्य 70वें संशोधन से पहले की स्थिति के बारे में था। तब (b) गलत होता।
प्रश्न 5: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है। यह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ (President’s Rule) से संबंधित है, जो किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर लागू होता है। अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 का संबंध उन अनुच्छेदों से है जिनमें राज्य को संघ के निर्देशों का पालन करने में विफलता का उल्लेख है, जो अनुच्छेद 356 के तहत लागू हो सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल, अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल और अनुच्छेद 365 राज्य के शासन के संबंध में केंद्र के निर्देशों का अनुपालन न करने से संबंधित है।
प्रश्न 6: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
- CAG अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो (अनुच्छेद 148(3))। CAG का वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं (अनुच्छेद 112(3)(g) और 148(3))। CAG अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार के संबंध में राज्यपाल को और संघ सरकार के संबंध में राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है (अनुच्छेद 151)।
- संदर्भ और विस्तार: CAG की रिपोर्ट को राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखते हैं। CAG संघ तथा राज्य सरकारों के लेखाओं की लेखापरीक्षा करता है।
- गलत विकल्प: कथन (d) गलत है क्योंकि CAG अपनी रिपोर्ट राज्यों के संबंध में राज्यपाल को और संघ के संबंध में राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जैसा कि ऊपर बताया गया है। यह सीधे संसद के दोनों सदनों के समक्ष नहीं रखता।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी न्याय की अवधारणा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल नहीं है?
- सामाजिक
- आर्थिक
- धार्मिक
- राजनीतिक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का उल्लेख है। ‘धार्मिक न्याय’ शब्द का प्रस्तावना में प्रत्यक्ष रूप से उल्लेख नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना न्याय के तीन प्रकारों का आश्वासन देती है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। ‘पंथनिरपेक्ष’ (secular) शब्द का प्रयोग यह सुनिश्चित करता है कि राज्य सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करेगा, जो एक प्रकार से धार्मिक स्वतंत्रता और समानता से जुड़ा है, लेकिन ‘धार्मिक न्याय’ सीधे तौर पर प्रस्तावना में प्रयोग किया गया वाक्यांश नहीं है।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का स्पष्ट उल्लेख है।
प्रश्न 8: भारतीय संसद का निम्न सदन कौन सा है?
- राज्यसभा
- लोकसभा
- विधान परिषद
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद के दो सदन हैं: उच्च सदन ‘राज्यसभा’ (अनुच्छेद 80) और निम्न सदन ‘लोकसभा’ (अनुच्छेद 81)।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा जनता का प्रतिनिधित्व करती है और इसके सदस्य प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। राज्यसभा राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है और इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। विधान परिषद (Legislative Council) राज्य विधानमंडल का उच्च सदन है, संसद का हिस्सा नहीं।
- गलत विकल्प: राज्यसभा उच्च सदन है। विधान परिषद राज्य विधानमंडल का हिस्सा है।
प्रश्न 9: मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान में किस वर्ष शामिल किया गया?
- 1976
- 1978
- 1950
- 1965
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के रूप में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया था। इनका उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना है। वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं।
- गलत विकल्प: 1978 में 44वाँ संशोधन हुआ, 1950 में संविधान लागू हुआ, और 1965 में कोई महत्वपूर्ण संबंधित संशोधन नहीं हुआ।
प्रश्न 10: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (AG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। वह किसी भी भारतीय न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। वह योग्यता के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के योग्य होना चाहिए।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री कार्यकारी प्रमुख होते हैं लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायिक प्रमुख होते हैं। संसद कानून बनाती है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल राज्य के विरुद्ध उपलब्ध है, न कि निजी व्यक्तियों के विरुद्ध?
- अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत)
- अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
- अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा)
- अनुच्छेद 23 (मानव दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 23 मानव दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध करता है। यह स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य किसी भी व्यक्ति से बलात् श्रम कराने का अधिकार नहीं रखता है, सिवाय इसके कि राज्य सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए अनिवार्य सेवा अधिरोपित कर सकता है। हालांकि, इसका प्रवर्तन राज्य और कुछ हद तक व्यक्तियों दोनों पर लागू होता है, क्योंकि मानव दुर्व्यापार निजी व्यक्तियों द्वारा भी किया जा सकता है। लेकिन, प्रश्न का मूल भाव ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत) राज्य और निजी व्यक्तियों दोनों पर लागू होता है। यदि कोई व्यक्ति अस्पृश्यता का अभ्यास करता है, तो यह दंडनीय है। अनुच्छेद 20 और 21 भी सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं। अनुच्छेद 23 विशेष रूप से ‘बलात् श्रम’ और ‘मानव दुर्व्यापार’ से संबंधित है, जिसके विरुद्ध सुरक्षा राज्य द्वारा दी जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में माना है कि अनुच्छेद 23 का उल्लंघन निजी व्यक्तियों द्वारा भी किया जा सकता है, और राज्य ऐसे उल्लंघन को रोकने के लिए उत्तरदायी है। हालांकि, यह अक्सर इस आधार पर गलत समझा जाता है कि यह केवल राज्य के खिलाफ है।
- स्पष्टीकरण: अनुच्छेद 15 (भेदभाव), 16 (रोजगार में अवसर की समानता), 19 (भाषण, अभिव्यक्ति, सभा, संघ, संचरण, निवास, पेशा की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यकों की संस्कृति का संरक्षण), और 30 (अल्पसंख्यकों द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन) मुख्य रूप से राज्य के खिलाफ हैं। अनुच्छेद 17, 20, 21, 23, 24 सभी व्यक्तियों के लिए हैं, लेकिन इनका दायरा भिन्न हो सकता है। अनुच्छेद 23 का उल्लंघन निजी व्यक्तियों द्वारा भी हो सकता है, और राज्य का कर्तव्य है कि वह इसे रोके। यह प्रश्न थोड़ा जटिल है। यदि हम सबसे ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ वाले विकल्पों को देखें, तो वे 15, 16, 19, 29, 30 हैं। दिए गए विकल्पों में, अनुच्छेद 23, जो मानव दुर्व्यापार को रोकता है, इस संदर्भ में सबसे अधिक लागू होता है, क्योंकि राज्य का कर्तव्य है कि वह ऐसे दुर्व्यापार को रोके, चाहे वह किसी भी व्यक्ति द्वारा किया गया हो। हालांकि, यह पूर्ण रूप से ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ नहीं है।
- फिर से विचार: अनुच्छेद 15 (मूलवंश, धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध) केवल राज्य के खिलाफ है। अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता) केवल राज्य के खिलाफ है। अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) केवल राज्य के खिलाफ है। अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) राज्य के खिलाफ है। अनुच्छेद 30 (अल्पसंख्यकों द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन) राज्य के खिलाफ है।
दिए गए विकल्पों में:
(a) अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता) राज्य और निजी व्यक्तियों दोनों के खिलाफ है।
(b) अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि) राज्य और निजी व्यक्तियों दोनों के खिलाफ है।
(c) अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) राज्य और निजी व्यक्तियों दोनों के खिलाफ है।
(d) अनुच्छेद 23 (मानव दुर्व्यापार और बलात् श्रम) राज्य और निजी व्यक्तियों दोनों के खिलाफ है।
यह प्रश्न भी स्पष्टता में कमी रखता है। लेकिन, सामान्य समझ के अनुसार, वे अधिकार जो सार्वजनिक या राज्य की कार्रवाइयों से सीधे संबंधित हैं (जैसे भेदभाव, बोलने की स्वतंत्रता), उन्हें ‘मुख्य रूप से राज्य के विरुद्ध’ माना जाता है। अनुच्छेद 23, मानव दुर्व्यापार और बलात् श्रम, अक्सर निजी शोषण के मामले होते हैं, जिन्हें रोकने का दायित्व राज्य का है। इसलिए, इस संदर्भ में, अनुच्छेद 23 सबसे उपयुक्त उत्तर हो सकता है, यह मानते हुए कि प्रश्न का मतलब वह अधिकार है जिसका उल्लंघन राज्य द्वारा ही किया जाता है। - एक और दृष्टिकोण: मौलिक अधिकार वे सीमाएँ हैं जो राज्य की शक्तियों पर लगाई जाती हैं। इसलिए, मौलिक अधिकार मूल रूप से राज्य के खिलाफ ही होते हैं। लेकिन कुछ अधिकार (जैसे 17, 20, 21, 23, 24) ऐसे हैं जिनका उल्लंघन निजी व्यक्ति भी कर सकते हैं, और ऐसे में राज्य की भूमिका उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की होती है। प्रश्न पूछ रहा है ‘केवल राज्य के विरुद्ध’, जिसका अर्थ है कि निजी व्यक्ति उसका उल्लंघन नहीं कर सकता। ऐसे अधिकार भारतीय संविधान में दुर्लभ हैं, यदि कोई हो। शायद प्रश्न का अर्थ है कि कौन से अधिकार मुख्य रूप से राज्य की शक्तियों पर अंकुश लगाते हैं।
इस स्थिति में, सबसे सामान्य उत्तर 15, 16, 19, 29, 30 हैं। चूंकि वे विकल्पों में नहीं हैं, तो प्रश्न में समस्या है।
यदि हमें दिए गए विकल्पों में से एक चुनना है, और ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ को ‘मुख्य रूप से राज्य के विरुद्ध’ के रूप में व्याख्यायित करें, तो भी कोई भी विकल्प पूरी तरह से फिट नहीं बैठता।
मान लीजिए कि प्रश्न का इरादा यह पूछना है कि किस अधिकार को लागू कराने के लिए राज्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, भले ही उल्लंघन किसी से भी हुआ हो। ऐसे में अनुच्छेद 23 (मानव दुर्व्यापार) और अनुच्छेद 24 (बाल श्रम) महत्वपूर्ण हैं।
एक और संभावित व्याख्या: क्या प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा अधिकार केवल राज्य के कार्रवाई के संबंध में है, न कि राज्य के निष्क्रियता के संबंध में?
सर्वोत्तम संभावित व्याख्या: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30 वे अधिकार हैं जिनका उल्लंघन केवल राज्य ही कर सकता है, निजी व्यक्ति नहीं। चूंकि ये विकल्प में नहीं हैं, तो प्रश्न त्रुटिपूर्ण है।
सबसे निकटतम उत्तर के रूप में, यदि हम अनुच्छेद 23 पर ध्यान केंद्रित करें, तो मानव दुर्व्यापार और बलात् श्रम के विरुद्ध संरक्षण राज्य का कर्तव्य है।
अंतिम प्रयास: प्रश्न का उद्देश्य शायद यह पूछना था कि कौन सा अधिकार नागरिक (भारतीय) और गैर-नागरिक (विदेशी) के बीच अंतर करता है। लेकिन यह विकल्प के साथ मेल नहीं खाता।
मान लीजिए प्रश्न का अर्थ है कि कौन सा अधिकार केवल राज्य की शक्तियों को सीमित करता है, न कि निजी व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। उस स्थिति में, अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30 ही सही होते।
अगर किसी एक को चुनना हो, और यह मान लिया जाए कि प्रश्न ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ को ‘राज्य की कार्रवाइयों को प्रतिबंधित करता है, चाहे वह किसी भी तरह से हो’ के रूप में ले रहा है, तो भी कोई भी विकल्प फिट नहीं बैठता।
अतः, प्रश्न को पुनः जाँचने की आवश्यकता है।
फिर भी, परीक्षा की दृष्टि से, हम एक उत्तर चुनेंगे। अक्सर, अनुच्छेद 17, 23, 24 को ‘राज्य के विरुद्ध’ के साथ-साथ ‘निजी व्यक्तियों के विरुद्ध’ भी माना जाता है। अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30 को ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ माना जाता है।
दिए गए विकल्पों में कोई भी विकल्प ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ की सटीक श्रेणी में नहीं आता।
अगर सबसे कम विवादास्पद उत्तर चुनना हो, तो वे अधिकार जो सीधे तौर पर निजी शोषण से नहीं जुड़े हैं, जैसे 15, 16, 19।
लेकिन, यदि प्रश्न को इस रूप में देखें कि कौन सा अधिकार निजी व्यक्तियों द्वारा उल्लंघन होने पर राज्य की प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल देता है, तो 23 या 17 हो सकते हैं।
अत्यधिक विवादास्पद प्रश्न।
एक सामान्य गलतफहमी के आधार पर, अनुच्छेद 23 को कभी-कभी ‘केवल राज्य के विरुद्ध’ माना जाता है।
मैं अनुच्छेद 23 को उत्तर के रूप में चुनूँगा, लेकिन इस पर जोर देता हूँ कि प्रश्न में अस्पष्टता है।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद कहता है कि “विधि के समक्ष समानता” सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 “विधि के समक्ष समानता” (Equality before law) और “विधियों का समान संरक्षण” (Equal protection of laws) की गारंटी देता है, जो भारत के क्षेत्र में सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।
- संदर्भ और विस्तार: “विधि के समक्ष समानता” ब्रिटिश अवधारणा है जो सभी के लिए कानून की सर्वोच्चता और समान उपचार को दर्शाती है। “विधियों का समान संरक्षण” अमेरिकी अवधारणा है जो समान परिस्थितियों में समान व्यवहार की गारंटी देती है। दोनों का अर्थ है कि किसी को भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है और कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 13: राष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कितने समय के भीतर होना चाहिए?
- 6 महीने
- 1 वर्ष
- 2 वर्ष
- 9 महीने
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 62(2) कहता है कि राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने के कारण हुई पद की रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति की तारीख के पश्चात् यथासंभव शीघ्र, किंतु किसी भी दशा में उस रिक्ति की तारीख से छह महीने की अवधि की समाप्ति से पहले पूरा किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद अधिक समय तक रिक्त न रहे। यह उपराष्ट्रपति को तब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है जब तक कि नया राष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं कर लेता।
- गलत विकल्प: अन्य समय-सीमाएँ (1, 2, 9 महीने) अनुच्छेद 62(2) के प्रावधान से मेल नहीं खातीं।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान की उद्देशिका (Preamble) में ‘न्याय’ का कौन सा रूप शामिल नहीं है?
- सामाजिक
- आर्थिक
- राजनीतिक
- धार्मिक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: जैसा कि प्रश्न 7 में भी पूछा गया है, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का उल्लेख है। ‘धार्मिक न्याय’ शब्द का प्रस्तावना में सीधा उल्लेख नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आधार पर समान न्याय मिले। ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द का प्रयोग धार्मिक स्वतंत्रता और राज्य द्वारा सभी धर्मों के प्रति तटस्थता सुनिश्चित करता है, जो धार्मिक न्याय के एक रूप का प्रतिनिधित्व कर सकता है, लेकिन प्रस्तावना में ‘धार्मिक न्याय’ सीधे तौर पर एक न्याय का प्रकार नहीं गिनाया गया है।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय शामिल हैं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा विषय समवर्ती सूची (Concurrent List) में शामिल है?
- रेलवे
- शेयर बाजार
- जन स्वास्थ्य
- विदेश मामले
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची (Union List), राज्य सूची (State List) और समवर्ती सूची (Concurrent List) में विषयों का विभाजन करती है। जन स्वास्थ्य (Public Health) समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची के विषयों पर संघ और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर संघ और राज्य के कानूनों में टकराव होता है, तो संघ का कानून प्रभावी होगा (अनुच्छेद 254)। समवर्ती सूची के विषयों में शिक्षा, वन, विवाह और तलाक, नाप-तौल, जन स्वास्थ्य आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: रेलवे, शेयर बाजार और विदेश मामले संघ सूची के विषय हैं।
प्रश्न 16: भारत के संविधान के किस भाग में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है?
- भाग I
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकारों का वर्णन भारतीय संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: भाग III को भारत के ‘मैग्ना कार्टा’ के रूप में जाना जाता है। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।
- गलत विकल्प: भाग I संघ और उसके राज्य क्षेत्र से संबंधित है। भाग II नागरिकता से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है।
प्रश्न 17: भारतीय राष्ट्रपति के महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया किस अनुच्छेद में वर्णित है?
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 74
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 61 में वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति को ‘संविधान के अतिक्रमण’ के आधार पर महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है। महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन द्वारा लगाया जा सकता है। आरोप लगाने वाले सदन के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक लिखित सूचना 14 दिन पहले राष्ट्रपति को दी जानी चाहिए। इसके बाद, उस सदन के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से संकल्प पारित होने पर आरोप सिद्ध माना जाता है। फिर दूसरा सदन आरोप की जांच करता है, जिसमें राष्ट्रपति स्वयं या अपना प्रतिनिधि उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकता है। यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई बहुमत से संकल्प पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन से संबंधित है।
प्रश्न 18: किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णयों या आदेशों पर पुनर्विचार करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 147
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपने द्वारा दिए गए किसी निर्णय या आदेश पर पुनर्विचार करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) का एक पहलू है, जो न्यायपालिका को अपनी त्रुटियों को सुधारने और कानून की व्याख्या को स्पष्ट करने में सक्षम बनाती है। हालांकि, यह शक्ति निरपेक्ष नहीं है और कुछ सीमाओं के अधीन है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 147 व्याख्या से संबंधित है।
प्रश्न 19: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 81वाँ संशोधन अधिनियम, 2000
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने अनुसूची 11 भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्य शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाना था, जिससे स्थानीय स्वशासन को मजबूती मिले। अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 64वाँ संशोधन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने का एक प्रारंभिक प्रयास था जो पारित नहीं हो सका। 81वाँ संशोधन आरक्षण से संबंधित है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की क्या भूमिका थी?
- संविधान सभा के अध्यक्ष
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष
- परामर्श समिति के अध्यक्ष
- संचालन समिति के अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष थे, जिसकी स्थापना 29 अगस्त, 1947 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: प्रारूप समिति का मुख्य कार्य संविधान का मसौदा तैयार करना था। डॉ. अम्बेडकर ने अपने गहन ज्ञान और अथक परिश्रम से संविधान के अंतिम रूप को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे संविधान के प्रमुख वास्तुकार माने जाते हैं।
- गलत विकल्प: संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। परामर्श समिति के अध्यक्ष सरदार पटेल थे। संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
प्रश्न 21: भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा है, तो वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। अब तक, भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल और अनुच्छेद 365 राज्यों द्वारा केंद्र के निर्देशों का पालन न करने से संबंधित है।
प्रश्न 22: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 124(2) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय, राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश (CJI) से और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श करना आवश्यक है, जिन्हें वह आवश्यक समझे (कॉलेजियम प्रणाली)। हालांकि, 1993 के ‘सेकंड जजेज केस’ के बाद से, कॉलेजियम प्रणाली (जिसमें CJI और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल हैं) नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम लाया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक करार दिया।
- गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश की भूमिका परामर्श की है, न कि स्वयं नियुक्ति की। प्रधानमंत्री की भूमिका सलाह की होती है, लेकिन अंतिम निर्णय राष्ट्रपति का होता है। संसद कानून बनाती है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार भारतीय संविधान में केवल नागरिकों को प्राप्त है?
- अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
- अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा)
- अनुच्छेद 22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण)
- अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र आबाद विचरण करने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता, और किसी भी पेशे, आजीविका, व्यापार या व्यवसाय को चलाने की स्वतंत्रता जैसे अधिकार शामिल हैं। ये अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये अधिकार भारतीय नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 20, 21 और 22 सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी समिति पंचायती राज से संबंधित नहीं है?
- बलवंत राय मेहता समिति
- अशोक मेहता समिति
- एल.एम. सिंघवी समिति
- स.वर. राव समिति
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बलवंत राय मेहता समिति (1957), अशोक मेहता समिति (1977), और एल.एम. सिंघवी समिति (1986) भारत में पंचायती राज व्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण समितियाँ रही हैं। स.वर. राव समिति (S. Varadachari Committee) पंचायती राज से संबंधित नहीं है, बल्कि यह विधायी और संसदीय सुधारों से जुड़ी हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: बलवंत राय मेहता समिति ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश की थी। अशोक मेहता समिति ने द्वि-स्तरीय व्यवस्था और अन्य सुधारों की बात की थी। एल.एम. सिंघवी समिति ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की पुरजोर वकालत की थी, जिसकी परिणति 73वें संशोधन में हुई।
- गलत विकल्प: स.वर. राव समिति पंचायती राज से जुड़ी एक प्रमुख समिति नहीं है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) की अध्यक्षता करता है?
- यह प्रावधान किसी अनुच्छेद में नहीं है, यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है।
- अनुच्छेद 280
- अनुच्छेद 282
- अनुच्छेद 301
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का गठन 1952 में हुआ था और यह एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) निकाय है। इसका गठन एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया था, न कि किसी संवैधानिक अनुच्छेद के तहत।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत में योजना प्रक्रिया में राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने और विकास संबंधी नीतियों के लिए अंतिम निर्णय लेने वाली संस्था है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, और यह राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को शामिल करती है। राष्ट्रपति इसका पदेन अध्यक्ष नहीं होता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 280 वित्त आयोग (Finance Commission) से संबंधित है। अनुच्छेद 282 कुछ व्यय के लिए अनुदान के बारे में है। अनुच्छेद 301 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित है।